hotaks444
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तभी जो भी उस पर चढ़ा था उसने नीचे की और खिसकते हुए उसके
खड़े लंड को अपने मुँह मे ले चूसने लगी... राज का लंड और
अकड़ने लगा... वो अब उसके लंड को उपर से नीचे तक चाटते हुए ज़ोर
ज़ोर से चूस रही थी... तभी उसने अपनी छाती पर उसकी चुचियों
का दबाव महसूस किया और समझ गया कि ये उसकी प्यारी बेहन प्रीति
ही है...
"राज ये मैं हूँ" प्रीति ने राज के होठों को चूमते हुए कहा...
"हाई प्रीति... क्या बात है बहुत गरमा रही हो?" राज ने उसके होठों
को अपने होठों के बीच दबाते हुए कहा...
"पता है क्या हुआ?" प्रीति ने पूछा.
"एम्म्म नही" राज ने अपने हाथो को उसके पीठ से नीचे खिसकाते हुए
उसकी भारी और मुआलायम गंद को भींचते हुए जवाब दिया....
"तुम्हे विश्वास नही होगा मैने अभी अभी शमा की चूत का मज़ा लिया
है" प्रीति ने जवाब दिया.
"क्या सच कह रही हो? मुझे उम्मीद नही थी कि वो तुम्हे ऐसा करने
देगी" राज ने कहा.
"हां मुझे ऐसा ही लग रहा था लेकिन लगता है कि आज वो कुछ
ज़रूरत से ज़्यादा ही उत्तेजित थी और उसने मुझे सब कुछ करने
दिया." प्रीति ने कहा.
"मुझे खुशी है तुम्हारे लिए.... वरना मैं तो अपने खड़े लंड को
पकड़े तन्हाई में सो रहा था.." राज ने जवाब दिया.
"ऑश मेरा बेचारा भाई.... क्या में कुछ मदद करूँ तुम्हारी?"
प्रीति ने हाथ नीचे कर एक बार फिर उसके लंड को पकड़ते हुए कहा.
"ऑश हां प्रीति" राज ने कहा...
प्रीति उसके बदन से नीचे उतारी और अपनी पॅंटी को अपने बदन से
उतार दी.. और फिर वापस उसके उपर चढ़ गयी और बिना कोई आवाज़
किए उसने अपनी कमर को उचका राज के लंड को अपनी चूत से लगाया
और उस पर बैठते हुए उसके लंड को अपनी चूत मे ले लिया... उसपर
झुकते हुए वो आगे पीछे होकर उसके लंड को अंदर बाहर करने
लगी... राज ने उसकी दोनो चुचियों को अपनी हथेली मे भर लिया और
हौले हौले मसल्ने लगा...
थोड़ी देर बाद प्रीति उसके बदन पर घूम गयी और अब उसके भारी
चूतड़ राज की नज़रों के सामने थे.. प्रीति राज के लंड पर आगे
पीछे हो रही थी और राज की नज़रें अपनी बेहन की गंद पर टीकी
थी और साथ ही वो देख रहा था कि किस तरह उसका खड़ा लंड उसकी
अपनी बेहन की चूत मे अंदर बाहर हो रहा है...
प्रीति ने अपने हाथो को अपनी चूत पर रखा जहाँ से उसका चूत से
रस बह रहा था.. उसने अपनी उंगलियों को अपने ही रस से गीला किया
और फिर अपने हाथ को पीछे लेजाकर उसने अपनी उंगली अपनी गंद मे
छेद मे घुसा दी...
"ऑश राज बहुत अच्छा लग रहा है.." प्रीति फुसफुसा... राज हैरत
से अपनी बेहन को अपनी चूत मे और गंद मे मज़ा लेते देख रहा
था...
"राज अब तुम अपनी उंगली मेरी गंद मे घुसा उसे अंदर बाहर करो"
प्रीति ने अपनी उंगलियों को अपनी गंद से बाहर निकालते हुए कहा.
रवि किसी पुतले की तरह चुप चुप लेटा हुआ था...जो कुछ प्रीति और
राज आपस मे बात कर रहे थे उसे वो सब कुछ सॉफ सॉफ सुनाई दे
रहा था...उसने अपनी गर्दन राज की तरफ घुमाई और ये देख के
चौंक पड़ा कि किस तरह प्रीति अपने ही सगे भाई पर चढ़ उसके
लंड को अपनी चूत के अंदर बाहर कर रही थी और साथ ही राज की
उंगलयों का मज़ा अपनी गंद मे ले रही थी...
रवि बिना कोई आवाज़ किए राज और प्रीति की चुदाई देख रहा था..
उसका लंड भी किसी ख़ुंते की तरह तन कर खड़ा था... उसने अपने
लंड को पकड़ लिया और धीरे धीरे मसल्ने लगा...
"प्रीति की सिसकारियाँ उसे सुनाई पड़ रही थी...
"ओ राज हाआँ चोदो मुझे और ज़ोर से चोदो हाआँ आज पूरे दिन
तदपि हूँ तुम्हारे लंड के लिए... ऑश हाां ऑश अया" .... और
तभी रवि के लंड ने पानी छोड़ दिया...
प्रीति अब तेज़ी से आगे पीछे हो राज के लंड को अपन चूत मे ले रही
थी और राज जोरों से अपनी उंगली को उसकी गंद के अंदर बाहर कर रहा
था .... कि तभी राज के लंड ने प्रीति की चूत मे पानी छोड़
दिया... प्रीति थोड़ी देर तो आगे पीछे होती रही फिर उसके लंड को
अपनी चूत से निकाल अपने मुँह मे ले चूसने लगी...
जो कुछ रवि ने देखा उसे तो विश्वास ही नही हो रहा था.. वो हैरत
से देख रहा था कि किस तरह प्रीति अपनी चूत के रस से भीगे
अपने भाई के लंड को चटकारे ले लेकर चूस रही थी.. ठीक किसी
छीनाल रांड की तरह...
प्रीति राज के लंड को चूस्ति रही चूस्ति रही.. और जब राज के
लंड से आखरी बूँद भी नीचूड़ गयी तो उसने अपनी चूत को राज के
मुँह से सटा दिया और राज ने उसकी चूत को अपनी मुँह मे भर चूस
चूस कर दूसरी बार उसकी चूत का पानी छुड़ा दिया... प्रीति ने अपनी
पॅंटी उठाई और अपने भाई को अलविदा कह वापस शमा के कमरे मे आ
गयी...
रवि अपने ख़यालों मे खोया रहा.. भाई बेहन के इस नए रिश्ते को
देख वो सोच रहा था और कब नींद ने उसे आ घेरा उसे पता भी
नही चला...
प्रीति बाथरूम मे दीवार के सहारे खड़ी हो अपने बदन को रगड़
रगड़ कर नहा रही थी... उसकी निगाह अपनी चूत पर टिकी हुई थी
जहाँ छोटी छोटी झांते उग्ग आई थी.. उसने अपनी झांते साफ करने
के लिए शेल्फ से शेविंग गेल की ट्यूब और रेज़र उठा लिया... और
नीचे ज़मीन पर बैठ गयी...
खड़े लंड को अपने मुँह मे ले चूसने लगी... राज का लंड और
अकड़ने लगा... वो अब उसके लंड को उपर से नीचे तक चाटते हुए ज़ोर
ज़ोर से चूस रही थी... तभी उसने अपनी छाती पर उसकी चुचियों
का दबाव महसूस किया और समझ गया कि ये उसकी प्यारी बेहन प्रीति
ही है...
"राज ये मैं हूँ" प्रीति ने राज के होठों को चूमते हुए कहा...
"हाई प्रीति... क्या बात है बहुत गरमा रही हो?" राज ने उसके होठों
को अपने होठों के बीच दबाते हुए कहा...
"पता है क्या हुआ?" प्रीति ने पूछा.
"एम्म्म नही" राज ने अपने हाथो को उसके पीठ से नीचे खिसकाते हुए
उसकी भारी और मुआलायम गंद को भींचते हुए जवाब दिया....
"तुम्हे विश्वास नही होगा मैने अभी अभी शमा की चूत का मज़ा लिया
है" प्रीति ने जवाब दिया.
"क्या सच कह रही हो? मुझे उम्मीद नही थी कि वो तुम्हे ऐसा करने
देगी" राज ने कहा.
"हां मुझे ऐसा ही लग रहा था लेकिन लगता है कि आज वो कुछ
ज़रूरत से ज़्यादा ही उत्तेजित थी और उसने मुझे सब कुछ करने
दिया." प्रीति ने कहा.
"मुझे खुशी है तुम्हारे लिए.... वरना मैं तो अपने खड़े लंड को
पकड़े तन्हाई में सो रहा था.." राज ने जवाब दिया.
"ऑश मेरा बेचारा भाई.... क्या में कुछ मदद करूँ तुम्हारी?"
प्रीति ने हाथ नीचे कर एक बार फिर उसके लंड को पकड़ते हुए कहा.
"ऑश हां प्रीति" राज ने कहा...
प्रीति उसके बदन से नीचे उतारी और अपनी पॅंटी को अपने बदन से
उतार दी.. और फिर वापस उसके उपर चढ़ गयी और बिना कोई आवाज़
किए उसने अपनी कमर को उचका राज के लंड को अपनी चूत से लगाया
और उस पर बैठते हुए उसके लंड को अपनी चूत मे ले लिया... उसपर
झुकते हुए वो आगे पीछे होकर उसके लंड को अंदर बाहर करने
लगी... राज ने उसकी दोनो चुचियों को अपनी हथेली मे भर लिया और
हौले हौले मसल्ने लगा...
थोड़ी देर बाद प्रीति उसके बदन पर घूम गयी और अब उसके भारी
चूतड़ राज की नज़रों के सामने थे.. प्रीति राज के लंड पर आगे
पीछे हो रही थी और राज की नज़रें अपनी बेहन की गंद पर टीकी
थी और साथ ही वो देख रहा था कि किस तरह उसका खड़ा लंड उसकी
अपनी बेहन की चूत मे अंदर बाहर हो रहा है...
प्रीति ने अपने हाथो को अपनी चूत पर रखा जहाँ से उसका चूत से
रस बह रहा था.. उसने अपनी उंगलियों को अपने ही रस से गीला किया
और फिर अपने हाथ को पीछे लेजाकर उसने अपनी उंगली अपनी गंद मे
छेद मे घुसा दी...
"ऑश राज बहुत अच्छा लग रहा है.." प्रीति फुसफुसा... राज हैरत
से अपनी बेहन को अपनी चूत मे और गंद मे मज़ा लेते देख रहा
था...
"राज अब तुम अपनी उंगली मेरी गंद मे घुसा उसे अंदर बाहर करो"
प्रीति ने अपनी उंगलियों को अपनी गंद से बाहर निकालते हुए कहा.
रवि किसी पुतले की तरह चुप चुप लेटा हुआ था...जो कुछ प्रीति और
राज आपस मे बात कर रहे थे उसे वो सब कुछ सॉफ सॉफ सुनाई दे
रहा था...उसने अपनी गर्दन राज की तरफ घुमाई और ये देख के
चौंक पड़ा कि किस तरह प्रीति अपने ही सगे भाई पर चढ़ उसके
लंड को अपनी चूत के अंदर बाहर कर रही थी और साथ ही राज की
उंगलयों का मज़ा अपनी गंद मे ले रही थी...
रवि बिना कोई आवाज़ किए राज और प्रीति की चुदाई देख रहा था..
उसका लंड भी किसी ख़ुंते की तरह तन कर खड़ा था... उसने अपने
लंड को पकड़ लिया और धीरे धीरे मसल्ने लगा...
"प्रीति की सिसकारियाँ उसे सुनाई पड़ रही थी...
"ओ राज हाआँ चोदो मुझे और ज़ोर से चोदो हाआँ आज पूरे दिन
तदपि हूँ तुम्हारे लंड के लिए... ऑश हाां ऑश अया" .... और
तभी रवि के लंड ने पानी छोड़ दिया...
प्रीति अब तेज़ी से आगे पीछे हो राज के लंड को अपन चूत मे ले रही
थी और राज जोरों से अपनी उंगली को उसकी गंद के अंदर बाहर कर रहा
था .... कि तभी राज के लंड ने प्रीति की चूत मे पानी छोड़
दिया... प्रीति थोड़ी देर तो आगे पीछे होती रही फिर उसके लंड को
अपनी चूत से निकाल अपने मुँह मे ले चूसने लगी...
जो कुछ रवि ने देखा उसे तो विश्वास ही नही हो रहा था.. वो हैरत
से देख रहा था कि किस तरह प्रीति अपनी चूत के रस से भीगे
अपने भाई के लंड को चटकारे ले लेकर चूस रही थी.. ठीक किसी
छीनाल रांड की तरह...
प्रीति राज के लंड को चूस्ति रही चूस्ति रही.. और जब राज के
लंड से आखरी बूँद भी नीचूड़ गयी तो उसने अपनी चूत को राज के
मुँह से सटा दिया और राज ने उसकी चूत को अपनी मुँह मे भर चूस
चूस कर दूसरी बार उसकी चूत का पानी छुड़ा दिया... प्रीति ने अपनी
पॅंटी उठाई और अपने भाई को अलविदा कह वापस शमा के कमरे मे आ
गयी...
रवि अपने ख़यालों मे खोया रहा.. भाई बेहन के इस नए रिश्ते को
देख वो सोच रहा था और कब नींद ने उसे आ घेरा उसे पता भी
नही चला...
प्रीति बाथरूम मे दीवार के सहारे खड़ी हो अपने बदन को रगड़
रगड़ कर नहा रही थी... उसकी निगाह अपनी चूत पर टिकी हुई थी
जहाँ छोटी छोटी झांते उग्ग आई थी.. उसने अपनी झांते साफ करने
के लिए शेल्फ से शेविंग गेल की ट्यूब और रेज़र उठा लिया... और
नीचे ज़मीन पर बैठ गयी...