hotaks444
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परिवार हो तो ऐसा - पार्ट--4
गतान्क से आगे........
राज बिना बालों की choot स्क्रीन पर देखते हुए मूठ मारने लगा.. गीली चूत अपनी चूत मे उंगली डाल अंदर बाहर कर रही थी.. दोनो लोग अपने आप से खेल एक दूसरे को स्क्रीन पर दिखाते रहे.. कि तभी राज के लंड मे तनाव आना शुरू हो गया उसने एक हाथ से टाइप किया.
>राज_मस्ताना> मेरा छूटने वाला है.
>गीली चूत> मेरे लिए अपने हाथ मे अपना पानी छोड़ो.
राज अपने दाएँ हाथ से मूठ मारने लगा और अपने बाएँ हाथ को लंड के सूपदे पर कर दिया.. उसका लंड वीर्य की पिचकारी पर पिचकारी उसके हाथ मे छोड़ने लगा.. कुछ वीर्य ज़मीन पर भी गिर गया.
>गीली चूत> मज़ा आ गया राज.
>राज_मस्ताना> मुझे भी.. क्या हम दोबारा इस तरह मिल फिर से कर सकते है..
>गीली चूत> अभी कुछ कह नही सकती.. तुम ऑनलाइन नज़र रखना अगर में आई तो ज़रूर करेंगे. मेसेज करना.
>राज_मस्ताना> ओके अब मुझे जाना है.
>गीली चूत> ओके मुझे भी गुड नाइट
वसुंधरा ने कंप्यूटर बंद किया और पलंग पर लेट कर अछी तरह अपनी चूत मे उंलगी करने लगी.. उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया.. राज ने अपने आपको और ज़मीन को साफ किया और पलंग पर आ कर लेट गया. उसने आँखे बंद कर ली और गीली चूत और अपनी मा की बिना बालों की चूत के सपने देखते हुए सो गया.. उसे ये अंदाज़ा नही था कि दोनो एक ही थी..
अगले दिन वसुंधरा नाश्ते के टेबल पर अपने बेटे से आँख नही मिला पा रही थी.. वो आपनी शर्मिंदगी और इच्छा के भंवर के बीच फँस के रह गयी थी... वो उसकी चमकती आँखों से आखें नही मिला पा रही थी और ना ही पूछ पा रही थी कि वो आज इतना खुश क्यों है.. रह रह कर उसकी निगाह उसकी जांघों के बीच उठ जाती और सोचने लगती कि उसके बेटे का लंड वाकई मे एक मर्द का लंड है..
अगले एक हफ्ते तक राज जब भी कंप्यूटर ऑन करता तो अपने मेसेंजर बॉक्स पर नज़र रखता कि कहीं गीली चूत उसे ऑनलाइन दीख जाए.. पर वो नज़र नही आई.. फिर एक दिन जब फिर से वो और उसकी मा ही घर पर थे तो उसके फ्रेंड्स लिस्ट मे उसका नाम नज़र आया..
>राज_मस्ताना> हाई !
>गीली चूत> हाई मस्ताने
>राज_मस्ताना> मुझे तो ऐसा लगने लगा था कि तुमसे दुबारा बात नही कर पाउन्गा.
>गीली चूत> में हमेशा यहाँ नही आ सकती..थोड़ा बिज़ी रहती हूँ..
>राज_मस्ताना> कोई बात नही.
>गीली चूत> पीचली बार तुम्हे मज़ा आया था ना?
>राज_मस्ताना> हां बहोत ज़्यादा और सोच रहा था कि काश तुम्हारी वो काली पॅंटी मुझे मिल जाती .
>गीली चूत> लगता है कि तुम्हे पॅंटी बहोत पसंद है?
>राज_मस्ताना> हां, पॅंटी को अपने लंड के चारों और लपेट मूठ मारने मे मुझे मज़ा आता है.
>गीली चूत> क्या तुम उन पॅंटी को पहनते हो?
>राज_मस्ताना> नही नही.. में सिर्फ़ उसे लंड पर लपेट अपने लंड को मसलता हूँ.
>गीली चूत> ओह !
>राज_मस्ताना> क्या तुम्हे सुन कर अछा नही लगा?
>गीली चूत> नही बस मुझे अस्चर्य हो रहा था.
>राज_मस्ताना> तब ठीक है.
>गीली चूत> तो क्या आज तुम मुझे वो अपना घोड़े जैसा लंड दीखाओगे?
>राज_मस्ताना> हां क्यों नही अगर तुम भी मुझे अपनी प्यारी चूत दीखावगी तो.
>गीली चूत> हां दिखाउन्गि ना.
राज ने अपनी पॅंट नीचे खिसका दी और अपने ढीले लंड को दीखाने लगा... वहीं दूसरी ओर उस औरत ने अपने कपड़े उतार दिए और सिर्फ़ पॅंटी मे कुर्सी पर बैठ गयी.. आज उसने नीले रंग की सॅटिन की पॅंटी पहनी हुई थी जो काफ़ी छोटी थी और बड़ी मूसखिल से उसकी चूत को धक पा रही थी... वो अपने हाथ से अपनी चूत को मसल्ने लगी.. और राज ने महसूस किया कि उसका लंड हरकत करने लगा है.
>गीली चूत> क्या में तुम्हारे लिए कुछ करूँ जिससे तुम्हारा लंड खड़ा हो जाए.
>राज_मस्ताना> क्या तुम्हारे पास वो रब्बर का नकली लंड है जिसे तुम अपनी चूत मे डाल मुझे दीखा सको..
>गीली चूत> हां है मेरे पास
>राज_मस्ताना> क्या तुम उसे मेरे लिए अपनी चूत मे डाल सकती हो?
>गीली चूत> रूको में अभी लेकर आती हूँ.
राज ने देखा कि वो औरत थोड़ी देर के लिए स्क्रीन पर से गायब हो गयी.. जब वो वापस आई तो उसके हाथ मे एक चमड़ी के रंग का डिल्डो था और उसने पॅंटी उतार दी थी.. और अब वो उस नकली लंड को अपनी चूत पर घिस रही थी.
>राज_मस्ताना> अब इसे अपनी चूत मे घुसा दो.
वसुंधरा ने अपने बेटे के कहने पर वो नकली लंड अपनी चूत मे घुसा दिया और उसे अंदर बाहर करने लगी.. और राज अपने लंड को मसल्ने लगा.
गतान्क से आगे........
राज बिना बालों की choot स्क्रीन पर देखते हुए मूठ मारने लगा.. गीली चूत अपनी चूत मे उंगली डाल अंदर बाहर कर रही थी.. दोनो लोग अपने आप से खेल एक दूसरे को स्क्रीन पर दिखाते रहे.. कि तभी राज के लंड मे तनाव आना शुरू हो गया उसने एक हाथ से टाइप किया.
>राज_मस्ताना> मेरा छूटने वाला है.
>गीली चूत> मेरे लिए अपने हाथ मे अपना पानी छोड़ो.
राज अपने दाएँ हाथ से मूठ मारने लगा और अपने बाएँ हाथ को लंड के सूपदे पर कर दिया.. उसका लंड वीर्य की पिचकारी पर पिचकारी उसके हाथ मे छोड़ने लगा.. कुछ वीर्य ज़मीन पर भी गिर गया.
>गीली चूत> मज़ा आ गया राज.
>राज_मस्ताना> मुझे भी.. क्या हम दोबारा इस तरह मिल फिर से कर सकते है..
>गीली चूत> अभी कुछ कह नही सकती.. तुम ऑनलाइन नज़र रखना अगर में आई तो ज़रूर करेंगे. मेसेज करना.
>राज_मस्ताना> ओके अब मुझे जाना है.
>गीली चूत> ओके मुझे भी गुड नाइट
वसुंधरा ने कंप्यूटर बंद किया और पलंग पर लेट कर अछी तरह अपनी चूत मे उंलगी करने लगी.. उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया.. राज ने अपने आपको और ज़मीन को साफ किया और पलंग पर आ कर लेट गया. उसने आँखे बंद कर ली और गीली चूत और अपनी मा की बिना बालों की चूत के सपने देखते हुए सो गया.. उसे ये अंदाज़ा नही था कि दोनो एक ही थी..
अगले दिन वसुंधरा नाश्ते के टेबल पर अपने बेटे से आँख नही मिला पा रही थी.. वो आपनी शर्मिंदगी और इच्छा के भंवर के बीच फँस के रह गयी थी... वो उसकी चमकती आँखों से आखें नही मिला पा रही थी और ना ही पूछ पा रही थी कि वो आज इतना खुश क्यों है.. रह रह कर उसकी निगाह उसकी जांघों के बीच उठ जाती और सोचने लगती कि उसके बेटे का लंड वाकई मे एक मर्द का लंड है..
अगले एक हफ्ते तक राज जब भी कंप्यूटर ऑन करता तो अपने मेसेंजर बॉक्स पर नज़र रखता कि कहीं गीली चूत उसे ऑनलाइन दीख जाए.. पर वो नज़र नही आई.. फिर एक दिन जब फिर से वो और उसकी मा ही घर पर थे तो उसके फ्रेंड्स लिस्ट मे उसका नाम नज़र आया..
>राज_मस्ताना> हाई !
>गीली चूत> हाई मस्ताने
>राज_मस्ताना> मुझे तो ऐसा लगने लगा था कि तुमसे दुबारा बात नही कर पाउन्गा.
>गीली चूत> में हमेशा यहाँ नही आ सकती..थोड़ा बिज़ी रहती हूँ..
>राज_मस्ताना> कोई बात नही.
>गीली चूत> पीचली बार तुम्हे मज़ा आया था ना?
>राज_मस्ताना> हां बहोत ज़्यादा और सोच रहा था कि काश तुम्हारी वो काली पॅंटी मुझे मिल जाती .
>गीली चूत> लगता है कि तुम्हे पॅंटी बहोत पसंद है?
>राज_मस्ताना> हां, पॅंटी को अपने लंड के चारों और लपेट मूठ मारने मे मुझे मज़ा आता है.
>गीली चूत> क्या तुम उन पॅंटी को पहनते हो?
>राज_मस्ताना> नही नही.. में सिर्फ़ उसे लंड पर लपेट अपने लंड को मसलता हूँ.
>गीली चूत> ओह !
>राज_मस्ताना> क्या तुम्हे सुन कर अछा नही लगा?
>गीली चूत> नही बस मुझे अस्चर्य हो रहा था.
>राज_मस्ताना> तब ठीक है.
>गीली चूत> तो क्या आज तुम मुझे वो अपना घोड़े जैसा लंड दीखाओगे?
>राज_मस्ताना> हां क्यों नही अगर तुम भी मुझे अपनी प्यारी चूत दीखावगी तो.
>गीली चूत> हां दिखाउन्गि ना.
राज ने अपनी पॅंट नीचे खिसका दी और अपने ढीले लंड को दीखाने लगा... वहीं दूसरी ओर उस औरत ने अपने कपड़े उतार दिए और सिर्फ़ पॅंटी मे कुर्सी पर बैठ गयी.. आज उसने नीले रंग की सॅटिन की पॅंटी पहनी हुई थी जो काफ़ी छोटी थी और बड़ी मूसखिल से उसकी चूत को धक पा रही थी... वो अपने हाथ से अपनी चूत को मसल्ने लगी.. और राज ने महसूस किया कि उसका लंड हरकत करने लगा है.
>गीली चूत> क्या में तुम्हारे लिए कुछ करूँ जिससे तुम्हारा लंड खड़ा हो जाए.
>राज_मस्ताना> क्या तुम्हारे पास वो रब्बर का नकली लंड है जिसे तुम अपनी चूत मे डाल मुझे दीखा सको..
>गीली चूत> हां है मेरे पास
>राज_मस्ताना> क्या तुम उसे मेरे लिए अपनी चूत मे डाल सकती हो?
>गीली चूत> रूको में अभी लेकर आती हूँ.
राज ने देखा कि वो औरत थोड़ी देर के लिए स्क्रीन पर से गायब हो गयी.. जब वो वापस आई तो उसके हाथ मे एक चमड़ी के रंग का डिल्डो था और उसने पॅंटी उतार दी थी.. और अब वो उस नकली लंड को अपनी चूत पर घिस रही थी.
>राज_मस्ताना> अब इसे अपनी चूत मे घुसा दो.
वसुंधरा ने अपने बेटे के कहने पर वो नकली लंड अपनी चूत मे घुसा दिया और उसे अंदर बाहर करने लगी.. और राज अपने लंड को मसल्ने लगा.