hotaks444
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विक्रांत एक गहरी परेशानी में अपने कमरे में बैठा हुआ था,और वही पूनम और कनक भी आने ही ख्यालों में थे,
कालिया रोशनी के साथ सुकून से लेटा था लेकिन उसके दिमाग में भी कई विचार चल रहे थे,कनक ने पूनम को वो बतलाया जो उसके साथ हुआ था,
पूनम शायद इस बात को नही संमझती अगर उसने भी इसका अनुभव नही किया होता लेकिन अब वो कनक की बात को समझ सकती थी ,
विक्रांत के कमरे का दरवाजा खुला,इसने इसी कमरे में ना जाने कितनो की इज्जत लूटी थी ,कितनो को नंगा किया था लेकिन आज वो अजीब से कसमकस में फंसा हुआ था,उसे प्यार कैसे हो सकता है वो तो खुद को शैतान समझता था,कमरे के खुलने की आवाज से वो चौका ..
सामने खड़ी दुल्हन सी सजी हुई पूनम उसके सामने खड़ी हुई थी ………
“आप फिर से मुझे जलाने आ गई “
वो बौखलाया नही बल्कि हल्की आवाज में बोला,पता नही आज उसे जोर से बोलने पर भी तकलीफ हो रही थी …
पुमन मुस्कुराते हुए उसके बाजू में आकर बैठ गई ..
“तुम मेरे देवर हो लेकिन आज तक हमारा रिश्ता कभी देवर भाभी का नही बन पाया ,क्योकि तुम्हारे लिए मैं भाभी से ज्यादा बस तुम्हारे भइया की लूट का समान थी ,इस घर में औरतो को तो ऐसे भी कोई इज्जत नही मिलती ,और मैं ये भी जानती हु की तुम दोनो ही भाईयों के लिये औरत बस एक जिस्म है जिसका भोग करना और इस्तेमाल करने के अलावा तुम कुछ जानते ही नही ,शायद इसीलिए हमारे बीच भी ये दूरी है की हम एक दूसरे से बात भी नही करते …”
विक्रांत ने पहले संचमे कभी ऐसे अपनी भाभी से बात नही किया था असल में उसने तो कभी पूनम की ओर ध्यान भी नही दिया था,वो थी जिसे उसका भाई उठाकर ले आया था पहले तो अपनी ऐयासी के लिये फिर जाने क्या सोचकर उसे अपनी बीवी बना लिया था उससे ज्यादा पूनम का कोई अस्तित्व विक्रांत के लिया नही था…
“तो आज क्यो आयी हो ये बात याद दिलाने की हम कितने बड़े शैतान है …”
पूनम के होठो में एक हल्की सी मुस्कुराहट जाग गई
“नही ये याद दिलाने के लिए की इस शैतान के अंदर एक इंसान अभी भी जिंदा है ….तूम अपने भाई से हमेशा से ही अलग थे ,तुम्हे कभी भी जबरदस्ती करना पसंद नही आया और तुम्हारे भाई ने कभी बिना जबरदस्ती के काम ही नही किया ,तुम्हरे दिल में जाने अनजाने ही मानवता थी,हा तुम्हारी परवरिश ऐसी हुई की तुम शैतान बन गए लेकिन तुम्हारे अंदर इंसानियत है और आज वही इंसानियत के कारण तुम प्यार में पड़ गए …”
विक्रांत आश्चर्य से पूनम की ओर देखने लगा…
“मुझे कनक ने सब कुछ बताया,जैसे तुम डरे हुए हो वैसे वो भी डरी हुई है…उसे भी कभी उम्मीद नही थी की वो तुम्हारे बारे में ऐसा महसूस करने लगेगी लेकिन जो होना होता है उसे कौन रोक सकता है …”
विक्रांत कुछ कहता उससे पहले ही पूनम ने अपना हाथ उसके सर पर रख दिया ,विक्रांत ने पहले ऐसी फीलिंग कभी महसूस नही की थी आज दिन में दूसरी बार था जब उसका प्यार से हो रहा था ,अपनत्व से हो रहा था,उसके आंखों में अनायास ही आंसू आ गए ,उसका दिमाग जोरो से कह रहा था की प्यार तेरे लिए नही है तू शैतान है,लेकिन फिर दिल का एक कोना इतना ज्यादा डॉमिनेटिंग हो रहा था की वो भावनाओ में बहने लगा था,दिमाग के ऊपर दिल छा गया था और वो ना चाहते हुए भी पूनम से जा लिपटा,
पूनम उसके बालो को इतने प्यार से सहला रही थी की विक्रांत में कुछ अजीब से भाव जागे ,वो अपनत्व वो प्यार ..शायद इन्ही सबकी तलाश उसे बचपन से ही थी लेकिन कभी उसने इसे खोजा ही नही था,उसे लगा जैसे उसे वो सब मिल गया जो वो बचपन से अनेक चीजों में खोजता हुआ फिर रहा था,कभी उसे माँ की गोद नसीब नही हुई थी ,बाप भी उसका प्राण की तरह ही था,और कोई बहन भी नही थी ,ऐसा कोई दोस्त नही जो उसे प्यार कर सके ,थी तो बस लडकिया जिसे वो भोगा करता था लेकिन वो जिस्म तक ही सीमित रह जाती ….
अनजाने में ही विक्रांत बहुत प्रयास करता की वो लड़कियों के जिस्म से भी पार पहुचे वँहा जिसे इश्क कहते है जो बढ़ने पर इबादत बन जाती है लेकिन लकड़ियों के लिए भी वो बस एक ऐसा जमीदार ही रह जाता था जो पैसे या ताकत के बल पर उन्हें अपना रहा था …
वो लड़कियों से बहुत ही सलीके से पेश आता लेकिन किसी के प्यार में पड़ने के लिए इतना काफी भी तो नही होता ,लडकिया अंदर से तो ये जानती थी की वो मजबूर है उसकी बांहो में जाने के लिए…
आज उसे लग रहा था की उसे वो मिल ही गया ,एक अजीब सी संतुष्टि उसे पूनम के छातियों से लगकर हो रही थी ,वो वासना नही प्रेम था,एक भाभी का अपने देवर के लिए जैसा एक बहन का अपने भाई के लिए होता है ,...
असल में प्यार का स्वरूप एक ही है बस उसको जताने का तरीका अलग होता है,पति पत्नी या प्रेमी अपने प्यार को जिस्म के मिलन के जरिये जताते है तो माँ और बहने अपने बेटे की फिक्र स्नेह करके ,वही बाप अपने बच्चे को डांट कर भी अपना प्यार जता जाता है,...
ये प्रेम जब जीवन में उतरता है और जब किसी को इसका अहसास किसी भी रूप में होता है वो सबसे पहला काम होता है वो है व्यक्ति का रूपांतरण …..
कहा गया है की प्रेम होता नही है प्रेम में गिरा जाता है ,और जो गिर गया उसके लिए पूरी दुनिया ही प्रेम हो जाती है ..विक्रांत प्रेम में गिर चुका था ,और उसके अंदर एक रूपांतरण होने लगा था,और शायद इसी लिए वो रो रहा था ,पूनम के सीने से लगे हुए बच्चों की तरह रो रहा था,...
दरवाजे पर खड़ी कनक की आंखों में भी आंसू थे ,उसे भी पता था की विक्रांत किस दर्द से गुजर रहा है ,लेकिन हर रूपांतरण एक दर्द के साथ ही शुरू होता है ,व्यक्तित्व का बदलना कोई खेल नही होता ,पुराने हर आदत जब बेकार लगने लगती है,जीवन बिल्कुल सुना सा लगने लगता है,लगता है की जीवन में जो भी किया वो बेकार था फिजूल था,और जब इतना समय बिता देने की ग्लानि होती है,पुरानी सड़ी हुई व्यक्तित्व की परते सामने आती है तो दर्द तो होता ही है …….आंसू तो निकलते ही है ………..
कालिया रोशनी के साथ सुकून से लेटा था लेकिन उसके दिमाग में भी कई विचार चल रहे थे,कनक ने पूनम को वो बतलाया जो उसके साथ हुआ था,
पूनम शायद इस बात को नही संमझती अगर उसने भी इसका अनुभव नही किया होता लेकिन अब वो कनक की बात को समझ सकती थी ,
विक्रांत के कमरे का दरवाजा खुला,इसने इसी कमरे में ना जाने कितनो की इज्जत लूटी थी ,कितनो को नंगा किया था लेकिन आज वो अजीब से कसमकस में फंसा हुआ था,उसे प्यार कैसे हो सकता है वो तो खुद को शैतान समझता था,कमरे के खुलने की आवाज से वो चौका ..
सामने खड़ी दुल्हन सी सजी हुई पूनम उसके सामने खड़ी हुई थी ………
“आप फिर से मुझे जलाने आ गई “
वो बौखलाया नही बल्कि हल्की आवाज में बोला,पता नही आज उसे जोर से बोलने पर भी तकलीफ हो रही थी …
पुमन मुस्कुराते हुए उसके बाजू में आकर बैठ गई ..
“तुम मेरे देवर हो लेकिन आज तक हमारा रिश्ता कभी देवर भाभी का नही बन पाया ,क्योकि तुम्हारे लिए मैं भाभी से ज्यादा बस तुम्हारे भइया की लूट का समान थी ,इस घर में औरतो को तो ऐसे भी कोई इज्जत नही मिलती ,और मैं ये भी जानती हु की तुम दोनो ही भाईयों के लिये औरत बस एक जिस्म है जिसका भोग करना और इस्तेमाल करने के अलावा तुम कुछ जानते ही नही ,शायद इसीलिए हमारे बीच भी ये दूरी है की हम एक दूसरे से बात भी नही करते …”
विक्रांत ने पहले संचमे कभी ऐसे अपनी भाभी से बात नही किया था असल में उसने तो कभी पूनम की ओर ध्यान भी नही दिया था,वो थी जिसे उसका भाई उठाकर ले आया था पहले तो अपनी ऐयासी के लिये फिर जाने क्या सोचकर उसे अपनी बीवी बना लिया था उससे ज्यादा पूनम का कोई अस्तित्व विक्रांत के लिया नही था…
“तो आज क्यो आयी हो ये बात याद दिलाने की हम कितने बड़े शैतान है …”
पूनम के होठो में एक हल्की सी मुस्कुराहट जाग गई
“नही ये याद दिलाने के लिए की इस शैतान के अंदर एक इंसान अभी भी जिंदा है ….तूम अपने भाई से हमेशा से ही अलग थे ,तुम्हे कभी भी जबरदस्ती करना पसंद नही आया और तुम्हारे भाई ने कभी बिना जबरदस्ती के काम ही नही किया ,तुम्हरे दिल में जाने अनजाने ही मानवता थी,हा तुम्हारी परवरिश ऐसी हुई की तुम शैतान बन गए लेकिन तुम्हारे अंदर इंसानियत है और आज वही इंसानियत के कारण तुम प्यार में पड़ गए …”
विक्रांत आश्चर्य से पूनम की ओर देखने लगा…
“मुझे कनक ने सब कुछ बताया,जैसे तुम डरे हुए हो वैसे वो भी डरी हुई है…उसे भी कभी उम्मीद नही थी की वो तुम्हारे बारे में ऐसा महसूस करने लगेगी लेकिन जो होना होता है उसे कौन रोक सकता है …”
विक्रांत कुछ कहता उससे पहले ही पूनम ने अपना हाथ उसके सर पर रख दिया ,विक्रांत ने पहले ऐसी फीलिंग कभी महसूस नही की थी आज दिन में दूसरी बार था जब उसका प्यार से हो रहा था ,अपनत्व से हो रहा था,उसके आंखों में अनायास ही आंसू आ गए ,उसका दिमाग जोरो से कह रहा था की प्यार तेरे लिए नही है तू शैतान है,लेकिन फिर दिल का एक कोना इतना ज्यादा डॉमिनेटिंग हो रहा था की वो भावनाओ में बहने लगा था,दिमाग के ऊपर दिल छा गया था और वो ना चाहते हुए भी पूनम से जा लिपटा,
पूनम उसके बालो को इतने प्यार से सहला रही थी की विक्रांत में कुछ अजीब से भाव जागे ,वो अपनत्व वो प्यार ..शायद इन्ही सबकी तलाश उसे बचपन से ही थी लेकिन कभी उसने इसे खोजा ही नही था,उसे लगा जैसे उसे वो सब मिल गया जो वो बचपन से अनेक चीजों में खोजता हुआ फिर रहा था,कभी उसे माँ की गोद नसीब नही हुई थी ,बाप भी उसका प्राण की तरह ही था,और कोई बहन भी नही थी ,ऐसा कोई दोस्त नही जो उसे प्यार कर सके ,थी तो बस लडकिया जिसे वो भोगा करता था लेकिन वो जिस्म तक ही सीमित रह जाती ….
अनजाने में ही विक्रांत बहुत प्रयास करता की वो लड़कियों के जिस्म से भी पार पहुचे वँहा जिसे इश्क कहते है जो बढ़ने पर इबादत बन जाती है लेकिन लकड़ियों के लिए भी वो बस एक ऐसा जमीदार ही रह जाता था जो पैसे या ताकत के बल पर उन्हें अपना रहा था …
वो लड़कियों से बहुत ही सलीके से पेश आता लेकिन किसी के प्यार में पड़ने के लिए इतना काफी भी तो नही होता ,लडकिया अंदर से तो ये जानती थी की वो मजबूर है उसकी बांहो में जाने के लिए…
आज उसे लग रहा था की उसे वो मिल ही गया ,एक अजीब सी संतुष्टि उसे पूनम के छातियों से लगकर हो रही थी ,वो वासना नही प्रेम था,एक भाभी का अपने देवर के लिए जैसा एक बहन का अपने भाई के लिए होता है ,...
असल में प्यार का स्वरूप एक ही है बस उसको जताने का तरीका अलग होता है,पति पत्नी या प्रेमी अपने प्यार को जिस्म के मिलन के जरिये जताते है तो माँ और बहने अपने बेटे की फिक्र स्नेह करके ,वही बाप अपने बच्चे को डांट कर भी अपना प्यार जता जाता है,...
ये प्रेम जब जीवन में उतरता है और जब किसी को इसका अहसास किसी भी रूप में होता है वो सबसे पहला काम होता है वो है व्यक्ति का रूपांतरण …..
कहा गया है की प्रेम होता नही है प्रेम में गिरा जाता है ,और जो गिर गया उसके लिए पूरी दुनिया ही प्रेम हो जाती है ..विक्रांत प्रेम में गिर चुका था ,और उसके अंदर एक रूपांतरण होने लगा था,और शायद इसी लिए वो रो रहा था ,पूनम के सीने से लगे हुए बच्चों की तरह रो रहा था,...
दरवाजे पर खड़ी कनक की आंखों में भी आंसू थे ,उसे भी पता था की विक्रांत किस दर्द से गुजर रहा है ,लेकिन हर रूपांतरण एक दर्द के साथ ही शुरू होता है ,व्यक्तित्व का बदलना कोई खेल नही होता ,पुराने हर आदत जब बेकार लगने लगती है,जीवन बिल्कुल सुना सा लगने लगता है,लगता है की जीवन में जो भी किया वो बेकार था फिजूल था,और जब इतना समय बिता देने की ग्लानि होती है,पुरानी सड़ी हुई व्यक्तित्व की परते सामने आती है तो दर्द तो होता ही है …….आंसू तो निकलते ही है ………..