desiaks
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सब ख़ामोश रहे और उस धोंग करती हुई बूढ़ी औरत को देखने लगे।
फिर कुछ चुप्पी और खामोशी के बाद, हस्ते यशोधा की मुंह से ऐसी बात निकल गई, जिसे सुनने के बाद सब के दिल गर्दन तक आ गए और सासें तेज़ हो गई। "अरे मेरे प्यारे बच्चों! मेरे प्यारे पोते ने मुझे वोह अनमोल प्रस्ताव दिया, जिसके वजह से हाए!!!! मै खुशी से फूल उठी हूं!!"।
"अरे भाग्यवान बता भी दो! शरमाओ मत!" रामधीर शैतानी अंदाज़ में पूछने लगा।
"कौन सा प्रस्ताव दादी?????" रिमी भी उत्सुकता से भरपूर थी, नमिता और रेवती भी कम नहीं थी "दादी!! कामोंन!!!"
"यह माजी क्या कहना चाहती है?? दीदी आप को कुछ मालूम है?" रमोला का इशारा आशा की तरफ थी, जो केवल इस सारी और चिरकुट के बारे में सोचने लगी, कुछ बोल नहीं रही थी। रात का खौफ अभी से ही आंखो में साफ झलक रही थी। बहा दूसरे और यशोधा देवी नाटकीय अंदाज़ में बोल परी "शादी का प्रस्ताव!!!!"
"क्या???????" सब के अब हैरान हो गए।
राहुल भी हस परा "अरे माय दादी इस बेस्ट दादी!!!! शादी तो में उनसे ही करूंगा!"। बातों के हल्कापन को महसूस करते हुए, सब राहत के सास लेने लगे और तभी नमिता "व्हाट द हेल राहुल!!! कुछ भी शुरू कर देता है तू!" "पागल हो तुम भइया!!!" रेवती भी खीखीला उठी और सब के स कम हंस परे। यशोधा एक चैन की सास ली और राहुल को मारने की इशारा की। जवाब में राहुल ने भी आंख मार दी।
सब नॉरमल चलता गया, खाना पीना और थोड़ा संगीत वेजरण भी हुआ। धीरे धीरे रात से आधी रात हो चुका था, चांद की रोशनी आशा और महेश के कमरे पर झलक रहा था खिड़की में से। होंठ दबाए, हथेलियों को मसलते हुए आशा ने अपनी साइड टेबल पर घरी को देखी, पूरे १३ ब्ज चुके थे। दिल की धड़कन तेज, बहुत तेज़ होने लगी। उसी अंधेरे में अचानक ड्रेसिंग टेबल के आइने में गजोधरी प्रकट हुई, जिसने आशा का ही रूप धारण कर ली।
"क्या सोच रही हो आशा! यही तो तुम चाहती थी!" इस वाक्य को खत्म करते ही आशा की प्रेटोबिंब हसने लगी, जिसे देख आशा भी हैरान चकित हो उठी और शरमा गई, क्योंकि आइने ने जो कुछ भी कहा, सब सच थी। बिना किसी विलंब किए वोह बिस्तर पे से उठी और निर्वस्त्र हो गई, फिर एक नजर अपनी नग्न जिस्म पर डाली, सुडौल और मदमस्त जिस्म की मालकिन थी वोह! इस बात पे खुश होके, पैकेट में दी गई साड़ी को पहनने लगी। फिर झुमके, नथ और चूड़ियां।
सज संवर के वोह ऐसे प्रस्तुत दिख रही थी, मानो पहली सुहागरात हो। "ईश! ना जाने क्या होने वाली है आज मेरे साथ!"। चुपके से पूरी दुल्हन अंदाज़ में वोह कमरे में से निकल परी। हाथ में दिल थामे और लाज का गहना तो पहले ही उतार चुकी थी। एक तरफा अपनी सोते हुए पतिदेव को देखी और फिर दांतो तेले होंठो को दबाए अपने सास ससुर की कमरे कि और जाने लगी।
दिल मै उमंगे और योनि में गीलापन, सज धज दुल्हन की तरह और आंखो में किसी कमसिन कली की तरह उमंगे लिए!
यह दशा थी आशा की।
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फिर कुछ चुप्पी और खामोशी के बाद, हस्ते यशोधा की मुंह से ऐसी बात निकल गई, जिसे सुनने के बाद सब के दिल गर्दन तक आ गए और सासें तेज़ हो गई। "अरे मेरे प्यारे बच्चों! मेरे प्यारे पोते ने मुझे वोह अनमोल प्रस्ताव दिया, जिसके वजह से हाए!!!! मै खुशी से फूल उठी हूं!!"।
"अरे भाग्यवान बता भी दो! शरमाओ मत!" रामधीर शैतानी अंदाज़ में पूछने लगा।
"कौन सा प्रस्ताव दादी?????" रिमी भी उत्सुकता से भरपूर थी, नमिता और रेवती भी कम नहीं थी "दादी!! कामोंन!!!"
"यह माजी क्या कहना चाहती है?? दीदी आप को कुछ मालूम है?" रमोला का इशारा आशा की तरफ थी, जो केवल इस सारी और चिरकुट के बारे में सोचने लगी, कुछ बोल नहीं रही थी। रात का खौफ अभी से ही आंखो में साफ झलक रही थी। बहा दूसरे और यशोधा देवी नाटकीय अंदाज़ में बोल परी "शादी का प्रस्ताव!!!!"
"क्या???????" सब के अब हैरान हो गए।
राहुल भी हस परा "अरे माय दादी इस बेस्ट दादी!!!! शादी तो में उनसे ही करूंगा!"। बातों के हल्कापन को महसूस करते हुए, सब राहत के सास लेने लगे और तभी नमिता "व्हाट द हेल राहुल!!! कुछ भी शुरू कर देता है तू!" "पागल हो तुम भइया!!!" रेवती भी खीखीला उठी और सब के स कम हंस परे। यशोधा एक चैन की सास ली और राहुल को मारने की इशारा की। जवाब में राहुल ने भी आंख मार दी।
सब नॉरमल चलता गया, खाना पीना और थोड़ा संगीत वेजरण भी हुआ। धीरे धीरे रात से आधी रात हो चुका था, चांद की रोशनी आशा और महेश के कमरे पर झलक रहा था खिड़की में से। होंठ दबाए, हथेलियों को मसलते हुए आशा ने अपनी साइड टेबल पर घरी को देखी, पूरे १३ ब्ज चुके थे। दिल की धड़कन तेज, बहुत तेज़ होने लगी। उसी अंधेरे में अचानक ड्रेसिंग टेबल के आइने में गजोधरी प्रकट हुई, जिसने आशा का ही रूप धारण कर ली।
"क्या सोच रही हो आशा! यही तो तुम चाहती थी!" इस वाक्य को खत्म करते ही आशा की प्रेटोबिंब हसने लगी, जिसे देख आशा भी हैरान चकित हो उठी और शरमा गई, क्योंकि आइने ने जो कुछ भी कहा, सब सच थी। बिना किसी विलंब किए वोह बिस्तर पे से उठी और निर्वस्त्र हो गई, फिर एक नजर अपनी नग्न जिस्म पर डाली, सुडौल और मदमस्त जिस्म की मालकिन थी वोह! इस बात पे खुश होके, पैकेट में दी गई साड़ी को पहनने लगी। फिर झुमके, नथ और चूड़ियां।
सज संवर के वोह ऐसे प्रस्तुत दिख रही थी, मानो पहली सुहागरात हो। "ईश! ना जाने क्या होने वाली है आज मेरे साथ!"। चुपके से पूरी दुल्हन अंदाज़ में वोह कमरे में से निकल परी। हाथ में दिल थामे और लाज का गहना तो पहले ही उतार चुकी थी। एक तरफा अपनी सोते हुए पतिदेव को देखी और फिर दांतो तेले होंठो को दबाए अपने सास ससुर की कमरे कि और जाने लगी।
दिल मै उमंगे और योनि में गीलापन, सज धज दुल्हन की तरह और आंखो में किसी कमसिन कली की तरह उमंगे लिए!
यह दशा थी आशा की।
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