hotaks444
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ज़ेबा;सॅम को देखते हुए
थोड़ा थका हुआ लग रहा है सॅम कहीं से मेहनत करके आया है क्या
सॅम;हड्बडाता हुआ नही तो खाला मैं एकदम ठीक हूँ
ज़ेबा;ह्म्म्म्म लग तो नही रहा ऐसा लग रहा है जैसे किसी ने तेरी एनर्जी खींच ली हो और वो हँसने लगती है
सॅम;जो कुछ देर पहले ज़ेबा पे गुस्सा हो रहा था उसे अब उसकी बातों से लगने लगा था कि रांड़ जल्द ही पैर खोल देगी
दोनो कार में बैठ जाते है
सॅम;कार ड्राइव करते हुए
खाला मुझ जैसे ग़रीब की एनर्जी भला कौन खींच सकता है हमारी किसे परवाह है
ज़ेबा;बेटा तू ठीक से खाया कर ना घर में बाहर का खाने से तबीयत खराब हो जाएगी
सॅम;नही खाला घर पे मज़ा ही नही आता
ज़ेबा;सॅम की जाँघ पे हाथ फेरते हुए में आ गई हूँ ना तुझे ऐसा मज़ा आएगा घर पे कि बाहर का खाना भूल जाएगा..खाने के साथ पिलाउन्गी भी अपने हाथों से पीएगा ना बेटा
सॅम;नेकी और पूछ पूछ खाला
ऐसी ही बातों में दोनो घर पहुँच जाते है जब ज़ेबा कार से बाहर उतरती है तब सॅम जानबूझ के ज़ेबा की मोटी मोटी कमर पे दबा के हाथ फेर देता है और धीरे से कहता है गरम है
ज़ेबा;कुछ बोल पाती इससे पहले नजमा और शबनम उसके पास आ जाते है
शबनम;अपनी अम्मी को देख के काफ़ी खुश थी दोनो माँ बेटी आपस में मिलते है और फिर नजमा भी ज़ेबा से मिलके उसे घर के अंदर ले जाती है
नजमा;;कुछ देर बाद सॅम को अपने रूम में बुलाती है
जब सॅम रूम में पहुँचता है तब नजमा
सॅम के कान मरोड़ती हुई उसे
नजमा;कमिने क्या कर रहा था तू ज़ेबा के साथ
सॅम;चौंकता हुआ क्यूँ कुछ भी तो नही अम्मी
नजमा;अच्छा मैने सब देखा जो हरकत तूने कार से निकालने के बाद की
अरे कुछ तो शरम कर वो तेरी खाला है अगर तूने ऐसी वैसी हरकत दुबारा की ना ज़ेबा के साथ तो देख ले सॅम
सॅम;उफफफफफ्फ़ हो अम्मी ना खुद कुछ करती हो ना मुझे दूसरों के साथ कुछ करने देती हो अगर तुम मेरा साथ दो तो मैं अपनी आँखों पे पट्टी बाँधे रखूं दिन भर पर आफसूवस्स्सस्स्सस्स
वो एकदम उदास सा चेहरा बना के बोल रहा था जिससे नजमा को हँसी आ जाती है और वो सॅम को ऐसे ही हँसते हुए मारने आगे बढ़ती है तभी सॅम की मज़बूत बाहें नजमा को घुमा देती है और नजमा की पीठ सॅम की छाती से चिपक जाती है
सॅम;का डंडा नजमा की गुफा के ठीक मुहाने पे अड़ जाता है
नजमा;अहह छोड़ कम्बख़्त
सॅम;अपने दोनो हाथों से नजमा को पीछे से कस लेता है अम्मी एक बार दोना
नजमा;कभी नही दूँगी तू कितनी भी कोशिश कर ले सॅम वो फीरोजा थी जो तेरी बातों में अहह गयी में तुझे जान से मार दूँगी अगर मेरे अहह ऊईीईईईईईई
सॅम;के दोनो हाथ नजमा की नरम नरम चुचि पे जम से गये थे और वो उन्हे थामे हुए नही थे बल्कि मसल रहे थे
जिससे नजमा के अल्फ़ाज़ मुँह में ही अटक से गये थे
नजमा;छोड़ कमिनाते कोई आ जाएगा अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्मे मेहमान घर पे हैं
सॅम;पहले बोलो कब दोगि
नजमा;कभी नही
सॅम;तो फिर आने दो सब को देखने दो मैं नही छोड़ने वाला
नजमा;उनह चुचि मसल्ने से गरम हो गई थी पर उसका दिमाग़ अभी उसके काबू में था वो सॅम को धीरे से बोलती है पहले छोड़ फिर बोलती हूँ
सॅम;खुश होके नजमा को छोड़ देता है और जैसे ही नजमा सॅम की तरफ घूमती है सॅम का मुस्कुराता हुआ चेहरा सपाट से लाल हो जाता है
एक करारा थप्पड़ उसे होश दिलाता है कि बेटा असल दुनिया में आजा
नजमा;अब पता चल गया कि कब दूँगी
सॅम;नजमा को ज़ोर से पकड़ता हुआ अम्मी देख लेना मेरी मोहब्बत आपके सर चढ़ का बोले गी एक दिन और उस दिन आप के हाथ मेरे गालों पे नही बल्कि होंठ होगे ये मेरा वादा है आपसे
नजमा;उसे घुरती चली जाती है और सॅम रूम से बाहर निकल जाता है
नजमा;दिल में सोचने लगती है आख़िर क्या करूँ में इसका कैसे समझाऊ कि में इसकी अम्मी हूँ माशुका नही जो ये चाहता है वो कभी नही होगा में ऐसा होने नही दूँगी
सॅम;जब अपने रूम में जा रहा था तभी उसे आबिद दिखाई देता है कल उसकी विदाई थी मामू के घर परेशान सा आबिद ललचाई नज़रों से सॅम को देखता है और सॅम के रूम की तरफ बढ़ता है और सॅम जानता था कि ये क्यूँ आ रहा है वो जल्दी से रूम का दरवाज़ा बंद कर देता है
कुछ देर बाद सॅम के डोर पे दस्तक होती है वो आबिद होगा समझ के पहले डोर नही खोलता फिर लगातार दस्तक की वजह से वो गुस्से में दरवाज़ा खोलता है
सामने शबनम खड़ी थी
थोड़ा थका हुआ लग रहा है सॅम कहीं से मेहनत करके आया है क्या
सॅम;हड्बडाता हुआ नही तो खाला मैं एकदम ठीक हूँ
ज़ेबा;ह्म्म्म्म लग तो नही रहा ऐसा लग रहा है जैसे किसी ने तेरी एनर्जी खींच ली हो और वो हँसने लगती है
सॅम;जो कुछ देर पहले ज़ेबा पे गुस्सा हो रहा था उसे अब उसकी बातों से लगने लगा था कि रांड़ जल्द ही पैर खोल देगी
दोनो कार में बैठ जाते है
सॅम;कार ड्राइव करते हुए
खाला मुझ जैसे ग़रीब की एनर्जी भला कौन खींच सकता है हमारी किसे परवाह है
ज़ेबा;बेटा तू ठीक से खाया कर ना घर में बाहर का खाने से तबीयत खराब हो जाएगी
सॅम;नही खाला घर पे मज़ा ही नही आता
ज़ेबा;सॅम की जाँघ पे हाथ फेरते हुए में आ गई हूँ ना तुझे ऐसा मज़ा आएगा घर पे कि बाहर का खाना भूल जाएगा..खाने के साथ पिलाउन्गी भी अपने हाथों से पीएगा ना बेटा
सॅम;नेकी और पूछ पूछ खाला
ऐसी ही बातों में दोनो घर पहुँच जाते है जब ज़ेबा कार से बाहर उतरती है तब सॅम जानबूझ के ज़ेबा की मोटी मोटी कमर पे दबा के हाथ फेर देता है और धीरे से कहता है गरम है
ज़ेबा;कुछ बोल पाती इससे पहले नजमा और शबनम उसके पास आ जाते है
शबनम;अपनी अम्मी को देख के काफ़ी खुश थी दोनो माँ बेटी आपस में मिलते है और फिर नजमा भी ज़ेबा से मिलके उसे घर के अंदर ले जाती है
नजमा;;कुछ देर बाद सॅम को अपने रूम में बुलाती है
जब सॅम रूम में पहुँचता है तब नजमा
सॅम के कान मरोड़ती हुई उसे
नजमा;कमिने क्या कर रहा था तू ज़ेबा के साथ
सॅम;चौंकता हुआ क्यूँ कुछ भी तो नही अम्मी
नजमा;अच्छा मैने सब देखा जो हरकत तूने कार से निकालने के बाद की
अरे कुछ तो शरम कर वो तेरी खाला है अगर तूने ऐसी वैसी हरकत दुबारा की ना ज़ेबा के साथ तो देख ले सॅम
सॅम;उफफफफफ्फ़ हो अम्मी ना खुद कुछ करती हो ना मुझे दूसरों के साथ कुछ करने देती हो अगर तुम मेरा साथ दो तो मैं अपनी आँखों पे पट्टी बाँधे रखूं दिन भर पर आफसूवस्स्सस्स्सस्स
वो एकदम उदास सा चेहरा बना के बोल रहा था जिससे नजमा को हँसी आ जाती है और वो सॅम को ऐसे ही हँसते हुए मारने आगे बढ़ती है तभी सॅम की मज़बूत बाहें नजमा को घुमा देती है और नजमा की पीठ सॅम की छाती से चिपक जाती है
सॅम;का डंडा नजमा की गुफा के ठीक मुहाने पे अड़ जाता है
नजमा;अहह छोड़ कम्बख़्त
सॅम;अपने दोनो हाथों से नजमा को पीछे से कस लेता है अम्मी एक बार दोना
नजमा;कभी नही दूँगी तू कितनी भी कोशिश कर ले सॅम वो फीरोजा थी जो तेरी बातों में अहह गयी में तुझे जान से मार दूँगी अगर मेरे अहह ऊईीईईईईईई
सॅम;के दोनो हाथ नजमा की नरम नरम चुचि पे जम से गये थे और वो उन्हे थामे हुए नही थे बल्कि मसल रहे थे
जिससे नजमा के अल्फ़ाज़ मुँह में ही अटक से गये थे
नजमा;छोड़ कमिनाते कोई आ जाएगा अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्मे मेहमान घर पे हैं
सॅम;पहले बोलो कब दोगि
नजमा;कभी नही
सॅम;तो फिर आने दो सब को देखने दो मैं नही छोड़ने वाला
नजमा;उनह चुचि मसल्ने से गरम हो गई थी पर उसका दिमाग़ अभी उसके काबू में था वो सॅम को धीरे से बोलती है पहले छोड़ फिर बोलती हूँ
सॅम;खुश होके नजमा को छोड़ देता है और जैसे ही नजमा सॅम की तरफ घूमती है सॅम का मुस्कुराता हुआ चेहरा सपाट से लाल हो जाता है
एक करारा थप्पड़ उसे होश दिलाता है कि बेटा असल दुनिया में आजा
नजमा;अब पता चल गया कि कब दूँगी
सॅम;नजमा को ज़ोर से पकड़ता हुआ अम्मी देख लेना मेरी मोहब्बत आपके सर चढ़ का बोले गी एक दिन और उस दिन आप के हाथ मेरे गालों पे नही बल्कि होंठ होगे ये मेरा वादा है आपसे
नजमा;उसे घुरती चली जाती है और सॅम रूम से बाहर निकल जाता है
नजमा;दिल में सोचने लगती है आख़िर क्या करूँ में इसका कैसे समझाऊ कि में इसकी अम्मी हूँ माशुका नही जो ये चाहता है वो कभी नही होगा में ऐसा होने नही दूँगी
सॅम;जब अपने रूम में जा रहा था तभी उसे आबिद दिखाई देता है कल उसकी विदाई थी मामू के घर परेशान सा आबिद ललचाई नज़रों से सॅम को देखता है और सॅम के रूम की तरफ बढ़ता है और सॅम जानता था कि ये क्यूँ आ रहा है वो जल्दी से रूम का दरवाज़ा बंद कर देता है
कुछ देर बाद सॅम के डोर पे दस्तक होती है वो आबिद होगा समझ के पहले डोर नही खोलता फिर लगातार दस्तक की वजह से वो गुस्से में दरवाज़ा खोलता है
सामने शबनम खड़ी थी