desiaks
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नेहा- भइया ऐसी बात ना करो, कभी मुझसे दूर मत जाना।
समीर- “मेरी प्यारी गड़िया काम के लिए दूर भी जाना पड़ता है। चल आराम से बैठकर बातें करते है और हाँ ये आइसक्रीम दो प्याली में करके ला..."
नेहा आइसक्रीम लेकर किचेन में चली गई। मगर सिर्फ नेहा के हाथ में एक ही प्याली थी- “लीजिए भइया..."
समीर- अरे... नेहा अपने लिए नहीं लाई?
नेहा- भइया अपने हाथों से खिला दो ना?
समीर- कितनी भोली है चल आ, मैं अपनी गुड़िया रानी को अपने हाथों से खिलता हूँ... अरे... इसमें तो चम्मच
भी नहीं है। तू बैठ मैं लेकर आता है।
नेहा- नहीं मुझे चम्मच से नहीं खानी, अपनी उंगली से खिलाओ।
समीर- "उफफ्फ... उफफ्फ... मुझसे क्या-क्या करायगी तू?" और समीर ने अपने उंगली से आइसक्रीम निकाली
और नेहा के मुँह में डाली।
नेहा ने समीर की उंगली को अपने होंठों में भींच लिया।
समीर- बहुत नटखट गो गई है तू।
नेहा- "भइया आपके प्यार ने सिखा दिया..." फिर नेहा ने अपनी उंगली में आइसक्रीम ली और समीर से कहा “भइया मुँह खोलिए..."
समीर ने मुँह खोल दिया, तो नेहा ने अपनी उंगली समीर के मुँह में डाल दी। समीर ने आइसक्रीम खा ली और नेहा ने उंगली बाहर निकालकर अपने मुँह में डाली। कितना सेक्सी स्टाइल बनाया था नेहा ने। समीर से रहा नहीं गया, और उसने नेहा को अपनी बाँहो में जकड़ लिया।
नेहा- “आहह... भइया पहले आइसक्रीम तो खा लो..."
समीर ने अपने होंठ नेहा के होंठों से लगा लिया और नीचे का होंठ दांतों से काटने लगा।
नेहा- "उईई... क्या करते हो भइया दर्द होता है..."
समीर- “क्यों मजा नहीं आता?"
नेहा- मजा भी आता है।
समीर- "नेहा यहां बैठ, और मेरी बात ध्यान से सुन... और नाराज नहीं होना.."
नेहा- क्या बात है भइया?
समीर- “नेहा, मैं कल आस्ट्रेलिया जा रहा हूँ 10-12 दिन के लिए। कंपनी को बहुत बड़ा आर्डर मिलने वाला है.."
नेहा एकदम चकित रह गई और बस समीर को घूर रही थी।
समीर- "प्लीज्ज... नेहा ऐसे मत देखो... अगर तू कहेगी तो मैं नहीं जाऊँगा, चाहे मेरी नौकरी भी चली जाय..”
नेहा की आँखों में पानी आ गया। समीर को नेहा से इतने प्यार की उम्मीद नहीं थी।
नेहा भीगी-भीगी पलकों से- "नहीं भइया तुम चले जाओ, 10-12 दिन की ही तो बात है..."
समीर भी बहुत भावुक हो गया और नेहा को गले से लगा लिया- “ओहह... मेरी प्यारी गुड़िया वहां से आकर तुझे इतना प्यार करूँगा तेरे सारे गम भुला दूंगा.." और समीर के होंठ नेहा के होंठों से चिपक गये, जैसे कोई गेम खेल रहे हों। कभी नेहा होंठों को पकड़ती कभी समीर। यूँ ही मस्ती में दोनों एक दूजे के होंठों का जाम पी रहे थे। तभी दरवाजे पर दस्तक होती है।
समीर- “मम्मी आई होगी मैं दरवाजा खोलता हूँ। तू जाकर अपना मुँह साफ कर ले, आइसक्रीम लगी है..." और समीर दरवाजा खोलता है। सामने मम्मी खड़ी थी।
अंजली- बेटा, तू आज कंपनी नहीं गया?
समीर- जी मम्मी गया था। कंपनी को आस्ट्रेलिया से बहुत बड़ा आर्डर मिल रहा है। कल संजना मेडम के साथ 10-12 दिन के लिए आस्ट्रेलिया जा रहा हूँ।
अंजली चकित हो जाती है- “क्या? आस्ट्रेलिया..'
समीर- जी मम्मी, बस तैयारी कर लूँ पैकिंग भी करनी है।
तभी नेहा भी आ जाती है।
अंजली- नेहा अपने भाई की पैकिंग में हेल्प करवा दे। तेरे भाई का कोई सामान रह ना जाये।
नेहा- जी मम्मी।
अंजली- बेटा तेरे लिए खाने में क्या बनाऊँ?
समीर- “मम्मी तेरे हाथ की खीर बहुत याद आयेगी वहां। तू खीर बना दे तब तक मैं मार्केट से लवर और बनियान ले आऊँ.."
अंजली- बेटा जल्दी आना।
समीर- जी मम्मी ।
नेहा- "भइया मुझे भी मार्केट जाना है कुछ सामान लेना है। मैं भी आपके साथ चलती हूँ..” और दोनों मार्केट निकल गये। नेहा बाइक पर दोनों तरफ पैर करके बैठी थी।
समीर- तुझे क्या लेना है मार्केट से?
नेहा- मेरी भी पर्सनल चीजें हैं।
समीर- क्या वो बताने वाली नहीं है?
नेहा- जब आपके साथ आई हैं तो छुप भी नहीं पायेगी।
समीर- तो फिर बता ना क्यों घुमा फिरा के बात कर रही है?
नेहा- मुझे पैड खरीदना है।
समीर- कैसे पैड?
नेहा- भइया तुम्हें मालूम है मुझे पीरियड हो रहे हैं, उसे के लिए पै होते हैं।
समीर- आह्ह... मैं तो समझ रहा था तू वो लेने आई है।
नेहा- वो क्या?
समीर- ब्रा पैंटी।
थोड़ी देर दोनों चुप हो गये।
समीर- नेहा एक बात पूछू?
समीर- “मेरी प्यारी गड़िया काम के लिए दूर भी जाना पड़ता है। चल आराम से बैठकर बातें करते है और हाँ ये आइसक्रीम दो प्याली में करके ला..."
नेहा आइसक्रीम लेकर किचेन में चली गई। मगर सिर्फ नेहा के हाथ में एक ही प्याली थी- “लीजिए भइया..."
समीर- अरे... नेहा अपने लिए नहीं लाई?
नेहा- भइया अपने हाथों से खिला दो ना?
समीर- कितनी भोली है चल आ, मैं अपनी गुड़िया रानी को अपने हाथों से खिलता हूँ... अरे... इसमें तो चम्मच
भी नहीं है। तू बैठ मैं लेकर आता है।
नेहा- नहीं मुझे चम्मच से नहीं खानी, अपनी उंगली से खिलाओ।
समीर- "उफफ्फ... उफफ्फ... मुझसे क्या-क्या करायगी तू?" और समीर ने अपने उंगली से आइसक्रीम निकाली
और नेहा के मुँह में डाली।
नेहा ने समीर की उंगली को अपने होंठों में भींच लिया।
समीर- बहुत नटखट गो गई है तू।
नेहा- "भइया आपके प्यार ने सिखा दिया..." फिर नेहा ने अपनी उंगली में आइसक्रीम ली और समीर से कहा “भइया मुँह खोलिए..."
समीर ने मुँह खोल दिया, तो नेहा ने अपनी उंगली समीर के मुँह में डाल दी। समीर ने आइसक्रीम खा ली और नेहा ने उंगली बाहर निकालकर अपने मुँह में डाली। कितना सेक्सी स्टाइल बनाया था नेहा ने। समीर से रहा नहीं गया, और उसने नेहा को अपनी बाँहो में जकड़ लिया।
नेहा- “आहह... भइया पहले आइसक्रीम तो खा लो..."
समीर ने अपने होंठ नेहा के होंठों से लगा लिया और नीचे का होंठ दांतों से काटने लगा।
नेहा- "उईई... क्या करते हो भइया दर्द होता है..."
समीर- “क्यों मजा नहीं आता?"
नेहा- मजा भी आता है।
समीर- "नेहा यहां बैठ, और मेरी बात ध्यान से सुन... और नाराज नहीं होना.."
नेहा- क्या बात है भइया?
समीर- “नेहा, मैं कल आस्ट्रेलिया जा रहा हूँ 10-12 दिन के लिए। कंपनी को बहुत बड़ा आर्डर मिलने वाला है.."
नेहा एकदम चकित रह गई और बस समीर को घूर रही थी।
समीर- "प्लीज्ज... नेहा ऐसे मत देखो... अगर तू कहेगी तो मैं नहीं जाऊँगा, चाहे मेरी नौकरी भी चली जाय..”
नेहा की आँखों में पानी आ गया। समीर को नेहा से इतने प्यार की उम्मीद नहीं थी।
नेहा भीगी-भीगी पलकों से- "नहीं भइया तुम चले जाओ, 10-12 दिन की ही तो बात है..."
समीर भी बहुत भावुक हो गया और नेहा को गले से लगा लिया- “ओहह... मेरी प्यारी गुड़िया वहां से आकर तुझे इतना प्यार करूँगा तेरे सारे गम भुला दूंगा.." और समीर के होंठ नेहा के होंठों से चिपक गये, जैसे कोई गेम खेल रहे हों। कभी नेहा होंठों को पकड़ती कभी समीर। यूँ ही मस्ती में दोनों एक दूजे के होंठों का जाम पी रहे थे। तभी दरवाजे पर दस्तक होती है।
समीर- “मम्मी आई होगी मैं दरवाजा खोलता हूँ। तू जाकर अपना मुँह साफ कर ले, आइसक्रीम लगी है..." और समीर दरवाजा खोलता है। सामने मम्मी खड़ी थी।
अंजली- बेटा, तू आज कंपनी नहीं गया?
समीर- जी मम्मी गया था। कंपनी को आस्ट्रेलिया से बहुत बड़ा आर्डर मिल रहा है। कल संजना मेडम के साथ 10-12 दिन के लिए आस्ट्रेलिया जा रहा हूँ।
अंजली चकित हो जाती है- “क्या? आस्ट्रेलिया..'
समीर- जी मम्मी, बस तैयारी कर लूँ पैकिंग भी करनी है।
तभी नेहा भी आ जाती है।
अंजली- नेहा अपने भाई की पैकिंग में हेल्प करवा दे। तेरे भाई का कोई सामान रह ना जाये।
नेहा- जी मम्मी।
अंजली- बेटा तेरे लिए खाने में क्या बनाऊँ?
समीर- “मम्मी तेरे हाथ की खीर बहुत याद आयेगी वहां। तू खीर बना दे तब तक मैं मार्केट से लवर और बनियान ले आऊँ.."
अंजली- बेटा जल्दी आना।
समीर- जी मम्मी ।
नेहा- "भइया मुझे भी मार्केट जाना है कुछ सामान लेना है। मैं भी आपके साथ चलती हूँ..” और दोनों मार्केट निकल गये। नेहा बाइक पर दोनों तरफ पैर करके बैठी थी।
समीर- तुझे क्या लेना है मार्केट से?
नेहा- मेरी भी पर्सनल चीजें हैं।
समीर- क्या वो बताने वाली नहीं है?
नेहा- जब आपके साथ आई हैं तो छुप भी नहीं पायेगी।
समीर- तो फिर बता ना क्यों घुमा फिरा के बात कर रही है?
नेहा- मुझे पैड खरीदना है।
समीर- कैसे पैड?
नेहा- भइया तुम्हें मालूम है मुझे पीरियड हो रहे हैं, उसे के लिए पै होते हैं।
समीर- आह्ह... मैं तो समझ रहा था तू वो लेने आई है।
नेहा- वो क्या?
समीर- ब्रा पैंटी।
थोड़ी देर दोनों चुप हो गये।
समीर- नेहा एक बात पूछू?