desiaks
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उधर
“किरण आँटी, टीना कहां है?"
किरण- अरे... बेटा तू इस वक्त... देख अपने रूम में होगी।
टीना अपने रूम में बेड पर लेटी आँखें बंद किए हुए थी
नेहा- टीना की बच्ची मिल गई तुझे ठंडक?
टीना ने आँखें खोली तो देखा नेहा उसके बेड पर बैठी है- "तू.. और ये क्या बोल रही है तू?"
नेहा- हाँ, मैं जो बोल रही हूँ तू सब समझती है। तेरी चूत की आग ठंडी हो गई? तुझे शर्म नहीं आई पापा के सामने छीः छीः कैसी कुतिया है तू की मेरे पापा से भी.."
टीना भी अब तक समझ चुकी थी की जरूर कोई तगड़ा सबूत लग गया है नेहा के हाथ। अब छुपाने से कुछ नहीं होगा। टीना बोली- “मुझे क्यों लेक्चर दे रही है? अपने बाप से बोल कैसे मुझे अपनी बाहों में जकड़कर मेरा रेप किया है। वो तो मैंने तेरी घर की इज्जत की खातिर अपने मम्मी पापा को नहीं बोला, वरना देख क्या हश्र होता तेरे बाप का?"
अब झटका नेहा को लगा टीना की बात सुनकर। नेहा की बोलती बंद।
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समीर को हैंडजाब से थोड़ा सकून मिल चुका था। तभी दिव्या का मेसेज आता है।
दिव्या- तुझे याद ना मेरी आई किसी से अब क्या कहना?
समीर- तुम्हारी नजर क्यों खफा हो गई। खता बाक्स दो गर खता हो गई हमारा इरादा तो कुछ भी ना था।
दिव्या- दूरी ना रहे कोई आज इतने करीब आओ... मैं तुममें समा जाऊँ तुम मुझमें समा जाओ।
समीर- कैसे संभलेगा उनसे मेरा दिल है नादान ये क्या माँग बैठे।
दिव्या- छोटी सी उमर में ही लग गया रोग, कहते है लोग मैं मर जाऊँगी... अरे... मरने से पहले कुछ कर
जाऊँगी।
समीर- धीरे-धीरे प्यार को बढ़ाना है, हद से गुजर जाना है।
दिव्या- मुझे बस तुझसे दिल लगाना है, हद से गुजर जाना है।
समीर- दे दे प्यार दे प्यार रे हमें प्यार... दुनियां वाले कुछ भी समझें, हम है प्रेम दीवाने।
दिव्या- ये कली जब तलाक फूल बन के खिले, इंतजार करो।
समीर- इंतजार वो भला क्या करे, तुम जिसे बेकरार करो।
दिव्या- "तो आ जाओ बारात लेकर.." और दिव्या आफ लाइन हो गई।
समीर के चेहरे पर मुश्कान दौड़ गई। दिव्या पे समीर का जादू चल गया। अब संजना से हाथ माँग सकता हूँ,
और समीर की आँखों में दिव्या के सपने आने लगे,
सुबह नेहा टीना के घर से सुबह-सुबह आ गई।
“किरण आँटी, टीना कहां है?"
किरण- अरे... बेटा तू इस वक्त... देख अपने रूम में होगी।
टीना अपने रूम में बेड पर लेटी आँखें बंद किए हुए थी
नेहा- टीना की बच्ची मिल गई तुझे ठंडक?
टीना ने आँखें खोली तो देखा नेहा उसके बेड पर बैठी है- "तू.. और ये क्या बोल रही है तू?"
नेहा- हाँ, मैं जो बोल रही हूँ तू सब समझती है। तेरी चूत की आग ठंडी हो गई? तुझे शर्म नहीं आई पापा के सामने छीः छीः कैसी कुतिया है तू की मेरे पापा से भी.."
टीना भी अब तक समझ चुकी थी की जरूर कोई तगड़ा सबूत लग गया है नेहा के हाथ। अब छुपाने से कुछ नहीं होगा। टीना बोली- “मुझे क्यों लेक्चर दे रही है? अपने बाप से बोल कैसे मुझे अपनी बाहों में जकड़कर मेरा रेप किया है। वो तो मैंने तेरी घर की इज्जत की खातिर अपने मम्मी पापा को नहीं बोला, वरना देख क्या हश्र होता तेरे बाप का?"
अब झटका नेहा को लगा टीना की बात सुनकर। नेहा की बोलती बंद।
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समीर को हैंडजाब से थोड़ा सकून मिल चुका था। तभी दिव्या का मेसेज आता है।
दिव्या- तुझे याद ना मेरी आई किसी से अब क्या कहना?
समीर- तुम्हारी नजर क्यों खफा हो गई। खता बाक्स दो गर खता हो गई हमारा इरादा तो कुछ भी ना था।
दिव्या- दूरी ना रहे कोई आज इतने करीब आओ... मैं तुममें समा जाऊँ तुम मुझमें समा जाओ।
समीर- कैसे संभलेगा उनसे मेरा दिल है नादान ये क्या माँग बैठे।
दिव्या- छोटी सी उमर में ही लग गया रोग, कहते है लोग मैं मर जाऊँगी... अरे... मरने से पहले कुछ कर
जाऊँगी।
समीर- धीरे-धीरे प्यार को बढ़ाना है, हद से गुजर जाना है।
दिव्या- मुझे बस तुझसे दिल लगाना है, हद से गुजर जाना है।
समीर- दे दे प्यार दे प्यार रे हमें प्यार... दुनियां वाले कुछ भी समझें, हम है प्रेम दीवाने।
दिव्या- ये कली जब तलाक फूल बन के खिले, इंतजार करो।
समीर- इंतजार वो भला क्या करे, तुम जिसे बेकरार करो।
दिव्या- "तो आ जाओ बारात लेकर.." और दिव्या आफ लाइन हो गई।
समीर के चेहरे पर मुश्कान दौड़ गई। दिव्या पे समीर का जादू चल गया। अब संजना से हाथ माँग सकता हूँ,
और समीर की आँखों में दिव्या के सपने आने लगे,
सुबह नेहा टीना के घर से सुबह-सुबह आ गई।