Kamukta Story घर की मुर्गियाँ - Page 10 - SexBaba
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Kamukta Story घर की मुर्गियाँ

नेहा- जी पापा मैंने खा ली, थोड़ी देर में ठीक हो जायेगा।

अंजली- चल त आराम कर ले, हम जाते हैं।

तभी अंजली का मोबाइल बज उठता है। ये फोन अंजली के घर से था।

अंजली- क्या, कब, अब कैसी तबीयत है? बस हम आ रहे हैं।

अजय- क्या हुआ अंजली?

अंजली- मम्मी की तबीयत अचानक बिगड़ गई। हमें घर चलना होगा।

अजय- मगर समीर?

अंजली- हम पहले एयरपोर्ट चलते हैं, समीर से मिलते हुए निकल जायेंगे।

अजय- हाँ ये ठीक रहेगा।

अंजली- "नेहा बेटी, तुम्हारी नानी की तबीयत अचानक खराब हो गई है। हम समीर से मिलते हुए निकल जायेंगे। तुम खाना होटल से मँगा कर खा लेना..."

नेहा- “जी ठीक है मम्मी..." और नेहा मन में सोचती है- “शायद ऊपर वाला भी चाहता है की आज हमारा मिलन हो..." और नेहा, अजय और अंजली के जाने के बाद टीना को काल करती है- “हेलो टीना, में आज ब्यूटी पार्लर नहीं जाऊँगी तू चली जा..."

टीना- क्यों क्या हुआ?

नेहा सोचती है- “अगर इसे समीर के बारे में बताया तो ये भी यहीं आ टपकेगी..."

नेहा बोली- "बस ऐसे ही यार, आज दिल नहीं कर रहा..”

टीना- ठीक है, चल रखती हूँ बाइ।

नेहा- बाइ टीना।

नेहा सोचती है- “आज भइया आ जायेंगे। नेहा को अंजाने प्यार का अहसास होने लगा, और मन ही मन खुश हुए जा रही थी आज भइया के सामने कौन सी ड्रेस पहनूँ भइया आज मुझे कितना प्यार करेंगे? मुझे भी भइया के लिए सजना सवंरना होगा..” और ये सोचते हुए बाथरूम में पहुँच गई

नेहा ने एक-एक करके कपड़े उतार दिए, और अपने आपको शीशे में निहारने लगी- “ओहह... कितने अनचाहे बाल हो गये हैं, बगल में भी, चूत पर भी, पैरों पर भी नेहा के रोएं रोएं भरे थे। आज जाने क्यों नेहा अपने को दुल्हन की तरह सजाना चाहती थी। फिर वीत-क्रीम लेकर आराम से बैठ गई। पहले अपने हाथों की बगल पर लगाती है और हल्के-हल्के गाना भी गुनगुनाती है।

सजना है मुझे सजना के लिए, हर अंग का रंग निखार लूँ की सजना है मुझे सजना के लिए।
 
नेहा के दिल में समीर के लिए कितना प्यार उमड़ चुका था इन 10 दिनों की जुदाई में। नेहा को ऐसा महसूस हो रहा था जैसे समीर दूल्हा बनकर आ रहा हो। अब नहा ने अपने पैरों पर क्रीम लगाई। आज पूरे जिश्म पर एक भी अनचाहा बाल नहीं रहने देना चाहती थी। नेहा आज अपने जिश्म की नुमाइश समीर के सामने करना चाहती थी। उसे ये भी मालूम था की आज कोई दीवार बीच में नहीं रहेगी, आज सारी दीवारें गिरनी थी। और फिर नेहा ने अपनी उस प्यार की मंजिल पर क्रीम लगाई, जहां से इस प्यार की शुरुवात होनी है।

अफफ्फ... कितनी लगन से नेहा ये सब कर रही थी। नेहा को इतना प्यार कैसे हो गया समीर से? अपने जिश्म के सारे अनचाहे बाल साफ कर दिए नेहा ने, और अपने हाथों को चिकनी साफ चूत पर कहा- "हाय समीर भइया, आपके लिए ये दुल्हनियां तैयार हो चुकी है... आज जी भरकर प्यार करना इसे। बड़ी तरसी है आपके प्यार को.."

फिर नेहा अपने जिश्म को शावर के पानी की बूंदों में नहाने लगी। मल-मल के जिश्मरगड़ा। इतना भी पानी में मत नहा डर है कहीं ये पानी बन जाय ना शराब। ऐसे ही अपने पूरे जिश्म पर साबुन मल-मल कर नहा रही थी। अपनी चूचियों पर भी हल्के हाथों से साबुन लगाया। नेहा का जिश्म संगमरमर की तरह चमकने लगा, और नेहा नहाकर एक बार फिर आईने के सामने खड़ी हो जाती है, और फिर एक बार गुनगुनाती है

मैं तो सज गई रे भइया के लिए,
आके मुझे गले से लगा लो।
और यूँ ही अपने रूम में पहुँचकर कपड़े देखने लगी। आज मुझे क्या पहनना चाहिए? फिर नेहा जाने क्यों मान ही मन मुश्कुराती है।

नेहा- "आज मुझे लाल जोड़ा पहनना चाहिए.." और नेहा लाल जोड़ा पहनकर प्यारी सी दुल्हनियां की तरह सज गई, और फिर थोड़ा खुशबू वाला पर्दूम लगाया, आँखों में काजल। एकदम पारी समान लग रही थी नेहा। तभी बाहर गेट पर गाड़ी रुकने की आवाज आती है। नेहा का दिल एकदम तेजी से धड़कने लगा।

नेहा धड़कते दिल से दरवाजा खोलती है। कार में संजना बैठी थी। ड्राइवर समीर का सामान निकाल रहा था।

समीर- आइए मेडम थोड़ी चाय पीकर जाना।

संजना- “नहीं समीर, फिर कभी आऊँगी.” और सामान निकालकर ड्राइवर कार स्टार्ट करके संजना को लेकर चला
गया।

समीर बैग उठाता हआ चौंकता है- “अरें.. ये संजना मेडम का बैग भी उतार गया...” तभी समीर की नजर नेहा पर पड़ती है, जो दरवाजे पर खड़ी समीर को निहार रही थी।

नेहा- "भइयाss...” और दौड़ती हुई समीर के गले में झूल जाती है।

समीर- "अरें... मेरी प्यारी चुलबुली पहले मुझे घर में तो आने दे..." मगर थोड़ी देर यूँ ही लिपटे हुए थे, और फिर समीर बैग उठाता हुआ अंदर आने लगता है।

नेहा- लाओ भइया, एक बैग में पकड़ती हूँ आहह... भइया तुम आ गये मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा।
 
समीर बैग उठाता हआ चौंकता है- “अरें.. ये संजना मेडम का बैग भी उतार गया...” तभी समीर की नजर नेहा पर पड़ती है, जो दरवाजे पर खड़ी समीर को निहार रही थी।

नेहा- "भइयाss...” और दौड़ती हुई समीर के गले में झूल जाती है।

समीर- "अरें... मेरी प्यारी चुलबुली पहले मुझे घर में तो आने दे..." मगर थोड़ी देर यूँ ही लिपटे हुए थे, और फिर समीर बैग उठाता हुआ अंदर आने लगता है।

नेहा- लाओ भइया, एक बैग में पकड़ती हूँ आहह... भइया तुम आ गये मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा।

समीर- कैसे यकीन आयेगा मेरी छुटकी को?

नेहा- भइया जब मुझे प्यार करेंगे तब।

समीर- “मैं तो हमेशा तुझे प्यार करता हूँ। देख इसमें पिज्जा है। थोड़ी देर में साथ खायेंगे। तब तक मैं फ्रेश हो जाता हूँ.” कहकर समीर बाथरूम में चला जाता है।

नेहा समीर के लाये तीनों बैग खोलने लगती है। एक बैग में समीर के कपड़े थे, दूसरे बैग में गिफ्ट पैक थे। नेहा मन ही मन- “वाउ... इतने सारे गिफ्ट... क्या ये सब मेरे लिए ले आये समीर भइया?"

और फिर नेहा तीसरा बैग भी खोलती है, तो नेहा को झटका लगता है। ये सब क्या है? संजना के लाये प्लास्टिक के लण्ड इस वक्त नेहा के सामने थे। ये सब क्या है? भइया इन्हें क्यों लाये हैं? नेहा ने एक पैक खोलकर डिल्डो बाहर निकाला। ये तो बिल असली जैसा लण्ड है।

तभी समीर के बाथरूम से आने की आहट होती है, और नेहा जल्दी से वो प्लास्टिक का लण्ड बेड के नीचे फेंक देती है, और बैग की चेन लगा देती है। समीर अंडरवेर बनियान पहने निकलता है।

समीर- "चल पिज़्ज़ा खाते हैं..." और दोनों ने मिलकर पिज़्ज़ा खाया।

नेहा- भइया आप मेरे लिए क्या गिफ्ट लाये?

समीर- खुद ही देख ले।

नेहा गिफ्ट वाला बैग उठा लाती है। समीर ने नेहा को गिफ्ट दिया, ओर कहा- "नेहा इससे अपने रूम में खोलना..."

नेहा- क्यों भइया?

समीर- अगर पसंद आए तो पहनकर दिखाना।

नेहा- "जी भइया जरूर.." और दौड़ती हुई नेहा अपने रूम में जाकर गिफ्ट खोलती है- “ओहह... भइया लवली... कितना प्यारा गिफ्ट दिया है आपने... मैं अभी पहनकर आपको दिखाती हँ.

नेहा लाइनाये पहनकर बाहर आती है। उफफ्फ... कितनी हाट लग रही थी नेहा। समीर का लण्ड पैंट फाड़कर बाहर निकलने को बेताब होने लगा। मगर समीर ने कंट्रोल किया।

समीर- "कितनी प्यारी लग रही हमारी गुड़िया?"

यारा गिफ्ट लाये हो..." और नेहा ने समीर को चूम लिया।

नेहा समीर के करीब आ जाती है- “थॅंक यू भइ या।

समीर- "बड़ी प्यारी शुगंध आ रही है तुझमें से..” और समीर ने नेहा को गोद में उठा लिया- “चल आज तुझे अपने पास सुलाता हूँ...

नेहा- भइया सुबह के 11:00 बजे हैं, अभी से सोना है?

समीर- “हाँ मेरी प्यारी बहना सब्र नहीं होगा रात तक.." और नेहा को उठाकर अपने बेड पर लिटा दिया और खुद भी नेहा पर झुकता चला गया, और फिर समीर ने अपने तपते होंठों को नेहा के रसीले होंठों से लगा दिए।

नेहा की धड़कनें, रूम में साफ सुनाई दे रही थी। आज ना तो समीर पीछे हटना चाहता था और ना ही नेहा।

आज नेहा सारी दीवारें तोड़ देना चाहती थी। नेहा बड़ी ही अदा से समीर के होंठ चूस रही थी। समीर को भी बड़ा ही स्वाद मिल रहा था। समीर ने अपने दोनों हाथों को लेजाकर नेहा की चूचियों पर रख दिए। नेहा में कंपन सी हुई और समीर निप्पल को उंगलियों में मसलने लगा।
 
नेहा- “इसस्स्स्स
... आहह... सस्सी..." दर्द होने के बावजूद आज समीर का जरा भी विरोध नहीं कर रही थी।

समीर थोड़ा और आगे बढ़ना चाहता था। समीर ने नेहा के कपड़े उतार दिए। क्या मस्त कलियां निकाल आई सामने। एकदम दूध जैसा जिश्म। समीर की आँखें चुंधिया गई। वो बस एकटक नेहा के दोनों पहाड़ देखे जा रहा
था।

नेहा- ऐसे क्या देख रहे हो भइया?

समीर- कितने प्यारे पहाड़ हैं तेरे... जी करता है चढ़ जाऊँ।

नेहा- "किसने रोका है तुम्हें, चढ़ जाओ भइया..." और नेहा समीर की टी-शर्ट अपने हाथों से उतारने लगी। समीर का हौसला बढ़ाना चाहती थी।

के थे, सिर्फ दोनों अंडरवेर में रह गये। समीर ने अपने होंठों को निप्पल से लगा दिए और नेहा का मीठा-मीठा जूस पीने लगा।

नेहा- आहह... भइया अच्छा लग रहा है चूस लो सारा जू सब तुम्हारे लिये है.." और नेहा ने खुद भी समीर के निप्पल को अपने मुँह में ले लिया, और समीर की तरह चूसने लगी, कहा- “भइया आज मुझे इतना प्यार करो की मेरी सारी शिकायत खतम हो जाये...”

समीर- नेहा, मैं तुझे दर्द नहीं दे सकता। मैं तुझसे बहुत प्यार करता हूँ। तेरे आँसू नहीं देखे जायेंगे मुझसे।

नेहा- अरे... भइया मैं कहां मरने वाली हैं। इस बात की बिल्कुल फिकर ना करो, जो भी करना है आप कीजिए। कोई प्राब्लम होगी तो मैं आपको बोल दूँगी।

समीर- “ठीक है.." और समीर ने नेहा की पैंटी भी सरका दी। आह्ह... हाँ क्या मस्त नजारा था। एकदम ताजा कली समीर के लिए फूल बनने को तड़प रही थी। समीर ने अपने हाथ की उंगली को बंद कली से टच किया।

नेहा- “अहह... आईई... इसस्स्स्श
ह... उम्म्म ..."

समीर की उंगली ने अपना जादू दिखाना शुरू कर दिया। चूत की फांकों में ऐसे चल रही थी, जैसे मसाज कर रही हों। नेहा की तड़पती सिसकारी बढ़ती ही जा रही थी। अब तो नेहा ने समीर का हाथ पकड़ लिया और समीर की स्पीड अपने हाथों के सहारे बड़वा दी। मगर समीर यही रुकने वाला नहीं था। आज तो समीर को इस कली के लिए जाने क्या-क्या करना था? और समीर ने अपने होंठ नेहा की चूत पर टिका दिए।

नेहा- “आss इसस्स्स... माऐइ उहह्ह.. उईईई हाँ.." नेहा की तड़प बढ़ती जा रही थी, और समीर की चूमने की रफ़्तार भी, नेहा सिसक रही थी- “आईई... उईईई... अहह... ओहह... भइया आआआ... उम्म्म्म .."

थोड़ी देर चूसने के बाद समीर अपना अंडरवेर उतार देता है। लण्ड फँफनता हुआ नेहा के सामने झूलने लगता है। नेहा बड़ी हिम्मत करके अपने हाथ से छूकर देखती है।

समीर- क्यों डर रही हो इससे? साँप थोड़े ही है, दोनों हाथों में जकड़ लो..."

नेहा भी आज कहां पीछे रहती। लण्ड को अपने हाथों की गिरफ्त में लेकर अपने होंठों को खोलकर झुकती चली गई। लण्ड की टोपी नेहा के समा गई। अभी तो समीर ने सोचा भी नहीं था की नेहा ऐसा भी करेगी।

समीर- “हाय नेहा, कितना मजा आ रहा है... बस ये पल यहीं रुक जाय..” और धीरे-धीरे नेहा के लण्ड चूसने से समीर को ऐसा मजा किसी से नहीं मिला था, जैसा आज नेहा चूस रही थी। कितनी मासूमियत से लण्ड की चुसाई कर रही थी नेहा।

तभी समीर का फोन बज उठता है, और समीर देखता है ये तो संजना में का फोन था।

समीर- हेलो।

संजना- समीर मेरा बैग तुम्हारे पास रह गया है। क्या कर रहे हो तुम?

समीर- जी मेम आपका बैग यहीं है। अभी तो आराम कर रहा हूँ।

संजना- मेरा बैग दे जाओ बहुत जरूरी है।

समीर- "जी मेडम अभी लाया...” और फोन काट दिया- "इन्हें भी इसी टाइम काल करनी थी..." फिर नेहा से कहा "नेहा, मैं बस ये बैग देकर आता हूँ। फिर तुझे जी भरकर प्यार करूँगा.."

नेहा- ठीक है भइया।
*
*
*
 
समीर बेड से उतरकर अपने कपड़े पहनने लगता है। अभी जीन्स ही पहनी थी की नेहा पैंटी पहन उतरकर समीर के करीब आ जाती है।

नेहा- भइया, वैसे इस बैग में आपकी मेडम का क्या जरूरी सामान है?

समीर- पता नहीं शायद कपड़े होंगे?

नेहा के चेहरे पर सेक्सी स्माइल आ गई, और बोली- “क्यों भइया गिफ्ट भी हो सकते हैं?"

समीर- "हाँ, हो सकते हैं। अब ये क्या मालूम इस बैग में क्या है?"

नेहा- "आप भी तो साथ गये थे। क्या-क्या लिया मेडम ने सापिंग से?"

समीर- हाँ, मेरे साथ ही शापिंग करी थी, कपड़े वगैरह लिए। पर मुझे क्या लेना इस बैग से?"

समीर अपनी शर्त भी पहनने लगा। नेहा को यू समीर का जाना अच्छा नहीं लग रहा था। इसलिये समीर का हाथ थम लेती है और शर्ट छीनकर दूर फेंक देती है।

समीर- क्या हुआ नेहा? मैं बस यू गया और यू आया।

नेहा- भइया मेरा दिल नहीं मान रहा।

समीर- क्या कहता है दिल?

नेहा- कोई बहाना बना दो।

समीर- मुझसे तो बहाना बनाना भी नहीं आता।

नेहा- भइया बोल दो बाइक में पंचर हो गया है।

समीर- वाउ ग्रेट... गुड आईडिया वेरी इंटेलिजेंट नेहा। मैं अभी मेडम को काल करता हूँ.."

समीर मेडम को काल करता है- "हेलो मेम, मेरी बाइक में पंचर हो गया है। अगर आप कहें तो सुबह ले आऊँ?"

संजना- ओहह.. समीर बैग तो बहुत जरूरी है। एक काम करो मैं ड्राइवर को भेज रही हूँ तुम बैग उसे दे देना।

समीर- ओके मेडम।

नेहा की खुशी का कोई ठिकाना ना रहा- “ओहह... भइया आई लव यूँ." और समीर के गले से लिपट गई।

समीर- तो कहां थे हम?

नेहा- बिस्तर पर।

समीर- तो फिर चलो वापिस बिस्तर पर।

नेहा- भइया, पहले ड्राइवर को बैग तो ले जाने दो... कहीं फिर डिस्टर्ब ना कर दे?

समीर- तू तो बड़ी समझदार हो गई है।

नेहा- "आपके प्यार ने बना दिया...” और नेहा ने अपने होंठ समीर के होंठों मे दे दिए।

नेहा कितनी प्यारी और कितनी मासूम थी। समीर को नेहा पर बड़ा प्यार आ रहा था। मगर बार-बार सोच रहा था की अपनी बहन की सील तोड़ते वक्त क्या हालत होगी नेहा की? कैसे कर पाऊँगा ये सब?

तभी बाहर गाड़ी की आवाज आती है। समीर शर्ट पहनकर बैग उठाता है और बाहर कार में रख देता है। ड्राइवर चला गया। समीर अंदर आया तो नेहा रूम में नहीं थी। ये कहां चली गई? तभी किचेन से आवाज आती है। नेहा फ्रिज़ से चाकलेट ले आई थी।
 
नेहा- भइया चाकलेट खाओगे?

समीर- क्यों नहीं?

नेहा- देखो भइया बिना हाथ लगाये खानी होगी।

समीर- बिना हाथ लगाये कैसे खा सकता हूँ?

नेहा- "बताऊँ कैसे खाओगे?” और नेहा चाकलेट का टुकड़ा अपने दांतों में भींचकर समीर की तरफ मुँह कर लेती

समीर- "तू भी क्या-क्या करती है नेहा?" और समीर भी नेहा की तरफ अपने होंठ बढ़ाता चला गया।

कैसा अनोखा प्यार था दोनों में? चाकलेट की मिठास दुगनी हो गई जब होंठ से होंठ भी मिल गये, और दोनों बेड पर जा पहुँचे।

समीर- तू भी मुझसे क्या-क्या करवाती है?

नेहा- भइया आपको अच्छा नहीं लगा?

समीर- हाँ बहुत अच्छा लगा। अब मेरा भी कुछ करने का मन है।

नेहा- भइया जो भी मन करता है करिए। मैं आज आपको रोकने वाली नहीं हूँ।

समीर उठकर किचेन से बरफ के टुकड़े एक कटोरी में ले आया और नेहा की पैंटी भी उतार दी और नेहा को बेड पर लेटने को कहा। नेहा बेड पर लेट गई। समीर ने एक बरफ का टुकड़ा अपने मुँह में लिया और नेहा की जांघों पर फिसलाने लगा। उफफ्फ... नेहा में सरसराहट सी दौड़ गई, फुरफुरी सी पूरे जिश्म में चल रही थी, सांस अंदर को खिंचने लगा नेहा की। और समीर बरफ का टुकड़ा नेहा की चूत पर रगड़ने लगा। अब नेहा की बेचैनी डबल हो गई। मुँह से आज तक ऐसी सिसकियां नहीं निकली, जैसी आज निकाल रही थी।

नेहा- “आआआ... आहह... इस्स्स्स
... आईईई... उईई... आss उम्म्म्म
...” करने लगी।

समीर चूत से बरफ रगड़ता रहा। फिर यू ही ऊपर छूता हुआ पेट पर से ऊपर लेजाकर निप्पल से छूने लगा। नेहा की कंपन बढ़ती जा रही थी। ठंडा-ठंडा कूल-कूल अहसास नेहा को और मस्त कर रहा था। और समीर ऊपर बढ़ते हए अपने होंठों को नेहा के होंठों के करीब लेजाकर होठों से लगा देता है। अब तक नेहा की बेचैनी 10 गुना बढ़
चुकी थी, और नेहा भी समीर के होंठों को अपने दांतों में भीच लेती है।

समीर अपने होंठ छुड़ाता हुआ- “आह्ह... क्या करती हो नेहा? दर्द होता है.."

नेहा मुश्कुराते हुए- “सारी भइया.."

.
समीर फिर से अपने होंठ नेहा के होंठों से लगा देता है। इस बार नेहा बड़े प्यार से चूसती है समीर को बड़ा मीठा सा अहसास होने लगा और अपना एक हाथ नेहा की चूत पर ले जाता है, और किस करते हए हल्के हाथों से चूत को भी मसलता रहता है। नेहा की चूत से पानी बहने लग गया, जो समीर के हाथों को भिगो रहा था। नेहा की तड़प बढ़ती जा रही थी, बस अब नेहा का कंट्रोल खतम हो चुका था।
 
नेहा- "आअहह... भैय्य्या कुछ करो प्लीज़्ज़.."

समीर- क्या हुआ मेरी चुलबुली?

नेहा- “आह्ह... भैय्य्या बहुत बेचैनी है.."

समीर- “अभी दूर करता हूँ..” और समीर नेहा के दोनों पैर खोल देता है, तो सामने चूत मुँह खोले बुला रही थी।

समीर भी अपने होंठ चूत से लगा देता है।

नेहा तड़प जाती है। समीर चूत को बड़ी ही मस्ती में चटता है। मगर नेहा को अब कुछ और चाहिए था। मगर समीर बस नेहा की चूत को चूसने पर लगा था।

नेहा- “भइया डाल्लो ना... अपना लण्ड.."

समीर के कानों में नेहा की ये आवाज टकराती है, तो समीर चूसना छोड़ देता है और नेहा के चेहरे को देखने लगता है। नेहा वासना की आग में पूरी जल चुकी थी। अब ये आग सिर्फ लण्ड ही बुझा सकता था। समीर नेहा की चूत में उंगली डालकर देखता है की लण्ड घुस सकता है क्या? मगर समीर को नहीं लगता इतनी छोटी जगह में ये मोटा सांड़ कैसे घुसेगा?

आज समीर को अपना ही लण्ड बहुत बड़ा महसूस हो रहा था। क्योंकी समीर नेहा को रोता बिलखता नहीं देख पायेगा

नेहा- क्या सोचने लगे भइया?

समीर- “नेहा, तू अभी बहुत छोटी है। ये सब तुझसे नहीं होगा.." और समीर नेहा की चूत को दोनों हाथों से फैलाकर सुराख देखता है, जो एक इंच भी नहीं लग रहा था, जबकी समीर का लण्ड दो इंच से भी मोटा था।

नेहा- भइया तुम फिकर ना करो में सब सह लूंगी। तुम अंदर तो डालो।

समीर- सब ऐसे ही कहते हैं, जब अंदर जायेगा तब पता चलता है।

नेहा- मैं प्रामिस करती हूँ मैं नहीं रोऊँगी। तुम डालो... अब मुझसे सबर नहीं हो रहा।

अब समीर नेहा की जिद के आगे झुक गया। फिर भी समीर जानता था ये काम बहुत मुश्किल है। वो तेल की शीशी से तेल निकालकर दोनों पर चुपड़ता है, और लण्ड को आखिरकार, चूत पर रख देता है। नेहा को बड़ा सुकून मिला चूत से लण्ड के टच होने पर। मगर समीर कोई जल्दी के मूड में नहीं था। ये सब नेहा का प्यार ही था जो समीर को रोकके हए था बस। समीर लण्ड को चूत पर बाहर-बाहर रगड़ने लगा।

नेहा का पानी लगातार बहे जा रहा था। नेहा आँखें बंद किए लण्ड को अंदर जाने के अहसास में थी। मगर जब समीर अंदर ही नहीं कर रहा था तो नेहा फिर बोलती है- “क्या भइया, अंदर क्यों नहीं करते आप?"

समीर ने भी अब एक धक्का मार ही दिया। लण्ड चूत की दीवार तोड़ता हआ लगभग आधा घुस गया।

नेहा- "आईईई... आss उम्म्म्म
... आआआ आss मर गईई...

बेचारा समीर भी डर गया, और कहा- "नेहा। मेरी बहाना तू ठीक है... तू कहे तो बाहर निकाल लूं।

नेहा- अह्ह... सस्स्सी बहुत दर्द हो रहा है अहह... स्स्स्सी .."

समीर- बाहर निकालू क्या?

नेहा- नहीं, बस यू ही रहने दो आअहह... स्स्स्स्सी ... इसस्स्स .."

समीर नेहा को किस करने लग गया जिससे नेहा का ध्यान बँट जाय, और वास्तव में नेहा का ध्यान किस में चला गया और नेहा खुद भी किस में ध्यान दे रही थी। समीर का आधा लण्ड चूत में यू ही पड़ा था। समीर किस करता हुआ अब चूचियां चूसने लगा। 15 मिनट में नेहा बिल्कुल नार्मल लग रही थी समीर को। नेहा खुद भी नार्मल महसूस कर रही थी।

नेहा- भइया कितना बाहर है?

समीर- लगभग 4 इंच बाहर है।

नेहा- भइया एक इंच और अंदर डाल दो मगर धीरे-धीरे।

समीर भी बड़े ही धीरे-धीरे लण्ड अंदर सरकाने लगा। समीर की कोशिश में लगभग 10 मिनट में धीरे-धीरे पूरा लण्ड ही घुस गया।

समीर- अब कैसा लग रहा है?

नेहा- कितना घुस गया?

समीर- खुद ही देख लो?

नेहा अपना हाथ लण्ड पर ले जाती है, मगर लण्ड तो पूरा जड़ तक घुस चुका था। नेहा ने पूछा- “भइया कहां गया आपका?"

समीर- वो तो तुम पूरा का पूरा चूत में ले चुकी हो।

नेहा- क्या सच्ची?

समीर- तेरी कसम सच्ची,

नेहा- पूरा चला गया अब तो इतना दर्द भी नहीं।

समीर अब हल्के से लण्ड को बाहर खींचता है। मगर जरा सा भी तेज खींचता या डालता, तो फौरन नेहा को दर्द होता। मगर अब नेहा बिल्कुल भी विरोध नहीं कर रही थी। बल्की हल्का-हल्का खुद भी साथ दे रही थी। नेहा की
अहह... अहह... स्स्सी ... स्स्सी ... बढ़ने लगी- “आहह... हाँ हाँ स्स्सी ... सस्सी ... उम्म्म्म ...” करने लगी।

समीर झड़ना चाहता था मगर नेहा का अभी कुछ पता नहीं था। कंट्रोल करता हुआ नेहा से पूछता है- “कैसा लग रहा है मेरी जान नेहा?"

नेहा- भइया मजा आने लगा, तेज कर सकते हो जितना उतना तेज करो।

समीर सोचने लगा- “नेहा भी किसी भी पल झड़ सकती है। एक-दो तेज धक्के मार दूं तो मैं भी नहीं रुक सकूँगा..." और समीर का कंट्रोल भी खतम हो गया और ताबड़तोड़ धक्के लगा दिए थे। दोनों एक साथ झड़ गये।

आज नेहा कली से फूल बन गई। नेहा को आज अपने सब्र का फल मिल गया था। एकदम फँस हो नेहा, और पहली चुदाई का दर्द भरा सुख नेहा को नींद की आगोश में ले लिया। समीर भी सफर की थकान और फिर चुदाई, वो भी सील तोड़ने वाली मेहनत। समीर में इतनी भी हिम्मत नहीं थी की कपड़े भी पहने। अभी दिन के दो बजे थे, और दोनों एक दूजे के ऊपर नंगे ही सो गये। चुदाई के बाद की नींद कितनी सुकून भरी आई।
 
शाम 6:00 बजे समीर की आँख खुलती है।

नेहा समीर की बाँहो में लिपटी हुई थी। समीर धीरे से बेड से उठता है, और एक नजर फिर नेहा पर डालता है। जाने क्यों समीर को नेहा का मासूम सा चेहरा देखकर प्यार आने लगा, और झुक कर चेहरे को किस करने लगा। फिर नेहा को एक चादर ओढ़ाकर बाथरूम में चला जाता है, और शावर खोलकर नीचे खड़ा हो गया।

समीर नहाते हुए सोच रहा था- “आज जो हुआ, क्या ये सही था? कल को नेहा की भी शादी होगी। कहीं हमारा ये संबंध नेहा की जिंदगी ना तबाह कर दे? मगर फिर नेहा का मेरे लिए इतना प्यार कैसे ठुकरा सकता हूँ नेहा को? ये भी मुझसे नहीं होगा। बस हम दोनों को अपना ये प्यार दुनियां की नजरों से छुपाकर रखना होगा..."

सावर की बूंदें समीर के जिश्म को ताजगी दे रही थीं। बिना तौलिए से साफ किए समीर सिर्फ अंडरवेर पहनकर किचेन में चला गया और एक ग्लास हल्दी वाला दूध लेकर नेहा के पास पहुँचता है। नेहा अभी भी सो रही थी। समीर ग्लास टेबल पर रखता है और नेहा को बैठकर निहारने लगता है। अफ कितनी प्यारी है नेहा तू? बस जी करता है तुझे यू ही देखते जाओ। फिर समीर अपनी उंगली नेहा के होंठों से छुवाता है। समीर का दिल नहीं भर रहा था और समीर थोड़ा झुक कर नेहा के चेहरे पे किस करने लगता है।

नेहा इस तरह छूने से कुलबुलाती है। मगर समीर यू ही चूमता हुआ अपने होंठ नेहा के होंठों से टच करा देता है। अहह क्या मिठास थी नेहा के होंठों में। एक बार फिर समीर का लण्ड फड़कने लगता है। मगर समीर ये भी जानता था की नेहा की हालत अभी ऐसी नहीं जो दुबारा अभी लण्ड ले ले, और नेहा के होंठ चूसने लगा। जिससे नेहा की आँख खुल जाती है।

नेहा- ओहह... भइया आउकचह... क्या करते हो?

समीर- अपनी जान से प्यारी बहना को प्यार... चल उठ ये हल्दी वाला दूध पी ले।

नेहा- क्यों भइया हल्दी वाला क्यों?

समीर-तेरा सारा दर्दछमंतर हो जायेगा।

नेहा- “भइया तुम मेरा कितना खयाल रखते हो..." और नेहा ने आँखें बंद करके दूध पी लिया। फिर नेहा बेड से नीचे उतरने लगी। मगर एकदम टाँगों के बीच नेहा को दर्द उठ जाता है- “आऽऽ आईई... उईईई... उईईई...”

समीर- क्या हुआ?

नेहा- भइया उठते हुए दर्द होता है।

समीर-तू लेट जा, मैं बस अभी आया.." और समीर किचेन से पानी गरम करके लता है। फिर एक कपड़ा गरम पानी में डालकर नेहा की चूत पर रख देता है।

नेहा की सिसकी निकल गई- “आईई... इसस्स्स... भाई पानी गरम लग रहा है..."

समीर- “तुझे अभी आराम मिल जायेगा..." और समीर चूत की सिकाई करने लगा। थोड़ी देर बाद समीर बोला "चल अब देख नीचे खड़ी होकर..."

नेहा बेड से उतरती है मगर इस बार दर्द नहीं होता- “भइया अब ठीक है...”

समीर- चल तू फ्रेश हो जा तब तक मैं होटल से खाना ले आऊँ।

नेहा वैसे ही नंगी बाथरूम में चली जाती है। नेहा की गाण्ड चलते वक्त हिल रही थी, जो समीर के लण्ड को और भड़का गई।

समीर अपने लण्ड को हाथ से भींचते हुए बड़बड़ाता है- “अभी तुझे सील तोड़े एक दिन पूरा नहीं हुआ, और तुझे गाण्ड में जाना है? क्या जान लेगा बेचारी की?"

समीर गिफ्ट वाले बैग से टीना का गिफ्ट निकालकर बाइक लेकर टीना के घर पहुँच गया, और डोरबेल बजा दी। दरवाजा किरण ने खोला।

समीर- हेलो आंटी कैसी हो? वैसे एकदम हाट लग रही हो। आज तो अंकल घायल हो जायेंगे।

किरण- बड़ा शैतान हो गया है।

समीर- आंटी वैसे हम भी घायल हो गये आपको देखकर। हमारा भी इलाज कर दो किसी दिन।

किरण- बदमाश... मैं बच्चों का इलाज नहीं करती।

समीर- बच्चा किसे कह रही हो? हर बाल पर छक्का मारता हूँ।

किरण- छक्का मारने वाले जल्दी आउट हो जाते हैं।

समीर- एक बार हाँ तो बोलो, बिना सेंचुरी मारे नहीं हटूंगा ये वादा रहा।

किरण- बड़ी-बड़ी बातें बनाने लगा। चल कल दिन में आ जाना, तेरा इलाज कर दूँगी।

समीर- जरूर आऊँगा। टीना कहां है? उसके लिए गिफ्ट लाया था आस्ट्रेलिया से।

किरण- ऊपर अपने रूम में होगी वहीं दे आ।

समीर दौड़ता हआ ऊपर पहँचता है, और जैसे ही टीना के रूम में एंटर होता है। टीना बड़े ही हाट कपड़ों में अपनी सेल्फी ले रही थी।

समीर- हाय टीना।

टीना- अरे... समीर तुम... आओ आओ, आ गई तुम्हें मेरी याद?

समीर- देख लो आस्ट्रेलिया से सीधा तुम्हारे पास आया हूँ।

टीना- रहने दो मक्खन लगाने को, पता है कितनी बेचैनी होती है मुझे।

समीर- तो आज दूर कर दूंगा बेचैनी। आज रात घर पर आ जाना।

टीना- आज नहीं आ सकती, अब तो पीरियड से हो गई हैं।

समीर- ये गिफ्ट लाया हूँ देखो कैसा है?

टीना गिफ्ट खोलती है तो अंदर टी-शर्ट और जीन्स थी। टीना बोली- “वाउ ग्रेट... बहुत प्यारा गिफ्ट है। थॅंक यू
थॅंक यू..."

समीर- खाली थॅंक यू से कम नहीं चलेगा।
 
टीना लपक कर अपने होंठ समीर के होंठों पर रख देती है, और समीर की आवाज दब जाती है। समीर मस्ती में इब गया। शहद सी मिठाश टीना के होंठों में थी। मगर समीर किरण के डर से अपने होंठ छड़ा लेता है।

समीर- थॅंक यू मेरे घर पर आकर बोलना पड़ेगा।

टीना- जी सरकार।

फिर समीर होटल से खाना लेकर अपने घर पहुँच गया। नेहा को अपने हाथों से खिलाया समीर ने। नेहा भी एक टुकड़ा तोड़कर समीर को खिलाती है। नेहा का प्यार समीर पर बढ़ता जा रहा था।

समीर- एक बात कहूँ नेहा?

नेहा- जी भइया बोलिए।

समीर- दिव्या के चाचा का लड़का राहल तेरे लिए कैसा रहेगा?

नेहा का मूड खराब हो जाता है- “भइया, मैं आपको छोड़कर कहीं नहीं जाऊँगी..."

समीर- देख शादी करके सबको जाना पड़ता है।

नेहा- भइया मुझे अपने से दूर मत करो। मैं आपके बिना नहीं जी पाऊँगी।

समीर- पगली मैं कहां तुझसे दूर रहूँगा। तू एक आवाज देना बस... हमेशा मुझे अपने पास पायेगी। नेहा समीर की बाँहो में समा जाती है।

समीर- पहले ठीक से खाना खा ले, फिर आराम से गोद में बैठ जाना।

नेहा- आई लव यू भइया।

समीर- लव यू टू।

नेहा को जाने क्या हुआ की एक पल में अपनी टी-शर्ट उतार दी और अंदर बिन ब्रा की चूचियां आजाद हो गई। समीर कुछ समझ ना पाया की नेहा अब क्या चाहती है। नेहा समीर का हाथ पकड़कर खड़ा करती है और समीर की भी शर्ट उतार देती है। दोनों टापलेश हो गये। और नेहा ने अपनी छाती समीर की छातियों से मिला दी और समीर को जोर से भींच लिया।

समीर का लण्ड पहले से खड़ा था। नेहा की बाँहो में आने से और अकड़ गया, और कपड़ों के ऊपर से ही नेहा की चूत में घुसने की कोशिश कर रहा था।

नेहा- भइया इससे क्या हुआ?

समीर- तुझे फिर प्यार करना चाहता है।

नेहा- तो आपने इस बेचारे को कैद क्यों किया है?

समीर- कहीं हमारी नाजुक सी कली को फिर ना जख्मी कर दे इसलिए?

नेहा- “भइया अब ये नाजुक कली फूल बन चुकी है। चलिये बाहर निकालिये इसे, और जो ये चाहता है करने दो इसे..” कहकर नेहा समीर के बाकी कपड़े भी उतार देती, फिर अंडरवेर नीचे खींचती चली गई। लण्ड स्प्रिंग की तरह लहराता बाहर आ गया। नेहा ने अपने हाथों में पकड़ लिया।

समीर सोचता है- “पहले कितना डरती थी देखकर ही, आज तो हाथ में भी थाम लिया..."

समीर- “अब तो नेहा बड़ी बहादुर हो गई है। क्या अब डर नहीं लग रहा?"

नेहा- "जब प्यार किया तो डरना क्या?" कहकर नेहा ने गप्प से आधा लण्ड मुँह में भर लिया और अंदर-बाहर करके चूसती रही। समीर को इतना मजा आज तक किसी ने नहीं दिया, जो मजा नेहा से मिल रहा था।

समीर- “आअहह... इसस्स्स... ऐसे ही चूसती रहो बहना मजा आ रहा है आह्ह... हाई उम्म्म्म
..."

नेहा समीर को कितना मजा देना चाहती थी। समीर भी नेहा का अपने लिए प्यार देखक श हो रहा था। समीर का जोश बढ़ता जा रहा था नेहा के इस तरह चूसने से। 10 मिनट ऐसे ही चूसने के बाद समीर का लण्ड स्टील रोड की तरह बन चुका था। समीर ने एक मिनट और लण्ड बाहर नहीं निकाला तो पानी का सैलाब आ जायेगा। ये सोचते हुए जल्दी से समीर ने एक झटके से अपना लण्ड बाहर खींच लिया। पुच्च की आवाज से साथ लण्ड बाहर आ गया।

समीर अब अपना लण्ड चूत में डालना चाहता था। मगर फिर सोचकर नहीं डालता। शायद समीर नेहा से खुद कहलवाना चाहता था। इसलिये नेहा को उठाकर बेड पर लिटाया और नेहा की टाँगें फैला दी। चूत एकदम हसीन लग रही थी। अब तो चूत के होंठ भी बाहर को निकल आए थे। चूत की झिरी भी बड़ी हसीन लग रही थी। समीर का लण्ड तो यही चाहता था की मैं घुस जाऊँ। मगर समीर चूत पर अपने होंठ टिका देता है।

नेहा तड़प उठती है। इस बार जो फीलिंग आ रही थी चुसवाने में वो पहली बार से भी कई गुना ज्यादा आई। नेहा का मजा अब कई गुना बढ़ गया। समीर के इतने प्यार से चूसने से नेहा तो इस प्यार में पूरी डूब चुकी थी।

नेहा- "अहह... अहह... अहह... सस्स्स
..."
 
समीर चूत की फांकों को होंठों में भींचते हुए चूसने लगा। नेहा की तड़प बढ़ने लगी अब नेहा की चूत फिर से लण्ड लेने के लिए मचलने लगी।

नेहा- "ओहह... भइया अब तो डाल दो... क्या कर रहे हो? अपना लण्ड डा दो प्लीज़्ज़... भइया डालो ना...” कहकर नेहा की चूत लण्ड माँगने लगी।

समीर के चेहरे पर मुश्कान दौड़ गई। समीर चूत पर से उठता है, और अपने हाथ से लण्ड को पकड़कर चूत के छेद पर टिकाकर कहा- "नेहा तैयार हो, मारूं धक्का ?"

नेहा- जी भइया मारिए।

समीर ने धीरे से धक्का मार दिया। लण्ड इस बार बिना तेल के दो इंच अंदर घुस गया था।

नेहा- “आआहहह... आईईई... उईई.." नेहा को हल्का सा दर्द हुआ।

मगर समीर जानता था की 4-5 धक्कों में वो भी गायब हो जायेगा। समीर हल्के-हल्के धक्के लगाता रहा। फिर समीर ने पूछा- “कैसा लग रहा है नेहा?"

नेहा- “आआह्ह... भइया आप कितने प्यारे हो... मजा आ गया भइया..."

समीर ने थोड़ा-थोड़ा लण्ड अंदर-बाहर करते हुए पूरा घुसा दिया। अबकी बार नेहा को इतना दर्द नहीं हुआ।

समीर के धक्कों से चूत झप-झप कर रही थी दोनों को चुदाई में बड़ा मजा आने लगा था। अब नेहा खुद धक्के लगाना चाहती थी।

नेहा- भइया मुझे ऊपर आना है।

समीर नेहा के ऊपर से उतरकर लेट जाता है। नेहा समीर के पेट पर चढ़ बैठी और लण्ड को अपनी चूत के छेद पर टिकाकर नीचे को बैठ गई। लण्ड चूत का मिलन फिर हो गया। इस बार समीर कुछ नहीं कर रहा था। नेहा अपनी चूत लण्ड पर ऊपर-नीचे करती रही। इस स्टाइल में समीर का मजा भी डबल हो गया। दोनों की सिसकियां बढ़ती जा रही थी।

नेहा- "अहह... सस्स्स्स ... सीईई ऊहह... ओल्लो भइया आहह सस्स्सी ..." और नेहा को मजे की फीलिंग आने वाली होती है, तो बोली- “समीर भइया मैं बस होने वाली हूँ.."

समीर झड़ते वक्त धक्के लगाना चाहता था। इसलिये समीर ने जल्दी से नेहा को पलटा और खुद ऊपर आकर ताबड़तोड़ धक्के लगा दिए। आज दूसरी बार दोनों एक साथ ही झड़ गये।

नेहा आहह... आअहह... करती अपना पानी छोड़ती चली गई।

समीर- "ओहह... नेहा मेरी जान मजा आ गया..."

दोनों थोड़ी देर बाद एक साथ बाथरूम में नहाते हैं। तभी समीर का मोबाइल बाजता है। ये अंजली की काल थी।

अंजली- बेटा समीर हम आज रात नहीं आ पायंगे। सुबह जल्दी आ जायेंगे। तुम होटल से खाना मँगवा कर खा लेना।

समीर- “जी मम्मी ठीक है..” और फिर फोन काट गया, और यूँ ही रात भी गुजर गई।

सबह 7:00 बजे नेहा ने समीर को उठाया, और फिर दोनों ने मिलकर नाश्ता किया।

समीर- आज ब्यूटी पार्लर जायेगी।

नेहा- जी भइया, नहीं गई तो टीना को शक हो जायेगा।

समीर- नेहा इस बात का किसी को पता नहीं चलना चाहिए।

नेहा- "भइया आप फिकर ना करें, किसी को पता नहीं चलेगा। भइया मैं चलती हैं, इससे की पहले यहां टीना आए, मैं ही उसे लेकर निकाल जाऊँगी...”

समीर- ठीक है। मैं मम्मी पापा के आने के बाद कंपनी जाऊँगा।

नेहा- बाइ भइया।

समीर- बाइ नेहा।
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