desiaks
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रामू- रूबी जी मैं इन्हें देखना चाहता हूँ। इनको आज महसूस करने के बाद मेरे से रहा नहीं जा रहा।
रूबी- नहीं रामू, ऐसा नहीं हो सकता।
राम- रूबी जी मैंने तो इसके लिए तैयारी भी कर ली थी।
रूबी- तैयारी?
रामू- हाँ। मैंने सोचा कल हमें टाइम नहीं मिलेगा तो मुझे लगा की मालिक को किसी काम में मशरूफ कर दूंगा।
रूबी- कौन सा काम?
रामू- वो कल पता चलेगा आप बस देखते जाओ।
रूबी सोचती है की रामू ने पता नहीं क्या प्लान बनाया होगा उसके ससुर को बिजी करने के लिए?
रामू- तो बताओ ना रूबी जी। कल मुझे दूध पीने दोगे?
रूबी- नहीं हो सकता रामू ऐसे।
राम- रूबी जी हमारे पास सिर्फ दो ही दिन हैं। फिर इसके बाद पता नहीं कब टाइम मिलेगा।
रूबी को भी ध्यान में आता है की उसके पास तो सिर्फ दो ही दिन हैं राम के साथ के लिए। उसके बाद तो सीमा आ जाएगी और फिर पता नहीं कभी मिल भी पाएंगे या नहीं? रूबी उसे सीधा हाँ नहीं बोलती पर बातों में ही अपनी सहमति दे देती है।
रूबी- पता नहीं रामू, मम्मीजी घर पे होंगी।
राम- रूबी जी आपको मालेकिन को बिजी करना होगा।
रूबी- मैं क्या करूं?
रामू- कुछ तो सोचिए। आपके पास रात का टाइम है।
रूबी- मुझसे नहीं होगा राम्। मैं क्या करूं इसमें?
रामू- आपको मेरी कसम। आपको कुछ तो करना होगा।
रूबी- ठीक है देखती हूँ।
रामू- तो इसका मतलब मुझे आम चूसने दोगी?
रूबी- “पागल... मैंने ऐसा नहीं बोला..." और हँस पड़ती है।
दोनों कछ दर और बातें करते हैं, और फिर राम सो जाता है। पर रूबी कल के लिए प्लान बनाने लगती है। सोचते-सोचते उसे भी नींद आ जाती है।
अगले दिन सुबह हरदयाल ट्रैक्टर स्टार्ट करता है तो ट्रैक्टर स्टार्ट नहीं होता। उसे लगता है की इसे शहर लेकर जाना पड़ेगा ठीक करवाने के लिए। वो खाना खाता है और शहर जाने के लिए तैयार हो जाता है। वो गाँव से किसी से हेल्प माँगता है और अपने ट्रैक्टर को टो करके शहर के लिए रवाना हो जाता है।
सुबह के 9:00 बजे का टाइम था। रूबी को समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या करे। रामू ने तो अपना काम कर दिया था। उसका काम अधूरा था अभी। एक घंटे तक राम् आ जाएगा फिर कछ नहीं हो सकता। उसके आने से पहले ही कमलजीत को कहीं पे बिजी करना होगा। तभी उसे याद आता है की मम्मीजी को काकरोच किल्लर स्प्रे से अलर्जी है। तो उसके दिमाग में प्लान आता है की वो मम्मीजी को बोलेगी की घर में काकरोच काफी हो गये हैं तो उसने आज राम के साथ मिलकर स्प्रे करनी है।
रूबी- मम्मीजी।
कमलजीत- बोलो बहू।
रूबी- मैं सोच रही थी की काकरोच किल्लर स्प्रे करवा दं घर में। काफी काकरोच हो गये हैं। मैंने नोट किया हा।
कमलजीत- अरे तुम्हें पता है ना मुझे अलर्जी है उससे।
रूबी- मम्मीजी इसलिए मैं बोल रही थी की मैं राम के साथ मिलकर स्प्रे कर दूंगी और बाकी सफाई भी कर दूंगी, तो दोपहर तक स्प्रे की स्मेल खतम हो जाएगी। इसलिए आप अपना जो काम करने वाला है घर के बाहर ले जाओ एक बार ताकी आपको अंदर ना आना पड़े।
कमलजीत- ठीक है जैसे तुम्हें ठीक लगे।
रूबी का प्लान कामयाब हो जाता है, और रामू को मेसेज कर देती है। रामू के आने पे कमलजीत अपना काम, सब्ज़ी काटने का, और स्वेटर बुनने का लेकर मुख्य घर के बाहर गैरेज के साथ बैठ जाती है। अब रूबी और रामू अकेले थे घर के अंदर। कमलजीत के बाहर बैठने की तसल्ली करने के बाद रामू सीधा रूबी के कमरे में घुस जाता है और सीधे उसे अपनी बाहों में ले लेता है। रूबी अपना सिर रामू की बलिष्ठ छाती से चिपका लेती है
और रामू उसके सिर को सहलाने लगता है।
रूबी- नहीं रामू, ऐसा नहीं हो सकता।
राम- रूबी जी मैंने तो इसके लिए तैयारी भी कर ली थी।
रूबी- तैयारी?
रामू- हाँ। मैंने सोचा कल हमें टाइम नहीं मिलेगा तो मुझे लगा की मालिक को किसी काम में मशरूफ कर दूंगा।
रूबी- कौन सा काम?
रामू- वो कल पता चलेगा आप बस देखते जाओ।
रूबी सोचती है की रामू ने पता नहीं क्या प्लान बनाया होगा उसके ससुर को बिजी करने के लिए?
रामू- तो बताओ ना रूबी जी। कल मुझे दूध पीने दोगे?
रूबी- नहीं हो सकता रामू ऐसे।
राम- रूबी जी हमारे पास सिर्फ दो ही दिन हैं। फिर इसके बाद पता नहीं कब टाइम मिलेगा।
रूबी को भी ध्यान में आता है की उसके पास तो सिर्फ दो ही दिन हैं राम के साथ के लिए। उसके बाद तो सीमा आ जाएगी और फिर पता नहीं कभी मिल भी पाएंगे या नहीं? रूबी उसे सीधा हाँ नहीं बोलती पर बातों में ही अपनी सहमति दे देती है।
रूबी- पता नहीं रामू, मम्मीजी घर पे होंगी।
राम- रूबी जी आपको मालेकिन को बिजी करना होगा।
रूबी- मैं क्या करूं?
रामू- कुछ तो सोचिए। आपके पास रात का टाइम है।
रूबी- मुझसे नहीं होगा राम्। मैं क्या करूं इसमें?
रामू- आपको मेरी कसम। आपको कुछ तो करना होगा।
रूबी- ठीक है देखती हूँ।
रामू- तो इसका मतलब मुझे आम चूसने दोगी?
रूबी- “पागल... मैंने ऐसा नहीं बोला..." और हँस पड़ती है।
दोनों कछ दर और बातें करते हैं, और फिर राम सो जाता है। पर रूबी कल के लिए प्लान बनाने लगती है। सोचते-सोचते उसे भी नींद आ जाती है।
अगले दिन सुबह हरदयाल ट्रैक्टर स्टार्ट करता है तो ट्रैक्टर स्टार्ट नहीं होता। उसे लगता है की इसे शहर लेकर जाना पड़ेगा ठीक करवाने के लिए। वो खाना खाता है और शहर जाने के लिए तैयार हो जाता है। वो गाँव से किसी से हेल्प माँगता है और अपने ट्रैक्टर को टो करके शहर के लिए रवाना हो जाता है।
सुबह के 9:00 बजे का टाइम था। रूबी को समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या करे। रामू ने तो अपना काम कर दिया था। उसका काम अधूरा था अभी। एक घंटे तक राम् आ जाएगा फिर कछ नहीं हो सकता। उसके आने से पहले ही कमलजीत को कहीं पे बिजी करना होगा। तभी उसे याद आता है की मम्मीजी को काकरोच किल्लर स्प्रे से अलर्जी है। तो उसके दिमाग में प्लान आता है की वो मम्मीजी को बोलेगी की घर में काकरोच काफी हो गये हैं तो उसने आज राम के साथ मिलकर स्प्रे करनी है।
रूबी- मम्मीजी।
कमलजीत- बोलो बहू।
रूबी- मैं सोच रही थी की काकरोच किल्लर स्प्रे करवा दं घर में। काफी काकरोच हो गये हैं। मैंने नोट किया हा।
कमलजीत- अरे तुम्हें पता है ना मुझे अलर्जी है उससे।
रूबी- मम्मीजी इसलिए मैं बोल रही थी की मैं राम के साथ मिलकर स्प्रे कर दूंगी और बाकी सफाई भी कर दूंगी, तो दोपहर तक स्प्रे की स्मेल खतम हो जाएगी। इसलिए आप अपना जो काम करने वाला है घर के बाहर ले जाओ एक बार ताकी आपको अंदर ना आना पड़े।
कमलजीत- ठीक है जैसे तुम्हें ठीक लगे।
रूबी का प्लान कामयाब हो जाता है, और रामू को मेसेज कर देती है। रामू के आने पे कमलजीत अपना काम, सब्ज़ी काटने का, और स्वेटर बुनने का लेकर मुख्य घर के बाहर गैरेज के साथ बैठ जाती है। अब रूबी और रामू अकेले थे घर के अंदर। कमलजीत के बाहर बैठने की तसल्ली करने के बाद रामू सीधा रूबी के कमरे में घुस जाता है और सीधे उसे अपनी बाहों में ले लेता है। रूबी अपना सिर रामू की बलिष्ठ छाती से चिपका लेती है
और रामू उसके सिर को सहलाने लगता है।