hotaks444
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गतान्क से आगे...
देविका शर्मा गयी & उसने किस तोड़ अपना चेहरा फिर से दीवार से लगा
लिया.इंदर फिर उसकी पीठ को चूमने लगा.वो जल्द से जल्द उस हुस्न की
मल्लिका को उसके पूरे शबाब मे देखना चाहता था.उसके हाथो ने उसके ब्लाउस
के हुक्स & फिर ब्रा के हुक्स को भी खोल दिया & बेचैनी से उसकी नंगी पीठ
पे फिरने लगे.देविका की चूत उसकी हर्कतो से पागल हो अब और अपनी छ्चोड़
रही थी.इंदर ने अपने हाथो को उसके बदन पे चलते हुए ब्लाउस & ब्रा को उसके
कंधो से नीचे सरकया मगर देविका की बाहे कोहनी से मूडी होने कारण दोनो
कपड़े उसके बदन से अलग नही हुए.इंदर ने देविका के कंधे पकड़ बड़े प्यार
से उसे अपनी ओर घुमाया तो हया की मारी देविका ने अपनी आँखे बंद कर ली.
इंदर ने उसके हाथ पकड़ बाहे नीची की & ब्लाउस & ब्रा को फर्श पे गिरने
दिया.अब देविका के जिस्म पे बस 1 छ्होटी सी,काले रंग की पॅंटी थी जो उसकी
चूत से निकले रस के कारण गीली हो उस से चिपक गयी थी.इंदर ने 1 बार सर से
पाँव तक देविका के हुस्न को निहारा.उपरवाला उसपे मेहेरबन था,उसका बदला भी
पूरा होनेवाला था & साथ मे ये मस्त औरत भी उसकी बाहो मे उस से चूड़ने
वाली थी.इनडर ने अपनी बाई बाँह देविका के कंधो के गिर्द डाली & दाए हाथ
मे उसका बाया हाथ पकड़ा & बिस्तर की ओर बढ़ चला.
दोनो 1 दूसरे से सटे बिस्तर पे बैठ गये.देविका को ना जाने कब से इस पल का
इंतेज़ार था मगर इस वक़्त उसे इतनी शर्म आ रही थी की पुछो मत.इंदर ने उसे
तोड़ा चूमा & फिर उठके अपनी शर्ट निकाल दी.देविका ने उसके बालो भरे चौड़े
सीने को देखा & बेचैनी से अपनी गोरी,कसी जंघे आपस मे रगडी,इंदर दोबारा
उसके बाए तरफ बैठा ,अपनी बाई बाँह उसके बदन के गिर्द डाली,दाई को उसकी
कमर मे डाला & उसके गुलाबी होंठ चूमते हुए उसे बिस्तर पे लिटा दिया.अब
दोनो के पैर बिस्तर से नीचे लटके थे & उपरी जिस्म बिस्तर पे लेटे थे.
इंदर का दाया हाथ उसके सीने पे आया & उसके उभारो को सहलाने लगा.इतनी बड़ी
& इतनी कसी,ऐसी मस्तानी चूचिया उसने अपनी ज़िंदगी मे पहली बार देखी
थी.उसके हाथ बहुत हल्के-2 गोलाई मे उसकी चूचियो पे घूम रहे थे.देविका
काजिस्म इंदर के च्छुने से रोमांच से भर उठा था.उसकी आँखे मज़े मे बंद हो
गयी थी.इंदर झुका & उन मस्त गोलाईयो को अपने मुँह मे भरने लगा.देविका की
साँसे अटकने लगी.इंदर की ज़ुबान उसकी चुचियो को कभी मुँह मे भरती, कभी
चुस्ती कभी बस निपल को छेड़ती.
इंदर काफ़ी देर तक उसके सीने के उभारो से खेलता रहा.देविका की चूत मे
उठती कसक बहुत बढ़ गयी थी.इंदर ने उसकी बाई चुचि को मुँह मे भर अपना मुँह
उपर उठाते हुए ऐसे खींचा की देविका के होश उड़ गये & उसकी चूत ने पानी
छ्चोड़ दिया.देविका के मुँह से लंबी सी आह निकली & वो झाड़ गयी.इंदर ने
उसकी चूचियो को अपने होंठो के निशानो से ढँक दिया था.वो दोबारा देविका के
पेट को चूम रहा था मगर इस बार मंज़िल देविका की नाभि नही उसके नीचे थी.वो
उसके पेट को चूमते हुए उसकी कसी पॅंटी के उपर कमर के बगल मे उसके गुदाज़
हिस्से को दबा रहा था.
देविका समझ गयी की अब उसके जिस्म से उसका आख़िरी कपड़ा भी उतरने वाला
है.ठीक उसी वक़्त इंदर ने अपना हाथ पॅंटी के वेयैस्टबंड मे फँसाया & उसे
खींचा.देविका को ना जाने क्यू बहुत शर्म आई & उसने इंदर का हाथ पकड़ना
चाहा मगर इंदर उसके नाभि के नीचे चूमते हुए उसकी पॅंटी को नीचे सरकाता
रहा.
जैसे ही पॅंटी निकली देविका ने शर्म से करवट ले बिस्तर मे अपना मुँह
च्छूपा लिया मगर ऐसा करने से उसकी भरी हुई गंद इंदर के सामने चमक उठी.अभी
तक बिजली नही आई थी बस कमरे के बाल्कनी के खुले दरवाज़े से पूरे चाँद की
दूधिया रोशनी आ रही थी जिसमे नहाके देविका का नशीला जिस्म & भी पुर्कशिश
हो गया था.
इंदर ने देखा की ये तो वही कमरा है जहा सुरेन सहाय ने कॉल गर्ल को चोदा
था जब उसने उनकी दवा बदली थी.उसे अपने बदले की याद आई & ये याद आते ही
उसे सामने नंगी पड़ी देविका का जिस्म 1 खिलोने से ज़्यादा कुच्छ नही
लगा.वो खिलोना जिस से जी भर के खेलने के बाद उसे तोड़ के फेंक देना था.
इस खिलोने से वो जैसे मर्ज़ी जितना मर्ज़ी खेलेगा....उसने अपनी पॅंट की
ज़िप खोली....इस खिलोने के साथ कोई रहम नही करेगा वो....पॅंट नीचे सरकने
के बाद वो अपना अंडरवेर उतार रहा था.जब देविका ने देखा की इन्दर उसके बदन
को नही च्छू रहा है तो उसने वैसे ही पड़े-2 अपनी गर्दन घुमा के पीछे देखा
& जो देखा उसे देखते ही उसे शर्म भी आई मगर उसके साथ ढेर सारी खुशी भी.
इंदर अब पूरा नंगा था & उसका लंड तना हुआ देविका की निगाहो के सामने
था.देविका ने पाया की इंदर का लंड शिवा जितना लंबा तो नही था मगर उस से
बहुत ज़्यादा छ्होटा भी नही था.इंदर की आँखो मे जो बदले का जुनून था उसे
देविका ने अपने जिस्म की चाह समझा & शर्मा के फिर अपना चेहरा बिस्तर मे
च्छूपा लिया.इंदर उसके करीब पहुँचा & उसकी टाँगो को उठा के बिस्तर पे
किया & फिर उसके बगल मे बैठ के उसकी गंद को मसलने लगा.देविका की आहे फिर
से कमरे मे गूंजने लगी.इंदर ने गंद की मोटी फांको को फैलाया & झुक के
अपनी जीभ देविका की गीली चूत से सटा दी.इंदर देविका के बाए तरफ घुटनो पे
बैठा था.उसकी पीठ देविका के सर की तरफ थी & वो झुक के उसकी गंद को चाट
रहा था.देविका का सर बिस्तर से उठ गया था & वो इंदर की ज़ुबान की बेशर्म
हर्कतो से जड़े जा रही थी.
"आहह....आआनंह...बस..इंदर...ऊहह..प्लीज़.....रुक..जा...ऊओ...ऊओ...!",इंदर
उसकी मिन्नतो के बावजूद उसकी चूत चाते चला जा रहा था.बीच-2 मे उसकी
उंगलिया भी उसकी चूत की गहराइयाँ नाप लेती.देविका को होश नही था की वो
कितनी बार झड़ी.इंदर का लंड अब ठुमके लगाने लगा था,उसके आंडो मे भी मीठा
दर्द शुरू हो गया था.वो घुमा & देविका की दाई टांग को उपर कर घुटनो से
मोड़ दिया & पीछे से अपना लंड उसकी चूत मे घुसा
दिया,"..हाइईईईईई....!",इंदर को देविका के दर्द की कोई परवाह नही थी.उसने
1 झटके मे ही लंड को अंदर पेल दिया था.चूत गीली होने के बावजूद देविका को
थोड़ा दर्द महसूस हुआ.
इंदर उसकी पीठ पे लेट गया तो देविका ने अपना सर उठा के दाई तरफ घुमाया
उसके दाए कंधे के उपर से झुकते हुए इंदर उसे चूमने लगा.वो किसी प्रेमी की
तरह नही चूम रहा था बल्कि किसी वहशी की तरह चूम रहा था.देविका को लगा की
इंदर बहुत जोश मे है इसलिए ऐसे कर रहा है.उसके धक्के भी बड़े गहरे & तेज़
थे.देविका को उसका ये अंदाज़ भा रहा था..बेचारी!अगर जानती की इंदर के
वहशिपान की वजह उसके जिस्म का नशा नही बल्कि उस से इन्तेक़ाम का जुनून था
तो पता नही उस पे क्या बीतती.
इंदर के हाथ देविका की बगलो से घुस उसकी मोटी चूचियो को मसल रहे
थे.देविका को बहुत मज़ा आ रहा था.कभी-कभार शिवा की चुदाई ऐसी होती थी मगर
उसमे भी वो पागलपन भरा जोश नही रहता था.इंदर तो ऐसे चुदाई कर रहा था जैसे
सब भूल गया हो,अब वो अपने होंठ उसके होंठो से अलग कर उसकी पीठ पे दन्तो
से काट रहा था,देविका के बदन मे तो जैसे मस्ती के पटाखे फुट रहे थे!.उसकी
पीठ से चिप्टा उसकी चूचिया मसल्ते हुए इंदर तब तक उसे चोद्ता रहा जब तक
वो झाड़ नही गयी.उसके झाड़ते ही वो उसकी पीठ से उपर उठा & फिर उसकी कमर
पकड़ हवा मे उठा ली.उसका लंड अभी भी चूत मे धंसा था.देविका का अस्र
बिस्तर से लगा हुआ था.उसने गर्दन बाई ओर घुमाई & इंदर को देखा.उसकी नशीली
आँखो ने इंदर के जिस्म का जोश दुगुना कर दिया & साथ ही उसके बदले का
जुनून भी उसके और सर चढ़ गया.
देविका शर्मा गयी & उसने किस तोड़ अपना चेहरा फिर से दीवार से लगा
लिया.इंदर फिर उसकी पीठ को चूमने लगा.वो जल्द से जल्द उस हुस्न की
मल्लिका को उसके पूरे शबाब मे देखना चाहता था.उसके हाथो ने उसके ब्लाउस
के हुक्स & फिर ब्रा के हुक्स को भी खोल दिया & बेचैनी से उसकी नंगी पीठ
पे फिरने लगे.देविका की चूत उसकी हर्कतो से पागल हो अब और अपनी छ्चोड़
रही थी.इंदर ने अपने हाथो को उसके बदन पे चलते हुए ब्लाउस & ब्रा को उसके
कंधो से नीचे सरकया मगर देविका की बाहे कोहनी से मूडी होने कारण दोनो
कपड़े उसके बदन से अलग नही हुए.इंदर ने देविका के कंधे पकड़ बड़े प्यार
से उसे अपनी ओर घुमाया तो हया की मारी देविका ने अपनी आँखे बंद कर ली.
इंदर ने उसके हाथ पकड़ बाहे नीची की & ब्लाउस & ब्रा को फर्श पे गिरने
दिया.अब देविका के जिस्म पे बस 1 छ्होटी सी,काले रंग की पॅंटी थी जो उसकी
चूत से निकले रस के कारण गीली हो उस से चिपक गयी थी.इंदर ने 1 बार सर से
पाँव तक देविका के हुस्न को निहारा.उपरवाला उसपे मेहेरबन था,उसका बदला भी
पूरा होनेवाला था & साथ मे ये मस्त औरत भी उसकी बाहो मे उस से चूड़ने
वाली थी.इनडर ने अपनी बाई बाँह देविका के कंधो के गिर्द डाली & दाए हाथ
मे उसका बाया हाथ पकड़ा & बिस्तर की ओर बढ़ चला.
दोनो 1 दूसरे से सटे बिस्तर पे बैठ गये.देविका को ना जाने कब से इस पल का
इंतेज़ार था मगर इस वक़्त उसे इतनी शर्म आ रही थी की पुछो मत.इंदर ने उसे
तोड़ा चूमा & फिर उठके अपनी शर्ट निकाल दी.देविका ने उसके बालो भरे चौड़े
सीने को देखा & बेचैनी से अपनी गोरी,कसी जंघे आपस मे रगडी,इंदर दोबारा
उसके बाए तरफ बैठा ,अपनी बाई बाँह उसके बदन के गिर्द डाली,दाई को उसकी
कमर मे डाला & उसके गुलाबी होंठ चूमते हुए उसे बिस्तर पे लिटा दिया.अब
दोनो के पैर बिस्तर से नीचे लटके थे & उपरी जिस्म बिस्तर पे लेटे थे.
इंदर का दाया हाथ उसके सीने पे आया & उसके उभारो को सहलाने लगा.इतनी बड़ी
& इतनी कसी,ऐसी मस्तानी चूचिया उसने अपनी ज़िंदगी मे पहली बार देखी
थी.उसके हाथ बहुत हल्के-2 गोलाई मे उसकी चूचियो पे घूम रहे थे.देविका
काजिस्म इंदर के च्छुने से रोमांच से भर उठा था.उसकी आँखे मज़े मे बंद हो
गयी थी.इंदर झुका & उन मस्त गोलाईयो को अपने मुँह मे भरने लगा.देविका की
साँसे अटकने लगी.इंदर की ज़ुबान उसकी चुचियो को कभी मुँह मे भरती, कभी
चुस्ती कभी बस निपल को छेड़ती.
इंदर काफ़ी देर तक उसके सीने के उभारो से खेलता रहा.देविका की चूत मे
उठती कसक बहुत बढ़ गयी थी.इंदर ने उसकी बाई चुचि को मुँह मे भर अपना मुँह
उपर उठाते हुए ऐसे खींचा की देविका के होश उड़ गये & उसकी चूत ने पानी
छ्चोड़ दिया.देविका के मुँह से लंबी सी आह निकली & वो झाड़ गयी.इंदर ने
उसकी चूचियो को अपने होंठो के निशानो से ढँक दिया था.वो दोबारा देविका के
पेट को चूम रहा था मगर इस बार मंज़िल देविका की नाभि नही उसके नीचे थी.वो
उसके पेट को चूमते हुए उसकी कसी पॅंटी के उपर कमर के बगल मे उसके गुदाज़
हिस्से को दबा रहा था.
देविका समझ गयी की अब उसके जिस्म से उसका आख़िरी कपड़ा भी उतरने वाला
है.ठीक उसी वक़्त इंदर ने अपना हाथ पॅंटी के वेयैस्टबंड मे फँसाया & उसे
खींचा.देविका को ना जाने क्यू बहुत शर्म आई & उसने इंदर का हाथ पकड़ना
चाहा मगर इंदर उसके नाभि के नीचे चूमते हुए उसकी पॅंटी को नीचे सरकाता
रहा.
जैसे ही पॅंटी निकली देविका ने शर्म से करवट ले बिस्तर मे अपना मुँह
च्छूपा लिया मगर ऐसा करने से उसकी भरी हुई गंद इंदर के सामने चमक उठी.अभी
तक बिजली नही आई थी बस कमरे के बाल्कनी के खुले दरवाज़े से पूरे चाँद की
दूधिया रोशनी आ रही थी जिसमे नहाके देविका का नशीला जिस्म & भी पुर्कशिश
हो गया था.
इंदर ने देखा की ये तो वही कमरा है जहा सुरेन सहाय ने कॉल गर्ल को चोदा
था जब उसने उनकी दवा बदली थी.उसे अपने बदले की याद आई & ये याद आते ही
उसे सामने नंगी पड़ी देविका का जिस्म 1 खिलोने से ज़्यादा कुच्छ नही
लगा.वो खिलोना जिस से जी भर के खेलने के बाद उसे तोड़ के फेंक देना था.
इस खिलोने से वो जैसे मर्ज़ी जितना मर्ज़ी खेलेगा....उसने अपनी पॅंट की
ज़िप खोली....इस खिलोने के साथ कोई रहम नही करेगा वो....पॅंट नीचे सरकने
के बाद वो अपना अंडरवेर उतार रहा था.जब देविका ने देखा की इन्दर उसके बदन
को नही च्छू रहा है तो उसने वैसे ही पड़े-2 अपनी गर्दन घुमा के पीछे देखा
& जो देखा उसे देखते ही उसे शर्म भी आई मगर उसके साथ ढेर सारी खुशी भी.
इंदर अब पूरा नंगा था & उसका लंड तना हुआ देविका की निगाहो के सामने
था.देविका ने पाया की इंदर का लंड शिवा जितना लंबा तो नही था मगर उस से
बहुत ज़्यादा छ्होटा भी नही था.इंदर की आँखो मे जो बदले का जुनून था उसे
देविका ने अपने जिस्म की चाह समझा & शर्मा के फिर अपना चेहरा बिस्तर मे
च्छूपा लिया.इंदर उसके करीब पहुँचा & उसकी टाँगो को उठा के बिस्तर पे
किया & फिर उसके बगल मे बैठ के उसकी गंद को मसलने लगा.देविका की आहे फिर
से कमरे मे गूंजने लगी.इंदर ने गंद की मोटी फांको को फैलाया & झुक के
अपनी जीभ देविका की गीली चूत से सटा दी.इंदर देविका के बाए तरफ घुटनो पे
बैठा था.उसकी पीठ देविका के सर की तरफ थी & वो झुक के उसकी गंद को चाट
रहा था.देविका का सर बिस्तर से उठ गया था & वो इंदर की ज़ुबान की बेशर्म
हर्कतो से जड़े जा रही थी.
"आहह....आआनंह...बस..इंदर...ऊहह..प्लीज़.....रुक..जा...ऊओ...ऊओ...!",इंदर
उसकी मिन्नतो के बावजूद उसकी चूत चाते चला जा रहा था.बीच-2 मे उसकी
उंगलिया भी उसकी चूत की गहराइयाँ नाप लेती.देविका को होश नही था की वो
कितनी बार झड़ी.इंदर का लंड अब ठुमके लगाने लगा था,उसके आंडो मे भी मीठा
दर्द शुरू हो गया था.वो घुमा & देविका की दाई टांग को उपर कर घुटनो से
मोड़ दिया & पीछे से अपना लंड उसकी चूत मे घुसा
दिया,"..हाइईईईईई....!",इंदर को देविका के दर्द की कोई परवाह नही थी.उसने
1 झटके मे ही लंड को अंदर पेल दिया था.चूत गीली होने के बावजूद देविका को
थोड़ा दर्द महसूस हुआ.
इंदर उसकी पीठ पे लेट गया तो देविका ने अपना सर उठा के दाई तरफ घुमाया
उसके दाए कंधे के उपर से झुकते हुए इंदर उसे चूमने लगा.वो किसी प्रेमी की
तरह नही चूम रहा था बल्कि किसी वहशी की तरह चूम रहा था.देविका को लगा की
इंदर बहुत जोश मे है इसलिए ऐसे कर रहा है.उसके धक्के भी बड़े गहरे & तेज़
थे.देविका को उसका ये अंदाज़ भा रहा था..बेचारी!अगर जानती की इंदर के
वहशिपान की वजह उसके जिस्म का नशा नही बल्कि उस से इन्तेक़ाम का जुनून था
तो पता नही उस पे क्या बीतती.
इंदर के हाथ देविका की बगलो से घुस उसकी मोटी चूचियो को मसल रहे
थे.देविका को बहुत मज़ा आ रहा था.कभी-कभार शिवा की चुदाई ऐसी होती थी मगर
उसमे भी वो पागलपन भरा जोश नही रहता था.इंदर तो ऐसे चुदाई कर रहा था जैसे
सब भूल गया हो,अब वो अपने होंठ उसके होंठो से अलग कर उसकी पीठ पे दन्तो
से काट रहा था,देविका के बदन मे तो जैसे मस्ती के पटाखे फुट रहे थे!.उसकी
पीठ से चिप्टा उसकी चूचिया मसल्ते हुए इंदर तब तक उसे चोद्ता रहा जब तक
वो झाड़ नही गयी.उसके झाड़ते ही वो उसकी पीठ से उपर उठा & फिर उसकी कमर
पकड़ हवा मे उठा ली.उसका लंड अभी भी चूत मे धंसा था.देविका का अस्र
बिस्तर से लगा हुआ था.उसने गर्दन बाई ओर घुमाई & इंदर को देखा.उसकी नशीली
आँखो ने इंदर के जिस्म का जोश दुगुना कर दिया & साथ ही उसके बदले का
जुनून भी उसके और सर चढ़ गया.