hotaks444
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"इस से तो ये साबित होता है की दोनो मे पॅक्का कुच्छ चक्कर था.",कामिनी
को 1 पल लगा ये समझने मे की देविका & शिवा की बात कर रहे थे उसके गुरु.
"वो कैसे?"
"वो ऐसे..",उन्होने 1 धक्के मे लंड को थोडा और अंदर ठेला,"..की अगर कोई
चक्कर नही होता तो देविका शिवा को पोलीस के हवाले कर देती.अभी उसे डर है
की कही शिवा बचने के लिए ये राज़ ना खोल दे इसलिए उसने ऐसा नही
किया.",कामिनी 1 बार फिर उसी मीठे दर्द का एहसास कर रही थी.पूरा बदन ऐंठ
रहा था & उसे बस अब झड़ने का इंतेज़ार था,"..लेकिन तुम्हारी बात सही है
की अब और सावधानी की ज़रूरत है.शिवा अब ज़्यादा ख़तरनाक है."
"जैसा की तुमने सोचा है..",कामिनी ने महसूस किया की चंद्रा साहब के धक्को
की शिद्दत भी अब गहरी हो चली थी & उनकी किस मे भी अब दीवानगी बढ़ी नज़र आ
रही थी.अपने गुरु की मदहोशी समझते ही कामिनी का जिस्म भी और भड़क उठा &
बेचैनी मे उसकी कमर अपनेआप हिलने लगी.
"..शिवा अब सबकी नज़रो से ओझल है & वो इस ज़िल्लत का बदला ज़रूर लेने की
कोशिश करेगा.",कामिनी की आहे तेज़ होती देख चंद्रा साहब ने अपनी बात पूरी
की & उसके होंठो को अपने होंठो से सील दिया.कामिनी अब मस्ती मे मचलते हुए
बदन हिला रही थी.चंद्रा साहब की उंगली उसके दाने को रगड़ उसके बदन मे
मस्ती की बिजलिया छ्चोड़े जा रही थी.चंद्रा साहब को भी अपने आंडो मे उबल
रहा लावा उनके लंड से बाहर निकलने को मचलता महसूस हुआ & उन्होने उसके उपर
लगाई रोक हटा दी.
उनके & सोफे के बीच दबा कामिनी का बदन झटके खा रहा था,अगर चंद्रा साहब के
होंठ उसके होंठो पे ना होते तो उसकी आहे उस कमरे मे क्या पूरे बंगल मे
गूँज रही होती.वो झाड़ रही थी & जानती थी की बगल के कमरे मे टीवी देख रही
मिसेज़.चंद्रा के उन्हे पकड़ने का ख़तरा अभी भी बरकरार है.इस बात ने
हुमेशा की तरह उसके मज़े को और बढ़ा दिया & वो पागलो की तरह छट-पटाती हुई
झड़ने लगी.उसने महसूस किया की उसके होंठो को खामोश किए उस से चिपके उसके
गुरु भी झाड़ रहे हैं.उनका बदन झटके खा रहा है & उसकी गंद मे उनका विर्य
भरता चला जा रहा है.
"शिवा से सावधान रहने के अलावा मुझे लगता है की सहाय परिवार को किसी और
से भी ख़तरा है मगर तुम्हारी ही तरह मुझे भी उसके बारे मे कुच्छ समझ नही
आ रहा.",चंद्रा साहब ने अपनी पॅंट की ज़िप चढ़ाई.
"तो क्या करना चाहिए?",कामिनी अपने ब्लाउस के बटन लगा रही थी.
"बस वीरेन & देविका को आगाह कर दो.आगे वो खुद समझदार हैं फिर उनके वकील
होने की हैसियत से तुम उन्हे केवल सलाह दे सकती हो क्यूकी इस बात की फीस
मिलती है तुम्हे मगर उन्हे वो सलाह मानने के लिए मजबूर नही कर
सकती.",चंद्रा साहब ने उसे बाहो मे भरा तो दोनो 1 दूसरे को किस करने लगे.
"ठीक है.जैसा आप कहें.",दोनो 1 दूसरे से अलग हुए & हॉल मे टीवी देख रही
मिसेज़.चंद्रा के साथ आके बैठ गये.
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क्रमशः.........
को 1 पल लगा ये समझने मे की देविका & शिवा की बात कर रहे थे उसके गुरु.
"वो कैसे?"
"वो ऐसे..",उन्होने 1 धक्के मे लंड को थोडा और अंदर ठेला,"..की अगर कोई
चक्कर नही होता तो देविका शिवा को पोलीस के हवाले कर देती.अभी उसे डर है
की कही शिवा बचने के लिए ये राज़ ना खोल दे इसलिए उसने ऐसा नही
किया.",कामिनी 1 बार फिर उसी मीठे दर्द का एहसास कर रही थी.पूरा बदन ऐंठ
रहा था & उसे बस अब झड़ने का इंतेज़ार था,"..लेकिन तुम्हारी बात सही है
की अब और सावधानी की ज़रूरत है.शिवा अब ज़्यादा ख़तरनाक है."
"जैसा की तुमने सोचा है..",कामिनी ने महसूस किया की चंद्रा साहब के धक्को
की शिद्दत भी अब गहरी हो चली थी & उनकी किस मे भी अब दीवानगी बढ़ी नज़र आ
रही थी.अपने गुरु की मदहोशी समझते ही कामिनी का जिस्म भी और भड़क उठा &
बेचैनी मे उसकी कमर अपनेआप हिलने लगी.
"..शिवा अब सबकी नज़रो से ओझल है & वो इस ज़िल्लत का बदला ज़रूर लेने की
कोशिश करेगा.",कामिनी की आहे तेज़ होती देख चंद्रा साहब ने अपनी बात पूरी
की & उसके होंठो को अपने होंठो से सील दिया.कामिनी अब मस्ती मे मचलते हुए
बदन हिला रही थी.चंद्रा साहब की उंगली उसके दाने को रगड़ उसके बदन मे
मस्ती की बिजलिया छ्चोड़े जा रही थी.चंद्रा साहब को भी अपने आंडो मे उबल
रहा लावा उनके लंड से बाहर निकलने को मचलता महसूस हुआ & उन्होने उसके उपर
लगाई रोक हटा दी.
उनके & सोफे के बीच दबा कामिनी का बदन झटके खा रहा था,अगर चंद्रा साहब के
होंठ उसके होंठो पे ना होते तो उसकी आहे उस कमरे मे क्या पूरे बंगल मे
गूँज रही होती.वो झाड़ रही थी & जानती थी की बगल के कमरे मे टीवी देख रही
मिसेज़.चंद्रा के उन्हे पकड़ने का ख़तरा अभी भी बरकरार है.इस बात ने
हुमेशा की तरह उसके मज़े को और बढ़ा दिया & वो पागलो की तरह छट-पटाती हुई
झड़ने लगी.उसने महसूस किया की उसके होंठो को खामोश किए उस से चिपके उसके
गुरु भी झाड़ रहे हैं.उनका बदन झटके खा रहा है & उसकी गंद मे उनका विर्य
भरता चला जा रहा है.
"शिवा से सावधान रहने के अलावा मुझे लगता है की सहाय परिवार को किसी और
से भी ख़तरा है मगर तुम्हारी ही तरह मुझे भी उसके बारे मे कुच्छ समझ नही
आ रहा.",चंद्रा साहब ने अपनी पॅंट की ज़िप चढ़ाई.
"तो क्या करना चाहिए?",कामिनी अपने ब्लाउस के बटन लगा रही थी.
"बस वीरेन & देविका को आगाह कर दो.आगे वो खुद समझदार हैं फिर उनके वकील
होने की हैसियत से तुम उन्हे केवल सलाह दे सकती हो क्यूकी इस बात की फीस
मिलती है तुम्हे मगर उन्हे वो सलाह मानने के लिए मजबूर नही कर
सकती.",चंद्रा साहब ने उसे बाहो मे भरा तो दोनो 1 दूसरे को किस करने लगे.
"ठीक है.जैसा आप कहें.",दोनो 1 दूसरे से अलग हुए & हॉल मे टीवी देख रही
मिसेज़.चंद्रा के साथ आके बैठ गये.
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क्रमशः.........