hotaks444
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गतान्क से आगे..
क्षोटन चौबे की हर्कतो से भले ही लोगो को ये गुमान हो की वो 1 ढीला-ढाला
शख्स था मगर कोई भी उसे काम करते देख लेता तो फ़ौरन समझ लेता की वो 1 पेन
दिमाग़ का मालिक था.सहाय एस्टेट मे भी जब उसने कदम रखे & प्रसून की
गुमशुदगी की गुत्थी सुलझानी शुरू की & इस बाबत खोजी दल चारो ओर भेजे उस
वक़्त भी वो एस्टेट के गार्ड्स & अपने आदमियो के ज़रिए एस्टेट की हदे सील
करना नही भुला था.
जब प्रसून की लाश बरामद हुई तो उसने फ़ौरन पंचमहल से डॉग स्क्वाड बुलवाया
& उन्हे काम पे लगा दिया.कोई 2 घंटे तक उसने प्रसून की लाश को मिलने की
जगह से नही हटाया & कुत्तो को उसकी गंध सूँघा के च्छुड़वा दिया.जब कुत्ते
एस्टेट मे चारो ओर फैल गये तभी उसने उसकी लाश पोस्ट-मॉर्टेम के लिए भेजी.
शाम को कोई 5 बजे चौबे की मेहनत रंग लाई.छ्होटी नाम की 1 कुतिया मॅनेजर'स
कॉटेज के पास पहुँच के भौंक रही थी.उसके हॅंड्लर ने फ़ौरन चौबे को इस बात
की खबर दी.चौबे वाहा पहुँचा तो उसने देखा की कॉटेज के दरवाज़े पे ताला तो
काफ़ी पुराना लगा हुआ है मगर कॉटेज के सामने ऐसा लगता था जैसे किसी ने
झाड़ू मारा हो.
चौबे सोच मे पड़ गया.उसने अपने 1 आदमी को बाइक स्टार्ट करने कहा & उसके
पीछे बैठ गया,"अब यहा से ज़रा टीलवा तक चलो तो मगर रास्ते के
किनारे-2.",चौबे की पैनी निगाहे सारे रास्ते का बारीकी से मुआयना कर रही
थी.वो टीले तक जाकर वापस आ गया & फिर इंदर को तलब किया.
"आइए मॅनेजर साहब..",इंदर के चेहरे के सवालिया भाव देख चौबे ने आगे
बोला,"..ई झोपडिया किसका है?"
"जी,है तो ये मॅनेजर'स कॉटेज मगर मैं यहा नही रहता तो ये तो काफ़ी दीनो
से बंद पड़ी है."
"हूँ..",चौबे ने 1 हाथ पीछे किया तो 1 हवलदार ने 1 पेपर कप उसे
थमाया,उसने पान की पीक उसमे थुकि.कॉटेज शक़ के घेरे मे थी & वाहा थूक
चौबे क्राइम सीन को गंदा नही करना चाहता था,"..ऐसा काहे भाई?इतना बढ़िया
कॉटेज मे काहे नही रहते हैं आप?"
"अकेला आदमी हू,जनाब.अब इतने बड़े कॉटेज मे अकेले क्या करूँगा इसीलिए मैं
तो उधर बने क्वॉर्टर्स मे से 1 मे ही रहता हू.मेरे लिए वही काफ़ी है."
"बहुत समझदार आदमी लगते हैं आप,इंदर बाबू."
"शुक्रिया.और कुच्छ पुच्छना है?"
"नही,आप जाइए.यहा की चाभी भिजवा दीजिए बस.",उसके जाते ही चौबे मुड़ा &
अपने नीचे काम कर रहे ऑफीसर को बुलाया,"हसन..",ये वही अफ़सर था जिसकी
बाइक पे चौबे थोड़ी देर पहले टीले तक का चक्कर लगा के आया था.
"जी,जनाब."
"कुच्छ गौर किए रास्ते पे?"
"ऐसा कुच्छ खास तो नही.,सर.",हसन अपना सर खुजा रहा था.
"धात!अरे 1 जीप का टाइयर का निशान भी है मगर ऊ हम लोग के गाड़ी सब के
निशान मे दब गया है.यहा झाड़ू लगा हुआ है मतलब कोई नही चाहता है की हम
लोग जाने की यहा कोई आया था."
"तो सर,उस टाइयर के निशान से गाड़ी का पता लगाते हैं.",हसन ने जोश मे कहा.
"हम पता लगा लिए हैं,हसन साहब."
"कैसे सर?"
"तुम भी यार..",चौबे तेज़ी से पान चबा रहा था,"..अरे एस्टेट मे 1 ही
मॉडेल का जीप सब लोग इस्तेमाल कर रहा है उसी का निशान है.खूनी चालक आदमी
है भाई.घर से लड़का को उठाके उसी के गाड़ी मे ले जाके उसी के एस्टेट के
अहाता के दूसरा घर मे या तो बंद करता है या मारता है & फिर लाश भी एस्टेट
के अंदर फेंक देता है.अब खोजते रहो तुम की कौन मारा!"
तब तक इंदर चाभी लेके आ गया था.कॉटेज खुलते ही छ्होटी अंदर घुसी & भूंकने
लगी,उसका हॅंड्लर चौबे से मुखातिब हुआ & बस सर हिलाया.चौबे अंदर आया &
खाली पड़े कॉटेज का मुआयना करने लगा.अंदर फर्श पे जमी धूल पे किसी को
घसीटने के निशान थे.छ्होटी बहुत रोमांचित हो अंदर घूम रही थी.
तभी वो अंदर जाने वाले दरवाज़े के पास गयी & उसके चौखट के जोड़ को सूंघ
के भूंकने लगी,उसका हॅंड्लर पास गया & दरवाज़े के नीचे फँसे 1 छ्होटे से
कपड़े के टुकड़े को खींच के निकाला & चौबे को दिया.काले रंग के पॅंट के
कपड़े के टुकड़े को चौबे ने 1 प्लास्टिक के छ्होटे से पाउच मे डाला &
अपने हवलदार को थमाया.
अब इतना साफ था की प्रसून को इसी कॉटेज मे लाया गया था & या तो यहा बेहोश
किया गया या मारा गया क्यूकी ज़मीन पे घसीटने के निशान ऐसे थे मानो किसी
इंसान को घसीटा गया है.1 बात चौबे को बहुत परेशान कर रही थी,आमतौर पे
क़त्ल होने पे क़ातिल अपने निशान च्छुपाने की कोशिश करता है मगर यहा तो
जैसे वो चाहता था की लाश बरामद हो & पोलीस को सारे सबूत भी मिल जाएँ वो
भी जल्दी से जल्दी,मगर क्यू?
हसन ने देखा की उसका बॉस तेज़ी से जबड़े चला रहा था..यानी की छ्होटन चौबे
का दिमाग़ क़ातिल को पकड़ने मे जुट गया है,वो मुस्कुराया & फोरेन्सिक टीम
को अंदर के फोटो लेने & बाकी सॅंपल्स लेने के लिए बुलाने चला गया.
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कामिनी जब पहुँची तब तक अंधेरा घिर आया था.वो वीरेन के पास पहुँची & दोनो
बाते करने लगे.कामिनी ने वीरेन को ऐसे अपने बड़े भाई की मौत पे भी नही
देखा था,"..क्यू कामिनी?किस लिए मारा उस बेचारे को?..वो मासूम
बच्चा....",वीरेन का गला भर आया तो कामिनी ने उसे गले से लगा लिया.इतनी
देर से जो गुबार वीरेन अपने सीने मे दबाए था वो अब आँसुओ की शक्ल मे निकल
पड़ा. देविका & रोमा के सामने रोकर वो उन्हे और कमज़ोर नही करना चाहता था
मगर कामिनी के साथ ऐसी कोई बात तो थी नही.अपने सीने पे अपने प्रेमी के सर
को दबा कामिनी उसे दिलासा दे रही थी.
जब वीरेन का मन हल्का हो गया तो कामिनी ने उस से सारी बाते तफ़सील से
पुछि & देविका से मिलने की इच्छा ज़ाहिर की.वीरेन उसे अपनी भाभी के पास
ले गया.देविका को देख के कामिनी की आँखो मे भी पानी आ गया.ऐसा लगता था
मानो देविका 10 साल बूढ़ी हो गयी.आँखो मे ना चमक थी ना चेहरे पे कोई
भाव.कामिनी उसके करीब गयी & उसके हाथ को थाम बैठ गयी.देविका बस बुत बनी
उसे देखे जा रही थी.
कामिनी की समझ मे नही आय की वो क्या कहे?..कुच्छ कहना ज़रूरी था
भी?..कामिनी के आँसू उसके गालो पे ढालाक गये & उसे बहुत ज़ोर का गुस्सा
आया,"देविका जी,आप यकीन मानिए,पोलीस पता लगाए ना लगाए मैं उस नीच इंसान
को सज़ा ज़रूर दिलवाऊंगी.",कामिनी उठी & अपने आँसू पोछ्ते वाहा से निकल
गयी.
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क्षोटन चौबे की हर्कतो से भले ही लोगो को ये गुमान हो की वो 1 ढीला-ढाला
शख्स था मगर कोई भी उसे काम करते देख लेता तो फ़ौरन समझ लेता की वो 1 पेन
दिमाग़ का मालिक था.सहाय एस्टेट मे भी जब उसने कदम रखे & प्रसून की
गुमशुदगी की गुत्थी सुलझानी शुरू की & इस बाबत खोजी दल चारो ओर भेजे उस
वक़्त भी वो एस्टेट के गार्ड्स & अपने आदमियो के ज़रिए एस्टेट की हदे सील
करना नही भुला था.
जब प्रसून की लाश बरामद हुई तो उसने फ़ौरन पंचमहल से डॉग स्क्वाड बुलवाया
& उन्हे काम पे लगा दिया.कोई 2 घंटे तक उसने प्रसून की लाश को मिलने की
जगह से नही हटाया & कुत्तो को उसकी गंध सूँघा के च्छुड़वा दिया.जब कुत्ते
एस्टेट मे चारो ओर फैल गये तभी उसने उसकी लाश पोस्ट-मॉर्टेम के लिए भेजी.
शाम को कोई 5 बजे चौबे की मेहनत रंग लाई.छ्होटी नाम की 1 कुतिया मॅनेजर'स
कॉटेज के पास पहुँच के भौंक रही थी.उसके हॅंड्लर ने फ़ौरन चौबे को इस बात
की खबर दी.चौबे वाहा पहुँचा तो उसने देखा की कॉटेज के दरवाज़े पे ताला तो
काफ़ी पुराना लगा हुआ है मगर कॉटेज के सामने ऐसा लगता था जैसे किसी ने
झाड़ू मारा हो.
चौबे सोच मे पड़ गया.उसने अपने 1 आदमी को बाइक स्टार्ट करने कहा & उसके
पीछे बैठ गया,"अब यहा से ज़रा टीलवा तक चलो तो मगर रास्ते के
किनारे-2.",चौबे की पैनी निगाहे सारे रास्ते का बारीकी से मुआयना कर रही
थी.वो टीले तक जाकर वापस आ गया & फिर इंदर को तलब किया.
"आइए मॅनेजर साहब..",इंदर के चेहरे के सवालिया भाव देख चौबे ने आगे
बोला,"..ई झोपडिया किसका है?"
"जी,है तो ये मॅनेजर'स कॉटेज मगर मैं यहा नही रहता तो ये तो काफ़ी दीनो
से बंद पड़ी है."
"हूँ..",चौबे ने 1 हाथ पीछे किया तो 1 हवलदार ने 1 पेपर कप उसे
थमाया,उसने पान की पीक उसमे थुकि.कॉटेज शक़ के घेरे मे थी & वाहा थूक
चौबे क्राइम सीन को गंदा नही करना चाहता था,"..ऐसा काहे भाई?इतना बढ़िया
कॉटेज मे काहे नही रहते हैं आप?"
"अकेला आदमी हू,जनाब.अब इतने बड़े कॉटेज मे अकेले क्या करूँगा इसीलिए मैं
तो उधर बने क्वॉर्टर्स मे से 1 मे ही रहता हू.मेरे लिए वही काफ़ी है."
"बहुत समझदार आदमी लगते हैं आप,इंदर बाबू."
"शुक्रिया.और कुच्छ पुच्छना है?"
"नही,आप जाइए.यहा की चाभी भिजवा दीजिए बस.",उसके जाते ही चौबे मुड़ा &
अपने नीचे काम कर रहे ऑफीसर को बुलाया,"हसन..",ये वही अफ़सर था जिसकी
बाइक पे चौबे थोड़ी देर पहले टीले तक का चक्कर लगा के आया था.
"जी,जनाब."
"कुच्छ गौर किए रास्ते पे?"
"ऐसा कुच्छ खास तो नही.,सर.",हसन अपना सर खुजा रहा था.
"धात!अरे 1 जीप का टाइयर का निशान भी है मगर ऊ हम लोग के गाड़ी सब के
निशान मे दब गया है.यहा झाड़ू लगा हुआ है मतलब कोई नही चाहता है की हम
लोग जाने की यहा कोई आया था."
"तो सर,उस टाइयर के निशान से गाड़ी का पता लगाते हैं.",हसन ने जोश मे कहा.
"हम पता लगा लिए हैं,हसन साहब."
"कैसे सर?"
"तुम भी यार..",चौबे तेज़ी से पान चबा रहा था,"..अरे एस्टेट मे 1 ही
मॉडेल का जीप सब लोग इस्तेमाल कर रहा है उसी का निशान है.खूनी चालक आदमी
है भाई.घर से लड़का को उठाके उसी के गाड़ी मे ले जाके उसी के एस्टेट के
अहाता के दूसरा घर मे या तो बंद करता है या मारता है & फिर लाश भी एस्टेट
के अंदर फेंक देता है.अब खोजते रहो तुम की कौन मारा!"
तब तक इंदर चाभी लेके आ गया था.कॉटेज खुलते ही छ्होटी अंदर घुसी & भूंकने
लगी,उसका हॅंड्लर चौबे से मुखातिब हुआ & बस सर हिलाया.चौबे अंदर आया &
खाली पड़े कॉटेज का मुआयना करने लगा.अंदर फर्श पे जमी धूल पे किसी को
घसीटने के निशान थे.छ्होटी बहुत रोमांचित हो अंदर घूम रही थी.
तभी वो अंदर जाने वाले दरवाज़े के पास गयी & उसके चौखट के जोड़ को सूंघ
के भूंकने लगी,उसका हॅंड्लर पास गया & दरवाज़े के नीचे फँसे 1 छ्होटे से
कपड़े के टुकड़े को खींच के निकाला & चौबे को दिया.काले रंग के पॅंट के
कपड़े के टुकड़े को चौबे ने 1 प्लास्टिक के छ्होटे से पाउच मे डाला &
अपने हवलदार को थमाया.
अब इतना साफ था की प्रसून को इसी कॉटेज मे लाया गया था & या तो यहा बेहोश
किया गया या मारा गया क्यूकी ज़मीन पे घसीटने के निशान ऐसे थे मानो किसी
इंसान को घसीटा गया है.1 बात चौबे को बहुत परेशान कर रही थी,आमतौर पे
क़त्ल होने पे क़ातिल अपने निशान च्छुपाने की कोशिश करता है मगर यहा तो
जैसे वो चाहता था की लाश बरामद हो & पोलीस को सारे सबूत भी मिल जाएँ वो
भी जल्दी से जल्दी,मगर क्यू?
हसन ने देखा की उसका बॉस तेज़ी से जबड़े चला रहा था..यानी की छ्होटन चौबे
का दिमाग़ क़ातिल को पकड़ने मे जुट गया है,वो मुस्कुराया & फोरेन्सिक टीम
को अंदर के फोटो लेने & बाकी सॅंपल्स लेने के लिए बुलाने चला गया.
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कामिनी जब पहुँची तब तक अंधेरा घिर आया था.वो वीरेन के पास पहुँची & दोनो
बाते करने लगे.कामिनी ने वीरेन को ऐसे अपने बड़े भाई की मौत पे भी नही
देखा था,"..क्यू कामिनी?किस लिए मारा उस बेचारे को?..वो मासूम
बच्चा....",वीरेन का गला भर आया तो कामिनी ने उसे गले से लगा लिया.इतनी
देर से जो गुबार वीरेन अपने सीने मे दबाए था वो अब आँसुओ की शक्ल मे निकल
पड़ा. देविका & रोमा के सामने रोकर वो उन्हे और कमज़ोर नही करना चाहता था
मगर कामिनी के साथ ऐसी कोई बात तो थी नही.अपने सीने पे अपने प्रेमी के सर
को दबा कामिनी उसे दिलासा दे रही थी.
जब वीरेन का मन हल्का हो गया तो कामिनी ने उस से सारी बाते तफ़सील से
पुछि & देविका से मिलने की इच्छा ज़ाहिर की.वीरेन उसे अपनी भाभी के पास
ले गया.देविका को देख के कामिनी की आँखो मे भी पानी आ गया.ऐसा लगता था
मानो देविका 10 साल बूढ़ी हो गयी.आँखो मे ना चमक थी ना चेहरे पे कोई
भाव.कामिनी उसके करीब गयी & उसके हाथ को थाम बैठ गयी.देविका बस बुत बनी
उसे देखे जा रही थी.
कामिनी की समझ मे नही आय की वो क्या कहे?..कुच्छ कहना ज़रूरी था
भी?..कामिनी के आँसू उसके गालो पे ढालाक गये & उसे बहुत ज़ोर का गुस्सा
आया,"देविका जी,आप यकीन मानिए,पोलीस पता लगाए ना लगाए मैं उस नीच इंसान
को सज़ा ज़रूर दिलवाऊंगी.",कामिनी उठी & अपने आँसू पोछ्ते वाहा से निकल
गयी.
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