Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन - Page 2 - SexBaba
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Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन

मैं बिल्लू की बात सुन कर मुस्कुराने लगा….लेकिन बोला कुछ नही…मे वहाँ से स्कूल की दीवार की तरफ गया….मुझे दोपहर से ही पेशाब लगा था….जो सुमेरा चाची के रूम के ऩज़ारे के चक्कर मे करना भूल गया था….अब मुझे बहुत तेज प्रेशर लगा था..मैने जैसे ही सलवार का नाडा खोल कर अपने लंड को बाहर जो कि प्रेशर से पूरी तरह सख़्त खड़ा था….जैसे ही मैं पेशाब करने लगा….तो मैने नोटीस किया कि, बिल्लू मेरे लंड की तरफ बड़े गोर से देख रहा है…मैने पेशाब किया और फिर अपनी सलवार का नाडा बंद करके जैसे ही ग्राउंड मे जाने लगा…तो बिल्लू मेरे पास आ गया….”कि गल भतीजे अभी से इतना बड़ा हथियार कैसे कर लिया तूने…”

मैं: चाचा जी आप किस हथियार की बात कर रहे है….

बिल्लू: तेरी लंड की बात कर रहा हूँ…. अगर इस उमर मे तेरा लंड इतना बड़ा है तो 3-4 साल बाद तो और बढ़ा हो जाना है इसने…तेरी तो ऐश है…(मुझे बिल्लू से ऐसे बातें सुन कर अजीब सा लग रहा था…इससे पहले मेरे दोस्तो के बीच मे ऐसी बात नही हुई थी...लेकिन कहते है ना…. ”नेसेसिटी ईज़ दा मदर ऑफ इन्वेन्षन” ज़रूरत और ख्वाहिश ही इंसान की माँ होती है….वैसे ही हाल उस वक़्त मेरा हो चुका था…. इसलिए मैं झीजकते और शरमाते हुए भी बिल्लू से पूछने से रोक ना पाया….)

मैं: वो कैसे…

बिल्लू: यार देख तेरा लंड तेरी उमर के बच्चो के हिसाब से कही बड़ा है…..और जब कोई सेक्स की भूखी औरत ऐसे तगड़े लंड को देख ले तो, वो जल्द ही उस सख्स पर आशिक हो जाती है..और बड़े प्यार से अपनी फुददी मरवाती है….

मैं: चाचा एक बात पूछूँ….?

बिल्लू: हां पूछ भतीजे….

मैं: क्या सच मे मेरा हथियार तगड़ा है…..

बिल्लू: और नही तो क्या…मैं क्या झूट बोल रहा हूँ….मेरे जैसे आदमयों का लंड भी 5-6 इंच के बीच मे होता है…तेरा तो अभी से 6 इंच लंबा लग रहा है….कभी नापा है तूने….

मैं: नही….

बिल्लू: लेकिन है तेरा 6 इंच के करीब……अच्छा जा अब तू खेल मुझे भी ज़रूरी काम याद आ गया है….

मैं वहाँ से ग्राउंड मे चला गया….और वहाँ अपने दोस्तो के साथ क्रिकेट खेलने लगा…शाम को अब्बू के घर आने से पहले मे वहाँ से फारिघ् होकर घर वापिस आ गया…वो सारी रात मेरे दिमाग़ मे बिल्लू की कही बातें और सुमेरा चाची के रूम का नज़ारा घूमता रहा…अगले दिन सुबह तक मेरे दिमाग़ मे सनक बैठ चुकी थी…
 
उस रात मैं अपने गुज़रे हुए दिनो की यादो मे खोया कब सो गया पता नही चला…अगली सुबह मुझे बाहर से आवाज़ आई तो मेरी आँख खुल गयी…मैने उठ कर टाइम देखा तो सुबह के 5:30 बजे थे….रूम मे उस वक्त ज़ीरो वाट का बल्ब जल रहा था..बाहर अब्बू नजीबा से बात कर रहे थे….शायद वो और मेरी सौतेली अम्मी कही जा रहे थे….उनकी बातों से मैं अंदाज़ा नही लगा पाया कि, वो इतनी सुबह-2 कहाँ जा रहे है…मैं रज़ाई के अंदर लेटा हुआ था…फिर थोड़ी देर बाद मुझे गेट खुलने और बंद होने की आवाज़ आई….इसका मतलब कि मे और नजीबा दोनो घर मे अकेले थे…ऐसा नही था कि, पहले कभी हम घर पर अकेले नही होते थे….लेकिन पिछले कुछ दिनो के हादसों ने मेरे सोचने समझने का रवैया और बदल दिया था…

मैं बेड से नीचे उतरा और बाहर आया…बाहर बेहद ठंड थी…हल्की-2 धुन्ध छाई हुई थी…बरामदे मे एक लाइट जल रही थी….किचन और अब्बू के रूम का डोर बंद था…आगे वाले कमरो के डोर भी बंद थे…..नजीबा अपने रूम मे जा चुकी थी….मुझे पता नही उस वक़्त क्या सूझा..मे नजीबा के रूम की तरफ बढ़ने लगा….मैने नजीबा के रूम के डोर के सामने जाकर देखा तो, अंदर लाइट ऑफ थी….मैने डोर नॉक किया तो, अंदर से नजीबा की आवाज़ आई…”कॉन है…”

मैं: मे हूँ समीर…..

फिर खामोशी छा गयी….थोड़ी देर बाद डोर खुला तो, नजीबा सामने खड़ी थी…उसने येल्लो कलर का पतला सा सलवार सूट पहना हुआ था…”जी…कुछ चाहिए….” नजीबा ने मेरी तरफ देखते हुए पूछा…
”वो अम्मी और अब्बू सुबह -2 कहाँ गये है….?’

नजीबा: उनके एक दोस्त के बेटे के शादी है….वही पर गये है…जहाँ जाना था….वो जगह दूर है…इसलिए सुबह-2 ही निकल गये…

मैं सिर्फ़ टी-शर्ट और पाजामा पहने खड़ा था…और बाहर मौसम बहुत सर्द था…. “मैं आपके लिए चाइ बना दूं….” नजीबा ने मेरी तरफ देखते हुए पूछा… 

“नही तुम सो जाओ….मेरे ख़याल से तुम्हारी नींद अभी पूरी नही हुई होगी….वैसे भी बाहर बहुत ठंड है….” मैने इधर उधर देखते हुए कहा तो, नजीबा ने सर झुकाते हुए मुस्कुरा कर कहा…”हां ठंड तो है…आप अंदर आ जाएँ…”

मैं: नही तुम परेशान हो जाओ गी….

मैं वहाँ से अपने रूम मे आ गया…और बेड पर चढ़ कर रज़ाई के अंदर घुस गया….मेरी फिर से हल्की सी आँख लग गयी….फिर जब आँख खुली तो, किचन से आवाज़ आ रही थी…शायद नजीबा उठ चुकी थी…और चाइ बना रही थी….मैने लेटे-2 टाइम देखा तो, सुबह के 6:15 हो रहे थे…और लाइट बंद थी…सुबह-2 ही कट लग चुका था…मैं बेड से उतरा और रूम से बाहर आकर बाथरूम की तरफ जाने लगा तो देखा नजीबा चाइ बना रही थी….मेरे कदमो की आवाज़ सुन कर उसने पीछे मूड कर देखा…लेकिन मुझे जल्दी थी बाथरूम जाने की, इसीलिए मे बाथरूम मे चला गया…जब फ्रेश होकर बाहर आया तो, सीधा किचन मे चला गया…चाइ बन चुकी थी….मैने देखा कि, नजीबा के बाल खुले हुए थे…और गीले थे….शायद उसने आज सुबह-2 ही नहा लिया था…

“चाइ बन गयी….?” मैने उसके पास खड़े होते हुए पूछा….”जी….” जैसे ही नजीबा बोली तो मुझे अहसास हुआ कि वो ठंड के कारण काँप रही थी….सर्दी ज़यादा थी…इसलिए मैने कोई ख़ास गोर नही किया….नजीबा चाइ कप मे डाली और मैं वहाँ से कप उठा कर अपने रूम मे आ गया…और चाइ पीने लगा….

चाइ पीते हुए मेरे दिमाग़ मे आया कि, लाइट तो पता नही कब से कट है….तो फिर कहीं नजीबा ने सुबह-2 ठंडे पानी से तो नही नहा लिया…जैसे ही मेरे मन मे ये ख़याल आया…मेने चाइ के कप को वही रखा और नजीबा के रूम की तरफ चला गया.. जब मैने रूम के डोर को नॉक करने के लिए हाथ बढ़ाया तो, रूम का डोर खुल गया….जब मे अंदर दाखिल हुआ था..तब नजीबा रज़ाई मे लेटी हुई थी….उसके रूम के विंडोस के आगे से पर्दे हटे हुए थे….जिससे अब बाहर की हल्की रोशनी अंदर आ रही थी…उसने मेरी तरफ देखा और कापती हुई आवाज़ मे बोली…”कुछ चाहिए था,…..” उसकी आवाज़ सुन कर मुझे उसकी हालत का अंदाज़ा हुआ….

मैं उसके पास जाकर बेड पर बैठा तो, मैने महसूस किया कि वो बुरी तरह से काँप रही थी….”क्या हुआ तुम्हे….ऐसे काँप क्यों रही हो….?” मैने उसके माथे पर हाथ लगा कर चेक करते हुए कहा…” उसने कहा कुछ नही वो सुबह-2 नहा लिया इसीलिए….” 

मैं: तो तुम्हे किसने कहा था सुबह-2 नहाने के लिए ऊपेर से लाइट भी नही है… फिर ठंडे पानी से नहाने की क्या ज़रूरत थी…

क्योंकि जब मैं बाथरूम मे गया था….तो मुझे टंकी के अंदर के पानी की ठंडक के बारे मे पता था….हमारी पानी की टंकी छत पर खुले मे है…तो जाहिर से बात थी कि, रात को बाहर सर्दी मे होने की वजह से पानी कितना ठंडा होता है… “ मजबूरी थी….?” नजीबा ने काँपते हुए कहा….”

मैं: ऐसी भी क्या मजबूरी थी…..जो सुबह-2 ठंडे पानी से नहा लिया वो भी इतनी सर्दी मे…

नजीबा: वो वो जब नहाने गयी थी…तब लाइट थी…गीजेर ऑन किया…थोड़ा सा पानी गरम हुआ तो नहाना शुरू कर दिया…बीच मे लाइट चली गयी…बदन पर साबुन लगा हुआ था…तो फिर मजबूरन ठंडे पानी से नहाना पड़ा….

मैं: तुम्हारा भी कोई हल नही है….

मैं बात को बड़ी आसानी से ले रहा था…मुझे उस वक़्त तक नजीबा की हालात का कोई अंदाज़ा नही था कि, उसे किस क़दर सर्दी लग रही है….उसने करवट बदली और मेरी तरफ पीठ कर ली….और अपने ऊपेर ओढ़ रखी रज़ाई को कस्के पकड़ लिया….मैने रज़ाई के ऊपेर से जैसे ही उसके कंधे पर हाथ रखा तो, उसके बदन को बुरी तरह काँपते हुए महसूस करके मेरे होश एक दम से उड़ गये…”नजीबा तुम्हारा बदन तो बहुत ज़यादा काँप रहा है…” मैने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा…

“आप फिकर ना करें थोड़ी देर मे ठीक हो जाएगा….”
मैं उसकी बात सुन कर चुप हो गया… और वही बैठा रहा…मजीद 5 मिनट गुजर चुके थे…लेकिन नजीबा का कांपना कम ना हुआ….वो पहले से ज़्यादा काँप रही थी….
 
मैं बहुत डरा हुआ महसूस कर रहा था…इससे पहले आज तक मैने कभी ऐसे हालात का सामना नही किया था….”नजीबा…” मैने सहमे हुए लहजे मे कहा… 
“जी….” नजीबा ने बड़ी मुस्किल से जवाब दिया…”
सर्दी बहुत ज़यादा लग रही है….” इस बार नजीबा ने थोड़ी देर रुक कर जवाब दिया….”जी….आप फिकर ना करें…थोड़ी देर मे ठीक हो जाएगा….”

मैं: ऐसे कैसे ठीक हो जाएगा….कब से यही सुन रहा हूँ….

अब तो मेरे दिमाग़ ने भी काम करना बंद कर दिया था….मुझे और कुछ तो ना सूझा पर रीदा आपी के साथ बिताई हुई एक सर्द रात याद आ गयी….जब मैं और रीदा आपी उनके घर की छत पर खुले मे सोए थे…उस वक़्त जोरो की सर्दी पड़ रही थी…मैं और रीदा आपी रज़ाई के अंदर नंगे एक दूसरे से लिपटे हुए थे…और ठंड का नामो निशान नही था….जैसे ही वो बात मुझे याद आई..मैने एक पल के लिए क्या सही क्या ग़लत कुछ ना सोचा…और एक साइड से रज़ाई उठा कर अंदर घुस गया….नजीबा की पीठ मेरी तरफ थी….जैसे ही उसे इस बात का अहसास हुआ तो, वो एक दम से चोंक गयी….

“ये यी आप क्या कर रहे है….” लेकिन तब तक मे उसके पीछे लेट चुका था…मेरा पूरा बदन फ्रंट साइड से उसकी बॅक साइड से चिपका हुआ था…

मैने नजीबा की बात की परवाह ना करते हुए, एक राइट बाज़ू उसकी कमर के ऊपेर से गुजार कर उसके पेट पर रख लिया….और उसे कस्के अपने से चिपका लिया…

.”ये आप क्या कर रहे है…?” नजीबा की आवाज़ मे अब कंपन के साथ-2 सरगोशी भी थी…

.”कुछ नही ऐसे तुम्हे गरमी मिलेगी….मुझे ग़लत मत समझना…लेकिन अभी मैं जो कर रहा हूँ….वही ठीक है….मुझ पर भरोसा है ना…..? “ मैने नजीबा के बदन को पीछे से अपने साथ और दबा लिया….

नजीबा बोली तो कुछ नही लेकिन उसने हां मे सर हिला दिया….हम दोनो के बदन एक दूसरे से पूरी तरह चिपके हुए थी…..रूम मे खामोशी छाई हुई थी…तकरीबन 6-7 मिनट बाद नजीबा का कांपना कम होने लगा…

लेकिन अब एक और नयी प्राब्लम हो चुकी थी…मेरे बदन की फ्रंट साइड जो कि नजीबा के बॅक से पूरी तरह टच हो रही थी…उससे उठती गरमी के कारण मेरा लंड जो नजीबा की गोल मटोल गान्ड पर दबा हुआ था..वो अब धीरे-2 सख़्त होने लगा था….मुझे डर लगने लगा था कि, कही नजीबा मेरे लंड को अपनी गान्ड पर महसूस ना कर ले. और कही मुझे ग़लत ना समझ बैठे….मैं वहाँ से उठने ही वाला था कि, फिर कुछ सोच कर रुक गया…मैने मन ही मन सोचा क्यों ना आज अपनी किस्मत को आज़मा कर देखूं….कि नजीबा का क्या रियेक्शन होता है…

पहले जहन मे नजीबा के बदन को गरमी देने के कारण उससे चिपका हुआ था…और मेरे जेहन मे डर बैठा हुआ था कि, कही नजीबा को कुछ हो ना जाए…लेकिन अब डर की जगह हवस ने ले ली थी…मेरा लंड जो कि नजीबा की गान्ड की लाइन के बीच मे था..वो अब पूरी तरह सख़्त हो चुका था…मेरे लंड और नजीबा की गान्ड के बीच नजीबा की पतली सी सलवार और मेरा पायज़मा ही था….क्योंकि मैं अक्सर रात को सोने से पहले से अंडरवेर उतार देता हूँ….उस समय नजीबा ना तो कुछ बोल रही थी और ना ही काँप रही थी…लेकिन जब मेरा लंड उसकी गान्ड से रगड़ ख़ाता हुआ, जैसे ही उसके गान्ड की लाइन मे घुसा तो, उसके बदन ने एक तेज झटका खाया…
 
मैने अपनी सांसो को रोक लिया….और नजीबा के रियेक्शन का इंतजार करने लगा…लेकिन नजीबा की तरफ से कोई रियेक्शन नही हुआ…मुझे अपने लंड का टोपा बहुत ही गरम भट्टी मे धंसता हुआ महसूस हो रहा था…मैं सॉफ तोर पर महसूस कर पा रहा था कि, नजीबा भी मुझसे चिपकती जा रही है…मेरा लंड पाजामे को फाड़ कर बाहर आने वाला हो गया था….”नजीबा….?” मैने खामोशी तोड़ते हुए कहा…

.”जी….” नजीबा की आवाज़ मे सरोगशी सॉफ महसूस हो रही थी…”

अब कैसा फील कर रही हो…” मैने उसके पैट को सहलाते हुए कहा….तो उसका जिस्म फिर से काँप गया….

नजीबा: जी पहले से बेहतर है….

मैं: अच्छा ठीक है ….मैं तुम्हारे लिए चाइ बना लाता हूँ….फिर तुम्हे और अच्छा लगेगा….(मैं अभी उठने ही वाला था कि, नजीबा ने मेरा वो हाथ पकड़ लिया जो मैने उसके पेट पर रखा हुआ था….)

नजीबा: मुझे चाइ नही चाहिए….

मैं: तो फिर क्या चाहिए…(मैं मन ही मन सोच रहा था कि, काश नजीबा कह दे कि मुझे सिर्फ़ आप चाहिए….)

नजीबा: कुछ नही मैं अब ठीक हूँ….(लेकिन नजीबा ने मेरे हाथ को कस्के पकड़ लिया था….जैसे कहना चाहती हो कि, मेरे साथ ऐसे ही लेटे रहो….) 

मे: अच्छा ठीक है तो फिर मे चलता हूँ….

नजीबा: (जब मैने जाने का कहा तो, उसने मेरा हाथ और ज़ोर से पकड़ लिया….) रुक जाओ प्लीज़….थोड़ी देर और….

नजीबा की आवाज़ मे वासना की खुमारी छाई हुई थी….मैं भी वहाँ से जाना नही चाहता था….इसलिए मैने भी अपनी कमर को नीचे से पुश किया तो, मेरा लंड उसकी सलवार के ऊपेर से उसकी गान्ड के मोरी पर जा लगा…उसका पूरा बदन मस्ती मे काँप गया…”सीईईई उसके मूह से हलकी से सिसकारी भी निकल गयी….” तभी बाहर डोर बेल बजी…हम दोनो हड़बड़ा गये…मैं जल्दी से उठा और टाइम देखा तो 7 बज रहे थे….

”दूध ले लो शाह जी….” बाहर से हमारे दूध वाले की आवाज़ आई…तो मुझे ख़याल आया कि दूध वाला है…मैं किचन मे गया…और वहाँ से बर्तन उठा कर बाहर आकर गेट खोला….दूध वाले ने दूध बर्तन मे डाला और चला गया….मैने गेट बंद किया और दूध के बर्तन को किचन मे रख कर फिर से नजीबा के रूम मे चला गया… जब मैं वहाँ पहुचा तो नजीबा ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ी अपने बालो मे कंघी कर रही थी……

जैसे ही उसने मेरा अक्श आयने मे देखा तो, उसने शरमा कर नज़रें झुका ली…”अब कैसी हो….?” मैने डोर पर खड़े-2 पूछा…

.”जी अब बेहतर हूँ..”

मैं: दूध किचन मे रख दिया है…मैं दुकान से ब्रेड और अंडे ले आता हूँ…

मैने बाहर का गेट खोला और दुकान की तरफ चला गया….आज तो लग रहा था कि, सर्दी पूरे जोरो पर है…गली मे इतनी धुन्ध छाई हुई थी कि, सामने कुछ भी नज़र नही आ रहा था….
 
गली मे धुन्ध छाई हुई थी…..जिसके कारण थोड़ी दूर तक ही नज़र आ रहा था… मे अभी दुकान से कुछ दूर था…और जैसे ही मे सुमेरा चाची के घर के सामने से गुज़रा तो, ठीक उसी वक़्त सुमेरा चाची हाथ मे बाल्टी लिए बाहर आए…. सुमेरा चाची भैंस का दूध निकालने जा रही थी….उनके घर के ठीक सामने ही उनका एक छोटा सा प्लॉट था…जिसके चारो तरफ बड़ी-2 बौंड्री थी…और सामने एक लकड़ी का दरवाजा था….जैसे ही सुमेरा चाची की नज़र मुझ पर पड़ी….तो वो मुस्कुराते हुए बोली….”सवेरे सवेरे किधर दी सैर हो रही है….?” (सुबह सुबह कहाँ घूमने जा रहे हो….) मैं उसके पास रुक गया….”वो दुकान से ब्रेड और अंडे लेने जा रहा था…”

सुमेरा चाची ने गेट बंद किया और गाली मे इधर उधर नज़र मारी….सर्दी की वजह से कोई दिखाई नही दे रहा था…अगर गली मे कोई होता भी तो, धुन्ध के कारण हमे देख नही पाता…सुमेरा चाची मेरे पास आई और धीरे से बोली…”हवेली मे चल….” लेकिन मैने सॉफ मना कर दिया…कह दिया कि, नजीबा घर पर अकेली है… मे दुकान पर गया….वहाँ से दूध और अंडे खरीदे और घर के तरफ चल पड़ा….जब मे घर के पास पहुँचा तो, मैने देखा कि हमारे घर के बाहर एक मोटर साइकल खड़ी है…फिर जब और पास पहुचा तो मोटर साइकल देख कर पता चला कि, ये बाइक तो नजीबा के मामा की है…

मैने गेट को धकेला तो, गेट खुल गया….सामने बरामदे मे नजीबा के मामा और मामी जी बैठे हुए थे….मैं अंदर गया तो नजीबा किचन से बाहर आ गयी.. मैने उसको ब्रेड और अंडे पकड़ाए…..और फिर नजीबा के मामा मामी के पैर छुए…दुआ सलाम के बाद मे उनके पास ही बैठ गया…नजीबा चाइ बना कर ले आई…”आप इतनी सुबह-2 सब ख़ैरियत तो है ना….?” मैने नजीबा के मामा से पूछा….

”हां सब ठीक है…हम नजीबा को लेने आए थे….इसकी मामी ने आज सहर मे शॉपिंग के लिए जाना है…ये कह रही थी कि, नजीबा को साथ लेकर जाउन्गि.. कि नजीबा की चाय्स बहुत अच्छी है….

मैं: ओह्ह अच्छा….ज़रूर ले जाए….

मैने नजीबा की ओर देखते हुए कहा….उसके आँखे मानो मुझे थॅंक्स बोल रही थी… कि मैने ख़ुसी-2 उसे उसके मामा मामी के साथ जाने के लिए हां कह दी…

मामी: चल बेटा तैयार हो जा फटाफट…

नजीबा: मामी से बस 15 मिनट बैठिए….मे नाश्ता बना लाउ…फिर चलते है….

उसके बाद नजीबा नाश्ता बनाने लगी….मे उसके मामा मामी से इधर उधर के बातें करने लगा….नजीबा ने नाश्ता बनाया और मुझसे पूछा…मैने कहा कि, मैं बाद मे खा लूँगा..तुम जाकर तैयार हो जाओ….नजीबा तैयार होने चली गयी,…..मुझे ख़याल आया कि, नजीबा भी जा रही है…और मे घर पर अकेला हो जाउन्गा…क्यों ना सुमेरा चाची या रीदा को अपने घर पर अकेले होने के बारे मे बता दूं…आज घर बुला कर दोनो मे से किसी एक की अच्छी तरह फुद्दि मारूँगा….अब मैं मन ही मन दुआ कर रहा था की, नजीबा के मामा मामी नजीबा को जल्दी से लेकर घर से चले जाए…

करीब 15 मिनट बाद नजीबा तैयार होकर बाहर आई…..उसने महरूण कलर का सलवार कमीज़ पहन रखा था…आज तो वो गजब ढा रही थी….उसके मामा मामी उसे साथ लेकर चले गये….उनके जाने के बाद मे घर से निकला और गेट को ताला लगा कर सुमेरा चाची के घर की तरफ चल पड़ा…लेकिन शायद आज मेरी किस्मत ही खराब थी…सुमेरा चाची रीदा और फ़ारूक़ चाचा तीनो घर के बाहर खड़ी टॅक्सी मे बैठ रहे थे…शायद वो भी कही जा रहे थे….इसलिए मैं पीछे से ही मूड आया…घर पहुचा गेट का ताला खोल अंदर गया…और नाश्ता प्लेट मे डाल कर खाने लगा…नाश्ते के बाद मैने बर्तन किचन मे रखे…और अपने रूम मे आकर टीवी ऑन किया और बेड पर रज़ाई ओढ़ कर बैठ गया….
 
मैं मन ही मन अपने आप को कोस रहा था…थोड़ी देर पहले कितना अच्छा मोका था…सुमेरा चाची को चोदने का…जो मैने गवा दिया था…बेड पर बैठे-2 एक बार फिर से वही यादें ताज़ा होने लगी….........................



.उससे अगले दिन जब मे स्कूल से आने के बाद सुमेरा चाची के घर गया तो, रीदा आपी उस दिन घर पर अकेली थी…सुमेरा चाची फ़ारूक़ चाचा के साथ किसी रिस्तेदार के घर गयी हुई थी…उस दिन भी मेरे दिमाग़ मे कल वाला वाक़या और बिल्लू की कही हुई बातें घूम रही थी….जब मे रीदा आपी के साथ ऊपेर आया तो, हम उनके कमरे मे चले गये….रीदा आपी ने मुझसे मेरा स्कूल बॅग खोलने को कहा…मैने बॅग खोला तो, उन्होने ने मेरी स्कूल डाइयरी निकाल कर चेक की..और फिर मुझे होम वर्क करने को कहा….मैं अपना होम वर्क करने लगा….

रीदा आपी ने बच्चो को चेक किया…जब उन्हे इतमीनान हो गया कि, बचे सो रहे है तो, वो मुझसे बोली…”समीर मे कपड़े धोने जा रही हूँ…तुम होम वर्क करो… और हां आवाज़ मत करना…नही तो बच्चे उठ गये तो, मेरा काम बीच मे ही रह जायगा….आज अम्मी भी घर पर नही है…”

मैने रीदा आपी की बात सुन कर हाँ मे सर हिला दिया…रीदा आपी बाहर चली गयी…और कपड़े धोने के लिए बाथरूम मे चली गयी…..मैं अपनी बुक्स निकाल कर बैठ तो गया था…लेकिन मेरा मन पड़ाई मे नही लग रहा था….बार-2 मेरा ध्यान बिल्लू चाचा की कही बातो की तरफ जाता…मेरे जेहन मे यही चल रहा था कि क्या सच मे फुददी मारने से इतना मज़ा आता है…मैं शुरू से ही दिलेर किस्म का सख्स था….इसलिए कुछ भी करने से डरता नही था….बिल्लू की एक बात मेरे जेहन मे बस चुकी थी….कि अगर कोई औरत जो चुदवाने के लिए तरस रही हो…अगर वो किसी का सख़्त और तगड़ा लंड देख ले तो, वो खुद उसके आगे पीछे घूमने लगती है..

इस बात ने मेरे जेहन मे तूफान उठा रखा था….जब मेरे जेहन मे कल सुमेरा चाची के रूम का वाक़या आया तो, मेरा लंड जो कि उस समय 6 इंच के करीब हो चुका था…वो धीरे-2 मेरी सलवार मे सर उठाने लगा था….मैं अपने खालयों मे खोया हुआ ये सपना देख रहा था कि, मैं और सुमेरा चाची दोनो एक दम नंगे बेड पर लेटे हुए है…और मैं सुमेरा चाची के ऊपेर चढ़ा चाची की फुद्दि मे अपने लंड को तेज़ी से अंदर बाहर कर रहा हूँ….ये ख़याल मेरे जेहन मे ऐसा समा चुका था.. कि मुझे लग रहा था कि, जैसे सब कुछ मेरे आँखो के सामने हो रहा हो….

ये सब सोचते हुए मेरा लंड पूरी तरह सख़्त हो चुका था….और मुझे पता नही चला कब मैने अपने लंड को सलवार के ऊपेर से पकड़ कर दबाना शुरू कर दिया… मैं पता नही कब से यही सब सोच रहा था…लेकिन मेरे ख्वाबी महल उस वक़्त धराशाही हो गये….जब रीदा आपी का एक बेटा एक दम से उठ गया….मैने चोन्कते हुए उसकी तरफ देखा तो, वो हल्का सा रोया और फिर उसने अपनी आँखे धीरे-2 बंद कर ली… तब मैने अपने लंड की ओर गोर किया…जो सलवार को ऊपेर उठाए हुए था…लंड इतना सख़्त खड़ा था कि, अब मुझे उसमे हल्का -2 दर्द होना शुरू हो गया था…मुझे फील हो रहा था…जैसे मुझे तेज पेशाब आ रहा हो….

मैं बड़ी आहिस्ता से बेड से नीचे उतरा…ताकि रीदा आपी के बच्चे उठ ना जाए…बेड से उतरने के बाद मैं रूम से बाहर आया….और बाथरूम की तरफ गया….ऊपेर जो बाथरूम था…उसमे मे एक साइड पर कमोड था….टाय्लेट के लिए अलग से बाथरूम नही था….मैं बाथरूम के डोर पर खड़ा हुआ…तो मेरी नज़र रीदा आपी पर पड़ी.. वो नीचे पैरो के बल बैठी हुई, कपड़ो को रगड़ रही थी…रीदा आपी के बड़े-2 मम्मे आगे की तरफ झुकने की वजह से बाहर आने को उतावले हो रहे थे…. मैं उसके बड़े-2 सफेद मम्मो को सॉफ देख सकता था….रीदा आपी की ब्लॅक कलर की ब्रा की हलकी से झलक भी ऊपेर से सॉफ दिखाई दे रही थी….ये सब देख कर मेरा लंड और ज़यादा सख़्त हो गया….”आपी….” मैने डोर पर खड़े होकर रीदा आपी को पुकारा…तो रीदा आपी ने मेरी तरफ देखते हुए बोला…”क्या हुआ…?” 
 
मैं: आपी वो मुझे बाथरूम जाना है….

रीदा आपी मेरी बात सुन कर खड़ी हो गयी….उन्होने ने कपड़ो को एक साइड किया और बाहर आ गयी…”जाओ…” वो बाहर खड़ी हो गयी…मैं जल्दी से अंदर गया…कमोड के सामने खड़ा होकर मैने आगे से अपनी कमीज़ को ऊपेर उठाया…और अपनी सलवार का नाडा खोलने लगा…लेकिन जैसे ही मैने सलवार का नाडा खोलना शुरू किया….तो उसमे गाँठ पड़ गयी…मैं सलवार का नाडा खोलने की जितनी कॉसिश करता..गाँठ उतनी टाइट हो जाती…गर्मी की वजह से मे अंदर पसीना पसीना हो रहा था..लेकिन गाँठ खुलने का नाम ही नही ले रही थी…मैं मजीद कॉसिश कर रहा था…. “समीर क्या हुआ…इतनी देर अंदर सो तो नही गये हाहाहा….” बाहर से रीदा आपी के हँसने की आवाज़ आ रही थी….मैं कुछ ना कह पाया…एक मिनट बाद फिर से रीदा आपी ने कहा..”समीर….”

मैं: जी आपी….

रीदा: समीर मसला क्या है….? इतना टाइम क्यों लगा रहे हो….?

मैं: आपी वो नाडे मे गाँठ पड़ गयी है….खुल नही रहा…

मेरे बात सुनते ही रीदा आपी बाथरूम के अंदर आ गयी….और हंसते हुए बोली… “सबाश ओये…सलवार का नाडा नही खुलता तुझसे…आगे चल कर तेरा पता नही क्या बनने है….?

“ उस वक़्त मेरी बॅक रीदा आपी की तरफ थी…”अब इसमे गाँठ पड़ गयी तो मेरा क्या कसूर…..खुल ही नही रही….” 

मेरी बात सुन कर रीदा आपी कहकहा लगा कर हँसने लगी..और मूह से चूचु की आवाज़ करते हुए बोली….”सदके जावां तेरे… तेरे से एक नाडा नही खुलता…शादी के बाद पता नही तेरा क्या बनना है…”

“अब इसका मेरी शादी से क्या कनेक्षन…” मैने खीजते हुए कहा…. 

“चल हट ला मुझे दिखा…” रीदा आपी ने एक दम से मेरे कंधा पकड़ कर मुझे अपनी तरफ घुमा लिया…एक पल के लिए तो मैं इस बात को लेकर सहम गया कि, अगर रीदा आपी ने मेरे लंड को इस तरह खड़े सलवार मे तंबू बनाए देख लिया तो, पता नही क्या सोचेंगे… पर अगले ही पल बिल्लू की बात जेहन मे घूम गये….मैं भी रीदा आपी की तरफ घूम गया….और जैसे ही वो सलवार का नाडा खोलने के लिए पैरो के बल नीचे बैठी…उसने मेरी कमीज़ को आगे से पकड़ कर ऊपेर उठाते हुए कहा….”ले पकड़ इसे…” मैने जैसे ही कमीज़ ऊपेर की..रीदा आपी ने मेरे सलवार का नाडा पकड़ लिया…तभी रीदा आपी को जैसे शॉक लगा हो…उसके हाथो की हरक़त चन्द पलो के लिए रुक गये…

वो आँखे फाडे मेरे सलवार मे बने हुए तंबू को देख रही थी…जो उसके हाथो के ठीक 1 आधा इंच ही नीचे था…मैने गोर किया कि, रीदा आपी के हाथ बड़ी स्लोली मूव कर रहे थे….और उसकी नज़र मेरी सलवार मे बने तंबू पर थी…रीदा आपी के आँखे चमक गयी थी…उनके गोरे गाल लाल सुर्ख हो गये….मुझे आज भी याद है…कि मेरे लंड को सलवार के ऊपेर से देख किस क़दर तक गरम हो चुकी थी.. उन्होने ने आपने गले का थूक अंदर निगला….और फिर से मेरे सलवार मे बने हुए तंबू को आँखे फाडे देखने लगी…फिर मुझे पता नही आपी ने जान बुज कर या अंजाने मे अपने हाथो से सलवार के ऊपेर से मेरे लंड को टच किया तो, मेरे लंड ने ज़ोर दार झटका मारा….जो आपी की हथेली पर टकराया…मैने आपी के जिश्म को उस वक़्त काँपता हुआ महसूस किया…”आपी जल्दी करें….बहुत तेज आ रहा है….” मैने आपी की तरफ देखते हुए कहा तो उन्होने हां मे सर हिला दिया….और मेरी सलवार का नाडा खोल दिया…जैसे ही मेरी सलवार का नाडा खुला मैने सलवार की जबरन पकड़ ली. और आपी की तरफ पीठ करके खड़ा हो गया….
 
मैने कमोड की तरफ फेस कर लिया….मुझे अहसास हुआ कि, रीदा आपी अभी भी वही खड़ी है…मैने थोड़ा सा फेस घुमा कर देखा तो, रीदा आपी मेरे पीछे एक साइड मे खड़ी थी…और तिरछी नज़रों से मुझे देख रही थी…मैने अपने लंड को बाहर निकाला….जो उस वक़्त फुल हार्ड हो चुका था….मेरा दिल जोरो से धड़क रहा था… ये सोच कर कि रीदा आपी अभी भी मेरे पीछे खड़ी है…मुझे अपने लंड की कॅप पर हल्की-2 सरसराहट महसूस हो रही थी….ऐसा लग रहा था..जैसे जिस्म का सारा खून मजीद लंड की कॅप मे इकट्ठा होता जा रहा हो…मेरे लंड की नसें एक दम फूली हुई थी….

मैं वहाँ खड़ा पेशाब करने की कॉसिश कर रहा था…पर पेशाब बाहर नही निकल रहा था…

.”अब क्या मसला है…” रीदा आपी ने पीछे खड़े होते हुए कहा….

”क्या कुछ नही आप बाहर जाए….मुझे शरम आ रही है…” अभी मैने ये बोला ही था कि, बाहर डोर बेल बजी…

.”इस वक़्त कोन आ गया…..” आपी ऐसे खीज कर बोली…जैसे किसी ने उनके हाथ से उनका नीवाला छीन लिया हो….आपी बाथरूम से बाहर चली गयी….उन्होने बाहर नीचे झाँक कर देखा…नीचे सुमेरा चाची थी…वो नीचे चली गयी…बड़ी मुस्किल से थोड़ा पेशाब निकाला…मैने सलवार का नाडा बाँधा और बाहर आ गया….मैं उसके बाद रीदा आपी के रूम मे आ गया….थोड़ी देर बाद रीदा आपी ऊपेर आई…उन्होने ने अपने एक बेटे को गोद मे उठाया और दूसरे को मुझे उठा कर नीचे लाने को कहा…मैं उनके दूसरे बेटे को उठा कर उनके साथ नीचे आ गया…जब मैं नीचे पहुचा तो, देखा कि सुमेरा चाची के साथ उनकी बुआ घर आई हुई थी…मैने उनके पैर छुए…तो चाची ने मेरा तार्रुफ उनसे करवाया…..

उस दिन और कुछ ख़ास ना हुआ….मैं थोड़ी देर और वहाँ रुका….शाम के 5 बजे मे वहाँ से निकल कर ग्राउंड की तरफ चला गया….वहाँ दोस्तो के साथ क्रिकेट खेलता रहा…..और फिर शाम को सुमेरा चाची के घर से अपना बॅग लिया और घर वापिस आ गया….उस दिन और कोई ख़ास बात ना हुई…मैं अपने पुराने दिनो के यादो मे खोया हुआ था…तभी लाइट चली गयी….मैं अपने ख्यालो की दुनिया से बाहर आया.. मैं बेड से उठा और टीवी स्विच ऑफ करके बाहर बरामदे मे आ गया…दोपहर के 12 बज रहे थे….और मैं घर पर अकेला था…घर मे ऐसे बैठे-2 मुझे बोरियत सी होने लगी थी….तो सोचा क्यों ना अपने दोस्त फ़ैज़ को मिल कर आऊ….

फ़ैज़ और मैं दोनो बचपन से एक ही स्कूल मे पढ़े थे….फ़ैज़ का परिवार हमारे गाओं मे सबसे ज़्यादा अमीर था…फ़ैज़ की काफ़ी ज़मीन जायदाद थी…कई बाग थे… खेती बाड़ी से बड़ी आमदनी थी उनको….पर उसके घर फ़ैज़ के इलावा उन पैसो को खरच करने वाला और कोई ना था…जब फ़ैज़ दो साल का हुआ था…तब उसके अब्बू की मौत हो गयी थी…फ़ैज़ के दादा दादी बड़े सख़्त किस्म के लोग थे…उनके दब दबे और रुतबे के चलते ही, उन्होने ने फ़ैज़ की अम्मी की दूसरी शादी नही होने दी थी… फ़ैज़ की अम्मी सबा के मायके वालो ने बड़ा ज़ोर लगाया था कि, सबा की दूसरी शादी हो जाए….पर फ़ैज़ के दादा दादी ने ऐसा होने नही दिया….फ़ैज़ के अब्बू के दो भाई और थे.. जो काफ़ी अरसा पहले अपने हिस्से की ज़मीन बेच बाच कर सहरो मे जाकर अपना बिजनेस करने लगे थे…

अब फ़ैज़ अपने दादा दादी और अम्मी सबा के साथ रहता था…फ़ैज़ ने मुझे कुछ दिनो पहले कार चलाना सिखाया था…क्योंकि उसके पास दो-2 कार थी…एक दिन मैं और रीदा आपी ऐसे ही बातें कर रहे थे कि, बातों बातों मे फ़ैज़ की बात चल निकली… उस दिन रीदा आपी की मैने जबरदस्त तरीके से चुदाई की थी…”जब फ़ैज़ के घर के बातो का जिकर शुरू हुआ तो, मैने रीदा आपी से ऐसे पूछ लिया…
 
मैं: रीदा एक बात बताए….ये फ़ैज़ की अम्मी ने दूसरी शादी क्यों नही की….

रीदा: कैसे करती बेचारी…तुम्हे नही पता उसके सास ससुर कितने जालिम है….

मैं: कभी -2 तो मुझे तरस आता है ऐसे लोगो पर हम 21वी सदी मे जी रहे है.. और हमारे ख्यालात कितने पिछड़े हुए है….

रीदा: ह्म्म्मह ये गाँव है…पहले ऐसे ही होता था….

मैं: रीदा आपी आप तो औरत हो…आप मुझसे बेहतर जानती होंगी…..फ़ैज़ की अम्मी इतने सालो तक कैसे बिना साथ रहे होगी….

रीदा: हाहाहा सीधे सीधे क्यों नही कहते कि, उसकी अम्मी इतने साल बिना लंड को अपनी फुद्दि मे लिए कैसे रही हो गी…

मैं: क्या औरत को मर्द की ज़रूरत इसी लिए होती है….?

रीदा: नही सिर्फ़ इसीलिए तो नही…पर समीर सेक्स ऐसी चीज़ है…जो इंसान को ग़लत सही मे फ़र्क करने के लिए नकारा कर देता है…उसकी अम्मी भी कहाँ रह पाई थी….

मैं: मतलब मैं कुछ समझा नही….

रीदा: अब ये तो खुदा ही जाने…कि बात सच्ची है या झूठी….लेकिन गाँव के लोग दबी ज़ुबान मे बात करते है कि, फ़ैज़ की अम्मी सबा का अपने ससुर के साथ चक्कर था…

मैं: था मतलब….

रीदा: (हंसते हुए) हा हाहाहा तुमने जमानेल की उमेर नही देखी अब…70 के ऊपेर का हो गया है….ऊपेर से दिन रात शराब के नशे मे डूबा रहता है…पहले शायद होगा उनके बीच मे चक्कर….लेकिन अब वो बूढ़ा कहाँ अपनी बहू को चोद पाता होगा….

मैं: हाहः कह तो तुम ठीक रही हो….

ऐसे ही ख्यालो मे डूबे हुए मैने घर को लॉक किया और फ़ैज़ के घर की तरफ चल पड़ा…जब मैं अपनी गली क्रॉस करके फ़ैज़ के घर के करीब पहुचा तो, मैने देखा बिल्लू चाचा फ़ैज़ के घर के सामने पीपल के पेड़ के नीचे बने थडे पर बैठा हुआ था…और फ़ैज़ के घर की तरफ देख रहा था…..जब मैने बिल्लू चाचा की नजरो का पीछा किया तो, देखा कि सामने छत पर चौबारे के पास फ़ैज़ की अम्मी सबा खड़ी थी….उसके बाल खुले हुए थे…शायद वो नहा कर बाहर आई थी… वो अपने हाथो से बालो को सेट कर रही थी…और नीचे बैठे बिल्लू की तरफ देख रही थी..

बिल्लू चाचा जो कि पुर गाओं मे अपनी आशिक मिज़ाजी के लिए मशहूर था…वो सबा को लाइन मार रहा था….और मुझे ये देख कर और भी ज़यादा हैरत हुई कि, सबा भी उसे लाइन दे रही थी…किसी ने सच ही कहा है….औरत अन्न और धन के बिना तो रह सकती है….पर लंड के बिना नही रही सकती…सबा जिसे मैं चाची कहता था…वो भी बिल्लू की तरफ देख कर मुस्कुरा रही थी….मैं सीधा बिल्लू के पास चला गया…” और चाचा जी की हाल है…? “ मैने बिल्लू के पास खड़े होते हुए पूछा…”

ओये समीर तुम इधर कहाँ….मैं तो ठीक हूँ…लेकिन तुम ईद का चाँद हो गये हो….” 

मैने एक बार मूड कर छत पर खड़ी सबा की तरफ देखा…तो बिल्लू चाचा ने भी मेरी नजरो का पीछा किया…

और फिर जैसे ही मैने बिल्लू चाचा की तरफ देखा तो, वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुराने लगा…”क्यों चाचा नया शिकार फँसा लिया लगता है….” 

बिल्लू मेरी बात सुन कर मुस्कुराने लगा….”यही समझ ले भतीजे……साली पर बड़े दिनो से ट्राइ मार रहा हूँ…आज जाकर स्माइल दी है… बिल्लू ने सलवार के ऊपेर से अपने लंड को मसलते हुए कहा

…” मतलब अभी तक बात आँखो आँखो से हो रही है….क्यों चाचा….”

बिल्लू: हहा भतीजे जी….पर लगता है अपना मामला सेट हो गया….अब किसी तरह एक बार इसकी फुद्दि मिल जाए बस…फिर तो खुद ही वही आ जाएगे….जहा पर इसको बुलाउन्गा…

मैं: तुम्हारी तो मोज हो गयी चाचा…..क्या माल फँसाया है….
 
बिल्लू: यार पूछ कुछ ना….साली जब चलती है…तो इसकी गान्ड ऐसे हिलती है…जैसे तरबूज हिल रहे हो…इसको तो खड़ा करके पीछे से अपना लंड इसकी गान्ड के बीच रगड़ने का बड़ा मन कर रहा है….साली दी बूँद दे बड़ा गोश्त चढ़ हुआ है…

मैं: चाचा माल तुम्हारा है….जैसे चाहे मर्ज़ी करना…

मैने मूड कर देख तो सबा अभी भी वही खड़ी थी…और हम दोनो को देख रही थी…”और तुम सूनाओ….तुम इधर कहाँ घूम रहे हो….?” 

मैं: चाचा मैं तो फ़ैज़ से मिलने आया था….

बिल्लू: ओये ख़याल रखी….फ़ैज़ को ग़लती से कुछ बता ना देना..

मैं: नही बताता चाचा…मैने बता कर क्या करना है…और सूनाओ सुमेरा चाची की तो रोज मारते होगे…..

बिल्लू: कहाँ यार…पता नही साली को क्या हो गया….दो साल हो गये उसकी फुददी मारे …पैन्चोद अब तो हाथ भी रखने नही देती अपने ऊपेर….

मैने मन ही मन सोचा चाचा हाथ तुझे सबा भी नही रखने देगी… अब इस पर मेरी भी आँख आ गयी है….देखता हूँ कि , कोन इसे पहले चोदता है….” अच्छा चाचा मैं ज़रा फ़ैज़ से मिल कर आता हूँ…..

बिल्लू: अच्छा जा….

मैं वहाँ से मुड़ा तो देखा कि सबा अब वहाँ नही खड़ी थी…मैं फ़ैज़ के घर अंदर दाखिल हुआ तो, सामने बरामदे मे फ़ैज़ की दादी बैठी हुई थी…जो काफ़ी बूढ़ी हो गयी थी…आँखो पर नज़र वाला मोटा चस्मा लगा हुआ था…मैने जाकर उनके पैर छुए….”वे कॉन है तूँ…..की काम है…” 

मैं: दादी जी मैं समीर….बॅंक वाले फ़ैसल का बेटा….

दादी: ओह्ह अच्छा अच्छा….बेटा अब इन बूढ़ी आँखो को दिखाई कम देता है ना…

मैं: कोई बात नही दादी जी….मैं फ़ैज़ से मिलने आया था…

दादी: ऊपर ही होना है…जाकर मिल लये

मैं सीढ़ियाँ चढ़ कर ऊपेर चला गया….जब मैं ऊपेर पहुचा तो देखा सबा चारपाई पर धूप मे बैठी हुई थी….”सलाम चाची जी…” मैने मुस्कुराते हुए कहा…”सलाम आ समीर पुत्तर आज इधर का रास्ता कैसे भूल गये….?” सबा ने भी मुस्कुरा कर कहा…”जी मैं फ़ैज़ से मिलने आया था….आज सनडे था तो सोचा फ़ैज़ के साथ कही घूम फिर आउ…..”

सबा चाची: पर वो तो अपने दोस्तो के साथ सहर गया है….

मैं: अच्छा कोई बात नही….फिर कभी उससे मिल लूँगा…मैं चलता हूँ…

सबा: अर्रे अभी तो आए हो….रुक कर दम तो ले लो…मैं तुम्हारे लिए चाइ बनाती हूँ..

मैं: रहने दें चाची…मैं इस वक़्त चाइ नही पीता….

सबा: तो क्या हुआ आज चाची के हाथ की चाइ पी लो…वैसे भी सर्दी है…

मैं: ठीक है…चाची जी जैसे आप कहें….
 
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