hotaks444
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सबा अंदर चली गयी…थोड़ी देर बाद वो चाइ बना कर ले आई…एक कप उन्होने मुझे दिया…”और सूनाओ समीर तुम्हारी स्टडी कैसी चल रही है…?” सबा चाची ने मेरे पास चारपाई पर बैठते हुए कहा…
मैं: जी ठीक चल रही है….(मैने नोटीस किया कि सबा चाची किसी बात को लेकर परेशान हो रही थी….मुझे ऐसा लग रहा था….जैसे वो मुझसे कुछ पूछना चाहती हो….आख़िर कार थोड़ी देर बाद उन्होने ने मुझसे पूछ ही लिया….)
सबा चाची: तुम बिल्लू के पास खड़े होकर क्या बात कर रहे थे….?
मैं: कुछ नही ऐसे ही इधर उधर की बातें कर रहे थे….
सबा चाची: इधर उधर की या कुछ और बात हो रही थी…..?
मैं: नही तो बस ऐसे ही गाओं की बातें कर रहे थे…..
सबा: समीर देख मैने देखा था…जब तुम दोनो बात कर रहे थे…तो बार -2 मूड कर मेरी तरफ देख रहे थे….
मैं: चाची जी भला मैने आपके बारे मे क्या बात करनी है….आप को ऐसे ही वेहम हो रहा है….
सबा चाची: और वो बिल्लू वो तो मेरे बारे मे नही बात कर रहा था….
मैं सबा चाची की बात सुन कर चुप हो गया…मैने जान बुझ कर उनकी बात का कोई जवाब ना दिया…ताकि सबा चाची का शक और पक्का हो जाए कि, हम दोनो उसके बारे मे ही बात कर रहे थे…
.”क्या हुआ चुप क्यों हो गये…वो ज़रूर मेरे बारे मे ही बात कर रहा होगा….आवारागर्द कही का…सारा दिन घर के सामने डेरा जमाए रहता है….” सबा चाची मुझे ये सब इस लिए सुना रही थी कि, मैं उनके बारे मे कुछ ग़लत ना सोचूँ…और ये सोचूँ कि वो भी गाओं की बाकी औरतों की तरह बिल्लू को आवारागर्द किस्म का इंसान मानती है….
सबा चाची: समीर बोल ना क्या कह रहा था….
मैं: जाने दें ना चाची….वो तो है ही ऐसा गंदा इंसान…तो उसकी सोच भी तो गंदी होगी ना….
सबा चाची: तू मुझे बता तो सही कि वो क्या कह रहा था….
मैं: चाची जी वो कह रहा था… जाने दें ना चाची….मुझे तो कहते हुए भी शरम आती है…..और आप कही मुझ पर ही गुस्सा ना हो जाए…..
सबा चाची: तू बता मैने तुम पर क्यों गुस्सा करना है….तुम थोड़ा ना मेरे बारे मे कुछ ग़लत कह रहे हो…..
मैं: चाची जी वो बोल रहा था कि, साली क्या माल है….बस एक बार हाथ लग जाए तो मज़ा आ जाए…
मैं: जी ठीक चल रही है….(मैने नोटीस किया कि सबा चाची किसी बात को लेकर परेशान हो रही थी….मुझे ऐसा लग रहा था….जैसे वो मुझसे कुछ पूछना चाहती हो….आख़िर कार थोड़ी देर बाद उन्होने ने मुझसे पूछ ही लिया….)
सबा चाची: तुम बिल्लू के पास खड़े होकर क्या बात कर रहे थे….?
मैं: कुछ नही ऐसे ही इधर उधर की बातें कर रहे थे….
सबा चाची: इधर उधर की या कुछ और बात हो रही थी…..?
मैं: नही तो बस ऐसे ही गाओं की बातें कर रहे थे…..
सबा: समीर देख मैने देखा था…जब तुम दोनो बात कर रहे थे…तो बार -2 मूड कर मेरी तरफ देख रहे थे….
मैं: चाची जी भला मैने आपके बारे मे क्या बात करनी है….आप को ऐसे ही वेहम हो रहा है….
सबा चाची: और वो बिल्लू वो तो मेरे बारे मे नही बात कर रहा था….
मैं सबा चाची की बात सुन कर चुप हो गया…मैने जान बुझ कर उनकी बात का कोई जवाब ना दिया…ताकि सबा चाची का शक और पक्का हो जाए कि, हम दोनो उसके बारे मे ही बात कर रहे थे…
.”क्या हुआ चुप क्यों हो गये…वो ज़रूर मेरे बारे मे ही बात कर रहा होगा….आवारागर्द कही का…सारा दिन घर के सामने डेरा जमाए रहता है….” सबा चाची मुझे ये सब इस लिए सुना रही थी कि, मैं उनके बारे मे कुछ ग़लत ना सोचूँ…और ये सोचूँ कि वो भी गाओं की बाकी औरतों की तरह बिल्लू को आवारागर्द किस्म का इंसान मानती है….
सबा चाची: समीर बोल ना क्या कह रहा था….
मैं: जाने दें ना चाची….वो तो है ही ऐसा गंदा इंसान…तो उसकी सोच भी तो गंदी होगी ना….
सबा चाची: तू मुझे बता तो सही कि वो क्या कह रहा था….
मैं: चाची जी वो कह रहा था… जाने दें ना चाची….मुझे तो कहते हुए भी शरम आती है…..और आप कही मुझ पर ही गुस्सा ना हो जाए…..
सबा चाची: तू बता मैने तुम पर क्यों गुस्सा करना है….तुम थोड़ा ना मेरे बारे मे कुछ ग़लत कह रहे हो…..
मैं: चाची जी वो बोल रहा था कि, साली क्या माल है….बस एक बार हाथ लग जाए तो मज़ा आ जाए…