Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन - Page 3 - SexBaba
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Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन

सबा अंदर चली गयी…थोड़ी देर बाद वो चाइ बना कर ले आई…एक कप उन्होने मुझे दिया…”और सूनाओ समीर तुम्हारी स्टडी कैसी चल रही है…?” सबा चाची ने मेरे पास चारपाई पर बैठते हुए कहा…

मैं: जी ठीक चल रही है….(मैने नोटीस किया कि सबा चाची किसी बात को लेकर परेशान हो रही थी….मुझे ऐसा लग रहा था….जैसे वो मुझसे कुछ पूछना चाहती हो….आख़िर कार थोड़ी देर बाद उन्होने ने मुझसे पूछ ही लिया….)

सबा चाची: तुम बिल्लू के पास खड़े होकर क्या बात कर रहे थे….?

मैं: कुछ नही ऐसे ही इधर उधर की बातें कर रहे थे….

सबा चाची: इधर उधर की या कुछ और बात हो रही थी…..?

मैं: नही तो बस ऐसे ही गाओं की बातें कर रहे थे…..

सबा: समीर देख मैने देखा था…जब तुम दोनो बात कर रहे थे…तो बार -2 मूड कर मेरी तरफ देख रहे थे….

मैं: चाची जी भला मैने आपके बारे मे क्या बात करनी है….आप को ऐसे ही वेहम हो रहा है….

सबा चाची: और वो बिल्लू वो तो मेरे बारे मे नही बात कर रहा था….

मैं सबा चाची की बात सुन कर चुप हो गया…मैने जान बुझ कर उनकी बात का कोई जवाब ना दिया…ताकि सबा चाची का शक और पक्का हो जाए कि, हम दोनो उसके बारे मे ही बात कर रहे थे…

.”क्या हुआ चुप क्यों हो गये…वो ज़रूर मेरे बारे मे ही बात कर रहा होगा….आवारागर्द कही का…सारा दिन घर के सामने डेरा जमाए रहता है….” सबा चाची मुझे ये सब इस लिए सुना रही थी कि, मैं उनके बारे मे कुछ ग़लत ना सोचूँ…और ये सोचूँ कि वो भी गाओं की बाकी औरतों की तरह बिल्लू को आवारागर्द किस्म का इंसान मानती है….

सबा चाची: समीर बोल ना क्या कह रहा था….

मैं: जाने दें ना चाची….वो तो है ही ऐसा गंदा इंसान…तो उसकी सोच भी तो गंदी होगी ना….

सबा चाची: तू मुझे बता तो सही कि वो क्या कह रहा था….

मैं: चाची जी वो कह रहा था… जाने दें ना चाची….मुझे तो कहते हुए भी शरम आती है…..और आप कही मुझ पर ही गुस्सा ना हो जाए…..

सबा चाची: तू बता मैने तुम पर क्यों गुस्सा करना है….तुम थोड़ा ना मेरे बारे मे कुछ ग़लत कह रहे हो…..

मैं: चाची जी वो बोल रहा था कि, साली क्या माल है….बस एक बार हाथ लग जाए तो मज़ा आ जाए…
 
मैने देखा कि, मेरे बात सुन कर चाची के चेहरे का रंग लाल होने लगा था..”बड़ा कमीना इंसान है वो तो…” चाची ने मेरी तरफ देखते हुए कहा…

मैं: ये तो कुछ भी नही चाची जी….जो उसने आगे कहा….उसे सुन कर तो मेरे होश उड़ गये….

चाची: अच्छा सुना क्या कहा उसने…मैं भी तो सुनू उसकी करतूतो के बारे मे….

मैं: चाची जी वो कह रहा था कि….

चाची: बोल ना क्या कह रहा था….

मैं: जाने दें चाची आप मुझे पर ही गुस्सा करेंगे….

चाची: मैने कहा ना मैं तुम पर गुस्सा नही करूँगी…

मैं: वो कह रहा था कि, आप की उस पर बहुत गोश्त चढ़ गया है…मेरा बड़ा मन करता है कि, मैं सबा के उसको हाथ मे लेकर ज़ोर-2 से दबाऊ…

चाची: क्या कहा….कैसा जॅलील इंसान है….मुझे कहाँ गोश्त चढ़ गया….

मैं: चाची जी वो आपकी बूँद की बात कर रहा था….

चाची: ये क्या बदतमीज़ी है समीर…तुमने ऐसे वर्ड कहाँ से सीख लिए…

मैं: देखा चाची जी मैने कहा था ना….आप सुन नही पाएँगे और मुझ पर गुस्स करेंगे….

चाची: सॉरी बेटा….वो मुझे गुस्सा आ गया था…लेकिन इसमे तुम्हारी क्या ग़लती… तुम तो वही कह रहे हो जो वो हरामजादा कह रहा था….आने दो फ़ैज़ के दादा को… इसकी खबर तो मे लेती हूँ..उनको कह कर…..

मैं: जाने दें चाची…क्यों ऐसे लोगो के मूह लगना…वैसे एक बात कहूँ चाची जी…(मैने चाइ का खाली कप नीचे रखते हुए कहा…)

चाची: हां बोलो….

मैं: चाची जी आप भी तो उसे मुस्कुरा कर लाइन मार रही थी…

चाची: तुमसे किसने कहा….वो झूठ बोलता है….

मैं: उसने नही कहा चाची….मैने खुद अपनी आँखो से देखा है…वैसे उसने आपके बारे मे एक बात सच कही….

चाची: (थोड़ा सा गुस्से से बोलते हुए…) क्या…..

मैं: आपकी बूँद पर सच मे बहुत गोश्त चढ़ गया है…जब आप अंदर गयी थी..तब मैने देखा था….सच मे चाची जी….उसे देख कर दिल करता ही है दबाने को….

चाची: अपनी हद मे रह लड़के…मैने तुम्हे थोड़ी से ढील क्या दे दी…तुम तो बदतमीज़ी पर ही उतर आए हो….मूह पर दाढ़ी मूच्छे आई नही…और अभी से इतनी बड़ी-2 बातें करने लगे हो….(जिस तरह चाची रिएक्ट कर रही थी…उससे सॉफ पता चल रहा था…कि उनका गुसा बनावटी है…)

मैं: चाची जी दाढ़ी मूछ का क्या करोगे….असली चीज़ तो अभी आप ने देखी ही नही…

चाची: चल दफ्फा हो जा यहाँ से आया बड़ा….(मैने देखा चाची के होंटो पर मुस्कान थी…) लगता है तुमने फ़ैज़ के दादा की बंदूक के बारे मे सुना नही है….

मैं: मैने तो बड़ा सुना है…..लेकिन शायद आप ने मेरी बंदूक नही देखी…. (मेरा इशारा अपने लंड की तरफ था…) अच्छा अगर बिल्लू के लिए कोई पेगाम भिजवाना है तो, मुझे बता दो….मैं बिल्लू को बता दूँगा…..आप मुझ पर भरोसा रखे….ये बात मे किसी को नही कहूँगा….
 
चाची: मुझे नही कोई पेगाम वेगाम भिजवाना….

मैं: अच्छा फिर तो मे चलता हूँ…..

मैं वहाँ से निकल कर अपने घर की तरफ चल पड़ा….जब मे बाहर निकला तो, देखा बिल्लू अभी भी वही थडे पर बैठा था….”क्यों भतीजे मिल आया अपने दोस्त से….” मैने स्माइल करते हुए हां मे सर हिलाया और घर की तरफ चल दिया…



मैं घर पहुचा और गेट पर लगा ताला खोला और घर के अंदर दाखिल हो गया….दोपहर के 12 बज चुके थे….मैं फिर से अपने रूम मे चला गया… लाइट आ चुकी थी….मैने टीवी ऑन किया और फिर से रज़ाई मे घुस कर बेड पर बैठ गया….और फिर से पुराने दिनो के यादो मे खो गया…........................



उससे अगले दिन जब मे स्कूल से आने के बाद सुमेरा चाची के घर गया तो, उस दिन सुमेरा चाची घर पर ही थी…बिल्लू भी वही बैठा हुआ था….और रीदा आपी किचन मे खाना बना रही थी… पास ही रीदा आपी के दोनो बेटे लेटे हुए थे...मैने स्कूल बॅग नीचे रखा और पलंग पर बैठ गया…और रीदा आपी के बच्चो को खेलने लगा…..”आज कैसा रहा स्कूल…” रीदा आपी ने किचन के डोर पर आकर कहा….”जी अच्छा था….” रीदा आपी ने सब को खाना दिया.. और खुद भी खाना खाने लगी….

खाना खाते हुए बार-2 मेरी नज़र कभी सुमेरा चाची तो, कभी बिल्लू की तरफ जाती.. और जब बिल्लू की मेरी नज़रें मुझसे मिलती तो वो मुस्कुरा देता…और साथ ही सुमेरा चाची की तरफ देख कर इशारा कर देता…रीदा आपी ने जल्दी -2 खाना खाया….और अपने बच्चो को लेकर ऊपेर चली गयी…और जाते जाते मुझे बोली कि खाना खा कर मैं भी ऊपेर आ जाउ…मैने हां मे सर हिला दिया…बिल्लू बार-2 मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा रहा था

…”तुम क्या दाँत निकाल रहे हो बार-2 चुप चाप खाना नही खाया जाता तुमसे…..” सुमेरा चाची ने बिल्लू को झिड़कते हुए कहा…सुमेरा चाची परसो की बात से खोफ़जदा थी…उन्हे डर था कि, मेने जो उस दिन देखा था….किसी को बता ना दूं…

.”भतीजे कीड़ा फिर….लोगे चाची दी….” बिल्लू ने पहले मेरी तरफ देखा और फिर हंसते हुए सुमेरा चाचा की तरफ….

मेरा तो गला सुख गया था…बिल्लू की बात सुन कर…मैने अपनी नज़रें झुका ली…. 

“की बकवास करी जा रहा है…कंज़र ना होवे तां….” सुमेरा चाची ने बिल्लू को झिड़कते हुए कहा….तो बिल्लू भी चुप हो गया…बिल्लू ने खाना खाया और प्लेट को किचन मे रखने चला गया…मैने सर उठा कर सुमेरा चाची की तरफ देखा तो, वो मुझे ही देख रही थी….जैसे ही हमारी नज़रें मिली मैने फॉरन अपने सर को झुका लिया और जल्दी-2 खाना खा कर वहाँ से उठा और अपना बॅग उठा कर ऊपेर चला गया…फ़ारूक़ चाचा रोज की तरह खेतों मे थे….उनके खेत गाओं मे सबसे ज़यादा दूर पड़ते थे…इसलिए फ़ारूक़ चाचा जब खेतो मे जाते तो, शाम को घर वापिस आते थे….सुमेरा चाची बिल्लू के हाथ फ़ारूक़ चाचा का खाना भिजवा दिया करती थी….मैं जैसे ही ऊपेर रीदा आपी के रूम मे पहुचा तो, नीचे से सुमेरा चाची की आवाज़ आई…

चाची रीदा आपी को बुला रही थी….रीदा आपी रूम से बाहर आई और सीढ़ियो पर खड़े होकर नीचे आवाज़ देकर पूछा..”क्या हुआ अम्मी….?” 

चाची: उज़मा आई है….तुझे खानो के घर जाना नही है क्या…?

रीदा: ओह्ह्ह मे तो भूल ही गयी थी….मैं अभी तैयार होकर आती हूँ….

इतने मे उज़मा जो कि फ़ारूक़ चाचा के घर के पास वाले घर मे रहती थी… वो ऊपेर आ गयी….आज गाओं मे किसी के घर शादी थी…..उनकी बेटी की, इसलिए रीदा आपी ने भी जाना था…मैं अभी रूम मे बेड पर बैठा ही था कि, दोनो अंदर आ गये…रीदा आपी ने मुझे देखा और मुस्कुराते हुए बोली….”समीर नीचे जाओ…मुझे कपड़े चेंज करने है….”

मैं: जी आपी….

रीदा: अपना ये बॅग भी ले जाओ…मैने रूम को बंद करके जाना है….

मैं: जी….

रीदा: तुम चलोगे साथ मे….

मैं: जी नही….मैने वहाँ क्या करना है….

मैने बॅग उठाया और नीचे आ गया…जब नीचे पहुचा तो, नीचे उज़मा की छोटी बेहन चेअर पर बैठी थी….मैने नीचे बॅग रखा और पलंग पर बैठ गया..सुमेरा चाची किचन मे थी…

.मैं अभी वहाँ बैठा ही था कि, बाथरूम का डोर खुला और बिल्लू बाहर आया…”परजाई चाय बनी कि नही….?” बिल्लू ने बाहर आकर टवल से हाथ पोन्छते हुए कहा…
 
इतने मे सुमेरा चाची चाइ का बड़ा सा स्टील का ग्लास लेकर बाहर आ गयी…उसने बिल्लू को ग्लास पकड़ाया और मेरी तरफ देखते हुए बोली.. “समीर पुत्तर तूँ चाय पीएगा….” 

पर मैने मना कर दिया…

.”अब जल्दी चाय पी और अपने भाई साहब को खाना दे आ…वहाँ वो मुझे गालियाँ निकाल रहा होगा….”

सुमेरा चाची ने मेरे पास पलंग पर बैठते हुए कहा….बिल्लू चाइ पीने लगा…इतने मे रीदा आपी तैयार होकर उज़मा के साथ नीचे आ गयी…उज़मा और रीदा आपी दोनो ने एक एक बच्चे को उठाया हुआ था…आज तो रीदा आपी कहर ढा रही थी…मुझे इस बात का बड़ा अफ़सोस हो रहा था कि, आज मैं रीदा आपी के साथ वक़्त नही बिता पाउन्गा…..वो उज़मा और उसकी छोटी बेहन के साथ चली गयी….

”उफ़फ्फ़ गरमी की तो हद है….दो मिनट गॅस के सामने खड़े होना भी मुस्किल कर दिया गरमी ने….” सुमेरा चाची ने अपने दुपट्टे से पसीना सॉफ करते हुए कहा…

.”लाओ भाभी खाने का डिब्बा दो…” बिल्लू ने पलंग से उठते हुए कहा…और ग्लास सुमेरा चाची को पकड़ा दिया..सुमेरा चाची उठी और किचन मे चली गयी…वहाँ से लंच बॉक्स लाकर बिल्लू को दिया…

बिल्लू ने लंच बॉक्स लिया और गेट के पास खड़ी अपनी साइकल के पीछे टाँग कर एक बार मेरी तरफ मुस्कुराते हुए देखा…और फिर सुमेरा चाची को अपने पास बुला लिया… सुमेरा चाची उसके पास चली गयी….वो दोनो पता नही क्या बात कर रहे थे… लेकिन मुझे ऐसा लग रहा था कि, शायद वो मेरे बारे मे यही बात कर रहे होंगे… अब इस कान्टो को बीच मे से कैसा निकाला जाए…क्यों कि आज ऊपेर रूम बंद था…और मैं नीचे बैठा हुआ था…इतनी धूप मे सुमेरा चाची मुझे बाहर जाने को भी नही कह सकती थी….मैने उन दोनो की तरफ देखा तो, चाची मुस्कुराते हुए बिल्लू के कंधे पर मुक्का मार रही थी….”चल पागल…” मुझे सुमेरा चाची की यही बात सुनाई दी….फिर चाची ने मेरी तरफ देखा तो उसके होंटो पर मजीद मुस्कान छाई हुई थी….

फिर चाची ने गेट खोला और बिल्लू अपने साइकल लेकर बाहर चला गया…उसने बाहर से थोड़ा उँची आवाज़ मे चाची को कहा….”भाभी मे शाम को ही वापिस आउन्गा…” उसके जाने के बाद सुमेरा चाची ने गेट बंद किया और जब वो अंदर की तरफ आ रही थी…तो वो बड़ी अजीब सी नज़रो से मेरी तरफ देख रही थी…वो मेरी तरफ देखते हुए किचन मे चली गये.,…और अंदर जाकर बर्तन सॉफ करने लगी…”समीर…”

मैं: हंजी चाची जी….

चाची: पुत्तर जा मेरे कमरे मे जाके लेट जा….यहा बाहर तो गरमी है….अंदर से कूलर ऑन कर लेना….

मैं: नही चाची जी मैं यही ठीक हूँ…

चाची: समीर तुम ना शरमाया ना करो….इसे अपना ही घर समझो….

मैं: नही चाची ऐसी कोई बात नही है…मैं यही ठीक हूँ…..

चाची के रूम के बाहर विंडो पर कूलर लगा हुआ था….मन तो कर रहा था कि, कूलर चला कर अंदर जाके आराम से ठंडी हवा मे लाइट जाउ…पर मैं उस वक़्त किसी और घर मे था…और मैं झीजक भी रहा था…

थोड़ी देर बाद चाची बाहर आई…”यहा क्यों ख्वार हो रहा है….जा अंदर जाके लेट जा….” चाची ने कमरे के बाहर लगे हुए स्विच को ऑन किया तो कूलर चल पड़ा…”जा अंदर जाके लेट जा… मैं नहा कर आती हूँ…इस पसीने ने तो मत मार कर रखी है….” 

मैं बिना कुछ बोले कमरे मे चला गया…क्योंकि चाची ने कूलर चला दिया था…इसलिए मैं उनकी बात ना टाल सका…मैं अंदर जाकर बेड पर बैठ गया…अंदर लाइट ऑफ थी…पूरा घर छत से कवर था….इसलिए कमरे मे बहुत हल्की रोशनी थी….मुझे वहाँ बैठे हुए बड़ा अजीब सा फील हो रहा था…मुझे अजीब-2 तरह के ख़याल आ रहे थे…जैसे कि कही चाची मुझे कुछ कर ना दें…अपना गुनाह छुपाने के लिए….मैं अपने ही ख़याली पुलाओ पका रहा था कि, 10 मिनट बाद चाची रूम मे एंटर हुई….अंदर आकर उन्होने लाइट ऑन कर दी…” 
 
ये क्या समीर…तुम तो ऐसे बैठे हो….जैसे किसी ने सज़ा दी हो हाहाहा…. आराम से लेट जाओ…” चाची ने अपने खुले हुए बालो को हाथो से सेट करते हुए कहा….मैं बेड के किनारे पर बैठा हुआ था… और मेरे से 2 फुट के फाँसले पर ड्रेसिंग टेबल था….

सुमेरा चाची ड्रेसिंग टेबल के सामने जाकर खड़ी हो गयी….जैसे ही वो मेरे सामने पीठ करके खड़ी हुई….तो अपने सामने का मंज़र देख कर मेरा पूरा जिस्म काँप गया….सुमेरा चाची ने बड़ा ही पतला सा पिंक कलर का सलवार कमीज़ पहना हुआ था….उसमे से उसका पूरा जिस्म नुमाया हो रहा था….मुझे पीछे उनकी पूरी पीठ इस कदर तक सॉफ दिखाई दे रही थी…मानो जैसे उन्होने कमीज़ पहनी ही ना हो….ऊपेर से कमीज़ उनके गीले बदन से चिपकी हुई थी….अपने सामने का नज़ारा देख मेरा लंड मेरी सलवार मे शख्त होने लगा…मेरी नज़र चाची सुमेरा के पीछे की तरफ निकली हुई मोटी से बूँद पर अटकी हुई थी…

उस वक़्त मुझे ये मालूम नही था कि, सेक्स के दोरान बूँद को मसला भी जाता है…. फिर भी मेरा मन उस वक़्त यही कर रहा था….कि मे पीछे से चाची सुमेरा की बूँद को अपने दोनो हाथो मे लेकर दबा दूं…मैं अपने ही ख्यालो मे चाची सुमेरा की बाहर को निकली हुई बूँद की तरफ देख रहा था कि, चाची सुमेरा एक दम से सीधी हो गयी…..मैं चाची के ऐसे मुड़ने से घबरा गया….और अपनी नज़रें नीचे कर ली..चाची सुमेरा मेरे पास बेड पर बैठ गयी…

“क्या सोच रहे हो…?” चाची सुमेरा ने मेरी थाइ पर हाथ रखते हुए कहा…चाची के नरम हाथ को अपनी थाइ पर महसूस करके मुझे झटका सा लगा….जिसे शायद चाची सुमेरा ने भी महसूस किया..

“कुछ नही ऐसे ही….” मैं इससे ज़्यादा ना बोल पाया…..

सुमेरा: तुमने कल बिल्लू को क्या कहा था….? 

चाची के बात सुन कर मैं हैरत से उनकी तरफ देखने लगा…फिर सोचने लगा कि, कल मैने बिल्लू को क्या कहा था…जब कोई बात जेहन मे नही आई तो, मैने ना मे सर हिलाते हुए कहा…”मैने तो कुछ भी नही कहा….” 

चाची सुमेरा मेरी बात सुन कर मुस्कुराने लगी…”बड़े चालाक हो….अब मुकर क्यों रहे हो….”

मैं: सच मे चाची मैने तो बिल्लू चाचा से कुछ भी नही कहा है….

चाची: अच्छा पर वो तो कह रहा था कि, तुमने उससे कहा कि तुम भी मेरी लेना चाहते हो…..

मैं: नही चाची मैने ऐसा कुछ भी नही कहा…कसम से….

चाची: तो फिर क्या वो झूट बोल रहा था….

मैं: जी चाची….

चाची: पर उसने मुझसे झूट क्यों बोलना…तुमने ज़रूर उसे कहा होगा…नही तो वो ऐसी बात क्यों करता….

मैं: चाची जी सच मैने ऐसा कुछ नही कहा….आप मेरा यकीन करें….

चाची:देखो समीर मैं तुम पर गुस्सा नही करूँगी….पर सच बोलो…तुमने बिल्लू से नही कहा था कि, तुमने मेरी लेनी है….

मैं: नही चाची जी सच मे मैने नही कहा…..मुझे तो याद भी नही मैने कब उससे ये कह दिया कि, मैने आपकी फुद्दि लेनी है…
 
उस समय मैं इतना घबरा गया था कि, मुझे ध्यान ही नही रहा कि, मैने चाची सुमेरा के सामने फुददी जैसे वर्ड का इस्तेमाल कर दिया है…पर जैसे ही मुझे इस बात का अहसास हुआ तो, मेरी ऐसी फटी कि पूछो मत….मुझे ऐसा लग रहा था कि, चाची अभी मुझे घर से धक्के देकर बाहर निकाल देंगी….मैने सहमे हुए चाची की तरफ देखा तो, उसके होंटो पर मजीद मुस्कान फैली हुई थी….

”मैने कब कहा कि वो फुद्दि की बात कर रहा था….” चाची ने मुस्कुराते हुए कहा…और धीरे-2 मेरी थाइ के ऊपेर हाथ फेरने लगी….मेरा लंड जो कि पहले डर की वजह से बैठ गया था.. चाची के इस तरह हाथ फेरने से फिर से खड़ा होने लगा था…

मैं चाची की बात सुन कर अपने आप को बेहद शर्मिंदा महसूस कर रहा था… “सॉरी चाची जी….पर मैने सच मे ऐसा कुछ नही कहा था….” मैने थोड़ा सा डरते हुए कहा

…”अच्छा चलो दफ़ा करो बिल्लू को….वो तो ऐसे ही कुछ ना कुछ बकता रहता है….” फिर रूम मे थोड़ी देर खामोशी छाई रही…..चाची बेड पर चढ़ कर लेट गये….”समीर….” चाची ने लेटने के बाद मुझे आवाज़ लगाई तो, मैने मूड कर अपने पीछे लेटी चाची की तरफ देखा तो, मेरा गला एक दम से सूख गया…चाची पीठ के बल बेड पर लेटी हुई थी….चाची पतले से पिंक कलर के सूट मे थी….उन्होने नीचे ब्रा नही पहनी हुई थी….इसकी वजह से उसके मम्मो का साइज़ सॉफ नज़र आ रहा था…चाची के डार्क ब्राउन कलर के निपल्स भी सॉफ नज़र आ रहे थे…

चाची: समीर लाइट बंद कर दे…..

मैने चाची की बात का कोई जवाब ना दिया…और उठ कर लाइट बंद कर दी…और फिर से बेड पर आकर बैठ गया…मेरी पीठ चाची की तरफ थी….उन्होने ने लेटे-2 मेरी पीठ पर हाथ रख कर धीरे-2 पीठ पर फेरना शुरू कर दिया…”समीर तू भी लेट जा….रीदा को आने मे काफ़ी टाइम लगेगा….इतनी देर ऐसे बैठे-2 थक जाएगा….”

मैं चाची की बात सुन कर खामोशी से बेड पर लेट गया….चाची ने करवट बदल कर मेरी तरफ फेस कर लिया….और फिर अपना एक बाज़ू मेरे ऊपेर से निकाल कर मेरे कंधे को पकड़ कर अपनी तरफ पुश किया तो, मैं भी बिना किसी जदोजेहद के करवट के बल हो गया….अब मेरा और चाची का फेस आमने सामने था….

रूम मे बाहर से हल्की रोशनी आ रही थी…चाची ने धीरे-2 मेरे कंधे पर हाथ फेरते हुए कहा…”मुझे पता है हमारा समीर कभी ऐसा बोल ही नही सकता… वो बिल्लू है ही कंज़र…तू उसकी बातो को सीरीयस मत लेना…..” चाची का हाथ लगतार मेरे कंधे और बाज़ू पर चल रहा था…

.”जी चाची….” मैने इससे ज़यादा और कुछ ना कहा….

”अच्छा समीर एक बात पूछूँ…?” चाची ने सरगोशी मे कहा…..

मैं: जी…

चाची: सच सच बताओगे ना….?

मैं: जी चाची….

चाची: तुम्हारा दिल करता है मेरी लेने का…..

मैं: ये आप क्या बोल रही है….मैने कभी आपके बारे में ऐसा सोचा भी नही….

चाची: मुझे पता है…पहले कभी नही सोचा होगा….लेकिन आज तो सोच रहे हो ना..

मैं: जी नही चाची जी….मैने आपके बारे मे ऐसे क्यों सोचना….

चाची: फिर झूठ…अगर नही सोच रहे तो फिर ये क्या है….

चाची ने मेरे कंधे से हाथ हटा कर नीचे लेजाकर मेरी सलवार के ऊपेर से मेरे लंड को पकड़ लिया…जो पहले ही पूरी तरह सख़्त हो चुका था….चाची ने सलवार के ऊपेर से मेरे लंड को दो चार बार दबाया ही था कि, मेरा लंड और ज़्यादा सख़्त हो गया….मेरे जिस्म को झटका सा लगा….”अब बोल तेरा दिल कर रहा है ना मेरी लेने का… “ चाची धीरे-2 मेरे लंड को सलवार के ऊपेर से दबा रही थी….जो पूरी तरह हार्ड हो चुका था…

.”ये आप क्या कह रही है…..” मैने सिसकते हुए कहा… 
 
“सच कह रही हूँ….बोल ना तेरा मन कर रहा है करने को…” अब मुझसे भी बर्दास्त नही हो रहा था….”जी…..”

चाची: क्या जी…..?

मैं: जो आप पूछ रही है…..

चाची: सॉफ-2 बोल ना सिर्फ़ जी से काम नही चलने वाला…..

मैं: चाची जी मेरा दिल कर रहा है….

चाची: क्या कर रहा है तेरा दिल….

मैं: आपकी लेने का….

चाची: क्या….? (चाची ने सरगोशी से भरी आवाज़ मे कहा….और आख़िर मैने भी हिम्मत करके कह दिया..क्यों कि नीचे चाची मेरे लंड को मजीद दबाए जा रही थी….और मुझसे अब और सहन नही हो रहा था….)

मैं: आपकी फुद्दि….

चाची: तू मारेगा मेरी फुद्दि….?

मैं: जी चाची….

चाची ने मेरी सलवार का नाडा खोल कर मेरे लंड को बाहर निकाल लिया…और मेरे लंड को हिलाते हुए बोली…”जी चाची…” मैने हिम्मत करके कहा….चाची का हाथ अब मेरे लंड के लंबाई मोटाई नापने लगा था…तेरा लंड तो अभी से बड़ा तगड़ा हो गया है… मैं तो तुम्हे बच्चा समझती थी….” 

मैं चाची की बात सुन कर मुस्कुराने लगा… “चल फिर आजा मार ले मेरी फुद्दि…मैने आज तुमको मना नही करना है….” चाची ने मुझे अपनी तरफ पुश करते हुए कहा…. 

“पर कैसे….? “ अब मैं भला कैसे और कहाँ से शुरू करता…

चाची को भी इस बात का अहसास था… “फुद्दि मारन दा शॉंक तां बड़ा चढ़ाया है….अब मैं बताऊ कि कैसे फुद्दि मारी जाती है..”

मैं: जी चाची…

चाची: चल आजा फिर…आज तुझे सब सिखा ही देती हूँ…..

सुमेरा ने मेरा ऐक हाथ पकड़ा और अपनी कमर के पीछे ले जाते हुवे बोली. …और उसने अपना हाथ भी मेरी कमर के पीछे लेजा कर रख दिया…”सबसे पहले एक दूसरे के जिस्म को अपनी बाहों मे लिया जाता है…फिर एक मर्द औरत के जिस्म को अपने हाथो से सहलाता है….औरत के जिस्म के हर अंग को दबा कर मसल कर सहला कर औरत को गरम किया जाता है…चलो अब करो….जैसे मैने तुम्हे बताया है…”

मैने सुमेरा की कमर के पीछे हाथ रख कर उस को अपनी तरफ़ दबाया और उस के मोटे मोटे मम्मो को अपने सीने पर दबा लिया...सुमेरा ने भी मेरी कमर के पीछे हाथ रखा और मुझे गले लगा लिया..

.“हां ठीक है ऐसे ही अब नीचे से भी करीब आते हैं.. ”सुमेरा ने मेरी गान्ड पर हाथ रखा और मेरे लंड वाले हिस्से को भी अपनी फुददी की तरफ़ दबा लिया...मेरा लंड शलवार से बाहर था इस लिए फॉरन ही वो सुमेरा की टाँगों के दरम्यान उस की पतली सी शलवार के ऊपेर से ही उस की फुददी से टच होने लगा...मुझे उसकी फुद्दि की गरमी अपने लंड के टोपे पर सॉफ महसूस हो रही थी… और सुमेरा का बदन भी काँप रहा था….

मैने थोड़ा सा और आगे हो कर लंड को सुमेरा की फुददी के लिप्स के दरम्यान दबा दिया..

.सुमेरा मुकम्मल तोर पर मेरे साथ चिपक गयी और मेरे फेस के सामने फेस लाते हुए बोली... “अच्छा अब किस करते है…” सुमेरा ने मेरे गाल को चूमा फिर मेरे पूरे फेस और होंटो को पागलो की तरफ चूमने लगी…वो अब पूरी तरह से गरम हो चुकी थी…उसकी साँसे उखाड़ने लगी थी….” ऐसे चूमते हैं समझ आइ..”

मैने हां मे गर्दन हिलाई..

सुमेरा स्माइल करते हुए बोली. ..”अब तुम्हारी बारी है…खा जाओ मुझे पूरा का पूरा….मैने भी सुमेरा की तरह उसके पूरे फेस को किस करना शुरू कर दिया…

सुमेरा मस्ती मे आकर अपना एक हाथ मेरे सर के पीछे ले आई…और मेरे सर को आगे की तरफ पुश करने लगी….

सुमेरा ने मुझे अपने बाजुओं मे लेते हुए अपने ऊपेर खेंच लिया...उसके बाद ऐसे औरत के ऊपेर आ जाना होता है..

.मैं पूरी तरह सुमेरा के ऊपेर लेट गया..उस के मम्मे मेरे सीने के नीचे दबे हुए थे ..सुमेरा के फेस पर हल्की सी स्माइल थी..सुमेरा ने दोनो हाथो को मेरे गालों पर रखा और मुझे झुकाते हुए मेरे होंटो को अपने होंटो पर रख दिया…फ़िल्मो मे कई बार किस्सिंग सीन देख चुका था…इसलिए मैने भी ज़्यादा देर नही की….और सुमेरा चाची के होंटो को होंटो मे लेकर चूसने लगा….अब हम दोनो पागलो की तरह एक दूसरे के होंटो को चूस रहे थे…

उस की टांगे खुद ही थोड़ी खुलने लगी मेरा लंड उस की फुद्दि को टच होने लगा… जैसे ही मुझे अपने लंड की कॅप पर सुमेरा की फुददी की गरमी अहसास हुआ…मैने अपने लंड को शलवार के ऊपेर से उसके फुद्दि पर और दबा दिया…मुझे फुद्दि के सुराख वाले हिस्से पर सुमेरा की शलवार गीली फील हो रही थी…..मैने सुमेरा के होंटो से अपने होंटो को हटा कर उसके गालो को फिर से चूमना शुरू कर दिया..
 
मुझे इस तरह सेक्स के लिए पागल देख कर सुमेरा के फेस पर स्माइल थी वो खुश हो रही थी कि मैं कैसे उस को पागलों की तरह चूम रहा हूँ..उस ने ये सब शायद कभी सोचा भी ना हो गा..फिर कुछ डर बाद सुमेरा ने मुझे रोका और बोली…. “अब ऐक और चीज़ तुम्हे बताती हूँ….अगर औरत ऐसे गर्म ना हो तो फिर और कुछ करते हैं...”

मैं सवालिया नज़रों से सुमेरा को देखने लगा...

सुमेरा ने मेरे हाथ पकड़े और अपने मम्मो पर रख लिए और बोली. ..” अब इन को पकड़ कर प्यार से दबाओ...”

मैने कमीज़ के ऊपेर से सुमेरा के दोनो मम्मो को पकड़ कर धीरे-2 दबाना शुरू कर दिया…जैसे ही मैने सुमेरा के मम्मो को दबाना शुरू किया..सुमेरा के मूह से सीईईई अहह की आवाज़ें निकलने लगी…..सुमेरा के बड़े -2 मम्मे मेरे दोनो हाथों मे काबू नही आ रहे थे. ..मैं जी भर के मम्मो को दबा रहा था…

“समीर मज़ा आ रहा है ना…मेरे मम्मो को दबा कर….” सुमेरा ने नीचे से अपनी बूँद को ऊपेर उठाते हुए मेरे लंड पर अपनी फुद्दि को और ज़्यादा दबाते हुए कहा…”

जी चाची….” मैने भी सुमेरा की हरक़त पर गोर करते हुए अपने लंड के कॅप को और ज़्यादा शलवार के ऊपेर से उसकी फुद्दि पर दबाते हुए कहा…

.”हां दबा ले जी भर के दबा ले अपनी चाची के मम्मो को…..” चाची अपनी कमीज़ को हाथों मे पकड़ कर बोली. . 

सुमेरा अपनी कमीज़ ऊपेर करने लगी तो, मैने भी अपना वजन उसके ऊपेर से थोडा सा हटा लिया ताकि वो अपनी कार्यवाही कर सके….सुमेरा ने अपनी कमीज़ उठाते हुए गले तक उठा लिया….और अपने बूब्स को मेरे सामने नंगा कर दिया..क्या मम्मे थे ज़िंदगी मे पहली बार इतने बड़े मम्मे देख रहा था...अगर मम्मे बड़े थे तो उन पर निपल्स का भी साइज़ कम नही था...वो भी छोटी उंगली की टिप से थोड़े छोटे थे...

“समीर रुक क्यों गये दबाओ इनको…..”सुमेरा सिसकते हुए बोली….

.मैने फिर से सुमेरा के दोनो मम्मो को पकड़ कर दबाना शुरू कर दिया

…”सीईईई ओह्ह्ह्ह समीर अपनी चाची के मम्मो को चुसेगा नही…चूस ना मेरे निपल्स….”सुमेरा ने अपना ऐक बूब हाथ मे पकरा और मुझहहे कहा.. सुमेरा ने अपने मम्मे को उठा कर मेरी तरफ़ बढ़ाया तो मैने मुँह खोल कर उस के मम्मे को जितना मुँह के अंदर ले जा सकता था उतना अंदर ले गया और उस को चूसना शुरू कर दिया...

कुछ ही देर बाद सुमेरा अपने हाथ से पकड़ पकड़ कर अपने दोनो मम्मो को बारी-2 मेरे मुँह मे डालने लगी...उसकी आँखे मज़े से बंद हो चुकी थी…वो दोनो हाथो से मेरे सर को सहलाए जा रही थी…जब वो अपना बूब हाथ मे पकड़ कर मेरे मुँह मे डाल रही थी उस वक़्त का नज़ारा इतना हॉट था कि मैं पागल हो गया...सुमेरा अपने बूब को हाथ मे पकड़ कर ऐसे अपना मम्मा सक करवा रही थी जैसे कोई औरत बच्चे को दूध पिलाती हो...

सुमेरा बोली..हां बिल्कुल ठीक कर रहे हो ऐसे ही करो….सुमेरा की बातों से मुझे और जोश आता और मैं खूब ज़ोर से निपल्स को कभी मुँह के अंदर ले जा कर चूस्ता कभी उस के गिर्द गोल गोल ज़ुबान घुमाता... वो बूब्स की सकिंग को फील कर के हॉट हो रही थी शायद वो मज़े मे डूबी थी..सुमेरा एक हाथ से मम्मा पकड़ती और दूसरे हाथ से मेरा सिर पकड़ कर मम्मे चेंज कर रही थी...

अब वो बहुत हॉट हो चुकी थी....और मजीद अपनी बूँद को ऊपेर उठा-2 कर मेरे लंड के साथ अपनी फुद्दि को रगड़ रही थी….सुमेरा ने मेरे फेस को हाथो मे लेकर पीछे किया तो, पक की आवाज़ करता हुआ, उसका निपल मेरे मूह से बाहर आ गया…वो थोड़ा ऊपेर को खिसकी…और मुझे पीछे करते हुए उठ कर बैठ गयी….उसने बिना देर किए अपनी कमीज़ को अपने जिस्म से निकाल कर फेंका….”अपने कपड़े उतारो…अब और सहा नही जाता…” कमीज़ उतार कर सुमेरा ने बेड पर साइड मे रख दी…

मैं फटी हुई आँखो से चाची के भरे हुए जिस्म को देख रहा था…सुमेरा उस वक़्त 35 साल की जवानी से भरपूर औरत थी….उसके मम्मे इतने बड़े होने के बावजूद भी एक दम कसे और तने हुए थे…अपने सामने सुमेरा को ऊपेर से नंगा देख कर मुझसे रहा ना गया…हालाकी उस समय कमरे मे रोशनी कम थी…

मैने जल्दी से अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए….मैं भी कुछ ही पलों मे फुल नंगा हो चुका था…
 
चाची ने अपनी इलास्टिक वाली शलवार मे उंगलयों को फँसा कर खींच कर नीचे उतारते हुए अपने बदन से अलग कर दिया…सुमेरा को मेरी हेरात का अंदाज़ा हो गया था….सुमेरा ने बैठे-2 मुझे मेरे कंधो से पकड़ा और अपनी दोनो टाँगो को मेरी कमर के दोनो तरफ फेला कर रखते हुए मुझे अपने ऊपेर खेंचते हुए खुद लेटने लगी….मैं भी सुमेरा के मकसद को समझते हुए… फॉरन सुमेरा की टाँगों के दरम्यान आ गया...

सुमेरा ने अपनी टाँगो को मेरी कमर पर रखते हुए और ऊपेर उठा लिया और अपना एक हाथ नीचे ले जाते हुए मेरे खड़े लंड को पकड़ कर अपनी फुद्दि के सुराख पर सेट कर दिया….उसने मेरे लंड के कॅप को दो तीन बार अपनी फुद्दि के लिप्स के दरम्यान रगड़ा तो मेरे लंड का कॅप सुमेरा की फुददी के पानी से गीला हो गया…उसने अपना दूसरा हाथ मेरे हिप्पस पर रख कर अपनी तरफ़ दबाया...और सरगोशी से भरी आवाज़ मे बोली…. “समीर डाल दे अपना लंड मेरी फुददी मे….

मैं मज़े और जोश से पागल हो रहा था.. क्यू कि इतनी बड़ी एज की औरत मेरे सामने नंगी थी और मुझ से चुदवाने जा रही थी....फुददी पर लंड को रगड़ने के बाद मैने लंड को दबा दिया और ऐक झटके से पुश मारा...पहले ही झटके मे पूरा लंड सुमेरा की फुद्दि मे गायब हो गया था...

लंड अंदर जाते ही सुमेरा के फेस के भाव चेंज हुए उस की आँखे भी हल्की सी बंद हो गयी…और उसने मुझे अपनी बाज़ुओं मे कस लिया….और मेरे गालो को चूमने लगी….”ओह्ह सीईईईई हइई बड़ा तेज झटका मारा है समीर…अंदर तक हिला दिया तेरे लंड ने तो, अब धीरे-2 अपने लंड को अंदर बाहर करता रह….”

मैने धीरे-2 अपने लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया…

.”ओह्ह्ह हइई सबशह समीर हां ऐसी ही मारते है फुददी….आज जी भर के मार ले अपनी चाची की फुद्दि….सुमेरा ने अपनी टाँगो को और ऊपर उठाते हुए कहा….मैने भी और जोश मे आकर अपने लंड को और तेज़ी से अंदर बाहर करना शुरू कर दिया…

सुमेरा की टांगे उठी होने की वजह से मेरा लंड जड तक अंदर जा रहा था...सुमेरा थोड़ी सी आँखे खोल कर मुझे देख रही थी …सुमेरा की नज़र मेरे फेस पर थी ...उस के फेस पर वासना से भरी मुस्कुराहट थी…. मेरे हाथ उसके बूब्स पर थे जो मेरे झटकों से थिरक रहे थे...मेरे झटके भी अब तेज हो गये थे....

सुमेरा..... ठीक कर रहे हो ....मेरे शेर....पूरा निकाल कर झटका मारो...पूराआ ..पूराअ हाआंणन्न्.......सुमेरा की इन बातों से मुझहहे और जोश आ गया...

मैने पूरी पॉवर के साथ झटके मारने शुरू कर दिए थे....सुमेरा.... कैसा लग रहा है.... मज़ा आ रहा है ना.....सुमेरा की आवाज़ मस्ती मे काँप रही थी… मेरे लंड की मोटाई लंबाई उस को पूरी तस्कीन दे रही थी...

सुमेरा की फुद्दि पानी छोड़ने के करीब पहुच चुकी थी…उसने अपनी बूँद को तेज़ी से ऊपेर उठाना शुरू कर दिया…उसकी फुद्दि के और रानो के जडे मेरे लंड के आस पास रानो पर टकरा कर हॅप-2 की आवाज़ कर रही थी….”अहह ओह हाईए….हां मार समीर और ज़ोर से मेरी फुददी मार….”

मैं भी जिंदगी मे पहली बार अपने लंड से पानी छोड़ने वाला था…मैने पूरी शिद्दत से अपने झटको की स्पीड और बढ़ा दी.. “ओह्ह्ह्ह हाईए समीर तूने तो पूरी तसल्ली कर दी मेरी फुद्दि की….आह देख देख मेरी फुद्दि तो पानी छोड़ने वाली है….

” मेरा लंड अब चाची की बे-इंतिहा गीली फुद्दि मे तेज़ी से अंदर बाहर हो रहा था…कुछ ही पलों मे सुमेरा चाची का जिस्म अकड़ने लगा….उसने अपने दांतो को आपस मे कस लिया..और मेरे कंधो को कस्के पकड़ कर अपने बूँद को पूरी स्पीड से ऊपेर की ओर उठाते हुए झड़ने लगी….

मेरा लंड भी चाची की फुद्दि की गरमी को सहन ना कर पाया….और मेरे लंड ने भी अपनी पहली बोछार चाची की फुद्दि मे उगलानि शुरू कर दी….
 
मैं और सुमेरा चाची दोनो ही तेज़ी से साँस ले रहे थी…मेरा लंड अभी भी सुमेरा चाची के गीली फुददी मे था…..जो अब ढीला होकर धीरे-2 बाहर आ रहा था…जैसे ही मेरा लंड चाची की फुद्दि के बाहर आया…मैं चाची के ऊपेर से उठ कर साइड मे लेट गया….चाची ने मेरी तरफ फेस कर लिया…और मेरी चेस्ट पर हाथ फेरते हुए बोली….”क्यों समीर मज़ा आया ना तुम्हे….?”

मैं: जी चाची….

सुमेरा: वैसे एक बात है…तूने सच मे मेरे फुददी की तसल्ली करवा दी है…. 

चाची ने मेरे चेस्ट पर हाथ फेरते हुए नीचे लेजा कर मेरे ढीले लंड को पकड़ कर धीरे-2 दबाना शुरू कर दिया…..”देख मेरी फुददी का कितना पानी लगा है तेरे लंड पे. सच इतना मज़ा तो बिल्लू के साथ भी नही आया आज तक….”

चाची लगातार मेरे लंड को दबाए जा रही थी….जिसकी वजह से मेरा लंड फिर से सख़्त होने लगा था….”तेरा हथियार तो बड़ी जल्दी गरम हो गया है…” चाची ने मेरे लंड को ऊपेर से नीचे तक नापते हुए कहा….मेने चाची की बात का कोई जवाब ना दे पाया…”सुन….ये बात किसी को बताना नही…..”

मैं: जी चाची जी….

चाची: देख जब तुम्हे पढ़ाने के बाद रीदा सो जाया करे…तो धीरे से नीचे आ जाया करना….तुझे रोज इसी तरह मज़ा दूँगी….

मैं: जी चाची लेकिन अगर रीदा आपी को पता चल गया तो……

चाची: तू उसकी फिकर ना कर….तू बस चुप के नीचे आ जाया करना….

मैं चाची के बात सुन कर चुप हो गया….मुझे अपने लंड पर लगा चाची सुमेरा की फुद्दि के पानी से अब किल्लत होने लगी थी….मैं अपने लंड को सॉफ करने के लिए जैसे ही बाथरूम जाने के लिए उठा…तो चाची सुमेरा ने मेरा हाथ पकड़ लिया….” कहाँ जा रहा है….” 

मैं: जी इससे सॉफ करने….

सुमेरा: तुम यही लेटे रहो…मैं सॉफ कर देती हूँ….

मैं वापिस पीठ के बल लेट गया…..सुमेरा बेड से उठी….और नीचे उतार कर लाइट ऑन कर दी….जैसे ही रूम मे लाइट ऑन हुई, तो सुमेरा का दूध जैसा गोरा जिस्म लाइट मे चमक उठा….वो एक दम नंगी मेरे सामने खड़ी थी….उसकी जवानी से भरे जिस्म को रोशनी मे नंगा देख मेरे लंड मे हरक़त होने लगी…वो वैसे ही बाहर चली गये….जब वो वापिस आए तो, उसके हाथ मे एक टवल था…जिसको उसने थोड़ा सा गीला कर रखा था….सुमेरा चाची ने मेरे तरफ मुस्कुरा कर देखा और फिर मेरे पास बेड के किनारे पर बैठ गये….उसने मेरे लंड को उस टवल से अच्छी तरह सॉफ किया और फिर टवल को साइड मे रख कर मेरे लंड को पकड़ कर गोर से देखने लगी….

जो फिर से पूरी तरह सख़्त होकर खड़ा हो चुका था….मुझे सुमेरा चाची के आँखो मे हवस के भूख सॉफ नज़र आ रही थी…”बड़ी जल्दी खड़ा हो गया तेरा तो,….” सुमेरा ने मेरे लंड के चमड़ी को पीछे खिसका कर लंड के कॅप को गोर से देखते हुए कहा…”समीर मुझे तुम्हारा लंड बहुत पसंद है….जी करता है इससे खा ही जाउ….” सुमेरा ने हसरत भारी नॅज़ारो से मेरी तरफ देखते हुए कहा…इससे पहले की मे कुछ बोलता…सुमेरा ने झुक कर मेरे लंड के कॅप को मूह मे ले लिया….मेरे साँस हलक मे ही अटक गये….मैं आँखे फाडे सुमेरा की इस कारस्तानी को देख रहा था….मे मज़े की वादियों मे पहुच चुका था… सुमेरा ने मेरे लंड को अपने मूह के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया…

मेरे पूरा जिस्म मे मज़े की लहरे दौड़ रही थी….फिर सुमेरा चाची ने मेरे आधे लंड को मूह मे लेकर अपनी जीभ को मेरे लंड के कॅप पर गोल-2 घुमाना शुरू कर दिया…जैसे ही सुमेरा चाची की जीभ मेरे लंड के कॅप पर पेशाब वाले छेद पर रगड़ खाती तो, मैं मस्ती मे मचल उठता…मेरे लंड के नसें पूरी तरह फूल चुकी थी…..सुमेरा ने मेरे लंड को मूह से बाहर निकाला….और मेरी कमर के दोनो तरफ पैर करके मेरे ऊपेर आ गयी…मेरा लंड सुमेरा के थूक से पूरी तरह गीला हो चुका था…सुमेरा ने हाथ नीचे लाकर मेरे लंड को पकड़ा और मेरे आँखो मे देखते हुए, बोली…..”चल तुझे मैं दिखाती हूँ कि, औरतें लंड के सवारी कैसे करती है…..” सुमेरा ने लंड को फुद्दि के सूराख पर सेट किया और जैसे ही उसने फुद्दि को लंड पर दबाया तो, मेरा लंड सुमेरा की फुद्दि के अंदर घुसने लगा….”अहह हाईए… बड़ा तगड़ा है तेरा…” सुमेरा ने मेरी आँखो मे देखते हुए कहा…

और धीरे-2 अपनी फुद्दि को मेरे लंड पर दबाते हुए पूरा लंड फुद्दि मे ले लिया… सुमेरा ने मेरे चेस्ट पर हाथ रखते हुए तेज़ी से ऊपेर नीचे होना शुरू कर दिया… मे बेड पर पीठ के बल लेटा हुआ था….सामने सुमेरा मेरा लंड फुद्दि मे लिए ऊपेर नीचे हो रही थी…उसकी मोटी बूँद मेरी रानो से टकरा कर सुर्प-2 की आवाज़ करने लगी….उसके बड़े-2 मम्मे ऐसे हिल रहे थे…सुमेरा ने जब देखा कि, मे हसरत भरी नज़रों से उसके ऊपेर नीचे हो रहे मम्मो को देख रहा हूँ, तो उसने मेरे दोनो हाथो को पकड़ अपने मम्मो पर रख दिया…” तूँ क्यों फ्री बैठा है…. चल अपनी गस्ति चाची के माममे दबा….” चाची ने तेज़ी से अपनी बुन्द हिलाते हुए कहा….
 
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