Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन - Page 20 - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन

50



नाज़िया अब एक दम गरम हो चुकी थी…उसके हाथ पैर उतेज्ना के मारे काँप रहे थे….और वो अब पूरी तरहा अपने होंठो को खोल कर चुस्वा रही थी….और मैं नाज़िया के होंठो को बहुत ही मस्ती के साथ चूसे जा रहा था……नाज़िया की फुद्दि के लिप्स अब फड़कने लगे थी….

अब नाज़िया की बर्दस्त से भी बाहर हो रहा था…..मेने धीरे-2 अपनी जीभ को नाज़िया के मूह के अंदर करना शुरू कर दिया…बदले में नाज़िया ने भी अपने होंठो को और खोल दिया, और कुछ ही पलों में दोनो की जीभ आपस में टकराने लगी….मेने नाज़िया की जीभ को अपनी होंठो में कस लिया…..और उसकी ज़ुबान को चूसने लगा…मेरी इस हरक़त से नाज़िया मुझसे और बुरी तरह लिपट गयी…उसके मम्मे और ज़्यादा सख्ती से मेरी चेस्ट में दब गये… मेरा मन नाज़िया के मम्मो को अपनी चेस्ट पर महसूस करके और मचल उठा…..

धीरे – 2 नाज़िया की नाइटी भी उसकी बुन्द से ऊपेर तक चढ़ चुकी थी….और जैसे ही मेने अपने हाथो को उसकी पैंटी के इलास्टिक के अंदर डाल कर उसकी नंगी बूँद के दोनो पार्ट्स को अपने हाथ में लेकर दबाया तो, नाज़िया को झटका सा लगा…वो मुझसे एक दम से अलग हो गयी…

नाज़िया: (तेज़ी से साँस लेते हुए) अपनी हद में रहो समीर……ये ठीक नही हे…मेने अब तुम्हारी एक बात मान ली. जाओ अब यहाँ से चले जाओ..

मैं: पर….

नाज़िया: अब मुझे कुछ और नही सुनना…जाओ यहाँ से……..

मैं : नही अभी मेरा मन नही भरा है……मुझे कुछ देर और किस करने दो…

नाज़िया: देखो समीर इससे पहले कि मुझे गुस्सा आए यहाँ से चले जाओ….

पर अब मुझ पर हवस का भूत इस कदर सवार हो चुका था, कि मैं ये सोच भी नही पा रहा था, मैं क्या कर रहा हूँ…..नाज़िया मेरी तरफ पीठ करके खड़ी थी….. और उसकी नाइटी अभी उसकी कमर तक ऊपर चढ़ि हुई थी…. मेने आगे बढ़ कर नाज़िया को पीछे से फिर से अपनी बाहों में भर लिया….और अपने होंठो को उसकी पीठ के ऊपेरी खुले हिस्से पर लगा दिया….नाज़िया अपनी पीठ पर मेरे गरम होंठो को महसूस करके मचल उठी….वो मेरी बाहों से आज़ाद होना चाहती थी…..पर इस बार मेरी पकड़ बहुत मजबूत थी…..

मेरे हाथ धीरे-2 नाज़िया के पेट से होते हुए, उसके मम्मो की तरफ बढ़ रहे थे. और नाज़िया का बदन मेरे हाथों को महसूस करके झटके खा रहा था…आख़िर कार मेरे दोनो हाथ नाज़िया के दोनो बड़े-2 ठोस मम्मो पर पहुँचा ही दिए….मेने नाज़िया के मुलायम 36 साइज़ के बूब्स को अपने हाथों में पकड़ कर धीरे-2 दबाना शुरू कर दिया…..

नाज़िया की आँखें फिर से मस्ती में बंद होने लगी….मैं अपने होंठो को नाज़िया की खुली पीठ के हर हिस्से पर रगड़ कर चाट रहा था…और नाज़िया के मूह से हलकी-2 आहह ओह्ह्ह जैसी आवाज़ें निकल रही थी…..उसकी आवाज़ में मदहोशी और वासना घुली हुई थी..

मेरा लंड अब पाजामे में एक दम तन कर आकड़ा हुआ था, जो पाजामा फाड़ कर बाहर आने को बेताब था…मेने नाज़िया की पीठ से अपने होंठो को हटा दिया…और नाज़िया के मम्मो को धीरे- 2 दबाते हुए, अपने लंड को नाज़िया की बुन्द की लाइन में नाइटी के ऊपेर से दबाने लगा…….

नाज़िया: (काँपती हुए आवाज़ में) ओह्ह्ह्ह समीर रुक जाओ….प्लीज़ मेरे साथ ऐसा ओह्ह ना करो. समीर हट जाऊ पीचईए आह सीईईईईई…

पर मेने नाज़िया की बातों को अनसुना करते हुए अपनी कमर हिला कर, अपने लंड को नाज़िया की बुन्द की लाइन में आगे पीछे करते हुए रगड़ रहा था……फिर अचानक मेने नाज़िया के मम्मो को छोड़ दिया…..और दोनो हाथों से नाज़िया की नाइटी को पकड़ कर एक ही झटके में ऊपेर उठा दिया…..

नाज़िया का दिल जोरों से धड़कने लगा….अब नाज़िया की मोटी बुन्द और मेरी आँखों के सामने ब्लॅक कलर की पैंटी थी….नाज़िया की वीशेप पैंटी उसकी बुन्द की लाइन में इकट्ठी होकर फँसी हुई थी. और उसके दोनो पहाड़ जैसे चूतड़ मेरी आँखों के बिकुल सामने थे
बस नाज़िया की बुन्द का सूराख उस पैंटी से ढका हुआ था……

नाज़िया ये सोच कर शरम से मरी जा रही थी……कि उसकी बुन्द मेरी आँखों के सामने है….नाज़िया की साँसें ये सोचते ही और तेज हो गयी….

नाज़िया: (लड़खड़ाती हुई आवाज़ में) प्लीज़ समीर मान जाऊओ छोड़ दो मुझे ओह्ह्ह्ह पीछे हट जाओ….में तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ……चले जाओ यहाँ से……..

पर मेरे मन में तो कुछ और ही था, आज मेने सोच लिया था, कि मैं किसी भी कीमत पर पीछे नही हटूँगा….मेने रूम में चारो तरफ देखा…वहाँ पर दीवार के साथ एक टेबल लगा हुआ था…जिस पर एक फ्लवर पॉट रखा हुआ था…वो टेबल सिर्फ़ 4 फुट की दूरी पर था….

मेने नाज़िया को बाहों में भर लिया….और नाज़िया की नेक को पीछे से किस करते हुए, उस टेबल के पास ले गया….मेने अपने एक हाथ से फ्लवर पॉट को नीचे रखा……और नाज़िया को अपनी तरफ घुमा लिया…..नाज़िया के गाल उतेजना के कारण एक दम लाल सुर्ख हो रखे थे….उसकी मदहोशी से भरी आँखें बहुत ही मुस्किल से खुल पा रही थी….मेने नाज़िया के होंठो की ओर देखते हुए, नाज़िया को अपनी बाहों में भर लिया…उसकी नाइटी अभी भी उसकी कमर में अटकी हुई थी……

मेरे हाथ नाज़िया की मुलायम बुन्द पर आ गये…..और मेने नाज़िया की बुन्द को धीरे-2 मसलते हुए, अपने होंठो को नाज़िया के होंठो की तरफ बढ़ाना चालू कर दिया. उसकी फुद्दि से उसका काम रस निकाल कर उसकी पैंटी को गीला कर रहा था…..जिसे वो अच्छे से महसूस कर पा रही थी…..

कुछ ही पलों में मेने फिर से अपने होंठो को नाज़िया की गुलाबी रसीले होंठो पर रख दिया….इस बार नाज़िया ने बिना विरोध किए, अपने होंठो को खोल लिए, और मैं धीरे-2 नाज़िया के होंठो को चूसने लगा…..और साथ साथ में नाज़िया की बुन्द की लाइन में अपनी एक उंगली को ऊपेर नीचे करके रगड़ने लगा….नाज़िया के बदन में मस्ती की लहर दौड़ गयी……उसने मेरे कंधों को कस के पकड़ लिया…….यहाँ तक नाज़िया के हाथों के नाख़ून भी मेरे कंधों में धँस गये……

अपने कंधों में नाज़िया के नाख़ून की चुभन को महसूस करके और गरम हो रहा था….ये नाज़िया की मस्ती में आने के इशारे थे….तभी अचानक मेने नाज़िया की बुन्द को अपने पंजों में दबोच कर उसे ऊपेर उठा कर टेबल पर बैठा दिया….टेबल 4 फीट लंबा और सिर्फ़ 2 फीट चौड़ा था…. नाज़िया का दिल अंजाने डर के कारण जोरों से धड़क रहा था….उसके दिमाग़ में बस यही चल रहा था, कि अब मैं क्या करने वाला हूँ…
 
फिर मेने नाज़िया की दोनो टाँगों को पकड़ कर नाज़िया के पैरों को टेबल के ऊपेर रख दिया….जिससे नाज़िया की पिंडलियाँ, उसकी थाइस से चिपक गयी….और नाज़िया पीछे की तरफ लूड़क गयी…पर पीछे दीवार थी…जिसके कारण उसकी पीठ दीवार से लग गयी… अब नाज़िया अपनी आँखें बंद किए हुए, तेज़ी से साँसें लेती हुई, टेबल पर बैठी थी…

नीचे उसकी वीशेप ब्लॅक कलर की पैंटी देख कर मेरा लंड पाजामे में झटके खाने लगा…उसकी पैंटी पर गीले पन के निशान देख कर मेरे होंठो पर मुस्कान आ गयी…..नाज़िया शरम के मारे मरी जा रही थी, उसने अपनी टाँगों को आपस में कस लिया… पर अगले ही पल मेरे होंठो पर मुस्कान आ गयी, और मेने नाज़िया की थाइस को पकड़ कर खोल दिया…..

नाज़िया ने अपनी आँखों को एक बार खोला , और मेरी ओर देखते हुए फिर से अपनी आँखों को बंद कर लिया…..

नाज़िया: ये क्या कर रहे हो समीर……..ऐसे मत देखो…….प्लीज़ मुझे जाने दो…..

मेरे होंठो पर सिर्फ़ मुस्कान ही आई, पर मेने नाज़िया की बात का कोई जवाब नही दिया. फिर मेने अपने घुटनो को थोड़ा से मोड़ लिया, और नाज़िया की फुद्दि के सामने आ गया.. नाज़िया आने वाले पलों के बारें में सोच कर घबरा रही थी…….वो ना चाहते हुए भी मुझे रोक नही पा रही थी…..

फिर मेने नाज़िया की पैंटी के आगे हुए गीले पन को देखते हुए, उसकी तरफ अपने होंठो को बढ़ाना चालू कर दिया…..नाज़िया मेरी गरम साँसों को अपनी थाइस की जड़ों और फुद्दि के आस पास महसूस करके एक दम से मचल उठी, नाज़िया ने अपनी गुलाब की पंखुड़ियों जैसे होंठो को अपने दाँतों में दबा लिया. उसके मम्मे उसके तेज सांस लेने के कारण ऊपेर नीचे हो रहे थी….

मेने तिरछी नज़रों से नाज़िया के फेस की ओर देखा….उस हसीना का चेहरा बिल्कुल लाल सुर्ख हो कर दहक रहा था….मेरे होंठो की मुस्कान हर पल बढ़ती जा रही थी. मेने नाज़िया की ओर देखते हुए, अपने होंठो को नाज़िया की फुद्दि पर पैंटी के ऊपेर से रख दिया. जैसे ही मेरे होंठ नाज़िया की पैंटी के ऊपेर से उसकी फुद्दि पर लगे…नाज़िया एक दम सिसक उठी, और मेने अपने दोनो हाथों से टेबल को कस के पकड़ लिया….

नाज़िया: ओह अहह उंगग्गग सामीएर क्या कर रहीए हूऊओ. बस बुसस्स्स कारूव ओह्ह्ह्ह क्यों तडपा रहे हो . छोड़ दो मुझीई आह सीईईईईईई . उंह.

पर मुझे तो आज मन माँगी मुराद मिल गयी थी….मैं नाज़िया की फुद्दि के लिप्स को पैंटी के ऊपेर से अपने होंठो में भर कर ज़ोर-2 से चूसने लगा…नाज़िया की फुद्दि से निकले हुए काम रस, जो कि उसकी पैंटी पर लगा हुआ था. मेरे मूह में उसका स्वाद घुल गया…जिससे मेरी आँखों में अजीब सा नशा छा गया…..जैसे मेने कोई नशीली चीज़ चख ली हो….नाज़िया का पूरा बदन उतेजना के मारें काँप रहा था…

नाज़िया के बदन में मस्ती की लहर छाने लगी….वो अब काफ़ी गरम हो चुकी थी. फिर मेने अचानक से नाज़िया की पैंटी को आगे से अपने हाथ से हटा दिया… सामने नाज़िया की गोरी फूली हुई फुद्दि के लिप्स उसके काम रस से लबलबा रहे थे…उसकी फुद्दि का सूराख उत्तेजना के कारण सिकुड और फेल रहा था…मुझ को अपनी आँखों पर विश्वास नही हो रहा था……कि नाज़िया की गोरी फुद्दि और उसकी फुद्दि का गुलाबी रस से भरा सूराख मेरी आँखों के सामने ही है…

मेरी आँखों की चमक और बढ़ गयी थी….मैं अपने आप को रोक ना सका, और मेने अपने होंठो को नाज़िया की फुद्दि के लिप्स पर लगा दिया….नाज़िया ज़ोर ज़ोर से सिसकने लगी.. वो अपने दोनो हाथों से अपने बालों को पकड़ कर नोचने लगी…उसकी सिसकारियाँ पूरी घर में गूंजने लगी…………

नाज़िया: अहह समीर ये क्या ओह उंह सीयी सीईईईईईईईईईई अहह उंघह उंघह बस करो ओह्ह्ह अहह उंह सीईईईईईईईई रवीीईईईईईई

नाज़िया अब लगभग चीखते हुए सिसकारियाँ भर रही थी…..उसकी आवाज़ में मदहोशी और वासना घुली हुई थी….उसका पूरा बदन झटके खा रहा था….धीरे-2 उसके दोनो हाथ मेरे सर पर आ गये….और वो मेरे सर को पीछे की और धकेलने लगी….मेने नाज़िया की फुद्दि को चाटते हुए, अपने शॉर्ट्स को घुटनो तक सरका दिया…..और फिर एक दम से खड़ा हो गया…

मेरे लंड की नसें एक दम फूली हुई थी…..और लंड अकड़ कर झटके खा रहा था…मेने अपने लंड की कॅप को एक दम से नाज़िया की फुद्दि के सूराख पर लगा दिया.. जैसे ही मेरे लंड का गरम कॅप नाज़िया की फुद्दि के सूराख पर लगा….नाज़िया के बदन में करेंट सा दौड़ गया…..

अचानक उसे अपनी हालत का अहसास हुआ….वो एक दम से घबरा गयी….उसने अपनी वासना से भरी हुई आँखों को बड़ी मुस्किल से खोला, और मेरी ओर देखते हुए, काँपती आवाज़ में बोली…..

नाज़िया: समीर प्लीज़ तुम्हें मेरी कसम है……बस करो…अब और नही…..

मेने नाज़िया की बात सुनते ही, अपने लंड की कॅप को नाज़िया की फुद्दि के सूराख से हटा लाया….और नाज़िया की ओर देखते हुए, मुस्कुराते हुए बोला.

मैं: चलो जैसे आप कहें. पर आप को भी मेरे एक बात माननी होगी…..

नाज़िया: (काँपती हुई आवाज़ में. अब नाज़िया के पास मेरी बात को मानने के अलावा और कोई चारा भी नही था) हां बोलो….में तुम्हारी हर बात मानने को तैयार हूँ….

मैं: (नाज़िया को अपनी बाहों में भर कर टेबल से नीचे उतारते हुए) में तुम्हें जी भर कर प्यार करना चाहता हूँ…..जब तक तुम नही कहोगी…में तुम्हारी फुद्दि में अपना लंड नही घुसाउन्गा….बोलो मुझे प्यार करने से तो नही रोकोगी…

नाज़िया के पास अब कोई चारा नही था….वो मेरे मूह से लंड और फुद्दि जैसे शब्द सुन कर एक दम से शरमा गयी….उसने अपने सर को झुका लिया….और हां में सर हिला दिया…..

ये देखते ही मेरे होंठो पर जीत की खुशी की मुस्कान फेल गयी…मेने नाज़िया को अपनी बाहों में भर लिया, और उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिए…नाज़िया को अपनी फुद्दि के रस से भीगे हुए, मेरे होंठ बड़े अजीब से लग रहे थे…..पर ना चाहते हुए भी उसे मेरा साथ देना पड़ रहा था….मैं जी भर कर नाज़िया के दोनो होंठो को बारी-2 चूस रहा था…और नाज़िया मेरी बाहों में कसमासाए जा रही थी….

मैं नाज़िया का हाथ पकड़ कर उसे बेड के पास ले गया…..और नाज़िया को बेड पर धक्का दे दिया…..नाज़िया बेड पर गिर पड़ी….उसकी टाँगें बेड के नीचे लटक रही थी. नाज़िया हैरत से भरी नज़रों से मुझे देख रही थी…
 
51

मेने नाज़िया की टाँगों को उठा कर घुटनो से मोड़ दिया….जिससे नाज़िया की नाइटी सरक कर उसकी कमर में आ गयी….और फिर मेने नाज़िया की ब्लॅक कलर की वीशेप पैंटी को दोनो साइड से पकड़ कर एक झटके से खेंच दिया….कुछ ही पलों में नाज़िया की पैंटी उसकी टाँगों से निकल कर फर्श पर पड़ी….नाज़िया ने अपनी आँखों को बंद कर लिया…मेरी आँखों के सामने नाज़िया की फुद्दि का सूराख फदफडा रहा था….जो उसके काम रस से भीग कर चमक रहा था….

मैं पैरों के बल नीचे बैठ गया….और अपने हाथों से नाज़िया की फुद्दि के लिप्स को फैला कर उसकी फुद्दि के एक लिप्स को अपने मूह में भर लाया…नाज़िया एक दम से मचल उठी….उसका पूरा बदन झटके खाने लगा….

नाज़िया: अहह उंघह उंघह सीईईईईईई ओह ब्स्स्स ब्स्स्स्स करो ओह अम्मी उफ़फ्फ़ उफफफफफ्फ़ अहह…..

नाज़िया की मस्ती और वासना से भरी सिसकारियाँ मेरे जोश को और बढ़ा रही थी… मेने अपने होंठो में नाज़िया की फुद्दि के एक लिप्स को पूरा भरा हुआ था…मैं अपने होंठो का दबाव उसकी फुद्दि के लिप्स पे डालता हुआ, धीरे -2 फुद्दि के लिप्स को खेंचने लगा….नाज़िया की फुद्दि का लिप मेरे होंठो से रगड़ ख़ाता हुआ, धीरे -2 बाहर आ रहा था…जिसके कारण नाज़िया वासना के सागर में डूबी जा रही थी…..उसकी सिसकारियाँ अब चीखो में बदल गयी थी….और वो अहह ओह उंह उंह सीईईईईई नही समीर ओह बस करूऊ अहह ऐसे मस्ती से भरी हुई सिसकारियाँ निकाल रही थी..

जैसे ही नाज़िया की फुद्दि के लिप्स खिंचते हुए, मेरे होंठो से बाहर आए…नाज़िया एक दम से कांप गयी……उसने अपने खुले हुए बालों को कस के पकड़ लिया….और तेज़ी से अपना सर इधर उधर हिलाने लगी….

नाज़िया: बस बस करो समीर…….बस करो……

नाज़िया ठीक से साँस भी नही ले पा रही थी….मुझ पर नाज़िया की किसी भी बात का कोई असर नही हो रहा था…..फिर मेने नाज़िया की फुद्दि के दूसरे लिप को अपने मूह में भर लिया…..और फिर से उसे अपने होंठो के बीच में दबाते हुए, धीरे-2 खेंचने लगा…जैसे -2 नाज़िया की फुद्दि के लिप्स मेरे होंठो से रगड़ खाते हुई मेरे होंठो से बाहर आ रहे थे…वैसे -2 नाज़िया के बदन में मस्ती की लहर बढ़ती जा रही थी…

अब नाज़िया एक दम से मस्त हो चुकी थी…….मेने इस बार नाज़िया की फुद्दि के दोनो लिप्स को अपने मूह में भर लिया…और ज़ोर ज़ोर से चूस्ते हुए, होंठो में दबा -2 कर खेंचने लगा….नाज़िया की सिसकारिया में वासना का असर बढ़ता जा रहा था….जो मेरे लिए आग में घी का काम कर रहा था….नाज़िया का पूरा का पूरा बदन कांप रहा था….मेरे हाथ नाज़िया के पेट में हो रही थरथराहट को सॉफ महसूस कर पा रहे थे….

अचानक से नाज़िया का बदन अकड़ने लगा….नाज़िया की फुद्दि में से कामरस की नदी अपना बाँध तोड़ने को तैयार थी…उसकी कमर ऐसे झटके खाने लगी…जैसे वो खुद अपनी फुद्दि को मेरे मूह पर रगड़ रही हो……फिर अचानक से नाज़िया की फुद्दि से काम रस का सैलाब उमड़ पड़ा….और गरम पानी की नदी उसकी फुद्दि से निकल कर उसकी बुन्द के सूराख की ओर बढ़ने लगी…. मेने झट से नाज़िया की फुद्दि से अपना मूह हटा लिया… और पास मे गिरी हुई पैंटी से नाज़िया की फुद्दि को सॉफ करने लगा…..

नाज़िया ने अपनी वासना से भरी हुई आँखों को खोल कर मेरी ओर देखा….मैं अपनी चमकती आँखों से उसकी फुद्दि को देख रहा था….नाज़िया एक दम से शरम्शार हो गयी. उसने फिर से अपनी आँखों को बंद कर लिया…..

नाज़िया: (काँपती हुई आवाज़ में) अब तो बस करो समीर….देखो मेने तुम्हारी बात मान ली हैं….अब मुझे जाने दो……….

मैं: (नाज़िया की बात सुन कर मुस्कुराते हुए) नही नाज़िया मेने कहा था, कि में जी भर कर आपको प्यार करना चाहता हूँ, अभी मेरा मन नही भरा हैं…….

नाज़िया अभी ठीक से अपनी साँसों को दुरस्त भी नही कर पाई थी, कि मेने अपनी बात पूरी होते ही….फिर से नाज़िया की फुद्दि के लिप्स को फैला दिया….पर इस बार मेने अपनी जीभ निकाल कर सीधा नाज़िया की फुद्दि के दह्क्ते और लब्लबा रहे सूराख पर लगा दिया….नाज़िया की कमर ने ऐसे झटका खाया, जैसे उसको किसी ने करेंट लगा दिया हो…
 
नाज़िया: ( अपनी फुद्दि के सूराख पर मेरी गरम जीभ को महसूस करके एक दम से तड़प उठी) ओह अहह अहह उफफफफ्फ़ समीर रुकूऊव ओह उंह सीईईई आह अहह अहह ओह……..

नाज़िया ऐसे मचल रही थी….जैसे कोई मछली पानी के बिना तड़पती है…..जिसे देख मेरा जोश दोगुना हो गया….और मेने और ज़ोर ज़ोर से नाज़िया की फुद्दि के सूराख को अपनी जीभ से चाटने लगा……मेने 5 मिनट तक कभी अपनी जीभ से नाज़िया की फुद्दि के सूराख को चाटता, तो कभी उसकी फुद्दि के लिप्स को अपने होंठो में भर कर चूस्ता………. नाज़िया फिर से फारिघ् होने के बेहद करीब थी……..और उसका बदन फिर से अकड़ने लगा था…इसबार वो खुद इतनी मस्त हो गयी थी, कि वो अपने आप पर काबू नही रख सकी….और मेरे मूह पर फुद्दि को दबाने लगी…..और अगले ही पल उसकी फुद्दि ने फिर से पानी छोड़ दिया….

नाज़िया के तन बदन में आग लगी हुई थी….अब उसके सबर का बाँध भी टूटने वाला था….पर मैं रुकने के मूड में बिल्कुल भी नही था….मेने फिर से नाज़िया के नीचे पड़ी पैंटी को उठा कर, उसकी फुद्दि को सॉफ किया…..और फिर से अपने होंठो को नाज़िया के फुद्दि के सूराख पर लगा दिया…..

अभी अभी झड़ी नाज़िया जो दो बार फारिघ् हो चुकी थी…उसकी बर्दास्त की हद हो चुकी थी… वो फिर से सिसकारियाँ भरने लगी…और अपने हाथों से मेरे सर को पकड़ कर पीछे की और धकेलने लगी….

नाज़िया: (सीसियाते हुए) ओह्ह्ह बस करो समीर बस करो……

रात के 10 बज रहे थे….घर में सन्नाटा छाया हुआ था….बस रूम से नाज़िया की मादक और मस्ती से भरी हुई सिसकारियों की आवाज़ सुनाई दे रही थी…आख़िर कार नाज़िया के बहुत कहने पर मेने अपना मूह उसकी फुद्दि से हटा लिया….. और नाज़िया के ऊपेर लेट गया…और अपने होंठो को नाज़िया के होंठो की तरफ बढ़ाने लगा….

नाज़िया ने अपनी वासना से भरी हुई आँखों को खोल कर मेरी तरफ देखा….जो उसके काम रस से भीगे हुए, अपने होंठो को उसके होंठो की तरफ बढ़ा रहा था….नाज़िया ने अपना फेस दूसरी तरफ घुमा लिया….

मैं: (नाज़िया की ओर देख कर मुस्कुराते हुए) देखो अब तुम मुझे रोक नही सकती…तुमने ने मुझसे वादा किया है….

ये कह कर मेने नाज़िया के फेस को अपने हाथों में भर कर उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिए….अपने ही कामरस का स्वाद नाज़िया को बहुत अजीब सा लग रहा था….पर थोड़ी देर बाद नाज़िया ने हथियार डालते हुए, अपने होंठो को खोल दिया…और मैं फिर से नाज़िया के गुलाबी रसीले होंठो का रस पीने लगा…..

नाज़िया के होंठो को धीरे-2 चूस्ते हुए, मेने नाज़िया की नाइटी जो कि उसकी कमर तक चढ़ि हुई थी…उसे और ऊपेर उठाने लगा….नीचे मेरा लंड नाज़िया की फुद्दि के पास उसकी थाइस की जडो में रगड़ खा रहा था…और नाज़िया अपनी फुद्दि के पास मेरे गरम लंड की कॅप की रगड़ महसूस करते हुए, फिर से मस्त होने लगी….

धीरे-2 मेने नाज़िया की नाइटी को उसकी मम्मो तक ऊपेर उठा दिया….जैसे ही नाज़िया के मम्मे नाइटी की क़ैद से बाहर आए….मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा…वाह क्या गोश्त से भरे हुए मम्मे थे…. एक दम सख़्त और तने हुए….मैं तो जैसे नाज़िया के मम्मो को देख कर पागल ही हो गया….मेने दोनो मम्मो को अपने हाथों में भर लिया… और धीरे -2 दबाने लगा….नाज़िया के बड़े-2 गुदाज मम्मे मेरे हाथों में समा नही पा रहे थे…फिर मेने दोनो मम्मो को मसलते हुए, लेफ्ट मम्मे को अपने मूह में भर लिया.

नाज़िया एक दम से मदहोश हो गयी….उसके बदन में सिहरन दौड़ गयी…और उसने अपनी बाहों को मेरी पीठ पर कस लिया….मैं अब पूरे जोश में आ चुका था…मेने नीचे से अपने दोनो हाथों को नाज़िया की टाँगों में डाल कर नाज़िया को बेड के ऊपेर सही से लेटा दिया….और खुद उसकी टाँगों के बीच अपनी टाँगों को अड़जस्ट करके, नाज़िया के ऊपेर लेट गया…..

जिससे मेरे लंड का कॅप नाज़िया की फुद्दि के लिप्स पर रगड़ खाने लग गया….नाज़िया एक दम से मेरे लंड को अपनी फुद्दि के लिप्स पर रगड़ ख़ाता हुआ महसूस करके घबरा गयी….और उसने मेरे कंधों पर हाथ रख कर मुझे पीछे किया तो….नाज़िया का निपल पक की आवाज़ से मेरे मूह से बाहर आ गया…..

मैं: (हैरान होकर नाज़िया की ओर देखते हुए) क्या हुआ….

नाज़िया: नही समीर ये ठीक नही है….

मैं: अब मैं सिर्फ़ तुम्हे प्यार ही तो कर रहा हूँ…..

नाज़िया: पहले उसे वहाँ से हटाओ…..

नाज़िया का इशारा मेरे लंड की तरफ था….जो उसकी फुद्दि के लिप्स पर लगा हुआ था… ये सुनते ही मेरे होंठो पर मुस्कान आ गयी….मेने नाज़िया की बात को मानते हुए, थोड़ा नीचे खिसक गया…अब मेरा लंड नाज़िया के दोनो थाइस के बीच में तन कर झटके खा रहा था….मेने फिर से नाज़िया के मम्मेको मूह में भर लिया…और ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा…..

नाज़िया ने फिर से अपनी बाहों को मेरी पीठ पर कस लिया….और वो मेरे सर को अपने मम्मो पर दबाने लगी….में पूरे ज़ोर-2 से नाज़िया के दोनो मम्मो को बारी-2 चूस रहा था…..और नाज़िया मस्ती में उंह सीईइ अहह ओह कर रही थी….उसकी फुद्दि का सूराख फिर से फड़कने लगा था…..नाज़िया अब पूरी तरह मस्त हो चुकी थी… नाज़िया की नाइटी जो उसको मम्मो के ऊपेर तक चढ़ि हुई थी, वो मुझे अपने दोनो के बीच में एक दीवार सी लग रही थी….
 
मेने नाज़िया के मम्मो को चूस्ते हुए, नाज़िया की नाइटी को दोनो हाथों से पकड़ कर और ऊपर करना शुरू कर दिया….और ये क्या मैं ये देख कर हैरान रह गया कि, नाज़िया ने नाइटी को उतरवाने के लिए अपने दोनो हाथों को ऊपेर कर लिया…और अपने सर को थोड़ा सा ऊपर उठा लिया…जिससे मेने नाज़िया की नाइटी को आसानी से निकाल कर फेंक दिया….

अब हम दोनो बिकुल नंगे एक दूसरे से चिपके हुए थे…..और मैं नाज़िया के राइट मम्मे को मूह में भर कर ज़ोर ज़ोर से चूस रहा था….उसने फिर से मेरे सर को अपने मम्मो पर दबाना चालू कर दिया…..नाज़िया की सिसकारियाँ पूरे घर में गूंजने लगी…

नाज़िया के हाथों की उंगलियाँ तेज़ी से मेरे बालों में घूम रही थी….और मेने नाज़िया के लेफ्ट मम्मेको अपने हथेली में भर कर ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा….


नाज़िया: (मस्ती से भरी आवाज़ में) अह्ह्ह्ह बस करूँ समीर में बहक जाउन्गी…उंह सीईईईईईईई बस कार्ररर……

और उसने मेरी पीठ पर अपने हाथों को तेज़ी से घुमाना चालू कर दिया,….ये देखते हुए, मेने भी नाज़िया की फुददी में अपना लंड डालने के लिए सही पोज़ीशन में आने लगा….और मेने बिना अपने हाथ की मदद से अपने लंड की कॅप को नाज़िया की कुलबुला रही फुद्दि के सूराख पर लगा दिया…जैसे ही मेरे लंड का गरम और मोटा कॅप नाज़िया की फुद्दि के सूराख पर लगा….नाज़िया के मूह से आहह निकल गयी….

इस बार मेने अपने लंड को नाज़िया के सूराख के अंदर नही घुसाया….बस ऐसे ही अपने लंड की कॅप को उसकी फुद्दि के सूराख पर टिका कर, नाज़िया के मम्मो को चूस्ता रहा…आख़िर कार नाज़िया का सबर भी जवाब दे गया….और उसकी कमर धीरे-2 खुद ही ऊपेर के जानिब उठने लगी…जिससे नाज़िया की फुद्दि का दबाव मेरे लंड की कॅप पर बढ़ने लगा….

पर मेने फिर से अपनी कमर को थोड़ा सा ऊपेर उठा लिया…..मेरे लंड की कॅप का थोड़ा सा जो हिस्सा नाज़िया की भीगी हुई फुद्दि के सूराख में गया था, वो फिर से बाहर आ गया….नाज़िया ने अपनी वासना से भरी हुई आँखों को खोल कर मेरी तरफ देखा…जैसे पूछ रही हो……अब क्यों मुझे चोद नही देते……नाज़िया ने अपनी मस्ती से भरी नशीली आँखों से मुझसे सवाल किया…. और मेने मुस्करा कर अपने होंठो पर जीभ फेरना शुरू कर दिया….नाज़िया ने फिर से अपनी आँखें बंद कर ली….और अपनी कमर को ऊपेर की ओर करते हुए, फिर से अपनी फुद्दि को मेरे लंड की कॅप पर दबाने लगी..

नाज़िया ने अपनी थाइस को पूरी तरह फैला रखा था…..जिससे उसकी फुद्दि के लिप्स फेले हुए थे….और फुद्दि का गुलाबी सूराख खुल कर मेरे लंड को अपने अंदर समा लेने के लिए बेताब था….जैसे ही नाज़िया की फुद्दि का सूराख फिर से मेरे लंड की कॅप पर दबा तो….नाज़िया एक दम से मचल उठी….उसने मुझे अपनी बाहों में ज़ोर से कस लिया…

मेने भी देर करना ठीक नही समझा….और नाज़िया की थाइस के नीचे से अपनी बाजुओं को निकालते हुए, उसकी टाँगों को ऊपेर उठा दिया….और अपनी कमर को पूरी तेज़ी से नीचे की तरफ धकेला…..

नाज़िया: अहह उंह उंघह सीईईईईईईईई अहह

और मेरे लंड का कॅप नाज़िया की फुद्दि के सूराख और दीवारों को फैलाता हुआ, आधा अंदर घुस गया…..नाज़िया अपनी फुद्दि की दीवारों पर मेरे लंड के मोटे कॅप की रगड़ को महसूस करके एक दम गरम हो गयी….उसकी फुद्दि की दीवारें मेरे लंड को अपने अंदर दबा रही थी….जैसे वो मेरे लंड को कभी छोड़ना ही ना चाहती हो….

नाज़िया ने मेरी टी-शर्ट को गले से पकड़ लिया….और मुझ को अपने होंठो पर झुकाने लगी….उसके होंठ गोल आकार ले चुके थी…जैसे वो मुझ को बता रही हो….मेरे होंठो को चूसो…और मेने भी नाज़िया के होंठो को अपने होंठो में भर कर चूसना चालू कर दिया,….इसबार नाज़िया ने मेरे होंठो को अपने होंठो में लेकर खुद चूसना चालू कर दिया,….मैं नाज़िया को इस तरह गरम होता देख हैरान था….


नाज़िया पागलों की तरहा मेरे होंठो को चूस रही थी….और मैं भी नाज़िया के होंठो को चूस्ते हुए, नीचे धीरे-2 अपने लंड को नाज़िया की फुद्दि के अंदर बाहर कर रहा था.. अभी मेरा आधा लंड ही नाज़िया की फुद्दि के अंदर बाहर हो रहा था…पर नाज़िया की मस्ती का आलम इस कदर बढ़ चुका था, कि मेरा लंड अभी से नाज़िया की फुद्दि से निकल रहे पानी से भीग चुका था….

मैं पहली बार ऐसे मोटी और गरम फुद्दि को चोद कर एक दम मस्त हो गया था….मेरे लंड की नसें फूटने को थी….और मेने एक ज़ोर धार धक्का मार कर अपने बाकी लंड को नाज़िया की फुद्दि की गहराइयों में उतार दिया….

नाज़िया: (मेरे होंठो से अपने होंठ अलग करती हुई) अहह अम्मी धीरीईए धीरीए करो ओह्ह्ह्ह ओह समीर बुसस्स्सस्स उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह सीईईईईईई उन्ग्घ्ह्ह्ह्ह्ह उम्ह्ह

मेने अब अपने लंड को पूरी रफ़्तार नाज़िया की फुद्दि के सूराख के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया था…और नाज़िया की फुद्दि की दीवारों पर रगड़ ख़ाता हुआ मेरे लंड का कॅप नाज़िया को मदहोशी के सागर में डुबोये जा रहा था…नाज़िया की फुद्दि उसके काम रस से भीग चुकी थी…दोनो पहले से ही काफ़ी गरम थी….इसलिए नाज़िया का बदन फिर से अकडने लगा….और वो पूरी तरह मस्त हो कर अपनी कमर को ऊपेर के तरफ उछल कर अपनी फुद्दि को मेरे लंड पर पटकने लगी,….’
 
नाज़िया: अहह समीरररर ब्स्स्स और जोर्र्र्रर सीईई आह हाां औसे हीईई..

मैं नाज़िया की वासना से भरी मस्त सिसकारियों को सुन कर और जोश में आ गया…और अपनी कमर को पूरी तेज़ी से हिलाते हुए, अपने लंड को नाज़िया की फुद्दि के अंदर बाहर करते हुए चोदने लगा….कुछ ही पलों में नाज़िया का बदन फिर से अकड़ गया….और उसकी फुद्दि से गरम पानी की नदी बह निकली…….मैं भी ज़्यादा देर ना टिक पाया…और नाज़िया की फुद्दि में ही फारिघ् होने लगा….दोनो कुछ देर बाद शांत हुए, और मैं अपने सर को नाज़िया के मम्मो के बीच में रख कर लेट गया…..


अब नाज़िया की आँखों में नींद नही थी….मैं भी पीठ के बल लेटा हुआ, छत की तरफ देख रहा था….थोड़ी देर बाद नाज़िया उठी और नाइटी पहन कर बाथरूम की तरफ जाने लगी…तो मेरी नज़र नाज़िया की हिलती हुई बुन्द पर जैसे ही पड़ी….तो मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा….नाज़िया बाथरूम में घुस गयी…मुझे पता नही क्या हुआ मैं जल्दी से खड़ा हुआ और बाथरूम के डोर के पास आकर खड़ा हो गया….

नाज़िया ने बाथरूम के डोर को बंद नही किया था…जैसे ही मैं बाथरूम के डोर के नज़दीक पहुँचा तो, नाज़िया के मूतने की आवाज़ सुन कर मेरे लंड ने जोरदार झटका खाया….नाज़िया ने पेशाब करने के बाद अपने हाथों को धोया, और बाहर आने लगी…पर मेने उसे दूर पर ही रोक लिया….

नाज़िया: (अपनी आँखों को झुकाए हुए) अब क्या है….मुझे जाने दो….रात बहुत हो गयी है..

मैं: (नाज़िया को अपनी बाहों में भरते हुए) तो क्या हुआ…..अभी मेरा दिल नही भरा है.. 

और ये कहते हुए मेने नाज़िया के होंठो को अपने होंठो में भर लिया…और नाज़िया की बुन्द को उसकी नाइटी के ऊपेर से मसलते हुए, उसके होंठो का रस पीने लगा…नाज़िया के बदन में फिर से मस्ती की लहर दौड़ गयी…और मदहोश होकर उसने भी अपनी बाहों को मेरी पीठ पर कस लिया…. हम दोनो पागलों की तरह एक दूसरे के होंठो को चूस रहे थे…फिर अचानक से मेने नाज़िया की नाइटी को दोनो तरफ से पकड़ कर ऊपेर उठा कर निकाल दिया…

नाज़िया एक दम से शरमा गयी….और वो दीवार की तरफ घूम गयी….मैं पीछे से नाज़िया के कटाव दार बदन को देख कर पागल हो गया…मेरा लंड फिर से पूरी तरह सख़्त हो चुका था…मेने नाज़िया को पीछे से अपनी बाहों में भर कर अपने होंठो को नाज़िया की नंगी पीठ पर टिका दिया…नाज़िया के बदन में मस्ती के लहर दौड़ गयी… मेरा सख़्त खड़ा लंड नाज़िया की बुन्द की दरार में रगड़ खा रहा था……

और नाज़िया भी पीछे की तरफ अपनी बुन्द को मेरे लंड पर दबा कर मेरे लंड को अपने बुन्द की लाइन में महसूस करके मस्त हो रही थी….मेने अपने लंड को पकड़ कर अपने घुटनो को थोड़ा सा मोड़ लिया, और अपने लंड की कॅप को नाज़िया की फुद्दि के सूराख पर टिकाने की कॉसिश करने लगा….नाज़िया ने भी मस्ती में आकर अपनी थाइस को थोड़ा सा खोल दिया…और दीवार पर अपनी हथेलियों को जमा कर पीछे से अपनी बुन्द को थोड़ा सा बाहर निकाल लिया…नाज़िया लगभग सीधी खड़ी थी…इसीलिए मेरा लंड नाज़िया की फुद्दि के सूराख के अंदर नही जा पा रहा था….

फिर नाज़िया ने अपनी बुन्द से थोड़ा ऊपेर की कमर के हिस्से को अंदर की तरफ कर लिया….जिससे उसकी फुद्दि पीछे से बाहर की तरफ आ गयी….मेने अपने एक हाथ से अपने लंड को पकड़ कर, नाज़िया की फुद्दि के सूराख पर लगा दिया…नाज़िया के मूह से मस्ती से भरी हुई आह निकल गयी…और उसने अपने होंठो को दाँतों में भींच लिया…मेने नाज़िया की बुन्द के दोनो पार्ट्स को दोनो तरफ से पकड़ कर एक जोरदार धक्का मारा…तो मेरा लंड नाज़िया की फुद्दि की दीवारों को फैलाता हुआ अंदर जा घुसा….

नाज़िया: अहह उंह समीर पूरा अंदर डालो…….ओह समीर…

मेने एक के बाद एक तीन चार धक्के लगा कर अपने लंड को जड़ तक नाज़िया की फुद्दि में घुसा दिया….और मेने फिर अपने हाथों को नाज़िया की बुन्द से हटा कर नाज़िया के हाथों के पास दीवार पर लगा दिया…और तेज़ी से नाज़िया की फुद्दि में लंड को अंदर बाहर करते हुए चोदने लगा…नाज़िया भी मस्ती होकर मेरा पूरा साथ दे रही थे, और अपनी फुद्दि को पीछे मेरे लंड पर पटक-2 कर चुदवा रही थी…..

नाज़िया: अहह समीर और ज़ोर से चोदो मुझे अहह अहह अहह और तेज जल्दी कर अह्ह्ह्ह ओह समीर उंह

में भी नाज़िया की बातों को सुन कर और जोश में आ गया…और तेज़ी से नाज़िया की फुद्दि में अपना लंड अंदर बाहर करते हुए शॉट लगाने लगा….मेरी थाइस नाज़िया की मोटी बुन्द पर चोट करके थप-2 की आवाज़ कर रही थी…और नाज़िया इन आवाज़ों को सुन कर और गरम हो रही थी… मैं 10 मिनट लगातार ऐसे ही नाज़िया की फुद्दि में अपने लंड को अंदर बाहर करता रहा.

फिर अचानक से नाज़िया की फुद्दि ने मेरे लंड को अपने अंदर कसना चालू कर दिया… नाज़िया फारिघ् होने के बिल्कुल करीब थी…वो एक दम मस्त हो चुकी थी…उसने अपने होंठो को मेरी कलाईयों पर रगड़ना चालू कर दिया…ये देख कर मैने और तेज़ी से नाज़िया को चोदना शुरू कर दिया….कुछ ही पलों में नाज़िया का बदन अकड़ने लगा….और वो पीछे की तरफ तेज़ी से अपनी बुन्द को धकेलने लगी…..

थोड़ी देर बाद हम दोनो एक साथ फारिघ् हो गये…और फारिघ् होते ही मैं नाज़िया के कंधो पर अपना सर टिका कर खड़ा हो गया…जब दोनो की साँसें दुरुस्त हुई, मेने अपने लंड को नाज़िया की फुद्दि से बाहर निकाल लिया. मेरा आधा तना हुआ लंड, नाज़िया की फुद्दि से निकले पानी से सना हुआ था….नाज़िया ने अपनी नाइटी उठाई…और पहन कर बेड पर लेट गयी….उसके बाद में बाथरूम से आने के बाद सीधा रूम में चला गया…और बेड पर लेट गया… दोनो को कब नींद आई….दोनो में से किसी को पता नही….
 
53


अगली सुबह जब आँख खुली तो, मेरे जिस्म पर सिर्फ़ रज़ाई थी…..और नीचे में बिल्कुल नंगा था….जैसे ही आँख खुली तो मेरी आँखो के सामने से कल रात बीता हुआ वो सारा हसीन मंज़र घूमता चला गया….मेने बेड पर और रूम में देखा तो, वहाँ नाज़िया नही थी….मेने दीवार पर लगी घड़ी की तरफ देखा तो, सुबह के 6 बज रहे थे…

मैं बेड से नीचे उतरा और यहाँ वहाँ पड़े अपने कपड़े उतार कर पहने और जैसे ही मैं रूम से बाहर आया तो, देखा कि नाज़िया किचिन में खड़ी थे…शायद चाइ बना रही थे…..उसकी पीठ मेरी तरफ थी…..मैं बिना आवाज़ किए धीरे-2 किचिन में गया. और नाज़िया को पीछे से अपनी बाहों में भर लिया,……पर अगले ही पल नाज़िया एक दम से घूमी और मुझे पीछे धक्का दे दिया….में आँखें फाडे नाज़िया को देखने लगा….”ये क्या बदतमीज़ी है….दूर रहो मुझसे…..” नाज़िया ने गुस्से से भरे लहजे में कहा…

.”क्या हुआ…?” मेने नाज़िया की तरफ हैरत भरी नज़रों से देखते हुए पूछा तो, नाज़िया ने अपने गुस्से पर कंट्रोल करते हुए लंबी साँस ली….और फिर कुछ देर सोचने के बाद बोली…..

नाज़िया: देखो समीर तुमने जो मुझसे कहा था…वो मेने कल रात कर दिया….जो तुमने माँगा दिया था….वो तुम्हे दे दिया….बल्कि उससे कही ज़्यादा अपना सब कुछ तुम्हे दे दिया….और इस दौरान मैं भी बहक गयी थी….मेने अपना वादा पूरा कर दिया…अब तुम भी अपना वादा पूरा करो…..

ये कह कर उसने सेल्फ़ पर पड़ा हुआ मेरा मोबाइल मेरी तरफ बढ़ा दिया…..मेने सवालिया नज़रों से नाज़िया की तरफ देखा……और उसके हाथ से अपना मोबाइल ले लिया…

“समीर अब वो रेकॉर्डिंग डेलीट कर दो….तुम जो चाहते थे वो तुम्हें मिल गया… अब सब कुछ भूल जाओ….और एक नयी जिंदगी की शुरआत करो….कि तुम भी सकून भरी जिंदगी जी सको और में भी…..” 

मैं: अगर यही बात थी तो, तुमने खुद रेकॉर्डिंग क्यों डेलीट नही की…मोबाइल तो तुम्हारे पास था….

नाज़िया: हां जब तुम सो रहे थे…..तब मेने उठा लिया था….पर फिर सोचा ऐसी करना ठीक नही होगा…..अब तुम खुद उसे डेलीट कर दो….प्लीज़ में तुमसे रिक्वेस्ट करती हूँ….

मैं: ठीक है…..

मेने मोबाइल से वो रेकॉर्डिंग डेलीट कर दी….और बाहर जाने लगा तो, नाज़िया के आवाज़ सुन कर रुक गया….और नाज़िया के तरफ देखने लगा…”समीर मुझाई लगता है….एब्ब तुम्हाई यहा से चले जाना चाहिए…..कहीं तुम्हारे अब्बू को पता चल गया कि तुम इतने दिनो से यहाँ हो तो, हम दोनो के लिए मुसबीत हो जाएगी…..मैं क्या जवाब दूँगी उन्हे….तुम चले जाओ…..”

मैं: ठीक है जैसे तुम कहो…..

उसके बाद में ऊपर आ गया…..ऊपर आकर में फ्रेश हुआ….और फिर अपनी पॅकिंग करने लगा…थोड़ी देर बाद नाज़िया ऊपर आई….और नाश्ता और चाइ रख कर नीचे चली गयी…पॅकिंग करने के बाद मेने नाश्ता किया और बॅग उठा कर जैसे ही रूम से बाहर आया तो, मेरा मोबाइल बजने लगा….मेने जेब से मोबाइल निकाल कर देखा तो, सबा के घर से लॅंडलाइन से कॉल आ रही थी…मेने कॉल पिक की तो, दूसरी से फ़ैज़ की आवाज़ आई…..

फ़ैज़: हैल्लो समीर….

मैं: हैल्लो फ़ैज़ हां बोलो कैसे हो….?

फ़ैज़: मैं तो ठीक हूँ जनाब आप कहाँ हो कैसे हो….तुम्हे कुछ पता भी है….

मैं: यार में तो ठीक हूँ….पर हुआ क्या है….?

फ़ैज़: भाई जान तीन दिन बाद अपने इंटर्नल एग्ज़ॅम शुरू होने वाले है….और जनाब लापता है….

मैं: नही यार ऐसे ही किसी काम से अब्बू के पास आया था….आज ही वापिस आ रहा हूँ…

फ़ैज़: ठीक है….जैसे ही आए उसके बाद मेरे घर आ जाना….और एग्ज़ॅम की डेट शीट ले लेना….

मैं: ठीक है…..

उसके बाद मेने कॉल कट की और नीचे आ गया…नाज़िया बाहर बरामदे में ही बैठी हुई थी….उसने एक बार मेरी तरफ देखा और फिर नज़रें झुका ली….मैं बिना कुछ बोले वहाँ से निकाला और बाहर से रिक्क्षा लेकर बसस्टेंड पर चला गया….और फिर वहाँ से बस पकड़ी गाओं जाने के लिए…. में 12 बजे गाँव की रोड पर उतरा….और घर की तरफ चल पड़ा….10 मिनिट पैदल चलने के बाद में घर पहुँचा लॉक खोला और फिर अपने रूम में पहुँचा और कपड़े चेंज करके बेड पर लेट गया….फिर पता नही चला कब नींद आ गयी….

जब आँख खुली तो 3 बज रहे थे….मैं उठ कर फ्रेश हुआ मूह हाथ धो कर घर को लॉक करके फ़ैज़ के घर की तरफ चला गया…..वहाँ जाकर डोर बेल बजाई तो, थोड़ी देर बाद फ़ैज़ ने गेट खोला….मुझे देख कर फ़ैज़ एक दम से खुश हो गया….और मुझे गले मिला….”और सूनाओ फ़ैज़…अब तुम्हारी तबीयत कैसी है…..? “

फ़ैज़: अब ठीक हूँ…तुम कैसे हो…..यार इतने दिनो तक कहाँ थे….

मैं: बताया तो था….कि अब्बू के पास चला गया था….

फ़ैज़: चल अंदर आ….कब आए हो वहाँ से…..?

हम दोनो ऊपेर आ गये….वो मुझे सीधा अपने रूम में ले गया… सबा उस वक़्त शायद अपने रूम में थी….” बस यार 12 बजे यहा पहुँचा था…थक गया था.. तो आते ही नींद आ गयी….” 

फ़ैज़: अच्छा तुम रूको में अम्मी को कहता हूँ कि, तुम्हारे लिए खाना बना दे….

मेने फ़ैज़ को मना किया पर वो नही माना….और बाहर चला गया…थोड़ी देर बाद फ़ैज़ वापिस आया…और उसने अपने स्टडी टेबल के ड्रॉयर में से एग्ज़ॅम की डेट शीट निकाली और एक प्लेन पेपर पर मुझे एग्ज़ॅम की डीटेल नोट करके दी….उसके बाद और कोई ख़ास बात नही हुई….हम दोनो कॉलेज की इधर उधर की बातें करते रहे….थोड़ी देर बाद सबा रूम में आई…वो मुझे देख कर मुस्कराते हुए बोली….” क्या बात है समीर बड़े दिनो बाद इधर आए हो….?”
 
मैं: जी चाची वो में अब्बू के पास चला गया था….(मेने भी सबा को मुस्कुरा कर जवाब दिया…)

सबा: अच्छा आओ बाहर आकर खाना खा लो तुम दोनो…..

उसके बाद हम दोनो खाना खाने के लिए बाहर चले गये….अभी में खाना ख़तम करके उठा ही था कि, मेरा मोबाइल बजने लगा…मेने मोबाइल निकाल कर देखा तो, किसी लॅंडलाइन से कॉल आ रही थी….मेने कॉल पिक की तो दूसरी तरफ से किसी औरत की आवाज़ आई….

औरत: हैल्लो समीर बोल रहे है आप…..?

मैं: जी कहिए…..

औरत: समीर में नीलम बोल रही हूँ…..नजीबा की मामी….

मैं: जी मामी जी कहिए….

नीलम: समीर तुम जल्दी से यहाँ आ जाओ….

मैं: क्या हुआ सब ख़ैरियत तो है…..

नीलम: वो नजीबा आज सीढ़ियों से फिसल कर गिर गयी है….उसके पैर में चोट आई है….इसके मामू भी काम के सिलसिले में पेशावॉर गये हुए है…7 दिन बाद आना है….घर पर कोई भी नही है….मुझे समझ में नही आ रहा कि में क्या करूँ…. नजीबा ने तुम्हारा नंबर दिया है…..नजीबा चल नही पा रही है….उसे हॉस्पिटल लेकर जाना होगा….

मैं: (नीलम की बात सुन कर मेरा रंग उड़ गया….और ये बात फ़ैज़ ने भी नोट कर ली……) आप घबराए नही….में फॉरन वहाँ पहुँचता हूँ…..

मेने कॉल कट की….तो फ़ैज़ ने मेरी तरफ देखते हुए पूछा….”क्या हुआ समीर…?”

मैं: यार वो नजीबा मामी के घर सीढ़ियों से नीचे गिर गयी है…उसके पैर में चोट आई है….चल नही पा रही है…..

फ़ैज़: घबराओ नही समीर….हम कार लेकर चलते है….वहाँ से नजीबा को हॉस्पिटल ले जाएँगे….

मैं: हां यही ठीक होगा…..

उसके बाद मैं और फ़ैज़ उसकी कार लेकर नजीबा की मामी के गाँव की तरफ चल पड़े…. नजीबा की मामी का गाओं ज़्यादा दूर नही था…इसलिए 20 मिनिट में ही हम वहाँ पहुँच गये….घर का गेट खुला हुआ था…हम अंदर दाखिल हुए तो, आवाज़ सुन कर नजीबा की मामी बाहर आई….मेने उन्हे सलाम किया और नजीबा के बारे में पूछा…तो वो हमें उसके रूम में ले गई….. नजीबा बेड पर लेटी हुई दर्द से कराह रही थी…..हम ने एक पल भी देर नही की…मेने नजीबा को गोद में उठाया और नजीबा की मामी को घर लॉक करने के लिए कहा…

जब मैं नजीबा को उठा कर बाहर पहुँचा तो, फ़ैज़ ने जल्दी से कार की बॅक सीट का डोर खोला और मेने पहले नजीबा की मामी को अंदर बैठने के लिए कहा…और फिर नजीबा के सर को उसकी मामी की रानों पर रख कर उसे सीट पर लेटा दिया….और फिर हम दोनो आगे बैठे….और हॉस्पिटल की तरफ कार दौड़ा दी….हॉस्पिटल पहुँचने में भी 20 मिनिट लग गये…..खैर हॉस्पिटल पहुँचे तो, डॉक्टर ने नजीबा की टाँग का एक्स्रे किया….तो पता चला कि, पैर के एडी के पास फेक्चर हुआ था…डॉक्टर ने फॉरन उस पर प्लास्टर लगा दिया….और कुछ मेडिसिन डी….उसके बाद जब मेने डॉक्टर से पूछा तो, उसने कहा कि, घबराने की कोई बात नही है….1 मंत बाद प्लास्टर खुल जाएगा….

खैर हम नजीबा को लेकर वापिस उसकी मामी के घर आ गये….मैं नजीबा को गोद में उठा कर उसके रूम में ले गया….फिर हम वहाँ कुछ देर बैठे…और जैसे ही मैं जाने लगा तो, नजीबा की मामी ने मुझे रोक लिया…और कहा कि जब तक इसके मामा नही आ जाते….मैं यही रहूं….मेने उन्हे अपने एग्ज़ॅम के बारे में बताया तो उन्होने कहा कि, मैं अपनी बुक्स यही ले आउ….और यही से एग्ज़ॅम की तैयारी भी करूँ और एग्ज़ॅम देने चला जाया करूँ……फिर नजीबा के कहने पर मुझे उसकी बात माननी ही पड़ी….
 
खैर मैं वहाँ से घर वापिस आया….कपड़ों का बॅग तो वैसे ही पॅक पड़ा था….. और फिर मेने अपनी बुक्स एक बॅग में डाली और अब्बू की बाइक जो घर पर ही थी… बाइक लेकर में नजीबा की मामी के गाओं की तरफ चल पड़ा….पिछले चन्द महीनो से मेरी जिंदगी बहुत बदल चुकी थी……जब में नजीबा की मामी के घर पहुँचा तो, शाम हो चुकी थी…..मैं गेट के सामने पहुँचा कर बाइक का हॉर्न मारा तो, थोड़ी देर बाद नजीबा की मामी नीलम ने गेट खोला….और मेने बाइक अंदर कर दी… मैं बाइक से नीचे उतर और स्टॅंड पर लगा कर जैसे ही मुड़ा तो मेरी टक्कर एक दम से मामी नीलम से हो गयी…..ये सब एकदम से हुआ था….जैसे ही हम दोनो एक दूसरे से टकराए तो, नीलम के बड़े-2 मम्मे जो उसकी कमीज़ और ब्रा में कसे हुए थे मेरी चैस्ट में कुछ पलों के लिए दब गये…..

एक पल के लिए तो मेरी साँस ही रुक गयी…हम दोनो की नज़रें मिली तो, नीलम ने हंसते हुए कहा….”आइ आम सॉरी बेटा…..” और फिर मुस्कुराने लगी….”जी कोई बात नही… मेने ध्यान नही दिया…वैसी नजीबा अब कैसी है…?”

नीलम: ठीक है…अंदर लेती है….शूकर है कि तुम आ गये….वरना मैं तो सोच रही थी कि, अब अकेली इसे कहाँ लेकर जाउ….मैं बहुत परेशान हो गयी थी…

मैं: आप घबराए नही….जब तक मम्मू नही आ जाते….मैं यही रहूँगा…..वैसे आप ने अब्बू या नजीबा की अम्मी को खबर दी क्या….?

नीलम: नही….मेने बहुत कहा….पर नजीबा ने मना कर दिया….कह रही थी कि, अम्मी बहुत दिनो बाद गयी है…उसके चाचा की शादी है….इसलिए नही बताया,….

मैं: और आपके हज़्बेंड वो नही जाएगे शादी में….

नीलम: जाएँगे…..वही से शादी वाले दिन चले जाएँगे… तुम अंदर चलो में तुम्हारे लिए चाइ बनाती हूँ…..

मैं: जी…..

उसके बाद में नजीबा वाले रूम में चला गया….नजीबा बेड पर लेटी हुई थी… वो मुझे देख कर बेड पर बैठ गयी… में उसके पास जाकर बेड के किनारे पर बैठ गया….जैसे ही मेने उसकी आँखो में देखा तो, उसकी आँखो में नमी थी… मेरा दिल उसी वक़्त पिघल गया….मेने आगे बढ़ कर उसकी आँखो से आँसू सॉफ किए.. और उसे गले से लगा लिया…”रो क्यों रही हो….में तुम्हारे पास हूँ ना….?” 

नजीबा: आप मुझे छोड़ कर क्यों गये थे…..एक बार भी कॉल करके मुझसे बात करने का दिल नही किया….

मैं: दिल तो बहुत करता था….क्या करता….मजबूरी थी…कि कही तुम्हारी मामी हमारे बारे में कुछ ग़लत नही सोच ले…

मेने नजीबा को अपने से अलग किया….”अब तो खुश हो जाओ….अब मैं तुम्हारे पास यहाँ एक वीक तक रहने वाला हूँ….” नजीबा मेरी बात सुन कर मुस्कुराने लगी… “आप के एग्ज़ॅम कब से शुरू है…”

मैं: तीन बाद…..

तभी मुझे ख़याल आया कि, नजीबा के भी इंटर्नल एग्ज़ॅम शुरू होने वाले होंगे… “और तुम्हारे….?” मेने नजीबा की तरफ देखते हुए पूछा….” वो तो कल ही ख़तम हुए थे….”

मैं: ठीक है तो तुमने सही वक़्त पर अपनी टाँग तुड़वाई है हाहाहा….

नजीबा मेरे बात सुन कर बनावटी गुस्सा करते हुए मेरी चैस्ट पर मुक्के मारने लगी….तभी बाहर से कदमो की आवाज़ सुन कर हम दोनो थोड़ा फँसला बना कर बैठ गये….नीलम चाइ लेकर आई….और फिर हम वही चाइ पीने लगे….नीलम बेड के सामने कुर्सी पर बैठी चाइ पी रही थी….और मैं नजीबा के पास ही बेड पर नीचे पैर लटका कर बैठा था….

नीलम: समीर तुम्हारे एग्ज़ॅम कब से शुरू होने है…

मैं: जी तीन दिन बाद…..

नीलम: ठीक है….चाइ पीने के बाद तुम मेरे साथ ऊपेर चलना…. ऊपेर हैदर का रूम है….(हैदर नीलम का बेटा था….जो दुबई में जॉब कर रहा था….) वहाँ स्टडी टेबल भी है और बेड भी….तुम वहाँ आराम से अपनी स्टडी कर सकते हो…. दिन को तो यहा गाओं की औरतें आती रहती है…तुम ठीक से पढ़ नही सकोगे….

मैं: जी जैसे आप ठीक समझे…..

नीलम: क्यों ठीक है ना नजीबा….

नजीबा: जी मामी…..

नीलम: और सूनाओ पढ़ाई कैसी चल रही है….?

मैं: जी ठीक चल रही है….

नीलम: अब देखो नहा….तुम्हारे एग्ज़ॅम है….और हमारी वजह से से तुम्हारी पढ़ाई का नुकसान हो रहा है….

मैं: ये आप कैसी बात कर रही है…इस वक़्त अगर में आपकी मदद नही करूँगा… तो कोई बाहर वाला तो नही करेगा नही…..आप ये बात अपने जेहन से निकाल दें कि आप की वजह से मेरी पढ़ाई का नुकसान हो रहा है….

मेने चाइ ख़तम करके चाइ का खाली कप नीलम की तरफ बढ़ा दिया….नीलम उठी और खाली कप्स को ट्रे में रखते हुए बोली…”आओ में तुम्हे रूम दिखा देती हूँ…” और फिर वो बाहर चली गयी….मेने नजीबा के गाल पर प्यार से हाथ फेरा और ढैएरए से कहा….”में अपना समान रूम में रख कर आता हूँ….” तो नजीबा ने भी मुस्कुराते हुए हां में सर हिला दिया….में रूम से बाहर निकला….मेरे बॅग्स बाहर बरामदे में ही पड़े हुए थे….नीलम किचिन में थी…. नीलम का घर दो मंज़िला था….नीचे वाले पोर्षन में पीछे की तरफ दो रूम्स फिर बरामदा और फिर कीचीं और फिर गेट के एक तरफ दो रूम्स और गेट के दूसरी तरफ बाथरूम और टाय्लेट था…ऊपेर भी सेम ऐसा ही पोर्षन बना हुआ था….
 
पर ऊपेर के सारे रूम्स खाली थे….सिर्फ़ हैदर वाले रूम में समान सेट था…थोड़ी देर बाद नीलम किचिन से बाहर आई….और सीढ़ियों की तरफ जाते हुए बोली…”आओ…” में नीलम के पीछे -2 ऊपर आ गया….ऊपर पहुँचा कर उसने बाहर गली की तरफ जो पहला रूम था…उसका डोर खोला….और मुझे अंदर आने को कहा…अंदर पहुँच कर नीलम ने लाइट ऑन की….तो देखा कि रूम एक दम सॉफ था….उसमे एक तरफ डबल बेड था…और उसके सामने बाहर गॅलरी में खुलने वाली विंडोस थी…. और उन विंडोस के ठीक साथ स्टडी टेबल और एककुर्सी लगी थे…..और विंडोस के साथ ही एक और डोर था….जो गॅलरी में खुलता था….बाहर से भी गॅलरी में जाया जा सकता था….

नीलम: ये लो समीर….ये है रूम….यहाँ तुम आराम से अपनी स्टडी कर सकते है…

मैं: जी…..

नीलम: ये रूम हमने ख़ासतोर पर हैदर के लिए बनवाया था…दोपहर के बाद शाम तक इस विंडोस से यहाँ सूरज की रोशनी रहती है….अब तुम यहाँ अड़जस्ट हो जाओ…और फ्रेश होकर नीचे आ जाओ….तब तक में खाना बनाती हूँ…. सामने बाथरूम और टाय्लेट भी है…तुम पहले फ्रेश हो जाओ….बाथरूम में गीजर है… पानी गरम कर है….

मैं: जी….

नीलम जैसे ही नीचे जाने लगी तो, उसकी नज़र बेड पर पड़े न्यूज़ पेपर्स पर पड़ी….”ये साना के अब्बू भी ना….यहाँ दिल करता वहाँ कुछ भी फैंक देते है…” ये कहते हुए नीलम बेड पर चढ़ने लगी तो, उसका अंदाज़ कुछ ऐसा था कि, में तो पूरी तरह हिल गया…वो आगे को झुकी और उसने अपने दोनो हाथो को बेड पर टिकाया और फिर दोनो घुटनो को बेड के किनारे पर रखा और फिर डॉगी स्टाइल में चलते हुए न्यूज़ पेपर तक जाने लगी …..में ठीक नीलम के पीछे खड़ा था… और जैसे ही वो डॉगी स्टाइल में हुई तो, मेरी नज़र नीलम की बेइंतिहा चौड़ी बुन्द पर पड़ी…..”उफफफ्फ़….मेरी तो दिल की धड़कनें बंद होते होते रह गयी…. बेखयाली में नीलम की कमीज़ का पल्ला पीछे से उसकी बूंद से ऊपेर चढ़ गया था…. 


और तो और उसकी शलवार की सिलाई भी बीच में फटी हुई थी….और मेरी नज़र सीधा काले बालो से भरी उसकी फुद्दि पर पड़ी….तो मेरा लंड पेंट के अंदर से फटने को तैयार हो गया….ये नज़ारा कुछ पलों का मेहमान था….पर इस नज़ारे ने मेरे अंदर आग लगा दी थी….ऊपर से उसकी चौड़ी और मोटी बुन्द को देख कर मेरा बुरा हाल हो चुका था….दिल तो कर रहा था कि, अभी अपनी पेंट उतारू…और इस पोज़िशन में अपना लंड उसकी चौड़ी बुन्द के बीच में डाल कर घस्से मारु…. पर अफ़सोस में ये नही कर सकता था,,….नीलम ने वहाँ पड़े न्यूज़ पेपर उठाए… और फिर सीधी होकर नीचे उतरी,….

मैं जानबूज कर दूसरी तरफ मूह करके खड़ा हो गया….और फिर वो न्यूसपेपर लेकर नीचे चले गयी….वो तो नीचे चली गयी…और मुझ पर बहुत बड़ा जुलम कर गयी…उसके जाने के बाद मेने अपने लंड और मन दोनो को समझाया…कि बेटा नही… हर जगह कुत्ते की तरफ ज़ुबान बाहर नही निकालते….फिर मेने अपना कपड़ों वाला बॅग खोला और उसमे से एक पाजामा और टी-शर्ट और टवल निकाल कर बेड पर रखा…और फिर अंडरवेर को छोड़ कर अपने सारे कपड़े उतारे और टवल कमर पर लपेट कर बाथरूम में चला गया…पर ठर्की इंसान कहाँ अपनी आदतों और करतूतों से बाज़ आता है…

जैसे ही बाथरूम में पहुँचा कर मेने कमर से टवल निकाल कर हॅंगर पर टांगा तो, मेरी नज़र अंडरवेर में एक दम सख़्त खड़े लंड पर पड़ी….और अगले ही पल फिर से नीलम की मोटी और चौड़ी बुन्द मेरी नज़रों के सामने आ गयी….”उफ्फ आज तक इतनी चौड़ी बुन्द नही देखी थी….मेरा ध्यान वहाँ से हट नही पा रहा था… लंड तो ऐसी हो गया था….जैसे सूज गया हो….मेने अंडरवेर के ऊपेर से अपने लंड को दबाना शुरू कर दिया….और लंड तो और हार्ड होता जा रहा था….खैर मेने आप को समझाया कि हर जगहा ऐसी सोच रखना ठीक नही होता…मेने हाथ मूह धोया और टवल से अपना मूह पोन्छते हुए बाथरूम से बाहर आया और रूम में दाखिल हुआ….मुझे इस बात का बिल्कुल भी पता नही था कि, यूयेसेस वक़्त नीलम रूम में थी… और मेरे जिस्म पर सिर्फ़ एक अंडरवेर ही था….और उस अंडरवेर को भी लंड ने बीचो- बीच ऐसे बाहर की तरफ पुश कर रखा था…

जैसे लंड अंडरवेर के कपड़े का इम्तिहान ले रहा हो….कि देखता हूँ साले मुझे कब तक क़ैद करके रखता है….मुझे आज़ादी चाहिए….और जैसे ही मैं रूम में दाखिल हुआ मेरी नज़र नीलम पर पड़ी…उसकी पीठ मेरी तरफ थी…वो कदमो की आवाज़ सुन कर एक दम से मूडी और उसकी नज़र जैसे ही मुझसे टकराई तो, एक पल के लिए मानो जैसे वक़्त वही ठहर गया हो….वो ऊपए रज़ाई रखने आई थी….उसकी नज़र कुछ पलों के लिए मेरे अंडरवेर में बने टेंट पर पड़ी….और फिर उसने फॉरन ही नज़रें दूसरी तरफ कर ली….”वो वो में रज़ाई रखने आई थी….” मुझे नीलम की आवाज़ में कपकपि सी महसूस हुई…” मेने भी मोके की नज़ाकत को देखते हुए फॉरन अपनी कमर पर टवल पर लपेट लिया…”सा सॉरी वो मुझे नही पता था कि, आप यहाँ होंगी…मेने सर को झुकाते हुए कहा…”

कोई बात नही…” तुम नीचे आ जाओ…. में खाना बना रही हूँ….”

मैं: जी…..

उसके बाद वो मेरे पास से गुजरते हुए नीचे जाने लगी….तो अचानक से मेरा ध्यान नीलम मामी के फेस पर पड़ा…और मेने एक चीज़ नोटीस की कि वो सर झुकाए मुस्कुरा रही थी….और अपनी शर्माहट वाली मुस्कान को छुपाने की कॉसिश कर रही थे…नीलम मामी की एज वक़्त 37 साल की थे….जैसे ही वो नीचे गयी तो, मेने सोचने लगा कि, मेने जो अभी देखा कि वो सच था….या फिर मेरा वेहम था… पर मेने इस ओर ज़्यादा ध्यान नही दिया… मेने कपढ़े पहने और 
 
Back
Top