hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
मैं अपने रूम मे आकर लेट गया…..लेकिन नींद का नामो निशान नही था…. वो सारी रात आँखो-2 मे कट गयी….अगली सुबह बड़ी देर से उठा….8 बज चुके थे… अबू ने रूम मे आकर आवाज़ दी तो उठा….मैं उठ कर बाहर आया और बाथरूम मे फ्रेश होने चला गया…..फ्रेश होकर जब बाहर आया तो, देख नजीबा अपनी स्कूल के ड्रेस पहने तैयार थी….और बरामदे मे बैठ कर नाश्ता कर रही थी….मैं भी डाइनिंग टेबल पर चला गया….थोड़ी देर बाद नाज़िया ने मेरे लिए भी नाश्ता लगा दिया….फिर हम सब ने नाश्ता किया तो, नाज़िया नजीबा से बोली….”नजीबा आज तुम हमारे साथ ही बाइक पर चलो…हम तुम्हे बाइक पर स्कूल छोड़ दैन्गे…”
मैने उसकी तरफ ध्यान ना दिया….नाश्ते के बाद नाज़िया नजीबा और अबू जाने लगे तो, अबू ने मुझे भी तैयार होकर कॉलेज जाने को कहा तो, मैने हां मे सर हिला दिया…वो लोग जैसे ही घर से निकले तो, मे ख़ुसी से उछल पड़ा….क्यों कि अब मे घर पर अकेला था…और मैं जल्द से जल्द तैयार होकर सबा चाची के घर जाना चाहता था….आधे घंटे बाद मैने कपड़े चेंज किए और घर को लॉक करके सबा चाची के घर की तरफ चल पड़ा….
मैं सारे रास्ते मे यही प्लॅनिंग कर रहा था कि, आज सबा चाची की फुद्दि मार-2 के उनकी तसल्ली कर देनी है…कि बाद मे वो खुद फुद्दि खोल-2 कर मेरे आगे पीछे घूमे….रास्ते मे मैं सोच रहा था कि, सबा चाची की कैसे कैसे लूँगा…चाची को कोड़ी (घोड़ी बना कर लूँ तो कितना मज़ा आएगा….) यही सब सोचते-2 मे पता नही कब सबा चाची के घर की गली मे पहुच गया…लेकिन जब मे सबा चाची के घर के पास पहुचा तो, मेरी सारी ख़ुसी और जनून एक पल मे उतर गया…क्योंकि बिल्लू चाचा वही पीपल के पेड के नीचे बैठा सबा चाची के घर के चुबारे की तरफ झाँक रहा था…वहाँ पर सबा चाची तो नही थी….शायद वो अभी भी आस लगाए बैठा था कि, सबा चाची की उसके साथ सेट्टिंग हो जाएगी….
खैर मे आगे बढ़ा….बिल्लू से दुआ सलाम के बाद मैं सबा चाची के घर के बाहर पहुचा और डोर बेल बजाई…थोड़ी देर बाद गेट खुला तो देखा सबा चाची खड़ी थी…उसने मुझे जल्दी से अंदर आने का इशारा किया….और मैं जैसे ही अंदर गया तो, सबा चाची ने गेट की कुण्डी लगा दी…और धीरे से बोली….”वो कंज़र बिल्लू अभी भी बाहर बैठा है क्या….?” मैने हां में सर हिला कर मुस्कुराना शुरू कर दिया….”अब क्या करें…..ये कंज़र तो, वहाँ से हिलने का नाम ही नही लेता…” सबा चाची ने सरगोशी मे कहा…..”फ़ैज़ और दादा दादी चले गये क्या…?”
सबा: हाँ वो तो चले गये है….पर इसका क्या करना है…उसने तुम्हे अंदर आते देखा होगा ना….
मैं: हां देखा तो है….फिर…..
सबा: अगर तुम ज़्यादा देर यहाँ ठहरे तो कही शक ना करे….ऐसा करो तुम बाहर जाओ…और थोड़ी देर बाद इधर का चक्कर लगा कर देखना…अगर वो चला गया हो तो, फिर यहाँ आ जाना…..
मैं: अच्छा ठीक है….
सबा: सुनो…
मैं: जी….
सबा: जाते हुए उसके पास रुक कर जाना…और अगर मेरे बारे मे कुछ पूछे तो कह देना कि, सबा चाची को बुखार है….इसलिए फ़ैज़ कॉलेज नही जा रहा है…
मैं: जी ठीक है….
मैं बाहर आया और पीपल के पेड के नीचे बैठे बिल्लू के पास चला गया… “और भतीजे क्या हुआ फ़ैज़ आज कॉलेज नही जा रहा क्या….?”
मैं: हां आज नही जा रहा वो….आज सबा चाची को बुखार है….इसलिए घर पर रुका है वो….
बिल्लू: ओह्ह अच्छा मैं सोच रहा था कि, आज सबा बाहर चौबारे पर क्यों नही आ रही… मतलब आज यहाँ बैठ कर टाइम खराब नही करना चाहिए….
मैं: हां सही है….(मैने हंसते हुए कहा…..और रोड की तरफ चल पड़ा…मैने पीछे मूड कर देखा तो, बिल्लू चाचा भी खड़ा होकर अपना रुख़ सुमेरा चाची के घर की तरफ कर चुका था….मैं थोड़ा आगे तक गया….और फिर जब देखा कि, बिल्लू गाली मे मूड गया है तो, मैं जल्दी से वापिस पलटा और सबा चाची के घर की तरफ चल पड़ा….मैने सबा चाची के घर के बाहर पहुँच कर जैसे गेट को हल्का सा धक्का दिया…गेट उसी समय खुल गया….सामने सबा चारपाई पर बैठी हुई थी…वो मुझे देख कर जल्दी से खड़ी हुई और गेट के पास आई…..
मैने उसकी तरफ ध्यान ना दिया….नाश्ते के बाद नाज़िया नजीबा और अबू जाने लगे तो, अबू ने मुझे भी तैयार होकर कॉलेज जाने को कहा तो, मैने हां मे सर हिला दिया…वो लोग जैसे ही घर से निकले तो, मे ख़ुसी से उछल पड़ा….क्यों कि अब मे घर पर अकेला था…और मैं जल्द से जल्द तैयार होकर सबा चाची के घर जाना चाहता था….आधे घंटे बाद मैने कपड़े चेंज किए और घर को लॉक करके सबा चाची के घर की तरफ चल पड़ा….
मैं सारे रास्ते मे यही प्लॅनिंग कर रहा था कि, आज सबा चाची की फुद्दि मार-2 के उनकी तसल्ली कर देनी है…कि बाद मे वो खुद फुद्दि खोल-2 कर मेरे आगे पीछे घूमे….रास्ते मे मैं सोच रहा था कि, सबा चाची की कैसे कैसे लूँगा…चाची को कोड़ी (घोड़ी बना कर लूँ तो कितना मज़ा आएगा….) यही सब सोचते-2 मे पता नही कब सबा चाची के घर की गली मे पहुच गया…लेकिन जब मे सबा चाची के घर के पास पहुचा तो, मेरी सारी ख़ुसी और जनून एक पल मे उतर गया…क्योंकि बिल्लू चाचा वही पीपल के पेड के नीचे बैठा सबा चाची के घर के चुबारे की तरफ झाँक रहा था…वहाँ पर सबा चाची तो नही थी….शायद वो अभी भी आस लगाए बैठा था कि, सबा चाची की उसके साथ सेट्टिंग हो जाएगी….
खैर मे आगे बढ़ा….बिल्लू से दुआ सलाम के बाद मैं सबा चाची के घर के बाहर पहुचा और डोर बेल बजाई…थोड़ी देर बाद गेट खुला तो देखा सबा चाची खड़ी थी…उसने मुझे जल्दी से अंदर आने का इशारा किया….और मैं जैसे ही अंदर गया तो, सबा चाची ने गेट की कुण्डी लगा दी…और धीरे से बोली….”वो कंज़र बिल्लू अभी भी बाहर बैठा है क्या….?” मैने हां में सर हिला कर मुस्कुराना शुरू कर दिया….”अब क्या करें…..ये कंज़र तो, वहाँ से हिलने का नाम ही नही लेता…” सबा चाची ने सरगोशी मे कहा…..”फ़ैज़ और दादा दादी चले गये क्या…?”
सबा: हाँ वो तो चले गये है….पर इसका क्या करना है…उसने तुम्हे अंदर आते देखा होगा ना….
मैं: हां देखा तो है….फिर…..
सबा: अगर तुम ज़्यादा देर यहाँ ठहरे तो कही शक ना करे….ऐसा करो तुम बाहर जाओ…और थोड़ी देर बाद इधर का चक्कर लगा कर देखना…अगर वो चला गया हो तो, फिर यहाँ आ जाना…..
मैं: अच्छा ठीक है….
सबा: सुनो…
मैं: जी….
सबा: जाते हुए उसके पास रुक कर जाना…और अगर मेरे बारे मे कुछ पूछे तो कह देना कि, सबा चाची को बुखार है….इसलिए फ़ैज़ कॉलेज नही जा रहा है…
मैं: जी ठीक है….
मैं बाहर आया और पीपल के पेड के नीचे बैठे बिल्लू के पास चला गया… “और भतीजे क्या हुआ फ़ैज़ आज कॉलेज नही जा रहा क्या….?”
मैं: हां आज नही जा रहा वो….आज सबा चाची को बुखार है….इसलिए घर पर रुका है वो….
बिल्लू: ओह्ह अच्छा मैं सोच रहा था कि, आज सबा बाहर चौबारे पर क्यों नही आ रही… मतलब आज यहाँ बैठ कर टाइम खराब नही करना चाहिए….
मैं: हां सही है….(मैने हंसते हुए कहा…..और रोड की तरफ चल पड़ा…मैने पीछे मूड कर देखा तो, बिल्लू चाचा भी खड़ा होकर अपना रुख़ सुमेरा चाची के घर की तरफ कर चुका था….मैं थोड़ा आगे तक गया….और फिर जब देखा कि, बिल्लू गाली मे मूड गया है तो, मैं जल्दी से वापिस पलटा और सबा चाची के घर की तरफ चल पड़ा….मैने सबा चाची के घर के बाहर पहुँच कर जैसे गेट को हल्का सा धक्का दिया…गेट उसी समय खुल गया….सामने सबा चारपाई पर बैठी हुई थी…वो मुझे देख कर जल्दी से खड़ी हुई और गेट के पास आई…..