Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन - Page 6 - SexBaba
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Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन

मैं अपने रूम मे आकर लेट गया…..लेकिन नींद का नामो निशान नही था…. वो सारी रात आँखो-2 मे कट गयी….अगली सुबह बड़ी देर से उठा….8 बज चुके थे… अबू ने रूम मे आकर आवाज़ दी तो उठा….मैं उठ कर बाहर आया और बाथरूम मे फ्रेश होने चला गया…..फ्रेश होकर जब बाहर आया तो, देख नजीबा अपनी स्कूल के ड्रेस पहने तैयार थी….और बरामदे मे बैठ कर नाश्ता कर रही थी….मैं भी डाइनिंग टेबल पर चला गया….थोड़ी देर बाद नाज़िया ने मेरे लिए भी नाश्ता लगा दिया….फिर हम सब ने नाश्ता किया तो, नाज़िया नजीबा से बोली….”नजीबा आज तुम हमारे साथ ही बाइक पर चलो…हम तुम्हे बाइक पर स्कूल छोड़ दैन्गे…” 

मैने उसकी तरफ ध्यान ना दिया….नाश्ते के बाद नाज़िया नजीबा और अबू जाने लगे तो, अबू ने मुझे भी तैयार होकर कॉलेज जाने को कहा तो, मैने हां मे सर हिला दिया…वो लोग जैसे ही घर से निकले तो, मे ख़ुसी से उछल पड़ा….क्यों कि अब मे घर पर अकेला था…और मैं जल्द से जल्द तैयार होकर सबा चाची के घर जाना चाहता था….आधे घंटे बाद मैने कपड़े चेंज किए और घर को लॉक करके सबा चाची के घर की तरफ चल पड़ा….

मैं सारे रास्ते मे यही प्लॅनिंग कर रहा था कि, आज सबा चाची की फुद्दि मार-2 के उनकी तसल्ली कर देनी है…कि बाद मे वो खुद फुद्दि खोल-2 कर मेरे आगे पीछे घूमे….रास्ते मे मैं सोच रहा था कि, सबा चाची की कैसे कैसे लूँगा…चाची को कोड़ी (घोड़ी बना कर लूँ तो कितना मज़ा आएगा….) यही सब सोचते-2 मे पता नही कब सबा चाची के घर की गली मे पहुच गया…लेकिन जब मे सबा चाची के घर के पास पहुचा तो, मेरी सारी ख़ुसी और जनून एक पल मे उतर गया…क्योंकि बिल्लू चाचा वही पीपल के पेड के नीचे बैठा सबा चाची के घर के चुबारे की तरफ झाँक रहा था…वहाँ पर सबा चाची तो नही थी….शायद वो अभी भी आस लगाए बैठा था कि, सबा चाची की उसके साथ सेट्टिंग हो जाएगी….

खैर मे आगे बढ़ा….बिल्लू से दुआ सलाम के बाद मैं सबा चाची के घर के बाहर पहुचा और डोर बेल बजाई…थोड़ी देर बाद गेट खुला तो देखा सबा चाची खड़ी थी…उसने मुझे जल्दी से अंदर आने का इशारा किया….और मैं जैसे ही अंदर गया तो, सबा चाची ने गेट की कुण्डी लगा दी…और धीरे से बोली….”वो कंज़र बिल्लू अभी भी बाहर बैठा है क्या….?” मैने हां में सर हिला कर मुस्कुराना शुरू कर दिया….”अब क्या करें…..ये कंज़र तो, वहाँ से हिलने का नाम ही नही लेता…” सबा चाची ने सरगोशी मे कहा…..”फ़ैज़ और दादा दादी चले गये क्या…?”

सबा: हाँ वो तो चले गये है….पर इसका क्या करना है…उसने तुम्हे अंदर आते देखा होगा ना….

मैं: हां देखा तो है….फिर…..

सबा: अगर तुम ज़्यादा देर यहाँ ठहरे तो कही शक ना करे….ऐसा करो तुम बाहर जाओ…और थोड़ी देर बाद इधर का चक्कर लगा कर देखना…अगर वो चला गया हो तो, फिर यहाँ आ जाना…..

मैं: अच्छा ठीक है….

सबा: सुनो…

मैं: जी….

सबा: जाते हुए उसके पास रुक कर जाना…और अगर मेरे बारे मे कुछ पूछे तो कह देना कि, सबा चाची को बुखार है….इसलिए फ़ैज़ कॉलेज नही जा रहा है…

मैं: जी ठीक है….

मैं बाहर आया और पीपल के पेड के नीचे बैठे बिल्लू के पास चला गया… “और भतीजे क्या हुआ फ़ैज़ आज कॉलेज नही जा रहा क्या….?”

मैं: हां आज नही जा रहा वो….आज सबा चाची को बुखार है….इसलिए घर पर रुका है वो….

बिल्लू: ओह्ह अच्छा मैं सोच रहा था कि, आज सबा बाहर चौबारे पर क्यों नही आ रही… मतलब आज यहाँ बैठ कर टाइम खराब नही करना चाहिए….

मैं: हां सही है….(मैने हंसते हुए कहा…..और रोड की तरफ चल पड़ा…मैने पीछे मूड कर देखा तो, बिल्लू चाचा भी खड़ा होकर अपना रुख़ सुमेरा चाची के घर की तरफ कर चुका था….मैं थोड़ा आगे तक गया….और फिर जब देखा कि, बिल्लू गाली मे मूड गया है तो, मैं जल्दी से वापिस पलटा और सबा चाची के घर की तरफ चल पड़ा….मैने सबा चाची के घर के बाहर पहुँच कर जैसे गेट को हल्का सा धक्का दिया…गेट उसी समय खुल गया….सामने सबा चारपाई पर बैठी हुई थी…वो मुझे देख कर जल्दी से खड़ी हुई और गेट के पास आई…..
 
“वो कंज़र चला क्या….?” सबा चाची ने बाहर झाँकते हुए कहा….”हां वो चला गया है….” सबा चाची ने मेरा जवाब सुनते ही गेट की कुण्डी लगा दी….और मेरे तरफ देख कर मुस्कुराते हुए बोली……”तुम्हे किसी ने अंदर आते हुए देखा तो नही… “ मैने ना मे सर हिला दिया…..”चल ऊपेर आ जाओ….” सबा चाची मेरे आगे चलाने लगी….मैने भी सबा चाची के पीछे ऊपेर जाने लगा….

मैं: फ़ैज़ और उसके दादा दादी कब निकले…..

सबा: वो तो सुबह 6 बजे ही निकल गये थे….बाहर से ड्राइवर बुलाया था…

मैं: कब वापिस आना है उन्होने…..

सबा: परसो सुबह तक….

हम ऊपेर पहुच गये…सबा मुझे अपने साथ अपने रूम मे ले गयी…जैसे ही मैं सबा के साथ अंदर पहुचा तो पता चला कि, अंदर रूम हीटर ऑन है…और रूम का टेंपरेचर काफ़ी गरम था…मतलब सॉफ था कि, सबा आज पूरे मूड मे तैयारी करके बैठी थी….

सबा: तुम बैठो मैं अभी आती हूँ…..

सबा बाहर चली गये….मैं वही बेड पर बैठ गया….अंदर सर्दी का नामो निशान नही था….मैं मन ही मन सोच रहा था कि, आज सबा को पूरी नंगी कर के फुद्दि मारनी है…मेरा लंड तो पहले से पेंट मे पूरी तरह सख़्त हो चुका था…जो झटके पर झटके खा रहा था…….थोड़ी देर बाद सबा अंदर आ गयी….उसके हाथ मे एक ट्रे थी….जिसस पर एक बड़ा सा स्टील का ग्लास रखा हुआ था….सबा मेरे पास आई और मुझे ग्लास उठाने को कहा…जैसे ही मैने ग्लास उठाया तो, देखा कि उसमे दूध था…”

ये क्या है….इसकी क्या ज़रूरत थी….” मैने सबा की ओर देखते हुए कहा…

सबा: पी लो ख़ास तुम्हारे लिए ड्राइ फ्रूट्स डाल कर बनाया है….

मैने ग्लास उठाया और मन ही मन मे सोचने लगा कि, ये तो मुझसे भी ज़्यादा उतावली हो रही है….सबा ने ट्रे को टेबल पर रख दिया….और खुद एक कोने मे पड़े हुए फोन के पास गयी….और फोन उठा कर कॉल करने लगी….नंबर डायल करने के बाद सबा ने दीवार पर लगी घड़ी की तरफ देखा….जिसमे अब 10 बज रहे थे….थोड़ी देर बाद सबा एक दम से बोली….”हेलो कैसे भाई जान….” सबा ने एक बार मेरी तरफ देखा और फिर मुस्कुराते हुए बात करने लगी….”जी मैं भी ठीक हूँ….फ़ैज़ और उसके दादा दादी खैरत से पहुँच गये है ना वहाँ पर….”

मैं वही बैठा उनकी बातें सुन रहा था….शायद सबा पक्का कर लेना चाहती थी कि, फ़ैज़ और उसके दादा दादी कही बीच रास्ते से मूड कर वापिस ना आजाए…..थोड़ी देर बात करने के बाद सबा ने फोन रख दिया…मैं भी दूध ख़तम कर चुका था… सबा ने मेरे हाथ से खाली ग्लास लिया और टेबल पर ट्रे पर रख दिया….जब सबा चाची ग्लास रखने के लिए झुकी तो, उनकी मोटी गोल सी बुन्द पीछे की जानिब बाहर को निकल आई…सामने का नज़ारा देख मुझसे रहा ना गया….मैने फॉरन बेड से खड़े होते हुए सबा चाची की कमर को दोनो हाथो से पकड़ कर पेंट मे तने हुए अपने लंड को चाची की बुन्द पर दबा दिया…मेरी इस हरक़त से सबा चाची ना तो चोन्कि और ना ही उन्होने अपने आप को मुझसे अलग करने के कॉसिश की….मेरा पूरी तरह सख़्त लंड जो कि पूरी तरह हार्ड होकर खड़ा था…चाची की बुन्द की लाइन मे रगड़ खा रहा था….चाची जब सीधी होने लगी तो, मैने अपना एक हाथ चाची के कंधे पर रख कर उन्हे नीचे दबा दिया…

चाची टेबल पर अपने हाथ रख कर झुक गयी…..जिससे उनकी बुन्द पीछे से और बाहर की तरफ निकल आई…”बड़ी मस्ती कर रहा है….” सबा ने पीछे की तरफ फेस घुमा कर मेरी तरफ देखा और मुस्कुराते हुए बोली….

”क्यों चाची तुम्हे पसंद नही ये सब…” मैने चाची की कमर से हाथ हटा कर चाची की मोटी-2 बुन्द के दोनो पार्ट्स को पकड़ कर मसलते हुए कहा…

सबा: आह सीईईई समीर तेरी इन्ही हरकतों ने तो मुझे लूट लिया है….. नही तो पहले बिल्लू का नंबर. लग जाना था…..

मैं: तो क्या तुम भी उसे पसंद करती थी….

सबा: दफ़ा करो उसे…..ये कॉन से बातों मे लग गये हो….
 
सबा मेरी तरफ घूम गयी…अब हम दोनो एक दूसरे के सामने थे…जैसे ही सबा मेरी तरफ घूमी तो सबा ने अपना एक हाथ नीचे लेजा कर पेंट के ऊपेर से मेरे लंड को पकड़ कर दबाना शुरू कर दिया…”लगता है इसे बाहर से ही तैयार करके लाए हो…”

मैं सबा की बात सुन कर मुस्कुराने लगा…और अपने दोनो हाथ उसके पीठ के पीछे लेजाते हुए, उसके मोटी सख़्त बुन्द पर रख कर दबाने लगा…”बाहर से तैयार नही आया ये…ये तो तुम्हारी इस मोटी बुन्द को देख कर तैयार हो गया है चाची जान…” मैने अपने हाथो मे सबा की मोटी सी बुन्द के दोनो पार्ट्स को लेकर दबाते हुए कहा…तो सबा ने मेरे लंड को छोड़ कर मेरे पेंट को ज़िप खोल दी..फिर उसने ज़िप के अंदर हाथ डाल कर मेरे लंड को बाहर निकाला और अपनी मुट्ठी मे लेकर नापते हुए बोली,…..

“हाई समीर तेरा तो बड़ा मोटा है….” सबा चाची ने मेरे लंड को हाथ मे लेकर ऐसे हिलाना शुरू कर दिया…जैसे वो लंड की मूठ मार रही हो….

.”तुम्हे पसंद आया चाची जान…” मैने सबा चाची की गान्ड से हाथ हटा कर चाची के मम्मो पर रख कर दबाना शुरू कर दिया….

पहले इसे ठीक से देखने तो दो…फिर बताती हूँ…”

सबा चाची एक दम से टेबल पर बैठ गयी…..उसने मेरी पेंट को खोल कर घुटनो तक सरका दिया…मेरे 8 इंच लंबे और 5 इंच मोटे लंड को देख कर सबा चाची की आँखो मे चमक आ गयी….”हाईए समीर….तुम्हारा लंड तो बड़ा लंबा है….” सबा ने मेरे लंड की कॅप से चमड़ी को पीछे सरका दिया..अब लंड का सुर्ख कॅप उसकी आँखो के सामने था…जिसे वो खा जाने वाली नजरों से घुरे जा रही थी….

मैने अपनी जॅकेट उतार कर टेबल पर रख दी….और फिर अपनी शर्ट के बटन खोलने लगा और साथ ही अपने कमर को आगे की तरफ पुश किया तो, मेरे लंड का कॅप सबा चाची के होंटो पर टच हो गया…..

सबा चाची ने फॉरन अपना फेस पीछे कर लिया…”हाहा बड़े गंदे हो तुम तो….” सबा चाची ने हंसते हुए कहा…..

मैं: क्यों कभी किसी का लंड मूह मे नही लिया…..

सबा: नही…..मैं ऐसे गंदे काम नही करती…

मैं: प्लीज़ चाची एक बार इसे मूह मे लेकर चूसो ना…. मैने अपने लंड को और आगे की तरफ पुश करते हुए कहा….और अपनी शर्ट उतार कर टेबल पर रख दी…अब मे फुल नंगा हो चुका था

…”हाईए समीर मुझसे ये सब नही होगा….” सबा ने अपना फेस दूसरी तरफ घूमाते हुए कहा…” 

मैं: प्लीज़ सबा चाची एक बार….आज कल तो सब लोग ऐसे ही प्यार करते है…प्लीज़….

मैने मिन्नत भरे लहजे मे कहा तो, सबा चाची मुट्ठी मे पकड़े मेरे लंड के कॅप को घुरते हुए देखने लगी….फिर सबा चाची ने अपने होंटो को मेरे लंड की कॅप पर टच करवा कर दो तीन बार चूमा और फिर अपने हाथ से अपने होंटो को सॉफ करते हुए बोली…”बस अब खुस…..” फिर सबा चाची खड़ी हो गयी….मैने सबा चाची की कमीज़ को पकड़ कर ऊपर करना शुरू कर दिया….जैसे ही कमीज़ उनके गले तक ऊपेर हुई तो, मुझे ब्लॅक कलर की ब्रा मे उनके मम्मे कसे हुए नज़र आए… जिन्हे देख मैं बहुत ज़्यादा एग्ज़ाइटेड हो गया…और अगले ही पल मैने सबा की ब्रा को पकड़ कर ऊपेर खेंच दिया….

जैसे ही मैने ब्रा ऊपेर की, सबा चाची के 40 साइज़ के मम्मे उछल कर बाहर आ गये…मैने सबा चाची के मम्मों को हाथ मे पकड़ लिया और सबा चाची के चेहरे को पागलो की तरह चूमते हुए उनके मम्मे दबाने शुरू कर दिए….

“ओह्ह्ह्ह समीर और ज़ोर से दबाओ मेरे मम्मो को….” सबा चाची मस्ती मे सिसकते हुए बड़बड़ाई….तो मैने सबा चाची के होंटो को अपने होंटो मे लेकर चूस्ते हुए चाची के मम्मो के मोटे निपल्स को उंगलयों मे लेकर दबाना शुरू कर दिया….
 
नीचे मेरा लंड सबा चाची के नाफ़ पर दबा हुआ था….सबा चाची भी पूरी तरह गरम हो चुकी थी…और खुल कर मेरा साथ दे रही थी….सबा चाची ने अपना एक हाथ नीचे लेजा कर मेरे लंड को पकड़ लिया और अपनी टाँगो के दर्मयान लेजा कर अपनी टाँगो को आपस मे जोड़ लिया….”उफफफ्फ़ मेरे लंड को जबरदस्त झटका लगा..सबा चाची ने नीचे पैंटी नही पहनी हुई थी…और मे उनकी फुद्दि के गरमी को मजीद अपने लंड के टोपे पर महसूस कर रहा था….मैने उसके होंटो से अपने होंटो को हटाया और थोड़ा सा झुक कर सबा के राइट मम्मे को पकड़ कर दबाते हुए उसके निपल को मूह मे लेकर चूसना शुरू कर दिया…..

जैसे ही मैने सबा के निपल को मूह मे लेकर चूसना शुरू किया….सबा ने सिसकते हुए अपना एक हाथ मेरे सर के पीछे रख कर मेरे फेस को अपने मम्मे पर दबाना शुरू कर दिया….”ओह समीरररर हाआँ चुस्स्स मेरे मम्मो को और ज़ोर से चूस… इनकी तरफ कोई ध्यान नही देता…कोई भी इनको प्यार नही करता….चुस्स्स और ज़ोर से खेंच-2 कर चूस समीर खा जा मेरे मम्मो को…”

सबा अब पूरी तरह गरम हो चुकी थी….उसकी आँखे मज़े से बंद थी….मैने उसके मम्मे को चूस्ते हुए उसकी शलवार का नाडा खोलना शुरू कर दिया….और जैसे ही सबा की शलवार उसकी कमर पर ढीली हुई तो, उसकी शलवार सरकते हुए नीचे उसके पैरो मे जा गिरी….जिसे सबा ने एक करके अपनी टाँगो को ऊपेर उठा कर अपने पैरो से निकाल दिया….मेरी पेंट भी मेरी पैरो मे अटकी हुई थी…जिसे मैने भी पैरो से निकाल कर एक तरफ कर दिया…मैने सबा के राइट मम्मे को अपने मूह से बाहर निकाला और लेफ्ट मम्मे को मूह मे लेकर सक करना शुरू कर दिया…सबा ने फिर से मेरे सर को अपनी बाजुओ मे लेते हुए अपने मम्मे पर दबा दिया….

मैने सबा चाची के मम्मे को सक करते हुए, धीरे-2 बेड के पास ले गया… और सबा को बेड पर लेटते हुए खुद भी उसके ऊपेर चढ़ कर लेट गया….मैं पागलो की तरह कभी सबा के एक मम्मे को चूस्ता तो, कभी दूसरे को….सबा मदहोश होकर अपना सर इधर उधर हिला रही थी…उसके हाथों की उंगलियाँ तेज़ी से मेरे बालो मे घूम रही थी….और उसकी मस्ती भरी सिसकारियाँ पूरे रूम को सर पर उठाए हुए थी….मैने करीब 5 मिनट तब सबा के दोनो मम्मो को चूस-2 कर लाल कर दिया… फिर मैने सबा के मम्मे को मूह से बाहर निकाला….

और उसकी के पेट पर ज़ुबान फेरता फेरता उन की नाफ़ को चूमता चाट'ता मेरा सफ़र फुद्दि के इलाक़े में आ कर ख़तम हो गया...मेरे इस तरह नीचे होने से सबा ने अपनी टाँगे बंद कर कर ली….पर जैसे ही मैने अपने दोनो हाथो से सबा के टाँगो पर थोड़ा सा ज़ोर लगाया तो, सबा ने खुद ही अपनी दोनो टांगे पूरी खोल ली थी ...
 
मैने आज पहली दफा सबा की गोरी मोटी नर्म ओ नाज़ुक फुद्दि के दर्शन किये तू मेरे होश उड़ गये... गुलाबी गुलाबी होंठो वाली शेव्ड फुद्दि उस पर उन का निकला हुआ पानी फुद्दि के होंठो पर चमक रहा था... मैं ने अपनी उंगलिओ की मदद से फुद्दि के होन्ट खोले तो मुझे बिल्कुल ऐसा लगा जैसे उसकी फुद्दि के अंदर कोई सैलाब उमड़ रहा हो…... मुझ से रहा ना गया और मैं ने फॉरन अपनी ज़ुबान फुद्दि के ऊपर रख दी मेरी ज़ुबान फुद्दि पर जैसे ही पड़ी सबा ऐसे हिली जेसे बेड में करेंट आ गया हो और करेंट ने सबा को ऊपर की तरफ़ उछाला हो... और सबा के मुँह से निकला....... ओह..ऊ... समीर हाईए एह की कर रहा है......अहह....ऊऊओ... और सबा का हाथ फॉरन मेरे सिर पर आ गया और मेरे बालों को जाकड़ लिया ...

मैं ने फुद्दि को प्रॉपर तरीके से अब चाटना शूरू कर दिया.... कभी उस के होन्ट चूस्ता और कभी अपनी ज़ुबान की नोक फुद्दि के अंदर घुसा देता... सबा की फुद्दि से पानी ऐसे निकल रहा था जेसे बारिश के दिनो में छत पर लगे परनाल से पानी नीचे गाली में गिरता है... फुद्दि की नमकीन बूंदे मेरे मुँह को भिगोति जा रही थी मैं फुददी पर बार बार ऐसे झपट रहा था जैसे भूका कुत्ता हड्डी पर .... मेरा जोश और जनून अपनी हदों को छू रहा था सबा के मुँह से अब अजीब अजीब आवाज़े निकल रही थी.... इतने मैं सबा की आवाज़े तेज हो गई.... सबा के मुँह से तड़पती हुई आवाज़ निकली….ओह्ह्ह्ह समीर हाई मेरी फुद्दि..गैइइ......आ...गाइइ................ मे सबा ने अपनी पूरी बॉडी अकड़ा ली थी पूरी तरह टाइट हो गई थी सबा की बॉडी ...मैं समझ गया कि सबा फारिघ् हो रही है .... ...... ... 

मैं जैसे जैसे उन की आवाज़े सुन रहा था और गजब से फुद्दि चाट'ता जा रहा था...इतने में सबा फारिघ् होने लगी….उसके बुन्द ऊपेर की जानिब कई बार उछली और फिर वो परस्कून होकर लेट गयी… और उन का जिस्म ढीला पड़ना शुरू हो गया...उन्हों ने खुद ही मेरा सिर पकड़ा और ऊपर को खेंचा मैं दुबारा उन के ऊपर आ कर लेट गया और उन्हों ने मेरे होंठो को चूमा और आँखे खोल दी..और बोली...हे समीर.... मेरी तो जान ही निकल गई.... मेरा लंड उन की फुद्दि के बिल्कुल ऊपर था और दुबारा उसे फुद्दि के ऊपर रगड़ रहा था अपने हिप्स हिला हिला कर........ कोई दो मिनट हम ऐसे ही स्टाइल में रहे फिर मैं ने अपना बाजु'ओं को नीचे को किया और थोड़ा सा ऊपर को उठा और अपना लंड पकड़ कर सबा की फुद्दि के दहाने के ऊपर फिट किया.... मेरी नज़रे सबा की तरफ़ थी... वो बे मुझे देख रही थे...... “जल्दी करो अपनी सबा की फुद्दि मे अपना मोटा लंड डाल दो….अब और बर्दास्त नही होता…मैं ने सबा की आँखों मे दखा और बोला... सबा.... डाल दूं...... 

सबा मुस्कुराइ.. और आँखे बंद कर ली... मैं ने अपना लंड तो पहले ही सबा की फुद्दि के ऊपर फिट किया हुआ था एक जानदार झटका दिया और "धाप" की आवाज़ के साथ मेरा लंड सबा की चिकनी फुद्दि को चीरता हुआ अंदर दाखिल हो गया... सबा का मुँह खुल गया...”हाई समीर…….जान निकाल दी तूने तो….आज मालूम हो रहा है कि, किसी मर्द के नीचे लेटी हूँ….हां फाड़ दे मेरी फुद्दि….ऐसे झटको को तरसते-2 मैने अपनी सारी जवानी निकाल दी….. उन्हों ने मेरी कमर के गिर्द अपने हाथ लिपटा लिये और मेरी कमर पर फेरने लगी... मैं ने अपने झटके स्टार्ट कर दिये... फुद्दि की फिसलन और मेरा लगाया हुआ थूक , मुझे अब सबा को चोदने में बोहत मदद दे रहा था मेरा लंड बोहत आराम और सकून से फुद्दि की सारी सरहदें फलाँग कर एंड तक जाता और फिर वापिस आ जाता फिर पूरा घुस जाता ... मैं ने झटको के दौरान अब सबा की टाँगे उठा कर अपने कंधो पर रख ली थी और खुद थोड़ा आगे को सबा के ऊपर झुक गया था... 
 
अब की बार सबा के मुँह से हल्की हल्की चीखे निकलने लगी... आ.आह..आ हह...ओी..आह...हह... मैं इन चीखो के रिदम के साथ साथ झटके मार रहा था .. ...सबा भी अपनी बड़ी सी बुन्द ऊपेर को उठा कर मेरा लंड अपनी फुद्दि की गहराइयों मे ले कर मज़े ले रही थी….मेरे झटके इतने जबरदस्त थे कि, पूरा का पूरा बेड चू चू की आवाज़ करने लगा था…सबा के मोटे-2 मम्मे बुरी तरह ऊपेर नीचे हो रहे थे….जिनको देख मुझसे रहा ना गया….मैने अपने झटको की स्पीड बढ़ाते हुए उसके दोनो मम्मो को अपने हाथो मे दोबच लिया…और पूरी रफ़्तार से फुद्दि मे अपना लंड अंदर बाहर करते हुए उसके मम्मो को ज़ोर ज़ोर से मसल्ने लगा….

सबा के गोरे-2 मम्मो पर कुछ ही पलो मे मेरी उंगलियों के निशान छप गये थे….लेकिन सबा ने एक बार भी मुझे दर्द की शिकायत नही की….”ओह्ह्ह्ह समीर बड़ा मज़ा आ रहा है…..आज पता चल रहा है कि, मैने आज तक क्या क्या मिस क्या है….” सबा ने सिसकते हुए कहा….तो मैने महॉल को और गरम करने के लिए कुछ गंदी वर्डिंग यूज़ करनी शुरू कर दी…..”हां चाची तुमने बहुत कुछ मिस कर दिया है… अगर तुम मुझे पहले इस बात का कोई इशारा दे देती कि तेरी फुद्दि मे इतनी आग लगी है….तो मैं तेरी फुद्दि को रोज अपने लंड का पानी पीला देता….” मैने अब अपने लंड को टोपे तक बाहर निकाल-2 कर सबा चाची की फुद्दि मे घुसाना शुरू कर दिया था…. 

“हाईए सीईईईईई सच समीर मुझे नही पता था कि, तेरा लंड मुझे इतना मज़ा देगा…. नही तो, मैने खुद तुम से चुदवा लेना था….”

मैं: कोई बात नही चाची जान…..आज के बाद तुम्हे लंड के लिए तरसना नही पड़ेगा…. 

सबा: सच समीर….ओह्ह्ह्ह मे भी तुम्हे कभी मना नही करूँगी…..जब भी तेरा दिल करे प्रोग्राम बना लिया करना….

मैं: वो तो बना ही लिया करूँगा…अगली बार तुम्हारी बुन्द का सुराख भी तो खोलना है…

मैने अपना एक हाथ नीचे लेजा कर सबा चाची की बुन्द के सुराख पर उंगली से रगड़ने लगा…जैसे ही मैने अपनी उंगली उनकी बुन्द के सुराख पर दबाई तो, वो पागलो की तरह मचल उठी….”सीईईईईई ओह समीर…..नही बूँद नही….तेरा लंड तो मेरी बुन्द जखमी कर देगा….वैसे भी मैने कभी वहाँ नही लिया…..और तेरा है भी तो मोटा…

.”चुप कर साली….अब तू मुझे मना करेगी…..?” मैने ऐसे कस कस के झटके मारे कि, सबा का मूह पूरी तरह खुल गया…” तेरी तो गान्ड फाड़ कर ही मानूँगा….” 

सबा मेरे मूह से गंदी बातें सुन कर पूरी तरह गरम हो चुकी थी….शायद उसे भी मेरी बातों से मज़ा आ रहा था….वो अब पूरी रफतार से अपनी गान्ड को ऊपेर उछाल रही थी….उसका जिस्म फिर से अकड़ने लगा था…”ओह्ह्ह समीर हाईए मेरी फुद्दि तो फिर से पानी निकालने वाली है…..ओह्ह्ह्ह अहह ओह सीईईईईई समीर…..” सबा की सिसकारियाँ मुझे पागल कर रही थी….

.”हां चोद साली निकाल दे अपनी फुद्दि का पानी मेरे लंड पर निकाल…..बहनचोद….मुझे गान्ड मारने से रोके गे तू…तेरा ससुर भी मुझे नही रोक सकता….तेरी गान्ड मारने से….उसके सामने कोड़ी करके तेरी बुन्द मारूँगा….” 

सबा: मार लेना….जो करना है कर लेना…मैने तुम्हे नही रोकना….तुम चाहे जो मर्ज़ी करो मेरे साथ आह ओह हइईए समीर…..

सबा का बदन पूरी तरह अकड़ चुका था…मैने कुछ और जोरदार शॉट मारे तो, सबा की फुद्दि से पानी का सैलाब बह निकला…सबा ने अपनी टाँगो को उठा कर मेरी कमर पर कस लिया….उसकी बाजुएँ पहले से ही मेरे पीठ पर कसी हुई थी….”ओह्ह्ह ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह समीर…..मुझे यकीन नही हो रहा….तेरे लंड ने तो हइई….इतनी जल्दी मेरी फुदी का दो बार पानी भी निकाल दिया……..”
 
मैने सबा की फुद्दि से अपने लंड को बाहर निकाला और घुटनो के बल बैठ गया….”चाची घोड़ी बनो….” मैने सीधे बैठते हुए कहा….तो सबा ने मेरी तरह अपनी वासना से भरी आँखे खोल कर मुझे देखा…

.”समीर मुझे चाची तो ना बुलाओ…” सबा ने शरमाते हुए कहा…

.”अच्छा नही बुलाता….सबा चलो घोड़ी बन जाओ….” 

सबा ने फिर मेरी तरफ मुस्कुराते हुए देखा और बोली….”ऐसे नही….जैसे पहले मुझे गाली देकर बुला रहे थे….

.”उठ साली गस्ति…चल कोड़ी हो जा दिमाग़ ना खराब कर…” सबा खामोशी से उठी और उल्टी हो कर घोड़ी बन गई... 
उफ्फ ... आह.... क्या सीन था क्या नज़ारा था... एक मोटी ताज़ी गोरी चिट्टी भरी भरी सी गान्ड उस पर उस का टाइट और गुलाबी सुराख उस के नीचे उन की पिंक फुद्दि के होंठ जो अध खुले थे मेरे सामने थे... मैं ने सबा की मोनी और उन की फुद्दि से निकलने वाले पानी से लिथड़े हुए अपने लंड को एक दो हाथ मारे .... और लंड को पूरा सीधा रख कर सबा के चूतड़ो के साथ लग कर खड़ा हो गया... 

अपनी फिंगर्स सबा की गान्ड और फिर फुद्दि के सोराख पर फेरी और अपने लंड की मोटी और गोल मटोल टोपी उन की फुद्दि के मुँह के ऊपर रख कर लंड को छोड़ दिया... और खुद अपने दोनो हाथ उन के चूतड़ो के लेफ्ट राइट रख कर उन के चूतड़ो को मज़बूती से पकड़ लिया... और फिर एक दम आगे को झटका दिया ... शार..आ..प.प्प की आवाज़ के साथ मेरा पूरे का पूरा लंड फुद्दि के अंदर चला गया... सबा ने एक सेक्सी और गर्म किस्म की आह भरी और अपना मुँह नीचे बेड की तरफ़ कर के चुदने का पूरा मज़ा लेने लगी... मैं अब इस पोज़िशन में ज़ियादा कंफर्टबल तरीके से चोद रहा था मैं ने अपनी फिंगर अपने मुँह में डाल कर गीली की और उसे सबा की गान्ड के सुराख के ऊपर रख कर सूराख को रगड़ने लगा.... कभी कभी उंगली का फ्रंट गान्ड के अंदर घुसता... सबा पूरी मदहोश थी ... 

मैने दूसरे हाथ से सबा के खुले हुए बालो को पकड़ा और पीछे की तरफ खेंचा तो सबा की गर्दन ऊपेर को उठ गयी….”ओह अहह समीर…” सबा ने दर्द से भरी आवाज़ मे कहा….मैने तेज़ी से अपने लंड को पीछे से सबा की फुद्दि के अंदर बाहर करते हुए सबा को ड्रेसिंग टेबल की तरफ देखने को कहा….जिसमे हम दोनो का अक्श सॉफ नज़र आ रहा था…और मुझे सबा के नीचे लटके हुए मम्मे जो मेरे धक्के लगाने की वजह से हिल रहे थे सॉफ नज़र आ रहे थे…. वो इस वकत लज़्जत की बुलंदिओ को छू रही थी.......मैं सबा के नंगे जिस्म को देखदेख कर वैसी ही पागल होता जा रहा था ....मैं सबा के बालो को पकड़ कर खेंचते हुए ऐसे झटके मार रहा था….जैसे किसी घोड़ी की सवारी कर रहा हूँ….सबा भी इस मंज़र को आयने मे सॉफ देख पा रही थी…… सबा के पुर नंगे जिस्म को देखने का जो मज़ा था वो तो चोदने में भी नही था... सख़्त सर्दी मे भी मेरे पसीने निकल रहे थे मेरा लंड हार्ड से हार्ड होता जा रहा था उस पर शादी शुदा फुद्दि की फिसलन.... 
 
मेरा हर झटके के साथ लंड फुद्दि में ऐसे घुसता जेसे पानी वाली मोटर चालू हो उस का पिस्टन आगे पीछे तेज़ी के साथ हरकत करता है.... मेरे हिप्स पुर बंद थे और मैं अपनी पूरी कुव्वत के साथ घस्से मार रहा था ...... मैने ने लंड बाहर निकाला और उसे पकड़ कर सबा की फुद्दि के होंठो के ऊपर ऐसे मारा जेसे स्टिक मारते हें सबा ने एक ज़ोर की सिसकी निकाली मैं ने लंड को रगड़ा फुद्दि की बाहरी जगह पर और फिर उस सुराख के ऊपर रख कर अंदर घुसा दिया .... और फिर से स्टार्ट हो गया.... “चल साली गस्ति अपनी बुन्द हिला….पेन्चोद बड़ी चर्बी चढ़ि है … अब की बार मैं ने देखा कि मेरे हर झटके के साथ सबा भी मेरा पूरा पूरा साथ दे रही है.. जेसे ही मेरा लंड बाहर निकलता सबा अपनी गान्ड पीछे को दबा देती और मेरा लंड पीछे आते हुए भी फुद्दि के अंदर ही रहता .... मुझे और ज़्यादा मज़ा आने लगा... मैं सबा को चोद रहा था और सबा मुझे चोद रही थी... तक़रीबन तीस मिनट हो चले थे मुझे सबा की चुदाइ करते करते .. मेरा पूरा जिस्म पसीने मे नहा चुका था .. मेरी साँसे तेज हो चुकी थी , मुझे ऐसा लगने लगा कि जेसे मेरे अंदर से आग का एक दरया निकल रहा है जो लंड के रास्ते बाहर निकले गा और सब कुछ बहा कर ले जाएगा.... ..........

मैने ने अपने हिप्स पूरी तरह से क्लोज़ कर लिये और अपने झटके और तेज कर दिये अब उन में मेरा पूरा ज़ोर भी शामिल था.... सबा को भी महसूस हो गया कि मैं छूटने वाला हूँ... वो एक दम चीखने लगी .........समीर ओह ठंडी कर दी अपनी गस्ति के फुद्दि को अपने लंड के पानी से….पूरी मलाई अंदर निकाल दे…ओह निकाल दे मेरी फुद्दि मे अपना पानी….” साथ ही सबा भी तीसरी बार झड़ने को तैयार हो चुकी थी……इस बार जैसे ही मेरे लंड ने सबा की फुद्दि को अपनी पानी से सारॉबार किया तो, सबा की फुद्दि भी पिघल उठी….हम दोनो के बदन कुछ देर तक बुरी तरह झटके खाते रहे….और फिर सबा आगे को लूड़क गयी…..मेरा लंड सबा की फुद्दि से बाहर आ गया….मैं भी बहुत थक चुका था….मैं सबा की बगल मे ही लेट गया…
 
मैं थक कर बेड पर सबा की बगल मे लेटा हुआ था..,.और सबा भी अपनी उखड़ी हुई सांसो को दुरस्त करने की कॉसिश कर रही थी…थोड़ी देर बाद सबा मेरी तरफ करवट के बल लेट गयी….उसने अपने एक हाथ से मेरे चेस्ट को सहलाते हुए कहा…”समीर तूँ ता आज सवाद दवा डिटा…..मुझे यकीन नही था कि, तुम इतनी जबरदस्त तरीके से चोद सकते हो….क्या खाते हो तुम….” सबा का हाथ मेरे चेस्ट से होते हुए नीचे मेरी लंड की तरफ बढ़ रहा था…”एक बात पूछूँ समीर….” सबा ने मेरे ढीले लंड को हाथ मे लेकर पूछा….

मैं: हां पूछो….

सबा: आज तक कितनी लड़कियों की ले चुके हो…..? (सबा ने हंसते हुए कहा….)

मैं: किसी की भी नही ली….

सबा: झूट मत बोलो…..सच सच बातो….

मैं: सच मे मैने किसी लड़की की नही ली….हाँ वैसे कई औरतों को चोद चुका हूँ…

सबा: अच्छ बाताओ किस -2 के ली है आज तक….

मैं: वो मैं नही बता सकता…..

सबा: अच्छा ठीक है….वैसे कोई ऐसी भी है…जिसे तुम सच्चे दिल से चाहते हो…..

मैं: (मेरे दिमाग़ मे उस वक़्त कोई और तो ना आया…..लेकिन नजीबा की छवि ज़रूर बन गयी….) हां है कोई….

सबा: अच्छा क्या उसकी भी ले चुके हो….

मैं: नही….

सबा: क्यों…..

मैं: उसकी लेना इतनी आसान नही है…..

सबा: मतलब अभी तक उसने तुम्हे कुछ करने नही दिया…..समीर तुमने जो सकून आज मुझे दिया है….मैं उसका कर्ज़ कभी उतार नही पाउन्गि…अगर जिंदगी मे कभी भी मेरी ज़रूरत पड़े…तो मुझे एक बार कह देना…ये सबा तुमसे वादा करती है कि, मे तुम्हारी हर तरह से मदद ज़रूर करूँगी…..

मैं: ज़रूर…..

सबा: अच्छा बोलो कुछ खाओगे….भूक तो नही लगी…..

मैं: नही अभी भूक नही है…..

सबा धीरे मेरे लंड को हिला रही थी…..और मुझे पता नही क्यों नींद आने लगी थी… शायद पिछले कुछ दिनो से रात को ठीक से सो नही पाया था….मेरी आँखे बंद हो गयी…अभी नींद का झटका सा ही लगा था कि, सबा ने मुझे हिला कर जगा दिया…” समीर क्या हुआ नींद आ रही है….?” सबा ने मेरे लंड को हिलाते हुए कहा….तो मैने हां मैं सर हिला दिया….”तुम यहाँ सोने आए हो….?” सबा ने मुस्कुराते हुए कहा….

मैने सबा के बात का कोई जवाब ना दिया…..और वैसे ही लेटा रहा…सबा ने मेरे लंड से हाथ हटा लिया….और दूसरी तरफ करवट के बल लेट गयी….उसकी पीठ मेरी तरफ थी… फिर से मेरी आँखे बंद हो गयी….और मुझे नींद आ गयी….लेकिन जल्द ही आधे घंटे बाद मेरी आँख खुल गयी…मैने उठ कर रूम का जायज़ा लिया….सबा मेरे साथ बेड पर उसी हालात मे नंगी लेटी हुई थी…पर वो पेट के बल लेटी हुई थी...मैं बेड से नीचे उतरा और रूम के अटॅच्ड बाथरूम मे चला गया….पेशाब करने के बाद मैने अपने लंड को सॉफ किया….जिस पर सबा और मेरे लंड का माल अब सूख गया था….मैने अपने लंड को पानी से धोया और जैसे ही बाहर आया तो, मेरी नज़र सबा की बाहर की तरफ निकली हुई बुन्द पर पड़ी…..
 
वो पेट के बल उल्टी लेटी हुई थी….वो भी सो रही थी…उसके टांगे फैली हुई थी….मैं सबा के पैरो की तरफ जाकर बेड के किनारे खड़ा हुआ तो, मेरे आँखो के सामने बड़ा ही दिलकश मंज़र सामने आया….उसकी गोल मटोल बुन्द तो वैसे ही कयामत थी….पर उसकी टाँगो के दरमिया उसकी झाँकती फुद्दि देख मुझसे रहा ना गया….मैने अपने लंड को हाथ मे लेकर दो तीन बार हिलाया..तो मेरा लंड पूरी तरह हार्ड हो गया….मैने सबा की फुद्दि की तरफ देखते हुए अपने लंड पर थूक लगा कर मला और धीरे से बेड पर चढ़ गया….मैने सबा की दोनो रांगो के दोनो तरफ पैर रखे और धीरे-2 नीचे बैठते हुए अपनी पोज़िशन को ऐसे सेट किया…मेरा लंड सबा की फुद्दि के बिल्कुल करीब आ जाए….जैसे ही मे नीचे बैठा पर मैने अपना वजन उस पर नही डाला…..

नीचे बैठते ही मैने एक हाथ से अपने लंड को पकड़ा….और दूसरे हाथ से सबा की बुन्द के एक पार्ट को पकड़ कर फेलाते हुए अपने लंड को उसकी फुद्दि के सुराख पर जैसे ही सेट किया…सबा एक दम से हिली उसने अपना एक हाथ पीछे लेकर मेरे हाथ पर रख दिया….लेकिन वो बोली कुछ नही…मैने अपनी कमर को पूरी ताक़त से आगे के तरफ पुश किया…मेरा लंड सबा की फुद्दि को चीरता हुआ आधे से ज़्यादा अंदर जा घुस्सा…”सीईईई समीर……” सबा ने सिसकते हुए अपनी टाँगो को और फैला लिया….और अपनी बुन्द को थोड़ा सा ऊपेर उठा लिया….कि मेरा लंड आसानी से उसकी फुद्दि के अंदर जा सके….

मैने झुक कर अपने दोनो हाथो को सबा की बगलों के पास रखते हुए एक और झटका मारा…तो इस बार मेरा लंड पूरा का पूरा अंदर जा घुसा….मैने झुक कर सबा के सेब जैसे लाल गालो को मूह मे लेकर चूस्ते हुए अपने लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया….एक तो सबा के टांगे पूरी तरह खुली नही हुई थी…और दूसरा उसकी फुद्दि एक दम खुसक थी…जिसकी वजह से मेरा लंड इस बार उसकी फुद्दि मे बड़ा फँस-2 कर अंदर बाहर हो रहा था…फुद्दि की दीवारो पर जब लंड का कॅप रगड़ ख़ाता तो, हम दोनो के जिस्मो मे मस्ती की लहर दौड़ जाती….और हम दोनो मस्ती मे सिसक उठते….

सबा ने भी धीरे-2 अपनी बुन्द को ऊपेर की तरफ उठाना शुरू कर दिया था…जब मैं अपने लंड को सबा की फुद्दि के अंदर की तरफ पुश करता तो, सबा भी अपनी बुन्द ऊपेर की ओर उठा लेती….और जब मे अपने लंड को सबा की फुद्दि से बाहर की तरफ खेंचता तो, सबा भी अपनी बुन्द को नीचे की तरफ कर लेती….
 
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