hotaks444
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“अह्ह्ह्ह हाईए समीरररर बसस्स थोड़ी देर और…..ह हइई अम्म्मी मेरी फुद्दि….. “ फिर क्या था…आपी का जिस्म पूरी तरह काँपते हुए झटके खाने लगा…
मैं उस के ऊपेर अभी भी चढ़ा हुआ था और उस को झटके मारे जा रहा था.. ..”ओह्ह्ह समीर तूने तो खुस कर दिया आज,……हाआँ कर और ज़ोर से कर…..”
मैने भी जोश मे आकर अपने लंड को आपी की फुद्दि मे जड तक घुसाना शुरू कर दिया….और एक ही मिनट बाद मुझे ऐसा लगने लगा….जैसे मेरे जिस्म का सारा खून मेरे लंड मे इकट्ठा हो गया हो…और फिर ब्लास्ट के साथ मेरे लंड ने आपी के फुद्दि मे ही पानी छोड़ना शुरू कर दिया….
मैं उस वक़्त ख्यालो की दुनिया से बाहर आया…..जब बाहर बरामदे मे रखे फोन की घंटी बजी…..मैं उठ कर बाहर आया और फोन उठाया….दूसरी तरफ से अबू की आवाज़ आई…”हेलो समीर….”
मैं: जी अबू कहिए…..
अबू: देखो बेटा आज रात हम घर नही आ पाएँगे….यहाँ ये सब लोग बहुत ज़िद कर रहे है कि रात यही रूको…..इसलिए हमारा आज रात आना मुस्किल होगा…
मैं: जी अबू….
अबू: हम कल सुबह जल्दी वापिस आ जाएँगे….अपना और नजीबा का ख़याल रखना…
मैं: जी……
मैने फोन रखा और जैसे ही मुड़ा तो देखा पीछे नजीबा खड़ी थी….इससे पहले कि वो कुछ बोलती मैं बोल पड़ा….” अबू का फोन आया था कह रहे थे कि आज रात को नही आएँगे…”
नजीबा कुछ ना बोली और पलट कर अपने रूम मे जाने लगी. “ आज तुम्हारी अम्मी घर नही आएँगी तो, अपने खाने के लिए कुछ बना लो….”
नजीबा: क्यों आप नही खाएँगे….
मैं: नही मेरा दिल नही है….
नजीबा: ठीक है तो फिर मैने भी कुछ नही खाना……
मैं: जैसी तुम्हारी मर्ज़ी…..
मैं घर से बाहर चला गया….ऐसे ही इधर उधर घूमने लगा….तो मन मे फ़ैज़ की अम्मी सबा का ख़याल आया….सोचा क्यों ना फ़ैज़ के घर का चक्कर लगा आउ.. मैं फ़ैज़ के घर की तरफ चल पड़ा….शाम के 5 बज चुके थे…जब मे फ़ैज़ के घर पहुचा तो गेट बंद था….मैने डोर बेल बजाई, तो थोड़ी देर बाद ऊपेर से सबा चाची की आवाज़ आई….”कॉन है….?”
मैने गेट से थोड़ा सा पीछे हट कर ऊपेर देखा और बोला….”सलाम चाची जी…फ़ैज़ घर पर है….” मैने देखा कि सबा मुझे अजीब सी नज़रों से देख रही थी….शायद उस दिन की मेरे हरक़तों की वजह से….
”हां अभी भेजती हूँ….” और वो पीछे हो गयी….थोड़ी देर बाद फ़ैज़ ने आकर गेट खोला…..
मैं: क्या हुआ तेरा चेहरा लटका हुआ क्यों है……
फ़ैज़: कुछ नही यार हल्का सा बुखार हो गया है…..चल अंदर तो आ….
मे अंदर चला गया…हम दोनो ऊपेर आए और फ़ैज़ के रूम मे चले गये….”अम्मी दो कप चाइ बना दो…..” फ़ैज़ ने अपने रूम से चिल्लाते हुए कहा….तो बाहर से सबा चाची की आवाज़ आई….”अच्छा….”
फ़ैज़: और सुना किधर घूम रहा है….
मैं: बस यार ऐसे ही घर पर अकेला बोर हो रहा था….इसलिए यहाँ चला आया…
फ़ैज़: तो फिर अब घर का महॉल कैसा है…
मैं: ठीक है यार…..
हम दोनो इधर उधर के बातें करने लगे…..थोड़ी देर बाद सबा भी चाइ लेकर आ गयी,….चाइ देने के बाद सबा ने फ़ैज़ से कहा….”बेटे चाइ पीकर मेरे साथ चल मैने पास वाले गाओं से अपने सूट लेकर आने है…..कल शादी मैं वही पहन कर जाना है….”
फ़ैज़: अम्मी आप देख तो रही है कि मेरे तबीयत ठीक नही है….मैं कल सुबह-2 ला दूँगा ना…..
सबा: अब मे किससे कहूँ….तेरे दादा जी भी तो घर पर नही आए अभी तक….
फ़ैज़: अम्मी आप तैयार हो जाओ…..और समीर के साथ चली जाओ…समीर मेरी बाइक पर आपको लेजाएगा…..समीर प्लीज़ यार अम्मी को पास वाले गाओं तक ले जा…वहाँ अम्मी ने कपड़े सिलाने के लिए दिए हुए है….
मैं उस के ऊपेर अभी भी चढ़ा हुआ था और उस को झटके मारे जा रहा था.. ..”ओह्ह्ह समीर तूने तो खुस कर दिया आज,……हाआँ कर और ज़ोर से कर…..”
मैने भी जोश मे आकर अपने लंड को आपी की फुद्दि मे जड तक घुसाना शुरू कर दिया….और एक ही मिनट बाद मुझे ऐसा लगने लगा….जैसे मेरे जिस्म का सारा खून मेरे लंड मे इकट्ठा हो गया हो…और फिर ब्लास्ट के साथ मेरे लंड ने आपी के फुद्दि मे ही पानी छोड़ना शुरू कर दिया….
मैं उस वक़्त ख्यालो की दुनिया से बाहर आया…..जब बाहर बरामदे मे रखे फोन की घंटी बजी…..मैं उठ कर बाहर आया और फोन उठाया….दूसरी तरफ से अबू की आवाज़ आई…”हेलो समीर….”
मैं: जी अबू कहिए…..
अबू: देखो बेटा आज रात हम घर नही आ पाएँगे….यहाँ ये सब लोग बहुत ज़िद कर रहे है कि रात यही रूको…..इसलिए हमारा आज रात आना मुस्किल होगा…
मैं: जी अबू….
अबू: हम कल सुबह जल्दी वापिस आ जाएँगे….अपना और नजीबा का ख़याल रखना…
मैं: जी……
मैने फोन रखा और जैसे ही मुड़ा तो देखा पीछे नजीबा खड़ी थी….इससे पहले कि वो कुछ बोलती मैं बोल पड़ा….” अबू का फोन आया था कह रहे थे कि आज रात को नही आएँगे…”
नजीबा कुछ ना बोली और पलट कर अपने रूम मे जाने लगी. “ आज तुम्हारी अम्मी घर नही आएँगी तो, अपने खाने के लिए कुछ बना लो….”
नजीबा: क्यों आप नही खाएँगे….
मैं: नही मेरा दिल नही है….
नजीबा: ठीक है तो फिर मैने भी कुछ नही खाना……
मैं: जैसी तुम्हारी मर्ज़ी…..
मैं घर से बाहर चला गया….ऐसे ही इधर उधर घूमने लगा….तो मन मे फ़ैज़ की अम्मी सबा का ख़याल आया….सोचा क्यों ना फ़ैज़ के घर का चक्कर लगा आउ.. मैं फ़ैज़ के घर की तरफ चल पड़ा….शाम के 5 बज चुके थे…जब मे फ़ैज़ के घर पहुचा तो गेट बंद था….मैने डोर बेल बजाई, तो थोड़ी देर बाद ऊपेर से सबा चाची की आवाज़ आई….”कॉन है….?”
मैने गेट से थोड़ा सा पीछे हट कर ऊपेर देखा और बोला….”सलाम चाची जी…फ़ैज़ घर पर है….” मैने देखा कि सबा मुझे अजीब सी नज़रों से देख रही थी….शायद उस दिन की मेरे हरक़तों की वजह से….
”हां अभी भेजती हूँ….” और वो पीछे हो गयी….थोड़ी देर बाद फ़ैज़ ने आकर गेट खोला…..
मैं: क्या हुआ तेरा चेहरा लटका हुआ क्यों है……
फ़ैज़: कुछ नही यार हल्का सा बुखार हो गया है…..चल अंदर तो आ….
मे अंदर चला गया…हम दोनो ऊपेर आए और फ़ैज़ के रूम मे चले गये….”अम्मी दो कप चाइ बना दो…..” फ़ैज़ ने अपने रूम से चिल्लाते हुए कहा….तो बाहर से सबा चाची की आवाज़ आई….”अच्छा….”
फ़ैज़: और सुना किधर घूम रहा है….
मैं: बस यार ऐसे ही घर पर अकेला बोर हो रहा था….इसलिए यहाँ चला आया…
फ़ैज़: तो फिर अब घर का महॉल कैसा है…
मैं: ठीक है यार…..
हम दोनो इधर उधर के बातें करने लगे…..थोड़ी देर बाद सबा भी चाइ लेकर आ गयी,….चाइ देने के बाद सबा ने फ़ैज़ से कहा….”बेटे चाइ पीकर मेरे साथ चल मैने पास वाले गाओं से अपने सूट लेकर आने है…..कल शादी मैं वही पहन कर जाना है….”
फ़ैज़: अम्मी आप देख तो रही है कि मेरे तबीयत ठीक नही है….मैं कल सुबह-2 ला दूँगा ना…..
सबा: अब मे किससे कहूँ….तेरे दादा जी भी तो घर पर नही आए अभी तक….
फ़ैज़: अम्मी आप तैयार हो जाओ…..और समीर के साथ चली जाओ…समीर मेरी बाइक पर आपको लेजाएगा…..समीर प्लीज़ यार अम्मी को पास वाले गाओं तक ले जा…वहाँ अम्मी ने कपड़े सिलाने के लिए दिए हुए है….