hotaks444
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रानी के जाने के थोड़ी देर बाद में रूम से बाहर आया….और सीधा बाथरूम में चला गया…..वहाँ जाकर फ्रेश हुआ…और फिर नीचे पहुँचा तो, 7 बज चुके थे… नाज़िया और रानी दोनो मिल कर टेबल पर खाना लगा रही थी….और सबा ज़ाकिया के साथ बैठी बातें कर रही थी…. में भी उनके पास जाकर ही बैठ गया…और नाज़िया की अम्मी ज़ाकिया मुझसे इधर उधर की बातें करनी लगी….
थोड़ी देर बाद हम सब ने एक साथ खाना खाया….और फिर मैं नीचे ही टीवी देखने लगा…..कोई मूवी आ रही थी….इसलिए उसे देखते हुए टाइम का पता ही नही चला कि, कब 10 बज गये….मूवी ख़तम हुई तो, मेने टीवी ऑफ किया और ज़ाकिया से इज़ाज़त लेकर रूम से बाहर आया….और ऊपेर जाने लगा….अभी में सीढ़ियाँ चढ़ ही रहा था कि, मुझे नाज़िया की आवाज़ सुनाई दी…..मैं वही रुक गया…क्योंकि उसने बात ही कुछ ऐसी कही थी…..
नाज़िया: देखो में अच्छी तरह जानती हूँ….तुम समीर को यहाँ किस लिए लेकर आए हो… पर मेरी एक बात कान खोल कर सुन लो….ये मेरी अम्मी का घर है…वो रंडी खाना नही…जो तुमने समीर के साथ मिलकर वहाँ गाओं में हमारे घर को बनाया हुआ है….मैं यहाँ पर ऐसी कोई भी हिमाकत बर्दाश्त नही करूँगी…..अम्मी का पता लैने आए हो….तो हद में रहना….
सबा: अच्छा जी अब तुम मुझे मेरी हद बताओगी…..
नाज़िया: हां तुम जैसे गिरे हुए लोगो को उनकी औकात दिखानी ही चाहिए….
सबा: किसी खवाबो की दुनिया मत रहना नाज़ी….आज तक किसी ने मेरे साथ उँची आवाज़ में बात करने के कॉसिश नही की और तुम तो सीधे-2 मुझे धमकी दे रही हो….
नाज़िया: हां दे रही हूँ….तो तुम क्या कर लोगि….
सबा: हां तुमने ठीक सोचा कि, हम यहाँ किस लिए आए थे….पर तुम्हे देख कर मेने अपना इरादा बदल दिया था…मैं तुम्हे और हर्ट नही करना चाहती थी…पर समीर सही कहता है….तुम हो ही नकचाढ़ि….और रही बात मेरे और समीर के रिश्ते की, तो तुम भी कान खोल कर सुन लो…तुम्हे जो उखाड़ना है उखाड़ लो…. मैं उसके रूम में जा रही हूँ….रोक कर दिखाओ…
नाज़िया: हां-2 जाओ.-2 इस उम्र में भी तुम इतनी बेगैरत हो….तुमसे और उम्मीद ही की जा सकती थी…कुछ तो शरम करती….तुम्हारे बेटे का दोस्त है वो…तुम्हारे बेटे की उम्र का है समीर……
सबा: तो क्या हुआ…बेटा तो नही है नही….और मेरे बारे में तुम कुछ ना ही बोलो तो सही है….समीर ने मुझे सब बताया है कि, तुम कैसे चुप-2 कर अपने यार से मिलने जाया करती थी….जब समीर ने तुम्हे रंगे हाथो पकड़ा था…इसलिए तुम आज तक समीर का कुछ नही बिगाड़ पाई…..
हालाकी वो दोनो मुझे नज़र नही आ रही थी…पर नाज़िया की खामोशी ये बयान कर रही थी….कि सबा की बात सुन कर वो डर गयी है…”हां -2 जाओ…अपनी बूढ़ी भोसड़ी में जाकर उसका लंड लो….” नाज़िया ने फिर से बोला….
सबा: हां जा रही हूँ….तुम्हारी फुद्दि के बाल क्यों जल रहे है….मैं समीर का लंड फुद्दि में भी लूँगी और अपनी बुन्द में भी…..तुम्हे जो करना है कर लो….और अगर तुम्हारी फुद्दि में और आग लगे तो, आकर देख लेना….खिड़की खोल कर रखूँगी… तेरी आँखो के सामने उसका लंड उफ़फ्फ़….उसका मोटा लंड अपनी बुन्द में लूँगी…”
फिर उसके बाद खामोशी छा गयी….मुझे लगा कि कोई सीढ़ियों से नीचे आने वाला है….तो में सीढ़ियाँ चढ़ने लगा…जैसे ही आधी सीढ़ियों पर पहुँचा तो, मुझे नाज़िया नीचे उतरती हुई नज़र आई….वो सर को झुकाए साइड मे होकर नीचे चली गयी…जब में ऊपेर छत पर पहुँचा तो बाहर कोई नही था….जो रूम मुझे दिया गया था उसका डोर खुला हुआ था….लाइट ऑन थी….मैं सीधा रूम में गया तो, देखा सबा बेड पर बैठी हुई थी….गुस्से से उसका फेस लाल हो चुका था….’
मैं: (हंसते हुए) क्या हुआ ऐसे क्यों मूह फूला रखा है.....
सबा: कुछ नही….( सबा ने गुस्से से दीवार की तरफ देखते हुए कहा….)
मैं सबा के पास जाकर बैठ गया…और उसके कंधे पर एक बाज़ू रखते हुए उसको अपनी तरफ खेंचा और दूसरे हाथ से कमीज़ के ऊपेर से उसके मम्मे को दबाने लगा……”मुझसे नाराज़ हो….” मेने सबा के मम्मे की निपल को कमीज़ के ऊपेर से उंगलियों के बीच लेकर दबाते हुए कहा….तो सबा ने सिसकते हुए प्यार से मेरी तरफ देखा…”तुम से नाराज़ क्यों होना है मेने….फ़ैज़ के बाद में तुमसे सबसे ज़्यादा प्यार करती हूँ…” सबा ने मेरी आँखो में देखते हुए कहा….
मैं: तो आख़िर हुआ क्या है….?
सबा: कुछ नही उस नाज़िया ने मूड खराब कर दिया…कह रही थी कि, यहाँ मैं कोई ऐसी वैसी हरक़त नही करूँ….नही तो उससे बुरा कोई नही होगा….बहुत सुनाया है उसने मुझे…पर मेने भी सोच लिया है…अब तो उसके सामने भी अपनी फुद्दि में तुम्हारा लंड लूँगी….कर ले जो वो कर सकती है….
ये कहते हुए सबा ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी सलवार के अंदर डालते हुए अपनी फुद्दि के ऊपेर रखते हुए कहा....सबा की फुद्दि उसके रस को किसी झरने की तरह बहा रही थी...मेने सबा की फुद्दि में अपनी एक उंगली को घुस्सा कर आगे पीछे किया तो सबा एक दम से सिसक उठी.....
सबा ने मेरे हाथ को एक दम से अपनी सलवार से निकाला और घुटनो के बल बैठते हुए अपने कमीज़ को पकड़ कर ऊपेर उठाते हुए अपने बदन से अलग करके फेंक दिया....सबा की स्किन कलर की ब्रा में उसके मम्मे एक दम कसे हुए थे....और बाहर आने को बेताब हो रहे थे....मेने सबा की कमर में हाथ डालते हुए उसे अपने ऊपेर खेंचा तो सबा अपने दोनो घुटनो को मेरी कमर के दोनो साइड में रखते हुए ऊपेर आ गयी....
रानी के जाने के थोड़ी देर बाद में रूम से बाहर आया….और सीधा बाथरूम में चला गया…..वहाँ जाकर फ्रेश हुआ…और फिर नीचे पहुँचा तो, 7 बज चुके थे… नाज़िया और रानी दोनो मिल कर टेबल पर खाना लगा रही थी….और सबा ज़ाकिया के साथ बैठी बातें कर रही थी…. में भी उनके पास जाकर ही बैठ गया…और नाज़िया की अम्मी ज़ाकिया मुझसे इधर उधर की बातें करनी लगी….
थोड़ी देर बाद हम सब ने एक साथ खाना खाया….और फिर मैं नीचे ही टीवी देखने लगा…..कोई मूवी आ रही थी….इसलिए उसे देखते हुए टाइम का पता ही नही चला कि, कब 10 बज गये….मूवी ख़तम हुई तो, मेने टीवी ऑफ किया और ज़ाकिया से इज़ाज़त लेकर रूम से बाहर आया….और ऊपेर जाने लगा….अभी में सीढ़ियाँ चढ़ ही रहा था कि, मुझे नाज़िया की आवाज़ सुनाई दी…..मैं वही रुक गया…क्योंकि उसने बात ही कुछ ऐसी कही थी…..
नाज़िया: देखो में अच्छी तरह जानती हूँ….तुम समीर को यहाँ किस लिए लेकर आए हो… पर मेरी एक बात कान खोल कर सुन लो….ये मेरी अम्मी का घर है…वो रंडी खाना नही…जो तुमने समीर के साथ मिलकर वहाँ गाओं में हमारे घर को बनाया हुआ है….मैं यहाँ पर ऐसी कोई भी हिमाकत बर्दाश्त नही करूँगी…..अम्मी का पता लैने आए हो….तो हद में रहना….
सबा: अच्छा जी अब तुम मुझे मेरी हद बताओगी…..
नाज़िया: हां तुम जैसे गिरे हुए लोगो को उनकी औकात दिखानी ही चाहिए….
सबा: किसी खवाबो की दुनिया मत रहना नाज़ी….आज तक किसी ने मेरे साथ उँची आवाज़ में बात करने के कॉसिश नही की और तुम तो सीधे-2 मुझे धमकी दे रही हो….
नाज़िया: हां दे रही हूँ….तो तुम क्या कर लोगि….
सबा: हां तुमने ठीक सोचा कि, हम यहाँ किस लिए आए थे….पर तुम्हे देख कर मेने अपना इरादा बदल दिया था…मैं तुम्हे और हर्ट नही करना चाहती थी…पर समीर सही कहता है….तुम हो ही नकचाढ़ि….और रही बात मेरे और समीर के रिश्ते की, तो तुम भी कान खोल कर सुन लो…तुम्हे जो उखाड़ना है उखाड़ लो…. मैं उसके रूम में जा रही हूँ….रोक कर दिखाओ…
नाज़िया: हां-2 जाओ.-2 इस उम्र में भी तुम इतनी बेगैरत हो….तुमसे और उम्मीद ही की जा सकती थी…कुछ तो शरम करती….तुम्हारे बेटे का दोस्त है वो…तुम्हारे बेटे की उम्र का है समीर……
सबा: तो क्या हुआ…बेटा तो नही है नही….और मेरे बारे में तुम कुछ ना ही बोलो तो सही है….समीर ने मुझे सब बताया है कि, तुम कैसे चुप-2 कर अपने यार से मिलने जाया करती थी….जब समीर ने तुम्हे रंगे हाथो पकड़ा था…इसलिए तुम आज तक समीर का कुछ नही बिगाड़ पाई…..
हालाकी वो दोनो मुझे नज़र नही आ रही थी…पर नाज़िया की खामोशी ये बयान कर रही थी….कि सबा की बात सुन कर वो डर गयी है…”हां -2 जाओ…अपनी बूढ़ी भोसड़ी में जाकर उसका लंड लो….” नाज़िया ने फिर से बोला….
सबा: हां जा रही हूँ….तुम्हारी फुद्दि के बाल क्यों जल रहे है….मैं समीर का लंड फुद्दि में भी लूँगी और अपनी बुन्द में भी…..तुम्हे जो करना है कर लो….और अगर तुम्हारी फुद्दि में और आग लगे तो, आकर देख लेना….खिड़की खोल कर रखूँगी… तेरी आँखो के सामने उसका लंड उफ़फ्फ़….उसका मोटा लंड अपनी बुन्द में लूँगी…”
फिर उसके बाद खामोशी छा गयी….मुझे लगा कि कोई सीढ़ियों से नीचे आने वाला है….तो में सीढ़ियाँ चढ़ने लगा…जैसे ही आधी सीढ़ियों पर पहुँचा तो, मुझे नाज़िया नीचे उतरती हुई नज़र आई….वो सर को झुकाए साइड मे होकर नीचे चली गयी…जब में ऊपेर छत पर पहुँचा तो बाहर कोई नही था….जो रूम मुझे दिया गया था उसका डोर खुला हुआ था….लाइट ऑन थी….मैं सीधा रूम में गया तो, देखा सबा बेड पर बैठी हुई थी….गुस्से से उसका फेस लाल हो चुका था….’
मैं: (हंसते हुए) क्या हुआ ऐसे क्यों मूह फूला रखा है.....
सबा: कुछ नही….( सबा ने गुस्से से दीवार की तरफ देखते हुए कहा….)
मैं सबा के पास जाकर बैठ गया…और उसके कंधे पर एक बाज़ू रखते हुए उसको अपनी तरफ खेंचा और दूसरे हाथ से कमीज़ के ऊपेर से उसके मम्मे को दबाने लगा……”मुझसे नाराज़ हो….” मेने सबा के मम्मे की निपल को कमीज़ के ऊपेर से उंगलियों के बीच लेकर दबाते हुए कहा….तो सबा ने सिसकते हुए प्यार से मेरी तरफ देखा…”तुम से नाराज़ क्यों होना है मेने….फ़ैज़ के बाद में तुमसे सबसे ज़्यादा प्यार करती हूँ…” सबा ने मेरी आँखो में देखते हुए कहा….
मैं: तो आख़िर हुआ क्या है….?
सबा: कुछ नही उस नाज़िया ने मूड खराब कर दिया…कह रही थी कि, यहाँ मैं कोई ऐसी वैसी हरक़त नही करूँ….नही तो उससे बुरा कोई नही होगा….बहुत सुनाया है उसने मुझे…पर मेने भी सोच लिया है…अब तो उसके सामने भी अपनी फुद्दि में तुम्हारा लंड लूँगी….कर ले जो वो कर सकती है….
ये कहते हुए सबा ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी सलवार के अंदर डालते हुए अपनी फुद्दि के ऊपेर रखते हुए कहा....सबा की फुद्दि उसके रस को किसी झरने की तरह बहा रही थी...मेने सबा की फुद्दि में अपनी एक उंगली को घुस्सा कर आगे पीछे किया तो सबा एक दम से सिसक उठी.....
सबा ने मेरे हाथ को एक दम से अपनी सलवार से निकाला और घुटनो के बल बैठते हुए अपने कमीज़ को पकड़ कर ऊपेर उठाते हुए अपने बदन से अलग करके फेंक दिया....सबा की स्किन कलर की ब्रा में उसके मम्मे एक दम कसे हुए थे....और बाहर आने को बेताब हो रहे थे....मेने सबा की कमर में हाथ डालते हुए उसे अपने ऊपेर खेंचा तो सबा अपने दोनो घुटनो को मेरी कमर के दोनो साइड में रखते हुए ऊपेर आ गयी....