hotaks444
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मैं जैसे ही एग्ज़ॅम ख़तम करके बाहर निकाला तो, मेरी नज़र फ़ैज़ और आज़म पर पड़ी… जो बाइक स्टॅंड पर खड़े होकर बातें कर रहे थे…आज़म को देखते ही कल की सारी बाते मेरे जेहन में घूमने लगी….पता नही क्यों मुझे ऐसा लग रहा था कि, जैसे आज़म सच में मेरा भाई हो….मैं दोनो के पास चला गया….दोनो को सलाम किया और उनके साथ बातें करने लगा….
फ़ैज़: समीर भाई तुम्हारा एग्ज़ॅम कैसा हुआ…..?
मैं: ठीक हुआ….तुम्हारा कैसा हुआ….?
फ़ैज़: कुछ खास नही बस पास हो जाउन्गा…..
मैं: और आज़म तुम्हारा एग्ज़ॅम कैसा रहा….
आज़म: पता नही यार…मेरा तो पास होना भी मुस्किल लगता है इस बार….
मैं: अच्छा आज़म यार एक बात पूछ सकता हूँ….
आज़म: हां बोलो…..
मैं: तुम्हारी अम्मी जॉब करती है…..?
आज़म: हां गवर्नमेंट जॉब करती है….बॅंक में ब्रांच मॅनेजर है….
मैं: कॉन सा बॅंक…..?
आज़म: ***** बॅंक में क्यों क्या हुआ…..?
मैं: नही कुछ नही….वो दरअसल मुझे लगा कि मैने शायद उन्हे पहले कही देखा है…अब पता चला कि, तुम्हारी अम्मी भी उसी बॅंक में है…जहाँ पर मेरे अब्बू है..
आज़म: ओह्ह अच्छा….
उसके बाद मैने कोई और ख़ास बात नही की….और दोनो से रुखसत लेकर नजीबा की मामी के गाओं की तरफ चल पड़ा….जब मैं नीलम के घर के बाहर पहुँचा कर डोर बेल बजाई तो थोड़ी देर बाद गेट खुला तो मैं एक दम से चोंक गया… सामने साना खड़ी थी….नीलम की बेटी….उसकी कुछ माह पहले ही शादी हुई थे… इस लिए वो एक दम सजी धजी हुई थे…हालाकी साना का रंग सांवला था….पर फिर भी उसके पर्सनॅलिटी काफ़ी अच्छी थे….एक दम पतला सा जिस्म…ऊपेर से नीचे तक तराशा हुआ जिस्म था उसका…कोई भी चीज़ फालतू नही लग रही थे उसके जिस्म में….
साना: (मुस्कुराते हुए….) सलाम समीर जी….
मैं: सलाम….
मैने बाइक अंदर के तो, साना मुझसे पहले अंदर चली गयी…में अंदर आकर बरामदे में सोफे पर बैठ गया…साना और नजीबा दोनो वही बैठी हुई थी… नीलम वहाँ से उठी और किचिन से मेरे लिए पानी ले आए….मैने पानी पिया…और नीलम खाली ग्लास पकड़ते हुए बोली….”चलो अब में खाना बना लेती हूँ….समीर तुम जाकर मुँह हाथ धो लो और कपड़े चेंज कर लो…..”मैं वहाँ से उठा और ऊपेर रूम में आ गया….ऊपेर आकर मैने मुँह हाथ धोया और कपड़े चेंज करके बेड पर लेट गया…मेरे जेहन में अभी भी कल वाले वाकये घूम रहे थे…एक बात तो पता चल चुकी थी कि, अब्बू और नबीना के बीच जो भी था….वो उनकी जवानी के दिनो से चल रहा था…और अब नबीना अपनी जिस्म की आग को ठंडा करने के लिए अब्बू को भी धोका दे रहे थे…ये बात भी जाहिर थी कि, नबीना क़ाबिले ऐतबार औरत नही थी… वो एक नंबर की लालची किस्म की औरत थी….
उसने अपने शौहर से इसीलिए तलाक़ नही लिया था कि, उसके शोहार के पास बेपँहा दौलत और ज़ायेदाद थे…अब्बू भी गवर्नमेंट जॉब करते है…इसलिए कहीं नही कहीं उसके मन में ये बात ज़रूर होगी…कि आने वाली जिंदगी ऐश से कट जाएगी….मेरे दिल में अब किसी तरह का शक नही था….पर मैं अब्बू को भी तो रोक नही सकता था…और ना ही घर में ऐसा कोई बड़ा बुजुर्ग था…जो अब्बू का मना कर सकता या समझा सकता… अगर में अब्बू से बात करता भाई तो वो मेरी एक नही सुनते…इसलिए मैने कुछ दिनो के लिए इस मामले को दबाने का सोच लिया….और सोचा कि एक बार मेरा 12थ कंप्लीट हो जाए…..उसके बाद देखूँगा कि क्या करना है…
मैं जैसे ही एग्ज़ॅम ख़तम करके बाहर निकाला तो, मेरी नज़र फ़ैज़ और आज़म पर पड़ी… जो बाइक स्टॅंड पर खड़े होकर बातें कर रहे थे…आज़म को देखते ही कल की सारी बाते मेरे जेहन में घूमने लगी….पता नही क्यों मुझे ऐसा लग रहा था कि, जैसे आज़म सच में मेरा भाई हो….मैं दोनो के पास चला गया….दोनो को सलाम किया और उनके साथ बातें करने लगा….
फ़ैज़: समीर भाई तुम्हारा एग्ज़ॅम कैसा हुआ…..?
मैं: ठीक हुआ….तुम्हारा कैसा हुआ….?
फ़ैज़: कुछ खास नही बस पास हो जाउन्गा…..
मैं: और आज़म तुम्हारा एग्ज़ॅम कैसा रहा….
आज़म: पता नही यार…मेरा तो पास होना भी मुस्किल लगता है इस बार….
मैं: अच्छा आज़म यार एक बात पूछ सकता हूँ….
आज़म: हां बोलो…..
मैं: तुम्हारी अम्मी जॉब करती है…..?
आज़म: हां गवर्नमेंट जॉब करती है….बॅंक में ब्रांच मॅनेजर है….
मैं: कॉन सा बॅंक…..?
आज़म: ***** बॅंक में क्यों क्या हुआ…..?
मैं: नही कुछ नही….वो दरअसल मुझे लगा कि मैने शायद उन्हे पहले कही देखा है…अब पता चला कि, तुम्हारी अम्मी भी उसी बॅंक में है…जहाँ पर मेरे अब्बू है..
आज़म: ओह्ह अच्छा….
उसके बाद मैने कोई और ख़ास बात नही की….और दोनो से रुखसत लेकर नजीबा की मामी के गाओं की तरफ चल पड़ा….जब मैं नीलम के घर के बाहर पहुँचा कर डोर बेल बजाई तो थोड़ी देर बाद गेट खुला तो मैं एक दम से चोंक गया… सामने साना खड़ी थी….नीलम की बेटी….उसकी कुछ माह पहले ही शादी हुई थे… इस लिए वो एक दम सजी धजी हुई थे…हालाकी साना का रंग सांवला था….पर फिर भी उसके पर्सनॅलिटी काफ़ी अच्छी थे….एक दम पतला सा जिस्म…ऊपेर से नीचे तक तराशा हुआ जिस्म था उसका…कोई भी चीज़ फालतू नही लग रही थे उसके जिस्म में….
साना: (मुस्कुराते हुए….) सलाम समीर जी….
मैं: सलाम….
मैने बाइक अंदर के तो, साना मुझसे पहले अंदर चली गयी…में अंदर आकर बरामदे में सोफे पर बैठ गया…साना और नजीबा दोनो वही बैठी हुई थी… नीलम वहाँ से उठी और किचिन से मेरे लिए पानी ले आए….मैने पानी पिया…और नीलम खाली ग्लास पकड़ते हुए बोली….”चलो अब में खाना बना लेती हूँ….समीर तुम जाकर मुँह हाथ धो लो और कपड़े चेंज कर लो…..”मैं वहाँ से उठा और ऊपेर रूम में आ गया….ऊपेर आकर मैने मुँह हाथ धोया और कपड़े चेंज करके बेड पर लेट गया…मेरे जेहन में अभी भी कल वाले वाकये घूम रहे थे…एक बात तो पता चल चुकी थी कि, अब्बू और नबीना के बीच जो भी था….वो उनकी जवानी के दिनो से चल रहा था…और अब नबीना अपनी जिस्म की आग को ठंडा करने के लिए अब्बू को भी धोका दे रहे थे…ये बात भी जाहिर थी कि, नबीना क़ाबिले ऐतबार औरत नही थी… वो एक नंबर की लालची किस्म की औरत थी….
उसने अपने शौहर से इसीलिए तलाक़ नही लिया था कि, उसके शोहार के पास बेपँहा दौलत और ज़ायेदाद थे…अब्बू भी गवर्नमेंट जॉब करते है…इसलिए कहीं नही कहीं उसके मन में ये बात ज़रूर होगी…कि आने वाली जिंदगी ऐश से कट जाएगी….मेरे दिल में अब किसी तरह का शक नही था….पर मैं अब्बू को भी तो रोक नही सकता था…और ना ही घर में ऐसा कोई बड़ा बुजुर्ग था…जो अब्बू का मना कर सकता या समझा सकता… अगर में अब्बू से बात करता भाई तो वो मेरी एक नही सुनते…इसलिए मैने कुछ दिनो के लिए इस मामले को दबाने का सोच लिया….और सोचा कि एक बार मेरा 12थ कंप्लीट हो जाए…..उसके बाद देखूँगा कि क्या करना है…