hotaks444
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सोनल के साथ आरती शोरुम पर ही रुकी। मगर उसका मन कही और ही घूम रहा था कही भोला ने अगर रवि को बता दिया तो फिर क्या होगा। रवि तो उससे मार ही डालेगा वो क्या करे कहाँ जाए आखिर क्यों गई वो छत पर और क्या जरूरत थी उसे उसे आहट के पीछे जाने की आखिर क्या जरूरत थी और गई भी थी तो चुपचाप चली आती वहां खड़े होकर देखने की क्या जरूरत थी
अचानक ही उसके हाथ पाँव में एक अजीब सी सनसनी होने लगी थी वो अपने चेयर में बैठी बैठी शून्य को घूर रही थी और उस समय उसकी नज़रें कुछ अपने सामने होते हुए सा देख रही थी सोनल अपने काम में लगी थी और उसकी ओर बिल्कुल भी ध्यान नहीं था और आरती के शरीर पर होने वाली हरकत से भी अंजान थी और आरती के शरीर में एक अजीब सी सिहरनने जनम ले लिया था उसे रह रहकर वो सीन याद आरहा था क्या सीन था वो लड़की जो कि उसके सामने झुकी हुई थी कमर के नीचे से बिल्कुल नंगी थी और वो सांड़ भोला उसको पीछे से घुसाकर मजे ले रहा था उसे कोई डर नहीं था कि कोई आ जाएगा या फिर कोई देख लेगा सच में गुंडा है रवि सच ही कह रहा था और तो और जब उसने भोला को देख लिया था तो वो डरता पर, वो तो उसे ही खा जाने वाली नजर से देखता रहा था
वो बैठे बैठे एक बार फिर से सिहर उठी एक बार सोनल की ओर देखा और फिर से ध्यान मग्न हो गई बहुत ही बदमाश है भोला डर नाम की कोई चीज उसमें है ही नहीं मालकिन है वो, वो लड़की तो भाग गई थी डर के मारे पर भोला वो तो बल्कि उसकी ओर ही बढ़ रहा था और तो और उसने अपने को धमकाने की भी कोशिश नहीं की थी कितना बड़ा और मोटा सा था काले साँप की तरह एकदम सीधा खड़ा हुआ था किसी सहारे की भी ज़रूरत नहीं थी देख कैसे रहा था उसकी ओर जैसे वो उसकी कोई खेलने की चीज है
आरती का पूरा शरीर सनसना रहा था गुस्से में और कही कही कामुकता में उसे पता नहीं था पर जैसे ही उसका ध्यान उसके लण्ड के बारे में पहुँचा वो अपने मुख से एक लंबी सांस छोड़ने से नहीं रुक पाई थी ।सोनल की नजर एक बार उसकी ओर घूमी फिर से वो अपने काम में लग गयी। आरती भी फिर से अपनी सोच में डूब गई थी कितना बड़ा था उसका अपने हाथों से पकड़ने के बाद भी आधा उसके हाथों से बाहर की ओर निकला हुआ था काला लेकिन सामने की ओर लाल लाल था। आरती की जांघे आपस में जुड़ गई थी उसके जाँघो के बीच में कुछ होने लगा था वो सोचने में ही मस्त थी
कैसे बढ़ते हुए वो अपने लण्ड को झटके दे रहा था जैसे कि उसके साथ चुदाई कर रहा था और कितना सारा वीर्य उसके लण्ड से निकला था उसके ऊपर भी तो आया था अचानक ही उसने अपने पैरों के बीच में अपनी पैरों की उंगलियां चलाकर देखा हाँ चिप चिपा सा अब भी था। आरती अब जैसे सोचते हुए फिर से वही पहुँच गई थी कितने अजीब तरीके से उसे देख रहा था जैसे कुछ माँग रहा था या फिर तकलीफ में था पर वो उसकी तरफ क्यों आ रहा था वो उसे क्यों पकड़ना चाहता था अच्छा ही हुआ कि उसने उसे धक्का मार दिया नहीं तो पता नहीं क्या होता कोई भी नहीं था वहां छत पर और उस सांड़ से लड़ने की हिम्मत उसमें तो नहीं थी
अच्छा हुआ कि गिर गया नहीं तो वो मर जाती उस औरत ने भी तो उसे देख लिया था पर वो थी कौन और कहाँ चली गई थी अरे हाँ… उसने इस बात पर तो ध्यान ही नही दिया।
अगर उस औरत ने ही बता दिया तो कि आरती मेडम छत पर थी मर गये अब कही रवि को मालूम चल गया तो बाप रे अब क्या होगा अब आरती के चहरे पर परेशानी के भाव साफ-साफ देखने लगे थे और कही भोला मर गया तो तब तो पोलीस केस भी होगा, तब वो क्या करेगी और कही भोला ने ही पोलीस को सब बता दिया तो तो तो उसकी इज़्ज़त तो गई और इस घर से भी गई
वो बहुत चिंतित हो उठी नहीं नहीं भोला को कुछ नहीं होगा और ना ही वो किसी को कुछ बताएगा वो जानती थी क्योंकी अगर उसे बताना होता तो क्या वो रवि को अभी तक नहीं बता दिया होता बिकुल ठीक पर वो चाहता क्या है नहीं उसके सामने पड़ता है और नहीं कभी कोई इशारा ही किया उसने वो तो कई बार फैक्टरी के काम से गई थी पर हमेशा वो कही ना कही काम से ही फँसा रहता था और जब भी उसके सामने आया तो नजर बिल्कुल जमीन पर गढ़ाए हुए ही रहता था उसके दिल में जरूर कुछ है पता नहीं क्या पर अभी तो रवि गया है पता नहीं क्या खबर लाता है वो चाहती थी कि एक बार फोन करके पता करे पर हिम्मत नहीं हुई पर उसे देखकर स्पष्ट कहा जा सकता था कि वो परेशान है आखिर सोनल से नहीं रहा गया
सोनल-क्या बात है मम्मी , कुछ परेशान हो
आरती- नहीं बस कुछ नही।
सोनल- अरे कन्स्ट्रक्षन साइट में यह सब होता ही रहता है और पापा तो गये है आप चिंता मत करो सब ठीक हो जाएगा
आरती- हा
पर आरती को कहाँ चैन था उसे तो इस बात की चिंता थी कि भोला कुछ उगल ना दे कही उसके बारे में किसी को बता ना दे और तो और वो औरत कौन थी जिसे उसने भोला के साथ देखा था वो भी तो बता सकती है मन में हलचल लिए आरती रवि के इंतेजार में दोपहर से शाम और फिर रात तक बैठी रही पर रवि का कही पता नहीं था वो सोनल के साथ ही घर भी आ गई ,घर पहुँचकर ही उसने सोनल को ही कहा कि फोन करे
सोनल ने ही उसके सामने फोन किया
रवि- हा बेटा।
सोनल- क्या हुआ बड़ी देर लग गई पापाजी ।
रवि- बेटा कुछ नहीं सब ठीक है निकल गया हूँ आता हूँ
सोनल ने फोन काट कर आरती को बताया कि कोई चिंता की बात नहीं है पापा अभी घर पहुँचते ही होगे।
आरती अपने कमरे में जाने से डर रही थी क्यों पता नहीं वो वही सोनल के साथ रही ।
सोनल- अरे क्या हुआ मम्मी!
आरती- कुछ नहीं
सोनल- मम्मी जाओ प्रेश हो जाओ पापा भी आते होगे चल कर खाना खाते है
आरती ना चाहते हुए भी जल्दी से अपने कमरे की ओर लपकी और फ्रेश हो ही रही थी कि रवि की गाड़ी की आवाज आई वो थोड़ा सा डरी पर खुद पर काबू रखकर रवि का इंतेजार करती रही
रवि के कमरे में घुसते ही वो रवि के सामने एक प्रश्न सूचक चेहरा लिए खड़ी मिली
रवि- बच गया अगर नीचे रेत नहीं होती ना मर ही जाता
आरती- हाँ… क्या हुआ है
रवि- कुछ नहीं थोड़ा बहुत ही चोट है असल में गिरा ऊपर से ना इसलिए थोड़ा बहुत अन्द्रूनि चोट है ठीक हो जाएगा दो एक दिन लगेंगे
आरती- अभी कहाँ है हास्पिटल में या
रवि- अरे हास्पिटल में ही है पोलीस भी आई थी आक्सिडेंटल केस है ना इसलिए
आरती- पोलीस क्यों
रवि-, अरे तो नहीं आएगी क्या आक्सिडेंटल केस में आती ही है गवाही के लिए
आरती- क्या गवाही
रवि- अरे यार गिरा कैसे कौन था वहाँ और बहुत कुछ पूछा उससे
आरती की तो जैसे जान ही निकल गई थी गला सुख गया था थूक निगलते हुए पूछा
आरती- तो क्या बताया
रवि तब तक अपने कपड़े चेंज करते हुए बाथरूम में घुस गया था बड़ा ही कषुयल था पर आरती की जान तो जैसे जाने ही वाली थी अगर उसने पोलीस को बता दिया कि उसने उसे धक्का दिया था तो
आरती को चैन नहीं था बाथरूम के बाहर ही खड़े होकर फिर से चिल्लाकर पूछा
आरती- क्यों,बताया नहीं क्या।
रवि की अंदर से आवाज आई
अचानक ही उसके हाथ पाँव में एक अजीब सी सनसनी होने लगी थी वो अपने चेयर में बैठी बैठी शून्य को घूर रही थी और उस समय उसकी नज़रें कुछ अपने सामने होते हुए सा देख रही थी सोनल अपने काम में लगी थी और उसकी ओर बिल्कुल भी ध्यान नहीं था और आरती के शरीर पर होने वाली हरकत से भी अंजान थी और आरती के शरीर में एक अजीब सी सिहरनने जनम ले लिया था उसे रह रहकर वो सीन याद आरहा था क्या सीन था वो लड़की जो कि उसके सामने झुकी हुई थी कमर के नीचे से बिल्कुल नंगी थी और वो सांड़ भोला उसको पीछे से घुसाकर मजे ले रहा था उसे कोई डर नहीं था कि कोई आ जाएगा या फिर कोई देख लेगा सच में गुंडा है रवि सच ही कह रहा था और तो और जब उसने भोला को देख लिया था तो वो डरता पर, वो तो उसे ही खा जाने वाली नजर से देखता रहा था
वो बैठे बैठे एक बार फिर से सिहर उठी एक बार सोनल की ओर देखा और फिर से ध्यान मग्न हो गई बहुत ही बदमाश है भोला डर नाम की कोई चीज उसमें है ही नहीं मालकिन है वो, वो लड़की तो भाग गई थी डर के मारे पर भोला वो तो बल्कि उसकी ओर ही बढ़ रहा था और तो और उसने अपने को धमकाने की भी कोशिश नहीं की थी कितना बड़ा और मोटा सा था काले साँप की तरह एकदम सीधा खड़ा हुआ था किसी सहारे की भी ज़रूरत नहीं थी देख कैसे रहा था उसकी ओर जैसे वो उसकी कोई खेलने की चीज है
आरती का पूरा शरीर सनसना रहा था गुस्से में और कही कही कामुकता में उसे पता नहीं था पर जैसे ही उसका ध्यान उसके लण्ड के बारे में पहुँचा वो अपने मुख से एक लंबी सांस छोड़ने से नहीं रुक पाई थी ।सोनल की नजर एक बार उसकी ओर घूमी फिर से वो अपने काम में लग गयी। आरती भी फिर से अपनी सोच में डूब गई थी कितना बड़ा था उसका अपने हाथों से पकड़ने के बाद भी आधा उसके हाथों से बाहर की ओर निकला हुआ था काला लेकिन सामने की ओर लाल लाल था। आरती की जांघे आपस में जुड़ गई थी उसके जाँघो के बीच में कुछ होने लगा था वो सोचने में ही मस्त थी
कैसे बढ़ते हुए वो अपने लण्ड को झटके दे रहा था जैसे कि उसके साथ चुदाई कर रहा था और कितना सारा वीर्य उसके लण्ड से निकला था उसके ऊपर भी तो आया था अचानक ही उसने अपने पैरों के बीच में अपनी पैरों की उंगलियां चलाकर देखा हाँ चिप चिपा सा अब भी था। आरती अब जैसे सोचते हुए फिर से वही पहुँच गई थी कितने अजीब तरीके से उसे देख रहा था जैसे कुछ माँग रहा था या फिर तकलीफ में था पर वो उसकी तरफ क्यों आ रहा था वो उसे क्यों पकड़ना चाहता था अच्छा ही हुआ कि उसने उसे धक्का मार दिया नहीं तो पता नहीं क्या होता कोई भी नहीं था वहां छत पर और उस सांड़ से लड़ने की हिम्मत उसमें तो नहीं थी
अच्छा हुआ कि गिर गया नहीं तो वो मर जाती उस औरत ने भी तो उसे देख लिया था पर वो थी कौन और कहाँ चली गई थी अरे हाँ… उसने इस बात पर तो ध्यान ही नही दिया।
अगर उस औरत ने ही बता दिया तो कि आरती मेडम छत पर थी मर गये अब कही रवि को मालूम चल गया तो बाप रे अब क्या होगा अब आरती के चहरे पर परेशानी के भाव साफ-साफ देखने लगे थे और कही भोला मर गया तो तब तो पोलीस केस भी होगा, तब वो क्या करेगी और कही भोला ने ही पोलीस को सब बता दिया तो तो तो उसकी इज़्ज़त तो गई और इस घर से भी गई
वो बहुत चिंतित हो उठी नहीं नहीं भोला को कुछ नहीं होगा और ना ही वो किसी को कुछ बताएगा वो जानती थी क्योंकी अगर उसे बताना होता तो क्या वो रवि को अभी तक नहीं बता दिया होता बिकुल ठीक पर वो चाहता क्या है नहीं उसके सामने पड़ता है और नहीं कभी कोई इशारा ही किया उसने वो तो कई बार फैक्टरी के काम से गई थी पर हमेशा वो कही ना कही काम से ही फँसा रहता था और जब भी उसके सामने आया तो नजर बिल्कुल जमीन पर गढ़ाए हुए ही रहता था उसके दिल में जरूर कुछ है पता नहीं क्या पर अभी तो रवि गया है पता नहीं क्या खबर लाता है वो चाहती थी कि एक बार फोन करके पता करे पर हिम्मत नहीं हुई पर उसे देखकर स्पष्ट कहा जा सकता था कि वो परेशान है आखिर सोनल से नहीं रहा गया
सोनल-क्या बात है मम्मी , कुछ परेशान हो
आरती- नहीं बस कुछ नही।
सोनल- अरे कन्स्ट्रक्षन साइट में यह सब होता ही रहता है और पापा तो गये है आप चिंता मत करो सब ठीक हो जाएगा
आरती- हा
पर आरती को कहाँ चैन था उसे तो इस बात की चिंता थी कि भोला कुछ उगल ना दे कही उसके बारे में किसी को बता ना दे और तो और वो औरत कौन थी जिसे उसने भोला के साथ देखा था वो भी तो बता सकती है मन में हलचल लिए आरती रवि के इंतेजार में दोपहर से शाम और फिर रात तक बैठी रही पर रवि का कही पता नहीं था वो सोनल के साथ ही घर भी आ गई ,घर पहुँचकर ही उसने सोनल को ही कहा कि फोन करे
सोनल ने ही उसके सामने फोन किया
रवि- हा बेटा।
सोनल- क्या हुआ बड़ी देर लग गई पापाजी ।
रवि- बेटा कुछ नहीं सब ठीक है निकल गया हूँ आता हूँ
सोनल ने फोन काट कर आरती को बताया कि कोई चिंता की बात नहीं है पापा अभी घर पहुँचते ही होगे।
आरती अपने कमरे में जाने से डर रही थी क्यों पता नहीं वो वही सोनल के साथ रही ।
सोनल- अरे क्या हुआ मम्मी!
आरती- कुछ नहीं
सोनल- मम्मी जाओ प्रेश हो जाओ पापा भी आते होगे चल कर खाना खाते है
आरती ना चाहते हुए भी जल्दी से अपने कमरे की ओर लपकी और फ्रेश हो ही रही थी कि रवि की गाड़ी की आवाज आई वो थोड़ा सा डरी पर खुद पर काबू रखकर रवि का इंतेजार करती रही
रवि के कमरे में घुसते ही वो रवि के सामने एक प्रश्न सूचक चेहरा लिए खड़ी मिली
रवि- बच गया अगर नीचे रेत नहीं होती ना मर ही जाता
आरती- हाँ… क्या हुआ है
रवि- कुछ नहीं थोड़ा बहुत ही चोट है असल में गिरा ऊपर से ना इसलिए थोड़ा बहुत अन्द्रूनि चोट है ठीक हो जाएगा दो एक दिन लगेंगे
आरती- अभी कहाँ है हास्पिटल में या
रवि- अरे हास्पिटल में ही है पोलीस भी आई थी आक्सिडेंटल केस है ना इसलिए
आरती- पोलीस क्यों
रवि-, अरे तो नहीं आएगी क्या आक्सिडेंटल केस में आती ही है गवाही के लिए
आरती- क्या गवाही
रवि- अरे यार गिरा कैसे कौन था वहाँ और बहुत कुछ पूछा उससे
आरती की तो जैसे जान ही निकल गई थी गला सुख गया था थूक निगलते हुए पूछा
आरती- तो क्या बताया
रवि तब तक अपने कपड़े चेंज करते हुए बाथरूम में घुस गया था बड़ा ही कषुयल था पर आरती की जान तो जैसे जाने ही वाली थी अगर उसने पोलीस को बता दिया कि उसने उसे धक्का दिया था तो
आरती को चैन नहीं था बाथरूम के बाहर ही खड़े होकर फिर से चिल्लाकर पूछा
आरती- क्यों,बताया नहीं क्या।
रवि की अंदर से आवाज आई