Kamvasna धन्नो द हाट गर्ल - Page 27 - SexBaba
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Kamvasna धन्नो द हाट गर्ल

फ्लैशबैक से शिल्पा वर्तमान में

शिल्पा की आँखों से आँसू निकल रहे थे मगर वो अपनी माँ का बदला ले चुकी थी। कुछ ही देर में उसे
खुशखबरी मिलने वाली थी की ठाकुर का बेटा इस दुनियां में नहीं रहा।

शिल्पा अपनी माँ का फोटा वहीं रखकर अपने बाप के पास आ गई और उसके सिर पर हाथ रखकर उसके सिर को दबाने लगी। शिल्पा कुछ देर तक अपने बाप का सिर दबाती रही। अचानक उसे महसूस हुआ की जैसे उसके बापू का जिश्म बिल्कुल ढीला पड़ गया है। शिल्पा अपने बापू को झंझोड़कर उठाने लगी, मगर हरी मर चुका था। शिल्पा के झंझोड़ने से उसे पता चल गया की उसका बाप मर चुका है। शिल्पा अपने बापू के मरने से जोर-जोर से चिल्लाकर रोने लगी।

रवी शिल्पा के जाने के बाद सीधा जाकर धन्नो के पास बैठ गया- “वाह री छोरी... आज तो तू बहुत खूबसूरत
लग रही हो...” रवी ने धन्नो का पूँघट उठाकर कहा।

धन्नो ने रवी के हाथों अपना पूँघट हटने से शर्म के मारे अपना कंधा नीचे कर दिया। रवी ने अपने हाथों को आगे करके धन्नों का कंधा ऊपर कर लिया और अपने होंठों को आगे करते हुए उसे चूमने की कोशिश करने । लगा। तभी रवी वहीं पर धन्नो को गोद में सिर रखकर सो गया और अपने दोनों हाथ अपने गले में डाल दिए।

धन्नो- “क्या हुआ रवी?” धन्नो ने अचानक रवी के इस बदलाओ से परेशान होते हुए कहा।

तभी रवी उठकर उल्टियां करने लगा। धन्नो ने घबराकर बाहर निकलते हुए ठाकुर को बुला लिया। रवी को जल्दी से हास्पिटल ले जाया गया, मगर डाक्टर भी रवी को बचा ना सके। हवेली में जहाँ थोड़ी देर पहले जश्न था वहाँ पर मातम छा गया।


धन्नो का तो रो-रोकर बुरा हाल था क्योंकी उसने वहाँ पर किसी से सुना की ठाकुर को पंडित ने कहा था की इस लड़की से जो शादी करेगा वो पहली रात ही मर जाएगा, इसलिए वो रवी की मौत के लिए अपने आपको । कसूरवार समझ रही थी। रवी की लाश वापस हवेली में आ चुकी थी, और हर तरफ मातम मचा हुआ था। पोलिस हवेली में आ चुकी थी और वो नौकरों से छानबीन कर रही थी।

पोलिसवाला- “मेडम आपसे कुछ सवाल करने हैं?” अचानक एक पोलिसवाले ने धन्नो की तरफ देखते हुए कहा।

पोलिसवाले की बात सुनकर ठाकुर गुस्से से उसकी तरफ देखने लगा।

पोलिसवाल- “ठाकुर साहब हम जानते हैं कि आप पर क्या बीत रही है। मगर हमें रवी के कातिल को पकड़ने के लिए कुछ सवालों के जवाब चाहिये...” पोलिसवाले ने ठाकुर की तरफ देखते हुए कहा।

धन्नो- “पूछिए आपको जो पूछना है?” धन्नो ने अपने पल्लू से अपने आँसू को पोछते हुए कहा।

पोलिसवाला- “मेडम रवी ने आखिरी चीज क्या खाई थी कमरे में?” पोलिस ने धन्नो की तरफ देखते हुए कहा।

धन्नो- “दूध पिया था उसने बस..” धन्नो ने सोचते हुए कहा।

पोलिसवाला- “वो दूध कौन लाया था वहाँ पर और उसके कितनी देर बाद आपके पति को उल्टियां हुई..” पोलिस ने फिर से सवाल किया।

धन्नो- “शिल्पा लाई थी वो दूध और हाँ उसने कहा था की यह सिर्फ रवी के लिए है, जो उसने अपने सामने ही पिलाया था और बस उसके 10-15 मिनट बाद ही उसको उल्टियां होना शुरू हो गई थी...” धन्नो ने पोलिसवाले
का जवाब देते हुए कहा।
 
पोलिसवाला- “ठाकुर साहब डाक्टरों के मुताबिक रवी को किसी चीज में जहर मिलाकर मारा गया है, जो उसके पूरे जिम में फैल गया था। यह शिल्पा कौन है?” पोलिस ने ठाकुर की तरफ देखते हुए कहा।

ठाकुर- “वो इस हवेली में काम करती है...” ठाकुर ने पोलिसवाले को जवाब देते हुए कहा।

पोलिसवाला- “कहाँ है वो इस वक़्त?” पोलिसवाले ने फिर से सवाल किया।

ठाकुर- “शिल्पा घर पर होगी..." ठाकुर ने सोचते हुए कहा।

पोलिसवाला- “हमें जल्दी से उसे ढूँढना होगा। ऐसा ना हो की वो यहाँ से भाग जाए..” पोलिसवाला यह कहते हुए हवेली से अपने साथियों के साथ निकल गया।

सूरज आज कितने दिनों बाद छुपता हुआ शिल्पा से मिलने आ रहा था उसे सिर्फ इतना पता था की आज ठाकुर के बेटों की शादी है। सूरज को यह पता नहीं था की रवी मर चुका है और वो आज गाँव आकर गलती कर रहा है। क्योंकी रवी के मरने के बाद चारों तरफ पोलिस कुत्ते की तरह गाँव में फैल चुकी थी।

सूरज जैसे ही गाँव में अंदर दाखिल हुआ उसे एक पोलिस जीप दिख गई, तो वो पोलिस को देखकर भागने लगा। मगर पोलिस वालों की नजर उसपर पड़ चुकी थी। सूरज को भागता हुआ देखकर पोलिसवाले जीप में बैठकर उसके पीछे जाने लगे। सूरज भागता हुआ शिल्पा के घर की तरफ जाने लगा।

पोलिसवाला- “गाड़ी को तेज चलाओ, वो भागकर नहीं जाना चाहिए। जरूर ठाकुर के बेटे के खून से उसका कोई ताल्लुक है। इसलिए वो हमें देखकर भाग रहा है..." अंदर बैठे एक इनस्पेक्टर ने ड्राइवर को हिदायत दिया।

ड्राइवर इनस्पेक्टर की बात सुनकर गाड़ी को तेज चलाने लगा। सूरज भागता हुआ अचानक एक गली में मुड़ गया
और पोलिस जीप आगे निकल गई। सूरज पोलिस को चकमा देने में कामयाब हो चुका था। मगर उसे अब भी खतरा था। वो कुछ देर तक वहीं खड़ा हाँफने के बाद छुपता हुआ शिल्पा के घर की तरफ जाने लगा।

पोलिसवाला- “साला कहाँ गायब हो गया? लगता है वो हमें चकमा दे गया, गाड़ी को वापस ले चलो...” इनस्पेक्टर ने कुछ दूर जाने के बाद ड्राइवर को आईर देते हुए कहा।

इधर पोलिस हवेली से निकालकर शिल्पा के घर की तलाश करते हुए उसके घर की तरफ बढ़ रही थी। शिल्पा
अपने पिता के मरने के बाद उसकी खटिया के पास नीचे बैठकर रो रही थी की अचानक जोर से दरवाजा खटकने लगा।

शिल्पा- “कौन है बाहर?” शिल्पा डरते हुए दरवाजे की तरफ बढ़ने लगी। उसे पता था की पोलिस जरूर उसे ढूँढ़ते हुए वहाँ आ चुकी है।

सूरज- “मैं हूँ सूरज, जल्दी से दरवाजा खोला शिल्पा...” सूरज ने शिल्पा की आवाज सुनकर कहा।
शिल्पा ने सूरज की आवाज सुनकर दरवाजा खोल दिया। सूरज ने अंदर आते ही दरवाजा अंदर से बंद कर दिया,
और सीधा ग्लास उठाकर पानी भरकर पीने लगा।

शिल्पा- “क्या हुआ सूरज, तुम इतने थके हुए लग रहे हो?” शिल्पा ने सूरज को हाँफता हुआ देखकर कहा।

सूरज- “शिल्पा पोलिस मेरे पीछे पड़ी थी। बड़ी मुश्किल से उन्हें चकमा देकर आया हूँ..” सूरज ने ग्लास खाली करने के बाद रखते हुए कहा।

शिल्पा- “सूरज तुम आज क्यों आए? तुम्हें पता है रवी मर चुका है और सारे गाँव में पोलिस घूम रही है...” शिल्पा ने सूरज को देखते हुए कहा।

सूरज- “क्या कहा, रवी मर चुका है। मगर कैसे?” सूरज ने शिल्पा की बात सुनकर हैरान होते हुए कहा।।

शिल्पा- “मैंने मार दिया जहर देकर, साले ठाकुर के बेटे को। अब ठाकुर को पता चलेगा की अपनों का जख़्म
क्या होता है?” शिल्पा ने सूरज को देखकर हँसते हुए जवाब दिया और हँसते हुए अचानक रोने लगी।

सूरज- “शिल्पा क्या हुआ, तुम रो क्यों रही हो? जरूर तुम मुझसे कुछ छुपा रही हो...” सूरज ने शिल्पा के हँसने के बाद उसे रोता हुआ देखकर हैरान होते हुए कहा।
 
शिल्पा- “सूरज बापू मर चुका है...” शिल्पा सूरज की बात सुनकर उसके गले लगकर रोते हुए बोली।

सूरज- “क्या अंकल... शिल्पा अपने आपको संभालो...” सूरज ने शिल्पा की पीठ को सहलाते हुए कहा।

शिल्पा- “सूरज, बाबूजी मेरी खातिर इतना बड़ा जुल्म होने के बावजूद चुप रहे। लगता है आज मेरे बदला लेने के
बाद उन्हें सुकून मिल गया और वो माँ को बताने के लिए की उसकी बेटी ने उसका बदला ले लिया है उसके पास चले गये..” शिल्पा ने वैसे ही सूरज के कंधे पर अपना सिर रखकर रोते हुए कहा।

सूरज- “शिल्पा तुम मेरे साथ चलो। यहाँ पर पोलिस तुम्हें जिंदा नहीं छोड़ेगी...” सूरज ने शिल्पा के पीठ को सहलाते हुए कहा।

शिल्पा- “नहीं सूरज मैं बापू को ऐसे छोड़कर नहीं जा सकती..” शिल्पा ने सूरज की बात सुनकर इनकार करते हुए
कहा।

सूरज- “शिल्पा समझने की कोशिश करो तुम यहाँ रहोगी तो वो ठाकुर तुम्हें ऐसे ही पोलिस के हवाले नहीं करेगा, मगर वो तुमसे खुद बदला लेगा...” सूरज ने शिल्पा को समझाने की कोशिश करते हुए कहा। अचानक दरवाजा बहुत जोर से खटकने लगा।

शिल्पा- “सूरज तुम यहाँ क्यों आए? मेरी वजह से तुम भी फँस गये..." दरवाजे के खटकने से शिल्पा ने सूरज को देखते हुए रोते हुए कहा।

सूरज- “तुम चिंता मत करो। हम पीछे वाले रास्ते से निकल जाएंगे..." सूरज ने शिल्पा को तसल्ली देते हुए कहा
और शिल्पा के हाथ को पकड़ते हुए उसे घर के पीछे ले जाने लगा।

इनस्पेक्टर- “जल्दी से दरवाजे को तोड़ दो...” इनस्पेक्टर ने एक सिपाही को आर्डर देते हुए कहा।

सूरज ने घर के पीछे आकर शिल्पा को उठाकर दीवार से कूदने के लिए कहा और खुद भी दीवार पर चढ़ने लगा।

इनस्पेक्टर- “रुको वरना मैं गोली चला दूंगा..” इनस्पेक्टर दरवाजा तुड़वाकर अंदर आ चुका था। उसने सूरज को ऊपर चढ़ता हुआ देखकर उसे वार्निग देते हुए कहा।

सूरज इनस्पेक्टर की बात सुने बिना दीवार पर चढ़ने लगा। इनस्पेक्टर ने सूरज पर निशाना बनाते हुए गोली चला दी, गोली पिस्टल से निकालकर सूरज की तरफ बढ़ने लगी। सूरज ने बहुत फुर्ती के साथ ऊपर चढ़ने के बाद दूसरी तरफ नीचे कूद गया। गोली सीधा दीवार से जाकर टकरा गई। इनस्पेक्टर अपने साथियों के साथ घर से बाहर निकलते हुए जीप में चढ़कर उसका पीछा करने लगा।

तेजी के साथ भाग रहे थे की अचानक उन्हें अपने पीछे पोलिस जीप की रोशनी आती
शिल्पा और दिखाई दी।

शिल्पा- “सूरज मैं थक चुकी हूँ मुझसे और भागा नहीं जा रहा है...” शिल्पा ने अचानक हाँफते हुए नीचे बैठकर
कहा।

सूरज- “शिल्पा मेरे होते हुए तुम्हें कुछ नहीं हो सकता...” सूरज इतना कहकर शिल्पा को अपनी गोद में उठाकर आगे बढ़ने लगा। सूरज भी भागते हुए थक चुका था। पोलिस की गाड़ी की रोशनी अब सीधे उसपर पड़ रही थी।

इनस्पेक्टर ने इस बार फिर से निशाना बनाते हुए सूरज पर गोली चला दी, जो सीधा उसकी पीठ में जा लगी,
और वो वहीं पर नीचे गिर गया।

सूरज के गिरने से शिल्पा उसकी बाहों से निकलकर दूर नीचे जा गिरी। शिल्पा को सिर में बहुत चोट लगी थी, और उसके सिर में से खून बह रहा था। शिल्पा किसी तरह हिम्मत करके उठकर सूरज के पास आ गई और उसका सिर अपनी गोद में रखकर रोने लगी। सूरज गोली लगते ही मर चुका था।

इनस्पेक्टर ने सोचा शायद उनके पास कोई हथियार हो, इसलिए उसने पिस्टल से एक गोली और चला दी और वो सीधे जाकर शिल्पा के सीने में लगी।

इनस्पेक्टर अब अपने साथियों के साथ आगे बढ़ता हुआ उन दोनों के पास आ गया। इनस्पेक्टर ने करीब आकर देखा की दोनों मर चुके हैं। वो अपने साथियों की मदद से उन दोनों की लाश उठाकर अपनी जीप में रखते हुए पोलिस स्टेशन की तरफ जाने लगा। हवेली में कुहराम मचा हुआ था। ठाकुर को पता लग चुका था की शिल्पा मारी जा चुकी है। मगर एक बात अब तक उसके दिल में खटक रही थी की आखिर शिल्पा का उसने क्या बिगाड़ा था?

दूसरे दिन रवी की आखिरी रस्मों को अदा करके उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया। आकाश, सोनाली, बिंदिया और रोहन भी हवेली आ चुके थे। हर तरफ दुख का माहौल था। दो-तीन दिन ऐसे ही बीत गये और सभी धीरे-धीरे हवेली से जाने लगे। सोनाली आकाश और उसकी बहन और उसका पति भी धन्नो को उसके हाल पर छोड़कर वहाँ से चले गये।

धन्नो रवी के मरने के बाद बिल्कुल गुमसुम थी। उसे किसी भी बात का कोई खयाल नहीं था की क्या हो रहा है? ऐसे ही एक महीना बीत गया। ठाकुर को यह पता लग चुका था की उसके पाप के छींटे उसके बेटे पर गिरे हैं, क्योंकी उसे पता लग चुका था की शिल्पा हरी की बेटी थी।

मनीष ने डिसाइड कर लिया था की वो यह मुल्क छोड़कर विदेश चला जाएगा, और वहीं पर कोई कारोबार करेगा। इसलिए वो यह बताने के लिए ठाकुर के कमरे में आ गया।

मनीष- “बाबूजी हम दूसरे मुल्क जाना चाहते हैं...” मनीष ने ठाकुर को कहा।

ठाकुर- “क्यों बेटे क्या हुवा?” ठाकुर ने हैरान होते हुए कहा।
 
मनीष- “बापू यहाँ पर रवी भैया की याद मुझे कोई काम नहीं करने देती, इसलिए मैं दूसरे मुल्क जाकर कोई कारोबार करना चाहता हूँ..” मनीष ने ठाकुर को अपने जाने का कारण बताते हुए कहा।


ठाकुर- “जैसी तुम्हारी मर्जी बेटे। मगर यह इतनी सारी जमीन और ज्यादाद तुम्हारी ही तो है..” ठाकुर ने मनीष को समझाते हुए कहा।
मनीष- “नहीं पिताजी। मैं फिलहाल इन्हें नहीं संभाल सकता...” मनीष ने अपने पिता से कहा।

ठाकुर- “ठीक है बेटा, जैसा तुम्हें अच्छा लगे तुम करो..." ठाकुर ने मनीष की बात को मानते हुए कहा।

मनीष कुछ ही दिनों में करुणा के साथ विदेश चला गया।

धन्नो रवी के मरने के बाद एक बुत बन चुकी थी। वो ना किसी से बात करती थी ना कोई काम, बस सारा दिन अपने कमरे में बैठकर भगवान की पूजा करते हुए रोती रहती थी। क्योंकी वो रवी की मौत का जिम्मेवार खुद को समझ रही थी। उसे लगता था की यह उसके पापों की सजा है, जो रवी को मिली है।

मनीष कुछ ही दिनों में करुणा को लेकर विदेश चला जाता है, और वहाँ पर नया कारोबार शुरू कर देता है। बिंदिया और रोहन भी खुशी-खुशी जिंदगी बसर करने लगते हैं। इधर आकाश और सोनाली भी नये सिरे से अपनी जिंदगी की शुरुआत करते हैं।

प्रवीण अपने घर में बैठा था की अचानक कोई भागता हुआ अंदर आया- “प्रवीण गजब हो गया तुम्हारी पत्नी को नाग ने काट लिया...” एक आदमी हाँफता हुआ अंदर दाखिल हुआ और प्रवीण को देखते हुए कहा।

प्रवीण- “क्या कहा... कहाँ है वो?” प्रवीण परेशान होते हुए बोला।

हास्पिटल में आओ मेरे साथ...” उस शख्स ने कहा।

प्रवीण दौड़ता हुआ उस शख्स के साथ हास्पिटल गया, जहाँ पर उसकी पत्नी आखिरी साँसें ले रही थी। प्रवीण जैसे ही हास्पिटल में दाखिल हुआ उसकी नजर डाक्टर पर पड़ी जो उसकी पत्नी के वार्ड से निकल रहा था- “क्या हुआ डाक्टर साहब?”


डाक्टर- “आई आम सारी। हम उसे नहीं बचा पाए...” डाक्टर ने कहा और आगे निकल गया।

प्रवीण- “नहीं ऐसा नहीं हो सकता। तुम मुझे छोड़कर नहीं जा सकती...” प्रवीण दौड़ता हुआ अपनी पत्नी के पास पहुँच गया, और उसकी लाश को देखकर रोते हुए बोला।

प्रवीण की पत्नी को हास्पिटल से लेजाकर अंतिम संस्कार कर दिया गया और प्रवीण ने उसकी अस्थियों को गंगा में बहा दिया। प्रवीण की पत्नी को मरे हुए 5 दिन हो गये थे।

मगर प्रवीण अब तक उसके गम से बाहर नहीं निकला था। मगर एक बात जो उसे बहुत परेशान कर रही थी। वो थी सपना जो हर रात उसे सोने के बाद आता था। प्रवीण को सपने में एक लड़की गाती हुई नजर आती थी,
और यह सपना उसे दो महीनों से आ रहा था। प्रवीण को सपने में दिखने वाली लड़की की शकल उस ट्रेन में । मिलने वाली धन्नो से मिलती थी। प्रवीण ने फैसला कर लिया की वो इस सपने के बारे में अपने गुरु से पूछेगा। प्रवीण के गुरु एक बहुत बड़े साधु थे, जो बहुत ज्यादा ज्ञान रखते थे।

धन्नो भी अब तक रवी के गम में डूबी हुई थी, और उसकी परेशानी भी वोही सपना था जो उसे डेली आता था। उसे समझ में नहीं आ रहा था की यह सपना उसे क्यों दिखाई देता है, और प्रवीण से उसका क्या ताल्लुक है?

ठाकुर को अपने बेटे के मरने का तो गम था। मगर वो अपने कारोबार को ऐसे नहीं छोड़ सकते थे। इसलिए धीरे-धीरे उसने रवी की यादों को छोड़कर कारोबार की तरफ मन लगा दिया, और कुछ ही दिनों बाद उसे रवी की याद आनी कम हो गई थी।

ठाकुर का खयाल रखने के लिए तो कई नौकर थे। मगर फिर भी धन्नो उसका बहुत ज्यादा खयाल रखती थी। चाय और दूसरे सारे काम वोही किया करती थी। रवी को मरे हुए 30 दिन गुजर चुके थे और ठाकुर सारी बातें भूलकर फिर से अपने कारोबार के नशे में खो गया था।

धन्नो भी धीरे-धीरे रवी की मौत को भगवान की मर्जी समझकर भुलाने लगी थी, और सारा दिन घर का काम काज किया करती थी। धन्नो हर रोज सुबह उठकर नहाने के बाद मंदिर जाया करती थी, और लौटकर घर के कामों में खो जाती थी।
 
ठाकुर धन्नो को सारा दिन काम करता देखकर उससे कहते थे- “बेटी तुम इतना काम क्यों करती हो? यह नौकर
जो हैं..."

मगर धन्नो कहती थी- “मैं सारा दिन बैठे हुए बोर हो जाती हैं इसलिए मुझे काम करने से कुछ सुकून मिल जाता है...”

प्रवीण अपने सपने के बारे में पूछने के लिए अपने गुरु के आश्रम में आ चुका था। प्रवीण ने अंदर दाखिल होते ही गुरु के पैर छूकर उनसे आशीर्वाद लिया और उनके चरणों में बैठ गया।

गुरुजी- “क्या हुआ प्रवीण बेटे, तुम बहुत दुखी लग रहे हो?” गुरु ने प्रवीण के चहरे को देखते हुए कहा।


प्रवीण ने गुरु की बात सुनकर उनके चरणों को पकड़कर अपनी सारी बात बता दी।

गुरुजी- “बेटे यह तो भगवान की लीला है। तुम्हारी पत्नी की मौत और तुम्हें वो सपने आना एक ही बात की। तरफ इशारा करते हैं की जो लड़की तुम्हें सपने में आती है, वो तुम्हारे पिछले जन्म की प्रेमिका है। तुम आज रात यहीं रुक जाओ मैं तुम्हारे लिए एक खास पूजा करूंगा, जिससे पता चल सके की उस लड़की का और । तुम्हारा क्या रिश्ता है?” गुरु ने प्रवीण की बात सुनकर उसे तसल्ली देते हुए कहा।

प्रवीण अपने गुरु की बात सुनकर वहीं ठहर गया और रात का इंतेजार करने लगा। रात को गुरुजी ने एक खास पूजा की और प्रवीण की तरफ देखते हुए मुश्कुरा दिया।

प्रवीण- “क्या हुआ गुरुजी, आप मुझे कुछ बताइए ना?” प्रवीण ने परेशान होते हुए कहा।

गुरुजी- “हाँ बेटा बताता हूँ, बताता हूँ...” गुरु ने प्रवीण को उतावला देखकर कहा- “बेटे वो लड़की और तुम पिछले जनम में एक दूसरे से प्यार करते थे। उस लड़की का नाम परवीन था और तुम्हारा अकबर। तुम दोनों एक दूसरे से दिल-ओ-जान से चाहते थे। मगर तुम्हारे बाप एक दूसरे के जानी दुश्मन थे। इसलिए तुम दोनों ने भागकर शादी का फैसला किया। लेकिन इस बात की खबर तुम दोनों के बापों को पड़ गई और जब तुम शादी करने वाले थे तो वो दोनों भी वहीं पहुँच गये। तुम दोनों एक दूसरे से अलग नहीं होना चाहते थे इसलिए तुम दोनों ने जहर खाकर खुदकाशी कर ली...” गुरु ने प्रवीण को सारी बात बताते हुए कहा।

प्रवीण- “गुरु क्या हम अगले जनम में मुसलमान थे?” प्रवीण ने हैरान होते हुए कहा।

गुरुजी- “जी बेटा, तुम दोनों मुसलमान थे। इस जनम में हिंदू हो। हो सकता है आगे जनम में किसी और मजहब से हो...” गुरु ने हँसते हुए कहा।

प्रवीण- “गुरुजी क्या हम इस जनम में एक हो सकते हैं?” प्रवीण ने उतेजित होते हुए पूछा।‘

गुरुजी- “बेटा यह तो भगवान ही बेहतर जाने की तुम दोनों का साथ इस जनम में भी है या नहीं?” गुरु ने प्रवीण की बात सुनकर आहह भरते हुए कहा।

प्रवीण- “ठीक है गुरुजी। मैं अपने प्यार को पाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता हूँ। बस एक बार मुझे उसका पता मिल जाए...” प्रवीण ने गुरु की बात सुनकर कहा।

प्रवीण उस रात गुरु के आश्रम में रहने के बाद दूसरे दिन वापस शहर आ गया। प्रवीण ने सोचा ऐसे ढूँढ़ना तो बहुत मुश्किल होगा, इसलिए वो एक तस्वीर बनाने वाले के पास चला गया, और उससे झूठ बोलकर कहा की वो अपनी पत्नी की तस्वीर बनाना चाहता है जो मर चुकी है। उस शख्स ने प्रवीण के कहने पर तस्वीर बनानी शुरू कर दी। कुछ ही देर की कोशिश में धन्नो की तसवीर बन गई, जिसे लेकर प्रवीण खुश होता हुआ वहाँ से उठकर धन्नो की तलाश करने लगा। प्रवीण लगातार 7 दिन तक उस तस्वीर को लेकर धन्नो की तलाश करता रहा


लेकिन उसे किसी भी किस्म की कामयाबी नहीं मिली। आखीरकार वो थक हारकर मायूस होते हुए ट्रेन की एक टिकेट लेकर अपने घर वापस जाने का फैसला कर लिया।

प्रवीण ट्रेन में चढ़कर बैठ गया। प्रवीण को कुछ ही देर में नींद आ गई और जब वो उठा तो ट्रेन आगे जा चुकी
थी। ट्रेन जब स्टेशन पर रुकी तो प्रवीण को पता चला की वो तो नींद में आगे निकल आया है। प्रवीण ट्रेन से । उतरकर एक तरफ जाने लगा की अचानक उसे खयाल आया की क्यों न वो धन्नो की तलाश यहाँ भी करे? और वो यह सोचते हुये तस्वीर निकालकर लोगों से पूछने लगा। लेकिन यहाँ भी उसे मायूसी ही मिली। प्रवीण थक हारकर एक रिक्शा के पास फुटपाथ पर बैठ गया।

रिक्शावाला- “क्या हुआ भाई बहुत परेशान लग रहे हो...” अचानक प्रवीण को एक आवाज सुनाई दी। प्रवीण ने
जैसे ही ऊपर की तरफ देखा तो रिक्शावाला था, जिसने प्रवीण को यूँ परेशान बैठा हुआ देखकर सवाल किया था।

प्रवीण- “क्या बताऊँ भाई मुझे इस लड़की की तलाश है। लेकिन लगातार 7 दिन तक इसे ढूँढ़ने के बाद भी मुझे इसका पता नहीं चला...” प्रवीण ने मायूसी से उस तस्वीर को रिक्शेवाले को दिखाते हुए कहा।

रिक्शावाला- “अरे भाई यह तो हमारे गाँव के ठाकुर की बहू है। लेकिन तुम इसे क्यों ढूंढ रहे हो?” रिक्शेवाले ने हैरान होते हुए कहा।

प्रवीण- “क्या? सच बताओ तुम इसे जानते हो?” प्रवीण ने खुश होते हुए कहा।

रिक्शावाला दुखी होते हुए- “हाँ भाई बेचारी की जिस दिन शादी हुई उसी दिन उसका पति मर गया...”

प्रवीण- “क्या तुम मुझे अपने गाँव तक छोड़ दोगे?” प्रवीण ने रिक्शेवाले की बात सुनकर खुश होते हुए कहा।

रिक्शावाला- “हाँ भाई क्यों नहीं? मगर यह तो बताओ तुम उसे कैसे जानते हो?” रिक्शेवाले ने अपने रिक्शा को
स्टार्ट करते हुए कहा।

प्रवीण- “क्या बताऊँ भाई किश्मत का खेल है...” प्रवीण ठंडी आह भरते हुए रिक्शा में बैठ गया और रास्ते में। शुरू से आखीर तक सारी बात उस रिक्शेवाले को बता दी।
 
रिक्शावाला- “भाई आपकी कहानी तो बड़ी दिलचस्प है मगर क्या यह बात ठाकुर की बहू मानेगी? और अगर उसने मान भी लिया तो ठाकर उसे तुम्हारे साथ कभी शादी करने नहीं देगा। मेरी तो सलाह है की चुपचाप निकल जाओ, बेकार में मारे जाओगे...” रिक्शेवाले ने प्रवीण की पूरी बात सुनकर उसे सलाह देते हुए कहा।

प्रवीण- “शुक्रिया भाई, शायद आप सही कह रहे हो। मगर मैं अब ऐसे वापस नहीं जा सकता...” प्रवीण ने रिक्शेवाले की बात सुनकर हँसते हुए कहा।

रिक्शावाला- “ठीक है भाई जैसे तुम्हारी मर्जी..” रिक्शेवाले ने प्रवीण की बात सुनकर उसकी तरफ देखते हुए कहा।




प्रवीण- “भाई बस एक मदद कर दो। मुझे इतना बता दो की मैं उस लड़की से अकेले में कब मिल सकता हूँ?” प्रवीण ने रिक्शेवाले से मदद माँगते हुए कहा।

रिक्शावाला- “भाई, वो डेली सुबह मंदिर जाती है। बस उसी वक़्त तुम उससे अकेले मिल सकते हो...” रिक्शेवाले
ने प्रवीण को बताते हुए कहा।

प्रवीण- “शुक्रिया भाई आप बहुत अच्छे इंसान हो...” प्रवीण ने रिक्शेवाले का शुक्रिया अदा करते हुए कहा।

रिक्शावाला- “अरे भाई इसमें शुक्रिया की क्या बात है? जो मुझे पता है वोही तो आपको बता रहा हूँ...” रिक्शेवालेने प्रवीण की बात सुनकर कहा- “भाई यह रहा गाँव लेकिन एक बात बताओ आप गाँव में रहोगे कहाँ?”

प्रवीण- “भाई अब तो बस मुझे सुबह का इंतेजार है। तब तक देखता हूँ कहीं ना कहीं रात बिता दूंगा...” प्रवीण ने हँसते हुए रिक्शा से उतरकर कहा और रिक्शेवाले को उसके किराए के पैसे देते हुए गाँव में अंदर जाने लगा।

प्रवीण गाँव में दाखिल होकर एक होटेल पर जाकर बैठ गया। उस वक़्त शाम का वक़्त था और होटेल पर बहुत ज्यादा भीड़ थी। ऐसे ही वहीं बैठे हुए कब रात हो गई। और प्रवीण खाना खाने के बाद होटेल से निकलकर । अपना ठिकाना ढूँढ़ने लगा। प्रवीण को गाँव में घूमते हुए एक ठिकाना मिल गया। वो वही खंडहर था जो इस गाँव में बिकलून खाली पड़ा हुआ था।

यहाँ पर दिन के वक़्त तो काफी लफंगे बैठे होते थे, मगर रात को यहाँ कभी कभार ही कोई आया करता था। प्रवीण ने अपने बैग से एक चादर निकालते हुए वहाँ पर बिछा दी, और अपने बैग पर सिर रखकर एक और चादर को अपने ऊपर ओढ़कर लेट गया। देर रात को अचानक किसी की आवाज से प्रवीण की नींद टूट गई। प्रवीण के ऊपर चादर थी इसलिए उसे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था, प्रवीण ने चादर को थोड़ा सा खींचकर अपनी एक आँख से हटा दिया और देखने लगा की आवाज कहाँ से आ रही है?

लड़की- “चलो यहाँ से। यहाँ पर कोई सोया हुआ है। अगर उसने हमें देख लिया तो पूरे गाँव में हमारी बदनामी हो। जायेगी.." एक लड़की जिसकी उमर तकरीबन 20 साल थी, जिसे एक लड़का वो भी इसी उमर का दिख रहा था उसे अपने आपसे दूर करते हुए कह रही थी।

लड़का- “यार यह कोई मवाली है, जो ज्यादा चढ़ जाने पर यहीं ढेर हो गया है। यह अभी नहीं उठेगा। तुम इरो मत...” वो लड़का लड़की को समझाते हुए उसे अपनी बाहों में भरते हुए बोला।

लड़की- “अगर उठ गया तो? नहीं मुझे डर लग रहा है...” लड़की ने इस बार लड़के को अपने आपसे दूर नहीं किया और ऐसे ही अपनी चिंता जताते हुए कहा।

लड़का- “यार तुम मुझपर भरोसा करो, यह नहीं उठेगा...” उस लड़के ने लड़की की कमीज के ऊपर से ही उसकी चूचियों को दबाते हुए कहा।


प्रवीण का लण्ड भी उन दोनों की हरकतों को देखकर उठने लगा था। चाँद पूरी तरह निकला हुआ था, जिस वजह से प्रवीण को सब कुछ सही तरीके से दिख रहा था।

लड़की- “आअह्ह्ह... तुम पर भरोसा नहीं होता तो शादी से पहले में यह सब थोड़ी करती..." वो लड़की लड़के का हाथ अपनी चूचियों पर पाते ही सिसकते हुए बोली।।

लड़के ने उस लड़की की बात सुनते ही अपने होंठों को उसके होंठों पर रख दिया और उसके होंठों को जोर से चूसने लगा। लड़के ने कुछ देर तक उस लड़की के होंठों को चूसने के बाद उसकी कमीज में हाथ डालते हुए उसके जिश्म से अलग कर दिया। लड़की ने भी अपनी बाहें ऊपर करते हुए अपनी कमीज उतारने में अपने प्रेमी की । मदद की। लड़के ने कमीज उतारने के बाद उस लड़की की ब्रा को उसकी चूचियों से नीचे सरका दिया। ब्रा के नीचे होते ही चाँद की रोशनी में उस लड़की की भूरी चूचियां चमकने लगीं।
 
उस लड़के ने लड़की की चूचियों को अपने हाथों से सहलाते हुए अपना मुँह खोलते हुए उस लड़की की भूरी चूची के काले तने हुए दाने को अपने मुँह में भर लिया, और बहुत जोर-जोर से चूसने लगा।

प्रवीण की हालत उन दोनों को देखकर खराब हो चुकी थी। उसका लण्ड पूरी तरह तनकर झटके खा रहा था।

लड़का उस लड़की की दोनों चूचियों को बारी-बारी चूसने लगा। लड़की भी गरम होकर सिसकते हुए अपने हाथों को उस लड़के के बालों में डालकर अपनी चूचियों पर दबा रही थी। लड़के ने कुछ देर तक ऐसे ही उस लड़की की चूचियों को चाटने के बाद नीचे होते हुए उस लड़की की सलवार को उतार दिया, और उसकी पैंटी में हाथ डालकर उसे भी उसके जिम से अलग कर दिया।‘

पैंटी के हटते ही लड़की की चूत जो बिल्कुल गोरी तो नहीं थी, मगर बिल्कुल काली भी नहीं थी, उस लड़के की आँखों के सामने आ गई। उस लड़की की चूत से उत्तेजना के मारे पानी टपक रहा था। लड़के ने अपने होंठ उस लड़की की चूत पर रख दिए, और उसकी चूत को ऊपर से नीचे तक चूमने लगा।

लड़की- “आहहह... क्या कर रहे हो आह्ह...” लड़की उस लड़के के होंठ अपनी चूत पर पड़ते ही जोर से सिसकने लगी, और अपने हाथों से उस लड़के के बालों को पकड़कर अपनी चूत पर दबाने लगी।

लड़का कुछ देर तक उस लड़की की चूत को चूसने के बाद उठते हुए अपने कपड़े उतारने लगा। लड़के ने जैसे ही अपने पूरे कपड़े उतारे, उसका लण्ड जो 8" इंच लंबा और 3 इंच मोटा था फनफनाते हुए ऊपर-नीचे उछलने लगा।

लड़की- “आअह्ह्ह... विकी तुम्हारे इसी लण्ड ने तो मुझे पागल बनाया है, कितना लंबा और मोटा है.” उस लड़की ने लड़के के कपड़े उतरते ही नीचे झुकते हुए उसके काले लण्ड को अपने हाथ में पकड़ते हुए कहा।

विकी- “आअह्ह्ह... डार्लिंग यह तो तुम्हारा ही है। तुम जी भरकर इससे प्यार करो..” उस लड़के ने अपने लण्ड पर उस लड़की के नरम हाथ पड़ने से सिसकते हुए कहा।

लड़की- “विकी तुम्हारा लण्ड दिखने में बहुत खौफनाक है मगर मुझे बहुत पसंद है...” लड़की ने अपने हाथ से उस लड़के के लण्ड को सहलाते हुए कहा और अपनी जीभ को निकालकर उस लड़के के लण्ड पर फिराने लगी। लड़की कुछ देर तक उस लड़के के लण्ड को अपनी जीभ से चाटने के बाद अपना मुँह खोलते हुए उसके लण्ड का सुपाड़ा अपने मुँह में भर लिया और उसे अपने जीभ और होंठों से चूसने लगी। लड़की का मुँह उस लड़के के लण्ड का । सुपाड़ा चाटते हुए बुरी तरह फैल चुका था। क्योंकी उसका लण्ड बहुत मोटा था।

विकी- “आअह्ह्ह... डार्लिंग ओह...” उस लड़के ने अचानक अपने हाथों से उस लड़की के सिर को पकड़ते हुए
अपने लण्ड पर दबा दिया।

लड़के के ऐसा करने से उसका लण्ड लड़की के मुँह में थोड़ा सा और अंदर चला गया। मगर उस लड़की की हालात खराब हो गई और उसके आखों से आँसू बहने लगे। लड़के ने जैसे ही देखा की लड़की की आँखों से आँसू बह रहे हैं, तो उसने जल्दी से अपने लण्ड को उसके मुँह से निकाल दिया।

वो लड़की लण्ड के निकलते ही खांसने लगी।

विकी- “सारी डार्लिंग मैं कुछ ज्यादा उत्तेजित हो गया था.” लड़के ने लड़की से माफी माँगते हुए कहा और उसे । नीचे उल्टा लेटा दिया। लड़के ने लड़की के उल्टा होते ही खुद भी नीचे झुकते हुए अपनी जीभ से उसकी चूत को चाटने लगा।

लड़की- “आअह्ह्ह... विकी अब डाल भी दो ना क्यों तड़पा रहे हो?” लड़की ने उत्तेजना के मारे सिसकते हुए कहा।

विकी- “हाँ डार्लिंग अभी करता हूँ, तुम्हारी चूत को थोड़ा गीला तो कर दें..” यह कहते हुए वो लड़का अपने मुँह
को उसकी चूत से हटाते हुए अपने लण्ड को उसकी चूत पर घिसने लगा।

..” लड़के के ऐसा करने से वो लड़की बहुत जोर से सिसक कर अपने चूतड़ों को हिला लड़की- “आह्ह्ह... इस्स्स्स रही थी।

लड़के ने अपने लण्ड को उस लड़की की चूत से निकालते हुए पानी से पूरा गीला करने के बाद उस लड़की की चूत के छेद पर टिका दिया। लड़के ने उस लड़की के चूतड़ों को पकड़ते हुए एक जोरदार धक्का मार दिया।

लड़के का आधा लण्ड उस लड़की की गीली चूत में समा गया जिस वजह से उसके मुँह से हल्की “आअह्ह्ह..” की सिसकी निकल गई। लड़का अपने आधे लण्ड से ही लड़की की चूत में जोर के धक्के मारने लगा और अचानक धक्के मारते हुए एक जोरदार धक्के के साथ अपना पूरा लण्ड उसकी चूत में घुसा दिया।

लड़की- “ओह्ह... विकी पूरा घुसा की नहीं? आअहह्ह..” लड़के का पूरा लण्ड घुसने से उस लड़की ने चीखते हुए उससे पूछा।
विकी अपने पूरे लण्ड से उस लड़की की चूत में धक्के लगाते हुए कहा- “हाँ डार्लिंग, पूरा चला गया.”


लड़की- “ओईई... विकी तुम्हारा लण्ड इतना बड़ा है की इतनी बार चुदवाने के बाद भी जब पूरा घुसता है तो जान ही निकल जाती है..." लड़की ने भी अब अपने चूतड़ों को पीछे की तरफ उछालते हुए सिसकार कर कहा।

विकी- “बड़ा और मोटा है, तभी तो तुम्हें ज्यादा मजा आता है...” लड़के ने वैसे ही उसकी चूत में अपना लण्ड
अंदर-बाहर करते हुए कहा।

लड़की- “आअह्ह... सही कहा डार्लिंग आह्ह्ह... जोर से करो मैं आने वाली हूँ..” अचानक लड़की का जिम अकड़ने लगा और वो बहुत जोर से सिसकते हुए झड़ने लगी।

लड़की झड़ने के बाद शांत हो गई। मगर विकी अब तक नहीं झड़ा था। इसलिए वो उसकी चूत में वैसे ही धनाधन धक्के मार रहा था। लड़की की चूत गीली होने के कारण अब उस लड़के का लण्ड अंदर-बाहर होते हुए पचपच की आवाजें आ रही थी। विकी अब उस लड़की को चोदते हुए अपनी एक उंगली से उसकी गाण्ड को भी। सहलाने लगा।

लड़की- “ओह्ह... क्या कर रहे हो?” विकी की इस हरकत से लड़की ने फिर से गरम होते हुए कहा।

विकी उसकी बात का कोई जवाब दिए बगैर वैसे ही उसे चोदते हुए अपनी उंगली से उसकी गाण्ड के छेद को कुरेदने लगा।
 
लड़की- “आअह्ह्ह... बदमाश वहाँ से हाथ हटाओ..” लड़की विकी की इस हरकत से बहुत ज्यादा उत्तेजित होते हुए काँपते हुए कह रही थी।

विकी ने अचानक अपने लण्ड से उस लड़की की चूत को चोदना बंद करते हुए अपनी उंगली को जोर देते हुए उसकी गाण्ड में आधा घुसा दिया।

लड़की उंगली को अपनी गाण्ड में घुसने से चिल्लाकर बोली- “ओईए... विकी निकालो वहाँ से दर्द हो रहा है...”

मगर विकी अपनी उंगली को वैसे ही उसकी चूत में घुसाए हुए अपने लण्ड से उसे चोदने लगा। थोड़ी ही देर में लड़की ने चिल्लाना बंद कर दिया और जोर-जोर से सिसकने लगी, क्योंकी उसे बहुत ज्यादा मजा आ रहा था। विकी अब अपने लण्ड को उसकी चूत में और अपनी उंगली को उसकी गाण्ड में अंदर-बाहर कर रहा था, और वो लड़की भी बहुत जोर-जोर से सिसकते हुए चुदवा रही थी।

उस लड़की को इतना ज्यादा मजा आ रहा था की वो दूसरी बार झड़ने के करीब पहुँच चुकी थी। अचानक उस लड़के ने अपनी उंगली को उसकी गाण्ड में पूरा घुसाकर उसकी चूत में जोर से धक्के मारते हुए अपना वीर्य उसकी चूत में गिराने लगा।

लड़की- “ओईई विकी आअह्ह... ओहह...” लड़की उंगली को अपनी गाण्ड में पूरा घुसने से चिल्लाई, मगर अगले ही पल अपनी चूत में इतने जोरदार धक्कों और उस लड़के के वीर्य से सिसकते हुए खुद भी झड़ने लगी। लड़का और लड़की कुछ देर तक शांत रहने के बाद उठकर वहाँ से चले गये।


प्रवीण की हालत बहुत खराब हो चुकी थी। मगर वो वहाँ पर कुछ गलत करना नहीं चाहता था। क्योंकी उसके पास नहाने के लिए कोई घर भी नहीं था, इसलिए वो अपने ऊपर कंट्रोल करते हुए फिर से सोने की कोशिश करने लगा। प्रवीण को कुछ देर में ही नींद आ गई। सुबह जब उसकी आँखें खुली तो सुबह हो चुकी थी। वो जल्दी से वहाँ से उठते हुए एक होटेल में आ गया और अपना हाथ मुँह धोकर चाय पीने लगा।


प्रवीण चाय पीने के बाद होटेल से उठते हुए मंदिर की तरफ बढ़ने लगा। उसका दिल अगले पल के बारे में सोचते हुए बहुत जोर-जोर से धड़क रहा था। प्रवीण मंदिर में आकर पूजा करने के बाद वहीं पर बैठकर धन्नो का इंतेजार करने लगा। कुछ ही देर बाद एक लड़की मंदिर में दाखिल हुई।

वो धन्नो थी जो सफेद साड़ी पहने हुई थी। धन्नो प्रवीण के पास से गुजर गई और पूजा करने लगी। धन्नो पूजा करने के बाद वापस जाने लगी, लेकिन उसका ध्यान प्रवीण की तरफ नहीं था।

प्रवीण- “धन्नो... प्रवीण ने धन्नो को जाता हुआ देखकर पुकारा।‘

धन्नो अपना नाम किसी के मुँह से सुनकर वहीं रुक गई, और प्रवीण की तरफ देखने लगी, कहा- “प्रवीण तुम यहाँ क्या कर रहे हो?” धन्नो ने पहली नजर में ही उसे पहचान लिया, क्योंकी रोज रात को उसके सपने में वही तो आता था।

प्रवीण- “धन्नो, मैं यहाँ पर तुम्हारे लिए आया हूँ.” प्रवीण ने धन्नो को देखते हुए कहा।

धन्नो- “क्या बक रहे हो? पिछली बातों को भूल जाओ, मेरी शादी हो चुकी है...” धन्नो ने प्रवीण की बात सुनकर गुस्सा होते हुए कहा।

प्रवीण- “धन्नो मैं जानता हूँ। मगर तुम मेरा प्यार हो, हम पिछले जनम के प्रेमी हैं। तुम्हें कोई सपना नहीं आता?” प्रवीण ने एक साथ ही ढेर सारे सवाल करते हुए कहा।

धन्नो- “नहीं मुझे कोई सपना नहीं आता...” धन्नो ने झूठ बोला और वहाँ से जाने लगी।

प्रवीण- “कहाँ जा रही हो, मेरी बात तो सुनो?” प्रवीण भी उसके पीछे जाने लगा।

धन्नो- “देखो प्रवीण मेरा पीछा मत करो, वरना यहाँ के लोग तुम्हें जिंदा नहीं छोड़ेंगे...” धन्नो ने प्रवीण को धमकी देते हुए कहा।।

प्रवीण- “धन्नो मैं किसी से नहीं डरता मुझे सिर्फ तुम्हारा साथ चाहिए...” प्रवीण ने धन्नो के बाजू को पकड़ते हुए कहा।

धन्नो- “छोड़ो मुझे... तुम मुझे नहीं पा सकते, बेकार में मौत को दावत मत दो...” धन्नो ने अपने बाजू को छुड़ाते हुए कहा।


प्रवीण- “धन्नो मेरी बात सुनो। हम पिछले जनम से एक दूसरे से प्यार करते हैं, और रोज रात को जो सपना आता है, वो भी उसी बात का सबूत है...” प्रवीण ने धन्नो को समझाते हुए कहा।

धन्नो- “मैं कुछ नहीं जानती तुम यहाँ से चले जाओ...” धन्नो ने यह कहा और मंदिर से निकलकर वापस अपनी हवेली की तरफ जाने लगी।

प्रवीण- “धन्नो मेरा यकीन करो, मैं तुम्हारे बगैर नहीं जी सकता...” प्रवीण भी पागलों की तरह उसके पीछे जाते हुए कह रहा था।

धन्नो- “प्रवीण सब देख रहे हैं, तुम यहाँ से चले जाओ...” धन्नो ने तेजी के साथ चलते हुए कहा।

प्रवीण धन्नो की बात सुनकर उसे फिर से अपने सच्चे होने का यकीन दिलाने लगा और उसके पीछे जाने लगा। धन्नो जानती थी की वो सच बोल रहा है मगर वो मजबूर थी। अगर वो उसका साथ देती तो दुनियां और ठाकुर के सामने वो रुसवा हो जाती, इसलिए वो चुपचाप आगे बढ़ रही थी।

प्रवीण भी पागलों की तरह धन्नो के पीछे जा रहा था। ठाकुर जो कितने टाइम बाद अपने फार्महाउस पर अपनी प्यास किसी औरत के साथ बुझा रहा था, उसे किसी ने जाकर बता दिया की उसकी बहू को कोई छेड़ रहा है।

ठाकुर- “किस कुत्ते की मौत आई है, जो हमारी बहू को हाथ लगाने की हिम्मत की? जाओ उस कुत्ते की हड्डी पसली एक कर दो.” ठाकुर ने गुस्सा करते हुए कहा।

ठाकुर की बात सुनकर वहाँ से 10-15 आदमी गाड़ी में उस तरफ जाने लगे, जहाँ पर प्रवीण और धन्नो थे। वो लोग जब वहाँ पहुँचे तो प्रवीण वैसे ही धन्नो के पीछे कुछ बोलते हुए जा रहा था।

ठाकुर के आदमी- “साले कौन हो तुम, बहुत चर्बी चढ़ गई है?” वो लोग गाड़ी रोककर बिना कुछ कहे प्रवीण को पकड़कर पीटने लगे।

धन्नो समझ गई की वो ठाकुर के आदमी है। वो लोग प्रवीण को बड़ी बेदर्दी से पीट रहे थे जिस वजह से उसके मुँह से खून निकला रहा था।

धन्नो- “बस बहुत हो गया छोड़ो इसको...” अचानक धन्नो ने चिल्लाते हुए कहा।

टाकुर के आदमी धन्नो की चीख सुनकर प्रवीण से दूर हो गये।

धन्नो- “तुम लोग जाओ यहाँ से...” धन्नो ने उन्हें आर्डर देते हुए कहा।
 
धन्नो- “प्रवीण मैंने कहा था ना की तुम यहाँ से चले जाओ। यह जालिम जमाना हमें कभी एक होने नहीं देगा...” उन लोगों के जाने के बाद धन्नो ने रोते हुए प्रवीण की तरफ देखते हुए कहा।।


प्रवीण- “जमाने की किसे परवाह है? तुमने मेरे प्यार को समझा वोही मेरे लिए काफी है...” प्रवीण ने धन्नो की बात सुनकर हँसते हुए कहा।

धन्नो ने प्रवीण को हँसता देखकर रोते हुए कहा- “तुम पागल हो क्या, इतनी मार खाने के बाद भी हँस रहे हो?”

प्रवीण- “हाँ पगली मैं तुम्हारे प्यार में पागल हूँ..” प्रवीण ने वैसे ही हँसते हुए कहा।

धन्नो- “ठीक है। मैं जा रही हूँ, तुम भी अब यहाँ से चले जाना...” धन्नो ने प्रवीण की आँखों में देखते हुए कहा।

प्रवीण- “मैं तो यहाँ से नहीं जाऊँगा बाकी मेरी लाश यहाँ से जा सकती है..” प्रवीण ने धन्नो की तरफ देखते हुए कहा।

धन्नो- “तुम सच में पागल हो, अपने साथ मुझे भी मरवाओगे...” धन्नो ने प्रवीण की बात सुनकर उसके साथ नीचे बैठते हुए कहा।

प्रवीण- “धन्नो हम पिछले जनम से एक नहीं हो पा रहे हैं। लेकिन मुझे यकीन है की हमारा प्यार अगले जनम में जरूर एक होगा.” प्रवीण ने धन्नो की आँखों में देखते हुए कहा।

ठाकुर- “क्या हुवा? कहाँ है वो कुता तुम उसे क्यों नहीं ले आए?” ठाकुर ने अपने साथियों के लौटने के बाद उन्हें खाली हाथ देखकर गुस्सा होते हुए कहा।।

ठाकुर साहब, हम उसे पीट ही रहे थे की छोटी ठकुराइन ने हमें रोक लिया, और वापस जाने के लिए कह दिया..” उनमें से एक शख्स ने हिम्मत करते हुए ठाकुर को सारी बात बताते हुए कहा।

ठाकुर- “क्या कहा, चलो मेरे साथ?” ठाकुर ने गुस्सा होकर बाहर निकलते हुए कहा। ठाकुर ने खुद कार में बैठकर अपने लोगों को अपने पीछे आने के लिए कहा। ठाकुर को मन ही मन में धन्नो पर बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा था की आखिर उसने ऐसा क्यों किया?

प्रवीण- “जान एक बार अपनी गोद में सोने दो ना...” प्रवीण ने धन्नो की तरफ देखते हुए कहा।

धन्नो- “प्रवीण आ जाओ मेरी गोद में, और आराम से सो जाओ...” प्रवीण के बात सुनकर धन्नो ने उसका सिर अपनी गोद में रखते हुए कहा।

प्रवीण- “जान मुझे तुम्हारी गोद में कितना सुकून आ रहा है...” प्रवीण ने धन्नो की गोद में सिर रखे हुए कहा।

धन्नो- “प्रवीण, बस यह सुकून कुछ ही देर के लिए है। यह जालिम जमाना हम दोनों प्रेमियों को नहीं समझेगा...” धन्नो ने वैसे ही रोते हुए कहा।

ठाकुर जैसे ही उस जगह पहुँचा, अपनी बहू की गोद में किसी गैर मर्द को सोता हुआ देखकर उसका खून खोल उठा और वो कार से उतरते हुए धन्नो को बाजू से पकड़ते हुए प्रवीण से अलग कर दिया, और उसे वैसे ही । खींचते हुए अपनी कार में बिठा दिया।

ठाकुर- “कुत्ते को हवेली ले आओ...” ठाकुर ने सिर्फ इतना कहा और कार से अपनी हवेली पहुँच गया।

ठाकुर- “छिनाल कमीनी... तुम्हें हमारी इज्जत का जरा भी खयाल नहीं आया, अपने उस यार से सरे आम प्यार करते हुए..” ठाकुर ने हवेली पहुँचकर धन्नो को कार से निकालते हुए हवेली के अंदर ले जाते हुए कहा।

धन्नो- “ठाकुरजी वो मेरा पिछले जनम का प्यार है, और मैंने उसके साथ कुछ गलत नहीं किया है...” धन्नो ने ठाकुर को समझाते हुए कहा।

ठाकुर- “साली छिनाल, जबान लड़ाती हो। अपने यार को अपना प्यार कहती हो। अपनी माँ की तरह तुम्हें ज्यादा ही गर्मी है...” ठाकुर ने एक जोरदार थप्पड़ धन्नो के गाल पर मारते हुए कहा।

धन्नो- “नहीं ठाकुरजी, हमारा प्यार गंगा की तरह पवित्र है इसे गाली मत दो...” धन्नो थप्पड़ के लगते ही सोफे पर गिरकर रोते हुए ठाकुर से कहने लगी।

ठाकुर के आदमी प्रवीण को रस्सियों से बाँधे हुए अंदर दाखिल हुए और उसे ठाकुर के सामने जमीन पर फेंक दिया।

धन्नो- “प्रवीण क्या हुआ तुम्हें? आप लोग इतने जालिम कैसे हो सकते हो? इसे इतना क्यों मार रहे हो, यह बेकसूर है?” धन्नों ने प्रवीण को जमीन पर आँखें बंद किए देखकर रोते हुए कहा।
 
ठाकुर के लोग प्रवीण को सारे रास्ते मारते हुए आए थे जिस वजह से वो बेहोश हो गया था।

ठाकुर- “साली रंडी... तुम्हें मैं आज वो सजा दूंगा की आज के बाद ठाकुर खानदान की कोई भी बहू अपने यार बनाने के नाम से काँप जाएगी...” ठाकुर ने धन्नो को बालों से पकड़ते हुए नीचे जमीन पर फेंक दिया।

धन्नो- “ज्यादा से ज्यादा मुझे मारोगे ही ना? मैं मौत से नहीं डरती। मगर इस बेगुनाह का क्या कसूर है? आप इसे छोड़ दो...” धन्नो ने नीचे गिरते ही ठाकुर की तरफ देखते हुए कहा।

ठाकुर- “साली कुतिया तुम क्या सोच रही हो की तुम्हें मैं ऐसे ही मार दूंगा...” ठाकुर ने गुस्से से धन्नो की तरफ देखते हुए कहा- “क्या देख रहे हो? रंडी के सारे कपड़े फाड़ दो। इससे अपनी गर्मी संभाली नहीं जाती। तुम सब लोग मेरे सामने इसकी गर्मी को ठंडा करोगे...” ठाकुर ने गुस्से से चिल्लाते हुए अपने लोगों से कहा।

धन्नो- “नहीं ठाकुर, मैं आपकी बेटी जैसी हूँ। मुझपर यह जुल्म मत करो। भगवान जानता है की मेरा और प्रवीण
का प्यार बिल्कुल सच्चा है...” धन्नो ने ठाकुर की बात सुनकर जोर से रोते हुए कहा।।

ठाकुर- “क्या देख रहे हो कुतों, सुना नहीं क्या कहा मैंने?” ठाकुर ने गुस्से से अपने लोगों को देखकर कहा।

ठाकुर के लोग ठाकुर का गुस्सा देखकर उसका हुक्म मानते हुए धन्नो की तरफ बढ़ने लगे।

धन्नो- “नहीं रुक जाओ वरना मैं तुम पर गोली चला देंगी..." धन्नो ने इतने लोगों को अपने ऊपर हमला करते हुए देखकर वहाँ से उठकर दीवार पर टंगी हुई बंदूक को उठाकर उन्हें धमकी देते हुए कहा।

ठाकुर- “कुछ नहीं करेगी यह, इसे बंदूक चलाना नहीं आता...” ठाकुर ने अपने लोगों को डरा हुआ देखकर कहा।

धन्नो- “रुक जाओ...” कहकर धन्नो ने एक गोली हवा में चला दी, जिसे सुनकर सभी लोग पीछे हट गये।

प्रवीण गोली की आवाज सुनकर होश में आने लगा।

धन्नो- “इसे रस्सियों से आजाद करो...” धन्नो ने उन लोगों की तरफ देखते हुए कहा।

धन्नो की बात सुनकर उन लोगों में से एक प्रवीण की रस्सियों को खोलने लगा। धन्नो अपनी बंदूक को उन लोगों पर ताने हुए खड़ी थी, और उसका खयाल ठाकुर की तरफ नहीं था।

ठाकुर धीर-धीरे चलता हुआ धन्नो पर झपट पड़ा और उससे बंदूक छीनने लगा। इसी खींचा तानी में बंदूक से एक गोली चली और अगले पल ही धन्नो जमीन पर गिर गई। गोली धन्नो के सीने में लगी थी।

प्रवीण की रस्सियां खुल चुकी थीं। उसने जैसे ही देखा की धन्नो को गोली लगी है वो चीते की फुर्ती के साथ ठाकुर पर झपटकर उससे बंदूक छीनते हुए उसके सीने में गोली को उतार दिया। यह सब इतनी तेजी के साथ हुआ था की ठाकुर के लोग सिर्फ देखते ही रह गए। ठाकुर जैसे ही जमीन पर गिरा एक और गोली की आवाज आई। और प्रवीण भी जमीन पर गिर पड़ा।

वह गोली पोलिस इनस्पेक्टर ने चलाई थी, जो किसी गाँव वाले के बताने पर वहाँ पहुँच गया था। प्रवीण गोली लगने से सीधा धन्नो के ऊपर गिर गया और वो अपनी महबूबा की बाहों में ही सुकून की नींद सोने लगा। पोलिस तीनों लाशों को पोस्टमार्टम के लिए ले गई। सारे गाँव में खौफ छा गया था की एक ही दिन में कैसे तीन मौतें हो गई? सभी तरह-तरह की बातें कर रहे थे।

मनीष को भी पता लग गया था की उसके बाप की मौत हो गई है और दूसरे सभी लोग भी गाँव पहुँच चुके थे। सभी का अंतिम संस्कार कर दिया गया। वो रिक्शावाला जिसने प्रवीण को गाँव छोड़ा था उसने मनीष से मिलकर उसे सब कुछ बता दिया था। मनीष अपनी सारी जमीनें बेचकर विदेश में सेटल हो गया और कुछ ही दिनों के बाद सभी हँसी खुशी रहने लगे।

धन्नो और प्रवीण को मरे हुए एक साल बीत गया था।


करुणा और बिंदिया दोनों प्रेगनेंट थी और वो दोनों एक इंडिया में दूसरी विदेश में अपने बच्चे को जनने का दर्द सह रही थीं। करुणा ने एक खूबसूरत बच्ची को जनम दिया जिसका नाम धन्नो रख दिया गया, और बिंदिया ने एक लड़के को जनम दिया जिसका नाम प्रवीण रखा गया।
उधर सोनाली भी अपने पति आकाश के साथ खुशी-खुशी जिंदगी बसर करने लगी। मोहित ने भी रिया से शादी कर ली थी, और वो भी हँसी खुशी रह रहे थे।

** समाप्त
 
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