hotaks444
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जैसे इंडिया गेट फाड़ के अंदर घुश आए हो.मैं दर्द से बिलबिला रही थी लेकिन अब्दुल ख़ान पर कोई असर नही….वो मेरी कोमल कोमल चूचियों को बेरहमी से मसल्ते जा रहे थे…चूचियों को मसलवा कर थोड़ी मस्त तो हुई लेकिन अगले ही पल ऐसा शॉट मारे मेरी चूत पर कि अब्दुल ख़ान का पूरा का पूरा लंड आपकी सीता की चूत के अंदर…मेरी चूत मे पानी भर आया था …मेरे रोने की आवाज़ सुनकर पतिदेव बेड के नीचे दुबक गये थे….अब्दुल ख़ान ने अपना लंड मेरी चूत से बाहर खिचा और रिंग पर दो तीन बार रगड़ के फिर से मेरी चूत मे घुसा दिया…इस बार एक ही बार मे वो अपना पूरा लंड चूत की जड़ तक पहुचा दिए….उनका बंपिलाट लंड मेरी चूत मे शान से चहलकदमी कर रहा था जैसे ताज़ होटेल मे घूम रहे हो…..अब तो अब्दुल ख़ान अपना लंड चूत के मुहाने तक खिचते और ऐसा धक्का मारते की लंड सीधे बच्चेदानी से टकराता…..मेरे मूह से हाई हाई निकल्ने लगी थी….अब्दुल ख़ान रुके तो मैने उनको नीचे करते हुए लंड पकड़ा और अपनी चूत मे घुस्सा लिया……उईईईईई मम्मी,अब्दुल ख़ान पूरे कसाई थे…….मैने अपने बालो को एक हाथ से पकड़ के जुड़ा बना लिया और दूसरे हाथ को होठों के बीच दबाकर चुदाने लगी………अब्दुल ख़ान नीचे से जोरदार ठप पे ठप दिए जा रहे थे और मेरे चीखने की आवाज़ पूरे कमरे मे गूँज रही थी,मेरे नामार्द पतिदेव हाथ मे नूनी लिए हुए मेरी चीख सुनते रहे और फिर हाथ मे ही झाड़ गये…..मैं बहुत थक गयी थी चुद्ते चुद्ते,धक्को का जवाब नही देती तो अब्दुल ख़ान मेरे चूतडो पर थप्पड़ लगा देते और फिर मजबूरी मे मेरी कमर चलने लगती.अचानक अब्दुल ख़ान ने मुझे नीचे लेटा कर सुपर फास्ट एक्सप्रेस बना दिया,मुझे अब बर्दास्त नही हो रहा था,सो मैं दौड़ के कमरे से बाहर भागी….अब्दुल ख़ान भी पीछे लपक लिए…..बाहर मेरा भाई बबलू खड़ा था,शायद मेरी चीख सुनकर दौड़ता आया था…देखते ही उसने अब्दुल ख़ान को रोकने की कोशिश की लेकिन अब्दुल ने उसे एक थप्पड़ मारा तो ज़मीन चाटने लगा.ख़ान ने हंसते हुए कहा,बबलू,”तेरी सीता दीदी की चूत बहूत मस्तानी है,लेकिन चूत बहुत टाइट है….इसलिए मेरा लंड बर्दास्त नही कर पा रही.चुदने से तो तू आज अपनी सीता दीदी को बचा नही सकता…हां,थोड़ा तेल लाएगा तो सीता डार्लिंग को चुदने मे दर्द नही होगा”