hotaks444
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रात भर ,... फुहार
और तभी आँगन में पानी की पहली बूँद पड़ी ,लेकिन हम तीनों में से कोई हटने वाला नहीं था।
एक ,.. दो ,... तीन,... चार ,.... सावन की बूंदे ,
आसमान बादलों से भर गया था ,और माँ ने गुलबिया को बोला ,चल अब भौजाई का नम्बर
और गुलबिया मेरे मुंह के ऊपर थी ,मैंने खुद मुंह खोल दिया। लेकिन अबकी माँ ने गुलबिया के ही ब्लाउज से मेरी कोमल कोमल कलाई कस के बांध दी थी और खुद मेरी कमर के पास बैठ गयी थी।
थोड़ी देर तक गुलबिया ने खेल तमाशा किया ,तड़पाया फिर बोली ,
" बहुत भूखी होगी मेरी ननदिया न। "
अब मैं इतनी नासमझ नहीं थी मैंने मुंह तुरंत बंद करने की कोशिश की पर गुलबिया के आगे , मेरे नथुने उसने बंद कर दिया , बोली
चल गांड चाट ,अभी मेरे सामने इतनी मस्ती से चाट रही थी ,
मैं चाटना शुरू कर दिया।
लेकिन ,...
आसमान एकदम काला हो गया।
रॉकी ,माँ ,पेड़ की बस छाया दिख रही थी।
बारिश बहुत तेज हो गयी थी।
भाभी की माँ ने एक साथ मेरे निपल और क्लीट नोच लिए ,
मैं जोर से चीखी मेरा मुंह पूरा खुल गया ,
और ,
और ,...
और ,....
और ,...
और ,....
तेज तूफ़ान आ गया था। बिजली चमक रही थी ,बादल गरज रहे थे।
गुलबिया ने ,...
फिर तो वो सब हुआ जो न कहने लायक ,न लिखने लायक।
एकदम गर्हित ,किंकी ,..
पूरी रात ,गुलबिया ,... मां
खूब भोगी गयी मैं ,चार चार बार उन दोनों को झाड़ा मैंने और उन दोनों ने ,
लेकिन ,...
लेकिन न तो एक बूँद मैं रात में सोई न एक बार झड़ी।
न मैं न रॉकी , उन दोनों ने ही नहीं छोड़ा मुझे।
फिर जब रात अभी ख़तम नहीं हुयी थी ,एक आध पहर बाकी होगी। बारिश करीब बंद हो गयी थी , माँ ने दे दिया गुलबिया को इनाम ,
सुन अभी ले जा न इसको अपने टोले में ,ज़रा वहां का भी तो मजा ले ले। मैं सोने जा रही हूँ। भोर होने पर सारा गाँव देखेगा उसके पहले
बस मैंने और गुलबिया ने खाली साडी टांग ली अपने देह के ऊपर ,जब मैं गुलबिया के साथ निकल रही थी ,
आसमान की स्याही हलकी पड रही थी।
भरौटी पहुंचते पहुँचते ,आसमान में हलकी सी लाली दिख रही थी। हम दोनों सीधे गुलबिया के घर में घुस गए।
उसका मरद अपने काम के लिए निकल गया था ,सिर्फ हमी दोनों थे।
मैं बिस्तर पर कटे पेड़ की तरह गिर गयी।
लेकिन आधे घंटे भी नहीं सोई होउंगी की गुलबिया ने जगा दिया ,...आसमान में सूरज अभी बिंदी लगा रहा था।
और तभी आँगन में पानी की पहली बूँद पड़ी ,लेकिन हम तीनों में से कोई हटने वाला नहीं था।
एक ,.. दो ,... तीन,... चार ,.... सावन की बूंदे ,
आसमान बादलों से भर गया था ,और माँ ने गुलबिया को बोला ,चल अब भौजाई का नम्बर
और गुलबिया मेरे मुंह के ऊपर थी ,मैंने खुद मुंह खोल दिया। लेकिन अबकी माँ ने गुलबिया के ही ब्लाउज से मेरी कोमल कोमल कलाई कस के बांध दी थी और खुद मेरी कमर के पास बैठ गयी थी।
थोड़ी देर तक गुलबिया ने खेल तमाशा किया ,तड़पाया फिर बोली ,
" बहुत भूखी होगी मेरी ननदिया न। "
अब मैं इतनी नासमझ नहीं थी मैंने मुंह तुरंत बंद करने की कोशिश की पर गुलबिया के आगे , मेरे नथुने उसने बंद कर दिया , बोली
चल गांड चाट ,अभी मेरे सामने इतनी मस्ती से चाट रही थी ,
मैं चाटना शुरू कर दिया।
लेकिन ,...
आसमान एकदम काला हो गया।
रॉकी ,माँ ,पेड़ की बस छाया दिख रही थी।
बारिश बहुत तेज हो गयी थी।
भाभी की माँ ने एक साथ मेरे निपल और क्लीट नोच लिए ,
मैं जोर से चीखी मेरा मुंह पूरा खुल गया ,
और ,
और ,...
और ,....
और ,...
और ,....
तेज तूफ़ान आ गया था। बिजली चमक रही थी ,बादल गरज रहे थे।
गुलबिया ने ,...
फिर तो वो सब हुआ जो न कहने लायक ,न लिखने लायक।
एकदम गर्हित ,किंकी ,..
पूरी रात ,गुलबिया ,... मां
खूब भोगी गयी मैं ,चार चार बार उन दोनों को झाड़ा मैंने और उन दोनों ने ,
लेकिन ,...
लेकिन न तो एक बूँद मैं रात में सोई न एक बार झड़ी।
न मैं न रॉकी , उन दोनों ने ही नहीं छोड़ा मुझे।
फिर जब रात अभी ख़तम नहीं हुयी थी ,एक आध पहर बाकी होगी। बारिश करीब बंद हो गयी थी , माँ ने दे दिया गुलबिया को इनाम ,
सुन अभी ले जा न इसको अपने टोले में ,ज़रा वहां का भी तो मजा ले ले। मैं सोने जा रही हूँ। भोर होने पर सारा गाँव देखेगा उसके पहले
बस मैंने और गुलबिया ने खाली साडी टांग ली अपने देह के ऊपर ,जब मैं गुलबिया के साथ निकल रही थी ,
आसमान की स्याही हलकी पड रही थी।
भरौटी पहुंचते पहुँचते ,आसमान में हलकी सी लाली दिख रही थी। हम दोनों सीधे गुलबिया के घर में घुस गए।
उसका मरद अपने काम के लिए निकल गया था ,सिर्फ हमी दोनों थे।
मैं बिस्तर पर कटे पेड़ की तरह गिर गयी।
लेकिन आधे घंटे भी नहीं सोई होउंगी की गुलबिया ने जगा दिया ,...आसमान में सूरज अभी बिंदी लगा रहा था।