hotaks444
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तभी मेने न साँस लेने के लिए चुम्बन तोड़ दिया और बोली ,
"राज अगर तुम्हें सही नहीं लग रहा है तो अभी भी रुक सकते हो । मैं नहीं चाहती कि बाद में तुम कुछ और फील करो । मुझे तो अच्छा लग रहा है पर मैं चाहती हूँ कि तुम फिर से सोच लो ।"
राज ने मेरी आँखों में देखा फिर बोला ,
" देखो मॉम तुम जितना मुझे चाहती हो , मैं भी तुम्हें उतना ही चाहता हूँ । सिर्फ निर्णय न ले पाने से उलझन थी , झिझक थी । जो अब दूर हो चुकी है ।अब तुम मेरी गर्लफ्रेंड हो और मैं तुम्हारा बॉयफ्रेंड ।"फिर उसने अपने लंड को मेरी चूत के छेद पर लगा दिया और थोड़ा अंदर धकेल दिया ।
मेने दोनों हाथों से राज के चूतड़ों को पकड़ा और धीरे धीरे अपनी तरफ खींचने लगी। राज का पूरा लंड मेरी पूरी तरह से गीली हो चुकी चूत में घुसता चला गया ।
"अहह ........ राज बहुत अच्छा लग रहा है " मदहोशी में आँखे बंद करके सिसकारी लेते हुए मै बोली ।
राज के मोटे लंड से मेरे को अपनी टाइट चूत में कुछ दर्द सा भी महसूस हो रहा था लेकिन दर्द के साथ साथ बहुत कामसुख भी मिल रहा था । मेरे चेहरे के भाव देखकर राज ने मुझसे पूछा " मॉम तुम्हें कुछ परेशानी , दर्द तो नहीं हो रहा ? " में ने एक पल के लिए आँखे खोली , राज को देखा , हल्का मुस्कुरायी , " नहीं राज , मुझे कोई दर्द नहीं हो रहा । तुम करते रहो ।"
राज ने सुपाड़ा छोड़कर बाकी लंड बाहर निकाल लिया । फिर मेरे चूतड़ों को दोनों हाथ से पकड़कर उसे अपनी तरफ खींच कर , अचानक एक झटके में पूरा लंड अंदर धांस दिया । मेरी तेज चीख निकल गयी । फिर राज चूत में थपाथप धक्के लगाने लगा । धक्के लगाते हुए ही अपने एक हाथ से मेरी हिलती हुई बड़ी बड़ी चूचियों को पकड़कर उन्हें मसलने लगा । कुछ देर बाद अपने मुंह को मेरी क चूचियों पर रखकर उन्हें चूसने लगा ।
राज के अपनी चूत पर पड़ते धक्कों से मेरी सिसकारियां बढ़ती चली गयीं । दर्द और उत्तेजना से मेने राज के कन्धों पर अपने नाख़ून गड़ा दिये और अपनी टांगों को उसकी कमर के चारों ओर लपेट लिया । कुछ देर बाद मेरा बदन अकड़ गया ओर उसको एक जबरदस्त ओर्गास्म की लहरें आयीं । राज भी ज्यादा देर नहीं रुक पाया और उसने अपनी माँ यानी मेरी चूत को अपने वीर्य से भर दिया । फिर कुछ समय तक हम दोनों एक दूसरे को आलिंगन में जकड़े रहे । दोनों ही एक दूसरे से अलग होना नहीं चाह रहे थे ।
फिर कुछ समय तक दोनों एक दूसरे को आलिंगन में जकड़े रहे । दोनों ही एक दूसरे से अलग होना नहीं चाह रहे थे ।
"राज अगर तुम्हें सही नहीं लग रहा है तो अभी भी रुक सकते हो । मैं नहीं चाहती कि बाद में तुम कुछ और फील करो । मुझे तो अच्छा लग रहा है पर मैं चाहती हूँ कि तुम फिर से सोच लो ।"
राज ने मेरी आँखों में देखा फिर बोला ,
" देखो मॉम तुम जितना मुझे चाहती हो , मैं भी तुम्हें उतना ही चाहता हूँ । सिर्फ निर्णय न ले पाने से उलझन थी , झिझक थी । जो अब दूर हो चुकी है ।अब तुम मेरी गर्लफ्रेंड हो और मैं तुम्हारा बॉयफ्रेंड ।"फिर उसने अपने लंड को मेरी चूत के छेद पर लगा दिया और थोड़ा अंदर धकेल दिया ।
मेने दोनों हाथों से राज के चूतड़ों को पकड़ा और धीरे धीरे अपनी तरफ खींचने लगी। राज का पूरा लंड मेरी पूरी तरह से गीली हो चुकी चूत में घुसता चला गया ।
"अहह ........ राज बहुत अच्छा लग रहा है " मदहोशी में आँखे बंद करके सिसकारी लेते हुए मै बोली ।
राज के मोटे लंड से मेरे को अपनी टाइट चूत में कुछ दर्द सा भी महसूस हो रहा था लेकिन दर्द के साथ साथ बहुत कामसुख भी मिल रहा था । मेरे चेहरे के भाव देखकर राज ने मुझसे पूछा " मॉम तुम्हें कुछ परेशानी , दर्द तो नहीं हो रहा ? " में ने एक पल के लिए आँखे खोली , राज को देखा , हल्का मुस्कुरायी , " नहीं राज , मुझे कोई दर्द नहीं हो रहा । तुम करते रहो ।"
राज ने सुपाड़ा छोड़कर बाकी लंड बाहर निकाल लिया । फिर मेरे चूतड़ों को दोनों हाथ से पकड़कर उसे अपनी तरफ खींच कर , अचानक एक झटके में पूरा लंड अंदर धांस दिया । मेरी तेज चीख निकल गयी । फिर राज चूत में थपाथप धक्के लगाने लगा । धक्के लगाते हुए ही अपने एक हाथ से मेरी हिलती हुई बड़ी बड़ी चूचियों को पकड़कर उन्हें मसलने लगा । कुछ देर बाद अपने मुंह को मेरी क चूचियों पर रखकर उन्हें चूसने लगा ।
राज के अपनी चूत पर पड़ते धक्कों से मेरी सिसकारियां बढ़ती चली गयीं । दर्द और उत्तेजना से मेने राज के कन्धों पर अपने नाख़ून गड़ा दिये और अपनी टांगों को उसकी कमर के चारों ओर लपेट लिया । कुछ देर बाद मेरा बदन अकड़ गया ओर उसको एक जबरदस्त ओर्गास्म की लहरें आयीं । राज भी ज्यादा देर नहीं रुक पाया और उसने अपनी माँ यानी मेरी चूत को अपने वीर्य से भर दिया । फिर कुछ समय तक हम दोनों एक दूसरे को आलिंगन में जकड़े रहे । दोनों ही एक दूसरे से अलग होना नहीं चाह रहे थे ।
फिर कुछ समय तक दोनों एक दूसरे को आलिंगन में जकड़े रहे । दोनों ही एक दूसरे से अलग होना नहीं चाह रहे थे ।