hotaks444
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विजय- “हाँ... मेरी राधा रानी मैं तेरा दीवाना हूँ, तेरी चूत का रसिया हूँ। जब से तू यहाँ आई है तब से मैं तुझ पर फिदा हूँ। सोते जागते मैं हरदम तेरी मस्तानी चूत का ही ख्वाब देखा करता था। अब जब मेरे सामने तेरी यह चूत नंगी पड़ी है तो मैं इसे मनचाहे ढंग से चोदूंगा, तुझे तड़पा-तड़पा के तेरी जवानी को भोगूंगा...” यह कहकर मैंने माँ को लिटा दिया और माँ की गाण्ड के नीचे एक बड़ा सा तकिया लगा दिया ताकी चूत उभर जाये।
माँ- “हाँ... मेरे वीजू प्यारे अपने इस मातृ अंग का, अपनी इस जन्मस्थली का खुलकर उपभोग करो। अपने विशाल लिंग से मेरी योनि का भेदन करो। हाँ मेरे स्वामी अपनी इस प्यासी चरणों की दासी को अपना वीर्य दान दो, मेरी वर्षों से सूखी पड़ी इस बावड़ी में अपने रस का नाला बहा दो और इसे लबालब भर दो...”
विजय- “हाँ... मेरी रानी, मैं तेरी टाँगों के बीच तेरी लेने आ रहा हूँ..” कहकर मैं माँ की टाँगों के बीच आ गया और माँ की चूत के छेद पर अपने लण्ड का सुपाड़ा रख दिया।
माँ की चूत पूरी लसलसी थी। थोड़ा सा जोर लगते ही सुपाड़ा ‘पच्च' करके अंदर फिसल गया। अब मैं माँ के ऊपर पूरा झुक गया और माँ को होंठों को अपने होंठों में ले लिया। 4-5 बार केवल सुपाड़ा अंदर डालता और पूरा बाहर निकल लेता। इसके बाद सुपाड़ा अंदर डालने के बाद मैंने लण्ड का दबाव माँ की चूत में बढ़ाया। मैं दबाव बहुत धीरे-धीरे दे रहा था। अगले 2-3 मिनट में मेरा आधा लण्ड माँ की चूत में समा चुका था। उधर माँ के होंठ मेरे होंठों में थे। नीचे माँ कसमसा रही थी। अब मैं माँ की चूत में आधा के करीब लण्ड डालता और वापस निकाल लेता। कई बार ऐसा करने से चूत अंदर से अच्छी तरह से गीली हो गई। इसके बाद आधा लण्ड डालने के बाद मैंने चूत में दबाव बनाए रखा और मेरा लण्ड चूत में धीरे-धीरे सरकने लगा। माँ का शरीर नीचे अकड़ रहा था। अब माँ के होंठ छोड़कर मेरे हाथ माँ की चूचियों को गूंध रहे थे।
राधा- “तूने तो अपने हलब्बी लण्ड से आज मुझे 18 साल की कुंवारी कन्या बना दिया है। इतना मजा तो मैं जब जिंदगी में पहली बार चुदी थी तब भी नहीं आया था। तुम्हारा यह मोटा सोंटा तो मेरी चूत में पूरा अड़स गया है। अपनी माँ की चूत में धीरे-धीरे पेलो और आहिस्ते आहिस्ते मेरा पूरा मजा लो...”
विजय- “हाँ... मेरी राधा प्यारी देखो कितने आराम से तुझे चोद रहा हूँ। मैं तेरा बहुत शुक्रगुजार हूँ की तूने इतने साल से मेरे लिए अपनी यह मस्त चूत बचा के रखी। जितना मजा मुझे तेरे साथ आ रहा है उतना मजा मुझे। कोई लड़की दे ही नहीं सकती थी। अब मैं बिल्कुल शादी नहीं करूंगा। अब से तू ही मेरी बीवी है, मेरी घरवाली है। दुनियां की नजरों में तू भले ही मेरी माँ बने रहना, उससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। पर जब भी मौका मिले यूँ ही मस्त होकर चुदाते रहना...”
माँ- “हाँ... मेरे वीजू प्यारे अपने इस मातृ अंग का, अपनी इस जन्मस्थली का खुलकर उपभोग करो। अपने विशाल लिंग से मेरी योनि का भेदन करो। हाँ मेरे स्वामी अपनी इस प्यासी चरणों की दासी को अपना वीर्य दान दो, मेरी वर्षों से सूखी पड़ी इस बावड़ी में अपने रस का नाला बहा दो और इसे लबालब भर दो...”
विजय- “हाँ... मेरी रानी, मैं तेरी टाँगों के बीच तेरी लेने आ रहा हूँ..” कहकर मैं माँ की टाँगों के बीच आ गया और माँ की चूत के छेद पर अपने लण्ड का सुपाड़ा रख दिया।
माँ की चूत पूरी लसलसी थी। थोड़ा सा जोर लगते ही सुपाड़ा ‘पच्च' करके अंदर फिसल गया। अब मैं माँ के ऊपर पूरा झुक गया और माँ को होंठों को अपने होंठों में ले लिया। 4-5 बार केवल सुपाड़ा अंदर डालता और पूरा बाहर निकल लेता। इसके बाद सुपाड़ा अंदर डालने के बाद मैंने लण्ड का दबाव माँ की चूत में बढ़ाया। मैं दबाव बहुत धीरे-धीरे दे रहा था। अगले 2-3 मिनट में मेरा आधा लण्ड माँ की चूत में समा चुका था। उधर माँ के होंठ मेरे होंठों में थे। नीचे माँ कसमसा रही थी। अब मैं माँ की चूत में आधा के करीब लण्ड डालता और वापस निकाल लेता। कई बार ऐसा करने से चूत अंदर से अच्छी तरह से गीली हो गई। इसके बाद आधा लण्ड डालने के बाद मैंने चूत में दबाव बनाए रखा और मेरा लण्ड चूत में धीरे-धीरे सरकने लगा। माँ का शरीर नीचे अकड़ रहा था। अब माँ के होंठ छोड़कर मेरे हाथ माँ की चूचियों को गूंध रहे थे।
राधा- “तूने तो अपने हलब्बी लण्ड से आज मुझे 18 साल की कुंवारी कन्या बना दिया है। इतना मजा तो मैं जब जिंदगी में पहली बार चुदी थी तब भी नहीं आया था। तुम्हारा यह मोटा सोंटा तो मेरी चूत में पूरा अड़स गया है। अपनी माँ की चूत में धीरे-धीरे पेलो और आहिस्ते आहिस्ते मेरा पूरा मजा लो...”
विजय- “हाँ... मेरी राधा प्यारी देखो कितने आराम से तुझे चोद रहा हूँ। मैं तेरा बहुत शुक्रगुजार हूँ की तूने इतने साल से मेरे लिए अपनी यह मस्त चूत बचा के रखी। जितना मजा मुझे तेरे साथ आ रहा है उतना मजा मुझे। कोई लड़की दे ही नहीं सकती थी। अब मैं बिल्कुल शादी नहीं करूंगा। अब से तू ही मेरी बीवी है, मेरी घरवाली है। दुनियां की नजरों में तू भले ही मेरी माँ बने रहना, उससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। पर जब भी मौका मिले यूँ ही मस्त होकर चुदाते रहना...”