Maa Sex Kahani माँ का मायका - Page 2 - SexBaba
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Maa Sex Kahani माँ का मायका

Season ३
◆ माँ का मायका◆
(incest,group, suspens)
(Episode-1)

मुझे वैसे योजना बनाने की जरूरत नही थी।बस जो हाथ लगा है उसे सही से संभाल के इस्तेमाल में लाना था।मैं इसी सोच विचार में बाल्कनी में बैठा था।तो छोटी मामी और मा कांता के घर में घुसे।मैं झटका लगा वैसे खड़ा हुआ।

सोचने लगा की कांता का भाई तो नही आ गया।साली ने गद्दारी की क्या?अरे यार सारा बना बनाया खेल बिगड़ जाएगा।पर आधे घण्टे में नाक फुलाये मा और छोटी मामी बाहर आ गए।

सुबह के 11 बजे थे।कांता मेरे रूम में साफ सफाई के लिए आई।

मैं:आज बहोत देर कर दी आने में।

कांता:वो बाहर थोड़ा काम था।देर हो गयी।

मैं: सच में बाहर काम था या कुछ और?कुछ छुपा तो नही रही हो।

कांता:नही नही मैं भला क्या छुपाउंगी।

मैं:तुम भूलो मत की तेरा घर मेरे बाल्कनी के ठीक सामने है।मेरे से दुश्मनी भारी पड़ेगी।

(कांता को अहसास हुआ की मुझे मालूम हो चुका है की छोटी मामी और मा को उसके घर में मैंने आते जाते देखा है।)

कांता सोच में पड़ी थी तो मैंने उसकी सोच में भंग डालते हुए टोका।

मैं:क्या सोच रही है।मुझसे कोई बात छुपाना तुम लोगो के बस की बात नही।अब तू बता रही है की मैं तेरे से बात निकलवावु।

(मैं उसकी तरफ बढ़ा तेजी से।जैसे ही उसके गर्दन में घेरा डाला।)

कांता: रुको रुको बताती हु।प्लीज छोड़ दो।दर्द हो रहा है।

मैं:चल रंडी बकना चालू कर।

कांता:मेरे भाई के आने के बारे में पूछ रही थी।की फिरसे कब आएगा।

मैं:तो क्या कहा तूने।

कांता:मैंने कहा की ओ इधर कभी नही आयेगा अभी।उसने शादी कर ने की सोची है।मुझसे पैसे लेकर वो दूसरे शहर गया है।आने के बारे में नही कहा अभी तक।

मैं(उसके बाल खींचते हुए):सिर्फ उनको बताने ने के लिए क्या सच में नही आएगा वो।

कांता:आआह आआ हा ये बात झूठी है की वो शादी करने वाला है पर उसे मैंने यह से बहोत दूर भेजा है।

मैं:पर वो माना कैसे?मैं कैसे मान लू की वो फिरसे मुह मारने नही आएगा?

कांता:उसको बोला है मैंने की नाना जी को सब मालूम हो गया है।और नाना जी को वो बहुत ज्यादा डरता है तो वो इस शहर से भी दूर जा चुका होगा।भरोसा करो मुझपे।

मैं:भरोसा तो नही कर सकता पर अभी के लिए मान लेता हु।पर याद रखना मुझसे गद्दारी महेंगी पड़ेगी।

कांता: तुम इतना क्यो शक करते हो।इतना भरोसा तो रख लो।क्या करू जिससे तुम्हे भरोसा हो जाए।

मैं: अभी कुछ मत कर अभी जा काम कर ले।शाम को बता दूंगा।

(कांता बड़ी मायूस होकर वहां से चली गयी।)

दोपहर का खाना हुआ।मैंने सारे घरवालों का जायजा लिया। संजू दी भाभी के साथ कमरे में गॉसिप कर रही थी।माँ और बड़ी मामी छोटी मामी के कमरे में थी।पर कमरा बंद था।मुझे पूरा यकीन था की वो किस लिए इक्कठा हुई है।

मैं अपने रूम में आया।और सोचने लगा की क्या करू जिससे छोटी मामी की हवाइयां निकले।मुझे मालूम था की छोटी मामी का उस ऍप पर वो वाला एकाउंट है।मैंने भी मेरे फेक एकाउंट से उनको एक मैसेज भेजा।

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पर उनका कोई रिप्लाय नही आया।मैंने कई बार कोशिश की की वो रिप्लाई दे।

शाम को हम चाय पीने के लिए एकसाथ डायनिंग पे बैठे थे।संजू और भाभी ठीक थी।पर बाकी तीनो औरतो के मुह पे बारा बजे थे।क्या करे लण्ड हो या चुत आग लगे तो आदमी होश खो देता है।

मेरा सबसे ज्यादा ध्यान तो छोटी मामी पे था।मेरा लक्ष्य तो वही थी।संपति के लिए मेरे माँ को अइसे घिनोने काम में ला कर अटका दी,मुझे तो और गुस्सा आया था इस बात से।

इसी कमीनापन्ति में मुझे कुछ सुझा।मैंने उनके कुछ फ़ोटो जो कांता के भाई के साथ थे उनको भेज दिए।उनके हाथ में मोबाइल की टोन बजी।उन्होंने खोला

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और जब उस फोटोज को देखा तो।उनके मुह पर जो बारा बजे थे ,उसके कांटे टूट गए,पूरा सिर पसीने से भरने लगा।उन्होंने आसपास देखा।मैंने अपना मुह नीचे कर लिया जैसे मुझे कुछ मालूम ही न हो।ओ अपना पासिना पोंछ रही थी।

मैं वहां से उठा और ऊपर कमरे में जाने लगा।तो उन्होंने मोबाइल नीचे किया और मेरे तरफ घूर के देखी।मैं सीधा ऊपर गया।

शाम को 6 बजे करीब कांता मेरे रूम में आयी।उसकी भी मुह पे बारा बजे थे।मैं समझ गया की इसको छो.मामी ने बता दिया है।

कांता:बाबू जी क्या आपने भेजा है छोटी मेमसाब को वो फोटो?

मैं:हा ,क्यो क्या हुआ?

कांता ये भारी सांस छोड़ी:है भगवान शुक्र है,मुझे लगा किसी और को ये बात पता न चली हो।पर अपने अइसे क्यों किया?

मैं:तू मुझे मत सीखा मुझे क्या करना है क्या नही करना।ठीक हैं

कांता डरते हुए:जी माफ करना

वो वह से निकलने लगी।

मैं:अच्छा सुन कुछ नई बात मालूम पड़ी।

कांता:आपके फ़ोटो को देख के तीनो की बत्ती गुल है।बहोत ज्यादा डरी हुई है तीनो।

मैं:पर मैंने तो सिर्फ मामी को भेजा था।

कांता:अरे हा पर ओ लोग इस बारे में जो भी होता है सब एकदूसरे के साथ शेयर करती है।उनको लग रहा है की जैसे छोटी मामी के फ़ोटो है वैसे उनके भी हो सकते है।

(मै मन में-क्या बात है वीरू लोग बोलते है की एक पत्थर से दो शिकार पर यहां तीनो हो गए।यार ये सोचा नही था।पर कोई बात नही इसमे घाटा तो नही दिख रहा कही।)

मैं:ठीक है अभी आगे क्या करने वाले है वो?

कांता:एकदम से सटीक तरीके से नही मालूम पर तीनो में आग बहुत लगी है।

मैं:आग तो कोई भी मिटा सकता है।तुझे क्या लगता है तुम्हारा भाई नही तो कौन?

कांता:मुझे नही लगता वॉचमैन किसी को अंदर आने देगा।मेरा भाई मेरे वजह से आ सकता था।बड़ी और छोटी मेमसाब का कोई भाई या सगा वाला इस शहर में नही रहता न कोई आता है ।

(मैं खुश हो रहा था की अभी ये बाहर मुह मारे उससे पहले उनकी चुत में लण्ड डाल दु।)

मैं:और तुम क्या करोगी?

कांता शर्माने लगी।कोई जवाब नही दिया।

मैं:क्या पूछा मैंने?सुनाई नही दिया क्या?

कांता:हुजूर अभी जो आप फरमाए वही।

मैं: ठीक है******!!!!तुम रात को काम खत्म करने के बाद आ जाना।चुपचाप।ठीक है।

कांता ने हामी भर दी और चली गयी।उसके जाते ही संजू दी मेरे रूम में आयी और दरवजा बंद की।

मैं:अरे दीदी क्या कर रहे हो बाहर लोग है।क्यो आफत मोड़ ले रही हो।

संजू: तुम चुप रहो।मुझे बहोत जरूरी बात करनी है।

मैं:क्या?

संजू:कल गलती से अपने बीच की बात मेरे दोस्त को बता दी।

मैं:क्या?मजाक मत करो।(मेरे पैर कांपने लगा था।क्योकि मैं कितना भी शेर बनू,नाना के सामने बकरी ही रहूंगा।)

संजू:अरे यार गुस्सा मत हो।डरने की कोई बात नही।

मैं:क्या डरने की बात नही।ये क्या दुनिया को बताने की बाते है।और क्या क्या बताया।

संजू:वो तुम्हारी हमारी चैटिंग देख ली थी उसने तो मैं छुपा नही पाई।

मैं:अरे कितनी गैरजिम्मेदाराना हरकत है ये।एक दोस्त बन के तुम्हारी मदत की थी।इसका मतलब ये नही की दुनिया भी हमे उसी नजर से देखे ,उनके लिये हैम भाई बहन ही रहेंगे

(मैं बहोत ज्यादा ओवर रिएक्ट हो रहा था और उसका कारण भी वैसा था क्योकि इतना सब करके अगर नाना को कुछ पता चला तो शामत आ जाएगी।)

संजू:वीरू तुम खामखा इतना ज्यादा रियेक्ट हो रहे हो।मैंने कहा न कोई डरने जैसी बात नही है।मैंने मसला संभाल लिया पर छोटी सी उलझन है।

मैं गुस्से और घबराहट में: अब क्या ?

संजू: वो तुमसे मिलना चाहती है।उसे भी वही करना है जो तुमने मेरे साथ किया।

मैं:क्या बात कर रही हो।मैं क्या चुदाई खाना खोल के बैठा हु की किसीको भी खुश करने जाऊ।

संजू:प्लीज वीरू गलती हो गयी पर अभी पलटी मत मार अगर उसने सब कुछ नाना को बता दिया तो।

मैं (संजू दी की तरफ पीठ करके धीमे से हस्ते हुए) बोला:मैं क्या चाचा के पास चला जाऊंगा अपने तूने किया तुहि भुगत।

अचानक से मुझे उसने घुमाया और सर को कस के पकड़ कर ओंठ को बंद करके किस करने लगी।पहले तो मुझे उसका कुछ नही लगा पर उसका किसिंग का स्टैमिना इतना बढ़ा की मुझे घुटन होने लगी।मैं उससे खुद को छुड़ाने लगा।

बीच में ओ ही ओंठ छोड़ के बोली:अब बोल मानेगा या नही मानेगा मेरी बात।

मैं:पर दीदी सुनो,ये कैसे मुमकिन है

मैं आगे बोलता उससे पहले ही उसने फिरसे ओंठ चूसना शुरू किये।ओ ओंठ कांट भी रही थी।अभी मजा नही सजा मिलने लगी थी।मुझे दर्द होने लगा था।

मैंने हाथ से उनको रुकने को बोला

मैं:ठीक है मान गया।पर वो मिलेगी कहा।

संजू:तू सिर्फ कल दोपहर तैयार रहना।मा चाची और बुआ सस्तन जाएंगी दोपहर को तभी मेरे कमरे में आ जाना।मैं मेसेज कर दूंगी।

मैं:ठीक है।

मैं तैयार हु ये सुनकर वो बहोत खुश हुई।मुझसे कस कर गले मिल के अपने रूम चली गयी।

रात के खाने के बाद मैं टेरेस पे घुमा।थोड़ा फ्रेश हुआ।नीचे आके किचन में पानी लेने गया।

मा: अरे लल्ला कांता चाची दे देगी तुमको जाने से पहले जाओ तुम सो जाओ।

कांता मुझे देख शरमाई।मैं वहां से कमरे में आ गया।

किचन में-

कांता:क्यो दीदी अभी क्या करने वाले हो?

मा:किस बारे में बात कर रही हो?

कांता:अरे वही अभी भैया तो नही आने वाले तो क्या करेंगे।मुझे तो अभी सहन नही होता।

(कांता तो मेरे लण्ड से मजा ले रही थी।पर बाकियो को शक न हो इसके लिए नाटक करने लगी।)

मा:अरे मेरी भी वही हालत है।अभी सब्जियो से ही काम चलाना पड़ेगा।

माँ कांता को सब काम समझा कर अपने कमरे में चली जाती है।

माँ जाते ही किचन में बड़ी मामी आ जाती है।

बड़ी मामी:क्यो कांता क्या हुआ ?कुछ सहमी हुई सी लग रही हो।

कांता:मेमसाब क्या करू चुत की आग सहन नही होती।कितने दिन सब्जियो से निकालू।

बड़ी मामी का मुह लटक जाता है।

बड़ी मामी:दिल की बात छेड़ दी।पर क्या कर सकते है।तेरा भाई आने के लक्षण नही है और दूसरा यहां कोई आ नही सकता।

कांता थोड़ा सोच कर:दीदी एक बात बोलू अगर बुरा न मानोगी तो।

बड़ी मामी:बोल न अगर उससे ये प्रॉब्लम सही हो जाएगा तो क्यो गुस्सा करू।

कांता:पर इसमे सिर्फ आप और मैं ही सामिल होंगे।आप उनको नही बताएगी।वादा करो।

बड़ी मामी:हा बाबा नही बताऊंगी।अभी सस्पेंस मत बढ़ा।मुझे सहा नही जाता।

कांता:बाहर के आदमी की क्या जरूरत अगर घर का ही कोई मिल रहा हो तो।

बड़ी मामी चौक कर:क्या मतलब है तेरा?

कांता:वो दीदी के बेटे है ना विराज वो।

बड़ी दीदी:अरे क्या बात कर रही हो।शर्मिला को मालूम हो गया तो मार देगी।और विराज भी क्यो तैयार होगा इसके लिए।और उससे बात कोन करेगा।

कांता:आप क्यो उसकी चिंता करती हो उसके लिए मैं हु न।बस आप तैयार होना उतना बता दो।

बड़ी मामी सोच में पड़ जाती है।और सोचते हुए बाहर सोफे पे बैठ जाती है।

इधर छोटी मामी के रूम में-

छोटी मामी सोच विचार में-"शिला तू कितनी गैरजिम्मेदाराना औरत है।इतना सटीक योजना बनाली फिर भी कैसे चूक गयी।तेरे ये फ़ोटो किसको मील गए है और कोन हो सकता है ये।वॉचमैन,कांता का भाई,या कोई और(मामी को मेरा जहन नही था)।हाथ में आये हुए मोहरे निकल रहे है।

पर ये बात भी समझ नही आ रही की मेरे चैटिंग एकाउंट के बारे में इसको कैसे पता।मैंने सिर्फ संजू से बात की है जो की उसको भी नही मालूम की वो मैं हु।ये शख्स बड़ा शातिर है।

कही ये नया लौंडा तो नही शर्मिला का बेटा विराज!!!!? नही नही वो तो अभी आया है।इस तरह की कोशिश करने की वो सोचेगा भी नही।फिर कौन कौन कौन??"

करीब 10 बजे थे

मैंने छोटी मामी को छेड़ने के लिए उन्हें मैसेज किया।

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खड़ूस घमंडी अभी थोड़ी डरी हुई थी।मैंने चैट ऑफ कर दी।और कांता की राह देख रहा था।

इधर किचन में-

कांता पानी का मग लेके मेरे रूम की तरफ बढ़ी।छोटी मामी ,मा,संजू,सिद्धि भाभी ,बड़ी मामी,सबका जायजा लेते हुए संजू के रूम में जाने लगी।

तभी उसे पीछे से धीमे आवाज में पुकारा।वो मुड़ी तो बड़ी मामी दरवाजे पे खड़ी थी।

बड़ी मामी:कांता मैं तैयार हु,बस तुम्हारे सिवा किसीको मालूम नही होना चाहिए।बहोत बडा बखेड़ा हो जाएगा।

कांता ने गर्दन हिला के बड़ी मामी को उसकी तस्सली दी।

अभी कांता पानी लेके मेरे कमरे में आ चुकी थी।मैं चद्दर में पहले से ही नंगा सोया था।ओ जैसे ही पानी रखी मैंने चद्दर बाजू फेक दी।ओ देख के हक्का बक्का राह गयी।शर्मा के मेरे नंगे बदन को घूरने लगी।संजू दी पहले से ही लण्ड को जगा के गयी थी।तो लण्ड तना हुआ था।

मैंने उसे कपड़े उतारने बोला।उसने फटाफट कपड़े उतारे और मेरे ऊपर आ गयी।मैंने उसको कस के पकड़ा।उसके चुचे मेरे छाती से चिपके थे औऱ चुत पर लण्ड घिस रहा था।

कांता:अरे हा आपकी ही दासी हु।

मैं:और लण्ड की प्यासी भी।

(हम दोनो इस बात पे हस दिए)

मैंने नीचे से उसके चुत पर लण्ड टिकाया।और उसने जोर देके लण्ड अंदर घुसा दिया।

कांता:बहोत उतावला हो रहा है मेरा लण्डराजा,बहोत भूख लगी है क्या?

मैं:क्या बताऊ इतनी लगी है की अभी सहन नही हो रही।

कांता:चलो मीठे से शुरवात करते है।

(कांता ने अपने चुचे मेरे मुह में दे दिए।मैं उनको चूसने लगा।)

कांता:आआह चूस ले और जोर से पूरा रगड़ के दूध निकाल आआह आआह उम्म आआह"

लण्ड चुत में ही था।वो बस हिल रही थी जिससे लण्ड अंदर घिस रहा था।उसके चुतमनी को तंग कर रहा था।मैने चुचो को मुह से निकाला और उसके ओंठो को चूमने लगा।उसके लब्ज बारी बारी चिसने लगा।नीचे से उसकी गांड मसल रहा था।

ओ भी मेरे होंठ को चुम रही थी।मैंने उसको कस के पकड़ा और नीचे से गांड उठा के चुत में धक्के मारने लगा।

"आआह उम्म आआह आउच्च चोद और जोर से चोद आआह रंडी के चोद दे मेरी बुर को पूरा निचोड़ दे आआह अंदर तक ठोक आआह उम्म।

उसने मेरे ओंठ कस लिए थे।ओ कस के ओंठ चूस रही थी(ओ अपना आवाज दबाना चाहती थी।)मैने उसको वैसे ही घुमाया और पीठ के बल लिटाया।और ऊपर से फिर से जोरदार झटके मारने लगा
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अभी उसके ओंठ मैंने चुसने चालू किये थे।कांता ने मुझे कस के पकड़ा था।वो झड़ गयी थी पर मेरा बाकी था।मैं इतना उत्तेजित था की चुत रस से "पच्छ पच्छ " की आनेवाली आवाज भी मुझे सुनाई नही दी।जैसे ही मुझे लगा की मैं झड़ने वाला हु मैंने लन्ड निकाला और कांता के मुह में ठुस दिया।वो सिर आगे पीछे हिला के लण्ड को मसलते हुए चुसने लगी।मैं आखरी पड़ाव पे था तो आखिर कर झड़ गया।

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हम दोनो एक दूसरे से लिपटे रहे।

कांता:क्यो मेरे राजा मजा आया न।चुत से कुछ गिला शिकवा।

मैं:नही मेरी रंडी तेरी चुत और तू बड़ी कमाल की हो।बस दिन रात लण्ड तेरे चुत में रखु अयसेही मन करता है।

कांता:मैंने एक और चुत का इंतजाम किया है।बस तुम्हारी अनुमति चाहिए।

मैं:तू बोल आज खुश हु,जो बोलना है बोल दे।

कांता:और एक चुत है जिसको तगड़े लण्ड की जरूरत है।

मैं:कौन है?

कांता:बड़ी मेमसाब

(मैं चौक के बाजू हो गया।)

मैं :क्या?क्या बात कर रही हो?होश में हो?

(मैं अंदर से खुश था।पर उसको वो दिखाना नही था)

कांता:आप उसकी चिंता मत करो।वो खुद तैयार है।आपको कुछ नही करना।चुत खुद आके लण्ड खा लेगी।

(मैं सोचने का नाटक करते हुए।)

मैं:अच्छा ठीक है तुम इतना कहती हो तो कोशिश करूँगा।

कांता खुश होकर गाल पर चुम्मा देती है।

मैं:ये क्या सिर्फ गाल पर?

कांता:फिर कहा?

मैंने उसके ओंठ का चुम्मा लेके बोला:

"अरे मेरा लन्ड भी तो हकदार है तेरे गुलाब जैसे ओंठो का"

वो हस दी।बेड से उठी।नीचे झुक के पूरे लण्ड को चुम दी।

कांता:और कुछ सेवा सरकार।

मैं:इधर आ।

ओ पास में आयी तो मैन उसके चुत में उंगली डाल घुमाई और बाहर निकाल के चूस ली।

उसके मुह से "आआह उम्म आआह"निकल गया।

मैं:मीठा तो हो गया,खट्टा खाने का मन किया।

कांता:बहोत शरारती हो।

मैं:पर तू करेगी क्या,बड़ी मामी के साथ कहा कैसे?

कांता:मैं बोली न बस लण्डराजा को तैयार रखो(लण्ड को सहलाते हुए)।बाकी तुम्हारी रंडी संभाल लेगी।

वो इतना कह के तैयात होकर चली गयी।मैं भी सो गया।
 
(Episode 2)
मुझे ये मालूम था की मुझे मिलने वाली मुफ्त की चुत कांता का प्यार नही था।उसको सिर्फ अपनी बाजू मजबूत रखनी थी।ओ तो असली रंडी थी।पति हो या भाई या मैं या कोई और उस छिनाल को सिर्फ चुत की गरमी मिटाने स मतलब था।
बड़ी मामी को मनाने का सबसे तगड़ा कारण ये था की बडी मामी नाना जी की चहेती थी।इसलिए अगर वो भी मेरे साथ बिस्तर गर्म करे तो आगे जाकर भविष्य में अगर हम पकड़े जाते है तो उनको हथियार बनाया जा सके।कांता मुझसे गद्दारी जरूर नही करने वाली थी क्योकि भाई की वजह से भी वैसे उसको बहोत कर्जे उठाने पड़ रहे थे।एकतरह से उसे छुटकारा मिला था बस कारण मैं बना।

छोटी मामी ने भी पहले उन्हें इसीलिए अपने योजना का मोहरा बनाया क्योकि अगर जायदाद की कोई भी जिम्मेदारी की बात आएगी तो नाना पहले सब बड़ी मामी के हवाले करेंगे।पर पिताजी का देहांत उसमे नाना का माँ को घर लाना।इससे छोटी मामी को माँ को भी इस झमेले में फसाना पड़ा।

इसका मतलब सबूत के लिए कुछ तस्वीरे तो होंगी छोटी मामी के पास।पर उनकी तस्वीरे मेरे पास थी तो वो तो अभी मा और बड़ी मामी को ब्लैकमेल नही कर पाएगी।इसे बोलते है खुद खोदे हुए गड्ढे में खुद ही गिरना।अपराधी कितना भी सटीक योजना बनाये जब उसे उससे सवासेर मिले तो गांड का सुलेमानी कीड़ा भी कुछ नही कर पाता।

मुझे बुरा इस बात का लग रहा था की नाना जी इनको इतनी खुली छूट दे दी है।तब भी उनके ही जायदाद पर बुरी नजर।क्यो?क्यो?

अइसी भी बात नही की छोटी मामी छोटे गरीब घराने से है।दोनी मामिया करोड़पति बाप की बेटियां थी पर बड़ी मामी शानो शौकत में रहना पसंद करती है पर पैसों का उसे इतना लोभ नही था।पर छोटी मामी को घमंड बहोत था।और पैसों की और शरीर की हवस दोनो उससे ज्यादा।कई बार लगता है की ये जो वी कर रही है ओ इनकी अकेली की बात नही थी।उसकी न गांड में दम था ना झांटेदारकि चुत में।कोई तो मास्टरमाइंड है जो इनको गाइड कर रहा था।पर उस मास्टरमाइंड को मालूम नही था की कोई किंगमेकर भी उसके इस कांड में भंग डालने पैदा हुआ है।

दूसरे दिन सुबह कांता नही आयी थी याफिर मैं देर से उठा था।मैं फ्रेश होकर टेरेस पर गया।और जिमिंग में लग गया।मैं बनियान शॉर्ट में था।पूरे शरीर पर पासिना था।मैं इतना उसमे घुस गया की टेरेस के दरवाजे पर खड़ी छोटी मामी मुझे दिखाई नही दी।मैंने जब उस बात को समझा तभी कोई रिएक्शन नही दिया।सारा समान सही से रखके टॉवल से बदन साफ करते हुए उनके सामने से एटीट्यूड के लहजे में उधर से गुजरा।थोड़ा आगे जाके नीचे उतरने वाला था की वो टोक दी।

छोटी मामी:एक बार कोई बोल दे तो बात सुन लेनी चाहिए।मा बाप ने संस्कार नही दिए लगता है।

मैं:मेरे संस्कारो की ही बात कर रहे हो तो आपको बता दो ये संस्कार है की आपकी बात सुन रहा हु,फोकट के उपदेश सुनने की मुझे भी आदत नही।

(मेरा पलट जवाब उनको पसंद नही आया )

छोटी मामी:तुम्हे नही लगता तुम औकात से ज्यादा बोल रहे हो,अपनी हैसीयत में रहो।

मैं:हां न!!!आपको भी लगा न की मेरी बात औकात से ज्यादा है।मुझे भी सच में लगता है की मैं किसी के साथ उसकी औकात के ऊपर बात कर रहा हु।जिनकी उतनी औकात है ही नही उनसे उनकी औकात मेही बात करनी चाहिए।सही न!!!

(ये पलटवार थोड़ा ज्यादा हो गया।ओ मुझे थप्पड़ मारने आगे आई।मैंने उनका हाथ पकड़ा और पीछे मरोड़ा)

छोटी मामी:छोड़ विराज हाथ छोड़ दर्द हो रहा है।तुझे ये बत्तमीजी बहोत महंगी पड़ेगी।

मैं:सस्ती चीजो का शौक तो हमें भी नही है।नाजुक हाथ है मोच आ जाएगा तो संभाल के।

मैंने हाथ छोड़ा उनको आगे धकेला और नीचे चला गया।
सामने मा खड़ी थी।मुझे देख मुस्कराई।

मा:मेरा लाडला अच्छा लगा न नाना का घर।

मैं:बहोत अच्छा है,और यह के लोग भी।

(माँ ने मुझे अपने गले लगा लिया।मुझे अभी उनके स्पर्श में मा वाला अहसास नही आ रहा था।मैंने भी उनको कस के पकड़ा।उनके गांड को कस के दबाया।जैसे ही मैंने गांड को दबाया मा करन्ट लगा वैसे पीछे हो गयी।)

मैं:क्या हुआ माँ?

(मा अइसे सहम गयी जैसे करन्ट लगा हो।)

मा:कुछ नही चलो खाना खा लो।

मैं:ठीक है मा,थोड़ा शावर लेकर आता हु।

मैं कमरे में गया।तबतक सब नीचे जाके डायनिंग पर बैठ गए थे।मैं जैसे ही कमरे के बाहर आया छोटी मामी भी नीचे जा रही थी।मुझे देख कर वो मन ही मन गालियां देते हुए नीचे उतरने लगी।पर गुस्सा सेहत के लिए हानिकारक होता है।तो वैसे ही ऊंची सैंडल और लम्बी साड़ी ने धोका दे दिया।ओ सीढ़ियों से अटक कर गिरने वाली थी की मैंने उनको पकड़ लिया।
ओ नीचे मुह के बल गिर रही थी और मैने पीछे से पकड़ा था तो उनके दोनो चुचे मेरे हाथो में और कस के दबाए हुए थे।मैने बिना किसी खयाल के उन्हें बचाने की कोशिश की थी।पर जब मुझे तस्सली हुई की वो ठीक है मैने जानबुजके उनके चुचो के निप्पल्स को उंगलियो से कैची से मसला।

उनके मुह से सिसकी निकली और उन्होंने अपने आप को संभालते हुए मेरे हाथ से खुद को छुड़ाया और नीचे चली गयी।मैं भी नीचे चला गया उनके पीछे पीछे।

सब खाना खत्म हुआ।मैं हाथ धोके जा रहा था तो मा ने पीछे से बोला:वीरू मैं दोनो मामीजी के साथ सस्तन जा रही हु।वहां से कुछ और काम है।कांता भी आज मायके गयी है तो खाना खा लेना भाभी और दीदी के साथ।ठीक है?

मैं:जी मा समझ गया।

मैं रूम में गया।मोबाइल पे गेम खेल रहा था।करीब शाम 6 बजे मेसेज का नोटिफिकेशन आया।
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मैं शॉर्ट बनियान और शॉर्ट पेंट में संजू दी के कमरे में चला गया।क्नॉक किया पर 5 मिनिट कोई जवाब नही आया।
मैंने दरवाजा खोला।तो अंदर कोई नही था।जैसे ही मैं अंदर गया।पीछे से संजू ने दरवाजा लॉक किया।

मैं:अरे संजू दी डरा ही दिया आपने।और ये क्या अकेली ही हो,आप तो बोले दोस्त आने वाली थी।

संजू:हा आई है।रुको बुलाती हु।(दोस्त को बुलाते हुए।)आये सुनती हो ।आ जाओ बाहर।

( बाथरूम के अंदर से सिद्धि भाभी बाहर आ जाती है।)

मैं:अरे संजू दी ये भाभी है,क्यो खिंचाई कर रही हो,तुम्हे मजाक करना है तो मैं चला जाता हु।

संजू:अरे यही मेरी दोस्त है।

(मेरे चेहरे का रंग ही बदल गया।)

मैं:नही नही आप लोग मजाक कर रहे हो हैना।भाभी के साथ मैं?नही नही।ये कुछ ज्यादा हो रहा है।

सिद्धि भाभी:संजू तुम रुको ।इसकी भी बात सही है।इसने मुझे कभी उस नजर से नही देखा न सोचा होगा तो इसे ओ हजम नही हो रहा।हम अपना खेल शुरू कर देते है

(भाभी जो साड़ी में थी उन्होंने साड़ी निकाल दी अभी सिर्फ स्लीवलेस ब्रा और पेंटी में थी। संजू ने भी खुद को बी पेंटी तक अधनंगा किया।)

मैं:भाभी संजू दी पागल है।आप थोड़ा समझो,आपकी शादी हुई है।

सिद्धि भाभी:कुछ नही होगा देवर जी आपको कुछ नही होगा।

मैं:भाभी नई दुल्हन हो और मामी को तो मुझे घर से बाहर करने का कारण मिल जाएगा।

छोटी मामी की बात सुन सिद्धिभाभी का हवस से गुलाबी हुआ चेहरा गुस्से से लाल हो गया।

सिद्धि भाभी:उस रंडी का नाम मत लो,साली ने पैसों के चक्कर में मेरी शादी एक नल्ले से करवाई,रंडवा साला।
तुम भी मुझे मत झुटकरो,अगर मुझसे बच्चा पैदा नही हुआ तो वो उस रंडवे की फिरसे किसी और से शादी करवा देगी।मेरी जिंदगी खराब हो ही गयी है,और एक लड़की की जिंदगी खराब होगी।

(इतना बोल भाभी बेड पे बैठ कर रोने लगी।संजू ने उसके साइड में बैठ के सहारा दिया)

संजू:देखा संजू रुला दिया ना,तुम्हे क्या करना है,हम देख लेंगे जो होगा।खामखा ओवर रिएक्ट हो रहा है।

(भाभी को रोते देख मुझे अपराधी(guilty)सा लगने लगा)

मैं:संजू दी यार आप गलत समझ रही हो यार आपको मालूम है न छोटी मामी से कितना टशन है मेरा।और भाभी मैं हेल्प कर दुंगा आप रो मत।

मैंने भाभी के चेहरे को अपने हाथो से उठाया और ओंठो पर ओंठ चिपका कर उनके कोमल रासीले ओंठो को चुसने लगा।उनको बेड पे सीधा लेटाया और पूरा नंगा किया।उनकी चुचे छोटे नोकीले आमो की तरह रहे।मुझे उनको बारी बारी चुसने में मजा आ रहा था।निप्पल आगे से लाल कलर के थे।

संजू ने भी खुदको नंगा किया और भाभी के बाजू में सो गयी।मैन दोनो के चुचे बारी बारी मसलना नोचना चूसना चालू किया।काफी देर होने के बाद।दोनो ने मुझे लिटाया मुझे नंगा किया।संजू ने मेरा लण्ड मुह में लिया।सिद्धि भाभी नीचे से अंडों को चाटने को चालू किया।जब सिद्धि भाभी चाटती थी तो वो अंडों को चाटती थी।दोनो का चुसने का स्टाइल पोर्नस्टार से कम नही था।
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भाभी 69 पोसिशन में आ गयी।उसने अपनी चुत को मेरे जीभ के हवाले किया।और खुद लण्ड को चुसने में लग गयी।
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मैं नई लालम लाल गर्म चुत में जीभ डाल के चुत रस का खट्टा मीठा स्वाद ले रहा था।उनकी चुत के लब्ज बहोत ही कोमल थे जैसे कुवारी लड़की के हो।मुझे इतना आनंद कभी नही आया था उतना उस दिन आ रहा था।

अभी संजू की चुटका कीड़ा भी उत्तेजित हुआ।संजू ने अपनी चुत को भाभी के मुह के तरफ किया।भाभी भी कभी लण्ड चुस्ती तो कभी लन्ड हिलाते हुए चुत चुस्ती।

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संजू का स्टैमिना कम था ओ चुत चाटने से ही झड़ गयी।पर भाभी बहोत देर से भूखी थी तो ओ पूरी जोश में थी।

भाभी जो झुक कर चूस रही थी मेरे मुह पर घुटनो के सहारे खड़ी हो गयी।मेरी जीभ सीधी उनके चुत के छेद में सीधा अंदर बाहर हो रही थी।चुतमनी फड़फड़ा रहा था।संजू अभी भाभी के चुचो को बारी बारी मसल के चूस रही थी।

भाभी की चुत की खुजली और बढ़ रही थी वो ऊपर नीचे होने लगी।मेरे जीभ से चुत चुदवाने लगी।धीमी सियाकिया भी छोड़ रही थी"आआह आआह आहुमम्म आआह'

भाभी अभी उठ के मेरे लण्ड के पास आ गयी।मेरे लण्ड को हिलाया और थोड़ा तना दिया।फिर अपने चुतमनी को थोड़ा मसला और लण्ड को सटीक छेद में लगा कर आहिस्ता नीचे बैठ गयी"आआह ओह मय गॉश आआह सो हॉर्नी"
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ओ मेरे छाती पर हाथ रखी और धीरे धीरे ऊपर नीचे होने लगी।ओ धिमेसे सिसकारी छोड़ रही थी।

"आआह फक मि वीरू आआह फक माय हॉर्नी पुसी आआह उम्म आआह फक मि सो हार्ड आआह"

सिद्धि भाभी का स्पीड अभी बढ़ रहा था मतलब चुत में खुजली भी बढ़ रही थी।मैं भी नीचे से गांड ऊपर कर के साथ देने लगा।उनकी भी सिसकारियां अभी चिल्लाहट में बदल गयी थी।

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"फ़ास्ट फ़ास्ट आआह फक मि हार्ड बेबी आआह...... मममममम आआह......रवि साले भड़वे आआह तेरे नल्ली से कुछ न हुआ साले रंडवे आआह चोद वीरू तेरी रंडी को चोद आआह आआह,मुझे तेरे लण्ड से बहोत मजा लेना है आआह चोद आआह और जोर से पूरा अंदर।"

पर भाभी उसमे ही झाड़ गयी।और पूरा चुत रस झडके मेरे ऊपर गिर गयी।मेरा लण्ड उनके चुत में ही था।वो थोड़ा आराम कर रही थी।संजू की खुजली मिट गयी थी।तो वो सिर्फ चुदाई देख रही थी।औए फिरसे चुत सहला रही थी।मैने भाभी को पीठ के बल डाला और उनके ऊपर से आहिस्ता आहिस्ता लण्ड अंदर बाहर करने लगा।उनको भी अभी होश आया।उन्होंने मुझे कस के अपनी बहो में जखडा।
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मैं गांड आगे पीछे हिला के चोद रहा था।मेरा जब झड़ने का टाइम आया मैन अपना स्पीड बढ़ाया और आखिरकर झड़ गया।पूरा काम रस चुत में समा गया।
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भाभी बहोत ही खुश थी।हमे एकदूसरे को चिपक कर रहना बहोत अच्छा लग रहा था।संजू नीचे जाके खाना लेके आयी।

हम नंगे ही थे।भाभी खाना खाने जैसे मेज पर बैठी।संजू मेरे गोदी में आके बैठ गयी और लण्ड सहलाने लगी।जैसे ही लन्ड ने सलामी दी संजू चुत में लण्ड घुसा के बैठ गयी।

भाभी हस्ते हुए:अरे संजू चुत की खुजली को थोड़ा डर्मि कुल दे।उसको खाना तो खाने दे।

संजू:कुछ नही मुझे इसका लण्ड चुत में डाल के रखना पसंद है।
(संजू और मैं वैसे ही खाना खा रहे थे।जोरू शौहर जैसे एक दुसरे को खिला रहे थे।संजू खुदको धीरे धीरे हिला के खुजली मिटा रही थी।)

रात को बाकी औरते आने तक हमारे दो राउंड खत्म हो गए थे।

हम अपने अपने कमरे में आराम कर रहे थे।मैं बाथरूम जेक नहा लिया।बहुत फ्रेश फ्रेश लग रहा था।
 
(Episode 3)

कांता का अचानक से मायके जाना और उसी दिन इन तीनो रंडियों का बाहर काम के लिए जाना किधर न किफ़हर मेरे दिल को खटक रहा था।कांता ने अइसे कुछ मुझे बताया भी नही था।कुछ तो खिचड़ी पक रही है।अभी इसका पता कांता के पास ही होगा।

सुबह कांता अपने समय पर मेरे कमरे में दाखिल हुई।मैं बाथरूम से नहा कर बाहर आ रहा था।

मैं:अरे कांता आ गयी,कल कहा थी?दिखी नही।

कांता:बाबूजी मायके चली गयी थी कुछ काम था।

मैं:क्या काम आया जो मुझे बिना कुछ बताए जाना पड़ा वो भी एक ही रात में।

कांता:यहाँ से जाने के बाद ही कॉल आया तो चली गयी सुबह।

मुझे अभी साफ साफ मालूम हो रहा था की दाल में काला नही पूरी दाल काली है।नही नही पूरी दाल जल चुकी है।अब डर ये था की इस रंडी ने मेरे बारे में मुह न खोल दिया हो।पर मैंने अपना डर चेहरे पे नही दिखाया।कांता का मायका जिस गांव में था वहां पे नेटवर्क नही है और STD से कॉल करते है लोग।और इतनी रात कोई STD थोड़ी खुला रखेगा।मैंने कांता को बड़ी गौर से निहारा तो उसकी आंखे भिनभिना रही थी।उसकी आंखे ये बया कर रही थी की " मैं झूठ बोल रही हु"।

मेरे अंदर थोड़ा डर से था उसका परिवर्तन गुस्से में हो गया।
मैं उसके पास गया और उसका मुह दबोचा और गुस्से में उसके मुह में थूक दिया।

मैं:ये रंडिया तू मेरे थूक के बराबर है।मेरे से शान पन्ति नही करने का।बोल किधर गांड मरवाने गयी थी।

कांता:बाबू दर्द हो रहा है छोड़ो आआह

मैं:ये सिर्फ ट्रेलर है।अगर तू बिना समय गवाए बकना चालू नही की तो ये दर्द गांड में भी हो सकता है।

कांता:ठीक है बताती हु बताती आआह हु आए।

(मैंने उसको सीधा किया।और वो मुह को सहलाते हुए।दर्द में बोलने लगी)

कांता:मैं दीदी और दोनो मेहसाब मेरे भाई से मिलने गए थे।

मैं:क्यो??!!?!!

कांता:उनको शक हो गया की अचानक से मेरा भाई गायब हुआ तो उनको शक हो गया की जो फ़ोटो है वो उसने खिंचवाए जिससे वो उनको ब्लैकमेल कर सके।

मैं:तो भाई मिला??!!

कांता:नही!!वो कब का शहर छोड़ चुका है।मैंने उनको बताया पर वो मानने को तैयार नही।

मैं:ठीक है,पर फिरसे अइसी बाते छुपाने की कोशिश की तो तुम्हे ही महँगा पड़ेगा।

कांता:माफ करना मैं डर गयी थीकी आप चिल्लाओगे।

मैं:फिर अभी क्या आरती उतारी क्या?उस दिन तुहि बोली की मुझपे भरोसा क्यो नही?इसका जवाब तूने खुद ही दे दिया।तू भूल मत मेरी नजर सब पर है।

कांता का मुह अभी सहम सा गया।उसको अपनी गलती समझ आ गयी।

दोपहर को मैं खाना खाने के बाद सोया हुआ था।तभी कुछ आवाजे आने लगी,बाहर देखा तो नाना और मामा आ गए थे।मुझे नाना ने ऊपर देखा और नीचे बुलाया।

नाना:क्यो वीरू कैसा है?कैसा लग रहा है यहाँ?

मैं:बहोत ही मजा आ रहा है नाना।एकदम बढ़िया।

(नाना ने बड़ी मामी को पुकारा।)

नाना:बड़ी बहु आज रात को काम के सिलसिले में पार्टी रखी है।ज्यादा नही कुछ 5 6 मेहमान आएंगे।पर सारे बहोत महत्वपूर्ण है तो कोई चूक नही होनी चाहिए उनके खातिरदारी में।

बड़ी मामी:जी पिताजी जैसा आप कहे।

(इतना बोल के नाना वह से अपने कमरे में चले गए।छोटी मामा भी मामी के साथ रूम में निकल लिए।बड़े मामा ने फिरसे बड़ी मामी को टोकते हुए बोला)

बड़े मामा:सुना न पिता जी ने क्या कहाँ।कोई गलती नही।पहले ही बता दे रहा हु।करोड़ो का व्यवहार है।

बड़ी मामी सर नीचे कर सिर्फ मुंडी हिलाई।और किचन में चली गयी।

बड़े मामा:क्यो विराज आगे क्या करने वाले हो।कुछ सोचा की नही।

(मैं तो चौक सा गया।जबसे हम मिले है मामा ने पहली बार बात की वो भी हस्ते हुए।मैं तो अंदर से खुश हुआ।)

मै:कुछ ठीक से सोचा नही है बड़े मामा पर पहले ग्रेजुएशन पूरा करने का सोच रहा हु।

बड़े मामा:अच्छी बात है।पढ़ो और आगे बढ़ो आराम में कुछ नही रखा है।

मैन हस्ते हुए हामी भर दी।वो अपने कमरे में निकल लिए।

(मैं मनमें-बात सही है आपकी मामा पर कभी कभी आराम के नाम पर घरवालों को भी समय देना चाहिए।अगर आप अयसेही व्यस्त रहोगे तो मामी रंडियाबाजी ही करेगी।उनकी जितनी गलती है उतनी आपकी भी है।)

मैं वह से ऊपर चढ़ रहा था सीडीओ से तो सामने छोटी मामी खड़ी थी।

छोटी मामी:सबको अपने वश में कर रहे हो।जायदाद हड़पने का इरादा लगता है तेरा।पर ये जान लो ये शिला अभी जिंदा है।

मैं:आपकी जायदाद आपको मुबारक।अइसे चीजो से वीरू कोई मतलब नही रखता।और रही बात आपकी खड़े लोगो को झुकाना और तबियत से ठुकाणा अपनी पुरानी आदत है।बच्चा समझ कर हल्के में न लो।अपना भी तगड़ा है।

(मेरी डबल मिनिग बाते सुनके वो भिचक गयी।वो आगे कुछ बोले बिना चली गयी।)

शाम को पार्टी चालू हो गयी।हॉल के बीचो बीच दारू ,चिकन और अइसे ही चीजो की मेज लगीं थी।औरते एक साइड और मर्द एक बाजू में अपनी बातों में मशगूल थे।

मा भी बड़े मजे से पार्टी एन्जॉय कर रही थी।मुझे देख के मुझे भी नीचे बुलाया।और सबसे पहचान करवाई।मा सबको पहचानती थी।पर मैं उन लोगो में खुदको "Uncomfortable" सा महसूस कर रहा था।तो वहां से बाहर गार्डन में आ गया।वहाँ पे संजू और भाभी बैठी हुई थी।

संजू:अरे वीरू आजा आजा तुभी खेल हमारे साथ।

मैं उनके पास चला गया।देखा तो सामने एक दारु की खाली बोतल थी।

मैं:दीदी आप भी !!?!!

(दोनो मेरे सवाल से एकदूसरे को चौक के देखने लगी फिर मेरी नजर को ताड कर देखा तो उनकी नजर बोतल पर गयी।उनको परिस्थिति का अहसास हुआ और दोनो एकसाथ हस्ते हुए"नही बाबा" बोली।)

भाभी:अरे देवर जी ये खाली बोतल खेलने के लिए लाये है।आप बैठो नीचे।

(हम बंगले से काफी दूर और निचले हिस्से में थे जहा से हम बंगले को देख सकते थे पर बंगले से कोई हमे नही देख सकता था।)

मैं:ये कौनसा खेल है?

संजू:मैं तुम्हे समजाती हु-इसे ट्रुथ और डेयर कहते है।बोतल का मुह वाला साइड आया तो उसे बाकी के लोग ट्रुथ या डेयर पूछते है।अगर उसने ट्रुथ बोला तो उसे सच बोलना होता है और डेयर बोला तो जो हम बोलेंगे वो करना होता है।पर हमारा अलग है यहां तुम्हे दोनो करना पड़ेगा।

मैं:बड़ा मजेदार खेल है।चलो खेलते है।

बोतल घूमी।भाभी के पास आया।

मैंने सवाल किया: सच बताओ मेरे साथ चुदने के लिए तुम्हे इच्छा हुई थी या कोई और कारण है?

भाभी ने संजू के पास देखा।संजू बताने से मना कर रही थी।

मैं:भाभी रूल रूल है झूट नही बोलना।

सिद्धि भाभी:सॉरी संजू!!!वो क्या है देवर जी।उस दिन मैं संजू के साथ यही गेम खेल रही थी।तो संजू ने आपसे चुदने का डेयर दिया था।इसलिए

मैं:अच्छा अइसी बात है।मतलब ये रोज का खेल है तो।

(दोनो एकदूसरे को देख हसने लगे)

संजू:अभी मेरी बारी।भाभी तैयार हो डेयर के लिए।

सिद्धि भाभी:जी मैडम जी।बोलो।

संजू:मेरी गांड चाटनी है आपको।

सिद्धि भाभी:ठीक है

संजू अपना पैजामा पेंटी के साथ नीचे खिसक कर घोड़ी की तरह तैयार होकर गांड भाभी की तरह मोड़ देती है। भाभी उसकी चूतड़ को फैला कर अपनी जीभ घुसा दी।उनके गांड चाटने के बाद संजू ने अपना पूरा पैजामा उतार दिया।

अगला टर्न मेरे पास आया।

संजू:वीरू पहिली चुदाई किसके साथ की तूने?

मैं थोडक़ झिझक से गया ।पर पूरी हिम्मत जुटा के बोला:चाची के साथ।

सिद्धि भाभी:कौन??

मैं:मेरे बड़े चाचा की बीवी,जिसके साथ मैं रहता था।

संजू:क्या सच में?

सिद्धि भाभी:ये तो बहोत कमाल की बात सुनी आज हमने।

मैं:उसमे कमाल क्या,तुम औरत हो वैसे वो भी है ।उनकी भी जरूरत हो सकती है चुदाई।

दोनो ने"हम्म"किया।

सिद्धि भाभी:अभी तुम मेरी गांड को चाटो।

सिद्धि भाभी मेरे सामने नीचे से साड़ी उठा के घोड़ी बन गयी।उनका काले गहरे रंग का गांड का छेद बडा सुहाना लग रहा था।मैंने उनके गांड के छेद पर जीभ लगाई तो ओ सिहर गयी।मैं जीभ से गांड को चाटने लगा।वो भी आगे पीछे होकर मजे ले रही थी।

नेक्स्ट टाइम फिरसे मेरे पास आया।

संजू:इस घरमे तेरा लण्ड लेने वाली पहिली मैं हु न?

मैं:नही।

दोनो चौक गए।

दोनो एक ही स्वर में "फिर कौन?"

मैं:कांता चाची!!!

सिद्धि भाभी:ये कांता तो बहोत शातिर निकली।पहले ही हाथ साफ कर गयी।चल संजू अभी तेरा नेकलेस मेरा।

संजू:हा हा ठीक है दे दूंगी।

मैं:रुको रुको ये मसला क्या है मुझे बताओ तो सही।

सिद्धि भाभी:मैं बता देती हु।संजू ने मुझसे शर्त लगाई थी की तू पहली बार जिसको चोदा वो खुशकिस्मत संजू है।और मैं बोली जिस तरह देवर जी चोदते है वैसे तो वो पक्के खिलाड़ी लगते है।उन्होंने किसी न किसी को तो हमसे पहले मजे दिए ही होंगे।

मैं हसने लगा:अच्छा अइसी बात है।ठीक है ठीक है।

संजू:अगर कांता इस खेल में शामिल है तो मेरी भी एक इच्छा है।

मैं और भाभी संजू को आश्चर्य से देखने लगे।

मैं:अभी क्या बाकी रह गया।

संजू:हमने सिंगल और थ्रीसम कर लिया।मुझे अभी फोरसम करना है।

सिद्धि भाभी:संजू अभी पोर्न देखना कम कर,सेहत के लिए ठीक नही।

"और इसकी दिमाग के लिए भी"मैंने भी बीच में टोंट दे डाला।

भाभी इस बात पे हसने लगी।संजू तिलमिला गयी।

संजू:तुम लोग चुप रहो कुछ नही होता।तू सिर्फ बता तू करेगा या नही।

मैं:मैं तुम्हे बता दूंगा ।

तभी भाभी को मेरी मा बुला लेती है।हम भी उनके साथ ही चले जाते है।

महमान आज हमारे ही घर रहने वाले थे।मर्दो की रातभर मीटिंग होने वाली थी।उनकी पत्निया रूम में सोने गयी थी।उनके छोटे बच्चो को रवि भैया और सिद्धि भाभी के रूम में सुलाया।सिद्धि भाभी और संजू संजू के कमरे में।छोटी मामी और मा के कमरे में दो लोग।अभी बचे थे मैं बड़ी मामी और दो और औरते उनको बड़े मामी के कमरे में सुलाया।

मैं अभी भी बाहर ही टहल रहा था।मीटिंग टेरेस पे थी।सभी मामा नाना वगेरा उधर ही थे।मुझे नाना ने नीचे टहलते देखा तो सोने को कहा।

मैं अंदर गया तो रास्ते में कान्ता मिल गयी।

कांता:क्यो बाबू जी आज तो मजे है।

मैं:किस बात के?

कांता:आज आपके कमरे में कोई और भी सोएगा।

मैं:कौन?तुम?क्यो पति ने घर से निकाल दिया क्या।

कांता:अरे नही,बड़ी मेमसाब

मुझे 40 वोल्टेज का झटका लगा:क्या?क्यो पर?

कांता:अरे वो महमान आये है उनको औऱ उनके बच्चो के लिए सब कमरे भर गए।लास्ट में जो औरते बची थी दोनो को बड़ी मेमसाब का कमरा पसंद आया।तो वो उधर सो गयी।अभी सिर्फ तुम्हारा और नाना जी का कमरा है।अभी किसी की हिम्मत नही की नाना जी के कमरे में जाए।तो वो तुम्हारे कमरे में सोएगी।मजे करना

मैं:कैसे मजे!!मुझसे न हों पायेगा उनके साथ चुदाई करना।तू बोली सही है पर अगर वो गुस्सा हो गयी और चिल्ला दी तो।

कांता:अरे कुछ नही होगा।बस AC को 16 पर रख देना।बड़े साब और मेमसाब को 20 के नीचे की ठंड नही जमती।

मैं:मैं कोशिश करता हु।पर डर तो लग रहा है बहुत।

मुझे बड़ी मामी पुकारती है।

कांता:जाओ जाओ कुछ नही होगा,जाओ

और वो वहा से निकल गयी अपने घर।

मैं अपने कमरे में चला गया।उधर बड़ी मामी अपना बिस्तर सेट कर रही थी।

ब ममी:देख विराज आज घर में ज्यादा महमान है तो मैं तुम्हारे साथ सोऊंगी।

"मैं तेरे साथ सोऊंगी "ये मेरे मन को छू गया।मैं उनको देखते ही रह गया।

वो समझ गयी की ओ क्या बोल गयी है।पर उन्होंने बिना किसी रिएक्शन के फिरसे पूछा:तुम्हे कोई एतराज?!?!

मैं:नही मामी कोई बात नही एक ही रात की बात है।

मैं बाथ रूम गया।बाहर आया।तो मामी चद्दर बेड पर सो गयी थी।मैं बाहर के उलझन में पड़ गया।क्योकि मुझे ज्यादा कपड़ो में सोने की आदत नही थी।
मुझे उलझन में देख बड़ी मामी बोली:क्या हुआ कुछ परेशानी है क्या।

मैं:वो मामी मुझे इतने कपड़ो में सोने की आदत नही है।

मामी मुस्कराते हुए:अरे फिर निकाल दे,मुझे कोई आपत्ति नही है,जैसे तू रोज सोता है सो सकता है।

मैन शोर्ट और त शर्ट निकाला।और मामी के साइड में सो गया।रात गए आदत से मेरा लण्ड तन गया।और मामी मेरे से पीठ करके सोई थी।मेरा बेड इतना बड़ा नही था।पीठ के बल सोया था पर लन्ड तन जाने की वजह से मुझे बहुत अजीब से लगने लगा।मैं मामी के पीठ को पीठ लगाए सोया पर नींद में मेरा बैलेंस गिरने लगा।अभी तो मेरी नींद ही उड़ गयी।

"लण्ड खड़ा था,मसला बहोत बड़ा था,
अभी क्या करू,वीरू उसी उलझन पे पड़ा था।"

मैं हिम्मत जुटा के उनके साइड मुह करके सोया।और मेरे विचार अनुरूप मेरा लण्ड उनके गांड को छूने लगा।मैं अपने लण्ड को बहोत जोर लगा के साइड में सेट करने लगा।पर वो फिरसे खड़ा हो रहा था।तभी मामी हिली।16 के टेम्परेचर में मामी तो सो गयी पर अभी मुझे पसीने छूटने लगे।आखिरकार कैसे वैसे मेरा लण्ड थोड़ा साइड हुआ।
मैं डर की वजह से थोड़ा थक गया था।

जैसे ही मेरी नींद लगने वाली थी ,मुझे मामी के हाथ का स्पर्श हुआ।ओ मेरे सेट किये हुए खड़े लंड को फिरसे अपनी गांड की छेद में डाल रही थी।और गांड हिला रही थी।मेरा लण्ड उससे और गर्म हो रहा था।वो जोर जोर से घिस रही थी।मैं सोचा अभी खुद ही चाहती है तो मुझे डर कैसा।

मैंने पैर से उनका पल्लू ऊपर खींचा।अंदर पेंटी नही थी।मैं तो चौक ही गया।मतलब 16 का टेम्प्रेचर वगेरा ,मामी का यहां सोने आना सब प्लान था,और जहाँतक मुझे लगा इसमे कान्ता का हाथ है।क्योकि 16 की ठंड से चुत हो या लण्ड गर्म हो जाते है रोमांच से और दूसरी शक करने की बात ये की कान्ता के हिसाब से मामी अभी तक ठंड से कंप नही रही थी।
पर मुझे उससे क्या।बोला जाए तो ये प्लान मेरा और मामी को मिलन कराने हेतु था।तो मैंने भी बिना देर गवाए ।मामी का पल्लू कमर तक ऊपर खींचा हलाकी मामी ने भी उसके लिए साथ दिया।

मैंने उनके चुत में उंगली डाली और अंदर बाहर किया जिससे मुझे छेद का अंदाजा हुआ।मामी की मुह से "आआह आआह"निकल रहा था।मैंने थोड़ा टेढ़ा होकर लण्ड चुत में घिसाने की कोशिश की पर मुझे कम जगह की वजह से बेलेंस नही हो रहा था।तो मामी थोड़ा टेढ़ी हो गयी।

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अभी लंड तो चुत पर सेट हो गया।मैंने आहिस्ता आहिस्ता धक्के देना चालू किया।

"आआह उम्म आआह आआह उमामा"

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मैंने उनके ब्लाउज को निकाला और चुचो को मसलने लगा।उनके निप्पल्स खींचने लगा।

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"आआह वीरू धीमे से आआह दर्द हो रहा हैआआह"

मैने चुत में लंड के धक्कों का स्पीड बढा दिया।

"आआह वीरू धीरे आआह आआह उम्म आआह सीईई आठ उम्म वीरू आराम से आआह"

उनकी चिल्लाहट से लग रहा है की ये खानदानी रंडी नही है।बस आग बुझती है।

मैं उनको बड़े मजे से चोद रहा था।मुझे लगा की मेरा झड़ने वाला है मैंने लण्ड बाहर निकाला और बेड पे ही झड़ गया।मेरा लण्ड बाहर निकलते ही मामी मेरी तरफ घूमी औऱ मुझे अपनी बाहों में कस ली।मेरा लण्ड उनकी चुत को घिस रहा था।मैं उनके ऊपर चढ़ गया।और उनके ओंठो को के पास ओंठ लेके गया।उन्होंने मुह हटा दिया।

बड़ी मामी:वीरू नही मुझे अजीब सा लग रहा है।मत करो।

पर मैं सुनने वाला कहा था।मुझे तो औरतो के ओंठो को चूसना उतना ही पसंद था जितना उनकी चुत।

मैने उनका मुह अपनी तरफ किया।उनके लब्ज कांप रहे थे।उनकी गर्म सांसे मुझे और गर्म कर रही थी।मैंने उनके लब्जो को चूमा।फिर उसपे जीभ घूमाने लगा।क्या स्वाद था।उनके चुचे भी मेरे हाथ में थे।ज्यादा बड़े नही थे पर बहोत मस्त थे।मैंने अभी उनके ओंठो को अपने ओंठो के कब्जे में किया और चुसने लगा।उन्होंने भी मुझे साथ देते हुए।कस के पकड़ा।मैने उनकी जीभ अपने मुह में लेके चुसनी चालू की।

फिर नीचे सरका उनके चुचो को चाटने लगा।उनके निप्पल्स पे जीभ घूम रही थी।निप्पल्स को बीच में ओंठो से खींच के चुसने में बहोत मजा आ रहा था।जब एक चूचा मुह में चूस रहा था।तो दूसरा चुचे को मसल रहा था।मामी आंनद से सिसक रही थी।

मैं और नीचे सरका तो गर्मी और बढ़ गयी ।उनकी गीली चुत आग झोंक रही थी।मैंने उनके चुत के लब्जो को सरकाया और उंगली से चुत को चोदने लगा।

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वो"उम्म अहह आआह सीईई वीरू जरा संभल के आआह आआह"

मैंने चुत के बाहर से जीभ घूमाना चालू किया।जैसे ही चुत फैल गयी मैंने जीभ चुत के छेद में डाल दिया और घूमने लगा।मामी पूरी गर्मा गयी थी।वो गांड हिला रही थी।उनके शरीर में पूरी खुजली सी उठी हो वैसे तिलमिलरहि थी।मैंने उनके चुत के लब्जो को चुसने लगा।उनका वो खट्टा मीठा स्वाद मुझे बहोत पसन्द आ रहा था।

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अभी मेरा लण्ड पूरा तन गया था।मैंने लण्ड को सेट किया चुत के छेद पर और अंदर धक्का लगा दिया।

"आआह हाय दैया मर गयी भगवान उफ आआह उम्म अम्मा ओ फक आआह उम्म"

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मैं थोड़ी देर रुका।उनकी चिल्लाहट थोड़ी ज्यादा हो रही थी तो मैंने उनके ओंठो को अपने ओंठो दे लॉक किया।उन्होंने कशमकश में मुझे बहोत कस के जखड लिया।
अभी मैंने पूरे जोरो शोरो से धक्के जड़ना चालू किया।ओ बस मेरे ओंठ चूसे जा रही थी।बीच बीच में उनकी सिकरिया छोड़ रही थी।
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"आआह और अंदर आ फक मि उम्म आआह वीरू और चोद जो ओओओ ररररर आया सीआह आआह"

मामी अभी झड़ गयी थी।पर मैं उनको चोदता रहा।ओ वैसे ही मुझे कस के पकड़े धक्के खाती रही।जब मैं झड़ने आया तो मैंने उनको छोड़ने बोला।

ब मामी:नही मेरे अंदर ही छोड़ दे मुझे बहुत अच्छा लगता है कोई लण्ड का रस छोड़ दे मेरे चुत में तो।

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मैंने पूरा रस अंदर झड दिया।और साइड हो गया।मामी मेरे से लपक के सो गयी।

ब मामी: वीरू कहा था इतने दिन,तेरे लण्ड ने बहोत सुख दिया मुझे,मन करता है दिन रात चुत में तेरे लण्ड से कुटाई करती रही।

मैं उनके चुचे सहलाते हुए:अभी आ गया हु न अभी जब चाहो आके चुदवा लेना।

मामी ने मेरे ओंठ पे चुम्मी देदी।

मैं:बहोत स्वादिष्ट है।और एक मिलेगा।

ब मामी मुस्करा के फिरसे एक ओंठ पे चुम्मा देदी।पर इस बार ओ वैसे हो ओंठ चिपकाए रखी।

बड़ी मामी:और चाहिए।

मैं:हा ,पर मेरे लण्ड पे।

बड़ी मामी:अच्छा जी ठीक है।

बड़ी मामी ने पूरा कपड़ा निकाला।और मेरे लण्ड के पास गयी।मेरे लण्ड को चद्दर से पोंछा और मुह में लेके चुसने लगी।

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लण्ड भी उनके मुह के चुसाई से खुश होकर सलामी देते हुए तन गया।मामी खड़े लण्ड को चूमने लगी।

ब मामी:और कहा चूमना है।

मैं:अभी चूमना बस हो गया उसे शांत कराओ।मैं चुम्मे से खुश हो जाऊंगा पर उसे चुत चाहिए।

मामी हस दी और ऊपर चढ़ के लण्ड पे फट से बैठ गयी।पर झट से बैठने से लण्ड सनक से अंदर घिस गया

"आहुच आआह अम्मा आआह सीईई"उसकी सिस्की निकली।

लंड को अपने अंदर घुमा रही थी। ओ ऊपर नीचे हो रही थी।
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मैं:क्यो मामी मजा आ रहा है।

ब मामी: बहोत आआह मजा आ रहा है।उम्म आआह"

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आआह और अंदर आ फक मि उम्म आआह वीरू और चोद जो ओओओ ररररर आया सीआह आआह"
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मैन उनके सर को नीचे कर के एक ओंठ पर चुम्मी लेली।और नीचे से जोर जोर से गांड उठा के उनको चोदने लगा।

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अभी ओ रोमांचित हुई।धक्के की वजह से बैलेंस न बिगड़े इसलिए मुझे कस के बाहों में जखड लिया।हम दोनो का काम रस एकसाथ बह गया।

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मामी बाजू होकर सो गयी।मैं उनको चिपक कर आंखे बन्द कर लिया।अभी दोनो थक चुके थे तो नींद भी फट से आ गयी।
 
(Episode 4)

सुबह उठा तो बड़ी मामी उठ कर पहले ही जा चुकी थी।मैं आज काफी देर बाद उठा था।कांता भी साफ सफाई करके चली गयी थी। मैं बाथरूम में गया नहा कर बाहर आया।सब नाश्ता करके अपने अपने काम पर लग गए थे।कल आये हुए मेहमान सुबह ही जा चुके थे।मैं नाश्ते के मेज पर जाके बैठ गया।छोटी मामी बड़ी मामी और मा किचन में खाने की तैयारी में थे।

नाश्ता डायनिंग टेबल पर ही था।मैंने नाश्ता खुद से परोसा।तभी छोटी मामी ने ताना मारा

छो मामी:हमारे यहाँ सारे काम समय पे होते है।कभी भी आओ खाओ अइसे संस्कार नही हमारे।

मैंने गुस्से में मा के पास देखा तो उन्होंने शांत रहने बोला।
मैंने नाश्ता खाना चालू किया।

छो मामी:देखो संस्कार की बात बोली तब भी कैसे कैसे लोग होते है निर्लज्जो की तरह जीते है

अभी पानी नाक के ऊपर गया।आत्मसन्मान भी कुछ चीज होती है।मैं नाश्ता वही डाल के उठ गया।तभी बड़ी मामी ने छो मामी को चिल्ला दिया।

ब मामी:क्यो शिला बहोत संस्कार कायदे कानून की बाते कर रही हो।भूलो मत यहाँ पर इस बातों के अधिकार सिर्फ पिताजी के पास है।किसीको भी घर के सदस्य का अपमान करने का हक नही है।

छो मामी:पर भाभी मैं तो घर के कायदे कानून ही बता रही थी।

ब मामी:कोई जरूरत नही उसकी।तुम्हे किसीने बोला है क्या सबको कायदे कानून बताते फिरने को।खाने के ऊपर टोकने वाले को भगवान भी माफ नही करता।डरो भगवान से।

छो मामी:अच्छा अभी इसके लिए आप मुझे ताना दोगी।ये अधिकार आपको भी किसीने नही दिया।

ब मामी:तुम्हे मुझे बताने की जरूरत नही अपना गिरेबान झांक बाद में दुसरो को बता।

छो मामी:गिरेबान की बात आप भी नाही करे तो ठीक है ।

माँ ने झगड़े को संभालते हुए।बीच में पड़ के दोनो को समझाया।छो मामी पैर पटकते हुए चली गयी।

ब मामी मा को:आप क्यो बीच में आयी।इसकी बत्तमीजी बहोत बढ़ रही है आजकल।अक्ल ठिकाने लानी पड़ेगी।किसको क्या बोलना कुछ मालूम नही।

माँ:जाने दो बड़ी भाभी गुस्सेवाली है।आप बड़ी है समझदार है।आप भी झगड़ने लगोगी तो घर कैसे चलेगा

माँ मुझसे:और तुम कल से या तो जल्दी उठो या कमरे में जेक खाओ।तुम्हारी वजह से ये बवाल हो गया।

इस बात पे बड़ी मामी ने मा को भी सुना दिया

बड़ी मामी:तुम उसको क्यों बोल रही है।उसकी क्या गलती है।तुम उसे मत चिल्लाओ।पहले ही बता देती हु।ये उसका भी घर है।वो जो करेगा उस्की मर्जी।

माँ और मुझे बड़ी मामी का मेरे लिए इतना भावुक होना एकदम अनोखा और अजीब सा लगा।उसका कारण मैं समझ गया पर मा तो भौचक्के की तरह देखती रही।

बड़ी मामी मुझसे:देख वीरू सुबह मेहमान गए है तो तुम्हारे मामा और नाना बिना खाना लिए गए है।तो तुम आज आफिस में खाना लेके जाना।

मैं:ठीक है मामी जी।

मैं अपने कमरे में निकल गया।

इधर किचन मे-

माँ:बड़ी भाभी उसकी क्यो ऑफिस भेज रही हो।कुछ गलती कर दी तो बड़े भैया नाराज हो जाएंगे।

बडी दी मा के कंधे पे हाथ रखते हुए:आप क्यो चिंता करती हो।बच्चा बहोत काबिल और होशियार है।और इनको बता दिया है की वीरू खाना लेके आएगा।अरे उसको उतना ही नया मौहोल मिल जाएगा।घर बैठ के ऊब गया होगा।

माँ:बड़ी भाभी सच में शुक्रिया।कितना खयाल करती हो मेरे लल्ला का।

(ब मामी मन में-इसका खयाल रखूंगी तभी वो मेरा ख्याल और मेरे चुत का खयाल रखेगा।तूने कितने दिनों से इस तगड़े लण्डवाले को छुपा के रखा था।अभी इसे खोना नही चाहता।)

मैं किताब पढ़ रहा था तो माँ मुझे बुलाने आई।

माँ-वीरू चल बेटा ।ऑफिस जाना है।तैयार हो जाओ।और ऑफिस में सही बर्ताव करना।कुछ गलती मत करना।

मैं रेडी होकर नीचे आया।खाना लिया और शिवकरण चाचा के साथ ऑफिस के लिए निकला।ऑफिस पहुंचने तक हमने इतनी बाते की जिससे इतने कम समय में हम दोस्त बन गए।

ऑफिस में जाने के बाद शिवकरण चाचा ने सबसे मेरा परिचय करवाया।मैंने जहा खाना खाते है वह पर खाना रखने गया।वह छोटे मामा थे।मुझे देख मुस्कराते हुए स्वागत किया।

छो मामा:अरे वीरू आ जाओ।खाना यहाँ रखो।तुमने खाया?

मैंने हा बोल दिया।

छो मामा:अच्छी बात है,पर पिताजी भैया को समय लगेगा।तबतक तुम ऑफिस और फैक्ट्री देख लो।ठीक है मैं आता हु।

छोटा मामा वहाँ से अपने काम के लिए निकल गया।मैं ऑफिस घूमते घूमते फैक्ट्री घूमने लगा।एक जगह जहा स्टोर रूम (सामान रखने की जगह)जैसा कुछ था।उसके बाहर ऑफिस का चपरासी खड़ा था।जगह फेक्ट्री और ऑफिस से काफी दूर था।

मैं सोच में पड़ गया।ऑफिस और फेक्ट्री से इतने दूर ये चपरासी कर क्या रहा है।मुझे कुछ शक हुआ इसलिए मैं वहाँ चला गया।मुझे देख उसकी नजर घुमने लगी।पैर कांपने लगे,पूरा शरीर पासिना पासिना।वो दरवाजे को धीमे से क्नॉक करने लगा।

मैं उस चपरासी से:यहाँ क्या कर रहे हो।

तभी अंदर से किसी की आवाज आने लगी।

मैंने धक्का देके दरवाजा खोला।

अंदर का आदमी:कौन है बे?

(अंदर एक 30 साल का आदमी पेंट आधी नीचे कर के खड़ा था और एक औरत करीब 35 से 40 साल की उम्र होगी,उस आदमी के लन्ड को चूस रही थी।मुझे देख ओ औरत बाजू हो गयी।उसने अपने खुले हुए चुचे छुपाने की कोशिश की)

मैं:ये क्या चल रहा है यहाँ?

"तू है कौन ये पूछने वाला"वो आदमी चिल्लाते हुए अपनी पेंट सही कर रहा था।

चपरासी:बड़े साब के पोते है सर

चपरासी की बात सुन के उस आदमी की हवाइयां निकल गयी।

वो आदमी:माफ करना सर फिरसे गलती नही होगी।और पैर पड़ने लगा।

मैं:कौन हो तुम?

चपरासी:साब मजदूरों का सुपरवाइजर है।फेक्ट्री की मजदूरो को यही संभालता है।

मैं उस आदमी से:अच्छा तो ये सुपरवाइजिंग हो रही है।

मैं चपरासी से:ये चपरासी नाम क्या है तेरा?

चपरासी:मक्खन साब

मैं:ये मक्खन इस उजड़े बटर को लेके जा।

वो आदमी मेरे पैर पड़ने लगा।पर चपरासी उसको खींचते हुए लेके गया।

मैं उस औरत से:तुम्हारा नाम क्या है?

वो औरत:रेखा

मैं:यह क्या करती हो?

रेखा:मजदूरी के लिए अति हु साहब

मैं:कौनसी ये वाली मजदूरी

रेखा चुप सी ही गयी।

मैं:अभी मुह में लन्ड नही है तेरे बकना चालू कर

वो रोते हुए गिड़गिड़ाने लगी:माफ करदो सब मेरी गलती नही है,वो धमकाता रहता है की वो मुझे काम से निकाल देगा अगर मैं उसके साथ नही सोई तो।

मैं:कोई कुछ भी बोलेगा तो तू मान जाएगी।कुछ आत्मसन्मान जैसी बात नही क्या।

रेखा:गरीब को कैसा आत्मसन्मान घर म छोटे बच्चे दिनभर पीके पड़ा आदमी ,अगर काम नही होगा तो घर कैसे चलेगा।इसलिए करना मजबूरी है।

मैं:ये मजबूरी मतलब अगर मैं कहु मेरे साथ सो तो सोएगी।

वी भौचक्क कर देखने लगी।

मैं:आँखे क्या फाड़ रही है जवाब दे।वो तो वैसे भी नौकर है कम्पनी का।मैं भी तुम्हे निकाल दु तो?

रेखा:अयसे मत करो साब गरीब हु कहा जाऊंगी।जैसे आप कहे।वही करूंगी।

मैंने बाहर देखा कोई है क्या।मुझे दूर तक कोई दिखाई नही दिया।मैंने स्टोर रूम का दरवाजा बन्द किया।

रेखा:ये क्या कर रहे हो साहब।ये गलत है।

मैं:क्यो मेरे कम्पनी में काम करने के लिए मेरे नोकर के साथ सो सकती हो ।तो मैं मालिक हु।मेरे से क्या परेशानी??!!!

रेखा की नजर झुक गयी।

मैं:अभी सती सावित्री मत बन चल ब्लाउज खोल।

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रेखा ने पूरा ब्लाउज खोल के निकाल दिया।

मैं:साड़ी भी निकल फटाफट

उसने साड़ी भी निकाल दी।अभी सिर्फ पेटीकोट और उसके अंदर पेंटी उसके अलावा कुछ नही था।

मैं:चल चुचे मसलना चालू कर।(मैंने मेरा पेंट नीचे किया और लन्ड हिलाते हुए बोला।

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वो चुपचाप अपने चुचे मसलने लगी।उसके उस दृश्य से मेरा लन्ड भी तन गया।

मैंने उसको अपने पास बुलाया और बाजू में रखे मेज पर घोड़ी जैसा टिकाया और पीछे खड़े होकर लण्ड लगा दिया।और धक्के देके चोदने लगा।
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रेखा-"आआह आआह उम्मम आआह ओओओ आआह चोदो आआह उम्मम और अंदरआआह आआह उम्मम आआह ओओओ आआहआआह आआह उम्मम आआह ओओओ आआहआआह आआह उम्मम आआह ओओओ आआहआआह आआह उम्मम आआह ओओओ आआह

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मेरे पास वक्त की बहोत कमी थी।पर हाथ की मछली अइसे ही छोड़ना मेरी फितरत में नही।इसलिए जितना मिला उतना मजा ले लिया।मैंने उसके चुचो को पीछे से मसलना चालू किया।
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उसकी चुत में लन्ड घोड़े का रेस चल रही थी।उसके चुत में मेरे लन्ड के जलवे हो रहे थे।पर मेंरे अंदाज से भी पहले वो झड़ गयी।
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मैंने लन्ड निकाला और उसे नीचे बैठा कर उसके मुह में दे दिया।उसने हिला हिला के चुसा और जैसे ही झडा सारा लन्ड रस मुह पर।

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वो तैयार हो गयी।

मैं:देखो रेखा जी।फिरसे आप उसके साथ ये करते पकड़े गयी तो खैर नही।इस बार माफ कर दिया।

रेखा: ठीक है साब मेहरबानी आपकी।

मैं भी इसके साथ ऑफिस गया।शिवकरण अंकल खड़े थे पहले से खाली डब्बा लेके।मैं आते ही दोनो घर आने को निकल गए।
 
(Episode 5)

घर पहुँचते मुझे 4 से ऊपर बज गए थे।आज घर में सन्नाटा था क्योकि सुबह झगड़ा होने से घर में ज्यादा बात चित नही हो रही थी।मैं बिना किसी बात पे टांग अड़ाते हुए।कमरे में चला गया।जैसे ही अंदर गया फिसल गया।सब तरफ पानी वो भी साबुन वाला।

"अहह माँ आआह मर गया"

मेरे आवाज से माँ संजू दी और भाभी दौड़ते हुए आयी।संजू दी और मा ने मुझे उठा के बेडपर बैठाया।उन्होंने फैले पानी का जायजा लिया तो मालूम पड़ा की बाथरूम का शॉवर फिरसे गिर गया है और नीचे रखे साबुन पर गिरने से उसमे साबुन भी मिल गया था ।मा ने फिर से ऑफिस प्लम्बर को बुलाया।पहले तो उसको झाड़ा की अइसे आधे अधूरे काम क्यो करते हो।प्लम्बर बिचारा सुनने के सिवाय क्या करता।मा ने संजू को और भाभी को नीचे लेके जाने को बोला उनके कमरे में।

मैं माँ के कमरे में आकर बैठ गया।मुझे ज्यादा लगा नही था।पर अचानक पैर फिसलने से हल्की सी मोच आई थी पैर में जिसकी चिंता करने जैसी कोई बात नही थी।भाभी और संजू दी किसी पार्टी में जाने वाले थे।

संजू:क्या यार वीरू,तुझे पार्टी में लेके जाना था हमे,और ये क्या,नो याररर।

मैं:ठीक है दी,नेक्स्ट टाइम आ जाऊंगा,जाओ आप एन्जॉय करो।

मैं बैठे बैठे ऊब गया।सोचा रूम से किताब लेके आउ ,वैसे भी कुछ दर्द नही था,नाजुक मोच तो मैं सहन कर ही सकता हु।अभी तक रूम साफ भी हो गया होगा।

मैं मेरे रूम के पास गया तो मेरा रूम बंद था।मैं थोड़ा पास गया तो मुझे आवाजे आने लगी।पहले मुझे लगा मेरे कानो का आभास होगा।पर जब आवाजे बढ़ी तो उन आवाजो से मेरे गुस्से का पारा भी बढ़ा।दरवाजा लॉक कर तो दिया उन्होंने पर रूम मेरी थी तो उसकी चाभी मेरे पास भी होंगी ये दिमाग उनमे था नही लगता है।

मैं दरवाजा खोला और फट से अंदर गया।40 साल की मेरी मा 45 से 48 साल के उस प्लम्बर के अंगूठे जैसे लन्ड पे बैठी थी और चुत को मजा दे रही थी।

मेरे अचानक से अंदर आने से दोनो की हवाइयां उड़ गयी।दोनो भी खुदको छुपाने की कोशिश करने लगे।दोनो ने कपड़े पहन लिए।

मैं गुस्से में:ये क्या चल रहा है यहाँ,ये क्या रंडी खाना है क्या?
माँ:बेटा धीरे बोल कोई सुन लेगा।

मैं:तू चुप ही रह।(प्लम्बर से)अरे तू तेरी औकात इतनी बढ़ गयी की मालिक की बेटी के साथ पलँग गर्म करेगा।लन्ड दो इंच का नही चला रंगरंगिया करने।

और गुस्से में मैंने उसके उम्र का लिहाज न करते हुए दो दमदार थप्पड़ जड़ दिए।मेरा गुस्सा अयसेही था की मैं वो एक लेवल पार कर दे तो मैं खुद को संभाल नही पाता था।और उसका ही नतीजा अइसा हुआ की प्लम्बर का ओंठ फट गया।वो वैसे ही गिरा पड़ा रहा।

मा ने आगे आके मुझे रोकने की कोशिश की क्योकि मैं और न मार सकू उसको।पर मैं मेरा पूरा आपा खो गया था।मैंने उनको भी उल्टे हाथ का जड़ दिया।सीधे से घूमने को नही मिला इसलिए ज्यादा दमदार नही लगा।एक बेटा होने के लिहाज से मेरा उनपे हाथ उठाना सही नही था।पर उन्होने भी माँ होने का कोई लिहाज नही रखा था।कोई क्या करता अगर कोई औरत जो उसकी मा हो रंडियाबाजी करती फिर रही हो ओ भी घर में जवान बेटा होते हुए।पहली दफा मैं मान लिया की फस गयी थी,पर ये तो उसने खुद ही कांड किया था।

मैं काफी ज्यादा गुस्से में था।मैं प्लम्बर को लाथो से सन्मानित कर रहा था।करीब करीब वो बेहोश होने की कगार पे था।तभी किसीने मेरा हाथ पीछे से रोका।मैंने उसपर भी हाथ लपेटने के लिए पीछे घुमा तो बड़ी मामी खड़ी थी।मैं थोड़ा ठंडा पड़ गया।बड़ी मामी मुझे बेड पे बिठा के शांत करने लगी।माँ भी आगे आके सफाई देने लगी तो मामी ने उनको रूम का दरवाजा बन्द कर बाहर उनके कमरे में जाने को बोला।

ब मामी मा से:तुम जाओ यहाँ से ,अभी उसका गुस्सा सातवे आसमान पे है।तुम और मत बढ़ाओ।जाओ रूम लॉक करके।खाने की तैयारी करो।मैं ना बोली तब तक नही आना।

माँ रोते हुए नीचे चली गयी किचन मे।

बड़ी मामी ने उस प्लम्बर को झाड़ते है:बलबीर शर्म नही आती तुझे,हमारे घर पे ही अइसी करतुते।इसके बाद इधर दिखे तो तुम्हारी खैर नही।अभी निकलो!!!

प्लम्बर बलबीर कैसे वैसे वहा से खुद को संभालते हुए निकल गया।

मैं गुस्सा रोकने के लिए हाथ को बेड पर पटके जा रहा था।

ब मामी मुस्कराते हुए:अरे मेरा लल्ला गुस्सा हो गया।शांत हो जा।

मैं:मामी अभी आप भी माँ की साइड मत लो अभी ये हद हो गयी है।आप जाओ यहाँ से।

ब मामी:अरे कुछ नही मैं समझा दूंगी उसे,तुम शांत रहो।

(बड़ी मामी ने प्यार में मेरे ओंठो की चुम्मी ली।उनको लगा की उससे मैं पिघल जाऊंगा। पर मैंने उन्हें दूर हटाया।बड़ी मामी हैरान ही रह गयी।)

ब मामी:अरे वीरू तुम कुछ ज्यादा ही ओवर रियेक्ट हो रहे हो।मैं बोल रही हु न गलती हो जाती है,समझाने से हल निकल जाएगा।

मैं:गलती एक बार होती है,दूसरी बार हो उसे गलती बोलना अपनी गलतफहमी है।

बड़ी मामी की आंखे चौड़ी हुई:मतलब।क्या बोलना चाहते हो?

मैं:बड़ी मामी आपको भी मालूम है की मैं क्या बोलना चाहता हु।क्योकि उस बात की आप भी एक गवाह है।

बड़ी मामी थोड़ी डर सी गयी:क्या मतलब है तुम्हारे इस जवाब का?और मैं कहा इसमे आ गयी?

मैं:मामी इतनी भोली भी मत बनो,इस घर में कोई सती सावित्री नही है इसका पता मुझे हो गया है।पर इस बात को दुनियाभर मत फैलाओ ना।

बड़ी मामी:देखो वीरू अइसी पहेली मुझसे न सुलझाई जाएगी न अइसा सस्पेंस सहन होगा,जो बात है सीधे सीधे कह डालो प्लीज!!!!!!!!

मैं:ठीक है उम्र और रिश्ते का लिहाज करते हुए चुप था पर अभी सर के ऊपर पानी जा चुका है।आप तीनो जो कान्ता के भाई के साथ रंगरेलिया उड़ा रही थी ओ सब मालूम है मुझे।(बड़ी मामी के मुह का रंग उड़ सा गया था।गला सुख गया था।)कुछ दिन बाद कान्ता का भाई आना बन्द हो गया ।मुझे लगा आपको गलती का अहसास हो गया।पर आज जो हुआ वो तो हद से बाहर था ।

बड़ी मामी बात संभालने के लिए:तुम्हे कौन बोला की हैम लोग........

मैं बात काटते हुए:मामी बड़ी इज्जत करता हु आपकी मैं था जो सारे सबूत मिटा दिए नही तो आज मुह दिखाने काबिल न रहती।अभी झूट मत बोलो प्लीज।

ब मामी:सबूत मिटाए मतलब?वो फ़ोटो....

मैं:जिसने निकाले थे उससे मैन उस सब फोटोज का बंदोबस्त करवाया और जिसने निकाला उसका भी।अभी उस बात को न किसीको बताने की जरूरत नही।

ब मामी:पर वो शख्स कौन था जो हमे फोटो निकाल छोटी के मोबाइल से ब्लैकमेल कर रहा था ?

मैं:कितनी बड़ी भोली हो याफिर मूर्ख हो आप लोग।जिसने आपको फोटो दिखाए उसने ही निकलवाये।जिससे निकलवाये उसने सिर्फ आधे फ़ोटो आपको दिखाने वाले को दिए।और बाकी देने से पहले उसने एक गलती करदी की वुसमे से एक फोटो मुझे शेयर कर दिए।और मैंने उसे ठिकाने लगा दिया।

(बड़ी मामी का सिर चकराने लगा।)

बड़ी मामी:तुम सीधा बोल दो जो भी है।पहेली मत बुझाओ

मैं:साफ साफ बोलू तो छोटी मामी ने आपको फसाने के लिए आपको इस खेल में लाया जिससे जायदाद बटवारे में आपकी नानाजी के आगे सर्मिन्दा कर सके।और सबूत के लिए किसीसे फोटो निकलवाये।और जिसने फोटो निकाले उसने सिर्फ उनके ही फोटो उस ऍप से भेज दिए।पर बाकी के भी शेयर करता उससे पहले उसने एक फोटो मुझे गलती से भेज कर अपनी योजना का भंडाफोड़ कर दिया।और आपकी नही तो नानाजी के इज्जत के खातिर मैंने बाकी फोटो और फोटो निकलने वाले को ठिकाने लगा दिया।

बडी मामी:तुमने उस शख्स को मार दिया??

मैं:मैंने कहा ना आपको उस बात से मतलब नही,आपको जो रंडियाबाजी करनी है करो पर अइसे लोगो से करती हो जो कल नानाजी के इज्जत को हानिकारक हो।और नाना जी ने हमे सहारा दिया है उनको कुछ हो जाए मुझे बर्दाश्त नही।

बड़ी मामी ने मेरे पैर पकड़ के गिड़गिड़ाने लगी ।

मैं:अरे मामी क्या कर रहे हो।आप गलती कर चुके हो,ओर उम्र का लिहाज है मुझे मुझसे ये पाप न करो

(बड़ी मामी को हाथो से उठा के खड़ा किया और जो सिर शर्म से झुका था उसे उपर उठाया।और उनके रोते हुए आंखों पर चुम्मी देदी।बड़ी मामी का बदन सिहर सा गया।मैंने उनके माथे पर गालो पर चुम्मा दिया।फिर कोमल थरथराहट भरे ओंठो पर चुम्मी दे दी।मामी ने मुझे कस के गले लगाया।)
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बड़ी मामी(रोते हुए मुझे चिपके हुए):मुझे माफ कर दो।पिताजी के घर की बड़ी बहु होने का फर्ज नही निभा पाई वही तुमने घर का नातिन होने का फर्ज निभा दिया।फिरसे ये गलती नही होगी।मैं तुम्हारी मा को भी समझा दूंगी।वो भी नही गलती करेगी।

मैंने उनसे अलग होते हुए:आप मा के बारे में बोलो ही मत,उनका ये दूसरी बार है,वो भी घर में बेटा मौजूद होते हुए भी और बेटे के कमरे में ही।उनके लिए कोई इज्जत नही रही मेरे पास।अगर कुछ पूछे तो बता देना की दुनिया के लिया हमारा रिश्ता मा बेटे का जरूर हो,पर मेरे लिए वो एक औरत है।मुझे उनसे कोई गिलाशिकवा नही।क्योकी उन्होंने कुछ वो इज्जत ही नही रखी मेरे दिल में जो उनके लिए कुछ भावना जग उठे।अभी उनको सब कारनामो के लिए खुली छूट है।

बड़ी मामी:पर वीरू अइसे मत करो यार मा है तुम्हारी।

मैं:बड़ी मामी आपको अगर मेरे से रिश्ता रखना है तो मा की दलाली मत करो नही तो आपको भी रास्ता खुला है मेरे जीवन से।

बड़ी मामी (मुझे चिपक जाती है):अइसी बात फिरसे ना करना।तुम्हारी वजह से इस जिंदगी में जान सी आ गयी है।अगर तुम चले जाओगे तो मैं तो अकेले पड़ जाऊंगी।अभी सहारा भी तुम ही हो और जान भी तुम(उन्होंने मेरे माथे पे चुम लिया मेरे)।

मैंने उनको सीधा करके आंखे पोंछ दी।उनका पल्लु चुचो के ऊपर से थोड़ा हट गया था।मेरी नजर वहां गयी।एक आधा नंगा चूचा दिखाई दे रहा था।उन्होंने मेरे नजरो को समझ लिया।और मुस्कराते हुए पूरा पल्लु हटा दिया अभी दोनो अधनंगे चुचे और उनके बीच के गली साफ दिखाई दे रही थी।मैंने अपने हाथ उनके छाती और ब्लाउज के ऊपर से ही घूमाने लगा।बड़ी चाची गर्म होने लगी,उन्होंने आंखे बंद किये और ओंठो को चबाने लगी।
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मैंने उनके ब्लाउज और ब्रा को खोला और चुचो को मसलने लगा।निप्पल्स को नोचने लगा।उनको सुखद आनंद आ रहा था।उन्होंने मेरे सिर को पकड़ा और चुचो के बीच दबोच लिया।मैं चुचो को चाटने लगा।चुसने लगा।

मामी का हाथ नीचे चुत को दबा रहा था।"उम्मसीईआह"की सिसकारी मुह से निकलती हुए मुझे ये बया कर रही थी की चुत ने पानी छोड़ना चालू किया है।उसको प्यास लगी है।तुम्हारे लन्ड की भूख लगी है।जल्दी से समा जाओ उसके छेद में जलवे दिखाओ।उसकी भूख मिटाओ।उसकी भड़कती आग शांत करो,अभी ये तन्हाई सहन ना हो रही है।

मामी को मैंने बेड पे सुलाया और साड़ी कमर ऊपर कर के लण्ड को सहलाया।उनके चुत में उंगली डाल के अंदर बाहर किया।बहोत गरम रस बाहर आ रहा था।पूरा लाव्हा रस था।लन्ड की प्यास सिमा तोड़ने पर थी।
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मैंने उनके चुत पे लन्ड लगाया और धीमे से अंदर सरकाया।उन्होंने आंखे बंद करके सिसकारी छोड़ दी"आआह सीईई"।
उनके थिरकते हुए ओंठ मेरे ओंठो को ललचा रहे थे।मैंने उनके ओंठो को मुह में लेके चुसने को चालू किया।उनके चुत में लन्ड रगड़ना,धक्के पेलना जारी था।हर एक धक्का उनको सातवे आसमान पे लेजा रहा था।पर कुछ पल की कशमकश उनकी चुत ने खुद को ढीला कर दिया और झड़ गयी।मैंने अभी अपना स्पीड बढ़ा दिया।जब तक मैं झड़ ना जाऊ और उनकी चाहत के लिए मैं पूरा अंदर ही झड़ गये।

कुछ देर एक दूसरे के बहो में पड़े रहे।जब थोड़ी राहत सी मिली ओ तैयार हुई और जाने लगी

बड़ी मामी:खाने के लिए जल्दी आना आज पिताजी भी है।ओ समय के पाबंद है।फिरसे वो छोटी न टांग अड़ा दे।

मैं:ठीक है।जरा कमरा साफ करता हु,अभी मुझे ही करना है,और आ जाऊंगा समय पर,आप चिता मत करो।

वो मुस्कुराई और चली गयी।

आज की सुबह अछि जरूर गयी थी क्योकी बहोत दिनों बाद घर से बाहर गया था।पर शाम थोड़ी मेलोड्रामा हो गयी।एक बेटे का मा से रिश्ता खराब ही गया।छोटी मामी की असलियत बड़ी मामी को मालूम ही गयी, थोड़ा झूट बोलना पड़ा पर उतना चल जाता है किसी को सही मंजिल दिखाने के लिए।अभी खाना खा लेते है कल से फिर नया दिन।हर दिन एक नया कारनामा खड़ा करने वाला होता है।इसलिए जिंदगी गरीबी वाली अछि होती है।अमीरों के घर में जितना पैसा उतनी परेशानियों का झमेला।पिताजी के यहां सती सावित्री वाली औरत यहां रंडियाबाजी करने लगे तो समझ आता है की इंसानियत के आगे पैसा और अभी पैसे को भी हरा देने वाली घटिया चीज है हवस,जो किसी भी हद तक जाएगी ,क्योकि

"हवस में रिश्ते मायने नही रखते"
 
(Episode 6)

रात को खाना खाने के वक्त मैं पूरा शांत था बस किसी ने पूछा तो थोड़ा मुस्करा के हा या ना में सर हिलाक़े जवाब दे रहा था।मैं आज ऑफिस गया था।नाना और दोनो मामा ने खुशी जाहिर की उन्हें अच्छा लगा की मैं उनके व्यापार में दिलचस्पी ले रहा हु क्योकी रवि भैया का उसमे कुछ दिल नही था वो फोटोग्राफर बनना चाहते थे।पर नाना और मामाओं के खुशी से छोटी मामी खुश नही थी।और ओ होगी ही नही।क्योकि अगर मैं व्यापार में जुड़ गया तो उन्हें बहोत ही घाटा होगा न।पर मेरे से दुश्मनी हमेशा घाटे की ही रहती है ये वो समझ नही पाई।

पूरे खाने के दरमियान मैं बोलना तो दूर आंखे भी नही मिलाई।मेरा गुस्सा बहोत ज्यादा हो गया था।क्योकि ये थोड़ी बात हो जाती है की हवस है तो कुछ भी कही भी।वो भी सगे बेटे के रूम में।

दूसरे दिन सुबह मैं लेट उठा,करीब 11.30 बजे।गुस्सा मुझे बहोत आता है पर उतना सहन नही हो पाता।रात को सर थोड़ा दर्द होने लगा तो गोली ली तो नींद ज्यादा आ गयी थी।इसलिए उठने में देरी हो गयी।तैयार होकर खाना खाने नीचे गया।खाना खत्म होते ही बड़ी मामी बोली की नाना और मामा लोग को खाना देदो।ये अभी मेरी दैनंदिनि हो गयी थी।

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◆बड़ी मामी-सीमा,उम्र 40 से 45,बाकी तो आप जानते ही हो।

बड़ी मामी:ये खाना ऑफिस पहुचा दे।और हा मैं पूछना भूल गयी,कल भी गए थे तो क्या पसन्द आया ऑफिस अभी रोज जाना है?

मैं:ठीक है मामी,आप कहती है तो चला जाऊंगा वैसे भी घर में कुछ करता भी नही हु।

माँ:तुम्हारे लिए भी कुछ बांध दु ,उधर भूख लगी तो,ऑफिस में रुक कर काम भी सिख लेना।

मैंने मा को अइसे नजरअंदाज किया जैसे वो वह ओर है ही नही।

मैं:बड़ी मामी,और कुछ नही है तो क्या मैं निकलू,नही तो देर हो जाएगी नानाजी नाराज ही जाएंगे।

बड़ी मामी :नही कुछ नही बस इतनाही तुम निकलो ऑफिस के लिए।

मैं ऑफिस के लिए शिवकरण अंकल के साथ निकल गया।

इधर घर(किचन)में-

माँ रो रही थी।बड़ी मामी ने उन्हें संभालते हुए गले से लगा लिया

बड़ी मामी:अरे क्यो रो रही हो।ओ अभी गुस्सा है,रोने से कुछ नही होगा,शांत हो जाओ।

माँ:पर भाभी उसका ये बर्ताव मुझे सहन नही हो रहा।

बड़ी मामी:जैसे उसे तुम्हारा बर्ताव ठीक नही लगा वैसे ही न।जैसे तेरा दिल दुखना सही है वैसे उसका भी दिल दुखना सही है।

माँ को मामी का ताना कस के लगा।म

मा:पर उस गलती का अहसास है मुझे,मैं माफी भी मांग लुंगी।पर वो बात करे तो सही न।

बड़ी मामी:देख तुझे बताने या सलाह देने के लिए मैं भी साफ चरित्र की नही हु।पर तुझे क्या जरूरत थी घर में ये सब करने की।वो भी उसके ही कमरे में।

मा:मैं क्या करू।वीरू के पापा रोज चोदते थे।यहाँ आने के बाद आदत छूट जाती पर कान्ता के भाई के लपेटे में आ गयी।अभी ये आग सहन नही होती।

(बड़ी मामी को अभी छोटी मामी के उपर गुस्सा आ रहा था।उन्होंने शांत होकर बोला।)

बड़ी मामी:ठीक है तुम्हारी भावनाएं समझ रही हु।पर आजसे थोड़ा धीरज लो।

माँ:पर कल आप रूम में उसे समझाई न,क्या बोला वो,बोलो न।

(बड़ी मामी ने मेरे और उनमे हुई सब बाते मा को बताई।मा झट से खुर्ची पर बैठ गयी।उनको झटका सा लगा।)

मा:मतलब पति भी मर गया और बेटा भी।सच में इतनी बड़ी गलती कर दी।और वो डायन (छोटी मामी)उसने इतना बड़ा खेल खेला।

(मा जोर जोर से रोने लगी।मा की आवाज सुन के कान्ता जो बाहर थी वो भी अंदर आ गयी।)

बड़ी मा:सुशीला देख संभाल खुद को अभी हम तुम कुछ नही कर पाएंगे।तुझे तो मालूम ही होगा ना उसका गुस्सा।और ये बात भी अइसी नही की किसी और की हेल्प ली जाए।तुम जाओ रूम में जाके आराम करो।

मा अपने रूम में चली जाती है।

कान्ता:क्या हुआ बड़ी मेमसाब।दीदी रो क्यों रही है।

(बड़ी मामी ने सारा मसला शुरू से अभी तक का कान्ता को बता दिया।)

कान्ता:मुझे मालूम था ये कभी न कभी होने वाला था।इसलिए भाई को दूर भेज दिया।पर दीदी को ये सब करने की क्या जरूरत।सब एकसाथ फस जाएंगे।बाबूजी ने मुह नाना के पास खोला तो।

बड़ी मामी:मतलब तुम्हे मालूम था तो पहले क्यो नही बताया,इतना बड़ा झमेला नही होता।

कान्ता:देखो मेमसाब,आप बड़े घर के लोग अगर मैं बाबू जी से धोका करती तो मेरी खैर नही।उनका गुस्सा बहोत खतरनाक है।

बड़ी मामी:वो तो है।अब जो होना है सब वीरू के ऊपर है।

कान्ता(नटखट आवाज में ):बाकी मेमसाब ओ रात कैसी गयी?

बड़ी मामी:चुप बेशर्म कोई सुन लेगा तो आफत आ जाएगी।

कान्ता(धीमे आवाज में):बोलो ना प्लीज?!?!?!?!?

बड़ी मामी(शर्माते हुए):सच बोलू तो बहोत मजा आया।क्या तगड़ा लन्ड पाया है।चोदता भी मस्त है।

कान्ता:एकदम सही बात फरमाई।मेरे भाई से भी अच्छा चोदता है।

बड़ी मामी कान्ता को:ये तुमने ही बोल दिया ,सही किया।मैं बोलती तो बुरा मान जाती।

और दोनो हसने लगी।आज वैसे भी घर में वो दो और मा ही थी।बाकी लोग बाहर थे क्योकि।घर में कोई उनकी आवाज नही आयी,बाकी ओ की नही पर छोटी रंडी मामी उस टाइम जरूर किचन में होती थी,पर आज नही थी।

दृश्य गाड़ी में-

मैं:शिवकरण चाचा ये बलबीर के बारे में कुछ बता देंगे?

शिवकरण:अरे कुछ नही बाबू जी उम्र हो गयी उसकी।बस दारू के पैसे के लिए काम करता है।बाकी तो बीवी कमाती है।

मैं:बीवी क्या करती है?

शिवकरण:अपने ही फैक्टी में मजदूर है।कम पढ़े लिखे लोग है मजदूरी से पेट पाल लेते है।और बलबीर का खानदान तो नाना जी के पिताजी के पास से अपने यह पर काम करते आया है जैसे मेरा खानदान।

मैं:अच्छा मतलब कोई संतान नही है उसकी!?!

शिवकरण:नही बाबूजी है न एक बेटी है जिसकी शादी हो गयी।वो भी अपने ही फैक्टी में है।

मैं थोड़ा चौक सा गया।

मैं:अपने फेक्ट्री में क्या नाम है?

शिवकरण:अरे क्या नाम है उसका ,?????एकदम मुह पे है मेरे बस अभी याद नही आ रहा!!?!!?!!!!अरे हा याद आया उसका नाम है"रेखा"।

मैं:पर उसकी उम्र बहोत है।

शिवकरण:बीवी उसकी बहोत दयालु है भोली है।मंदिर पाठ वैगरा करती है।किसी मंदिर में मिली थी तो घर पे लेके आयी।इनको कोई बच्चा नही था न।पर आप कैसे जानते हो उसको।

मैं:कल फेक्ट्री में मिली थी।वो जाने दो बड़ी कहानी है।

हम फेक्ट्री में पहोच गए थे।मैं मुख्य ऑफिस में खाना रखने गया।उधर मुझे नानाजी मिले।

नाना जी:वाह बेटा अच्छा है तुम्हे देख सुकून मिला।

मैं मुस्कुराते:वो नाना जी खाना!!!!

नानाजी :अरे खाना वाना होता रहेगा पहले तुम्हारी पहचान करवा दु।

ऑफिस के स्टाफ और मैनेजमेंट स्टाफ से मेरी नानाजी ने पहचान करवाई।फिर फेक्ट्री गए।वहा एक स्टेज था (पब्लिक मीटिंग के लिए बनाया गया होगा)।मजदूरों का खाना खत्म हो चुका था।आखरी 5 मिनिट बचे होंगे।सबको वही बुला लिया और मेरी पहचान करवाई।सभी ने मेरा स्वागत किया।

नानाजी:देख वीरू,अभी से यह के कामकाज को सिख ले समझ ले,बहोत टाइम है पर अभी से सीखोगे तो आगे तकलीफ कम होगी।

(इसका मतलब था की जायदाद के पेपर पर मेरा भी नाम रोमन फॉन्ट में लिखा होगा।छोटी रंडिया अभी तेरे रेस में ये भी घोड़ा दौड़ेगा भी और जीतेगा भी।)

नाना ने एक आदमी को मुझे सब दिखाने के लीए बोला और वो अपने काम के लिए निकल गए।उन्होंने जो आदमी छोड़ा था वो वही था"सुपरवाइजर"।मैं उसको देख हस दिया जैसे कोई मजाक हुआ हो,उसके साथ।क्योकि उस बंदे के सारे बदन से पासिना बह रहा था।

मैं:फेक्ट्री का ऑफिस कहा है?

उसने उँगली दिखा के इशारा किया।मैं उधर जाने लगा तो वो भी मेरे पीछे आने लगा।

मैं:तुम्हे बोला है आने को।

वो ना में सर हिलाता है।

मैं:तो फिर क्यो पुंछ की तरह आ रहे हो।रेखा को अंदर भेजो और उसका काम तुम करो।

उसने हा में सर हिलाया और चला गया।

मैं अंदर ऑफिस में खुर्ची पर बैठा रेखा की राह देखने लगा।वो जैसे ही आयी।उसकी वही दरवाजे पे रोक कर उसकी मा को बुलाने बोला।वो चिंतित होकर मा को बुला लायी।दोनो मा बेटी मेरे सामने खड़ी थी।

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◆सीता:बलबीर की बीवी रेखा की मा,उम्र करीब 45 फेक्टरी में मजदूरी का काम करती है

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◆रेखा -बलबीर सीता की बेटी ,शादीशुदा ,करीब 30 से 35 की उम्र,फेक्ट्री में मजदूर
मैं बलबीर के बीवी से:जी आपका नाम?

वी:जी मेरा नाम सीता है बाबूजी।र

मैं:अच्छा तो सीता जी आपको मालूम है की आपके घर के लोग दुनिया में क्या गुल खिला रहे है।

सीता(रेखा को घूरते हुए):क्या हुआ साब कुछ गलती हुई क्या।

मैं:आपका पति मेरी मा के साथ रंगरेलियां मनाता है और आपकी ये पराये घर गयी बेटी आफिस के स्टाफ के साथ रंगरेलिया मानती है।क्या रंडीखाना बना रखा है क्या?

सीता (आंखे चौड़ी और डरी हुई ):माफ करना बाबूजी,आगे से ध्यान रखेंगे।अगर आप सजा देना चाहते हो तो दे सकते हो।

मैं:चलो आप नंगी हो जाओ।

सीता को लगा नही था की अइसा कुछ सुनने को मिलेगा

सीता:जीईईईई !!!!!

मैं:सीता जी आपने सही सुना ।नंगी हो जाओ।

सीता:पर बाबूजी ये कैसे सम्भव है।मैं आपके मा के उम्र की हो।

मैं:फिर क्या सजा कम करू क्या?!!!! आपके पतिदेव ने मेरे मा के साथ ही बिस्तर गर्म किया।उसका प्रायश्चित तो करना पड़ेगा।

सीता थोड़ी मायूस हो जाती है।उसका मन नही था पर उसको करना पड़ता है।

मैं:तुम्हे अलग से बोलू।आज चुत में खुजली नही हो रही।

मेरे डांटने से रेखा भी नंगी हो गयी।दोनो का शरीर कसा हुआ नही था।पर मादक और बहोत कमाल का था।

मैं भी नंगा होकर खुर्ची पे बैठा।पूरा कमरा बन्द किया।

मैं:रेखा चल मा के चुचे चूस।

रेखा ने अपने मुह को मा के चुचे पे रखा और चुसना चालू किया।सीता बस मुह से सिसकिया छोड़ रही थी।मैं सीता के पीछे गया और उसके गांड पे हाथ घुमाने लगा।उसके बाद रेखा की गांड का भी जायजा लिया।और जगह पर जाके बैठा।और लन्ड हिलाने लगा।

मैं:रेखा जी आपकी माताजी को अपने मुह से आझाद कर दो।और सीता जी आप यहाँ आइए और मेरे लन्ड पर आसान ग्रहण कर ले।

सीता मेरे तरफ पीठ करके मेरे लन्द पे बैठ गयी।काफी पुरानी और खुली चुत थी।लन्ड पूरा अंदर तक गया।

मैं:सीता जी बस आसान ग्रहण ही नही करना।थोड़ा ऊपर नीचे भी करलो।

सीता अपनी गांड हिलाते हुए ऊपर नीचे होने लगी।वो धीमे धीमे हो रही थी तो मैंने उसकी कमर पकड़ के उठा उठा के पटकना चालू किया।जिससे वो जोर से सिसकने लगी

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"आआह उम्म मैया आआह बाबू जी धीरे से आआह उम्मम आआह मममम आआह उम्म सीईआह उम्ममहह आआह"

सामने रेखा अपनी चुत सहला रही थी।

मैं :आये रंडी की बच्ची इधर आ। सीता जी थोड़ा अपनी बच्ची की चुत का भी खयाल कर लो।उसकी बहु खुजली बढ़ रही है।चाट लो थोड़ा।

सीता अपने जीभ को अपनी बेटी रेखा के चुत में डाली घुमाने,चाटने लगी।मैं सीता जी के चुचो को मसलने लगा।पर सीता जी जितनी भोली थी उससे भी ज्यादा ढीली निकली।
जितना चाहता था उससे ज्यादा जल्दी झड़ दी।अभी क्या एक ही रास्ता था,जिसको मैंने अपनाया।

मैं:आ रंडिया बैठ लण्ड पे तुझे स्वर्ग की सैर कराता हु।और सीता जी आओ आप मेरे बाजू में खड़े हो जाओ।

रेखा मेरे लन्ड पे बैठ गयी और उछलने लगी।ओ तो पक्की खिलाड़ी लग रही थी।

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"आआह मर गयी आआह उम्म आआह आउच्च...आआह.आआह मममम आआह उम्म सीईआह उम्ममहह आआह"

उसकी आवाजे मुझे और उत्तेजित कर रही थी।मैं एक हाथ से सीता जी के चुचे मसल रहा था।अभी खेल में रंग ही आने वाला था की रेखा ने भी हथियार डाल झड़ दिया और मेरा लन्ड भी अपना लाव्हा रस बाहर छोकने को आया था।

मैं:सीता जी आइए थोड़ा अमृत ले लीजिए।

सीता घुटनो पे बैठ गयी और लन्ड को मुह में लेके चुसवा रही थी।मेरे लन्ड ने भी ज्यादा समय नही लेते हुए उसके मुह को अमृत लाव्हा रस से भर दिया।उसने डर के मारे गटक भी लिया।
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मैं:आज की पाठशाला खत्म।अभी जाओ काम कर लो।

वो दोनो चली गयी।मैं फेक्ट्री घुमा।पर मूझे आज बलबीर नही दिखाई दिया।जाने दो बीवी तो मिली।अभी उसको सिखाऊंगा सबक की बडो के फाटे में टांग नहीं अडानी होती है वरना
"बीवी रंडी की माफिक चोदी जाती है"
 
(Episode 7 A)

नाना और मामा जी का खाना खत्म होने के बाद मैं घर वापस आया।किचन में जाके टिफिन रखा।वहां पे सिर्फ मा थी।हर वक्त की तरह मैं वहां से उनको नजरअंदाज करके जाने लगा।

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◆वीरू की माँ-सुशीला उम्र 42 से 43 साल हाउसवाइफ
माँ:रुक वीरू मुझे तुमसे बात करनी है।

मैं:पर आपको किसने कहा मैं आपसे बात करना चाहता हु।

मा:मुझे किसी के अनुमति की जरूरत नही।मा हु तेरी ,ये हक है मेरा।

मैं:ओहो मैडम जी आप थोड़ी गलतफहमी में है।आप मेरी मा थी।आपने वो हक कब का खो दिया।अभी आप मेरे लिए सिर्फ मेरे नाना की बेटी हो बस।

मा:तुम उनको नाना इसलिए कहते हो क्योकि मेरे बेटे हो।

मा:यही तो मेरी और नाना की बदकिस्मती है की हमारा आपसे रिश्ता है,मैं तो कुछ रिश्ता नही रखना चाहता आपसे।और मुझे पूरा विश्वास है आपकी हरकत समझ जाने पर नाना भी रिश्ता नही रखेंगे।क्योकि जिसको रिश्ते की मर्यादा नही रखने आती ओ उसके लायक नही होता।

माँ:तुम थोड़ी हद पार कर रहे हो अइसे नही लगता।ये कुछ ज्यादा हो गया।

मैं:आप ये बात कर रही है,शोभा नही देता आपके मुह से।मैं सिर्फ बोला तो इतनी मिर्च लगी,कल मैंने जो देखा उससे मुझे कितना बुरा लगा होगा ये नही सोचा आपने।

मा:पर मेरी बात तो पूरी सुन लो।

मैं:छोड़ो यार घर में आते ही दिमाग मत खराब करो।

तभी बड़ी मामी आती है।

बड़ी मामी:अरे आ गया मेरा बेटा।भूख लगी है तो कुछ खा लेना।

मैं:जी मामी जी।

मैं वहां से अपने कमरे की ओर निकल गया।

मा(रोते हुए):देखा दी आपसे कितनी प्यार से पेश आता है।मुझसे तो अइसे बात करता है जैसे मैं इसकी कुछ हु ही नही।एकदम से अजनबी बना दिया मुझे।

बड़ी मा थोड़ा सोच कर:तुम एक काम क्यो नही करती तुम्हारी जेठानी(पति के बड़े भाई की बिवि)को उसे समझाने को क्यों नही बोलती।आप दोनो के साथ बचपन से रहा है।अगर आपसे रूठा है तो उनकी बात जरूर मानेगा।

माँ:ये बात तो मेरे जहन में आयी ही नही!!!पर दीदी(गांव की चाची)को कैसे मेरी बात बता दु।वो भी गुस्सा हो गयी तो।और फोन पे भी सही से बात नही होगी।

बड़ी मामी:वो भी है,एक काम करते है उनको यही बुला लेते है। आप उनको इत्तिलाह कर देना।

मा:ठीक है।पर वो पेट से है।

बड़ी मामी:कोई नही।ये घर आ जाने के बाद शिवकरण को भेज दूंगी आपके घर वो उनको लेके आ जाएगा।

माँ:ठीक है कोई बात नही।

मा गांव की चाची को कॉल करके बता देती है की उनको शिवकरण लेने आएगा रात को।बाकी कारण जो भी है यहां आने के बाद सही से बता देंगी।

मेरे रूम में-

मैं रूम में आकर बाथरूम में फ्रेश होने गया।जैसे ही बाहर आया,सामने संजू और भाभी खड़ी थी।
संजू मुझे डांटते हुए:कहा मर गए थे,गायब रहते हो।शहर की हवा लग गयी क्या।

मैं:अरे हा हा शांत हो जाओ।क्या हुआ इतनी याद आ रही है।

सिद्धि भाभी:अरे फैमिली रीयूनियन फंक्शन होगा न इस संडे उसकी शॉपिंग करनी है 2 दिन बचे है।तुम्हारे लिए कपड़े लाये है।ट्राय कर लो।

मैं:ठीक है,आप रखो मैं चेक कर लूंगा।

संजू:नही अभी देखो मुझे भी पता चलना चाहिए की मेरी पसंद मेरे भाई से मिलती है या नही।

मैं:संजू दी मैंने कहा ना मैं बाद में चेक कर लूंगा।

मेरी आवाज थोड़ी गुस्सेवाली थी।संजू को वो अछि नही लगी,वो भी पैर पटके वहां से चली गयी।

सिद्धि भाभी:क्या बात है वीरू,इतना गुस्से में क्यो हो?

मैं:कुछ नही भाभी अयसेही ,बिना वजह जिद करती है दी।समझाओ न उसे।

सिद्धि भाभी:मैं तो समझा दूंगी उसे,पर बात वो नही है।बात कुछ और है।बहोत दिनों से घर के बाहर हो,और दिनभर गुस्से में रहते हो।क्या हुआ बताओगे नही अपनी भाभीको।

मैं:सच में अइसी कोई खास बात नही है भाभी।

सिद्धि भाभी:अच्छा जी अभी अपने भाभी से बात छुपाने लगे हो आप।ठीक है नही भरोसा तो छोड़ दो।

भाभी का ताना मुझे सहन नही हुआ।

मैं:भाभी आप संजू या आपकी सास को नही बताओगी ये बात।

सिद्धि भाभी:नही बाबा नही बताऊंगी।

मैंने सारा मामला उनको बता दिया।पर उनके सास मतलब छोटी मामी का छोड़ के सब।

सिद्धि भाभी:और कहते हो कुछ खास नही।ये तुम्हारी और तुम्हारे मा के बीच की बात है इसलिए मैं कुछ नही बोलूंगी।पर उसको इतना भी दिमाग पे मत लो,बाद में तुम्हे ही नतीजा भुगतना पड़ेगा।और ये कपड़े देख लो पसंद नही आये तो बता देना।और संजू को मैं समझा दूंगी।चिंता मत करो।

मैं:थैंक यु भाभी।

भाभी मुस्कराके वहां से चली गयी।

मैंने उनके दिए कपड़े ट्राय कर लिए।मुझे अच्छे लगे।मैंने वैसे उनको बता दिया।रात को खाने के बाद मैं अपने रूम में के बेड पे लेटा था।आज और एक बात मेरे कानो में पड़ी थी वो"फैमिली रीयूनियन"।बचपन से ही 4 लोगो के बीच का मेरा जीवन,अइसे फेस्टिवल कभी मनाए नही,बोलू तो कभी अइसी नौबत ही नही आई।

वही सोचते सोचते मुझे नींद सी आ गयी।रात को करीब करीब 12 से 1 बजे मुझे महसूस हुआ की मैं किसी को लिपटा हुआ सोया हु।पहले मुझे आभास लगा पर जब बाल मेरे नाक में जाके मैं जोर से छींका तब मुझे पक्का हो गया की कोई तो है।मैंने साइड वाला बेड लैंप लगाया तो मुझे पता चला की संजू सोई है।

मैं जैसे"अच्छा संजू सोई है "अइसे सोचते हुए फिरसे सो गया।
पर कुछ ही सेकंड में मुझे करन्ट सा लगा"क्या मेरे साइड में संजू वो भी रात के 12 बजे।क्या पागल है ये लड़की।"

मैने उसको जगाया।

मैं:अरे संजू दी पगला गयी हो क्या,कोई देखेगा तो मेरी तो पिटाई हो जाएगी।प्लीज जाओ यहाँ से।

संजू दी मेरे मुह पे हाथ रखते हुए:शु शु शुऊऊऊ!!!!!!शांत हो जाओ चिल्लाओ मत,कुछ नही होगा।

मैं धीमे:पर आप इतनी रात यहां क्या कर रही हो?

संजू:अरे यार मुझे बहोत बुरा फील हो रहा था और बेचैनी भी थी।बुरा इसलिए की शाम को तुम परेशान थे तब तुमको खामखा तंग कर दिया।और मुझे नींद भी नही आ रही थी।(उसने मुझे नॉटी स्माइल दी।)

मैं:अरे यार संजू दी डरा दिया यार।मैंने राहत की सास छोड़ी और बेड पे लेट गया।

संजू दी मेरे ऊपर चढ़ के बैठ गयी और मुझे चूमने लगी।पर मेरा कुछ मुड़ नही था।

मैं:दीदी आज मुड़ खराब है।आज नही।

पर दीदी कुछ मानने को तैयार नही थी।मैं भी ज्यादा नखरे नही किये,क्योकि भाभी की बात मुझे सही लगी,किसी एक का गुस्सा सबके ऊपर दिखाऊंगा तो मुझे ही भारी पड़ेगा।

मैंने भी उनको ओंठ चूमते हुए साथ देने लगा।वो खुद भी नंगी हुई और मुझे भी नंगा कर दिया।और 69 पोसिशन पकड़ ली।
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मेरे लण्ड को चूस रही थी।चाट रही थी।मैं उनके चुत को चाट रहा था।

लण्ड चाटते हुए बोली:आजकल आइस्क्रीम कैंडी से तो ज्यादा तेरा लण्ड पसंद है मुझे।(मेरे लण्ड के टोपे पर जीभ घुमाते हुए)

मैं:अच्छा पर उसको कैंडी की तरह खा मत जाना

(दोनो हसने लगे।)

मैंने उसको थोड़ा आगे होने को बोला जिससे उसके गांड का छेद मुझे चाटने को मिले।गांड अभी तक मारी नही थी तो उसका छेद बहुत छोटा था।मुझे उसे चाटने में मजा आ रहा था।

संजू:यार वीरू मत करो बहोत अजीब फील हो रहा है,आआह आआह उम्म आआह उम्मम।"

उसने सीधे होकर मेरे लन्ड पर चुत को घिसाया थोड़ी देर और फिर अंदर डालके घुमाने लगी'"आआह आआह उम्म"

अभी उसकी गांड उछलने लगी।
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संजू:आआह वीरू गार्डन के सिसो से भी तेरे लण्ड के ऊपर से ऊपर नीचे होने का मजा कुछ अलग है आआह आआह"

मैंने भी नीचे से गांड उठा कर धक्के ठोकना चालू किया।

मैं:अभी कैसे लग रहा है।

संजू:आआह ये तो गजब है आआह उम्म"

उसने लण्ड को बाहर निकाला हाथ से मसला और फिर चुत में डाल के उपर नीचे होने लगी।

"आआह आआह उम्मम वीरू तेरे लण्ड की दीवानी हो गयी आआह चोद दे मेरी चुत आआह आआह"

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अपने चुचे मेरे मुह में रख दिए।उछलने की वजह से पीर मुह में आ नही रहे थे।मैं बस निप्पल्स को खींच पा रहा था।

वो "आआह साले पूरा मुह में ले।मसल दे।"

मैंने हाथ से चुचे मसलने शुरू किये।

संजू:वीरू जोर से मसल,मा के लौंडे बहनचोद और जोर से लण्ड को और जोर से ठोक फुद्दी में और जोर से आआह रंडी के और जोर से कहा लन्ड है तेरा चोद मुझे रंडी की तरह आआह,।

मुझे उनकी भाषा का आश्चर्य सा नही लगा।क्योकि मुझे मालूम था की ये दिनभर पोर्न में डूबी रहती है।और भाषा का प्रभाव देख मालूम पड़ रहा है की इंडियन दिए चुदाई देख रही है।

ओ मेरे ओंठो को चूमने लगी।उनकी थूक की मिठास बहुत स्वादिष्ट थी।उनके कोमल होंठ से सारा अंग रोमांचित हो रहा था।

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मैंने उनको पकड़ा जोर से कस के और निचे से लन्ड के जोर के धक्के देने लगा क्योकि मेरा झड़ने को था और मुझे उनको भी झडाना था।

करीब 15 मिंनट के बाद वो झड़ी मैं भी लण्ड निकाल के रस छोड़ दिया।उसने उसे चाट के खाया।

संजू:तुम पागल हो अमृत कोई अइसे बर्बाद करता है क्या(वो लण्डसे निकली एक एक बून्द चाट के निगल गयी।)
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(मैं मन में-पूरी पगला गयी है ये लड़कि और खुद ही मुस्कराने लगा।)

हम रात भर जब तक नींद न आ जाए एक दुसरे के ओंठो का रस चखते रहे।वो तो अभी सेक्स में इतना आगे बढ़ गयी थी की पोर्नस्टार को भी हरा दे।

सुबह मेरी जल्दी नींद खुली।चद्दर लपेटे एक हाथ में कपड़े लिए मैंने दीदी को उनके कमरे में छोड़ दिया।सुबह के 6 बजे थे तो कोई उठता भी नही उस टाइम।

मैं फिरसे सोया वो नाश्ते के टाइम पे ही उठा।

नाना नाश्ते के वक्त:वीरू आज हमारे साथ चलना अभी।खाना शिवकरण लेके आएगा,ठीक है।जबसे तुम फेक्ट्री गए हो।काम जल्दी औऱ नियम से हो रहा है।

दोनो मामा भी उस बात पे सहमत थे।ये सुन के बड़ी मामी भी खुश हुई।

बड़ी मामी:फिर क्या आईडिया किसकी थी,मुझे भी कोई शाबाशी दो,ये भला कौनसी बात हुई।

सब हसने लगे।नाना जी हस्ते हुए:हा हा,इसलिए तो घर की जिम्मेदारी तुम पर छोड़ी है ,तुम हो ही काबिल,और शाबाशी की हकदार भी।

"इसलिए इसलिए तो घर की जिम्मेदारी तुम पर छोड़ी है ,तुम हो ही काबिल"ये बात जरूर छोटी मामी को ताना मारने के लिए बोली गयी थी।पर नाना जी ने बोली है तो पलट जवाब नही दे पाई।

मैं और नाना,मामा आफिस निकल गए।बाकी तो आफिस चले गए।मैं फैक्टी के पास जाने लगा।

(पूरे आफिस और फैक्टी के मिलके 3 पार्ट थे।एक मैन आफिस जहा मामा नाना और उनके खास लोग बैठते थे जिनकी नाना और मामा लोगो को हर वक्त जरूरत पड़े।
फिर अति है दूसरी बिल्डिंग जो मैन ऑफिस से लगके थी करीब 50 फिट दूर होगी जिसमे बाकी स्टाफ और मैनेजमेंट के लोग और गेस्ट रूम्स थे।फ़ीर उसके बाद 200 मीटर करीब फेक्ट्री थी)
 
(Episode 7 ब)

मैं फेक्ट्री की ओर जा ही रहा था ।मैनेजमेंट के ऑफिस चेम्बर से गुजरना पड़ता था।सब स्टाफ मुझे गुड मॉर्निंग कर रहे थे। तभी अचानक मक्खन बीच पे आन पड़ा।और आया सो आया हाथ में ज्यूस था वो पूरा मेरे कपड़ो पर गिरा दिया।मेरा तो दिमाग खराब हुआ।पहले ही दिन सही नही जा रहे थे।मुझे गुस्सा बहोत आया पर मुझे कोई मसला खड़ा नही करना था।

मक्खन अपनी इस गलती के लिए अभीतक सौ बार माफी मांग चुका था।अभी तो मेरे पास भी कोई शब्द नही थे उसे डाँटने के लिए।

मैं:ठीक है ठीक है बोल अभी इसे साफ कहाँ करू।

उसने ऊपर की तरफ इशारा किया।मैं ऊपर गया।ऊपर दोनो तरफ दो दो कमरे थे।वही गेस्ट रूम।मैं एक रूम में घुस गया।बड़ा आलीशान रूम था।पर मुझे क्या करना था वहां आंखे फाड़ के वैसे भी वो थे मेरे नाना के ही।मुझे बस कपड़े साफ करके अपने काम से काम रखना था।नानाजी ने बड़े विश्वास से मुझे कुछ काम सौंपे थे।मुझे कोई गलती नही करनी थी।आखिरकार छोटी मामी की गांड लाल करने में जो मजा है वो कही नही।

मैं अपना टी शर्ट उतार के साइड में रखा और शीशे में देख अपने शरीर को निहारने लगा।गांव में काम करके जो मजबूती मिलती है वो शहर का जिम नही दे सकता।मेरा शरीर सिक्सपैक जैसा फिट नही था पर जड़ फैट भी नही था।अपने शरीर की मन ही मन तारीफ होते ही।मैं घुमा और बाथरूम के लिए जाने लगा।तभी आगे से एक औरत सिर्फ टॉवल में बाहर आयी।

उम्र 40 पार होगी।दिखने में सफेद दूध की जैसी बदन वाली एक रसीले यौवन से भरी परी मेरे सामने खड़ी थी।मैं उनसे कुछ बोलता उससे पहले उन्होंने मुझे ऊपर से नीचे तक ताडा।

वो:hi How are you,Sorry i was little late lets start your work.

मैं तो चक्कर आने लगा।अरे क्या हो रहा है इधर।

वो:अरे क्या हुआ, अइसे क्या देख रहे हो?

(अभी वो मेरे पास शक से देखने लगी।मैं सोचा भाई अगर चिल्लाई तो कयामत आ जाएगी।वो आधी नंगी मैं भी अधनंगा।अगर लोग जमा हो गए तो अधनंगे बदन का की बलात्कार हो जाएगा।)

मैं:कुछ नही मैडम वो आया।

वो पेट के बल बेड पे सोई थी।मैं उनके बाजू में जाके पीठ पर तेल डाला।

वो:नए हो क्या?

मैं डरते हुए:क्यो मेडम?

वो:अरे वो टॉवल तो हटा दो।खराब हो जाएगा।ऑफिस की प्रोपर्टी है।

मैं:क्या?!!!!!जी हटाता हु।

मैंने उनका टॉवल हटा दिया।उनकी आंखे बंद थी।तभी किसी की आहट लगी।दरवाजे पर किसीने क्नॉक किया।

वो:जाओ देखो कौन है।अगर मुझे बुलाने आया होगा तो उसे वही से जाने बोलो मैं बिसी हु बोल देना।

मैं: जी मेडम।

मैं वहां से दरवाजे पे गया।वहाँ एक मेरे उम्र का लड़का था।और फेक्ट्री के मजदूर के कपड़े में था।

लड़का:नमस्ते सर ।

मैं:तुम काम छोड़ के यहाँ क्या करने आये हो।

लड़का:वो बड़ी मेडम ने बुलाया था।

(मैं सोचा -तो ये वो खुशकिस्मत है।)

मैं:मेडम बिजी है तुम काम करने जाओ।

लड़का जाने के बाद मैं बेड पे फिरसे आके बैठ गया।मैंने वीडियो में मसाज तो देखा था तो उतना तो मालूम था।मैने तेल उनके पीठ पे डाला और दोनो साइड से रगड़ने लगा।उनकी स्किन बहोत ही कोमल थी।तेल लगने की वजह से रोशनी में चमक रही थी।

पर इससे भी बड़ी रोमांचक बात मेरे लिए उनकी उभरी गांड थी क्या आकार था उसका।बीच में जाने वाली लाइन और ही आनंद दे रही थी मन को।मैं पहले तो उनके कमर तक ही कर रहा था।बाद में हिम्मत कर के नीचे गांड पे भी तेल मसलने लगा।उनके मुह से सिसकारी निकली।मेरी यहां गांड फट गयी।अभी वीरू तेरी खैर नही।अभी पकड़ा जाएगा।

पर वैसा कुछ हुआ नही वो वैसे ही पड़ी रही।मैं उनकी गांड को भी मसलने लगा।मेरा अंगूठा बार बार गांड की दरी से अंदर घुस जाता और गांड के छेद को छेङ देता।और उसी रोमांच में वो सिसकी छोड़ देती।मेरा लण्ड भी तन गया था।

मैं :मैडम मैं जीन्स उतार दु।खराब होने की बात नही है उसके रैशेस आपको लगेंगे।

वो:व्हाय नॉट,गो ऑन डिअर।

मैं अभी अंडरविअर में था।पर टॉवल भी लपेट लिया।और उनके ऊपर चढ़ के पीठ पर दबाने लग गया उनके कंधे मसलने लगा।मेरा लण्ड अभी गांड के बीच घिस रहा था।
पर मैं बस मसाज पे ध्यान दिए था।अगर वो मजे ले रही है तो मुझे क्या डर।

काफी देर बाद उन्होंने हाथ ऊपर किये।वो बताना चाहती थी की चुचो तक मसलों।मैं उनके चुचो के नीचे तक ले जाके मसलने लगा।पर उससे अच्छा मसाज नही हो रहा था तो
उन्होंने बोला" पलट जाती हु,बाद में ऊपर से कर लेना।"और हस दी।मुझे उनका डबल मिनिग मालूम पड़ गया पर अभी मुझे सही समय नही लगा।क्योकि डबल मिनिग हर वक्त चोदने का न्योता नही होता।पर मैं जब उठा तो टॉवल गिर गया और मैं सिर्फ अंडरविअर में आ गया।

अभी वो पेट के बल लेटी थी 36 के चुचे उसके ऊपर ब्राउन निप्पल्स,एकदम तने हुए,38 की कमर और तो रसभरे टांगो के बीच चमकती हुई चुत पूरी साफ जैसे हीरा चमकता हो।चुत के बीच की फट लण्ड को और भड़का रही थी।

मैं उनके पूरे बदन पर तेल डाला और रगड़ने लगा कंधे रगड़े फिर हाथ चुचो पर आ गया।उनके चुचे मेरे हाथो में समा नही रहे थे।फिर भी मैं पकड़ रहा था और जोर से रगड़ रहा था।उनकी सिसकिया बाहर आ रही थी,मुह लाल गुलाबी हो गया था।मैं अभी पूरा गर्म हो गया था।मैं रगड़ते हुए कमर के नीचे आया।उनकी आंखे बन्द थी,ओंठ दांतो के बीच थे,धीमी सिसकिया सांस छोड़ रही थी।

मैंने चुत को मसलना चालू किया।उनके चुत के पंखुड़ियों को अलग कर के मसलने लगा।उनकी चुत एकदम लाल थी।उनके चुत ने गाढ़ा रस छोड़ना चालू किया,ये बात बया कर रही थी की ओ अभी गर्म हो गयी थी और उनकी चुत पानी छोड़ना चालू कर दिया था।

मैंने उनके चुत में उंगली डाली औऱ आगे पीछे करनी चालू की अभी वो भी मजे ले रही थी।

अचानक से उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा।ओ खड़ी हो गयी और मुझे लेके बाथरूम में घुस गयी।अंदर का शॉवर चालू किया और मुझे अपने पास खींच लिया।

वो:इतना तगड़ा और खूबसूरत नौजवान मजदूर देखा नही कभी यहां।सच में नए लगते हो,और नही तो अभीतक मेरे चुत में लन्ड घुस गया होता तेरा।

(मेरा शक सही निकला यह पर मजदूरों से मसाज के नाम पर बुलाके चुत को ठंडा किया जाता है।यहाँ पर इसलिए बिगड़ा मौहोल है,पर मैं अभी गरमा गया था और मैं भी अपने लण्ड को भूखा नही रखने वाला था।इनका जो करना है वो बाद में देख लेंगे।)

मैं:हा मेडम नया हु,पर आप आज्ञा दे तो शुरू कर दु?!!

मैडम ने मुस्करा के हरा सिग्नल दे दिया।मैंने उनके दोनो चुचे मसलना चालू किया।

मेडम:आआह आउच्च यहाँ नए हो पर इस खेल के पुराने खिलाड़ी हो,आआह उम्म और जोर से रगड़ आआह।

मैं उनके निप्पल्स खींचने लगा।बहोत ही कड़क हो गए थे।मैं उनको नोचने लगा।

मेडम:बस अभी मुह में लेके चुसो भी आआह कितना देर मसलते रहोगे।

मैं उनके चुचो को बारी बारी चुसना चालू किया।

मेडम"आआह और जोर से चूस पुरआआह पूरा निचो ओओओ निचोड़ दे"अइसी चिल्ला रही थी।

मेडम ने अचानक से मेरे अंडरवेअर को पकड़ा।और झट से निकाल दिया।जैसे ही अंडरवेयर नीचे हुआ मेरा तना 6 इंच का लण्ड खुली सांसे लेने लगा।

मेडम लन्ड को सहलाते हुए:क्यो भाई कहा थे इतने दिनों तक,कहा छुपा के रखा था इस तगड़े लण्ड को।

इतना कहके वो नीचे बैठ के लन्ड को चुसने लगी।वो पूरे अंदर तक लेके लण्ड का आस्वाद उठा रही थी।उनका चुसने का ढंग बहोत ही बढ़िया था।जैसे चॉकलेट केंडी वाली आइसक्रीम चाट ठीक मरोड़ चूस के खाते है वैसे वो उसपे टूट पड़ी थी।

जैसे ही मेरा लन्ड लोहा बना वो दीवार को चिपक गयी और पैर फैला दिए।

मेडम:आ मेरे लण्ड के राजकुमार मेरे चुत में लण्ड को घुसा और जोर से चोद आआह उम्मम"

मैंने उनके चुत को पीछे से सहलाया फिर उंगली दबा के चुत के दोनो पंखुड़ियों को खुला किया।और लन्ड चुत पे लगा के थोड़ा जोर लगा के घुसाया।पैर फैले थे लण्ड अंदर घुस भी था पर पूरा नही घुसा था और धक्के देने इतना एंगल भी नही था तो मैन दाया पैर हाथ से पकड़ थोड़ा उपर किया तो लण्ड पूरा अंदर गया और मुझे अच्छे से एंगल भी मिला।

मैंने उनके चुत में लन्ड से धक्के देना चालू किया।मैडम बड़े मजे से चुदाई के मजे ले रही थी।उनकी चिल्लाहट और मादक आवाजे मुझे और मेरे लण्ड को और बेचैन कर रही थी।
वो पूरा होश खो बैठी थी-
"आआह और जोर से चोद मेरी चुत को आआह पूरा डाल बाहर कुछ मत रख आआह साली रंडी चुत मेरी बहोत परेशान आहहह करती है आआह उम्म अरे सुशील भड़वे देख उसको बोलते है चोदना आआह फक बेबी फक हार्ड उम्म फ़ास्ट फ़ास्ट आआह साले सुशील भड़वे अपनी गांड मरवा मेरी मरवाने की औकात नही तेरी,मेरी गांड मेरा ये यार अपने आआह इस तगड़े लण्ड से मारेगा आआह उम्म और जोर से आआह'

ओ अभी झड़ गयी थी।उन्होंने नीचे बैठ के मुह पर मेरा लण्ड रखा और लन्ड जोर जोर से हिलाना चालू किया।कुछ ही देर में गाढ़ा दूध जैसा लण्ड का रस उनके मुह पर गिर गया,जो मुह में गया उसे वो निगल गयी।जो मुँहपर था वो शावर से साफ हो गया।

हम दोनो बाथरूम से निकले।

मैं:मेडम ये सुशील?

मेडम:अरे वो भड़वा मेरा पति है।इधर ही किधर मीटिंग में बैठ के गांड घिसा रहा होगा।

(मैं मन में-मतलब ये आफिस स्टाफ या मैनेजमेंट में से किसी पार्टनर की बीवी है।)

मेडम:तुम बहोत तगड़े लगते हो।2 ,4 दिन बिजी हु बाद में आके फिरसे मिलना।चलो जाओ अब।

मैं उनको स्माइल देकर बाहर निकला।जैसे ही बाहर निकला मैंने देखा की आखरी वाले कमरे में रेखा जा रही थी।साथ में मक्खन भी था।मक्खन बाहर खड़े रहकर किसीसे बात कर रहा था।मैं उसे ना दिखूं इसलिए वहां से निकल गया।

फेक्ट्री में आके आफिस में बैठ गया।कुछ देर जाने के वाद मक्खन मुझे फेक्ट्री में आता दिखा।मैंने उसे अपने कमरे में बुलाया।

मक्खन:जी साब,कोई हुकुम?

मैं:क्या कर रहे हो,व्यस्त हो?

मक्खन:नही साब आप बोलो,आपको कौन ना बोलेगा,आप सिर्फ हुकुम फ़रमाईये।

मैं:मक्खन मुझे दूध की बहुत कम चीजे पसन्द है तो तेरे ये मक्खन किसी और को लगा ,जो पुछु उतना ही जवाब दे दिया कर।

मक्खन:जी हुजूर माफी!!!!!

मैं:मैं ये बोल रहा था की उसदिन स्टोर रूम में तुम्हे सुपरवाइजर लेके गया था,सही न,तुम्हारी कोई इच्छा नही थी।

मक्खन: जी हुजूर बिल्कुल सही फरमाया।

मैं:फिर गेस्ट रूम में किसने तुम्हे जबर्दस्ती की और पैसे भी दिए।

मक्खन सपकपा गया।उसे पसीने छूटने लगे।वो कुछ बोलता उससे पहले,

मैं:मक्खन झूट मुझे पसंद नही और झूठे लोगो को जिंदा देखना मेरे उसूलों के खिलाफ है।मुझे ज्यादा बोलने की तकलीफ मत दे।बकना चालू कर।

मक्खन:हुजूर वो विवेक सर थे।आफिस में मैनेजमेंट की मीटिंग चालू होते ही वो गेस्ट रूम में जाके मजदूरों मेंसे किसको भी बुलाते है और अय्याशी करते है।

(विवेक-छोटे मामा,अभी खड़ूस रंडी का एक मोहरा मेरे हाथ आया।ये घर पे और मामा यहाँ पर रंडीखाना खोल बैठे है।)

मैने मक्खन को जाने बोला और खुद मेनेजमेंट चेम्बर की बिल्डिंग में जाके सिक्योरिटी रूम को ढूंढ लिया।क्योकि मुझे मालूम था की यहाँ पर ही मुझे सबूत मिलेंगे।

मैंने सिक्योरिटी गार्ड को मैनेजमेंट चेम्बर के गेस्ट रूम की वीडियो फुटेज मुझे देने बोला।पहले तो वो डर गया।

वो बोलने लगा :-छोटे मालिक(छोटे मामा)को मालूम पड़ा तो मेरी नौकरी खत्म।

मैं:ये बात सबसे बड़े मालिक को बता दी तो पूरे शहर में तेरी नोकरी के लाले पड़ जाएंगे।समझे चल निकाल के दे फुटेज।

अभी मेरे पास मेरे और उस मेडम के और रेखा और छोटे मामा के अय्याशी के फुटेज थे।मेडम वाला वीडियो सिर्फ एक याद की तौर पर लिया और वैसे भी चुदाई बाथरूम में हुई तो खास कुछ नंही था।पर मामा जी तो रेखा पे फुल ऑन थे।

उन्होंने न ओंठ चूमे,न चुचे दबाए,न चुत चुसाई की बस पहले 15 मिनिट लन्ड चुसवा लिया और अगले 15 मिनिट लन्ड घुसेड़ के झड़ भी गए।अइसे आदमी से तंग आकर कौन नही बाहर रंगरेलिया मनाएगा।मैं तो खुश था अभी मेरे पास बहोत बढ़ा फंदा था मामी को अटकाने को,पर फिर भी थोड़े मजे लिए जाए।

अभी मैं ऊब गया था काम से तो शिवकरण से कहकर घर आ गया।
 
(Episode 8)

घर आया तो पहले फ्रेश होने गया क्योकि फेक्ट्री से बहोत पासिना पासिना हुआ था।मैं मेरे रूम की तरफ गया तो मेरा रूम खुला था।अंदर गया तो देखा की चाची अम्मा बड़ी मामी और माँ बैठी थी।

चाची और अम्मा को देख मैं चौक भी गया और खुश भी हुआ था।मैं चाची और अम्मा के गले मिल गया।बहोत दिनों बाद कोई अपना सा लगने वाला मिला था।दिल को एक सुकून सा मिल गया।

आखिर ज्यादा बात न मोड़ते हुए मैंने चाची से पूछ लिया।

मैं : चाची यहाँ पर कैसे?

चाची:तुम्हारी मा ने बुलाया।

मैं:क्यो?इतनी क्या आफत आन पड़ी जो आपका आने को हुआ?

चाची:ये तुम मुझसे पूछ रहे हो,आफत तुम ही कर रहे हो,इतना गुस्सा क्यो?हो गयी गलती अभी।

मैं:चाची ये आप कह रही हो।(अम्मा को डांटते है)अम्मा तुमको कुछ परवाह है की नही अपनी बेटी नातिन की।इस हालत में इनको यहां क्यो लाये।

चाची:अरे नही मैं ही जिद करके आयी।तुम जैसे जिद करके बैठे हो वैसे।

मैं:चाची देखो मैं आपसे झगड़ा नही करना चाहता।और इस औरत की बात के लिए तो हरगिज नही।आप आयी हो तो आराम कर लो।

अम्मा:आराम तो होता रहेगा,पर जो मसला खड़ा हुआ है वो सुलझे तो ।

मैं:चाची आप अगर इसी बात पे अड़ी रहोगी तो आपको आपकी देवरानी मुबारक और अम्मा आपको आपकी बेटी मुबारक।

चाची ने मा और बड़ी मामी को बाहर जाने बोला।पर मा वही पर अड़ी रही ।

मा:वीरू तेरा ये ज्यादा हो रहा है।अगर तुझे मेरी जरूरत नही तो तेरी भी मुझे जरूरत नही।

मैं:वो तो नही होगी,यार जो बना बैठी है।जा मुझे नही जरूरत तेरी।आयी बडी।

चाची:वीरू अइसे नही बोला करते अपनी मा से।माफी मानगो।

मैं:चाची मैं माफी मांग लूंगा इस औरत से बस आप ये मत कहो की ये मेरी मा है।

मा चाची से:देखा दीदी अइसा बत्तमीजी हो गया है।

मैं:बदनसीबी है मेरी।आखिर तेरा ही खुन हु इतनी जहालत तो होगी ही ना।पर अभी तेरा खून कहने की इच्छा मर गयी मेरी।

माँ रोने लगी।चाची ने बडी मामी को इशारों से कहा की मा को बाहर लेके जाए।मैं कुछ कोशिश करती हु।

बड़ी मामी मा को बाहर ले जाती है और दरवाजा बन्द कर देती है।

चाची:ये क्या बात है वीरू,इतना गुस्सा और कितना बत्तमीजी हो गया है तू,यही सिखाया है मैने तुझे।

मैं:चाची आपकी सिखाई बातों को मान रहा हु नही तो बहोत बड़ा अनर्थ कर देता।

चाची:अइसी क्या बात हुई जो तुम गुस्सा हो।

मैं:क्यो तुम्हारी छोटी देवरानी कुछ नही बोली।

चाची:हा बोली पर हो जाती है गलती,फिर वैसे तो तुमने भी मेरे साथ किया न।फिर मुझसे क्यो बात कर रहे हो।मैं भी घटिया ही हु ना।

(चाची ने एक भावनाओ वाला दाव डाला पर वो ये अभी तक जान नही पाई थी की नरम दिल का वो वीरू अभी सख्त दिल का विराज हो चुका है।पर मेरे दिल को ये बात चुभ सी गयी।पर मैं पिघलने वाला नही था।क्योकि आज मैं पिघल गया तो मेरा भविष्य खतरे में था और नाना का भी।)

मैं:अच्छा अभी आप इस बात को इस हद तक ले गए हो।ठीक है।

अम्मा:अरे वीरू तुम गलत मत समझो उसका मतलब वो नही था.....

मैं:रहने दो अम्मा।अभी ये इनकी सोच है उससे मैं नाराज नही होऊंगा,इन्हें यह पर क्या हो रहा है इसका कुछ अंदाजा नही है,बिना कुछ जाने इनका मुझपर ये इल्जाम लगाना मुझे सच में बहोत पसंद आया।एकदम दिल छू गयी इनकी बात।

(मुझे रोने आ रहा था,पर मैने खुदको संभाला।)

मैं:चलिए मिस नीलिमा(चाची)आपसे मिलके खुशी हुई,सम्भालके जाना,सफर के लिए शुभकामनाएं,कुछ गलती हुई हो तो माफ कर देना।

मैं वहां से बाहर जाने लगा तो अम्मा ने मुझे रोकने की कोशिश की पर मैं उन्हें ना माना और ऊपर टैरेस के रूम में चला गया।शाम के टाइम वैसे भी छोटी मामी भाभी और दीदी कही न कही घूमने जाती है तो मुझे अपना मन हल्का करने के लिए कोई और जगह नही थी।

इधर चाची भी रोने लगी।अम्मा उनको संभालने लगी।

चाची:अम्मा क्या मैंने कुछ गलत बोल दिया क्या?उसने तो एकपल में पराया कर दिया मुझे।ये क्या कर दिया मैने।

अम्मा:तुम्हे अपने घर में जो हुआ उसे यहां लाने की क्या जरूरत,अपना वीरू अइसा है क्या(चाची ने ना में सर हिलाया)तो फिर !!समझदार है वो ,उसको किसी बात का गुस्सा है इसका मतलब कुछ तो बात होगी ही।

चाची:हा माँ ये तो मैने सोचा ही नही।

तभी बड़ी मामी अंदर आती है।चाची को रोते देख वो समझ गयी की जो बात मैने उनसे की वही इनसे भी की है।

बड़ी मामी:वीरू ने रिश्ता तोड़ दिया न।

चाची अम्मा एक दूसरे को चौक के देखने लगे की इन्हें कैसे मालूम पड़ा।

बड़ी मामी:चौको मत उससे मैंने भी बात की थी पर उसने भी मुझसे वही बात की थी।

अम्मा:आप ने बात की फिर आपसे अइसी बात की?पर आपसे अइसी बात कैसे कर सकता है वो?!!और आप उस बात पे चुप भी हो?

चाची:अरे क्या चल रही है यहाँ मुझे कोई बताएगा(चाची दिमाग गर्म होकर बोल पड़ी।)

बड़ी मामी भी अभी समझ गयी की कोई दूसरा रास्ता नही आधा अधूरा बोलके कुछ सुलझाने वाला है नही।उन्होंने सारा माँजला बता दिया।

चाची और अम्मा तिलमिला उठी।

चाची:अभी आप ही बताओ कोई बेटा इस बात के लिए गुस्सा नही होगा।जायज है उसका गुस्सा।आपने उससे जो रिश्ता रखा उसके छुपे रहने के लिए आप उसपे भरोसा रकग सकते हो न?

बड़ी मामी:हा मुझे उसपे पूरा भरोसा है।

चाची:पर आपके नौकरानी के भाई पर रख सकते हो?

बड़ी मामी का सर नीचे झुक गया।उनको भी मालूम था की मैं कितने बात तक सही हु पर वो खुद ही उस कीचड़ में फास गयी जहा ओ दूसरे पर उड़ाएगी तो भी वो खुद पर उसका छींटा उड़ेगा।

चाची:अम्मा जाओ सुशीला को बुलाके लेके आओ।

मा अंदर आते आशा की नजर से चाची को देखने लगि पर हुआ अलग।

चाची:तुम मुझसे बोली उससे ज्यादा कर बैठी हो।तेरे वजह से मेरा बेटा मुझसे रुठ गया।इतनी क्या जरूरत आन पड़ी जो इतना नीचे गिर गयी।मुझे शर्म आ रही है जो मेरे समझदार बेटे के सामने तेरी वकालत की।मैं मुर्ख हु जो समझ बैठी की वीरू हु कुछ ज्यादा रियेक्ट हो रहा है।पर अभी मालूम पड़ा की उसका रिएक्ट होना जायज है।

(चाची के भी खिलाप जाने से मा का बचाकुचा अहंकार घमंड आत्मसन्मान सब पिघल गया।अभी वो एकदम अकेली हो गयी अइसा महसूस करने लगी।)

मा रोते चेहरे में:दीदी अब आप भी अइसा बोलोगी तो मैं वीरु को खो दूंगी।अब हो गयी गलती।वो बोले तो सही क्या करू प्रायश्चित के लिए मैं तैयार हु।आप भी साथ छोड़ दोगी तो मेरा क्या होगा।

चाची:तू खोने की बात मत के तूने पहले ही खो दिया है।और तेरे चक्कर में मैने भी।और प्रायस्चित तो करना पड़ेगा पर वो वीरु कहेगा तब और अभी मेरे से कुछ उम्मीद मत कर अभी मैं भी उसी मसले में फ़स गयी तेरे वजह से।अभी तेरा और मेरा जो होगा वो मंजूर ये खुदा होगा।

चाची भी वहाँ से निकल जाती है।मा चाची को चिपक कर रोने लगती है।

बड़ी मामी:शांत हो जाओ सब कुछ ठीक हो जाएगा।तुम अपना धीरज मत खोना।

मा:भाभी अभी मुझमे सहनशीलता नही बची।मुझे लगता है अभी आर या पार।।

चाची और अम्मा घर जाने निकलने वाले थे गाँव पर वो आखरी बार वीरू से मिलने गए।

अम्मा ने चाची को बाहर रुकने को बोला जिससे मैं और ज्यादा गुस्सा न हो जाऊ और माहौल न बिगड़े।चाची बाहर बैठ गयी।

अम्मा:वीरू !!!!वीरू!!!चलो बेटा हम निकल रहे है गांव।हमे अलविदा नही करेगा

(मैं थोड़ा शांत होके मुस्कराते हुए मुड़ गया।और अम्मा को गले लगा दिया।)

अम्मा:समझदार है मेरा लल्ला,इतना गुस्सा ठीक नही सेहत के लिए,तुम्हे जो सही लगे तुम करो पर इतना गुस्सा मत करो,तुम्हे कुछ हो जाएगा तो हमारा कौन है।

मैं:अम्मा अइसा क्यो बोल रही हो,पर मेरी बाजू कोई नही देखता,पहले जान लो तो,सीधा इल्जाम लगा देते है लोग।

अम्मा(नटखट स्वर में):हा न,कैसे कैसे लोग होते है दुनिया में।(अम्मा मेरे गाल पे चुम्मी दे देती है)मेरे लाल को परेशान करते है।

मैं:क्या अम्मा सिर्फ गाल पर,मुह मीठा नही कराओगी।

अम्मा:ले ले ना किसने रोका है।(अम्मा मेरे ओंठो पर चुम्मा दे देती है।मैं भी उनके ओंठ चुसने लगता हु।)

अम्मा:कितने दिनों बाद कुछ मजेदार सुकून सा महसूल हुआ।

मै अम्मा की चूतड़ दबाते हुए:हा ना मुझे भी।

अम्मा:चल अभी ठंडे हो ही गए हो तो चाची से भी मिल लो।

मैं:मिलूंगा मैं चाची से,उनसे कोई नाराजी नही मेरी,बस थोड़ा ठंडा होने दो।

अम्मा:और क्या ठंडा होना है।

मैंने अम्मा को एक ऊंचे मेज पर बैठाया और उनके ओंठो का रसपान करने लगा।वो भी मेरे गले में हाथ लपेट के मजे ले रही थी।

मैंने उनके साड़ी को कमर तक ऊपर किया।आदतन उन्होंने पेंटी नही पहनी थी।

मैं:अम्मा आज भी पेंटी नही पहनी।अब क्या अलविदा कह दिया पेंटी को।

अम्मा:मुझे मालूम था मेरा लल्ला मेरे चुत में लन्ड जरूर रगडेगा।जबसे तेरे पास आने के लिए निकली तबसे चुत भी गीली हो रही थी।अभी रहा नही जाता ।जल्दी निकालो और डाल दो।समय कम है।निकलना है घर।रात होने को है।

मैने मुस्करा के चुत में उंगली से अंदर बाहर कर चुत थोड़ी फहलाई।हाथ में लगा हुआ चुत काम रस बड़े मजे से चाट चूस के खाया।अम्मा मुझे नटखट नजरो से देख हस रही थी।उन्होंने ओंठो पर फिरसे एक चुम्मी जड़ दी।

मैंने लण्ड शोर्ट की और अंडरवेयर नीचे कर के हाथ में लेके हिलाया।उसपे थोड़ा थूका और अंदर ठूसा दिया

.

अम्मा:"आआह है दैया धीमे से लल्ला,तेरी अम्मा बूढ़ी हो गयी अभी।

मैंने उनके ओंठो को चुम्मी दी:अम्मा अभी तो जवान हो आप,अभी भी जवान लौंडियों से ज्यादा चुत में लण्ड पेलवाती हो।

अम्मा मुस्करा के शर्मा गयी:द्यत कुछ भी आआह

मैं पूरा जोश में उनको चोद रहा था।मेज थोड़ी ऊंची थी और अम्मा को भी धक्के से पीछे से मेज चुभ रही थी।

मैंने उनको उठा के हवा में ही चोदना चालू किया।

अम्मा:आआह वीरू सम्भालके गिर जाऊंगी आआह उम्म"

.

ओ मुझे कस के गले लग के चिपक गयी थी।

मैं चुत में कस के धक्के दे रहा था

अम्मा:आआह उम्म आआह और अंदर डाल वीरू बहोत दिन आआह से तगड़ा लण्ड की प्यासी है आआह मेरी चुत तेरी रंडी की चुत की आज बुझा दे आआह।

वो झड़ गयी थी।मैने भी उनको नीचे उतारा।उन्हें मालूम था की मैं अभी तक झडा नही हु।उन्होंने एक चुम्मी ओठ पर देदी और नीचे बैठ कर लन्ड मुह में लेके चुसने लगी।

"आआह मेरी रंडी क्या चुस्ती है आआह "

मेरे लन्ड में एक तरह का रोमांच था।मुझे सिर्फ चुसना कम लग रहा था।मैंने उनके मुह को चोदना चालू किया।

.

और आखिरकार झड़ गया।अम्मा ने पूरा रस चाटके निगल लिया।और उठ के खड़ी हो गयी।

मैंने उनके चुचो को ब्लाउज के ऊपर से मसला

अम्मा:आआह आउच्च धीरे से करो।

मैं:अम्मा चुचे बहोत कड़क हो गए है।

अम्मा:कोई मसलने वाला है नही।तू पहले इनको निचोड़ लेता है।अभी तू नही तो कौन करेगा।

मैं:ओरे मेरी रंडी ले मैं मसल देता हु।

मैन चुचो को ब्लाउज के ऊपर से मसलना चालू किया।ब्लाउज खोल के निप्पल्स चुसने लगा।

अम्मा:ओओओ उम्म आआह आआह वीरू और चूस रगड़के और दबा आआह उम्म आआह सीईई आआह"

पर समय कम था,हम कपड़े पहनके एक साथ बाहर आया।

बाहर चाची मुह लटका के बैठी थी। मैं बाहर आया और उनके सामने खड़ा हुआ।उन्होंने धीरे से नजर ऊपर की।जैसे ही ऊपर देख उनकी आंखों का मिलन मेरे आंखों से हुआ उनके आंसू आंखों से बहने लगे।वो मुझे लिपटे लिपटे फुट फुट के रोने लगी।

चाची:मुझे माफ कर देना।मैंने बिना कुछ जाने तुमसे अइसी बात की।

मैं उनके बाजू बैठ गया।

मैं:ठीक है अभी मालूम पड़ा न ठीक है फिर मैं नाराज नही हु।

चाची:नही नही गलती हुई है मुझसे सजा मिलनी चाहिए नही तो मेरे दिल को वही बात बार बार चुभती रहेगी।

मैंने झट से उनके ओंठो से अपने ओंठ मिलाए और करीब 2 मिनट तक ओंठ चूसता रहा।और जब मन भर गया तब उनके ओंठो को रिहा कर दिया।पर उनका मन नही भरा था ओ मेरे पूरे चेहरे को चूमे जा रही थी।

मैं:बस बस हो गया।मैंने आपको सजा दी थी।अभी तो आप मुझे सजा दे रही हो ।

और इस बात पर तीनो हसने लगे।चाची और अम्मा को अलविदा किया।

रात को खाने के बाद मैं घूमने के लिए गार्डन में गया।आज कल दिमाग इतना ज्यादा दर्द कर रहा था की गर्दन निकाल के बाजू में रख दु।गांव में कोई दिमाग को तकलीफ नही थी,यहां पर हर दिन एक बवाल।20 मिनिट के चक्कर में मुझे एक्जाम स्टार्ट होने के पहले के छुट्टी से आज दोपहर तक की सारी घटनाएं दिमाग में घूम रही थी।जिनकी शुरुवात चाची से और अंत भी चाची से हुआ था।थकान और नींद से मैं अभी कमरे में जाने की सोची।

मैं अपने कमरे में जैसे ही घुसा,दरवाजा झट से बन्द हुआ।
देखा तो बड़ी मामी और मा दरवाजे के पीछे से बाहर आई।

मा:इतना क्या घमंड तेरे में।मेरी बात ही नही सुन रहा।

मैं:बड़ी मामी इस औरत को बोलो यहाँ से चली जाए मुझे इस वक्त कोई झगड़ा नही करना है।

बड़ी मामि कुछ बोले उससे पहले मा बीचक पड़ी:क्या बड़ी मामी और क्या औरत (और उन्होंने एक झापड़ जड़ दिया मेरे गाल पे।बड़ी मामी देखती रह गयी।वो उस सदमे से बाहर आने ही वाली थी उस वक्त और एक झापड़ मेरे ऊपर लगा)

मैं:मिस सुशीला अगर आपकी नौटंकी पूरी हो गयी हो तो आप यहाँ से जा सकती हो।बड़ी मामी इनको बोलो यह से दफा हो।मुझे इनका मुह नही देखना।मैन बत्तमीजी की उसकी सजा इन्होंने दी।अभी इस औरत को जाने के लिए बोलो।

मा:क्या हर बार बडी मामी को बीच लेके बोलते हो।नही जाती यहाँ से जो करना है कर लो।

मैं:ठीक है आपकी जिद है तो मैं भी कम नही हु।

मैंने बाथरूम का दरवाजा और कमरे का दरवाजा चाबी से लॉक किया।मैं बहोत ऊंची वाला था तो चाबी अइसी जगह रखी जहाँ पर उन दोनो का हाथ न पहुँच सके।

मैंने टी शर्ट और शॉर्ट उतारी और बनियान और अंडरविअर में बेड पे बैठा था।मैन AC का रिमोट लिया और 14 कर दिया।

बड़ी मामी:नही वीरू उसकी गलती की सजा तुम मुझे नही दे सकते।

मैं:बड़ी मामी जी आपको पहले बताया गया था की इनकी वकालत छोड़ दो अभी बहोत देर हो गयी है।मोगैंबो अभी खुश नही नाराज है।

बड़ी मामि:और मोगैम्बो खुश कैसे होगा???

मैं:थोड़ा थम जाओ सास लो।सब बताएंगे।तो सुनो-मोगैम्बो चाहता है की उसके मनोरंजन के लिए खेल खेला जाए।

मा:ये क्या मजाक है।AC कम करो और हमे जाने दो नही तो मैं चिल्ला दूंगी।

मैं:बड़ी मामी जी अपने उस मोहतरमा हो नही बताया की उन्होंने जो गुल खिलाये है उसके कुछ नमूने हमारे पास है।तो इन्हें चुप बैठने बोलो।

बड़ी मामी:अरे सुशीला अगर तुम चिल्लाओगी तो पिताजी आ जाएंगे और वो इसको चिल्लाए तो इसके पास कुछ फोटो है हमारी उस अवस्था की कांता के भाई के साथ।तो अभी यह पर कोई घमंड चलाखी नही।"we are trapped"

मैं:बड़ी मामी शुक्रिया,आशा करते है इस महोतरमा को बात समझ आ गई होगी।अभी खेल आसान है।एक बोतल आपके सामने रखी जाएगी।लोग उस खेल को ट्रुथ डेयर कहते है पर हमारे खेल में कुछ बदलाव है।ये ट्रुथ डेयर नही डेयर डेयर है।जिसमे बोतल का मुह जिसकी तरफ़ आएगा उसको मेरी तरफ से डेयर।

ये लो बोतल घूमी।

"पहला टर्न बड़ी मामी पे।तो बड़ी मामी चलो दो झापड़ इस औरत के गाल पे खींचो।"

बड़ी मामी:क्या!?????

मैं:मोहतरमा अपने सही सुना।अगर उसको नही माना तो आपको मेरे हाथ से पड़ेंगे और इस कड़ी ठंड में आप वो दर्द चाहोगे नही।सही कहा न मैन।

(बड़ी मामी ने मा को देख धीमे से सॉरी बोला और दो थप्पड़ जड़ा दिए,उसमे जोर कम था ओर 14℃ में वो बहोत तगड़ा था।)

मैं:ये लगे शानदार दो छक्के।कप्तान खुश हुआ।गुड स्ट्रोक।आई एम इम्प्रेस।

चलो ये बोतल घूमी।

"ओ ओओ इस बार पारी इस महोतरमा के पास।महोतरमा जी बोलो-मैं रंडी हु ,मेरे गांड में बहोत कीड़े है,कीड़े मारने के लिए मैं भर रास्ते में नंगी रह कर चुदवा सकती हु।गांड भी मरवा सकती हु। -ये सारी बात एक नंबर देता हु उसपर बोलो"

मा ने बड़ी मामी के मुह के पास देखा।बड़ी मामी उनको नजर ही नही मिला रही थी।

मा:ओ मोहतरमा जी वहां मत देखो यह का वकील,जज,फील्डर,कीपर,कप्तान,बॉलर,अंपायर और थर्ड अंपायर सब मैं ही हु तो चालू हो जाओ।मैं न कहु तब तक कान में लगा के फोन चालू रखने का।ये लो फोन।

(मा के पास कोई रास्ता नही था।उन्होने जैसे मैंने बोला वैसे उन्होने मेरे बताये नंबर पे कॉल करके बोला,ओ भी मेरे मोबाइल से,सामने एक आदमी था उसने पूरे गंदे शब्द,भद्दे गालियाँ बोलते हुए,रेट फिक्स करने लगा।कुछ 1 से डेड मिनिट बाद मैंने फोन खींचा और मोबाइल का सिम निकाल के तोड़ के फेक दिया। मा रोते रोते नीचे बैठ गयी।उन्हें वो सहन नही हो रहा था।)

बड़ी मामी:ये कैसा घटिया खेल खेल रहे हो वीरू?

मैं:वही जो घटिया काम करने वालो के साथ खेला जाता है।उन लोगो को मालूम होना चाहिए की उनके अंदर की हवस को कहा तक सीमित रखना है।अगर वो हद से बाहर हो जाए तो कैसे कैसे परिणाम को भुगतना पड़ता है।अपने लोग जब बाहर वालो के साथ अपनी हवस मिटाते है तब उनको ये खयाल नही आता की जब वही बाहर वाले वो बात दुनियाभर बताएंगे तब उनके साथ रहने वालो को क्या भुगतना पड़ेगा।और जब एक वेश्या का जीवन बनेगा तब क्या भुगतना पड़ेगा।

मा:मुझे माफ कर दो मैं फिरसे नही गलती करूंगी।मुझे माफ करदो।

मैं:उठो!!!उठो!!!

दोनो तड़ के उठ जाती है........

मैं:कहा गया वो घमंड?!!? अभी तो मेरा माफ करने का कोई मुड़ नही है।अभी सिर्फ सजा।चलो खेल आगे बढ़ाते है

ये घूमी बोतल!!!.......

"बड़ी मामी जी चलो अपने कपड़े उतारो सिर्फ ब्रा और पेंटी रखो।"

दोनो की आंखे चकरा गयी।पर अभी उल्टा जवाब देने का हक दोनो खो चुकी थी।

बड़ी मामी आंखे बन्द कर कपड़े उतारी,शर्म उनको मुझसे नही,मा के सामने नंगे होते हुए हो रही थी ओ भी मेरे मौजूदगी में।

मैं:एकदम कड़क रसीला पटाखा लग रही हो!!!!

(मेरा बर्ताव मा को चौकाने वाला था।उसने इस बारे में कभी जिंदगी में नही सोचा था।)

चलो बोतल घूमी!!!!...

"मोहतरमा चलो आप भी उसी स्टेप को दोहराओ मुझे आपकी ब्रा पेंटी देखनी है।"

बड़ी मामी:वो तुम्हारी मा.....!!!

मैं:बड़ी मामी खेल में बोलने का हक मेरा है।आपको बोलना है तो अनुमति लेनि पड़ेगी।

(मा की आंखे एकदम सदमे वाली हो गई थी।बड़ी मामी चुप हो गयीं।अभी दोनी पूरी तरह समझ गए की अभी कोई रास्ता नही।गले में फंदा है और वीरू का हुकुन पैर के नीचे वाला टेबल।छोड़ दिया तो खत्म।दोनो के बदन ठंड से कांप रहे थे।)

मैं:चलो भाई थोड़ा हाथ दुख रहा है तो खेल में एक बदलाव।अभी मैं मेरे मन से टर्न दूंगा।.........आओ दोनो इधर मेरे पास बेड के साइड में आओ।

(दोनो मेरे सामने आके खड़ी हो गयी बाजू बाजू में जिससे उनको थोड़ी गर्मी मिले।मैंने दोनो के कमर से हाथ घुमाना चालू किया।उनकी नाभि छेड़ना मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।क्योकि उस वक्त उनकी सिसकी और मादक हो जाती थी।)

(मैंने दोनो को मेरे उल्टे तरफ घुमाया जिससे उनकी पीठ मेरे तरफ थी।और उनके ब्रा के हुक निकाल दिये।उन्होंने आगे से ब्रा खोल बाजू रख दिए।)

मैं:अभी पेंटी उतारने का न्योता दु?!!!

दोनो ने पेंटी उतार दी दोनो की गांड मेरे तरफ थी।बहोत बड़ी नही पर छोटी भी नही।मैंने ऊसर चपेट जड़ना चालू किये।उनके स्वर में मादकता थी पर उससे ज्यादा दर्द था ठंडी का।पर मुझे मजा आ रहा था।

मैं:चलो एक दूसरे के ओर मुह कर के खड़े हो जाओ(वो खड़े हो गए।)चलो अपने ओंठो का मिलन चालू कर दो।चुसो।

(वो जबतक एक दूसरे के ओंठो से रसपान करने में व्यस्त थे तबतक मैं खुद नंगा हो गया।)
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मैं बड़ी मामी के पीछे जाके लन्ड घिसाने लगा।लण्ड के स्पर्श से और मेरे शरीर के गर्मी से वो और उत्तेजित हुई।वो गांड पीछे कर साथ देने लगी।बड़ी मामी को उत्तेजित करने के बाद वही नुस्खा मा पे आजमाया।उन्होंने भी वही किया जो एक हवस की भूखी करती है।मुझे तो उसकी उम्मीद भी नही थी।

मैं बेड पे सो गया और दोनो को लन्ड चुसने को बोला।दोनो बिना किसी नखरे के लन्ड को बारी बारी मुह में लेके चुसने लगे।कभी लन्ड को मूसल की तरह रगड़ के चुसना कभी केंडी की तरह चुसना कभी आइसक्रीम की तरह चाटना।आज अलग ही मजा आ रहा था।

मैंने मा को लन्ड पे बैठने को बोला।वो अयसे कूद पड़ी जैसे राह देख रही हो मेरे आवाज की।सजा का खेल चुदाई में तापदिल हो चुका था।मैंने नीचे से धक्का दिया फिर आगे मा ही ऊपर नीचे होने लगी।बड़ी मामी मेरे पास ऊपर आ गयी।मैंने उनके ओंठो को चुसना चालू किया।मैं उनके बारी बारी कोमल रसभरे ओंठो की पंखुड़ियों को चूस के उसका रसपान कर रहा था।थोड़ा मन भर गया तो उनके चुचो को मुह में लेके चुसने लगा।हाथो से रगड़ने लगा।

मा पूरे मजे से उछल उछल के चुत मरवा रही थी।मैंने उनको अपनी तरफ खींचा,उनके ओंठ और मेरे ओंठो के बीच बस कुछ इंच का फर्क था।उनकी सांसे मुझे छू रही थी।मैंने झट से उनके ओंठो को अपने ओंठो के कब्जे में कर लिया।क्या स्वाद था उन रसिंले लब्जो का,मिठाई के पकवान फीके पड़ जाए।उनको मैंने घुमाया।और पीठ के बल सुला दिया।अभी भी लण्ड चुत में था और ओंठ ओंठो से रसपान कर रहे थे
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मैंने उनके चुचो को बारी बारी चुसना चालू किया।दोनो चुचे रगड़ रहा था।मैंने उनके दोनो चुचे कस के दबा के पकड़े।दोनो पैर थोड़े और फैलाये और चुत में लण्ड ठोकने का स्पीड बढ़ाया।करीब 10 मिनट बाद उनके चुत से"पच्छ पच"की आवाजे गूंजने लगी।उनका हवस का कीड़ा निकल चुका था।वो झड़ गयी।

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मेरी नजर बड़ी मामी को ढूंढ रही थी।वो हमारा खेल देखते हुए चुत रगड़ रही थी।मैंने उनको बेड पे लिटाया और उनके चुत पर लन्ड लगके चुत को चोदना चालू किया

"आआह आआह उम्म आआह यह वीरू थीदा धीमे आआह और अंदर आआह उम्म आआह"

चाची के चुचे एकदम गुब्बारे जैसे उड़ रहे थे।मैं बहोत जोरो से धक्के दे रहा था।उनके पूरे पैर फैला दिए।ओ भी बेड को पकड़ सहारा लिए चुत चुदवा रही थी।

आखिर कर दोनो भी झाड़ गए मैंने मेरा पूरा गधा रस उनके उपर ही झडा दिया।

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आज बहोत ज्यादा मजा आया था।दोनो औरते मेरे बाजू में मुझे लिपट के सो गयी।

मा:सॉरी वीरू,अगर मुझे पहले मालूम होता की मेरे लड़के के पास ही इतना तगड़ा लण्ड है तो बाहर मुह नही मारती।

बड़ी मामी:अभी मालूम हुआ न,जब भी चुत गांड में कीड़ा परेशान करने आ जाए इसका लण्ड उसमे डाल देना।

इस बात पे तीनो हस दिए।परसो के दिन इतवार को फैमिली रियूनियन की पार्टी थी तो कल बहोत काम था।दोनो औरते तैयार होकर अपने कमरे में चली गयी क्योकि कल उठना था जल्दी।
 
Season ४
◆ माँ का मायका◆
(incest,group, suspens)
(Episode-1)

मेरी नाराजगी मा पे अभी भी कायम थी।बस फर्क इतना था की एकदूसरे से बात जरूर कर रहे थे ।मैं जो कई दोनो से नजरअंदाज कर रहा था उसमे थोड़ा बदलाव करने की सोची।सायन्स कहता है बात जितनी ज्यादा खींचो उतनी दूर चली जाती है।अगर उस बात को अपने काबू में रखना है तो थोड़ा ढील देना चाहिए।अपना हद दे ज्यादा किसी को तकलीफ देना दुश्मन के लिए हथियार बन सकता है।और मा तो काफी हद तक मेरे वर्चस्व में थी।पर सजा पूरी होनी बाकी थी।इतनी आसानी से किसीको माफ करना मेरे उसूलो में नही।

दूसरे दिन काफी गहमागहमी का माहौल था।शॉपिंग की चीजे फाइनल करनी थी।खाने का मेनू फ़ायनल करना था।आज नाना और मामा लोग भी आज घर से काम काज देख रहे थे शनिवार था तो आधा दिन ऑफिस बैंड और उनको भी अपना शॉपिंग निपटाना था।मैं तो हैरान था यार ये लोग बहोत ही दिल पे लेके बैठे है क्या?मैं नया था तो मैने ज्यादा चापलूसी नही की।

पार्टी बेशक घर पे नही थी,और नाना जी की मौजूदगी थी तो फैंसी ड्रेस भी नही थे ।अधनंगे कपड़े नाना को जरा भी पसंद नही।उनकी मौजूदगी वाली पार्टी में तो बहुए सर पे पल्लु लेके घूमती है।

पार्टी नाना के गेस्ट हाउस में थी जो शहर से काफी दूर और शांत जगह पे था।थोड़ी जंगल जैसी जगह।मैन रोड से भी काफी अंदर।ये जगह खास पार्टी के लिए बनाई गयी थी,अगर पार्टी लंबी हो तो।छोटी पार्टियां बंगले के टेरेस के रूम में हो जाया करती थी।

मेरी शॉपिंग तो भाभी और दीदी ने कर दी थी।तो मैं आराम फरमा रहा था।आज भैया भी टूर से आ गए थे।बंगले में जो रह रहे है इसके इलावा कोई फैमिली मेम्बर नही था नाना जी का।जहा तक मुझे मैने अनुमान लगाया,आफिस वाला कोई स्टाफ या मैनेजमेंट टीम वालां आने वाला नही था।भाभी मामियो के घरवालों वालो के सिवाय कोई बचता भी नही था।

हर रोज खाना 9:30 से 10 बजे के दरमियान होता था पर पार्टी की जगह जाना था तो 8 बजे खाना खाके सब निकल गए वह पे।3 गाड़िया थी।जिसमे नाना थे वो शिवकरण चला रहा था ।बाकी दो मामा लोगो की गाड़ी थी।

नाना का गेस्ट हाउस मैं फर्स्ट टाइम देख रहा था।किले की तरह लम्बी दीवार जिससे बाहर से कुछ नही दिखता था।गेस्ट हाउस दो मंजिल का था पर चौड़ाई बहोत बड़ी थी जैसे स्कूल वैगरा की होती है।नीचे हॉल जिम ,बार, औऱ 5 रूम्स थे।ऊपर के मंजिल पर 5 रूम एक स्विमिंग पुल था।करीब करीब गेस्ट हाउस को एक मिनी होटल लॉज बना दिया था।उसकी कंडीशन देख नया नही दिख रहा था।

वहां पहुंचते ही सब लोग फैल गए अपने अपने काम में।मर्द लोग आदतन बार में डेरा जमा गए।औरते अपने गोसिप में।भाभी और संजू स्विमिंग पूल में।मैं तो गेस्ट हाउस के बाहर के बगीचे में अपना दिल बहला रहा था।काफी देर हो गयी थी मुझे और दूर तक आया था ,रात भी ज्यादा हो रही थी ,और मैं किसीको बता के भी नही आया था ,मैं जैसे ही गेस्ट हाउस लौटा तो और दो तीन गाड़िया खड़ी थी।मतलब बचे कूचे सारे रिश्तेदार आ गए थे।

मैं अंदर गया तो भाभी और संजू को छोड़ के सब हॉल में इकठ्ठा हो गए थे।दोनो मामाओ के शादी से पहले मा ने पिताजी से भाग के शादी की थी नाना जी के मर्जी के खिलाफ तो मामियो के घरवाले नही पहचानते थे मा को और मुझे।

मेरे खयाल के मुताबिक ही दोनो मामिया और भाभी के घरवाले आये थे।बड़ी मामी के माता पिता और दादाजी दादीजी ,छोटी मामी के माता पिता और दादाजी,और भाभी के भैया भाभी।

नाना मा को सबसे मिला रहे थे।पहचान करवा रहे थे।जब मैं वहाँ पहुंचा तो मुझे भी पहचान कार्यक्रम में शामिल कर दिया।बड़े मामी के घरवालों से पहचान के बाद भाभी के घरवालों से पहचान हो गयी।पर मेरे खड़ूस रंडी मामी का परिवार मेरे आने तक वहां हॉल में नही था।

अभी सभी बूढ़े लोग एक कमरे में जाकर बातचीत में लग गए क्योकि ओ ठहरे पुराने विचार के और वो बाकियो को उनके एन्जॉयमेंट में अड़चन नही बनना चाहते थे तो नाना जी तो बुढ़िया गैंग के साथ बिजी हो गए।बड़ी मामी मा और बड़ी मामी की मा उनकी आदत अनुसार किचन एरिया में गोसिप करने में लग गयी।बाकी बचे लोग ऊपर के मंजिल पे थे।मामा और मामी लोगो के पिताजी मिलके दारू के पी रहे थे।मेरे उम्र का वैसे कोई था नही।मैं अयसेही भटक रहा था।

मा:वीरू ऊपर भाभी भैया संजू दी छोटी मामी और उनके घरवाले बैठे है,उनको ये खाने के लिए देके जाओ।

मैं:ठीक है।

मैं वहाँ से चला गया ऊपर।

इधर मा बड़ी मामी से-बड़ी भाभी आपको लगता है की वीरु ने माफ कर दिया होगा मुझे।कल रात को भी कुछ नही बोला और न सुबह से ठीक से बात कर रहा है।

बड़ी मामी:देख सुशीला एक बेटा होने के लिहाज से उसने जो देखा ओ उसे हजम नही हो रहा।मुझे तो नही लगता की वो तुम्हे इतने जल्दी माफ कर देगा।विश्वास जुटाना इतना आसान नही होता।खैर मनाओ की तुमसे हा ना में तो बात कर रहा है।पर मुझे लगता है वो सिर्फ जश्न की वजह से अइसा कर रहा है।क्योकि उसका मुड़ सुबह से उकड़ा उकडा से है।

मा:पर अभी मैं क्या करू,माफी मांग ली,चुत चुदवा ली।और क्या करू?

बड़ी मामी:बस सब्र रख।जैसे चल रहा है चलने दे,वो जो कहेगा उसे मान के चल,जितना हो उतना उसके पास रह,पर झगड़ना मत,बनि बात बिगड़ जाएगी।

मा:उसे किस बात का इतना घमंड है भाभी अगर मैं पिताजी को इसे यहां से निकालने बोलू तो इसे कौन पूछेगा उसको।

बड़ी मामी:देख सुशीला तेरा यही घमंड तुझे डुबा देगा।तुझे मालूम नही होगा इसलिए अभी बता देती हु क्योकि वैसे भी आज ना कल तुझे मालूम पड़ेगा ही।

मा:क्या बात है भाभी!!!!!???!!!

बड़ी मामी:पिताजी ने तेरे साथ वीरू को नही स्वीकारा है,वीरु उनको जरूरी था तुम वीरू की वजह से आयी हो।अगर वो नही होता हो पिताजी तुम्हे कभी नही अपनाते।

मा थोड़ा चौक गयी:मतलब मैं कुछ समझी नही।पिताजी को वीरू की जरूरत थी इसलिए मुझे यहां लाये।पर क्यो अइसे??

बड़ी मामी:मुझे साफ साफ नही पता पर वीरू के हिसाब से मुझे मालूम पड़ा की छोटी जायदाद के पीछे लगी है।वीरू को उनका स्वभाव मालूम पड़ गया तो पिताजी को भी जरूर संदेह हो गया होगा।संजू तो पूरी नादान है और हमे बेटा भी नही है।रवि को अगर सब कुछ दिया जाएगा संभालने को तो कही न कहि जायदाद छोटी के कंट्रोल में जाएगी।रवि भी व्यापार में मन नही रखता तो कोई समझदार होशियार चाहिये इसलिए पिताजिने वीरू को चुना होगा।

माँ:ये बात पिताजी ने मुझसे क्यो नही की।

बड़ी मामी:आपने बिना उनके मर्जी शादी की 18 साल उनसे दूर रही अभी ये वीरू है जिसने ये बाप बेटी का मिलन करवाया।मुझे पूरा यकीन है की पिताजी उसको जायदाद में हिस्सा दे दिया होगा।अभी उससे घमंड करोगी तो आपको ही महंगा पड़ेगा।

इधर ऊपरी मंजिल पे-

स्विमिंग पूल पे लोग दारू पी रहे थे। मैंने मेज पे जाके प्लेट रख दी।वहां पर सारे लोग दारू पी रहे थे,संजू भी शामिल थी।मैं दारू सिगरेट जैसी चीजो से वास्ता नही रखता था तो मैं नीचे जाने के लिए पलटा।

तभी रवि भैया ने मुझे रोका।

रवि:अरे वीरू तुम बड़ी मा से नही मीले होंगे।(छोटी मामि के मा को मेरी पहचान करते हुए।)बड़ी मा ये वीरू सुशीला बुआ का बेटा।

छोटी मामी की माँ मेरी तरफ पीठ करके बैठी थी।जब मीठी पहचान कराई तब मुझसे हाथ मिलाने के लिये वो नशे में ही पिछे पलटी।

"हेलो बेटा!!!!"जैसे ही उनकी नजर मुझसे टकराई उनका आधा नशा उतर चुका था।मैं पहले तो चौक गया पर बाद में मुझे मन ही मन हसी आने लगी।

वो तो मुझे सिर्फ ताकती रह गयी।हेलो बेटा के आगे उनको कोई शब्द ही नही मिल रहे हो अइसी दशा हो गयी।पर बाकियो को शक न हो जाए इसलिए मैंने खुद आगे होकर हाथ मिलाया।

मैं:हेलो आँटी हाऊ आर यू।(मुझे हसी सहन नही हो रही थी।कब खुले में जाके पेट दबाके हसु अइसे हो रहा था।)

तभी छोटी मामी ने टोका:बस बस बहोत हेलो हेलो कर लिए जाओ ये प्लेट नीचे रख के आओ

(लगता है उनकी मा से मेरा मिलना उनको पसंद नही आया।)

मैं प्लेट उठा के किचन में रख आया।बाहर जाके सुनसान सी जगह ढूंढी।करीब 100 मीटर पर एक छोटा से रूम था।जहा पर बगीचे के अवजार खाद रखा जाता था।मैं उसके वह जो खाली हवाई जागा थी वहां गया।आसपास देखा की कोई मुझे देख तो नही रहा।और जो हँसना चालू किया।मुझे बहोत ज्यादा हसी आ रही थी।क्या नसीब लेके आया हु मैं।सब इतनी आसानी से कैसे मेरे पालडे में आ सकता है।

आपको तो मालूम हो गया रहेगा की मैं क्या बोल रहा हु और किस बारे में बोल रहा हु।

जो औरत रवि भैया की बड़ी मा,छोटी रंडी की मा और हमारे घर की सम्बदन है वो वही औरत थी जो मेनेजमेंट के गेस्ट रूम में अपनी चुत चुदवा रही थी।उस टाइम उनका फुटेज लेना मुझे कुछ काम का नही लगा पर अभी तो ब्रम्हास्त्र मेरे हाथ में था।

12 बज के जा चुके थे। मैं वह से नानाजी को देखने गया।वो सब सो गए थे।मैं फिर बार में गया वह पर भी मामा और बाकी सो गए थे वैसे ही।पूरे नशे में थे।मा बड़ी मामी और बड़ी मामी की मा भी सो गयी थी।अभी बचे ऊपरी मंजिल वाले।जब ऊपर गया तो स्विमिंग पूल पे कोई नही था।ऊपर के सारे रूम आमने सामने थे।उसमे में एक कमरा बन्द हो गया था।मैं आगे गया तो आखिर में बाहर बाल्कनी थी जहा मैंने देखा की संजू खिड़की से झांक रही है।

मैंने उनको पीछे से कंधे पे हाथ रखा तो वो एकदम सी चौक गयी।उनकी धड़कन बढ़ गयी।मुझे देखते हु उसके जान में जान आई।मैं कुछ पूछता उससे पहले ही मेरे मुह पे हाथ रख मुझे धीमे आवाज में बोली:कुछ बोल मत बस अंदर देख।

मैंने अंदर देखा तो रवि भैया सिद्धि भाभी और उनके भैया भाभी थे।पर मुझे परेशान करने वाली बात ये थी की चारो नंगे थे।और उससे भी बड़ी बात मुझे ये दिखी की दोनो ने अपने बीवियों की अदलाबदली की थी।ये नशे में किया या ये इनकी फैंटसी है इससे मुझे कुछ लेना नही था।संजू बाकी उनको बहोत गौर से देख रही है।यह ये भी सवाल उठता है की पोर्न देखके इसको ये आदत लगी या ये सब देखके इसको पोर्न की आदत लगी।पर सामने वाला दृश्य पूरा रोमांचक था।खिड़की पे मेरे सामने संजू और पीछे मैं खड़ा होकर उस शुरू होने वाले चुदाई के मजे लूटने के लिए तैयार हो गए।

परिचय

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सिद्धि भाभी का भाई-विकास,(विकी)उम्र28,बिज़नेस मैन
सिद्धि भाभी की भाभी:निधि उम्र 27,हाउसवाइफ

रवि भैया निधि को कस के पकड़ कर उनके ओंठो को चूस रहे थे तो सिद्धि भाभी अपने ही भाई विकास के लण्ड को चूस रही थी

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।निधि थोड़ी पतली थी और उसके न चुचे उभरे हुए थे न गांड।विकास थोड़ा मोटा था पर ज्यादा भी नही।

रवि और निधि सोफे पर और सिद्धि और विकास बेड पर थे।इधर मेरा भी लण्ड खड़ा होने को था।

रवि भैया निधि के चुचे चुसने लगे।

विकास(विकी):अरे रवि उसके मसल के चूस इसे बहोत पसन्द है।

रवि ने एक चुचे को मुह में चूसते हुए दूसरे चुचे को मसलना चालू किया।

रवि:तुभी आज इसको तेरे गाढ़े रस से नहला दे साली का कितना भी रस पिलाओ मन ही नही भरता।

सिद्धि ताना मारते हु:अबे तेरा निकलता कहा है।जो तू परेशान हो रहा है।

निधि:कुछ भी कहो सिद्धि पर तेरा पति मजे बहुत देता है।

विकी:इतना पता है तो कुछ सिख उससे,10 मिनट में ही अकड़ जाती है और गल जाती है।

निधि:अच्छा,बहनचोद अपनी रंडी बहन को जैसे मजे देता है वैसे मुझे क्यो नही देता।

विकी:तू मेरा ना लण्ड चुस्ती है न तेरी चुत चाटने देती है,पर सिद्धि सब कुछ करती है और करने देती है।

विकास का लन्ड रस निकल गया और सिद्धि उसे पी गयी।अभी सिद्धि को पीठ के बल लिटाके विकी उसके ऊपर आया और चुचे चुसने लगा।

यहाँ मेरा लन्ड संजू के गांड में घिसने लगा।संजू भी गांड पीछे उठा के घिसाने लगी।

संजू:क्यो लल्ला अब तेरे भी लन्ड को भूख लग गयी।

मैंने पीछे से उनके चुचो को कस के पकड़ते हुए मसलना चालू किया:हा ना मेरी जान सामने चुदाई और पास में गर्म माल हो तो लण्ड को भूख लगेगी।

संजू:फिर देर किस बात की।उठा ले और डाल लन्ड अन्दर।

संजू वन शोल्डर टॉप और राउंड स्कर्ट में थी तो मैंने स्कर्ट उपर की।और विंडो स्लाइड पर उनका एक पैर ऊपर करके लन्ड को चुत में डाल थोड़ा अंदर घुसा दिया।
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यहाँ विकी ने अपने लन्ड को खड़ा करके सिद्धि के चुत में डाला और धक्के पेल रहा था।उधर रवि सोफे पे लेटा था और निधि उसके लन्ड पर बैठी थी।रवि का लंड मेरे और विकी से काफी छोटा था।

मैं बहोत धीरे धीरे धक्का दे रहा था।क्योकि वो चिल्लाये नही, नही तो मजा किडकीड़ा हो जाएगा।

रवि निधि के चुचो को मसल रहा था।और निधि चिल्लाते हुए उछल रही थी

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"आआह फक आआह ओ माय गॉड आआह उफ आआह उम्म फक फक ओ नो आआह उम्मसीई"

(इतना छोटा लण्ड इसको चुभ रहा है मतलब इसकी चुदाई कम होती है या।ये जल्दी झड़ जाने की वजह से उसकी चुत की उतनी मशगत नही होती।)

इधर तो एकदम से हार्डकोर था।

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सिद्धि:आआह आआह विकी और जोर से आआह फक फक हार्ड आआह मादरचोद जोर से लण्ड चुड़ भड़वे और जोर से आआह उम्म उफ आआह रंडी के आआह"

मैं भी थोड़ा स्पीड बढा कर चोदने लगा।संजू भी कंट्रोल करके सिसकारी छोड़ने लगी
"आआह उम्म उफ्फ हहह"

मैं उसके चुचे कैज़ के दबा के चोदने लगा,स्पीड बहोत था और उसी की वजह से वो झड गयी।पर मेरा झड़ना बाकी था।मैंने उसको नीचे बिठाया और लन्ड को मुह में ठूसा दिया।

यहाँ निधि और रवि का खेल खत्म होने को था।निधि पहले ही झड गयी थी,बस रवि अपना झड़ने के लिए नीचे से धक्के पेल रहा था।और वो भी झडा ,वो भी निधि के चुत में।निधि उसपे गिर के उसके ओंठ चुसने लगी।वो एक दूसरे को लिपटे सोफे पर ही ओंठो का रसपान करने लगे।यहाँ विकी जल्दी झड गया।और सिद्धि की चुत में उंगली डाल ऊपर से चाटने लगा।

सिद्धि:तुम दोनो(विकी और रवि) साले भड़वे हो औरत की भूख नही मिटा सकते तुम्हारे लूल्ले।आआहमुझे तो फिक्र भाभी की होती है(उनका कहना था उनके लिए मैं जो मिला।पर किसका उसके पीछे के अर्थ पर ध्यान न गया।)भड़वे तुम दोनो कुछ काम के नही आआह आआह

आखिर कार कैसे वैसे सिद्धि भाभी झड गयी।वो रवि और निधि अभी भी रसपान में मगन थे।विकी बेड पे ही सो गया थक कर।सिद्धि बाथरूम चली गई।

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यह पर मेरा लण्ड तने तड़पत रहा था और संजू उसको शांत कराने के लिए चूसे जा रही थी।आखरी में उसने भी दम तोड़ा और झड गया।गाढ़ा रस पूरे शरीर पे गिर गया संजू के।संजू कपड़े संभालते हुए बाजू के कमरे के बाथरूम में घुस गयी।मैं वहां से नीचे आ गया।
 
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