Maa Sex Kahani माँ का मायका - Page 3 - SexBaba
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Maa Sex Kahani माँ का मायका

(Episode 2)

मैं नीचे आया तो किचन में कोई था।मुझे आहट सी लगी।इतनी रात गए कौन है?सब तो सोए हुए है।मैं किचन में गया तो मा किसी के साथ थी चेहरा साफ नही दिख रहा था।मैं थोड़ा और पास गया। मेरी आहट से वो लड़का दूसरे तरफ के दरवाजे से भागने लगा।करीब 25 से 30 साल का लड़का ।मैं भी उसके पीछे भागा।जाते जाते मेरी नजर मा पर गयी।माँ के चुचे खुले थे,बाल फैले हुए थे।मेरा सर में गुस्सा लाव्हा की तरह उबलने लगा।

मैं लड़के के पीछे भागने लगा।लड़का बगीचे से रास्ता निकालते हुए भागने लगा।मैं काफी दूर था।अंधेरे में ज्यादा तर दिख नही रहा था।मैने लड़के को रोकने के लिए कोशिश की,एक लकड़ी मिली उसको पूरी ताकत से उसपर फेका,उसकी चिल्लाने की आवाज आई।पर वो वहां से भाग निकला।मैं थक गया था।पर ओ थकान और मा की दशा मेरा गुस्सा और बढ़ा रही थी।मैंने तो ठान ही ली जो भी बाहर का आदमी मा के करीब दिखा उसका बंदोबस्त कर के रहूंगा।

मैं थोड़ा चलके आगे गया तो मुझे एक छोटा घर दिखा।मैं उस घर में घुस गया।वहाँ के लोग सोए थे।मेरी आहट से वो जग गए।उन्होंने घर के दिए जलाए।

वो तो माली चाचा थे,सियाराम नाम था उनका।सुबह आया तभी देखा था जब मैं घूमने आया था बगीचे में तब उनको देखा था।उनके साथ अभी उनकी बीवी भी थी,शारदा चाची

सियाराम:क्या हुआ बाबूजी इतनी रात को यहाँ पे?कुछ काम था?

मेरी आंखे चारो तरफ घूम रही थी।मेरे आंखों में उस शख्स की परछाई चमक रही थी।

मैं:माली चाचा अभी कोई शख्स भागता हुआ यहाँ आया क्या?

सियाराम अपने बीवी की तरफ देखने लगा।दोनो के गले सूखने लगे।सुनसान रात में उनकी दिल धड़कने की आवाजे आने लगी।

सियाराम:नही बाबूजी कोई नही.....!!!

वो अपनी बात पूरी करते उससे पहले ही अंदर से बर्तन गिरने की आवाज आई।

मैं:कौन है अंदर?

सियाराम की बीवी शारदा थोड़ी डरी आवाज में:कुछ नही साब वो बिल्ली होगी।

उनका चेहरा आवाज इससे मुझे उनपे शक होने लगा।मैं जबरदस्ती अंदर घुसा।कोई लड़का था।मैं उसे खींच के बाहर आया।

सियाराम:ये मेरा बेटा शिवा है साब,दूसरे शहर में रहता है,आज ही आया है।

मैं:अभी 5 मिनट पहले कहा थे शिवा?

शिवा हटाकट्टा नही था नॉर्मल शरीर था।खुद के माथे के पासिना पोंछते हुए बोला:वो वो अन्दर ही था।

मैंने उसको पूरा निहारा।आगे से पीछे से ऊपर से निचे।और जो शक था वही हुआ।पैर के नीचे उसे वही लकड़ी लगने का निशान मुझे दिखा।

मैं:घर में बैठे बैठे सोए सोए पैर के नीचे इतना बड़ा निशान।

शिवा का गला सूखने लगा।उसके मा बाप को कुछ समझ नही आ रहा था।

सियाराम:शिवा क्या बात है?ये जख्म कैसा?

शिवा:वो पिताजी अइसे ही किधर नींद में गिरा रहूंगा,मुझे पता नही चला होगा।

मुझे अभी रहा नही गयी मैंने उसके कान के नीचे 2 झांझनाटेदार लगा दिए,वो चकरा गया।

उसकी मा शारदा मेरे पैर में गिर गयी।उसे छोड़ने की भिक मांगने लगी।

सिया राम ने उसे सहारा दिया और मुझे पूछा:क्या बात है साब कुछ गलती हुई है तो वैसे बता दो ।

शारदा:इसकी तरफ से हम माफी मांग लेते है।

मैं : इसकी सजा माफी लायक नही।तुम्हारा ये चिराग मेरे मा के साथ....(मैन एक झापड़ और लगाया।उसके मा बाप बात समझ गए।उसकी मा झट से खड़ी हुई और दो थप्पड़ और लगा दिए उसे)

शारदा:साब उसकी तरफ से मैं माफी मांगती हु।

मैं शिवा से:क्यों भड़वे तेरे घर में मा नही है क्या उसके साथ कोई कुछ अइसा करे तो तू देखेगा।तेरी औकात क्या और कर क्या रहा है।

मेरा गुस्सा अभी मर्यादा पार कर चुका था।मुझे वहा पर एक कोने में डंडा मिला।मैन उसके मा बाप को बाजू धकेला और उसे गधे के माफिक पीटने लगा।उसके पैर पे इतनी बार मारा की उसे उठने को नही हो रहा था।और आखरी का उसके उस जगह मारा जो मेरे मा के लिए उठा था।उसके मा बाप मेरे सामने घुटनो पर बैठ के माफी मांगने लगे । पर मैं आपा खो चुका था।पिछली बार बड़ी मामी थी ,इसलिए बलबीर बच गया।

सियाराम:साब माफ करदो उसे मैं आपके पैर पड़ता हु।

शारदा:साब आप हमको जो सजा देना चाहते हो देदो।पर उसे छोड़ दो।

मैं:ये भी सही है,तुम लोगो को उसे सही से उसकी औकात नही बताई।

शारदा शिवा को मारते हुए:बोल तूने क्यो किया अइसे?क्या इज्जत रख दी हम लोगी की।

शिवा दर्द भारी आवाज में:मुझे शिला (छोटी मामी)मेडम ने किसी वीरू को मारने को बोला था।वहा उसे ढूंढने गया था तो इनकी मा मिली किचन में तो...!

मैं गुस्से वाले दिमाग से पागल जैसा हसने लगा:तो तू वीरू को मारने आया था।तूने कभी देखा है वीरू को।

शिवा:नही!!!

मैन वही सवाल सियाराम और शारदा को पूछा,वो भी"नही "बोले।

मैं हस्ते हुए:वो वीरू मैं हु।

ये बात सुन तीनो को सांप सूंघ गया।

मैं:क्यो फटी न,तेरी मा की चुत साले मुझे मारेगा।सालो मुझे हैवान करके छोड़ोगे।शैतान हु मैं।मेरी मौत मेरे ही मर्जी से अति है बे।तू क्या मारेगा।

मैंने फिरसे एक साथ उसके कमर पर मारी।सियाराम उसको बचाने आया तो उसके भी कमर पे लात मार दी।वो दर्द से करह उठा।

शारदा:साब साब नही साब मर जाएगा वो माफ करदो साफ,आप जो चाहे सजा दो,पर इतनी बड़ी सजा मत दो की हम जी नही पाए।

मैं:क्यो बे भड़वे मेरी मा के साथ रंगरेलिया मनायेगे।रुक तुझे बताता हु

मैंने शारदा को बाल पकड़ के उठाया।उसको दर्द हुआ।

सियाराम:बाबूजी नही बाबूजी इसको कल दूसरे शहर भेज दूंगा,आप छोड़ दो इन दोनो को,मार डालना है तो मुझे मार डालो।

शारदा:नही बाबूजी आप मुझे मार दो।

मैं दोनो पर खिसकते हुए:अरे चुप दिमाग की मा मत चुदा।

मैं सियाराम से:तेरे बीवी की उम्र क्या है?

सियाराम:जी साब!???

मै:मैंने पूछा इसकी उम्र क्या है?

सियाराम :42 45 होगी।

मैं:मतलब मेरे उम्र कि है।

शिवा:नही साब नही मेरे गुनाह की सजा मेरे मा को मत दो।

सियाराम रो चुप सा हो गया।क्या बोलता ओ?उसने शिवा को चुप किया।

शिवा:पिताजी उनको बोलो उनको बोलो,मा तुम कुछ क्यो नही बोलती।

मैं:क्यो चाची देख मुझे जबर्दस्ती नही करनी।अभी तेरी मर्जी।

शारदा ने अपनी आंखे पोंछी और अपना पल्लु अपने छाती से हटाया।मुझे हरा सिग्नल मिला।

शिवा और सियाराम एक दूसरे को गले लगाए फूटफूट के रो रहे थे।

मैं हस्ते हुए।शारदा के चुचे मसलने लगा और बोला:देख शिवा यही चुचे पसंद आये थे ना मेरे मा के,देख देख।

शिवा उठने की बहुत कोशिश की पर उसका पैर काम नही कर रहा था।ओ पूरा असह्य था,उसे मुझसे पंगा लेना महंगा पड़ गया था।खाया पिया कुछ नही,पैर तोड़ा जिंदगीभर के लिए।

उन दो नो के सामने मैंने शारदा को खड़े खड़े नंगा किया।

मैं:अरे अभी देख ना दुसरो की मा को चोदने का बहुत मन करता है ना तेरा।ले तेरी मा की चुत चाट ले।

(मैंने उसकी मा के चुत को उंगली से मसला।शारदा सिसक से कहर गयी।)

मैं:अरे चाची दर्द हुआ क्या,इससे बड़ा दर्द तो तब हुआ जब मेरे मा के चुचे हाथ में लेके तेरा बेटा रंगरेलिया मना रहा था।

शारदा:साब आपको जो करना है,मैं तैयार हु,मेरे बेटे को छोड़ दो।मैं पैर पड़ती हु।

शारदा चाची मेरे पैर में गिर गयी।मैंने भी शॉर्ट और अंडरवेयर नीचे डाला और टी शर्ट बनियान निकाल बाजू की लकड़ी की पलँग पर डाल दिया।

मेरा तना हुआ लन्ड शारदा चाची के मुह के सामने लटक रहा था।उन्होंने एकबार मेरे लन्ड को देखा और एक बार अपने पति और बेटे को देख रो रही थी।अचानक उसने आंखे पोंछी और मेरे लन्ड को हाथ से सहलाया और मुह में लेके चुसने लगी।मैं उसके सर पर हाथ सहलाने लगा।

मेरा लण्ड अभी पूरा तन गया था।बाजू के पलँग पर मैंने चाची को सुलाया उनके चुचे मुह में लेके चुसने लगा।मसलने लगा।

"आआह आआह उम्म आहिस्ते आआह उम्म"

मैंने उनके ओंठो को मुह में पकड़ के चुसना चालू किया,हाथ में चुचो मसलना चालू था।लण्ड अभी फंनफनाने लगा था मैन मेरे लण्ड को हिलाया और चाची की झांट भरी चुत में डाल दिया।

शारदा:आआह आउच्च आआह उम्म धीरे से आआह

मैं कुछ सुनने मानने की अवस्था में नही था।मैं जोर जोर से कस के धक्के मार रहा था।

"आआह उम्म आआह आउच्च उम्म आआह"

मैं':अबे रंडी साली तेरे बेटे के लण्ड को काबू में रखती तो तेरी चुत का भोसड़ा नही बनता अभी ले अभी तेरी चुत का भोसड़ा बना देता हु।

शारदा:अभी हो गयी बाबू गलती!अब मेरे पास भी कोई जरिया नही है।आपको जितनी चुत मारनी है मारो आआह,पूरा अंदर डाल के चोदो,अपने घर का ही भेदी है तो अभी भुऊऊऊ गतना पड़ेगा।

वो कब की झड गयी थी।मैं अभी झडा नही था।पर जब झड़ने का टाइम आया।उसके मुह में रख दिया।

शारदा ने गिरने वाला हर एक बून्द चाट के चूस के निगल गयी।

मैं उठा।शारदा भी उठी बोली:साब किसको ये बात मत बोलना बड़े साब जी मार देंगे,इस उम्र में कहा जाएंगे।

मैं:मैं नही बताऊंगा किसको,पर सजा पूरी नही हुई।ये सियाराम हट वहाँ से।

सियाराम बाजू होकर खड़ा हो गया।

मैं:चल तेरे बेटे के मुह में जाके चुत चटवा,लन्ड तो अभी खड़ा नही होगा।

शारदा:नही साब बेटे के सामने शर्मिन्दा मत करो।

मैं:तुम जा रही हो या।मैं......!!!

शारदा बिना बहस किये जेक उसके मुह पे चुत टिका दी।

मैं:शिवा चल डाल जीभ तेरी मा की चुत में,नही तो एक झापड़ तेरी मा भी खाएगी।

शिवा अपनी मा के चुत में जीभ घुमाने लगा।मैं जाके उसके सामने लन्ड हिलाने लगा।मेरा लंड जैसे ही खड़ा हुआ,

मैं:ओए रंडी ले चाट इसे।

अपनी चुत बेटे के जीभ से चटवाते हुए,मेरे लण्ड को चाट रही थी।काफी देर लण्ड चटवाके मैने लन्ड को मुह में ठूस दिया।और उसका मुह चोदने लगा।वो कब की झड गयी थी।पूरा मुत अपने बेटे के मुह पे ही छिड़ दिया।मैंने भी अपना चोदने का स्पीड बढ़ाया और झड गया।

सियाराम:साब अभी छोड़ दो,गरीब लोग है,आगे से कोई शिकायत नही आएगी।

मैं:आणि भी नही चाहिए,नही तो इस बार लण्ड और डंडे से काम चलाया अगली बार कुछ और होगा।समझो और समझाओ अपने बेटे को।

मैं वहाँ से गुस्से गुस्से में निकल कर गेस्ट हाउस आया।मा रूम में जाके सो गयी थी।मैंने अभी ठान लिया था की मा को ढील देना गलती थी मेरी अभी आगे से नही होगी।

तभी कान्ता मुझे देख दौड़ती हुई आयी।

मैं:हा हा हा रात के 2 बजे कहा भागे जा रही है।

ओ मुझे एक कोने में लेके गयी और कुछ अइसा बताया जिससे मुझे बहोत बड़ा झटका लगा।ये मैंने पूरी जिंदगी में नही सोचा था।मैं वही बैठ गया।

कान्ता:बाबू जी बाबू जी,संभालो खुदको।

मैं जो पिघल गया था।खुदको सवार लिया।आंखे पोंछी।

मैं:और कुछ खबर!!???

कान्ता:खबर ये है की नाना जी कल वसीहत पढ़ने वाले है।किसको क्या मिलेगा वो कल मालूम होगा।

मैं:मेरे लिए कुछ है?

कान्ता:जहा तक मालूम पड़ा है,सारे मर्द लोगो के ही नाम है,आपका भी नाम है,पर आपके हाथ में क्या मिलेगा नही मालूम।

मैं सोचा अभी जो करना है वसीहत के बाद,अभी कुछ गलती कर बैठा तो अभीतक का सारा खेल बिगड़ जाएगा।

मैं:कान्ता सच में मैं तेरा जिंदगीभर अहसानमंद रहूंगा,बोल मैं क्या दु तुझे?

कान्ता:बस आपका विश्वास,हम गरीबो को सिर्फ प्यार और विश्वास चाहिए,पॉलिटिक्स पैसा नही चाहिए।

मैं:ठीक है।जाओ अभी सो जाओ।दीन भर सारा काम तुझे ही करना पड़ता है।

कान्ता मुस्करा के सोने चली गयी।

अभी इम्तेहान की घड़ी नजदीक थी।सीधे रास्ते पे चल रहा था।क्यो हैवान बना रहे है ये लोग।क्या चाहते है पैसा।दे भी देता पर कुछ समय पहले बताया होता तो।अभी तो ये मेरा घटिया कमीनापन देखेंगे।क्योकि

" कमीनापन सबको आता नही और अपने से जाता नही"
 
(Episode 3)

सुबह 7 बजे

मैं सबसे पहले उठ कर स्विमिंग पूल में आराम कर रहा था।दिमाग और शरीर पूरा गुस्से से गर्म था।पर कुछ मजबूरियां उसे काबू करके रखी थी।

सुबह 9 बजे

मैं रात भर जगा था तो तैरते तैरते स्विमिंग में झपकी लग गयी।तभी वहां पे संजू सिद्धि भाभी निधि भाभी ,रवि, विकी ,और छोटी मामी की मा आ गयी।छोटी मामी मुझे नीचे जाते दिखी।मैं सिर्फ अंडरविअर में था।उन लोगो ने भी अपने कपड़े उतारे लड़के मेरे ही जैसे अंडरविअर में थे और लेडीज़ लोग ब्रा और पेंटी में।

स्विमिंग पूल काफी छोटा था।सब लोग अंदर आने के बाद भर गया था।मैं एक कोने में हाथ फैलाये बैठा था।छोटी मामी की मा मुझे देख मुस्कराई और आंख मारी पर मैंने उनको नजरअंदाज किया।मुझे छोटी मामी से जुड़े किसी व्यक्ति पर भरोसा नही रहा।ओ लोग इतना गिर गए थे की उनको किसी की जान लेना भी बड़ी बात नही थी।

स्विमिंग में रवि भैया आपने टूर की छोटी मामी की मा जिनका नाम श्वेता था वो और विकी अपने बिज़नेस की बाते करने लगे,सिद्धि भाभी भी उसमे शामिल हो गयी।

संजू को उन दोनो विषयो में न जानकारी थी न कोई रस,और निधि ठहरी हाउसवाइफ घर के सिवा बाहर गयी ही नही।

संजू और निधि ठीक मेरे सामने पीठ करके खड़ी थी और उनके बातों को सुन रही थी।मैं अपना अपने में ही सोच में डूबा था की मेरे अंडरविअर पर मेरे लण्ड का जायजा लेते हुए एक हाथ घूम रहा था,वो संजू थी।स्विमिंग पल का पानी गाढ़ा हरे रंग जैसा था तो पानी के अंदर जो हो रहा है वो सिर्फ अंदर खड़े रहके और अपने पास का ही देख सकते है।बाजू वाला भी आप पानी के अंदर क्या कर रहे हो देख नही सकता ,पर महसूस होगा उसको।

संजू का हाथ मैंने पकड़ के झटक दिया और कमर पर चुटकी काटी।वो आगे फुदक पड़ी।

निधि:क्या हुआ संजू,ठीक तो हो?

संजू: हा हा,कुछ नही।

संजू थोड़ी देर चुप रही,अचानक निधि भाभी के करीब गयी और कान में बोली:मैं आपको एक जादू दिखाती हो आपको पसंद आये ना आये बस कोई रिएक्शन मत देना।प्लीज!!!

निधि ने घबराए हुए चेहरे से ही हामी भर दी।उसको मालूम था की संजू जितनी नादान है उतनी साइको जैसी भी है।कभी कुछ भी कर सकती है।

संजू ने निधि का हाथ पकड़ा और मेरे लण्ड पे अंडरविअर के ऊपर से ही रख के दबा दिया।

संजू तो मजे ले रही थी।पर निधि और मैं चौक से गए थे।दोनो एक दूसरे को देखते ही रह गए।जगह भी इतनी कम थी की अगर मैं फिरसे उसका हाथ झटका दु तो निधि के हाथ को भी जख्म हो सकती थी।क्योकि हम कोने में थे तो दोनो ओर स्विमिंग की दीवार थी।

संजू अपने हाथ से ही निधि के हाथ को मेरे लण्ड पे मसल रही थी।मजा निधि को भी आ रहा था और मुझे भी पर जितना मजा था उतना डर भी था क्योकि वहाँ पे बाकी के भी लोग थे।

संजू ने मेरी अंडरवेयर से लण्ड को रिहा कर दिया था।मेरा लण्ड पूरा लन गया था।ठंडे पानी में भी उसकी गरमाहट महसूस होने लगी थी।मेरा तन बदन मचल रहा था।संजू ने निधि के हाथ में पूरा लण्ड थमा दिया।हाथ में पूरा लण्ड आते ही निधि मेरे पास एकदम आश्चर्य से देखने लगी।और नॉटी स्माइल देदी।मतलब तो साफ था की निधि राजी थी और पूरी तैयार भी।

मेरा तन बदन मचल रहा था।निधि मेरे लन्ड को धीरे धीरे हिला रही थी।हमारा चेहरा नॉर्मल था पर अंदर से अंग अंग मचल रहा था।संजू ने निधि को पीछे किये जैसे सबको वो नॉर्मल सा लगे।पर बाकी लोगो का ध्यान नही था उसपे।बड़े लोगो की बड़ी गोसिप।संजू की हरकते देख सिद्धि भाभी को थोड़ा शक हुआ,क्योकि उनको हमारी हरकते पता थी।उन्होंने मुझे आंखों से ही पूछा"क्या हुआ?"मैने भी आंखों से नीचे की तरफ एकबार इशारा किया,फिर निधि की तरफ आंखे घुमाके इशारा किया। भाभी समझ गयी वो मुस्कराते हुए आंखों से ही फरमाई'"लोहा गर्म है तो हतोड़ा मार दे,किसकी राह देख रहा है।"

मैं भी सोच रहा था अगर वो तैयार है तो मैं क्यों पीछे जा रहा हु।निधि भभी मेरे से चिपक गयी थी।पानी में जो हाथ उनका मेरे लण्ड पे था वो हट गया और उनकी गांड मेरे लण्ड को घिस रही थी।उनके मुह से सिसक निकल गयी।

विकी:क्या हुआ निधि,Are You Ok!!

निधि:एस बेबी,पानी ठंडा है ना तो थोड़ा....!!

विकी को मेरा निधि के पास होने पर भी कोई रिएक्शन नही दिखा।मैं सोचा यातो ये पागल है या तो Cockhold है।पर मैं अभी सोच लिया,मजे करूँगा,चाहें जो हो।

मैंने उनके पेट पर हाथ घुमा में कस लिया अपने से।उनके दांत अपने ओंठ चबा रहे थे।संजू हमारे ठीक सामने खड़ी हो गयी,जिससे कोई हमारे यहाँ क्या हो रहा है ये देखे ना और सब समझे की संजू और निधि ही कुछ कर रहे है।

मैने निधि की पेंटी नीचे करदी,क्योकि ब्रा खोलता तो वो पानी पर तैरती और शक हो जाता।पेंटी नीचे कर के गाँड के नीचे से चुत को मसलने लगा।निधि खुद को कंट्रोल कर रही थी ,जिससे उनके मुह से आवाज न आये।उसकी चुत पर कोई बाल नही था जैसे उसने वैक्सिंग किया हो।मैं ब्रा के ऊपर से उसके छोटे आमो जैसे चुचे मसल रहा था।उसके चुत में उंगली अंदर बाहर हो रही थी।निधि अभी पूरी लाल टमाटर हो चुकी थी।वहां पर उसको चोदना मुनासिफ नही था।मैने संजू को पास में बुलाया और उसे ऊपर के कमरे में आने को बोला। मैं वहाँ से पहले चला गया।

जैसे ही मैं बाहर निकला मुझे सामने मा दिखी।मैं उन्हें कुछ बोलू उससे पहले वो झट से नीचे चली गयी।मुझे देखते ही उनके माथे पर हुए शिकंजी साफ बयान दे रही थी की उनसे जानभुज कर गलती हुई है।मैं मेरा मुड़ खराब नही करना चाहता था और वो जगह भी नही थी की वहां झगड़ा करू।

मैं रूम में गया।पूरा नंगा ही बेड पे था।थोड़ी देर बाद वो दोनो आयी।मुझे नंगा देख संजू को कुछ फर्क नही पड़ने वाला था पर निधि थोड़ा अलग अजीबसा फील कर रही थी।वो वही खड़े रहके मुझे ताकने लगी।संजू ने दरवाजा खिड़की लॉक कर दी।और मेरे पास आने लगी।

संजू निधि से:अरे अइसे क्या ताक रही है?

निधि:हम सच में ये करने वाले है,ये भाई है तेरा।

संजू:विकी भी तो सिद्धि का भाई है।

निधि:मतलब....!!!!!!

संजू:तुम सही सोच रहे हो और इसलिए मैंने तुम्हारे लिए तगड़े लण्ड का इंतजाम किया।मिलो ये है हमारा लण्ड राज और हम। इसकी रंडिया।

निधि:हम मतलब...सिद्धि?????

संजू:जी सिद्धि भाभी भी चुदवाती है।

संजू सीधा बेड पे आके नंगी हो गयी और मुझे चिपके गयी।उसने मेरे ओंठो को चूम और लन्ड को सहलाने लगी

संजू निधि से:अरे आओ तो सही वहां क्या कर रहे हो।मेरी चुत तो इसका लण्ड देखते ही चुत में खूजली आ जाती है।

संजू नीचे जाके मेरा लन्ड मुह में लेके चुसने लग जाती है।निधि सोच सोच में ही कपड़े उतार कर संजू के पास आती है।संजू उसे नीचे खिंचती है।और अपने मुह में रखा लण्ड उसके सामने कर देती है।

निधि:नही मुझे अच्छा नही लगता लण्ड चुसना।

संजू:तू एकबार देख ले,विकी की तरह नही है तगड़ा और स्वादिष्ट है,बार बार चुसने का मन करेगा।

निधि को संजू जबरदस्ती मुह में लण्ड घिसड देती है।निधि पहले ऊपर का सुपडे का ही टोप चुसने लगती है।

संजू:ये क्या बच्चे की तरह लोल्लिपोप चूस रही है।

संजू ने मेरा लण्ड मुह पूरा अंदर तक लेके मसल मसल के चुसा।

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संजू:इसे कहते है चुसना।ये ले चूस।

निधि ने भी पूरा मुह में लेके चुसना चालू किया।

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संजू:ये हुई न बात।।

संजू अभी मेरे पास आके मेरे ओंठो को चुसने लगी।अपने चुचो को मेरे मुह में घुसाने लगि।मैं भी उसके चुचे चूसने लगा।करीब ये खेल 5 मिनीट चलता रहा।

संजू उठी मुझे भी साइड किया और निधि को बेड पर सुलाया।
संजू:वीरू दिखा तेरे जीभ का जादू।इसे जादू दिखाने तो लाई थी।

मैं निधि के चुत के पास गया।निधि मेरा सर चुत से हटा रही थी।पर मैं थोड़ी मानने वाला था।मैंने उसकी चुत की चुम्मी ली।

निधि के मुह से आआह निकल गयी।

मैंने उंगलियो से चुत के पंखुड़ियां बाजू की।एकदम लालम लाल चुत थी,पूरी पानिया गयी थी।मैने उसके चुत में जीभ डाली।उसने मचलते हुए मेरा सर अपने चुत में दबाया।

निधि:आआह वीरु मत करो मुझे सहन नही होगा आआह

मैं उसकी चुत में जीभ रगड़ रहा था।उसका चुत का टेस्ट मुझे बहोत पसंद गया था।उसकी चुत की पंखुड़ियां कांपती हुई बड़ी मस्त लग रही थी।

संजू उसके चुचो को चूस रही थी।उसके चुचे मसल रही थी।ओ लेस्बियन की तरह ओंठो की चुसमचुसाई करने लगे।जैसे ही उनका मन भरा,संजू ने 69 पोसिशन पकड़ ली।उसकी चुत अभी निधि के मुह पे थी और मेरा लण्ड संजू के मुह में।निधि ने अपनी जीभ संजू के मुह में जैसे ही घिसाई संजू ऊपर नीचे होकर हिलते हुए निधि के जीभ से चुत चोदने लगी।मैं भी संजू के मुह में लण्ड के धक्के पेल रहा था।
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बड़ा मजा आ रहा था इस खेल में।मैं पहली बार जल्दी झड गया।आधा रस संजू ने गटका और थोड़ा निधि के चुत पर डाला।

फिरसे मेरे लण्ड हो हिलाक़े चुसने लगी।जैसे ही मेरा लण्ड खड़ा हुआ।उसने निधि की चुतमनी को मसला उसकी चुत उंगलियो से रगड़ी और लण्ड को उसपर लगाके मुझे धक्का लगाने का इशारा किया।ओ निधि के मुह से उठी।मेरे आपस खड़ी होकर मेरे होंठो को चुसने लगी।मैंने निधि को पहला धक्का मारा

निधि:आआह आउच्च ओ माय आहा अहम स्लोली आआह इट्स पेनिंग आआह

मैं थोड़ी देर रुककर लण्ड को अंदर घुमाया।जैसे उसका दर्द कम हुआ मैंने उसको चोदना चालू किया।वो मजे लेने लगी

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"आआह आआह उम्म आआह फक आआह फक आआह उम्म आआह उम्म फक आआह चोदो मुझे और जोर से बहोत मजा आ रहा है ओ माय गॉड आआह उम्म"

निधि झड गयी थी।मैं पहले ही झड गया तो मैं इतनी जल्दी तो झड़ने वाला था नही।निधि थक गयी थी उसे वैसे ही रहने दिया।संजू उसकी चुत घोड़ी बन के चुसने लगी।मैंने भी संजू की गांड के नीचे से चुत में उंगली डाली और उंगली से चोदने लगा,जैसे ही चुत फैली उसकी चुत में लण्ड डालके चोदने लगा।पूरी जोर जोर से चुत को धक्के दे रहा था।

संजू निधि की चुत से निकल रहा चुत रस चाटके साफ कर रही थी।मैं जोर से चुत में धक्के मारे जा रहा था।

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"आआह वीरु आराम से आआह उम्म आहिस्ता चोद आआह चुत फट जाएगी आआह आये है आआह आआह उम्म फक फक आआह ओ फक आआह आआह उम्मम"

आखिर कार हम दोनो झड़ने को थे।संजू ने तो पानी छोड़ा पर मुझे कहा निधि के मुह में छोड़ने को।मैने निधि के मुह पे लण्ड हिलाक़े मुह में पूरा गाढ़ा रस फैल गया।संजू ने निधि के मुह में मुह मिलाया और ओंठ चूसते हुए पूरा रस का भी लुफ्त उठाया।हम तीनो अभी बेड पे एकदुसरे को चिपके पड़े रहे।

संजू:क्यो भाभी मजा आया।

निधि:थैंक यू यार संजू।

तभी संजू को कॉल आया।सबको गेस्ट हाउस के कॉन्फ्रेंस रूम में बुलाया था।

नाना-

"आज हम सब यहाँ पर इकट्ठा हुए है,जैसे हम रिश्तेदार है वैसे ही दोस्त भी है और बिजनेस पार्टनर भी।यहां आप सबको इकट्ठा करने की वजह ये है की मेरी अभी उम्र हो गयी है।(मुझे अपने पास बुलाया हाथ के इशारे से।)

ये मेरा पोता है कंपनी के जो 40 % शेयर है उसमे से मैं इसे(मुझे) 20 % और रवि को 10 % देता हु और संजू को 10 %।आज से मेरे बाद कंपनी का हेड मेरा बड़ा बेटा सुजीत देखेगा।और उसे ये बाकी चारो हाथ बटाएंगे इसकी उम्मीद करता हु।बाकी के जायदाद में भी उसी परसेंटेज से बटवारा किया गया है।हर एक का हर जगह सबका अधिकार है बस घर के युवा और जिम्मेदार व्यक्ति को उसकी डोर थामी है।आप यहाँ आये शुक्रिया आशा है जैसे मुझे साथ दी वैसे मेरे इस लोगो को साथ देना।मैंने सारे पेपर बना दिए है।अगली मैनेजमेंट मीटिंग में पेश कर देंगे और आपको एक एक कॉपी मिल जाएगी।

नाना जी के कहे अनुसार सबसे ज्यादा हक बड़े मामा के पास क्योकि 30 परसेंट है।बाद में मैं और छोटे मामा एक ही लेवेल पे थे क्योकि छोटे मामा के पास 20% शेअर पहले ही था।आप कहेंगे छोटी मामी मामा बेटा तो उसमे रस नही लेता तो उसका शेअर लेके बढ़ा देंगे तब भी मेरे पास संजू है जिसको व्यापार से ज्यादा चुदाई में रस है।

पर इस बात से मा छोटी मामी जरूर नाराज थी।मैं तो अभी थोड़ा वजनदार हो गया था।अभी अपना खेल चालू करने में कोई हर्ज नही था।बहोत देख देख लिया।कुछ मजबूरियां हाथ बांधी थी।पर अभी नाना भी नही टोकेंगे।नाना ने जायदाद का बटवारा जरूर किया है पर उसमे भी बड़े मामा बाद में मैं और छोटे मामा।नाना जरूर जानते थे की छोटे मामा अय्याश है और छोटी मामी पैसों की प्यासी।माँ के ऊपर तो उनका विश्वास और भरोसा तभी चला गया जब ओ उनके मन के खिलाफ शादी की।

अभी आने वाले दिन जितने सुखदाई थे उतने ही रिस्क भरे थे।कदमो कदमो पे ध्यान रखना था।कल का प्रहार जो शिवा से करवाना था ओ शिवा की हवस ने पलटा दिया जिससे मुझे जीवनदान मिला।पर हर बार खुदा मेहरबान नही होता।

दोपहर खाने के बाद पारिवारिक खेल हुए बाद में देर रात तक घर पहुंचे।उस दिन सारे थक गए थे।सब सोने चले गए।मुझे नाना ने रूम में बुलाया।

नाना:देख वीरू बहोत बड़ा रिस्क लिया है तुम्हारे हाथ इतनी बड़ी जिम्मेदारी देके मुझे है तुमपे पूरा विश्वास पर बेटा सम्भालके जायदाद के लिए पैसों के लिए लोग सगे लोगो को भी नही छोड़ते।

इस बात पर मेरे आंख से आंसू निकलने लगे नाना जी न देख ले इसलिए उन्हें गले से लगा लिया।नानाजी तो चौक गए।

नाना:अरे क्या हुआ?

अभी इनको क्या बताऊ कैसे बताऊ,इस उम्र में इस कगार पर कोई टेंशन उनको मैं देना मुनासिब नही समझा बात को घुमाया:कुछ नही ,बस आपको गले लगाने का दिल किया,आप चिंता मत करो आपने कमाई इज्जत और शोहरत को आंच नही लगने दूंगा।

मैं वहाँ से अपने कमरे में आया।आज बहोत थका था मैं भी तो जल्दी सो गया।
 
(Episode 4)

सुबह 10 बजे ऑफिस में,

नानाजी अभी आराम फरमा रहे थे।अभी कम्पनी हेड बड़े मामा थे।जहाँ बड़े चाचा बैठते थे वहां छोटे मामा बैठ गए।हमारा हिस्सा एक जैसा होगा फिर भी वो अनुभवी थे।तो एक इज्जत के तौर पर उनको वो केबिन दे दी थी,और मैं उनकी जगह।संजू और रवि इनका तो कोई सवाल नही बनता भारतीय कानून के हिसाब से उनको वारिस के तौर पर उनका हिस्सा सौंपा गया था।एक तरह से आप उनको स्लिपिंग पार्टनर बोल सकते हो।और छोटी मामी के मा बाप और एक और था या थी मालूम नही अभी तक मैं उन्हें मिला नही था क्योकि वो पहलेसे स्लीपिंग पार्टनर था।

अधिकतम जानकारी के लिए:

स्लीपिंग पार्टनर एक ऐसा व्यक्ति है जो किसी व्यवसाय के लिए कुछ पूंजी प्रदान करता है लेकिन जो व्यवसाय के प्रबंधन में सक्रिय भाग नहीं लेता है।

पहला दिन था तो मैं अपनी टीम देख रहा था जो पहले छोटे मामा की थी। मैंने सबको कॉन्फ्रेंस में बुलाया।दो लड़के छोड़ के बाकी पाँच लडकिया थी।हो जाता है कभी कभी ऑफिस काम के लिए लड़कियों को ज्यादा करके महत्व देते है लोग,मान लिया।फेक्ट्री का काम मेरे पास था,वहां की मजदूरों की नियुक्ति,मजदूरी,सुरक्षा और चीजो का परीक्षण मेरा काम।

दो लड़को में एक तो वो सुपरवाइजर था।मतलब ये दोनो लडके सुपरवाइजिंग स्टाफ़ था।

मैं:तो तुम दोनो अभी फेक्ट्री में जाओ वहा आपकी ज्यादा जरूरत है।आपको मैं बाद में सूचना दूंगा।मीटिंग के चक्कर में कुछ हादसा न होजाये।और हा इतना बता दु,उधर किसीकी आपके खिलाफ जायज कम्प्लेंट आई तो कल से काम पर नही आना।जाओ!!!!

ओ लोग जी सर करके वहाँ से चले गये।

मैं: चलो अपना परिचय दो

सबने अपना अपना परिचय दे दिया
१:रीना
२:स्वीटी
३ मीना
४ प्रेमा
५:सुमन

।पर हर एक के स्वर में मादकता थी।मुझे उनपे शक हुआ।मैंने हर एक का बायो डेटा देखा।सारे 12 वी पढ़े हुए उसमे से भी 2 फेल।मैं भी 12 वी करके आगे पढ़ाई करने वाला था।पर इनके बायो डेटा से लग रहा था की इनकी पढ़ाई काफी साल पहले ही बंद हुई है।

मैंने हर एक को उनका अनुभव और कौशल्य(skill) पूछा।आधे लोगो को तो कुछ आता ही नही था।दो लोग मजदूरी करते थे हमारे ही फेक्ट्री में वहां से यहाँ आये।मैंने उनको जाने बोला।सब लोग गए तभी मीना पीछे आयी।

.
मीना 30 उम्र की एक औरत,शादीशुदा,फेक्ट्री से मजदूरी करते हुए ऑपरेटर स्टाफ में नियुक्ति।
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मीना(पूरे मादक आवाज में पास आते हुए):सर मैं क्या बोल रही थी।

मैं:दूर रहके रिस्पेक्ट से बात करो।

मीना(मादक आवाज में):वो सर वो पगार बढ़ जाती तो(उसने मेरा हाथ पकड़ लिया)

मैंने हाथ झटकते हुए:ये क्या बत्तमीजी है।

मीनापल्लु हटा के आधे नंगे चुचे दिखाने लगती है।

मैं:ये क्या कर रही हो तुम?!!

मीना:जो आपको चाहिए रहता है आप सर लोगो को,और उसके बदले सिर्फ मेरी एक बिनती मान लो।प्लीज सर!!!

मैं:मतलब क्या है तुम्हारा।किसने कहा ये तुमसे।

मीना:विवेक सर हमेशा मेरे साथ(वो नटखट सी हस गयी।और पल्लु गिरा दिया)

मैं:सिर्फ मैं या सारे लोगो के साथ।

मीना:नही मैं और स्वीटी,बस हम खास थे,आप कहो तो हम आपकी भी सेवा कर लेंगे।

मैं:जाओ स्वीटी को बुलाके लाओ!!!

मीना मुस्कुरा के क़मर भटकते हुए बाहर स्वीटी को बुलाने गयी।

अच्छा मतलब मजदूर से ये स्टाफ इसलिए बनी क्योकि मामा को अय्याशी के लिया रंडिया चाहिए।और वो शादीशुदा हो तो शक भी नही आएगा।तभी दोनो अंदर आ जाती हो।

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स्वीटी 32साल उम्र की एक औरत,शादीशुदा,फेक्ट्री से मजदूरी करते हुए ऑपरेटर स्टाफ में नियुक्ति।
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मैं:हा तो मैं अबसे आपका बॉस हु,मुझे बताओ पहले जो बॉस थे मेरे मामा उनके साथ क्या घटियापन्ति करती थी तुम दोनो।(मेरे आवाज में गुस्सा था।)यहाँ ये सब करने आते हो।अभी बॉस मैं हु,हुकुम मेरा चलेगा।

दोनो के चेहरे पे डर था।दोनो गिड़गिड़ाने लगी:"सॉरी सर सॉरी"

मैं:सामने के दो टेबल पर आजसे आप काम करोगे।

दोनो अपनी अपनी जगह पकड़ के बैठ गयी।मैं भी सारी फाइल चेक कर रहा था।स्वीटी का पल्लु थोड़ा नीचे था।उसके आधे नंगे चुचे दिख रहे थे।

मैंने स्वीटी को कहा:मुझे यहाँ के कम्प्यूटर्स की सिस्टम और फाइल्स बताओ।

वो मेरे पास आई,दाएं तरफ।और कम्प्यूटर पे झुक कर मुझे सब समझाने लगी।स्वीटी अय्याश भरी औरत नही लग रही थी जैसी मीना थी।पर स्वीटी का यौवन बहोत रसभरा था।ओ जो भी समझा रही थी उससे ज्यादा तो मैं उसके बदन को घूर रहा था।उसका बदन की खुशबू मुझे हैरान सी कर रही थी।

मैने उसके गांड पे हाथ फेरना चालू किया।मैं 21 साल का ओ 32 की उसे दोनो तरफ से अजीब लगा,एक तो मैं उम्र में छोटा और बॉस भी,पर वो कुछ रियेक्ट नही की,क्योकि मामा का बिस्तर जो गर्म कर चुकी है।

मैं उसका पल्लु नीचे से उपर कमर तक किया।वो घोड़े जे माफिक एंगल पकड़े थी तो पल्लू अटक गया कमर में।मैं उसकी गांड को सहला रहा था।उसकी गांड सिहरन से मचल रही थी।मैंने पेंट निचे करके बीच वाली उंगली चुत के ऊपर घिसाने लगा।ओ धीमे धीमे सिसक रही थी।मैं पेंट में से लण्ड निकाल के सहलाने लगा।ओ आंखों के कोण्ही से मेरे लण्ड को ताड रही थी।

अचानक मैंने जान भुजके एक फ़ाइल मेरे बाए तरफ नीचे गिरा दी।और थोड़ा पीछे खिसक कर उठाने की कोशिश का नाटक किया।आवाज से मीना देखने लगी वो उठी और मेरे पास आई,जैसे हो फ़ाइल लेने झुकी तो उसे मेरा लन्ड दिखाई दिया।वो मेरी तरफ देख मुस्करके शर्मा गयी।उसका चेहरा लाल हो गया।उसने स्वीटी की खुली गांड भी देखी।उसके चेहरे पर उसके बदन की चलबिचल साफ महसूस हो रही थी।ओ भी गरमा रही थी।

मैंने मेरे लण्ड को सहलाया और उसके गर्दन को पकड़ कर लण्ड उसके मुह में ठूसा।वो वैसे भी ना नकुर नही कर सकती थी।वो चुप चाप लण्ड को चुस्ती रही।दूसरी तरफ उंगली स्वीटी के चुत में डाल के उसको गर्म कर दिया।

दोनो को नंगा होने बोला।टेबल से थोड़ा दूर होकर मीना को टेबल पर पैर फैलाये बैठा दिया।क्या चुत थी यार।एकदम लाल छोटे झांटो वाली।स्वीटी को मैंने अपने लन्ड पे बिठाया।मेरे तरफ पीठ करके वो लण्ड पे बैठ गयी।

"आआह उम्म हाये दैया आआह आआह"

मैं उसके गोल मटोल चुचे अपने हाथो में कस के पकड़ के मसलने लगा।वो झुक कर मीना की चुत चाट रही थी।मैं उसकी गांड को कमर से पकड़े ऊपर नीचे करने लगा।थोड़ी देर बाद वो खुद उपर नीचे होने लगी।उसका उछलने का स्पीड बढ़ गया।मीना अपने चुत को उंगलियो से मसल रही थी।मैं स्वीटी को रुकने बोला।टेढ़ा होक खुर्ची खिसक कर टेबल के नजदीक गया।अभी मैं खुर्ची ओर स्वीटी मेरे लन्ड ले और मेरे बाए तरफ टेबल पर पैर फैलाये चुत वाली मीना।स्वीटी फिरसे मेरे लन्ड पे उछल रही थी।मैंने अपनी दो उंगली मीना के चुत में डाल के चोदना चालू किया।एक हाथ स्वीटी के चुचे मसल रहा था।

"आआह आआह उम्म आआह अम्मा हाये दैया आआह मर गयी आआह उम्मम आआह आआह आआह उफ आआह"की आवाजे पूरे रूम में गूंज रही थी।

स्वीटी अब झड गयी थी।ओ चुत का पानी छोड़के उठ गयी।मैंने लण्ड को हिलाया और मीना को लण्ड पर बिठाया।स्वीटी अब मेरे दाएं तरफ आयी।स्वीटी मेरे ओंठो को चुम रही थी,चूस रही थी।मीना मेरे लन्ड को चुत में उछाल उछाल के चोद रही थी।मैं मीना को नीचे से गांड उठा उठा के साथ दे रहा था।पर मीना जितनी मादक दिखती थी और बोलती थी उतना उसमे दम नही था।वो भी जल्दी झड गयी।

मैं:क्या रंडियप्पा लगाया है।इतने जल्दी झड गयी।

दोनो चुप चाप थी।

मैं:अरे रंडियों मुझे कोन झड़ायेगा।आओ चूस लो।

दोनो बारी बारी लन्ड मुह में लेके चुसने लगी।जैसे ही झडा दोनो के चेहरे पर फवारे उड़ा दिए।दोनो ने एक दूसरे के चेहरों को चाटके साफ किया।

दोनो को एक एक साइड गोदी में बिठा के उनके चुचे मसल रहा था।दोपहर हो चुकी थी।तभी मुझे कान्ता का कॉल आया ।मैं झट से उठा ,तैयार हुआ और निकल गया।मेरे पास गाड़ी नही थी।मैंने वॉचमैन से पूछा तो उसने बोला की आफिस की एक बाइक है।मैन देर न गवाए बाइक से निकल गया।

समय दोपहर 2 से 3 बजे के दरमियान।

ये सही समय था की मैं उस बात की पृष्टि करके सजा देदु।
मेरी गाड़ी सीधा गेस्ट हाउस के पास आयी।शिवकरण गेट के पास ही गाड़ी खड़े किये था।मुझे देख थोड़ा डर गया।

मैं:शिवकरण चुपचाप घर चले जाओ।

शिवकरण:पर बाबूजी बड़ी दीदी....?!

मैं:लगता है मैंने कहि हुई बात समझ न आयी तेरे।

शिवकरण ज्यादा न बात किये वह से चला गया।मुझे मालूम था की मुझे आगे क्या करना है।मैं सीधा बगीचे से सियाराम के घर गया।जैसे सोचा था ओ वही थी,वही मुह काला करवाती फिरती हुई मा।

सियाराम खुर्ची पे बैठा था।शारदा अंदर के रूम की दरवाजे पे थी।और टांग टूटा हुआ शिवा पलँग पे बैठा था और उसके बाजू में मा।कल क्या हुआ कैसे हुआ और बहोत सी बातचीत चल रही थी।मैं जैसे ही अंदर गया।चारो चौक गए।
सियाराम और शारदा के पैर ही ढीले पड़ गए।

मैं:वाह सियाराम बिवि को मैंने चोदे 24 घंटे नही हुए तू फिरसे अपनी औकात पे आया।

शारदा मेरे पास आयी:इसमे हमारा कोई कसूर नही,यह तो बड़ी मालकिन यहाँ आयी(मैंने उसको झटकार के धकेल दिया।)

मैं:तुम लोगो को तो बाद में देखता हु।पहले इस रंडिया को तो देख लू।(मा की तरफ)तो श्रीमती सुशील्ला जी।

मा का पूरा शरीर ठंडा पड़ चुका था।उसे क्या बोलू क्या नही अइसे हो रहा था।

मैं:यह क्या कर रही है अपने याररर से मिलने आयी थी।

मा:क्या मतलब है तुम्हारा।मैं तो इसे देखने आई थी वॉचमैन बोला की शिवा को लगा है तो एक मालकिन की हैसियत से इसे देखने आयी थी।

मैं हस्ते हुए:वो मिस सुशील्ला आप भूल रही है,आपका जायदाद में कोई हिस्सा नही है,बस एक घर की सदस्या हो।

मा:तो क्या तुम जबर्दस्ती करोगे,हमारी इतनी भी हैसियत नही गिरी।और तुम यहां क्या कर रहे हो।

मा की ऊंची आवाज मुझे बर्दाश्त नही हो रही थी।

मैं:यही देखने आया था की परसो तक जो लण्ड की प्यासी थी वो कल बेटे के खून की भी प्यासी हो गयी।आज क्या गुल खिला रही है यही देखने आया था।

मा:क्या बक रहे हो,तुम्हे होश है की तुम क्या कह रहे हो और किससे कर रहे हो।

मैं:मैं उस अय्याश खून की प्यासी मा से बात कर रहा हु जिसने जायदाद और चुत की हवस के लिए अपने बेटे को बौर बाप को भी मारने की कोशिश की।

मा:मैंने कब किया अइसे कुछ भी मत बको तुम्हारे पास कोई सबूत नही।

मैं:अरे रंडिया वीरू बोलते है मुझको।(शिवा का मोबाइल निकालते हुए।)ये रहा सबूत।

शिवा और मा दोनो चौक गए।

मैं:हो गयी बत्ती गुल।इसमे तुम लोगो की सारी प्लानिंग आवाजो में कैद है।आज पहली बार SAMSUNG कंपनी पे गर्व हो रहा है जिसने ऑटो रेकॉर्डिंग के फीचर इस मोबाइल में डाले।

मा के चेहरे का रंग सा उड़ गया।वो हकलाते शब्दो में अपना बचाव करने लगी:क्या क्या क्या क्या मालूम है तुझे।मेरा इससे कोई तालुख नही।

मैं:मुझे कैसे मालूम पड़ा सुनो सब बताता हु।बहोत मजेदार कहानी है आप लोगो की योजना की।

"घर में मुझे छोड़ के सबको मालूम था की पार्टी खत्म हो जाने के बाद जायदाद की बटवारे की सूचना दी जाएगी।इसलिए सब उत्सुक थे पर छोटे मामा मामी चिंतित थे क्योकि उनका पत्ता साफ हो सकता था।जब भी कोई टेंशन आता है।छोटे मामा रंडियाबाजी करने लगता है क्योकि उससे उसका मन भर जाता है।पर उसकी बदनसीबी से उसकी ये करतुते मुझे मालूम हो गयी।और मैंने उसकी वीडियो क्लिप ली ये उसको भी मालूम हो गयी।पर वही छोटी मामी पार्टी में होने वाले बटवारे को रोकने के लिए छीटे मामा से कह कर शिवा को बुला लेती है।शिवा एक चोर किस्म का आदमी है ये मामा को मालूम था।मामी ने उसे जायदाद के पेपर चुराने को कहा।मामा ने मामी से कहा" की पेपर क्यो चुराए,मार ही देते है"पर मामी समझदार और व्यवहारिक किस्म की थी तो उसे मालूम था अगर नाना किसी अपघात या खून में मर जाते है जायदाद पर हस्ताक्षर करने से पहले तो जायदाद किसी के नसीब में नही थी।और जायदाद चुराके बदल दी जाए तो नाना का वकील पे भरोसा इतना था की वो बिना देखे हस्ताक्षर कर देते थे।

पर मामा को इस बात पे सहमति नही थी क्योकि उसे नाना और मुझे दोनो को मरवाना था क्योकि मेरे पास उनके खिलाफ सबूत थे अगर वो नाना के पास जाते तो उनकी और भी जांच होती और बड़े मामा को भी छो मामा से बहोत परेशानिया थी तो वो भी उस बात का फायदा उठा लेते जिससे छो मामा फस जाता।पर वो छोटी मामी से भी कुछ कहने की औकात नही रखते थे।

उसी दरमियान छोटे मामा ने तुम्हारी(मा की)और बड़े मामी की बात सुनली की जायदाद में तेरा(मा का)हिस्सा न होने के चांसेस है।तो मामा ने तुमसे इस विषय पे अकेले में बात की।
मामा ने कहा"देख ना तुम्हारा बाप तुम्हारे लिए सोचता है न बेटा।तुम्हे क्या जरूरत है इन लोगो की।अगर मेरी मानो तो इनको हटा देते है फिर हैम तीनो भाई बहन बटवारा कर लेंगे।"तुमको(मा को)पैसे और हवस के बाहर कुछ मालूम ही नही।तूने अपने भाई पे विश्वास किया क्योकि अगर हम दोनो रास्ते से निकल जाते तो तुम्हे जायदाद भी थी और अय्याशी करने के लिए छूट।फिर मामा ने योजना बनाई,उसे मालूम था की छोटी मामी ने शिवा से बात की थी की वो जायदाद के कागज चुराए और उसने दिए हुए कागज वहाँ रख दे।

उसने रात में छोटी मामी का फोन चुराके शिवा को फोन लगाया और आपने छोटी मामी बनके उससे बात की उसे बताया की योजना में बदलाव है तुम्हे उन दोनो को मार डालना है।पर शिवा सिर्फ चोर था उसे उस बात से डर लगने लगा।तो मामा को बिना पता लगने दिए उसे घर पे आने को बोला उसे मनाने के लिए।मामा ने फोन जगह पर रखा और ये सोच के रात भर बेफिक्र था की कल मैं और नाना मर जाएंगे और उसकी पोल नही खुलेगी। शिवा रात को किचन के दरवाजे से अंदर आ जाता है।काफी अंधेरा था।धीमी रोशनी में चेहरा साफ नही दिखता था।और शिवा सिर्फ मामा से मिला था ओ मामी को इतना जानता नही था।

वो आते ही आप उसको हमे मरवाने की बात के लिए मनाने लगी।पर उसी वक्त आपके अंदर की हवस जाग गयी होगी।आपने सोचा की ये नौजवान है।रसीले बदन से पिघल के मान भी जाएगा और मेरी भी प्यास बुझ जाएगी।

योजना सही जा रही थी पर आपकी हवस ने पानी फेर दिया।उस वक्त मैं वहाँ आया।हवस की वजह से दोनो होश में नही थे।पकड़े गए।मैंने उसका पीछा किया फिर जो हुआ वो आपको इन्होंने बताया होगा।

अब बोलो कुछ और सुनना है।

मा को अभी उसका पूरा खेल पलटता हुआ दिखाई दिया।ओ मेरे पैर पड़ने लगी।क्योकि मैं जायदाद का वारिस था,मैं चाहूंगा तो ये लावारिस की तरह घर के बाहर हो जाती।

मैं:रंडी तेरा ये रोज का रंडी रोना हो गया है अभी तुझे थर्ड डिग्री देनी पड़ेगी।(उनको बालो से पकड़ कर बंगले में खींचते हुए लेके आया।)

*आप लोग सोच रहे होंगे की मुझे इतना डिटेल में कैसे मालूम तो भाई बात ये है की कान्ता ने छोटे मामा और मामी की बात और मामा और मा को किसीको फोन से कुछ समझाने की बात करते सुना वो मुझे आके बताई।क्योकि शिवा के घर से आते हुए मैंने शिवा का मोबाईल हथिया लिया था उसने कुसी औरत की कॉल रेकॉर्डिंग मैंने सुनी थी।उसमे शिला(छोटी मामी) के नाम से बात की गयी थी तो पहले मेरा शक मामी पे था पर जब कान्ता की बात सुनी!!

तभी मुझे शॉक लगा की एक बेटा बेटी उतनाही नही एक मा भी जायदाद और हवस के लिए अपने बेटे को और बाप को मरवाने निकली।

मा को नीचे के बडे बैडरूम में आके पटक दिया।दरवाजा बाहर से बंद किया और घर पर बड़ी मामी को कॉल किया।

मैं:बड़ी मामी आपकी ननद मिस सुशीला घर पे है?

बड़ी मामी:नही वो सहेली के शादी में गयी है (मा झूट बोल के यहाँ आई थी।कान्ता को शक हुआ उसने मुझे कॉल किया और मैं स्तिथि समझ गया)कल तक आ जाएगी, पर तुम्हे क्या हुआ?उसे क्यो पूछ रहे हो?

मैं:कुछ नही थोड़ा काम था पिताजि के मामले में(मैं भी झूट बोला)और मुझे आज घर आने को नही होगा।गाँव जेक रिसल्ट लेके आऊंगा।और भी काम है तो कल शाम को मिलते है।

बड़ी मामि:ठीक है सम्भलके जाना।

मैने फोन रख दिया।
 
(Episode 5)

समय शाम के 4 बजे

मैंने सियाराम को रात को खाना लाने बोला।वहाँ से बैडरूम में आ गया।

माँ:वीरू तू क्या करने वाला है।देख ये आखरी गलती समझ कर माफ करदे।

मैं:पिछली वाली भी आखरी ही थी।

मा:अरे तुझे भी मालूम है की मैं छोटे भैया के बहकावे में आ गयी थी।प्लीज मुझे माफ कर दे।

वहाँ बैडरूम में चाकू गिरा था,मैंने उसे उठाया।मा की तो बत्ती गुल हो गयी।
वो चीख के रो रही थी:अरे ये क्या कर रहा है,पागल हो रहा है।मा हु मैं तेरी,भला कोई अइसा करता है अपनी मा के साथ।

मैं:ये रंडी चुप बैठ(चाकू बाल्कनी से बाहर नीचे फेक दिया)तेरे पे भरोसा नही कहि हाथ लगा तो घुसा देगी।और तू बोल ही मत की तू मा है मेरी,कोई भला बेटे को मारने की बात करता है।

मा:देख वीरू बहोत देर हो गयी है।बड़ी भाभी राह देख रही होगी।हम जो भी बात है घर पे करते है।

मैं:अरे रंडी घर पे सहेली के शादी का बहाना करके यहाँ यार से चुदवाने आयी थी।और डर लग रहा है की कहि तुझे भगवान को प्यारा न करदु।पर डर मत इतनी आसानी से तुझे मुक्ति नही मिलेगी।कलंक है तू मा के नाम पर तू।

मा:मुझे माफ कर दे वीरू।सच में माफ करदे ।आगे से मेरे से गलती नही होगी।बक्श से तेरी मा को।(मेरे पैर पर गिरी)

मैं:अरे क्या चल क्या रहा है,गलती करो पैर पे गिरो।अभी तो डर लग रहा है कहि कुछ कर न दो।हट यहाँ से।

मा के बालो को पकड़ के उनको बेड पे धकेला।

मैं(कपड़े उतारते हुए):तेरी चुत में बहोत खुजली है,सब जगह मुह काला करती फिरती है,मैं भी देख लू तेरी खुजली वाला कीड़ा।

माँ:तू मुझे चोदेगा....!!?

मैं:सिर्फ चोदूंगा नही,उछल उछल के पेलूँगा,चल कपड़े उतार।

माँ अपने कपड़े उतार देती है।मैं बेड के पास जाकर खड़ा हो जाता हु।मा मेरे लण्ड को ताकती रहती है।उसकी नजर ही नही हट रही थी।

मैं(लण्ड सहलाते हुए):क्यो रंडी पानी आ रहा है मुह में,ले चूस।

मा बेड पे घोड़ी बनके मेरे लन्ड के पास आती है।पास से लण्ड को निहारती है और थोड़ा सहलाक़े मुह में ले लेती है। वैसे भी पहली बार नही था,इससे पहले भी उसने मुझसे चुदवा के लिया था।पर आज अकेली थी।

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मा लन्ड के टोपे को चाट रही थी।उसपर जीभ घुमा रही थी।पूरी हवस की रोगी हो गयी थी।उसने जरा भी शर्म नही की की फिरसे बेटे से चुदवा रही है।वो लन्ड हाथ में लेके लन्ड के टॉपे से लेके अंडों तक चाटती हुई जीभ घुमा रही थी।उसने लन्ड को पूरा मुह के अंदर लिया और चुदने लगी।मैं भी गांड आगे पीछे कर उसे साथ देते हुए लन्ड अंदर बाहर कर रहा था।कुछ देर अइसे ही चुसम चुसाई चालू रही।सुबह झड गया तो इस वक्त थोड़ा समय लगने वाला था झड़ने में।

मैं बेड पे लेट गया ये मेरे उपर आयी।वो मेरे पूरे चेहरे को चूमने लगी।मेरे छाती को चूमने लगी।मेरे निप्पल के ऊपर जीभ घूमना उसे मसलना चालू कर दी जिससे मैं और उत्तेजित हुआ,मैंने उसका सर पकड़ा और ओंठो को चुसना चालू किया।ओ भी मुझे साथ दे रही थी।उसने मेरा सर पकड़ कर मेरे ओंठ चुसना चालू किये।वो मेरी जीभ मुह में लेके चुसने लगी।अपनी थूक और मेरी थूक मिलाके उसे घुलने लगी और जीभ चुसने लगी।मेरे ओंठो पर जीभ घुमा रही थी।अपनी जीभ मेरे मुह में दे रही थी और मैं भी उसको मुह में लेके चूस रहा था।

मैंने उसके चुचे पकड़ लिए और उसे रगड़ना मसलना चालू किया।उसके निप्पल्स नोच रहा था।ओ सिर्फ सिसकी छोड़ी जा रही थी,"आआह आउच्च धीरे आआह आआह उम्म"

मा ने अपने चुचे मेरे मुह में दबा दिए।मैं एक एक कर दोनो चुचो को चुसने लगा।मा ने नीचे से चुत में लण्ड को घिसड दिया था।मेरे लन्ड को अपने चुत के अंदर घुमाकर घिसा रही थी।फिर आहिस्ता आहिस्ता उछलने लगी।

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"आआह उम्म आआह साली चुत आआह आआह आआह उम्म ओओओ फक आआह आआह उम्ममैई आआह मर गयी"

वो आहिस्ता आहिस्ता अपना उछलने का स्पीड बढ़ रहा था।मेरा लन्ड पूरा लोहा बन गया था।वो औरत कितनी भी चुदासी क्यो न हो उम्र उसको धोका दे ही देती है।यहां पर भी अइसा ही हुआ।पहले छोटे लत्तेपट्टे लण्ड से उनको इतनी मशगत नही होती थी पिछली बार भी ओ थक गयी थी और इस बार भी।तो मैन उनकी गांड को कस के पकड़ के नीचे से जोरदार धक्के लगाना चालू किया।

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"आआह आआह वीरू आहिस्ता आआह दर्द हो रहा है आआह धीरे आआह हाये अम्मा आआह उफ्फ अरे रंडी के धीरे आआह अरे भोसडाआआह बना येगा क्या आआह उफ़ आआह आउच्च आआह उम्म सीईई आआह"

मैं:हा हु मै रंडी का बच्चा साली तू तो रंडी ही बन गयी है।

माँ झड गयी थी।पर मेरा बाकी था।मै झड़ने तक उसकी चुत में लण्ड पेलता रहा।वो मेरे छाती पे निढाल पड़ी रही।वो थक गयी थी।जैसे ही मै झड़ने वाला था।उसको बाजू में पीठ के बल सुलाया और मुह में गाढ़े लण्ड रस को छोड़ दिया।और मुह दबा दिया।

मै:साली रंडी चल निगल(उसने चुपचाप निगल लिया।)

कुछ देर दोनो बेड पे ही पड़े रहे।आधे घंटे के बाद मैंने फिरसे अपने लण्ड को सहलाना चालू किया।मा मेरी तरफ पीठ करके सोई थी।मै थोड़ा नीचे खसका उनकके पैर को थोड़ा ऊपर पकड़ के पीछे से चुत में लण्ड लगाया।और धक्का दे दिया।

मा अचानक हुए हमले से तिलमिला उठी"आआह है दैया,लल्ला धीरे आआह"

मैंने ऊपर से हाथ डाला चुचे कर लिए और धपधप धक्के मारने लगा।

.

मा"आआह आआह अय्या यह उम्मम उम्म ललाल आआह वीरू रुरु आआह अहा धीरे से बेटा आआह उम्म आआह आआह,उम्मम"

मैं:बहोत गर्मी है तेरे चुत में आज निकाल ही दूंगा।

मा:अरे सच में मै भैया के बहकावे में आआह आआह आयी आआह मुझे मेरी गलती का सच में अफसोस है आआह आआह उम्म,"

मै:पर तुम्हे अपने ही बेटे को मारने की सूझी कैसे ,बोल रंडी बोल आआह"

मैं निप्पल्स को दो उंगलियोंसे निचोड़ने लगा।मसलने लगा।

मा:आआह वीरू आराम से आआह उम्म,मै कैसे बताऊ आआह उफ आआह उम्म"

मा फिरसे झड गयी।मैंने भी लन्ड को बाहर निकाल के उसके पूरे शरीर पे फैला दिया मेरा लन्ड का रस।

मै:और क्या छुपाया है,मुझे बताओ,इस घर में बहोत खिचड़ी पक रही है(मैन उनके गांड पे चपेट चढ़ा दी)

मा:वो वो बात ये है की।

मै:(उसकी चुत में उंगली डाल के कस के अंदर दबा दी)ज्यादा सस्पेंस मत डाल तुम लोगो की वजह से अभी सहनशक्ति नही बची मेरे में।

मा:मै आआह तुम्हारी जन्म देने वाली मा नही हुआआह,हलाखी मैन बचपन से तुम्हे बढ़ा किया है।

मैं एकदम शॉक में।मेरे हाथ पैर ठंडे पड़ गए।

मै:क्या,ये मजाक करने का वक्त नही है!!!

मा:पर ये सच है।तुम बड़े चाचा के पहले बीवी के लड़के हो।जब तुम्हारे बड़े चाचा की पहली बीवी गुजर गयी और उनकी दूसरी शादी करनी थी पर तेरी अभी की चाची के घरवालों को पता नही चलने देना था की उनका कोई बेटा है।और हमे भी बच्चा नही हो रहा था।हमने टेस्ट किया तो प्रॉब्लम मुझ में ही था।तो तुम्हारे पिता ने तुम्हे बड़े चाचा से गोद लिया।मैने भी मना नही किया।हम दोनो जानते थे की बच्चा नही होगा तो पिताजी हमे घर में नही लेंगे और जायदाद भी मुझे नही मिलेगी।

मै:अच्छा तो इसलिए तुझे मेरे जान की परवाह नही,पर साली इंसानियत भी नही क्या,अइसे किसी को मरवा देगी।

मा धीमी आवाज में:पैसा इंसानियत नही देखता बेटा इस लिए बहक गयी।

मैने गांड पे फिरसे चपेट मारी(मा"आआह दर्द होता है।)साली बेशर्म ,कुछ शर्म बचाये रखी या नही।जब जायदाद तुझे नही मिलेगी ये जानकर मुझे मारने आयी।साली रंडिया!!

मा:मै सच में शर्मिंदा हु,जब मुझे जायदाद का पता चला तभी मुझे भैया के प्लान का मालूम पड़ा।और इसीलिए कान्ता से पता लेके असलियत जानने के लिए यहां आयी।

मैने उसको पट के बल सुलाया।और उसके ऊपर चढ़ गया।अपना लण्ड उसके हाथ में देके:चल हिला कर खड़ा कर इसको।

उसने लन्ड को मसलना चालू किया।

मै:तूने जन्म नही दिया पर बड़ा तो किया,एक बार बोल देती सारी जायदाद नही देता तुझे।तेरे लिए मै गोद लिया था पर तू तो मेरे लिए मेरे सगी मा जैसी थी।कुछ भी हक से मांग लेता दे दिया होता।

मा:अब मै किस मुह से माफी मांग,कभी मुझे इतना जलील ना कर,अब मुझे और तुझे भी मालूम है की जायदाद का क्या हुआ है,अभी मै जो तू बोलेगा वही करूंगी।

मैने उनकी मुह को दबोचा:इस बार सच बोल रही है न।

मा:सच में ,अभी मै सिर्फ तेरी हु,तू जैसे भी रख,मा बनाके या रंडिया बनाके।

मेरा लण्ड खड़ा हो गया था।उसके चुत में ठुसाके धक्का मार दिया।पर इसबार मा के चीख में कुछ अलग सा अंदाज देखा,पहले धक्के देता तो वो तिलमिला रही थी पर अब वो मजे ले रही थी।

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मै चुत में धक्के पेलने लगा।उसने मुझे नीचे खींचा और मेरे ओंठो से रसपान करने लगी।

"आआह वीरू चोद तेरी रंडी को आआह डाल पूरा अंदर डाल आआह और जोर से आआह उम्म।

मैंने उसके चुचे मसल दिए।

मा:अरे निचोड़ आआह पूरे हाथ में कस के निचो ओओओ आआह निचोड़ मेरे सैया चोद दे तेरी रंडिया रानी को आआह उफ आआह उम्म"

मै आवाजो से उत्तेजित हो रहा था।उसके चुत ने पानी छोड़ दिया था।लण्ड के धक्कों से चुत से "पच पच पच्छ " की आवाजे आने लगी।जैसे ही मुझे लगा मेरा लण्ड पानी छोड़ने वाला है,मैने उसे बाहर निकाला और मा के पूरे शरीर पे फैला दिया।
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मा शरीर पे फैला पूरा गाढ़ा रस शहद की तरह उंगली से ले लेकर चाटके खा रही थी।मै मैन में-पक्की रंडी है साली,सच में ये मा नही हो सकती,और जायदाद नही चुदाई इसकी कमजोरी है,और उसके चुदाई पर रोक लगाया इसलिए वो मामा के प्लान में फसी,मतलब मै ही अपने ऊपर सब मुसीबत खींच लिया।

मैंने प्यार से मा के ओंठो को चुम्मी दे दी और मुस्कुरा दिया।

मा:तूने मुझे माफ कर दिया आ।

(मै थोड़ा रुकते हुए सोचा-ये तो लन्ड की प्यासी है अभी जायदाद तो वैसे भी नहो मिलने वाली,इसको डर दिखाके अभी कोई मतलब नही।)

मै:हा कर दिया माफ।पर फिरसे गलती नही होनी चाहिए।

मा ने मुझे गले लगाना चाहा।मैन उसे रोक दिया।

मै:रुको पहले खुद को साफ करलो।जाओ!!!

मा बाथरूम में खुद को साफ करने चली गयी।मै भी पीछे चला गया।मा शावर के नीचे खड़ी हो गयी।मै भी पीछे जाके उनसे चिपक गया।और गर्दन पे चुम लिया।मा:"अह सीईई म"

उसके पूरे बदन पे शैम्पू डाल दिया।उनके कंधे फिर बाजू फिर उनके चुचो को मसलने लगा।शैम्पू पूरा गांड की छेद को पार कर जमीन तक गया था।उसके पीछे से उसकी गांड की छेद पर उंगली डाल दी।

"आआह उऑच आआह"

उनको मेरी तरफ घुमाया।उनके ओंठो को चुम लिया,फिर उन्होंने भी मुझे चूमा।उनके ओंठो को मुह में लेके चुसने लगा।उसने मेरे गर्दन को कस के पकड़ लिया।उसके ओंठो के रस से मन पूरा मंत्रमुग्ध हो गया।उसके जीभ को मुह में लेके चुसने लगा।मैन नीचे हाथ सरकाया।ठंडे शावर में भी उसके चुत में गर्मी थी।मैने उसको मसलने लगा उसके चुत को हाथो से रगड़ने लगा।

उसके चुत में लण्ड सट के घुसाया और उसे दोनो पैर ऊपर करके कमर पे बिठाया।उसके ओंठो का रस चूस ही रहा तक,अभी लण्ड चुत का भी रस चुसने लगा।मैने धीरे धीरे उसे ऊपर नीचे और मेरी गांड को आगे पीछे करके उसकी चुत चोदने लगा।

मा-
"आआह मजा आ रहा है वीरू आआह भडवो से चुत आआह मरवा रही थी अभी तक इतना तगड़ा लण्ड साथ होते हुए भी आआह उम्म,काश तेरे बाप की जगह तेरे चाचा से चुदवा लेती,पर छोडो ओ नही उसका बेटा सही,आआह और जोर से"

मा मेरे ओंठ कस के चूस रही थी।मैं उसको जोर से धक्के देने लगा।आज तो वो और मै पूरा मजा लेने वाले थे।मैई बेसिंग के ओटे को लग के खड़ा हो गया।एयर उसकी गांड पकड़ के जोर जोर से लन्ड पे पटकने लगा।करीब 15 मिनिट बाद उसने अपना पानी छोड़ दिया।और मैंने भी उनके ही चुत में अपना पानी छोड़ दिया।
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उन्होंने मेरे आंखों में देखा और वो शरमाई और मेरे पूरे चेहरे को चूमने लगी।मैंने उन्हें ओटे पर पिट के बल बैठाया।और एक जरूरी चीज ढूंढने लगा।

मा:क्या ढूंढ रहा है।

मै:रुको बताता हु।

मुझे मेरी जरूरी चीज ऊपर वाले स्टैंडिंग अलमारी में मिल जाती है।

मा की आंखे चौड़ी हो जाती है:तू सच में मेरी गांड मारेगा।

मैने शैतानी वाली स्माइल दी।
मा:पर मैने कभी गांड नही मारी।

मै:तो फिर तेरे नए सैया से मरवा ले।कर टांगे ऊपर।

मा:जी सैया जी पर धीमे और प्यार से आपकी सजनी नई है इस खेल में।

उसके पैर ऊपर किये।वैसलीन उनकी गांड की छेद पे रगड़ा।एक उंगली अंदर घुसेड़ी।

मा"आआह अम्मा अरे लल्ला धीरे दर्द हो रहा है।

मैन रुकके दो उंगली डाल दी तो गांड फैल गयी।अभी थोड़ा वैसलीन लन्ड पे रगड़ा।और टोपा थोड़ा गांड की छेद में लगाया।

मा:वीरू आहिस्ता प्यार से ज्यादा दर्द बर्दाश न होगा मुझसे।

मैंने थोड़ा लण्ड अंदर धकेला।

मा:आआह आउच्च उम्म वीरू धीरे आआह दुख रहा है।
मैन थोड़ा और जोर लगाया पर वैसलीन की वजह से अंदाज से ज्यादा लण्ड अंदर गया।

मा:आआह वेररू आआह निकाल आआह उम्म दर्द हो रहा है आआह गांड फ़टी आआह दैया आआह अऊऊऊ आह"

मैने मा की चुचो को मसलना चालू किया पर उनका दर्द कम नही हुआ।फिर मैने मेरी उंगली उनके मुह में डाली।ओ उसे लण्ड की तरह चुसने लगी।मै लन्ड बाहर नही निकाल सकता था इसलिए मैंने सारे नुस्खे आजमाए और उँगलिवाला कामयाब हुआ।

वो उंगलियो को चुसने में मगन हुई वैसे मैने आहिस्ता आहिस्ता लण्ड गांड में आगे पीछे करना चालू किया।वैसलीन की वजह से जल्दी ही लन्ड आसानी से आगे पीछे होने लगा।और जैसे मुझे उसका कन्फर्म हुआ मैंने जोर से धक्के देना चालू किया।धक्के और दर्द से उन्होंने मेरे उंगली ओ को काट दिया ।उंगलियां कस के दांतो में दबोची।मुझे दर्द हुआ पर मै रुका नही।थोड़ी देर बाद मेरे उंगली को उन्होंने छोड़ा मतलब वो भी अभी सेट हो गयी।और "आआह उम्म "करने लगी,उसमे दर्द नही था।

मै जोर से धक्के देना चालू किया।

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मा:आआह आआह आआह आआह आआह वीरू बहोत मस्त लग रहा है आआह आआह उफ औ उफ्फ और जोर से मार गांड फाड़ दे आआह आआह उफ और अन्दर दाल आआह"

करीब 20 मिनिट बाद मै झड गया।दोनो बैडरूम में आ गए।

रात 10 बजे

सियाराम खाना लेके आया।हम खाना खाके।बेडपर एक दुसरे को लिप्त लिपट कर हुए थे।

मा:वीरू सच में मै पागल थी की तुझसे अइसे बर्ताव किया।(उसने गाल पर चुम्मा दिया)सौतेला ही सही तगड़ा बेटा मिला आई।चुत की खुजली बुझाने वाला घर में होते हुए बाहर मुह मार रही थी,क्या पगली थी मैई,पर आज से तुहि मेरी प्यास बुझायेगा।बुझायेगा न?

मै:फिर जरूर मेरा लण्ड को तेरे चुत बहुत पसन्द है।और गांड भी।

मा:पर गांड हप्ते में एक बार।बहोत दर्द होता है।

मै हास् के उसके ओंठो को मुह में लेके चुसने लगा।रातभर हमने दिलछोंक कर रात भर चुदाई की।सुबह मा वहां से घर चली गयी मैई ऑफिस चला गया।

ये मत समझो दोस्तो की माँ मेरे निशाने से बाहर है पर दुश्मन इसको बहला सकता है वो सौतेली हुई भी तो मेरे लिए सगी है।ये आखरी मौका दिया है बस अगर अभी नही मानी तो सजाए मौत भी मिल जाएगी।कितना भी कमीना हु पर बेटा हु सौतेला ही सही।इंसान को 3 चांस देने चाहिये दे दिये अभी कोटा खत्म अभी आर या पार।पहले बाकियो को निपटा लू ,मा तो प्यादा थी वजीर और रानी को निपटना जरूरी है।माँ चुत की प्यासी है उसे वो मिल गया बस।पर वो जायदाद के आधीन है कुछ भी कभी भी कर सकते है।उनको निपटना जरूरी है अगर जिना है तो।
 
(Episode 6)

मा ने बोला वो सच हो सकता है उसके हिसाब से क्योकि ये बात भी नही मान सकते थे की उसने बोला वो पूरा सच हो प्यादे को या तो सीधा चलना आता है और कोई आगे आये तो टेढ़ा।बहोत दिन से मा भी मेरे आड़े आते ही या तो बचने की कोशिश में थी या मुझे मारने की।उसको मालूम हो या न हो प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष वो वजीर और रानी को सुरक्षा दे रही थी।उनके हवस का पूरी तरह फायदा उठाया गया था।मेरे हिसाब से यही बात होगी इसलिए छोटी मामी ने मा और बड़ी मामी को हवस की खेल में फसाया।हवस ये अइसा रोग है जिसके ज्यादा प्रभाव से उस व्यक्ति से कुछ भी कराया जा सकता है।और जायदाद,पैसा तो था ही उसमे तेल डालने के लिए।पर मा पर भरोसा नही कर सकते उसको मुझे भी प्यादे की तरह इस्तेमाल करना होगा।कान्ता गयी बड़ी मामी गयी,मा भी गयी अभी दिमाग लगाना होगा की उनका अगला प्यादा कोन हो सकता है।यहाँ किसिपे भरोसा नही रे बाबा।

आज ऑफिस में कॉन्फ्रेंस मीट थी।जो बात गेस्ट हाउस में हुई उसको दोहरा कर कानूनी तरीकेसे मै जायदाद का हकदार और वारिस बन चुका था।वैसे ही ऑफिस की रोजाना मीट भी हुई थी जिसमें सिर्फ मै बड़े मामा नाना जी और एकाउंट स्टाफ था।अभी तक का खर्च,कर्जा सब पर विचार विमश हुआ।स्टाफ ने जो कम्पनी से कर्जा लिया और मैनेजिंग स्टाफ ने कितना खर्चा किया उसकी लिस्ट मैंने लेली।टॉप लिस्ट मे छोटे मामा और शिवकरण था।मुझे मालूम था की दोनो को क्यो बिमारी है पैसे खर्च करणे की।छोटे मामा अय्याशी थे ।तो शिवकरण जुगारी नशेबाज,नाना के काफी इमानदार ड्रायव्हर का बेटा था इसलीये असे नौकरी मिली और अब तक टिकी भी।पर अभि नाना नाही थे।और उसको इतना पैसा कर्जा देना कम्पनी को नही जमने वाला था।

मै शिवकरण से मिलने जा रहा था तभी मक्खन फेक्ट्री में दौड़े जा रहा था।

मै:अरे मक्खन किधर दौड़े जा रहा है।इधर आ।

मक्खन:वो साब जी वो उधर जा रहा था वो...!!!!

मै:वो वो क्या कर रहा है,जब तक झापड़ नही खायेगा तब तक कुछ बकेगा नही न?

मक्खन:वो साब मीना को बुलाने जा रहा था।

मै:क्यो?

मक्खन:वो साब विवेक सर ने बुलाने को बोला।

मै:क्यो और कहा?

मक्खन ने गेस्ट रूम कि तरफ आंखे घुमाके इशारा किया।

मै सोचा ये सही वक्त है मामा को रंगे हाथ पकड़ने का।

मैं:ठीक है,पर मुझे उस रूम की दूसरी चाभी चाहिए।

मक्खन मेरी तरफ देखने लगा,हा में सर हिलाक़े चला गया।फिरसे ऊपर जाते वक्त उसने एक चाबी मेरे हाथो थाम दी।
वो गेस्ट रूम कि ओर गया और मै सिक्युरिटी।

मीना रूम में चली जाती है और दरवाजा बन्द करके मक्खन वही बाहर खड़ा रहता है।मैं सिक्युरिटी रूम में उनपे नजर रख रहा था।

रूम में चाचा लुंगी में दारू के पेग बना के खुर्ची पर बैठ कर ठूस रहा था।मीना उसकि बहोत पुरानी रंडिया थी उसको मालूम था की उसको क्या करना है।

मीना वहा पर जाके पूरी नंगी हो जाती है।चाचा के पास जाके लुंगी साइड कर के चाचा का लन्ड लेके हिलाने लगी।मुह में लेके चुसने लगी।थोड़ी देर बाद मामा लड़खड़ाते उठा।मीना को बेड पे फेंका।खुद भी पुरा नंगा हुआ और उसपे चढ़ गया।

बस यही चाहिये था,मुझे चाहिए उतना काम और सिन बन गया था।मैंने वीडियो रिकॉर्डिंग को मेरे मोबाइल में सेव किया और उस गेस्ट रूम की ओर निकला।मक्खन खड़ा था तो ढूंढने में ज्यादा समय नही लगा।

मैंने दरवाजा खोला और अंदर चला गया।अचानक हुए मेरी इंट्री से मामा और मीना बोखल्ला गए।मीना चद्दर से खुद को ढंक दी।मामा ने भी लुंगी पहन ली।

छो मामा:ये क्या बत्तमीजी है वीरू

मै:क्या बत्तमीजी,आपको अय्याशी बोलना था क्या।

छो मामा:उस बात से तुम्हे क्या मतलब,भूलो मत मै भी इस कम्पनी जायदाद का हिस्सेदार हु।मै जो चाहु वो कर सकता हु।तुम होते कोन हो टाँग अड़ानेवाले।

मै:मै कोन एक नादान सेवक कम्पनी का,मैनेजिंग डायरेक्टर(बड़े मामा) ने कुछ काम दिया उसका पालन कर रहा हु।

छो मामा:तो ठीक है ना करो जाओ।मेरे काम में टांग मत अडाओ।

मैं:ठीक है मेरे पास जो वीडियो है वो मैनेजमेंट को दिखाता हु और बोलता हु आजतक जो 60 लाख रुपया कस्टमर के खर्चे के नाम पर लिए जाते है उसकी असली कहानी।ठीक है आप अपना काम चालू रखो।

छोटा मामा थोड़ा परेशान हो जाता है।मै बाहर जाने ही वाला था उससे पहले ही ओ मुझे रोकता है।

छो मामा:वीरू रूक,बोल क्या चाहता है तू?बात बढ़ाने से कोई मतलब नही है।मामला सेटलमेंट से निपटा देते है।

मै:मै जो मांगूंगा वो आप दे नही पाएंगे,छोड़ो जाने दो।

छो मामा:देख ज्यादा बात मत घूम,मुझे मालूम था तुझे कुछ चाहिये इसलिए तू पहलेसे सबूत जमा कर रहा है,बोल क्या चाहिए।

मैं:इसलिए मुझे मारने के लिए मा के सहारे शिवा को भेज सही न।

छोटे मामा चौक गए:क्या क्या क्या बक रहे हो।

मै:वही जो सच्चाई है।और ये बहोत भारी पड़ेगा तुम लोगो पे।

छोटे मामा:देख तू ज्यादा बकबक मत कर तुझे क्या चाहिए वो बोल मुझे समय नही तुम्हारी बकबक सुनने के लिए।

मै:चलो आप रेडी है तो इस पेपर पे साइन कर दो।बिना पढ़े।क्योकि वैसे भी आपको वो बात माननी ही होगी।नही तो एक बटन दबाया वीडियो बड़े मामा के पास।फिर मैनेजमेंट से बर्खास्त और कम्पनी से भी निकाला मिल सकता है और अभी 60 लाख बाहर आये है आगे जाके और कुछ जांच हुई तो।

छोटे मामा:पर क्या लिखा है उसमे?

मै:कुछ नही बस आपके नाम पे गेस्ट हाउस की जो जमीन है वो मुझे चाहिए।

छोटे मामा को उस बात पे भरोसा भी हो गया और उसने फटाफट दस्तखत भी कर दिए।जैसे ही मेरे हाथ में उसने कागज थमाए ,मै उसको देख हसने लगा।

मै:आप सच में इतना बढ़े गधे हो मालूम नहीं,आज मुझे भरोसा हुआ की मामी के हाथ के कठपुतली हो,अगर वो न होती तो रास्ते पे पड़े होते।पर अभी जो तूने किया ओ भी आपको रास्ते पे ला सकता है।

छोटे मामा:अब ये क्या नया नाटक है।तुम्हे चाहिए वो तो दिया अभी तुम अपने बात से मुकर रहे हो।

मैं:मैं कोई हरिश्चंद्र नही हु,सालो मेरी जान लेने चले थे न अभी वही जान मेरे हाथ में है।

छोटे मामा:तुम जोभी है साफ साफ बोलो।

मै:आपने जिसमे दस्तखत किये उसमे आपके शेयर और सारी संपति पूरे होश में मुझे सौंप रहे हो अइसे लिखा है।

छोटे मामा की आधी नशा उतर गयी।मामी के कहने पर हाथ पैर हिलाने वाला,खुद हाथ पैर हिलाए तो डूबेगा ही न।

छोटे मामा:वीरू तुझे ये भारी पड़ेगा।चुपचाप वो कागज मुझे दो।

मै:आप कुछ नही कर सकते ,आफिस के सारे चेले मेरे अंडर काम करते है,तो अभी मुह बन्द,तुम्हारे सारे दाव मालूम हो गए मुझे।

तभी छोटे मामा को बड़े मामा का कॉल आता है,वो तैयार होकर निकल जाता है।उसके चेहरे पर परेशानी साफ थी।जिस बात के लिए इतने साल कांड किये वो सिर्फ ये झटके में हाथ से निकल गए।

मैं वहाँ बैठ कर उस बात पे ठहाके लगा के हस रहा था ।कैसा मामा है मेरा ,मुझे लगा यार बहोत खिचमीच होगी पर ये तो भड़वा निकला।सच बोलते है हवस पैसे को भी हावी है।डर डर में सब गवा बैठा साला मेरा भडवा मामा।

मीना अभी भी बेड पे थी।

मै:क्यो मैडम,आपको मैंने चेतावनी दी थी,आज से आपका बॉस मै हु,फिर भी अपनी चुत की खुजली मिटाने आ गयी।

मीना:वो साब विवेक सर ने बोला तो।

मै:अच्छा तो उसने बोला तो तू करेगी,मेरी बात नही मानेगी।तो ठीक है कल से काम पे नही आना।बहोत हो गया तेरा।

मीना(नंगी ही उठके मेरे पास आई):अइसा मत करो साब,अकेली कमाने वाली हु।बाल बच्चे है,पति बेड को चिपका है।सब रास्ते पे आ जायेगे अगर मेरी नौकरी गयी तो।

मै:तो क्या मेरा ऑफिस रंडिया खाना बनाएगी।और ऊपर से अपनी ही मनमानी।

मीना:साब कम पढ़ी हु,इसकेलिए चुत मारनी पड़ती है।बाकी अबसे जो आप बोलोगे।

बाहर मक्खन उसकी गांड निहार के अपना लन्ड सहला रहा था।

मै:ठीक है,इस मक्खन के लन्ड से चुद जा अभी।

मीना:क्या? पर!!!

मै:अभी पर वर नही उसके 1000 अलग से।

मीना बेड पे जाके चुपचाप लेट गयी।

मै:क्यो मक्खन चाचा तैयार हो न।

मक्खन(शर्माते):जी साब मेहरबानी आपकी,आपका हुकुम सर आँखोपर।

मक्खन ने अपनी पेंट निकाल दी।मीना अपनी टांगे फैला ली।मक्खन भूखे की तरह उसपे टूट गया।उसको चूमने लगा।पर मीना उसको साथ नही दे रही थी।हलाखी देंगी भी नही क्योकि मक्खन उम्रदराज था।और उसमे ओ तगड़ा दम नही था।पर नोकरी बचने के लिए मीना तैयार हो गयी।

मक्खन ने अपने लण्ड को मीना के चुत पे लगाया।और धक्के देना चालू किया।
मीना:आआह आआह उम्मुफ आआह

मक्खन ने 10 15 झटकों में ही अपना लण्ड झडा दिया।

मै:जाओ अभी आफिस के काम करो,कुछ होगा तो बुला लूंगा।

मीना वैसे ही पड़ी थी।(आपको लगेगा ये बलात्कार जैसा लग रहा है।पर वैसा है नही,वैसे तो वो रंडी बन गयी थी,उसके पैसे भी मिलने वाले थे और उसकी मर्जी थी।मजबूरी भी थी ओ अलग बात है।)

मीना उठी मेरे पास आयी:साब 1000 रुपया??!!

मै:अरे जल्दी क्या है।बैठ इधर।

मीना नीचे बैठी।

मै:अरे नीचे नही मेरे लण्ड पे(मैने पेंट की झिप खोलके लण्ड को आझाद किया।)

मीना उसपे चुत लगाके बैठ गयी।और आहिस्ता ऊपर नीचे होने लगी।

मै:कितना पगार मिलता है तुझे।

मीना:6000 साब।

मै : कल से 7000 मिल जाएगा,पर आजसे मेरे कहे बिना मुह नही मारना।बच्चो को सिख अच्छे से।और पति को अच्छे हॉस्पिटल में दाखिला करवा पैसे का मै देखता हु।

मीना खुश हो गयी:शुक्रिया साब,आप सच में अच्छे हो।आप जो मांगोगे कहोगे सब करने के लिए तैयार हु।

मै:तुम भावनाओ में मत बहो,मै अच्छा वैगरा कुछ नही,कैसा भी हो तुझे इस हालत में लाने वाले मेरे मामा है या फिर मैई हु तो उतनी जिम्मेदारी बनती है।

मीना:ये आपका बड़प्पन है साब पर मै सच बोल रही हु जो आप कहोगे वो मै आपके लिए करने को तैयार हु।

मैं:ठीक है कल घर पे ही रहना तेरे पति से मिलने आ जाऊँगा।चलो अभी मेरा झड़ने वाला है।

मीना:रुको साब अंदर ही झड़ने दो।कोई बात नही।

आखिर कर मेरे लण्ड ने मीना की चुत भर दी।मै बाथरूम जाके पेंट साफ कर ली।दोनो तैयार हुए।मीना अपने डेस्क पर चली गयी।मै सिक्युरिटी रूम में जाकर मेरी वाली वीडियो इरेज कर दी।आपके भाई को उतना ज्ञान तो है।

अभी बात शिवकरण की थी।मै पार्किंग में गया।वो वहाँ पर गाड़ी के पास खड़ा था।
शिवकरण:जी साब कहि जाना है।

मै:हा चलो जाना भी है और कुछ जरूरी बात भी करनी है।

गाड़ी में-

शिवकरण:क्या बात है बाबू जी।

मै:शिवकरण तेरे 1 लाख रुपये देने है कम्पनी लोन के।इतने पैसे का क्या करता है तू।

शिवकरण:वो बाबूजी बो वो...!

(शिवकरण की जुबान लड़खड़ा रही थी।)

मै:कारण छोड़ो पर अगर 1 लाख नही दिए तो नौकरी और जो घर दिया हुआ है उसे खो बैठेगा।तेरा बेटा है न दूसरे शहर जो पढ़ने गया है।उसे तो कम्पनी यहां से डायरेक्ट पैसा देती है तो तू इतना लोन का क्या किया।

शिवकरण को पासिना आ गया:नही साब अइसा मत करो।वो मै साब जुए में हार गया।

मै:पर उसका मतलब ये नही की तुम पैसे लुटाओ।उसे फिरसे कब दे रहे हो।

शिवकरण:साब रकम बहोत बड़ी है।जल्दी कैसे होगा।

मै:फिर नौकरी और घर भूल जाओ,अभी सब बड़े मामा के हाथ है,नाना होते तो मै संभाल लेता पर अभी तो!!!

शिवकरण:साब जो कहो कर लूंगा पर मेरी नौकरी और रहने का ठिकाना को मुझसे न छीनो।

मै:तुझे जुआ खेलने की आदत है न।चल तेरी बीवी को दाव पे लगा।मैं तेरी नौकरी बचाता हु।

शिवकरण चौक गया।उसने गाड़ी रोक दी।

शिवकरण:छोटे बाबू ये क्या बात कर रहे हो,ये कैसे मुमकिन है।

मै:अगर तुझे नौकरी और घर से बेदखल नही होना तो तुझे ये मुमकीन करना पड़ेगा।मंजूर है तो बोलो।उसके लिए 20000 अलग से दूंगा।

शिवकरण कुछ सोचा और गाड़ी चालू कर दी।

मै कान्ता को कॉल किया।और चौराहे पर बुलाया और घर में आफिस में बुलाया है करके बोलने बोला।जहा पर जाना था वो जगह शिवकरण को समझा दी।गाड़ी जैसे ही रुकी कान्ता गाड़ी में बैठ गयी।

कान्ता:क्या हुआ बाबू जी आपने अचानक से बुला लिया।

मैं:सब कुछ मालूम हो जाएगा।(शिवकरण से)तूम गाड़ी को मैंने कहा वैसे जगह लेके चलो।

कान्ता:क्या बात है कोई मुझे बताएगा।

मैंने अपने पैंट को अंडरवेअर के साथ पुरा नीचे तक खिसकाया और निकाल दिया।शिवकरण हो रहे वाकिये को नजरअंदाज कर रहा था।कान्ता तो एक नजर पति पे एक नजर मुझपर और एक नजर मेरे लन्ड पे परेशान चेहरे से घुमा रही थी।उसको सामने हो रही घटनाओं पे भरोसा नही हो रहा था।

मै:अरे अभी देख क्या रही है।लेले मुह में तेरे लिए ही है।

कान्ता अभी भी शिवकरण(उसका पति)के ओर देख रही थी,हलाखी वो पतिव्रता नही थी,पर इतनी भी बेशर्म नही थी की पति के सामने इतना खुल के कुछ भी कर ले।

मैं:अरे शिवकरण चाचा,तेरी जोरू तेरे से परमिशन मांग रही है।तू दे रहा है न।

शिवकरण:जैसा आप ठीक समझो बाबूजी,मुझे क्या दिक्कत होगी।

मै:देखा उसे भी कोई दिक्कत नही,अभी तू क्यो सोच रही है।
कान्ता नीचे झुक कर लण्ड मुह में ले लेती है।ओ मजे में नही बोल सकता पर बड़े स्वाद से लन्ड चुस रही थी।जो भी बोलो पति के सामने उसकी जोरू के साथ अय्याशी करने में,लण्ड चुसवाने में और चुत मारने में जो मजा है वो बहोत सुखदाई और बदन में रोमांच उठाने वाला होता है।इसका चस्का मुझे शारदा को चोदते वक्त हुआ जब उसको उसके पति और बेटे के सामने चोदा।

कान्ता के पल्लु को हटा के मै ब्लाउज पे ही चुचे मसलने लगा।
कान्ता दांत ओंठो को चबाते हुए सिस्कारिया दबा रही थी।
मैंने उसके ब्लाउज को और ब्रा को निकाल दिया।उसके निप्पल्स को नोच के मसलने लगा।वो अभी जोर से सिसकिया ले रही थी"आआह उम्मुच आआह आउच्च आ"

गाड़ी अभी एक गांव के और शहर से दूर एक नदी के किनारे रुकी।आसपास कोई भी नही था।रास्तेसे काफी अंदर थी करीब 1किमी।शिवकरण डिकी ओपन करने बोला और उसको अंदर बैठाय। मै कान्ता को लेके बाहर गया।
उसको पूरा नंगा करके डिकी के अंदरूनी जगह पर बैठाया और खड़ा रहके मेरा लन्ड उसके मुह में दिया।

मै:शिवकरण पानी लेके आओ।

शिवकरण पानी लेके आया।वो जैसे ही जा रहा था उसको रोका।

मैं:अरे तुझे जाने बोला।रुक।

मैंने उसको उसी अंदरूनी डिकी की जगह पर बैठने बोला कान्ता को घोड़ी बनाया।

मै:शिवकरण तेरा लण्ड निकाल,मुझे मालूम है वो भी उतावला वो गया है।

अभी कान्ता अपने पति का मुह में लण्ड लेके चूस रही थी।मै उसके पीछे से उसकी चुत में उंगली से चोदते हुए गांड चाट रहा था।

कान्ता अभी काफी गर्म हो चुकी थी उसने चुत से पानी छोड़ना चालू किया।मैंने भी मेरा लण्ड उसके चुत में लगाया और धक्का दिया।
कान्ता:आआह अम्मा आआह बाबू आहिस्ता आआह उम्म।

मै उसे जोर जोर के धक्के देके चोदने लगा।ओ सिस्कारते हुए शिवकरण(उसका पति)का लन्ड चूस रही थी।शिवकरण उसके चुचे मसल रहा था।काफी देर तक धक्कों की बारिश होती रही।

मै:शिवकरण मेरा अभी छूटेगा तेरे बीवी के अंदर ही छोड़ रहा हु।

शिवकरण:आआह जी साब कोई नही आप छोड़ दो,आपके वजह से नया अनुभव मिला अइसी चुदाई का।आआह अरे कान्ता और जोर से चुस।

शिवकरण ने अपने लण्ड को कान्ता के मुह से झड के खाली किया।मै भी उसके चुत में पूरा पानी छोड़ के झड गया।

शिवकरण उठ के नदी पर चला गया और खुदको साफ करने।

कान्ता:ये क्या चल रहा है?मुझे यकीन नही हो रहा।

मै:तेरे पति की करतुते है।कम्पनी का 1 लाख का कर्जा रुका के रखा है।अभी नोकरी और घर दोनो जाएगा।बड़े मामा थोड़ी उसको बख्शेंगे।

कान्ता:पर अभी कोई परेशानी नही न।उनके साथ मै भी बेघर हो जाऊंगी।प्लीज हमे नौकरी से न निकलवाना।

मै:नही मेरी जान तू तो मेरी पसंदीदा रंडी है।लण्ड को तेरे चुत की सख्त जरूरत है।

कान्ता ने मेरे ओंठो को चुम लिया:शुक्रिया बाबूजी।

शिवकरण आने के बाद हम घर को निकले।रास्ते में मै और कान्ता ओंठो का रस चूस रहे थे।

हम आधा रास्ता पार ही किया था की किसी बड़े गाड़ी ने हमारी गाड़ी को ठोका।गाड़ी में सेफ्टी अच्छी थी तो हम मेंसे शिवकरण को थोड़ी अंदरुनी चोट आयी हाथ पे बाकी मैई और कान्ता सेफ थे।आज नाना की अक्ल पर मुझे नाज हो रहा था जो उनकी इस सेफ्टी सेटिंग से मरते हुए बचे।गाड़ी पलटी थी।मैंने कान्ता को बाहर किया फिर खुद बाहर आके शिवकरण को निकालने की कोशिश की।

वो गाड़ी रुकी नही।आम तौर पर कोई तो रुक कर देख तो लेता है।शिवकरण काफी अटका था।तभी फिरसे वही गाड़ी तेज रफ्तार से अति हुई दिखी।मुझे उसके लक्षण ठीक नही लगे।मै अपनी ताकद लगा के शिवकरण को निकालने की कोशिश करने लगा।गाड़ी एक ट्रॉली थी।सामने पलटी गाड़ी देख कर भी उसका स्पीड कम नही हुआ,दिल में खतरे की घंटी बजी।जैसे ही उसने फिरसे टक्कर दी।भगवान की दया से उस टक्कर और मेरे जोर से शिवकरण बाहर आया और हम रास्ते के बाजू में पड़ गए।अभी शिवकरण को रास्ते के साइड वाला पत्थर लग गया।अभी उसके सर के पीछे से खून निकल रहा था।इसबार वो गाड़ी रुकी नही।

उसके कुछ मिनट बाद और एक टेम्पो आया।उसे रुका कर हम सीधा शहर के हॉस्पिटल में शिवकरण को भर्ती कराया।

मै इस सोच में था की वहाँ जाने का प्लान तो गाड़ी में बना।मेरे देखने तक तो शिवकरण ने किसीसे कॉल पे बात नही की।फिर ये हमला किसने और किसके जरिये कराया।बड़ी पहेली थी ये मेरे लिए।
 
(Episode 7)

घर पर बड़े मामी को इसकी खबर दी।ओ तो पूरा घबरा गयी।पर मैंने उनको अच्छी तरह से वाकिया समजाया और शिवकरण हॉस्पिटल में है और चिंता की कोई बात नही ये भी बता दिया।कल तक शिवकरण को डिस्चार्ज मिलने वाला था।मैंने कान्ता को वही रुकने बोला और घर चला आया।

समय रात 10 बजे

मै देर रात घर आया।बड़ी मामि को बोला था की किसीको बताना नही इसलिए उसने किसीको बोला नही था।मामी जैसे ही मै बाथरूम से बाहर आया।मेरे हाथ में पट्टी देख रोतली सूरत लेके मेरे सारे शरीर को घूरने लगी।

मै:बड़ी मामी कुछ नही हुआ है।हल्की सी खरोच है।

बड़ी मामी के मुह से कुछ शब्द ही नही आ रहे थे।वो बस मुझे चूमे जा रही थी।उन्होंने मुझे गले लगाया।उन्हें जब पूरी तसल्ली हुई की मै ठीक हु तब वो चली गयी।

ओ जाते ही संजू आ गयी।मै बाल्कनी में था।मेरे पीछे से आके मुझसे चिपक गयी।

संजू:तुम बहोत बुरे हो।

मै:क्यो क्या किया मैंने अभी।

संजू:इतना कुछ हुआ मुझे नही बताया।अगर अचानक से कुछ हो जाता तो,मुझे बहोत दुख होता न।

मै:अरे इतनी बड़ी बात नही हुई है खरोच है।पर तुम्हे किसने बताया।

संजू:मा को कॉल किया तब मै वही थी।छुपके सब सुन ली।पर तुम खयाल रखना याररर,रोज रोज नही नसीब साथ देगा।अभी मुझे बहोत डर लग रहा है।

मै पलटा उसका मुह हाथ में लिया और उसके ओंठ पर चुम दिया।उसने मुझे कस के चिपक कर गले लगा लिया।उसके बड़े चुचे मेरे छाती को घिस के गर्म अहसास दे रहे थे।मैंने उसे अलग किया।उसको घुमाया और चुचो हाथ में लेके मसलने लगा।

मै:मै अइसे छोड़ के नही जाऊंगा।तुझे छोड़ के मेरा भी मन कहि लग सकता है।

संजू:वो ठीक है पर आजकल तेरे संजू के लिए समय नही तेरे पास।(उसने पैर तक का व्हाइट शर्ट पहना था नाइटी के जैसा।उसने गर्मागर्मी में ऊपर के बटन खोल के चुचे आझाद कर लिए।)ये दो गुब्बारे बहोत परेशान करते है आजकल।

मैं:दिखाओ मै देखता हु।(उसके चुचो को मसला।)अभी दर्द कम हुआ।

संजू:नही अभी नही।अभी और बढ़ गया।

मैंने उसके चुचे मुह में लेके चुसना चालू किया।

संजू:आआह वीरू और जोर से आआह उफ्फ निचोड आआह दे आआह आआह"

मै:हा आज तो तुझे पूरा खुश करूँगा।(मैंने उसके शर्ट को निकाला।वो अंदर पूरी नंगी थी।पूरी तैयारी से आयी थी।)

मैंने उसके चुत में उंगली डाली और अंदर बाहर करके मुह में उंगली चूस ली:वाह क्या स्वाद है वाह एकदम नमकीन अभी थोड़ा मीठा हो जाए।

वो शर्मा गयी ।मैंने उसके ओंठो को मुह में चूसते हुए रस का लुफ्त उठा रहा था।मेरी उंगलियां उसकी चुत को मसल रही थी।हम हमारी काम लीला में मगन थे की ग्लास गिरा।दोनो की कामलीला भंग हो गयी।

सामने बड़ी मामी खड़ी थी।संजू ने झट से कपड़े लपेटे।मामी मेरे लिए दूध लेके आयी थी और संजू ने दरवाजा भी नही बन्द किया था।

मैं:मामी वो...!

बड़ी मामी ने एक झांपड गाल पे जड़ दिया।

बड़ी मामी:तुझसे ये उम्मीद नही थी।अब इसके भविष्य का क्या,शादी कौन करेगा?

मैं:मामी आप चिंता मत करो,मै सब देख लूंगा।

बड़ी मामी:क्या संभालेगा 22 साल का है वो 25 की।तुम उसकी शादी किससे करवाओगे।अगर किसीको मालूम पड़ गया तो उसकी जिंदगी खराब न।

मै भी अभी चिंता में पड़ गया।कुछ सोच कर मै चाची के कंधों को पकड़ के उनको समजाते हुए बोला।

मै:तुम चिंता मत करो मामी,गलती मेरी है मै सुधारूँगा,उससे मैं शादी कर लूंगा।ये मेरा वादा।

बड़ी मामी और संजू मेरे तरफ बड़े ही चौड़ी नजर और अविश्वसनीय वाकिये की तरह देखने लगे।

बड़ी मामी':तुम क्या बोल रहे हो इसका तुम्हे अंदाजा है।

मैं:मै तैयार हु ,अगर आप संजू और मामा तैयार होंगे तो कोई एतराज ही नही।

बड़ी मामी:और पिताजी और दीदी को??

मैं:वो जिम्मेदारी मेरी।आप सिर्फ मामा को संभालो।

बड़ी मामी:वो मै देख लुंगी।क्यो संजू ये दूल्हा चलेगा न।

संजू:चलेगा नही दौड़ेगा।

संजू सिर्फ उम्र और शरीर से बढ़ी थी बाकी कुछ समझ नही थी।

बड़ी मामी:पर मुझे मेरे दामाद का टेस्ट लेना है भाई,मै मेरे लाडली का भविष्य अइसे ही बर्बाद नही होने दूंगी।

मै और संजू:कैसा टेस्ट?

बड़ी मामी:अरे मेरा दामाद मेंटली फिट है फिजिकल फ़ीट है या नही मालूम तो होना चाहिए न।

बड़ी मामी क्या चाहती है वो मै समझ रहा था वही करने की सोच रही थी तो मै भी उस खेल का लुफ्त उठाना चाहता था।

संजू:क्या करने वाली हो?कैसा टेस्ट?

बड़ी मामी:तुम अभी बच्ची हो,मै सब बता दूंगी बस शादी तक इस टेस्ट का किसीको मालूम नही होना चाहिए।नही तो शादी तोड़ देंगे।

संजू:नही नही ,किसीको मालूम नही होगा।आय लव्ह वीरू,मै उसको नही खोना चाहती।

बड़ी मामी ने बाहर का दरवाजा लगाया।और संजू के पास आके उसके लिपटे कपड़े को उतारा।और चुत को दो उंगलियो से हटा के नीचे झुक निहारा।

बड़ी मामी:तो इसकी ओपन सेरेमनी हो गयी है(मुझे आंख मार दी।)चल तेरे कपड़े निकाल।

मै सारे कपड़े निकाल के नंगा हो जाता हु।इस बात को संजू टेस्ट समझ रही थी।उसे सही खेल का मालूम नही हो रहा था क्योकि एक तरफ मेरे लिए प्यार और दूसरी तरफ मा का डर उसे हवस के खेल का पता नही लगने दे रहा था।

बड़ी मामी मेरा लन्ड हाथ में लेके सहलाने लगती है।

ब मामी:आ संजू बैठ इसका हथियार ले मुह में।

संजू नीचे बैठ के लण्ड चुसने लगती है।

ब मामी:संजू क्या कर रही है,वो लण्ड है लॉलीपॉप नही आइसक्रीम वाला।

हा सच में संजू आज बहोत ज्यादा गलत चूस नही थी ,लगता है मामी मतलब उसकी मा सामने थी तो नर्वस थी।

बड़ी मामी नीचे बैठ गयी और खुद लन्ड को मुह में लेके मेरे चमड़ी को नीचे दबा के लण्ड को मसल मसल के चूस रही थी।

ब मामी:इसे कहते है चुसना।

संजू सहम के:जी मा

अभी दोनो मा बेटी बारी बारी लण्ड मसल मसल के चूस रही थी।मेरा लन्ड अभी रस छोड़ने को बेकरार हुआ।अकड़े लण्ड सेल मामी ने उसका अनुमान लगा लिया।उसने जोर जोर से हिलाना चालू किया और संजू में मुह में आधा और खुद आधा रस मुह में लेके गटक ली।

अभी तीनो बेड पे आ गए।संजू को बेड पे लिटाया।और मुझे चुत चुसने बोली।मै संजू की दोनो चुत की पंखुड़ियों को खुला कर के अंदर जीभ घुसा ली और चाटने लगा।उसके चुत के पंखुड़ियों को चुसने लगा।

संजू:आआह आआह उम्म मा आआह उम्म आउच्च आआह

बड़ी मामी ने उसके ओंठो को अपने ओंठ चिपका के बन्द किया।उसके चुचे मसलने लगी।उसके ओंठ चुसने लगी।

अभी चाची खुद पूरी नंगी होकर बेड पे आयी।मुझे ओंठोपे चूमा और नीचे हाथ डाल के लन्ड को मसल के एकदम लोहा बना दिया।और चुत पे लगाया।मैंने धक्का दिया।

संजू:आआह आउच्च मममम सीईई आआह आआह

मामी ने संजू के चुचो को कस के दबाया और मसला।मुझे आझादी से धक्के पेलने को बोला।मै पूरे जोरो से चुत में लण्ड पेलना चालू किया।

मामी ने अपने चुचे उसके मुह में दबा दिए।संजू उनके चुचे चबा के चूस रही थी।मैंने मामी के चुत में उंगलियो से चोदना चालू किया।

ब मामी:आआह उम्म आआह आआह उम्मम"

मैने चुत में धक्के लगाने का स्पीड बढ़ाया।संजू झड गयी थी।मैंने लन्ड बाहर निकाला।संजू को थोड़ा ऊपर कर के मामी घोड़ी बनके मेरे संजू के चुत रस से गीले लण्ड को चुसने लगी।और वैसे ही घूम कर संजू की चुत चाटने लगी।

मैंने उनकी गांड के छेद में जीभ डाल दी।

ब मामी:हाये दैया उम्म उफ अहा आआह

मैं गांड के ऊपर से चुत तक जीभ घुमा रहा था।थोड़ी चुत गीली हुई तो मैने पीछे से उनके लण्ड ठूस दिया।

ब मामी:आआह आउच्च उम्मम आआह

मै पूरा लण्ड अंदर डाला।वो संजू की चुत को चाट रही थी।उसी उत्तेजन में संजू अपने चुचे मसल रही थी।मै जोर के धक्के पेल रहा था ।

आआह चोदो जमाई राजा आआह और जोर से आआह चोद रे आआह पूरा अंदर ठूस आआह उफ हाये आआह उम्म उफ आहम्म"

मामी पूरे जोश में उसका मजा ले रही थी।काफी देर बाद हम दोनो झड गए।

हम तीनो का पसीने और कामरस से शरीर दुर्गंध मार रहा था ।तीनो एकसाथ जाके शावर लिया।

मामी बेसिंग मेज पे बैठी।संजू थोड़ा झुक कर मामी की चुत में जीभ घुमाने लगी।मै संजू को पीछे से चुत में लन्ड डालके चोद रहा था।
"आआह उम्म आआह आआह वीरू कामोंन आआह फक आआह फ़ास्ट आआह उम्म उफ आऔच आआह,आई एम वेरी हैपी टुडे आआह आआह चोद आआह"

करीब आधे घंटे के शॉवर चुदाई के बाद हम साफ होकर बाहर आये।और बेड पे गिर गए।

मैं:क्यो सासु मा टेस्ट में पास या फेल।

बड़ी मामी:पास जमाई राजा पास, 100 में से 100।(संजू से)तू बहोत नसीब लेके आई लगता है।पैसेवाला बाप पैसेवाला पति मिल गया।और प्यार भी करनेवाला।

संजू मुझे लिपट गयी।दूसरी तरफ से बड़ी मामी भी।उसके बाद हमारा रातभर चुदाई का खेल चलता रहा।आज दिनभर की थकान और हादसे से थोड़ा मन बहक गया था।पर सुबह उसकी फिरसे याद आने वाली थी।क्योकि वो सच था इन चार दीवारों के बाहर का।
 
(Episode 8 )
◆पार्ट 1-सतरंज का आखरी दाव◆

कल का हादसा मेरे लिए बहोत बड़ी सिख थी की अभी सम्भलके रहना पड़ेगा।पर ये बात भी दिल को खाये जा रही थी की,हम कहा जा रहे है ये चौराहे तक शिवकरण को मालूम नही था।चौराहे पर जब शिवकरण को बताया उसके बाद कान्ता आयी।तो कान्ता को भी नही मालूम।वहां तक जानेतक शिवकरण ने मोबाइल भी नही हाथ में लिया था।तो हमलावर को मालूम कैसे पड़ा।क्या वो आदमी हम लोगो का पीछा कर रहा था।और उस जगह से रास्ते पर आने तक वही था।मैंने आफिस से हमले तक की सारी घटनायें फिरसे एकबार मन में घुमवाई।इसमे एक ही समय था जब शिवकरण साफ होने गया था नदी पे और उसे समय लगा था आने तक।यातो उसने जानभुजके किया या तो ओ भी एक प्यादा था।

आज कहे अनुसार मुझे मीना के घर जाना था।गाड़ी गैराज में थी।तो मै बाइक लेके गया।कल के हादसे के बक़द पूरी सावधानी से मै गाड़ी चला रहा था।मैंने आफिस से मीना का पता लिया था।और आश्चर्य की बात ये की जहा कल हमला हुआ उसकी बस्ती उसी नदी के किनारे थी।कुछ पल के लिए मुझे मीना पर भी शक हुआ,पर वो तो आफिस में थी और मैं बाहर गया हु ये भी उसे मालूम नही था।

मैं मीना के घर पहुंचा।कहे अनुसार मीना की आज छुट्टी थी।मीना के पति की हालत पेरेलाइज की तरह थी।उसे कुछ न बोलना आता था न सही से सुनना।दोपहर उसकी बहन उसको खाना खिला देती थी।जो थोड़ा दूरी पर रहती थी।इसलिए मीना छुट्टी बहोत ज्यादा लेती थी।अभी उसका पति सोया था।और उसको करना भी कुछ नही उसको सोने के सिवा।

मैं मीना को पूछा:और कोई नही रहता आप लोगो के सिवा।

मीना: नही,वो क्या है की हमारी भागके शादी हुई थी तो हम अलग रहते है।3 महीने पहले इनको के झटका आया।ये भी आपके ही कम्पनी में काम करते है।

मै:अच्छा यहां और भी लोग है क्या जो हमारे कम्पनी में काम करते हो।

मीना:हा साब सारा गांव ही बोलो।आपके नाना जी के कृपा से सारे गांव वालो को आपके यहां रोजगार मिलता है।

(मै मन में-अच्छा तो यहां से हमारी जानकारी हमलावर तक गयी है।)

मीना:रुको साब मै पानी लाती हु।

मीना का घर झोपड़े जैसा था।बाहर पलँग और एक अलमारी लकड़ी की बाकी कपड़ो से बांधे गद्दे।अंदर किचन चूल्हे वाला।वहां से बाहर कपड़े से तैयार की गयी बाथरूम।

मै उसके पीछे किचन में गया।

मीना:साब मै बाहर लेके आ जाती पानी यहां बहोत गंदगी है।

उसको 1लाख थमा दिए(छोटे मामा के एकाउंट में ऐड कर दिए उस पैसे को)

मीना:साब ये????

मै:तुम्हारे पति और बच्चो के लिए।कल एम्बुलेंस आ जाएगी तब इसको हॉस्पिटल में लेके जाना।ये वह के खर्चे के लिए है।और बच्चो की पढ़ाई के वास्ते।

मीना के आंखों में पानी सा आ गया।ओ मेरे पैर पड़ने लगी।

मै: अरे तुम्हारा साब हु पर उम्र से बहोत छोटा हु,मुझे अच्छा नही लगता कोई मेरे पैर छुए।

मीना:आप उम्र से छोटे हो पर आपका दिल बहोत बड़ा है।

मै:हा ना।फिर आओ मेरे दिल से लग जाओ(मैंने हाथ फैला दिए।)

मीना मुझसे चिपक गयी।मैं ने उसे कस के बाहों में लिया।

मीना:सच में बहोत मेहरबानी साब,इस गरीब को इतना प्यार देने के लिए,आप जो मांगोगे उसके लिए ये मीना हमेशा तैयार रहेगी।

मै:वही तो लेने आया हु।

मीना:क्या?बोलो तो आप आपके लिए जान भी हाजिर है।

मै:जान बाद में देदेना पहले गांड देदे।

मीना चौक गयी,उसे कुछ समझ नही आया।

मैं:कुछ नही समझी न।

मीना ने ना में सिर हिलाया।

मैंने उसके गांड को दबाया:ये चाहिए मुझे।

मीना संकोच में थी,मैंने उसके साड़ी को खींचा।वो ब्लाउज और पेटीकोट में आ गयी।मैंने उसको अपनी तरफ खींचा।उसके ओंठो को चूमा।उसके चुचे मसलने लगा।नीचे से पेटिकोट उठाया।अंदर पेंटी नही थी।मैंने उसके चुत में उंगली घुसाई और रगड़ दी।

मीना:आआह उफ(वो मुझसे कस के गले से दबाई।)

मै:तेल है तेरे पास।

मीना:हा?पर क्यो?

मै:तू ला तो सही।

मीना तेल लेके आती है।मै तब तक नंगा हो जाता हु।ओ आते ही उसको भी पूरा नंगा होने को बोल दिया।उसने चटाई डाली और सो गयी।मै उसके चुत के उधर बैठा।उसके पैर ऊपर किये और फैला दिए।मेरे लन्ड पर तेल डाला उसे मसल के एकदम लोहा जैसा खड़ा किया।

मैने उसके गांड पे तेल डाला।उसकी गांड की छेद को तेल से पूरा चिपचिपा किया।

मीना:साब सच में आप मेरी गांड मार रहे हो।

मै:मैं कभी अइसे मजाक करता हु!!?

मीना:नही करते पर कभी मैंने गांड नही मारी है।

मैं:और मुझे फ्रेश गांड मारना ही पसन्द है।और अभी सवाल बन्द और गांड मारना शुरू।

मैंने गांड के छेद के ऊपर लन्ड को लगाया।थोड़ा दबाव डाला।

मीना:आआह बाबूजी ईई।

मैंने फिरसे थोड़ा तेल डाला और लन्ड को जोर दिया तो आधा लण्ड अंदर चला गया।मीना तिलमिला गयी।

"आआह आआह उम्मम साब निकालो आआह निकालो दर्द हो रहा है आआह आआह उफ्फ आआह दर्द हो रहा है आआह"

मैं थोड़ी देर रुका।और आहिस्ते आगे पीछे होने लगा।वो थोड़ी शांत हुई।मैने अब धक्के पेलना चालू किया।

"आआह आआह फट गयी रे आआह गांड फट गयी आआह उफ आउच्च अम्मा आआह मर गयी आआह"

मैं अभी पूरा लन्ड अंदर घुसा चुका था।पूरे जोरो से चुदाई चल रही थी ।तभी बाहर से कोई"भाभी भाभी चिल्लाते आया"।

मैंने लण्ड बाहर निकाला।मीना उठ के खड़ी हो गयी।वो पैर फैलाये हुए चल रही थी।वो कपड़े पहने उससे पहले वो लड़की अंदर आयी।उन्होंने हम दोनो को अंदर नंगा देख लिया।वो बाहर भागती उससे पहले मैंने उसको पकड़ लिया।

मैं:किधर भाग रही है।

वो:वो वो आप लोग।

मीना':सोनू तू भैया के पास बैठ जा।(मुझसे)बाबू इनकी बहन है दोपहर का खाना खिलाने आयी है।

मैंने उसको रिहा किया।और मीना को पकड़ के अंदर चला गया।सोनू अपने भैया के पास चली गयी।

मीना :माफ करना साब वो बच्ची है।

मैं:ठीक है कोई बात नही बस कहि मुह न खोलदे।

मीना मेरे गले में हाथ डालके:कुछ नही होगा,मै हु न।(उसने मेरे ओंठो को चूमा।मेरे लन्ड को हाथ में लेके मसलने लगी)बस अभी गांड में जलन हो रही है उसको शांत कर दो।

मै हस दिया वो नीचे झुक घोड़ी बन गयी।मैंने तेल लिया।

मीना:नही अयसेही डालो।मुझे बहोत मजा आया अभी अइसे ही डालो।

मैने वैसे ही लण्ड को सेट किया उर धक्का दिया।

मीना चीख उठी:हाये अम्मा आआह आआह

मैं रुका उसकी चीख कम हुई, मैं धक्का देना चालू किया।आगे से चुचो को कस के दबाया।दे दना दन धक्के देना चालू किया।वो मजे ले रही थी,लग रहा था गांड ढीली हो चुकी थी।।मैं थक कर दीवार को सट कर बैठा।

मैं:क्या कमाल की गांड है तेरी।बड़ा मजा आया पर अभी गिरा नही।

मीना:मैं हुना

वो मेरे तरफ मुह करके मेरे लन्ड पे बैठ गयी।मेरे ओंठो को चूसते हुए ऊपर नीचे उछलने लगी।मै उसके चुचे मसल रहा था।आखिरकार हम दोनो एक साथ झड गए।चुत में लन्ड रखके ही थोड़ी देर एक दूसरे से लिपटे रहे।

मै वहां से बाहर निकला।कम्पाउंड से बाहर जाने तक मीना दरवाजे पर खड़ी थी।वो जैसे ही अंदर गयी।

मैं गाड़ी लेके बाहर रास्ते पर निकला ही था ।थोड़ा आगे आया और जहा एक छोटा पूल था वह पे आते ही कल वाले ट्रॉली ने फिरसे ठोक दिया।मै गाड़ी के साथ नीचे गिर गया।गिरते वक्त मैंने खुद को गाड़ी से दूर कर दिया जिससे गाड़ी नदी किनारे के पत्थर पे पटकी और उसका विस्फोट हुआ।

ट्रॉली वाला आदमी पूल से किसी से कॉल पे बात कर रहा था।वो जरूर इस प्लान के मास्टर माइंड से बात कर रहा था।

घर पर-

मेरे देहांत की बात घर पर पता चली ।संजू भाभी बड़ी मामी मा का रो के बुरा हाल।चाचा चाची और अम्मा भी आ गयी थी।इस बात से नाना की तबियत बिगड़ गयी।

घर का पूरा वातावरण दुःखमय हुआ था।दो तीन दिन निकल गए थे,पर नाना की तबियत और बिगड़ गयी।वो बेड पे ही चिपक गए।संजू ने खाना छोड़ दिया था।बड़े मामा बड़े सख्त दिल के थे पर इसबार वो पिघल गए थे।और छोटे मामा मामी का तो कहो ही मत,उनको तो आनंद ही आनंद

कुछ दिन बाद कान्ता को मीना ने कॉल किया,कहा कुछ जरूरी बात बतानी है,आ जाओ मेरे घर पे।मीना कान्ता की बचपन की सहेली की बेटी तो कान्ता पर वो भरोसा रख सकती थी।घर में सब व्यस्त थे अपने में।कुछ खुश थे पर कुछ बहोत ही दुखी।कान्ता चुपचाप निकल गयी मीना के पास।

इधर मीना के बस्ती में-

मुझे जब ट्रॉली ने टक्कर मारी तब सोनू ने देख लिया था।उसने मीना को जाके बताया।मीना झट से नदी किनारे आयी।मै कैसे वैसे नदी किनारे तैरते हुए पहुँच गया था।पर काफी थक गया था।मीना ने और सोनू मुझे मीना के घर लेके गए।1 दिन के दवादारू के बाद मुझे होश आया था।तीन दिन सोनू की मदत से उस टक्कर मारने वाले को हमने ढूंढ लिया।अभी तीन दिन गए थे अभी बारी थी हमलावर के नकाब को हटाने की।

कान्ता मीना के घर आयी ।

कान्ता:क्या हुआ मीना अइसे अचानक से बुला लिया।

मीना कुछ बोली नही सीधा अंदर लेके आयी।वहाँ पर मै बैठा था।मुझे कान्ता थोड़े पल तक देखती रही।उसे अपने आंखों पर भरोसा नही हो रहा था।अचानक से दौड़ी और मेरे से लिपट रोने लगी।

मैं:अरे हा हा जिंदा हु।बस थोड़ा खरोच आया है।

कान्ता मुझे प्यार से झांपड मारती हुई:ये कोई तरीका है मजाक करने का।दीदी बड़ी मालकिन संजू और सिद्धि का बुरा हाल है।वो कलमुँही तो मजे कर रही है।गांव से सारे लोग आये है।

मैं:और नाना जी!!?

वो मुझसे लिपट गयी:आखरी सांसे ले रहे है।तुम्हारी मा और बड़ी मामी ने उनकी सेहत के लिए मंदिर में पूजा रखी है आज सब वही है।

मैं:फिर घर में?

कान्ता:नाना जी और..........!!!!

मैं वहाँ से भागता हुआ रास्तेपर आया।मुझमे उतनी शक्ति नही थी।कान्ता और मीना भी धीरे धीरे भागते आ रहे थे।सोनू उनसे पहले पोहोंच गयी।उसे मैंने कान्ता की मदत से पुलिस को बुलाने बोला।क्योकि अभी ये अंतिम पड़ाव था।और मेरी हालत बहोत ही खराब थी।मैं रास्ते मे शहर जाने वाले गाड़ी को रोका और शहर निकल गया।
 
(Episode 8)
◆पार्ट 2-पिताजी का हत्यारा◆

कैसे वैसे मै बंगले पर पहोच गया।सब तरफ सन्नाटा लग रहा था।मुझे नाना जी की चिंता सता रही थी।मैं बंगले में सीधा नाना जी के कमरे में घुस गया।नाना जी बेड के नीचे गिरे हुए थे।कमरे को देख लग रहा था की कुछ तो हुआ था यहाँ।मुझे देख नाना के जान में जान आ गयी।

नाना:वीरु वीरू तू आ गया आ आ गया।

मै:नानाजी आप शांत हो जाओ ,आपको दमा है,मै हु आप बस शांत हो जाओ।

मैंने नाना को बेड पे सुलाया।और डॉक्टर को फोन कर बुलाया।

मै:नाना क्या हुआ था यह पे,किसने किया।

नाना:मुझे नही मालूम ,में सोया था और अचानक मेरे मुह पे किसीने तकिया दबाया।मैं कैसे वैसे बच गया पर बेड से नीचे गिरा और बेहोश हो गया।

मै मन में-अच्छा इसलिए हमलावर को लगा की नाना मर गए है और वो यहां से निकल गया।

कान्ता पोलिस को लेके आई थी।

पोलिस:क्या हुआ?

मै:किसीने हमला किया नाना जी पे,इससे पहले 2 बार मेरे पे हुआ है।

पोलिस:किसी पर शक है आपको।

मै:सर व्यापार जायदादों वाला परिवार है,यहां शक हर एक पर है मुझे।

पोलिस:ठीक है,हम थोड़ा देख लेते है तहकीकात कर ते है।कुछ होगा तो आपसे मदद ले लेंगे।

मै:जी आपको कोई भी मदद लगे बुला लेना।

पोलिस सबूत ढूंढने लगी जिससे कुछ हाथ लग जाए।मैं बाहर हॉल के सोफे पे बैठा था।कुछ देर में सारे घरवाले भी आ गये।

मुझे देख बड़ी मामी और संजू के होश के ठिकाने नही रहे।मा तो दरवाजे पे हो बैठ गयी।संजू आके मेरे गलेसे लिपट गयी।

मै:अरे हा हा शांत हो जाओ,कुछ नही हुआ मुझे।

संजू मुझे मारने लगी।

मै: अरे मार क्यो रही हो,अरे क्या हुआ।

संजू:ये कोई तरीका है मजाक करने का,जान निकल गयी थी हम लोगो की।अभी मै सच में मार डालूंगी।

दरवाजे बैठी मा एकदम से मेरे पास आई मुझे पूरी तरह निहारा और रोते हुए गले लगाई।

मा:लल्ला तू आ गया,तेरे मा को इतनी बड़ी सजा देगा उसकी गलती के लिए।फिरसे अइसा नही करना।तेरे पापा का भी अयसेही हादसा हुआ था,अभी तुम भी अयसेही मुझे छोड़के मत जाना।

मैं:नही मा,अभी हु न मै,मत रो।

बड़ी मामी के आंखों से बून्द भी नही आ रहा था।एकदम से सन्न हो गयी थी।मै उनको जैसे ही गले लगाया।

बड़ी मामी:वीरु तुम कहा चले गए थे,मुझे लगा अभी हमारी मुलाकात नही होगी।आआ आआ"

मै मामी को कस के गले लगाया था।

पोलिस:यहाँ पर बहोत लोगो के फिंगर प्रिंट्स है ,पता लगाना थोड़ा मुश्किल है।पर ये स्कार्फ़ मिला है।

सब लोग उस स्कार्फ़ को देखने लगे।

बड़ी मामी:जहा तक मै जानती हु पिताजी स्कार्फ़ नही पहनते है।

कान्ता:जरूर ये उसी हमलावर का होगा।क्योकि हमारे घर में कोई स्कार्फ़ नही पहनता।

पोलिस चली गयी।बड़ी मामी और मा नानाजी को डॉक्टर के पास लेके गए।साथ में रवि और सिद्धि भी चली गयी।

मेरी नजर छोटी मामी और मामा को ढूंढ रही थी।मैं बाहर आया तो छोटी मामी किसीको फोन लगा रही थी।मै चुपचाप उनके पास गया।थोड़ी दूरी से उनको सुनने लगा।पर बात कुछ अलग ही थी।मामी जिसको कॉल लगा रही थी ओ उठा नही रहा था।मै उनके पास गया।

मै:क्यो मामी जी,किसको इतनी बेकरारी में संपर्क किया जा रहा है।

छोटी मामी:अरे वीरू तुम!!!!हमे लगा।

मै:आपको लगा की मै तो मर गया और अभी नाना को भी खत्म कर देते है।

छोटी मामी:वीरु बकवास मत कर,ये बात सही है की मुझे तुम पसंद नही और जायदाद भी चाहिए पर मै इतनी गिरी नही की तुमको मारू।उससे मुझे क्या मिलेगा।

मै मन में-अरे ये बात भी सही है,(मामी से)फिर ये फोन।

छो मामी:तुम्हारे मामा को लगा रही हु।उठा ही नही रहे है।

छोटी मामी वह से निकल गयी मामा को फोन कराते कराते।मै घर में घुसने ही वाला था की।कान्ता ने मुझे रोक लिया

कान्ता:छो बाबु मेरे ये नही है कही पर भी।

मै थोड़ा जागरूक हुआ,ये भी है दोनो मामा चाचा चाची अम्मा और शिवकरण सब गायब है।

मैंने कान्ता को कहा: शिवकरण को कॉल करो और पूछो कहा पे है,पर फोन स्पीकर रखना मुझे भी बात सुननी है।

शिवकरण:हेलो बोल कान्ता

कान्ता:कहा हो??

शिवकरण:क्यो क्या हुआ?

कान्ता:क्यो आपको कुछ नही मालूम,बड़े साब पर हमला हुआ घर पर।

शिवकरण थोड़ा समय लेने के बाद :क्या !!!!?क्या बात कर रही है?

कान्ता:हा सही में,आप कहा हो?

तभी शिवकरण को कोई पुकारता है।शिवकरण जल्दी में कॉल को काट देता है।

कान्ता:अरे बाबूजी इन्होंने तो काट दिया।अभी काल भी नही लग रहा।

मै:जरूरत नही,जो हमे चाहिए था मिल गया।

मैंने रवि भैया के रूम से उनके गाड़ी की चाबी ली और निकल गया।कान्ता को घर में रुकने बोला।

मैंने मेरे ऊपर गाड़ी चलाने वाले की पूछताछ की तभी उसके मुताबिक उसको जिसने पैसे दिए उसका नाम नही जानता था ओ,और काफी उम्र वाला आदमी था।पर अभी पता लगाना था की वो स्कार्फ़ पहनता था क्या ,या उसका स्कार्फ़ से कुछ काम हो सकता है।

रास्ते में उस आदमी के घर रुक कर मै उससे पूछताछ की।तो उसके मुताबिक वो स्कार्फ़ नही पहनता था।मतलब ये मुझपे हमला करने वाला और नाना पे हमला करने वाले दो अलग इंसान है।

मुझे तभी मा के मुह से निकली बात याद आ गयी।मैंने उस सुपारी किलर से पूछ लिया की एक दो महीने पहले कोई अइसा ही कांड उसने किया है क्या।तो उसने नही बोला।इसका मतलब पिताजी से भी इसका कोई रिश्ता नही था।

मै गाड़ी लेके सीधा हॉस्पिटल गया।मा को कॉल लगाके बाहर बुलाया।

मा:क्या बात है लल्ला ,अइसे बाहर क्यो बुलाया।

मैं:मा पिताजी ने हादसे से पहले कभी भी किसी बात का जिक्र किया या आपके या पिताजी में कुछ अइसी और बात है जो मुझे अभी तक मालूम नही।

मा मेरे सवालों से सहम सी गयी।क्या बोले क्या न बोले सोचने लगी।

मै:देखो मा,आज कल मै आज नानाजी अगला नंबर आपका भी हो सकता है।

मा :वो तुम्हारे पिताजी और चाचा ने मिलके तेरे जरिए पिताजी से पैसे लेने चाहे।तुम 12 वी खत्म करने वाले थे और तुम्हारा 18 साल पूरा भी हो गया था।तो ओ मेरे हिस्से की जायदाद की बात करके पिताजी के यहां से लौट रहे थे तभी ये हादसा हुआ।

मै:पापा के मौत की खबर पहले किसको मिली।

मा:तुम्हारे चाचा को।ओ ही उनको हॉस्पिटल लेके गए और बाद में घर लेके आये(मा रोने लगि।)

मै (मा को संभालते हुए):अच्छा मा अभी रो मत,नाना जी का ध्यान रखो मै आता हु।

मै वहां से निकला और पापा के हादसे का जिन पोलिस स्टेशन पर चला गया।वह से मैंने हादसे के सबूत मांगे।उसमे भी वही स्कार्फ़ था थोड़ा जला हुआ।

मतलब पिताजी की मौत हादसा नही थी,वो खुन था।उस दिन पिताजी के साथ कोई और भी था।पिताजी वो और नानाजी के बीच में कुछ बाते हुई जिसके बाद पहले पिताजी को मार दिया गया फिर नानाजी को भी मारने की कोशिश की गयी।

मतलब ये शुरू ही हमारे आफिस से हुआ था।मैं वहां से आफिस चला गया।शाम हो गयी थी।आफिस भी बंद था।मैं सिक्युरिटी के पास गया।उसे पापा के मौत के सुबह वाली सीसीटीवी देखी।मेरे अनुमान अनुसार तीन लोग थे।पर तीसरा जो पिताजी के साथ गाड़ी में आ रहा था।उसका चेहरा दिख नही रहा था।और उसने स्कार्फ़ भी पहना था।वही था जो एविडेन्स में जला हुआ था।

मै इन सब पे विचार कर ही रहा था की।मुझे पोलिस स्टेशन से कॉल आया।

पोलिस:हेलो इंसपेक्टर *** बोल रहा हु।

मै:जी सर बोलिये,कुछ पता चला।

इंसपेक्टर:फिंगर प्रिंट घर के सामानों पर है वो भी घरवालों के तो उनके ऊपर शक करना और ढूंढना थोड़ा कठिन है पर...!!!

मै:पर!!!!पर क्या साब!!!

इंसपेक्टर:जो स्कार्फ़ मिला है उसके ऊपर"###" (कंपनी का नाम) लोगो है।क्या आपके यहां कोई पहचानता है इस लोगो को या किसी आदमी को जो ये पहनता हो।

मै:क्यो कोई खास है कारण है क्या!??

इस्पेक्टर:वैसे ही समझो,सिर्फ यही चीज है जिसपे आपके नानाजी के उंगलियो के निशान है।

मैं:नही अभी तो मालूम नही ,कुछ पता चल जाएगा तो बता दूंगा।

सीसी टीवी के हिसाब उनके हाथ में एक फ़ाइल थी।वो सीसी टीवी में जहा उन्होंने रखा था वह पे नही था।मैंने सीसीटीवी को आगे बढ़ाया तो नानाजी अपने ड्रोवेर में रख रहे थे।मेरे पैर सीधा नानाजी के कमरे की ओर बढ़ गए।फ़ाइल अभीतक वही थी मतलब बड़े मामा ने अभीतक नाना के प्रायवेट ड्रोवेर को हाथ नही लगाया था।मैन पूरी फाइल पढ़ ली उसमे 2 लोगो के नाम थे।मैंने फ़ाइल लिया और इंस्पेक्टर को कॉल किया।करीब आधे घंटे में पोलिस की गाड़ी मेरे आफिस आई।मैंने सारी कहानी उनको बता दी,और हम उन गद्दार हमलावरो को गिरफ्तार करने निकल गए।

हमारी अपेक्षा अनुसार वो वही थे जहा का मुझे अनुमान था बस 1 कम थे।एक पिताजी जो इस दुनिया में नही रहे।

पोलिस पहले अंदर घुसी

इंस्पेक्टर:मिस्टर शाम सिंह (बड़े चाचा)आपको विजय सिंह(पिता जी) के खून और शामलदास जी(नानाजी) के ऊपर हमला करने के आरोप में गिरफ्तार किया जाता है।

चाची:साब आप क्या कह रहे हो ,मेरे पति अइसा नही कर सकते।आपको कुछ गलतफहमी हो गयी है।

मुझे बहोत अजीब फील हो रहा था तब भी मैं अंदर गया।मुझे देख चाची मेरे पास आयी।

चाची:अच्छा हो गया वीरु तू आ गया।देख ये लोग क्या कह रहे है।इनको बतव.....!!

मै:चाची ये लोग सही कह रहे है।

चाची गुस्सा गयी:क्या बकवास कर रहे हो।

अम्मा:तुम्हे शर्म नही आती अपने चाचा को पुलिस के हवाले करते हुए।

मै:मुझे कोई मजा नही आ रहा इन्होंने करतुते ही अइसी की है और उसके सबूत भी पुलिस के पास है।

चाची:कैसे सबूत और कैसी करतूत,साफ साफ बता।

मैं:सुनो तो अभी।

"चाची आपको मालूम है या नही मालूम नही पर मै चाचा के पहले बीवी का बेटा हु।आपके पास से दहेज मिलेगा इसकी वजह से चाचा ने मुझे अपने भाई को गोद दिया,क्योकि मा को पुत्रप्राप्ति नही हो सकती थी।पिताजी को मालूम था की नाना उनकी जायदाद अपने पोते या पोती को देंगे उनको या मा को नही,और मा को संतान नही हुई तो इनको जायदाद नही मिलेगी।इसलिए उन्होंने भी मुझे गोद लिया।10 वी में जब मेरे 18 साल पूरे हुए(कुछ साल पढ़ाई छूटी थी इसलिए )तब पिताजी नाना से मिले उन्होंने मेरे जायदाद की मांग की वैसे दस्तावेज भी बना लिए ।उसमे मेरे वारिसदार ये दोनो थे,मेरे मरने के बाद जायदाद इन दोनो को मिलने वाली थी।लौटते वक्त चाचा ने पिताजी को दारू पिलाई,कर ब्रेक फेल किया।काम के बहाने बीच रास्ते में उतर गए।नशे की वजह से गाड़ी का हादसा हुआ और पिताजी की मौत हो गयी।पर चाचा जो स्कार्फ़ गले में अटकाते थे,जो उनके ही कम्पनी का था वो उतरते वक्त गले से दरवाजे में अटका।और पुलिस को तहकीकात में मिला।लोगो जल गया तो उसका पता उस समय नही लगा।जिस वक्त नाना जी घर आये और मा को लेके गए।तबसे रोज चाचा नाना को जाके उस दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने को कहते।इसलिए वो ज्यादातर बाहर रहते थे घर से।

जिसदिन जायदाद का बटवारा हुआ उस दिन चाचा को मालूम पड़ा की जो कागजाद उन्होंने दिए है उसके हिसाब से नाना ने बटवारा नही किया।उसमें तो मा का भी नाम नही था।चाचा को गुस्सा आया।पर उनके पास सही समय नही था।जिसदिन मेरे मौत कि बात सुनी।वो नाना को और एक मौका देन चाहते थे की कैसे वैसे जो भी जायदाद मेरे नाम हुई वो उनके नाम करदे।पर नाना नही माने तो उन्होंने उनको भी मारने की कोशिश की पर भगवान की दया से वो बच गए।पर एक स्कार्फ जीसमे इनके लगे उंगलियो के निशान,और नाना के नाखून में फसे स्कार्फ जो हतपाई पे नाना ने खींच लिया था ।

सबूत तो यही है।एक ही बनावट के दो स्कार्फ़ एक उंगलियो के निशान के साथ और एक जल गया हुआ,अभी पोलिस ने कॉल रिकॉर्ड भी निकाले।और भी वारदात पे मीले सबूत चाचा को कही न कहि अपराधी साबित करते है।अभी इनको वारण्ट पे लेके जा रहे है।पूछताछ में ये खुदको साबित नही कर पाए तो,सजा हो सकती है।"

चाची:अइसा मत कहो वीरू ,कैसे भी हो चाचा है तेरे,इनको बचा ले ,मैं माफी मांगती हु इनकी तरफ से।

मैं:चाची माफी मत मांगो,पोलिस के पास सबूत है,वॉरंट निकला है,आपके लिये मै बाहर से वकील दे सकता हु।इससे ज्यादा उम्मीद मत करो।

पुलिस चाचा को गिरफ्तार कर लेती है।चाची मुझसे लिपटी रो रही थी।इतना सबूत मैंने खुद आगे आके जमा किया,उनके पति को मेरे वजह से ये देखना पड़ रहा है ये बात दबा के रखी।कुछ भी हो वो मेरे पिता थे इसलिए वकील का बंदोबस्त किया,पर सबूत होने से उनको 14 साल की जेल हो गयी।

नाना अभी ठीक थे पर व्हीलचेयर पे ही रहते थे।चाची और अम्मा को हर महीने पैसे भेजने का प्रबंध किया।मेरे 12 वी का रिजल्ट आया।पास तो होना ही था।और कॉलेज में एडमिशन भी कराया।एक तरफ अपना कंपनी का काम भी संभाल रहा था।बड़े मामा मुझसे खुश थे पर छोटी मामी और मामा का तो बेड़ा गर्क था।

अभी मेरे मन में सवाल ये था की मेरे ऊपर हमला किसने किया?मैंने उस आदमी को पुलिस से मिलवाया।गरीब ट्रक वाला था तो उसको माफी का साक्षीदार बना के कम सजा दिलवाई।मुझे खोज मास्टर माइंड की थी।उस मास्टर माइंड का स्केच तो पोलिस ने बनवाया था पर किसीको पहचान में नही आया।ये तो मालूम पड़ा की छो मामा मामी मास्टरमाइंड नही है।मतलब वो भी किसीके प्यादे है।और कही चाचा भी प्यादा था।ये अभी बड़ी पहेली बन गयी थी।मुझे अभी ध्यान रखना था।कोई अइसा है जो बहोत सालो से हमारे परिवार में खेल खेल रहा है।
 
Season ५ (last season)
◆ माँ का मायका◆
(incest,group, suspens)
(Episode-1)

जिसके सर पर मौत का साया हो वो भला खुश कैसे रहेगा।
अगला एक महीना सिर्फ मै उसी साये को डरे रह रहा था।चारो दिशाओं से मुझे दुश्मन की आहट आ रही थी।कुछ बाते अभी भी पहेली बनी हुई थी।

पहली बात पिताजी इतने पढ़े लिखे नही थे फिर उन्हें इतना सब कुछ किसने बताया।दूसरी चाचा को जहाँतक मै जानता हु,इतना डेरिंग काम करने की उनमे हिम्मत नही है।कोई तो है जो उसे ट्रिगर कर रहा था,उनको प्यादे की तरह इस्तेमाल कर रहा है।

शिवकरण से मैने पूछताछ की तो उसने बोला की उसदिन वो छोटे मामा के साथ बार में था।मामा के कहने पर उसने फोन कट किया था।जहा तक मुझे मालूम था।छोटा मामा जब कोई टेंशन हो तभी शराब या शबाब का सहारा लेता है।पर एक झटके में जायदाद गवाना या उनके ऊपर हमले का इल्जाम आना इस डर से ओ शराब पी रहे हो।मुझे कहि न कहि लग रहा था की छोटे मामि और मामा दोनो वजीर है जो राजा को बचाने के लिए सतरंज पे आढा टेढ़ा घूम रहे है।कहि मेरा ध्यान भटकाने के लिए तो नही।

बहोत दिनों से मैं अकेले अकेले ही घूम रहा था।बहोत दिनों से कम्पनी पर भी पूरा ध्यान नही दिया था।नाना के स्वास्थ ठीक होने के बाद बड़े मामा भी टूर पे गए थे।मा चाची के पास गयी थी।बड़ी मामी नाना जी का सब दवादारू देख रही थी।रवि भैया हर बार की तरह अपने टूर पे निकल गए।छोटी मामी अपने मायके गयी थी।वजह मालूम नही पर छोटे मामा मुझसे दूरी बनाकर थे।

एक दिन करीब 10 बजे खाने के बाद मेरे व्हाट्सएप पर एक मेसेज आया।सिद्धि भाभी का था।उन्होंने एक पता भेजा था।और शाम का समय था।मेरा मन नही था पर भाभी का भी मन नही दुखा सकता था।

दूसरे दिन मैं उस पते पे पहुंच गया।वहां जाके दरवाजे की बेल बजाई।दरवाजा खुला तो सामने सिद्धि भाभी निधि भाभी और विकी भैया थे।घर को निहारा तो अइसे लग रहा था जैसे ये सिद्धि भाभी का मायका हो।ओ विकी का ही एक फ्लेट था जो पार्टी जैसे चीजो के लिए इस्तेमाल होता था।काफी बड़ा था।एक बड़ा हॉल वॉशरूम और एक किचन।जैसे कोई लॉज हो वैसा।

दोनो भाभियां अंदर किचन में गयी।

विकी:आओ वीरू दो पेग लगाता हु।

मै:नही मै नही पिता।

विकी:कम ऑन,चलो ठीक है कोल्ड्रिंक ही सही।

विकी ने एक लुंगी और टी शर्ट दी पहनने को क्योकि आफिस सूट खराब हो जाता।मेरे हाथ कोल्डड्रिंक और उसके हाथ में दारू का पेग,दोनो खिड़की के मेज पर बैठे गप्पे लड़ा रहे थे।

मैं:भैया आज कैसे ये प्लान बनाया अचानक से।

विकी:अरे सिद्धि बोली महीने भर से तुम कुछ सहमेसे परेशान से हो तो सोचा तुम्हारा भी मन बहल जाएगा तो रख दी पार्टी।

गप्पे लड़ाते वक्त दोनो भाभियां खाना लेके आई।मेज पे बैठ खाना खाने लगे।दोनो भाभियां भी पियक्कड़ थी।पर बियर ही।पर आज सबने कम ही पी थी।होश में जरूर थे।

सिद्धि भाभी:क्यो वीरू मेरी जान थोड़ा हस दे,तेरे वजह से ही पार्टी रखी है,तू उकड़ा उकड़ा अच्छा नही लगता।(सिद्धि भाभी ने चुम्मा दिया गाल पे।)

निधि भाभी:सही में यार वीरू तू हँसता हुआ मजाकिया वीरू ही सही लगता है।(निधि ने भी दूसरे गाल पे चुम्मा दिया।)

दोनो किसी भी बात पे तारीफ कर देते और चुम्मी लेते।मै विकी की रिएक्शन देख रहा था।वो नॉर्मल था।मुझेअजरज नही हुआ पर मुझे थोड़ा अजीब फील हुआ।खाना कैसे वैसे खत्म किया और हाथ धोने अंदर किचन की तरफ निकल गया।और हाथ धो दिए।

मेरे पीछे निधि भाभी आयी।हाथ में पेग था।जैसे ही मै पीछे घुमा ,मेरे अचानक घूमने से निधि भाभी का बैलेंस बिघड गया।वो गिरने ही वाली थी की उनको मैंने पकड़ लिया।

उनको सीधा कर के बाहर जाने लगा तो उन्होंने हाथ पकड़ लिया और खुद की ओर खींच लिया।

निधि:मेरी जान अइसे न छोड़ के जाओ,अभी और न तड़पाओ।

निधि मेरे गले लग गयी।वैसे ही गले लगे ही मेरी नजर बाहर गयी।इधर दोनो भाई बहने ओंठो का रसपान कर रही थी।उनको देख मैं और निधि एकदूसरे को देख हंसे।निधि के गाल शर्मा के लाल थे।ओंठ कांप रहे थे।उसने आंखे बन्द की।ये था निमंत्रण ओंठो का रस पिने का।

मैंने मेरे ओंठो को उनके पास लेके गया।दोनो की सांसे शरीर में रोमांच भर रही थी।मेरे ओंठ अभी निधि के ओंठो पर थे।उनको चूस रहे थे।जीभ घुमाकर चांट रहे थे।किचन के ओटे पे बिठा कर उसके कोमल होंठो का मदिरा पान कर रहा था।उसको पूरा नंगा किया खुद भी हो गया।

उसको ओटे पे पैर ऊपर कर पिट के बल सुलाया।उसके पैर फैलाये और चुतमनी को सहलाया।निधि की सिसकारी निकल गयी।मैंने उंगली के चुत के अंदर रगड़ना चालू किया। निधि तिलमिल रहि थी।उसके चुत पर जीभ घुमाई।मुझे उसकी चुत बहोत पसंद थी ।एकदम कोमल,क्योकि विकी सॉफ्ट सेक्स करता था कम देर के लिए और कभी कभी।काफी देर उसकी चुत में कभी उंगली घुसाता रहा तो कभी जीभ डाल के घुमाया उसकी चुत की पंखुड़ियों को चुसा।आवेश में वो झड भी गयी।अभी नशा 3 नो का उतर गया था।

निधि को मैं बेड पे लेके आया।विकी भी सिद्धि को लेके आया।मै और विकी दोनो बेड पे लेट गए।दोनो ने लन्ड चुसना चालू किया।

विकी:अरे वीरू तूने क्या किया जादू मुझे भी बता।ये रंडी लण्ड कबसे चुसने लगी।और तो और चुत भी चटवाती है।

मैं:कुछ खास नही,एकबार थोड़ा कन्विंस करो बाद में खुद राजी हो जाती है।

दोनो भी हमारे ऊपर आ गयी।हमारे ओंठो को चूस रही थी।
निधि काफी सिख गयी थी,चुदाई के बारे में,देखके बहोत सुकून मिला।

मै निधि के चुत पर लण्ड घिस रहा था।उसने अपने चुचे मेरे मुह में दिए ,उसके नोकीले निप्पल्स चुसना मुझे बेहद पसंद था।विकी भी सिद्धि के चुचे चूस रहा था।

निधि ने 69 की पोसिशन पकड़ ली।उसकी चुत मेरे मुह में और मेरा लण्ड उसके।उसकी चुत में जीभ डालके गांड को ऊपर नीचे करने लगा।निधि भी उससे ज्यादा उत्तेजित हो रही थी।

वहां सिद्धि ने अपने चुत में अपने भाई विकी का लण्ड घिसड दिया।मैंने भी ज्यादा देर न करते हुए निधि को भी अपने लण्ड पे बिठाया।दोनो अपनी गांड उठा के चुत में लण्ड पेल रही थी।निधि को मैंने अपनी तरफ नीचे झुकाया और उसकी ओंठो को पीने लगा।उसकी गांड को कस के पकड़े रखा।

वहा विकी सिद्धि के चुचे मसल रहा था।सिद्धि बहोत माहिर थी चुदाई के खेल में ओ गांड जोर जोर से उठा के पटक रही थी।उसके "फटक फटक' की आवाजे आने से वातावरण में चुदासी का माहौल था।

सिद्धि:आआह आआह फक ओ आआह आउच्च आआह चोदो मुझे भैया और जोर से आआह आआह इफ आआह

निधि उतनी माहिर नही थी,इसलिए उसकी गांड को कस के पकड़े रख मैने ही अपने गांड उठा के जोर जोर से उसको पेलना चालू किया।

निधि:आआह फक आआह उम्मम अहह और जोर से चोद वीरू तेरी रंडी को आआह पूरा अंदर डाल बहोत खुजली है अंदर आआह उफ

हर वक्त की तरह विकी और निधि झड गए।सिद्धि और मै बाकी थे।सिद्धि ने निधि को मेरे लण्ड के ऊपर से हटा के लण्ड को जोर जोर से हिलाया।मुह में लेके चुसाई की।जैसे ही ओ थोड़ा सख्त हुआ।उसको अपनी चुत में लगाया और उछलने लगी।मै उसके चुचे नोच मसलने लगा।

सिद्धि:वीरू चोद मुझे साले न उस भड़वे रवि में दम है न ये भाई में आआह तुहि मेरी खुजली मिटा आआह आआह अंदर तकंपेल आआह फक मी हार्ड आआह हायआआह।

सिद्धि बहोत ज्यादा गरमा गयी थी।मैंने उसको अपने सीने से कस के दबाया और नीचे से चुत में लण्ड को पेलने लगा।काफी देर बाद दोनो एकसाथ झड गये।सारा गाढ़ा रस सिद्धि के चुत में।विकी के बाजू में निधि और मेरे बाजू सिद्धि थक के सोई थी।मैं सिद्धि के चुचे सहला रहा था।और सिद्धि मेरा लन्ड।वैसे ही विकी भी निधि के चुचे सहला रहा था और निधि उसका लण्ड।

जब सहलाने से लण्ड सख्त होकर गर्म हो गया मैंने सिद्धि की टांगे ऊपर कर पीछे से उंगली डाल चुत को खुला कराया।फिर अपने लन्ड को अंदर घुसा के पीछे से पेलने लगा।विकी ने भी मेरा ही अनुकरण करते हुए निधि की चुत पेलने लगा।

विकी:याररर वीरू तू तो माहिर है यार,मुझे भी सीखा दिया कर

निधि:वीरू का लण्ड भी बड़ा माहिर है चुदने में बहोत मजे देता है।

सिद्धि:और भैया का...!

निधि:इसका तो उठा नही की गल जाता है,साला

विकी:हां हा तेरे को उसका ही लण्ड पसन्द है न।चुदास मिटा ले जितनी चाही उससे।

सिद्धि:ओए अभी नही अभी तो मै अपनी चुत को उसके लण्ड का स्वाद दूंगी।वीरू चोद तेरी रंडी को आआह।

मैंने उसके चुत में जोर से पेलना चालू किया।

सिद्धि:आआह फक फक फक आआह और फ़ास्ट आआह उफ आआह वीयू पूरा अंदर डाल आआह और जोर से हहोद सालाभड़वा रवि साले रंडी के देख इसे बोलते है चोदना आआह।

मैंने उसके चुचे कस के पकड़ लिए।और चोदने का जोर और बढ़ा दिया।

सिद्धि:आआह और जोर से चुत का भोसड़ा बना दे तेरे आआह रंडी आआह के आआह फक मी आआह और जोर से पेल आआह आआह।

विकी का लण्ड उतना सख्त नही हुआ था की पीछे से निधि को पेल सके।इधर दूसरा राउंड खत्म हुआ था सिद्धि का।

निधि:विकी उधर उनका खत्म भी हुआ पर अभी तक तेरा खड़ा भी नही हुआ।वीरू मेरी चुत की खुजली मिटा दे आआह

मैं:विकी भैया थोड़ा ऊपर हो जाओ।भाभी उनका लण्ड लो मुह में।

विकी थोड़ा ऊपर हो जाता है।वो घोड़ी बन उसके लण्ड को मुह में लेके चुसने लगती है।मैंने लण्ड को थोड़ा सहलाया और चुत में लगा कर चोदने लगा।

निधि:आआह और जोर से वीरू पूरा अंदर डाल।आआह आआह

मै लण्ड अंदर तक घुसा के उनको जोर जोर से चोद रहा था।

निधि:आआह आआह देख भड़वे विकी आआह इसे कहते है चोदना आआह उम्म तेरा लण्ड किसी काम का नही आआह आआह फक अहह आआह उफ आआह

मैंने उसके चुचो को मसलना चालू किया।वो विकी का लण्ड पूरे अंदर तक लेके चूस रही थी।अभी विकी का लण्ड खड़ा हो गया था।अभी विकी खड़ा हो गया और मै विकी की जगह चला गया।विकी ने उसके चुत में लन्ड डाला और उसको चोदना चालू किया।निधि अभी मेरा लन्ड मुह में लिए चूस रही थी।

हमारे खेल और आवाजो से सिद्धि भी फिरसे गर्म हुई।मै थोड़ा नीचे खसक के सोया और सिद्धि ने अपने चुत को मेरे मुह में दे दिया।उसकी चुत एकदम पानिया गयी थी।मैंने सिद्धि के चुत को चाटना चालू किया।वो मेरा सर कस के पकड़े चुत को अंदर तक दबा रही थी।मेरी जीभ मैंने उसके चुत में डाली।अभी उसकि चुत मेरे जीभ से चुद रही थी

विकी ने अपना लण्ड निधि के चुत में झडा दिया।और निधि बेड पे पीठ के बल लेट गयी।सिद्धी ने उसके चुत को चाटना चालू किया।अंदर जो विकी का लन्ड रस था उसे चिसके चाटके खाने लगी।विकी ने लन्ड हिला कर सिद्धि के पीछे से उसके चुत में ठूंसा और चोदने लगा।मैं उठा और निधि के दोनो बाजू पैर रख लण्ड उसके मुह में ठूस दिया ।और मुह चोदने लगा।नीचे सिद्धि उसकी चुत चाटके साफ कर रही थी।जैसे ही मै झडा सारा गाढ़ा रस निधि के मुह में।विकी ने अपनी स्पीड बढ़ा ली।सिद्धि झड गयी थी और विकी भी झड़ने वाला था।उसने जोर लगा के चोदना चालू किया।और आखिर कर झड गया।

हम काफी तक चुके थे।हमने थोड़ा रेस्ट करने का सोचा ।हम नंगे ही लण्ड को सहलाते हुए सोफे पे बैठ गए।दोनो रंडिया कॉफी लेके आयी।निधि ने मुझे कॉफी दी और मेरे लण्ड को चुत में घुसड़ के गोद में बैठ गयी।और सिद्धि भी विकी को कॉफी देके उसका लण्ड चुत में घुसा के उसकी गोद में बैठ गयी।दोनो उनके चुचो को सहलाने लगे।

विकी:यार मेरी बीवी तो तेरी रंडी बन गयी।जबसे तूने उनको चोदा है तबसे मुझे हर चुदाई के वक्त ताना मारती है।

मै:अच्छा अइसा करती हो निधि भाभी।(मैने उसके चुचे को मसल दिया।)

निधि:आआह आ नही तो क्या(दो बार गांड उठा के ऊपर नीचे हुई।)तेरा लन्ड बहोत मस्त है।मुझे लगता है रात भर सिर्फ चुदाई करती राहू।

सिद्धि:ठीक है करती रह,मै विकी भैया के लण्ड से चुदूँगी।

विकी:मैंने सुना है की तू वीरु से बच्चा पैदा करेगी।

सिद्धि:हा तो,उस भड़वे के लण्ड से कुछ निकलता ही नही,और जो निकलता है ओ कुछ काम का है नही।

निधि:विकु तेरे से कुछ नही हो रहा तो मै भी वीरु से बच्चा पैदा करवा लू।

मै:निधि भाभी ये क्या कह रही हो।नही भैया।आप सोचना भी मत।

विकी:अरे वीरू उसमे क्या बड़ी बात तेरे से बच्चा हुआ तो कोई हर्ज नही मुझे।अइसी बात नही की मै बच्चा पैदा नही कर सकता पर एक एक्सपीरिमेंट करते है।डॉक्टर गलत बोल रहा होगा तो निधि को बच्चा हो जाएगा।

निधि ने अभी जोर से उछलना चालू किया।सिद्धि भी उधर विकी भैया से उछल के चुदवा रही थी।

निधि:आआह चोद दे तेरी रंडी को तेरे रस से खुश कर दे आआह आठ उफ आआह आआह आआह और आआह।

मेरा लन्ड उसकी चुत को मेरे गाढ़े रस से भरने तक वो चुदती रही।विकी भी जब झड गया तो सिद्धि ने उठ के मुह में ले लिया।
विकी:अरे झड़ने देती न आआह क्यो भाई का नही सिर्फ वीरु का लेगी।

सारे लोग हसने लगे।रात भर हम चुदाई के खेल में रंग गए।मैं देर रात घर गया।भाभी बता के आयी थी तो वो अगले दिन आने वाली थी।मेरा मुद ठीक करने के लिए मैंने तीनो को शुक्रिया किया।
 
(Episode 2)

मै कम्पनी में गया।बहोत दिन के बाद थोड़ा खुश था।मेरी खुशी देख ऑफिस का स्टाफ भी खुश हुआ।कम्पनी स्टाफ के आधे से ज़्यादा लोग मुझे पसंद करने लगे थे।मेरा काम करने का तरीका ही वैसे था।जितना काम उतना दाम,सबको समान न्याय।

सभी फाइल मेरे सामने पड़ी हुई थी।मै एक एक फाइल देख रहा था।उसमे हाजिरी की फ़ाइल भी थी।उसमे मुझे किसी की कमी दिखाई दी।बलबीर बहोत दिन से गायब था।मैंने दूसरी फ़ाइल ली।उसमे बहोत ज्यादा पैसा कम्पनी से बाहर इन्वेस्ट कर लिया गया था।1 महीने में पूरा कम्पनी का कामकाज ही बदल गया था। मैंने मैनेजमेंट की तत्काल मीटिंग रखी।उसमे सारे के सारे मैनेजमेंट के लोग शामिल थे।बड़े मामा को इस बात का पता करवा दिया।

मैं कॉन्फ्रेंस रूम में जाके बैठ गया।एक एक कर सारे सदस्य जमा हो गए।बड़े मामा और रवि को वीडियो कॉन्फ्रेंस पे लिया था।छोटे मामा भी आये थे क्योकि उनके शेयर मेरे नाम हो गए ये बात अभीतक सबको मालूम नही थी।न मैंने बताई थी न मामा ने।संजू ,छोटी मामी की मा और पिताजी,और एक आदमी।संजू और रवि की तरह स्लिपिंग पार्टनर।

वो:हाई,माय सेल्फ संपत सिंह।(हाथ मिलाते हुए)

मैं:नमस्ते।बैठिए।

सबसे बोलते हुए-हा तो लेडीज़ एंड जेंटलमेन नाना जी के बाद आप लोगो ने हमे काफी साथ दिया कम्पनी के प्रगतिकारक कार्य में हाथ लगाए उसके लिए तहे दिल से शुक्रिया।पर मुझे मालूम हुआ की कई दिनों से कम्पनी घाटे में जा रही है।जो टेंडर हमे मिलने चाहिए वो किसी और को मिल रहे है।और जिसमे हमे कुछ फायदा ही नही है उसमे इन्वेस्टमेंट हो रहा है।बड़े मामा से-बड़े मामा जी आपके परमिशन के बिना ये पॉसिबल है??

बड़े मामा:मुझे इस बात का अभी अभी मालूम पड़ा,बीच में पिताजी और तुम्हारे हुए हादसे में थोड़े व्यस्त थे उन दिनों में ये कांड हुआ है।

मै बाकी ओ को:आज से बिना मेरे वेरिफिकेशन के फाइल मामा जी के पास नही जाएगी।वो बाकी बड़े जिम्मेदारी ओ को संभाल रहे है।तो पहले कोई भी बात हो मेरे पास आनी चाहिए।क्यो मामा जी सही न?

बड़े मामा:ठीक कहा तुमने 2 बार काम को वेरीफाई करेंगे तो नजर बनी रहेंगी कामकाज पे,इस प्रस्ताव को मेरी अनुमति है।

मैं:तो इस बात को सभी की अनुमति है अइसा मै समझ लेता हु और ये मीटिंग खत्म होती है यही पे,शुक्रिया आप लोगो का आने के लिए।

मीटिंग खत्म होने के बाद सब लोग निकल जाते है।मै मेरे केबिन में जाता हु।उसके कुछ मिनिट के बाद ही मुझे छोटी मामी का कॉल आता है।

छो मामी:ये क्या हरकत है वीरू,ये तुम सही नही किये।

मै चौक कर:कौनसी बात ,क्या सही नही किये।

छोटी मामी:मेरे पति को मिले शेयर्स तुमने कैसे हतिया लिए,ये सरासर गलत बात है।

मै:मामी जी थोड़ा रुकिए भावनाओ को काबू में कीजिये।आपके पतिदेव ने खुद अपने हाथो से पूरे होश के साथ हस्ताक्षर दिए है।चाहिए तो आपको दिखा देता हु।

छोटी मामी:ठीक है,मैं ठीक 1 घण्टे के बाद फार्म हाउस में मिलती हु,मुझे मेरी जायदाद चाहिए।

बात ये थी की अभी हर एक काम में मेरा वेरिफिकेशन लगने वाला था तो किसी को भी बिना किसी ठोस कारण के पैसे नही मिलने वाले थे।जब इसका विरोध जताने की योजना बनी तो उनको मालूम पड़ा की मामा के हिस्से की जायदाद निकल चुकी है।ये बात मा ने बेटी को बोल दी क्योकि दामाद नाकारा था।और उसी नाकारे दामाद की वजह से उसको अपनी हवस नही मिटाने को मिलनेवाली थी।

मुझे शिवकरण पे भरोसा नही था।इसलिए मै अकेले ही गाड़ी लेके चला गया।मामी मेरे पहले ही वहाँ पहोंच गयी थी।

मैं ऊपर वाले कमरे में गया।मामी हर बार जिस जगह को चुनती है उसी कमरे में चला गया।

मामी:वीरू ये क्या चल रहा है,ओ कागजाद मुझे दे दो,तुम सही नही कर रहे।

मैं:क्या सही क्या गलत आप के मुह से शोभा नही देता,आप इतनी नीच हो की जायदाद के लिए मुझे छोड़ो खुद के बाप जैसे नाना को मारना चाहा तुमने,तू सिखाएगी मुझे अच्छा बुरा।

मामी:पहली बात तो तू तड़ाक मत कर और पिताजी को मैंने मारने की कोशिश नही की।तेरे छोटे मामा हो सकते है,अइसे काम उन्हें ही सूझते है।

मैं:पर वो काम तो आपके इशारों पे करते है। और तुमसे तू तड़ाक में ही बात होगी तेरी वही औकात है।

मामी ने आगे आके एक झांपड मारा"नालायक"

मै हस्ते हुए:अरे मार ले।अभी तू भूल गयी की तेरे फड़फड़ाने वाले पंख मेरे हाथ में है।

मामी थोड़ी सहमी:देख वीरू ये सही बात नही है।तुम सही से कागजात नही दोगे तो बुरा होगा,देख लेना

मैं:और क्या बुरा होना बाकी है री,मौत के दरवाजे से आया हु यहाँ।अभी किसी के बाप का डर नही।अभी डरना तुम लोगो को है।अभी बारी तुम लोगो की है ।

मामी:मतलब तू अइसे नही मानेगा।बोल क्या चाहिए तुझे।

मैं:वही जो एक मर्द को चाहिए रहता है,देखता हु उसपे दिल बहल गया तो दे दूंगा।

मामी:क्या मतलब है तुम्हारा,तुम होश में हो,ये मुमकिन नही।

मैं:तो आपको कागजाद देना भी मुझे मुश्किल लग रहा है,क्यो शिला!??

उनका नाम मेरे मुह से सुन मामी तिलमिला गयी।पर उनके हाथ बंधे थे।

मामी:ठीक है पर वादा करो तुम मुझे मेरी जायदाद वापस दोगे,बिना कुसी शर्त।

मै:हा किया वादा।चलो घर पे फोन लगा के बहाना बनाओ की तुम अपनी मा के घर रुकने वाली हो रात भर।

मामी:रात भर क्यो?

मै:अरे तुझे मालूम नही।तेरी चुत की कुटाई रातभर होगी।

मामी:तुम मजाक कर रहे हो,राइट??

मैं:नही ये सच्चाई है,और वो मानेगी भी आप,जायदाद का लालच जो है।

मामी की बोलती बन्द।जायदाद उनका सबसे बडी कमजोरी थी।क्या करे बचपन से ही पैसों में खेलती आई है।खून में भरा है वो।उन्होंने चुप चाप फोन लगाया,और घर पे जैसे मैंने कहा वैसे बता दिया।

जैसे हो वो पीछे घूमी मैंने उन्हें बाहों में लिया और ओंठो को कस के चूमा।काफी देर ओंठ चुसने के बाद उनको छोड़ा।

मामी:ये क्या बत्तमीजी है।

मैं:लो इसपे दस्तखत कर दो।

मामी ने सब पढ़ लिया:क्या है ये कैसी अनुमति?

मै:अरे उसमे साफ साफ लिखा है मै मेरे भांजे वीरू के साथ मेरे रजामंदी से होश में शाररिक सम्बन्ध प्रस्थापित कर रही हु।

मामी:इसकी क्या जरूरत,मैं तैयार हु।

मै:मैं आप लोगो के ऊपर भरोसा नही कर सकता।तो दस्तखत करो।और साड़ी उतारो।

दस्तखत करने के बाद मामी ने साड़ी उतार दी।अभी वो ब्लाउज और पेटीकोट में थी।मेरे सामने थोड़ी नजर झुकाए खड़ी थी।

मैं:अरे शिला तेरे जैसी घमंडी औरत को नजर झुकाना शोभा नही देता।उठा ले।
(कैसी भी रांड हो नए नवेले पुरुष के सामने लज्जा आएगी ही।)

मैं उनके पास गया।और उनके गोल घूमने लगा।

मैं:अरे वा शिला तेरा बदन तो एकदम धांसू माल है रे।

मामी:वीरू तुम्हारे मा के उम्र की हु,उतना लिहाज रखना।

मैं:मा तो नही हो।तेरी गांड देख(एक फ़टका मार दिया मामी सिसक गयी।)क्या बड़ी और गोल मटोल है।साला किसी का भी लण्ड खड़ा हो जाए।

बोलते बोलते मै अपने लन्ड को पेंट के उपर से मसल रहा था।वो उसको नोटिस की पर नजर घुमा दी।मै उनके सामने गया और ब्लाउज के ऊपर से चुचो पे हाथ घुमाने लगा।दोनो चुचो को हाथ में भर के टटोलने लगा।

मैं:क्या गुब्बारे जैसे चुचे है रंडी तेरे ,इतने बड़े की हाथ में भी नही आ रहे।

मैंने उनके ब्लाउज और ब्रा को उतारा।पीछे खड़े रहके उनके चुचो को मसलने लगा।उनके कानो को मुह में लेके चुसने लगा।मामी खुदको काबू कर रही थी।मैंने उनके चुचो के निप्पल्स को मसला वैसे ही वो "आउच्च आआह"करके सिसक गयी।मै अपना तना लन्ड पूछे से गांड पे घिसने लगा।

उनकी पेटीकोट का नाडा खींचा तो पेटीकोट नीचे गिर गया।मामी ने गुलाबी रंग की पेंटी पहनी थी।उनकी फूली हुई चुत लण्ड को बेहाल कर रही थी।मैन पेंटी के अंदर हाथ डाला।चाची आंख बन्द करके ओंठ चबाते हुऐ सिकारिया ले रही थी।उनकी चुत को मैं मसल के सहलाने लगा।

मैं:हाये मामी तेरी चुत तो पानी छोड़ रही है।क्या मस्त गर्म है याररर।

मामी:साले रंडी की औलाद औरत को सहलाक़े मसल के खुद गर्म करता है लन्ड को गांड पे घिसता है।और कहता है चुत पानी छोड़ रहा है।साले तेरी रंडी मा की गांड में लन्ड डालेगा तो भी वो पानी छोड़ेगी।

मैं:पहले तेरे चुत में तो डाल दु।

चुत में उंगली डाल के अंदर बाहर की और बाहर निकाल के मैंने खुद चुस ली।

मैं:हाये मामी बहोत ही मीठा है।तू इतनी कड़वी और चुत का रस मीठा।गजब हो तुम।

मै चाची को बेड के पास ले जाके बैठा दिया।और मैं खुद नंगा होकर लन्ड को सहलाते हुए उनके सामने खड़ा हुआ।
मामी तो मुह खुला कर के ताकती रही।मैंने उनके ओंठो पर लण्ड रगड़ना चालू किया।और मुह के अंदर घुसाया।ओ कोई साथ नही दे रही थी तो।

.

मैंने उनके सिर को पकड़ा और आहिस्ता आहिस्ता आगे पीछे करने लगा।वो कोई रिएक्शन नही दे रही थी।काफी देर तक आहिस्ता करने के पश्चात मैंने उनका मुह चोदने की गति बढ़ाई।उनके मुह से"ओ ओओओ आआह उम्म आआह ओ"।मामी ने मैई कमर कस के पकड़ ली थी।मै झड़ने आया था।मैंने मेरी स्पीड और बढ़ा दी।और पूरा गाढ़ा रस उनकी मुह में छोड़ दिया।

अभी उनको बेड पे लिटाया।उनकी चुत के पास जाके चूमने लगा।उनकी चुत को चाटने लगा।वो अभी पूरी हवस के अधीन हो गयी थी।उन्होंने अपने पैरों में मेरे सिर जो जखड के रखा।चुत काफी लाल गुलाबी थी।मैं चुत के पंखुड़ियों को मुह में लेके उसके लुफ्त उठाने लगा।काफी मजा आ रहा था।चुत के अंदर से जीभ पे आता हुआ सफेद रस जैसे वनीला आईसक्रीम लग रहा था,और उसके जैसा मीठा भी।

मैने उनकी गाड़ को पैरों को पकड़ के ऊपर किया और गांड को चाटने लगा।साली की गांड अभी तक फ्रेश थी।चुत का रस गांड तक आ गया था।वो पूरा चाटके साफ कर दिया।मामी की चुत में आग बढ़ गयी थी पर रंडिया का घमंड था की लन्ड डाल के चुत की खुजली मिटाने की ख्वाइश भी नही बता सकती थी।

पर मुझे उनके चुत से लाव्हा की तरह फसफ़सती रस ने उनके अंदर जलते हुए हवस की सूचना कर दी।मैंने लन्ड को मसल के चुत पे लगाया और धक्का लगा दिया।लन्ड उनकी सहनशीलता से काफी तगड़ा था तो,वो सहन नही कर पाई।

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मामी:आआह आआह अबे रंडी के धीरे से कर छिनाल की पैदाइश आआह फाड़ दी चुत मेरी साले आआह आआह।

मैं:मैं रंडी की औलाद क्या छिनाल साली घर घर जाके चुदास फूक के तू आती है रंडिया तेरी चुत को आज भोसड़ा बना के ही रहूंगा।

मैं पूरे जोर लगा के उसकी चुत चोदने लगा।उनको बहोत दर्द हो रहा था पर साली घमंडी रंडिया पूरी रंडी थी,पेल के ले रही थी।

मामी:मार चुत मेरी भड़वे साले देखती हु तेरे में कितना दम है,आआह आआह जितना चोदना आआह उम्म आउच्च है चोद मेरी चुत बहोत उड़ रहा है तेरा लण्ड देखते है कितनी देर मारता है चुत आआह।

मैंने उनके चुचे कस के पकड़े थोड़ा कमर से उनको ऊपर की तरफ मोड़ा और नीचे झुक कर चुत मारने लगा।

मामी:और जोर से साले रंडवे भड़बे क्या दम नही तेरे में आआह आआह और अंदर मार थोड़ा जोर से आआह

मुझे अइसे महसूस हो रहा था की साली कुत्ति रंडिया घमंड दिखाने के बहाने मजे भी ले रही है।

मै:अरे रंडिया तेरी चुत आज पूरी सूजा न दी तो नाम बदल दु।ले भोसदिवाली कुतिया आज तू पूरी रांड बनेगी बापचोदी बहोत आग है न तेरे में भाईचोदी आज तो तेरी चुत का भोसड़ा बनेगा।

मै अभी पूरा लालम लाल था।मामी कितनी भी बड़ी रांड हो उसकी चुत मेरे तगड़े लन्ड के सामने नही टिक पाई ज्यादा देर।मै पूरी जोर से उसकी चुत ठोक रहा था।चुचे नोच रहा था।
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मामी:आआह वीरू मेरा झड गया आआह धीरे आआह बहोत दुख रहा है आआह अरे भड़वे पूरी फाड़ देगा क्या चुत आआह आआह अम्मा आआह हाये आएहबे रंडी के।

मै उनकी कोई बात नही मान रहा था।जब मेरा पूरा झडा मैं पूरा गाढ़ा रस उनके पूरे शरीर पे फवारे उड़ाते है फैला दिया।

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मामी पूरी निढाल होकर पड़ी थी।उनकी चुत जलन से पूरी लाल हो गयी थी।मै उनको वैसे ही छोड़ा और थोड़ा कॉफी लेके फ्रेश होकर आया।वो गांड ऊपर किये सिस्कारते हुए बेड पे पड़ी थी।गांड को देख फिरसे मेरा लण्ड हरकत करने लगा।

मै मैंने-हा मेरे भाई मुझे भी तेरी भावनाये पता चल रही है मारेंगे जरूर मारेंगे,चल कुछ ढूंढते है,सुखी मारेंगे तो मर जाएगी रंडी।

मैंने बाथरूम मेंसे वैसलीन उठाया और पीछे से जाके उनके गांड को पकड़ा।वो तिलमिलाही थोड़ी दूर हटी ।मैन फिरसे गांड को पकड़ा और थोड़ा फैलाया।वैसलीन उसकी गांड पे लगाया।
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मामी:वीरू नही,तेरा लण्ड बहोत तगड़ा है मै नही सहन कर पाऊंगी,प्लीज् वीरू तू बाकी कुछ भी कर गांड मत मार आआह।

पर मै सुनने के हालात में नही था।मैंने उसको पलट के घोड़ी बनाया अपने लन्ड को वैसलीन लगा के गांड की छेद पे टिकाया और धक्का दिया।

मामी:आआआआह अमा!!!!!!!!!आआह वीरू निकल आआह बहोत दर्द हो रहा थ हाआआआआ वीयू गांड फट गयी मेरी आआह प्लीज निकाल आआह।आआह मर गयी आआह।(उनके आंखों से पानी आने लगा।)

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मैं थोड़ी देर रुक फिरसे पूरी जोरोसे गांड पेलना चालू किया।

मामी पहले"आआह वीयू धीरे आआह गांड फट गयी आआह वीरू प्लीज निकाल आआह"करते हुए चिल्लाती रही पर उनको भी महसूस हुआ की अभी मैं मनाने वाला नही ये जान के वो चुप चाप गद्दे में मुह डालके धक्के सहन करने लगी।अभी उनका शरीर निढाल हो रहा था।मुझे लगा की कहि कुछ हो न जाए मैंने लन्ड को बाहर निकाला।पर मेरा लण्ड काफी जोष में था उसे पानी छोडने तक चैन नही मिलने वाला था।

मैंने मामी को बाहों में लिया आगे से अपना लण्ड चुत में डाला और उनको चोदने लगा।उनके ओंठो को चुसने लगा।

मामी:आआह आआह वीरू धीरे आआह मर जाऊंगी आआह आ हए हाहा
.
उनकी पूरी चुत लालम लाल हो गयी थी।चुचे नोचने से लाल रेशाये आयी थी।ओंठो को नोच चूस काट के चुसने से वो भी लाल हो गए थे।मामी का पूरा अंग मेरे लण्ड के रस से भरा था।

मैंने उनको गोदी में उठाया और बाथरूम लेके गया।शॉवर चालू किया और बेसिंग साइड चिपका कर खड़ा किया।उनके पूरे शरीर पर शैम्पू छोड़ दिया।उनके बाल से उनके मुह तकसे चुत से पैर तक।उनके सॉफ्ट ओंठो के पंखुडियो को धीरे से चुम चूसता हुआ नीचे चुचो तक आया।फिर उनके चुचे बारी बारी मुह में लेके चुसने लगा।उनकी चुत पर शैम्पू से ही मसलने लगा।उनके मुह से सिस्की निकली।क्योकि बहोत लाल हो गई थी उसके जलन से उनको दर्द हुआ।

मै नीचे बैठा उनकी चुत में जीभ डाली और घुमाने लगा।चुत की चारो ओर से शैम्पू निकाल चाटने लगा।उनके चुत से गर्म खट्टा मीठा रस का टेस्ट आने लगा।ओ फिरसे गर्म हो गयी थी।

उनको बेसिंग को चिपका के उनके चुत में लण्ड डाला थोड़ा पैर ऊपर कर चुत को पेलने लगा।

.

मामी:आआह वीरू चोद भडवे पूरी चुत का भोसड़ा बना दिया बहनचोद साले आआह चोद आज पूरा कबाड़ा बना के छोड़ेगा।

मैं:अरे रंडी छिनाल साली तू है ही चुत चुदासी बापचोदी तेरी चुत में अभीतक अइसा लण्ड नही गया नही तो बेटाचोदी तू तो अस्सली रंडी खाने में चुत मरवा रही होती।आज से तेरी चुत ज्यादा खुजली नही देगी

रात मामी की चुत का भोसड़ा बनाया।सुबह तक उनकी हालात बहोत खराब थी पूरे पैर फैला कर चल रही थी।मैंने जेक शारदा को बुलाया।शारदा ने उसको मलम वैगरा लगाया।तब तक मै आफिस निकल गया।
 
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