desiaks
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(Episode 3)
दोपहर को बड़ी मामी का कॉल आया,उन्होंने घर जल्द से जल्द घर आने को बोला।मैं तो घबरा गया।मैं कैसे वैसे घर पहोंच गया। पर जैसे सोच रखा था उतना भयानक नही था पर थोड़ा अजीब जरूर था।सब लोग नाना जी के कमरे में थे।बेड पे नाना ,बाजू में बड़ी मामी,मा,सिद्धि भाभी,बाजू खड़े रवि भैया और बड़े मामा भी थे।
नाना जी:आ गए वीरू,तुमसे एक जरूरी बातचीत करनी थी हमे।
मैं:जी बोलिये नाना जी।
नानाजी:अभी संजू बड़ी हो गई है।हमारे यह लाड़ प्यार से बड़ी हुई है,उसको दुनिया का कोई ज्ञान नही।तो मैं ये सोच रहा था की उसकी शादी की जाए।
मै:अच्छा विचार है,लड़का कौन है?
नानाजी:वो क्या है की मेरी अइसी इच्छा है की तुम ही उससे शादी करलो।
मैं(नाटक करते हुए):क्या मै!??मगर...!!
बड़ी मामी:देख लल्ला हमने बेटी को बड़े लाड़ प्यार से पाला है,उसकी जुदाई बर्दाश्त नही होगी मुझसे।तू भी हमारे भरोसे का है।तुझसे शादी करेगी तो यही हमारे साथ रहेगी।
मैं:वो सही है पर बड़े मामा...!!??
बड़े मामा:अरे वीरू मैं क्यों भला मना करूँगा।तुम जैसा होनहार दामाद को कौन मना करेगा।और हा कल से शादी तक ऑफिस मै संभाल लूंगा।तुम शादी तक घर पे रहना,कहि जाना नही।
मा:अभी तू ज्यादा मत सोच ,मुझे भी संजू स्वीकार है बहु के रूप में।
मैं:ठीक है अगर आप कहते है तो मैं तैयार हु पर संजू दी का क्या जवाब है इसपर।
सिद्धि:जाओ उसको ही जाके पूछ लो,मनाओ अपनी होने वाली बीवी को।
सब लोग हसने लगे।मुझे भी शर्म आने लगी।मै ऊपर संजू के कमरे में चला गया।उनका दरवाजा खुला था।और वो बाल्कनी में नाखून चबा रही थी।लगता है वो इन इंतजार में थी की नीचे क्या फैसला होगा। बड़े मामी ने अच्छी योजना बनाई थी।और उसमे मेरे अच्छे बर्ताव की और सहायता हुई।बड़े मामा तो वैसे भी तैयार होते क्योकि 10 % जो संजू के है वो उनके पास ही रहने वाले थे औ मेरे 20% भी दामाद की हैसियत से उनके कब्जे में ही रहने वाले थे।
मैं संजू के पास गया।मेरे आहट से संजू घूम गयी।और मेरे तरफ घूर कर देख रही थी।उसके कान फैसला सुनने को बेकरार थे।
मैं उनके सामने गया।जाते जाते मेज पर रखा गुलाब उठा लिया।उसके सामने जाके खड़ा हुआ।संजू मुझे बड़े बेकरारी वाली नजरो से घुरि जा रही थी।
मैं उसके सामने घुटनो पे बैठा।
मै:मिस संजू क्या आप मेरी जीवन साथी बनना पसन्द करेगी?(गुलाब उनके सामने कर दिया।)
संजू की आंखे चौड़ी हो गयी।उसने मुह पे हाथ रखा और उछलते हुए रोने लगी।।मै उठ खड़ा हुआ।
मैं:अरे क्या हुआ रो क्यों रहे हो,नही करनी शादी मुझसे।ठीक है।
मैं पीछे घूमने ही वाला था की उसने मेरे ऊपर छलांग लगाई और मेरे ऊपर चढ़ गले मिल गयी।मेरे चेहरे पर चूमने लगी।थोड़ी गर्माहट हुई तो हमारे ओंठ एकदूसरे को मिल गए।काफी देर तक ओंठ की चुसाई में समय का पता ही नही चला।
सिद्धि भाभी:हु ह्म्म्म!!!!
सिद्धि भाभी के आवाज से हम अलग हो गए।मैंने गलती से दरवाजा खुला छोड़ा था।
सिद्धि:क्यो जनाब शादी के बाद के लिए कुछ रखोगे या नही।
संजू:आपको क्या करना है उससे,होने वाला हो या हो चुका हो आखिर पति ही है मेरा,हम कुछ भी करले।आप अपने हो चुके पति के पास जाओ न।
सिद्धि:अरे मेरे हो चुके पति से कुछ नही होता,मुझे तेरे होने वाले पति से ही ज्यादा मजा आता है।
संजू:मेरा पति है ही दमदार।तुम चिंता मत करो भाभी,जब जरूरत पड़े तब इसके साथ मजे करना।मुझे कोई आपत्ति नही।
सिद्धि थोड़ी इमोशनल हो गयी।उसने संजू को गले लगाया।
सिद्धि:थैंक यु संजू।
तभी संजू को बड़ी मामी बुला लेती है।
संजू:ठीक है मैं अभी चलती हु।
मै:कहा चली...!!
संजू:अरे वो मा बोली थी की अगले हप्ते ही शादी करवाएंगे,बाद में 1 साल तक कोई मुहूर्त नही है।तो चाची और मा के साथ शॉपिंग जा रही हु।तुम आ रहे हो?
सिद्धि:नही तुम जाओ मेरे और रवि के साथ शॉपिंग कर लेगा।
संजू वहाँ से चली जाती है।सिद्धि भाभी मुझे हाथ को पकड़ के अपने कमरे में लेके जाती है।रूम में रवि लेपटॉप पर कुछ काम कर रहा था।
रवि:अरे दुल्हेराजा आओ पधारो।
मैं:क्या भैया आप भी।
सिद्धि:अरे दूल्हे ही हो अगले हप्ते तक।अगला हप्ता भी किधर गिन के 5 दिन बचे है।
मैं:फिर भी ।
रवि:फिर भी क्या,बड़े हो गए हो अभी,और मेरे बच्चे के बाप भी।
सिद्धी:रवि.....!!!!!
रवि:अरे अभी तक नही हुई हो,पर हो जाओगी न।शुक्रिया तो कहने दो।
मैं:भैया मैं कुछ समझ नही रहा हु।सिद्धि भाभी ये भैया किस बारे में बता रहे है।
रवि:अरे तुम डरो मत,तुम्हे ताना नही मार रहा हु,सच में दिल से शुक्रिया कह रहा हु,मा के तानों से छुटकारा मिल जाएगा।
सिद्धि:वीरू तुम परेशान मत हो,एक न एक दिन बताना था,आज ही बता दिया,नही तो ये घर कब रहता है।
रवि:अभी क्या वीरू है तेरी गर्मी को शांत करने के लिए।
मैं:भैया क्या बात कर रहे हो।नही...!!!
सिद्धि रवि से:मतलब तुमसे कुछ नही होगा।
रवि:मैंने अइसा तो नही कहा।पर कोई एतराज भी नही है।
सिद्धि:वीरू इधर आ बेड पर।
मैं उन दोनो के साथ बेड पे आया।सिद्धि भाभी अचानक मेरे पास आयी और मेरे ओंठो को चुसने लगी।
.
रवि:अरे इतनी क्या जल्दी है ,आराम से।
मैं तो दंग रह गया।क्या चल क्या रहा है,भैया मेरे से 2 हाथ दूरी पर थे।उनके 2 हाथ दूरी पर उसकी पत्नी एक अजनबी तो उसके बुआ का बेटा है उसके साथ रंगरंगिया मना रही है।पर उसको उसका कुछ फर्क नही था।
भाभी ने अपने कपड़े फटाफट उतार फेंके।मुझे भी उतारने को बोली।मै रवि भैया के पास देखने लगा।तो उन्होंने आंखों से ही इशारा किया की "भाई तुम लगे रहो,मुझे कुछ अयतराज नही है"।वो वह से उठके जाने लगे।
सिद्धि:तुम किधर जा रहे हो।रुको इधर ही बैठो।आज तेरी बीवी को रंडी की तरह चोदते देख।और सिख कुछ,कैज़ चोदते है।
रवि और मैं एक दूसरे की ओर देखने लगे।मैं कुछ करने से ही पहले सिद्धि भाभी ने मुझे बेड पे लिटाया।और मेरा लण्ड चुसने लगी।
सिद्धि:हाये क्या लण्ड है वीरू तेरा।एकदम लोहा,मुह में भी मजा देता है और चुत में भी।आआह उम्मम म।
सिद्धि भाभी एकदम जोश में थी उसने ज्यादा देर न गवाते जैसे ही लण्ड तन के खड़ा हुआ।वो मेरे लण्ड पे बैठ गयी।
नीचे झुक कर मुझे किस करने लगी।मै उसके चुचे दबा रहा था।ओ अभी गांड ऊपर नीचे करके चुदने लगी।
.
सिद्धि:आआह आआह आआह आआह,वीरू क्या लण्ड है तेरा जैसे ही चुत में घुस आंनद आ गया आआह आआह।
सिद्धि भाभी थोड़ी थक गयी ।मैं उनको नीचे लिया और उनके ऊपर रह के धक्के देने लगा।
.
सिद्धि:आआह जोर से आआह वीरू जोर से
मैंने अपना स्पीड बढ़ाया।
सिद्धि:आआह वीरू आआह आआह भड़वे रवि देख आआह आआह इसे कहते है चोदना आआह आआह वीरू और अंदर घुसा बहोत खुजली है चुत में आआह आह।
मेरे सामने सिद्धि की गाली दी हुई रवि को बर्दाश्त नही हुई।उसने अपना काम छोड़ा और पेंट निकाल के उसके मुह में लण्ड ठूस दिया।
रवि:मै भड़वा क्या तू साली रंडी है ...मसाला भी डाल दु तो भी रंडिया तेरी खुजली नही मिटेगी।ले चूस लण्ड।
.
मैंने जोरदार धक्के देना चालू किया।रवि आया बड़े थाट से पर 15 मिनट में ही उसके मुह में झड गया।मैंने भी अपना सारा पानी सिद्धि के चुत में झाडके बाजू हुआ।
सिद्धि:अरे भड़वे तुझे भड़वा इसीलिए बोलती हु भोसडीके उसका देख चुसने के बाद भी आधे घंटे चुदाई करता रहा तेरा 15 मिनिट नही हुआ,झड गया।
शाम को सिद्धि मै रवि भैया और मा अपनी शॉपिंग के लिए निकल गए।
दोपहर को बड़ी मामी का कॉल आया,उन्होंने घर जल्द से जल्द घर आने को बोला।मैं तो घबरा गया।मैं कैसे वैसे घर पहोंच गया। पर जैसे सोच रखा था उतना भयानक नही था पर थोड़ा अजीब जरूर था।सब लोग नाना जी के कमरे में थे।बेड पे नाना ,बाजू में बड़ी मामी,मा,सिद्धि भाभी,बाजू खड़े रवि भैया और बड़े मामा भी थे।
नाना जी:आ गए वीरू,तुमसे एक जरूरी बातचीत करनी थी हमे।
मैं:जी बोलिये नाना जी।
नानाजी:अभी संजू बड़ी हो गई है।हमारे यह लाड़ प्यार से बड़ी हुई है,उसको दुनिया का कोई ज्ञान नही।तो मैं ये सोच रहा था की उसकी शादी की जाए।
मै:अच्छा विचार है,लड़का कौन है?
नानाजी:वो क्या है की मेरी अइसी इच्छा है की तुम ही उससे शादी करलो।
मैं(नाटक करते हुए):क्या मै!??मगर...!!
बड़ी मामी:देख लल्ला हमने बेटी को बड़े लाड़ प्यार से पाला है,उसकी जुदाई बर्दाश्त नही होगी मुझसे।तू भी हमारे भरोसे का है।तुझसे शादी करेगी तो यही हमारे साथ रहेगी।
मैं:वो सही है पर बड़े मामा...!!??
बड़े मामा:अरे वीरू मैं क्यों भला मना करूँगा।तुम जैसा होनहार दामाद को कौन मना करेगा।और हा कल से शादी तक ऑफिस मै संभाल लूंगा।तुम शादी तक घर पे रहना,कहि जाना नही।
मा:अभी तू ज्यादा मत सोच ,मुझे भी संजू स्वीकार है बहु के रूप में।
मैं:ठीक है अगर आप कहते है तो मैं तैयार हु पर संजू दी का क्या जवाब है इसपर।
सिद्धि:जाओ उसको ही जाके पूछ लो,मनाओ अपनी होने वाली बीवी को।
सब लोग हसने लगे।मुझे भी शर्म आने लगी।मै ऊपर संजू के कमरे में चला गया।उनका दरवाजा खुला था।और वो बाल्कनी में नाखून चबा रही थी।लगता है वो इन इंतजार में थी की नीचे क्या फैसला होगा। बड़े मामी ने अच्छी योजना बनाई थी।और उसमे मेरे अच्छे बर्ताव की और सहायता हुई।बड़े मामा तो वैसे भी तैयार होते क्योकि 10 % जो संजू के है वो उनके पास ही रहने वाले थे औ मेरे 20% भी दामाद की हैसियत से उनके कब्जे में ही रहने वाले थे।
मैं संजू के पास गया।मेरे आहट से संजू घूम गयी।और मेरे तरफ घूर कर देख रही थी।उसके कान फैसला सुनने को बेकरार थे।
मैं उनके सामने गया।जाते जाते मेज पर रखा गुलाब उठा लिया।उसके सामने जाके खड़ा हुआ।संजू मुझे बड़े बेकरारी वाली नजरो से घुरि जा रही थी।
मैं उसके सामने घुटनो पे बैठा।
मै:मिस संजू क्या आप मेरी जीवन साथी बनना पसन्द करेगी?(गुलाब उनके सामने कर दिया।)
संजू की आंखे चौड़ी हो गयी।उसने मुह पे हाथ रखा और उछलते हुए रोने लगी।।मै उठ खड़ा हुआ।
मैं:अरे क्या हुआ रो क्यों रहे हो,नही करनी शादी मुझसे।ठीक है।
मैं पीछे घूमने ही वाला था की उसने मेरे ऊपर छलांग लगाई और मेरे ऊपर चढ़ गले मिल गयी।मेरे चेहरे पर चूमने लगी।थोड़ी गर्माहट हुई तो हमारे ओंठ एकदूसरे को मिल गए।काफी देर तक ओंठ की चुसाई में समय का पता ही नही चला।
सिद्धि भाभी:हु ह्म्म्म!!!!
सिद्धि भाभी के आवाज से हम अलग हो गए।मैंने गलती से दरवाजा खुला छोड़ा था।
सिद्धि:क्यो जनाब शादी के बाद के लिए कुछ रखोगे या नही।
संजू:आपको क्या करना है उससे,होने वाला हो या हो चुका हो आखिर पति ही है मेरा,हम कुछ भी करले।आप अपने हो चुके पति के पास जाओ न।
सिद्धि:अरे मेरे हो चुके पति से कुछ नही होता,मुझे तेरे होने वाले पति से ही ज्यादा मजा आता है।
संजू:मेरा पति है ही दमदार।तुम चिंता मत करो भाभी,जब जरूरत पड़े तब इसके साथ मजे करना।मुझे कोई आपत्ति नही।
सिद्धि थोड़ी इमोशनल हो गयी।उसने संजू को गले लगाया।
सिद्धि:थैंक यु संजू।
तभी संजू को बड़ी मामी बुला लेती है।
संजू:ठीक है मैं अभी चलती हु।
मै:कहा चली...!!
संजू:अरे वो मा बोली थी की अगले हप्ते ही शादी करवाएंगे,बाद में 1 साल तक कोई मुहूर्त नही है।तो चाची और मा के साथ शॉपिंग जा रही हु।तुम आ रहे हो?
सिद्धि:नही तुम जाओ मेरे और रवि के साथ शॉपिंग कर लेगा।
संजू वहाँ से चली जाती है।सिद्धि भाभी मुझे हाथ को पकड़ के अपने कमरे में लेके जाती है।रूम में रवि लेपटॉप पर कुछ काम कर रहा था।
रवि:अरे दुल्हेराजा आओ पधारो।
मैं:क्या भैया आप भी।
सिद्धि:अरे दूल्हे ही हो अगले हप्ते तक।अगला हप्ता भी किधर गिन के 5 दिन बचे है।
मैं:फिर भी ।
रवि:फिर भी क्या,बड़े हो गए हो अभी,और मेरे बच्चे के बाप भी।
सिद्धी:रवि.....!!!!!
रवि:अरे अभी तक नही हुई हो,पर हो जाओगी न।शुक्रिया तो कहने दो।
मैं:भैया मैं कुछ समझ नही रहा हु।सिद्धि भाभी ये भैया किस बारे में बता रहे है।
रवि:अरे तुम डरो मत,तुम्हे ताना नही मार रहा हु,सच में दिल से शुक्रिया कह रहा हु,मा के तानों से छुटकारा मिल जाएगा।
सिद्धि:वीरू तुम परेशान मत हो,एक न एक दिन बताना था,आज ही बता दिया,नही तो ये घर कब रहता है।
रवि:अभी क्या वीरू है तेरी गर्मी को शांत करने के लिए।
मैं:भैया क्या बात कर रहे हो।नही...!!!
सिद्धि रवि से:मतलब तुमसे कुछ नही होगा।
रवि:मैंने अइसा तो नही कहा।पर कोई एतराज भी नही है।
सिद्धि:वीरू इधर आ बेड पर।
मैं उन दोनो के साथ बेड पे आया।सिद्धि भाभी अचानक मेरे पास आयी और मेरे ओंठो को चुसने लगी।
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रवि:अरे इतनी क्या जल्दी है ,आराम से।
मैं तो दंग रह गया।क्या चल क्या रहा है,भैया मेरे से 2 हाथ दूरी पर थे।उनके 2 हाथ दूरी पर उसकी पत्नी एक अजनबी तो उसके बुआ का बेटा है उसके साथ रंगरंगिया मना रही है।पर उसको उसका कुछ फर्क नही था।
भाभी ने अपने कपड़े फटाफट उतार फेंके।मुझे भी उतारने को बोली।मै रवि भैया के पास देखने लगा।तो उन्होंने आंखों से ही इशारा किया की "भाई तुम लगे रहो,मुझे कुछ अयतराज नही है"।वो वह से उठके जाने लगे।
सिद्धि:तुम किधर जा रहे हो।रुको इधर ही बैठो।आज तेरी बीवी को रंडी की तरह चोदते देख।और सिख कुछ,कैज़ चोदते है।
रवि और मैं एक दूसरे की ओर देखने लगे।मैं कुछ करने से ही पहले सिद्धि भाभी ने मुझे बेड पे लिटाया।और मेरा लण्ड चुसने लगी।
सिद्धि:हाये क्या लण्ड है वीरू तेरा।एकदम लोहा,मुह में भी मजा देता है और चुत में भी।आआह उम्मम म।
सिद्धि भाभी एकदम जोश में थी उसने ज्यादा देर न गवाते जैसे ही लण्ड तन के खड़ा हुआ।वो मेरे लण्ड पे बैठ गयी।
नीचे झुक कर मुझे किस करने लगी।मै उसके चुचे दबा रहा था।ओ अभी गांड ऊपर नीचे करके चुदने लगी।
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सिद्धि:आआह आआह आआह आआह,वीरू क्या लण्ड है तेरा जैसे ही चुत में घुस आंनद आ गया आआह आआह।
सिद्धि भाभी थोड़ी थक गयी ।मैं उनको नीचे लिया और उनके ऊपर रह के धक्के देने लगा।
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सिद्धि:आआह जोर से आआह वीरू जोर से
मैंने अपना स्पीड बढ़ाया।
सिद्धि:आआह वीरू आआह आआह भड़वे रवि देख आआह आआह इसे कहते है चोदना आआह आआह वीरू और अंदर घुसा बहोत खुजली है चुत में आआह आह।
मेरे सामने सिद्धि की गाली दी हुई रवि को बर्दाश्त नही हुई।उसने अपना काम छोड़ा और पेंट निकाल के उसके मुह में लण्ड ठूस दिया।
रवि:मै भड़वा क्या तू साली रंडी है ...मसाला भी डाल दु तो भी रंडिया तेरी खुजली नही मिटेगी।ले चूस लण्ड।
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मैंने जोरदार धक्के देना चालू किया।रवि आया बड़े थाट से पर 15 मिनट में ही उसके मुह में झड गया।मैंने भी अपना सारा पानी सिद्धि के चुत में झाडके बाजू हुआ।
सिद्धि:अरे भड़वे तुझे भड़वा इसीलिए बोलती हु भोसडीके उसका देख चुसने के बाद भी आधे घंटे चुदाई करता रहा तेरा 15 मिनिट नही हुआ,झड गया।
शाम को सिद्धि मै रवि भैया और मा अपनी शॉपिंग के लिए निकल गए।