hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
मेरे बाहर निकलके पिता जी के कमरे का दौरा किया वापिस अपने कमरे की अटॅच टाय्लेट में मूतने लगा..जब वापिस माँ वाले कमरे में दाखिल हुआ तो पाया तपोती माँ की चादर उनके उपर से उठाए उनकी टाँगों के बीच के गुप्तांगो को देख रही थी सर झुकाए....उसने माँ की गहरी नींद में होने से उनकी चूत के दोनो हिस्सो को हल्का सा खोला तो पाया छेद और चूत के मांसो पे वीर्य का चिपचिपापन लगा हुआ था....तपोती को समझ आया कि छेड़ लबालब वीर्य से भरी हुई सुख चुकी थी....एका एक उसके चेहरे पे प्रसन्नता के भाव आए और वो उठके जैसे ही पीछे की ओर पलटी तो मेरे निगाह से उसकी निगाह मिली...
"कितनो भी हो माँ भी तो मेरी पत्नी है और उनकी ही रज़ामंदी से हम दोनो ने फिर मिलन किया है तुम्हारे लिए ......तपोती की आँखो में आँसू उबल आए और वो झट से मेरे सीने से लग गयी...मैं उसे पूचकारने लगा...उसे अपने ज़ज़्बातो पे काबू करने को बोला.....
_________________________
"कितनो भी हो माँ भी तो मेरी पत्नी है और उनकी ही रज़ामंदी से हम दोनो ने फिर मिलन किया है तुम्हारे लिए ......तपोती की आँखो में आँसू उबल आए और वो झट से मेरे सीने से लग गयी...मैं उसे पूचकारने लगा...उसे अपने ज़ज़्बातो पे काबू करने को बोला.....
_________________________