Maa Sex Kahani हाए मम्मी मेरी लुल्ली - Page 6 - SexBaba
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Maa Sex Kahani हाए मम्मी मेरी लुल्ली

आह........हाय........" चुत में पूरा लंड एक ही झटके में लेकर सलोनी के मुंह से कराह निकल जाती है. सलोनी एक पल के लिए खुद को सम्भालती है और फिर अपनी कमर ऊपर उठा लंड बाहर निकल वापस धम्म से लौडे पर बैठ जाती है. सलोनी बिना कोई लम्हा गंवाये गांड उछाल उछाल कर पूरा लौडा चुत में लेकर चुदवाने लगती है. राहुल अब भी नज़र गड़ाये अपनी मम्मी के मोठे मुम्मो और उनके बिच की गहरी खायी में उचलते उसके मंगलसूत्र को देख रहा था.

"अब तोह्......खुश्......है न तु..........देख तेरे लिये.......अह......मंगलसूत्र पेहन लिया है............उफ्फ्........बोल अब खुश है न..........." सलोनी सिस्कियों के बिच रुक रुक कर बोलती है.

"हय मम्मी.......में.......आज तोह्....अपने सच में....... ....दील खुश कर दिया........उफफफ्फ्फ्फफ्.......मम्मी आपके मोठे मोठे दुधु के बिच आपका मंगलसूत्र कितना सुन्दर लगता है..........हायीईइई..........कितनो दिनों से मेरी एहि तम्मना थी..........अखिर आज आपने पूरी कर ही दि" 

"तुने पहले क्यों नहीं बताया रे...........मेरे लाल.........तेरी हर ख़्वाहिश पुरी. .......अः.....करूंगी...........खैर अब तू खुश है न?......." 

"बहुत ज्यादा मम्मी...........बहुत ज्यादा..."राहुल सलोनी के मुम्मो को दोनों हाथ में पकड़ मसलने लगता है.

"हय तोह फिर मुझे भी............हाए.......,....उउंह........मुझे भी खुश करदे बेटा......" सलोनी हिचकियां लेती बोलती है.

"क्या करूँ मम्मी.......बोलो.......में सब कुछ करने के लिए तैयार हुण.......आप बोल कर देखिये......" राहुल जोश में सलोनी के निप्पल उमेठता केहता है.

"आले...........धीरे मरोड़......हये जालिम..........तु बास इतना कर..........ऊऊफफफफफफफ.......नीचे से ज़ोर लाग.......हयईई........मेरी चुत में अपना लंड पेल......हाये में छूटने वाली थी......जब तूने........ओहह मा........अपनी डिमांड रख दि.......मंगलसूत्र की......" 

"बस इतनी सी बात.......अभी देखो तुमारी चुत की क्या हालत करता हु..........." राहुल पूरे जोश में था. वो अपनी मम्मी के मुम्मो को कस्स कर दबाता है और निचे से अपनी गांड पूरे ज़ोर से उचलता है, उधर सलोनी अपनी चुत लंड पर दबाती है. लंड बंदूक से निकलि गोली की तेरह चुत में प्रवेश हो जाता है
"आआईई...........ओह.......मा.........हह.......लग ज़ोर बेटा.....हाये....शाबाश्...लगा ज़ोर........."

ओर फिर दोनों माँ बेटा निचे ऊपर से एक दूसरे की ताल से ताल मिलाते भयंकर चुदाई करने लगते है. लौडा चुत में इतने वेग से इतनी ताकत से अंदर घुसता था के सलोनी और राहुल दोनों करह उठते थे. 
"आह्......हाए.......हाए.........बेटा...बेटा........" सलोनी की सिसकियाँ गूँज रही थी.
..........यह ले......यह ले.....मम्मी.......अः....." राहुल हर बार लंड पेलता कराह उठता था.

"ठप थपाथप.." सलोनी के नितम्ब राहुल की जांघो पर चोट कर रहे थे.

"फच्.....फच........फुस........" सलोनी की बरसाती चुत और उसके बेटे के मोठे लौडे के बिच जबरदस्त जंग से पूरे कमरे में शोर शराबा गूँज रहा था.

"रुख.....रुक.......हैयी..रुकककक......." सलोनी उस ताबड़तोड़ चुदाई में ब्रेक लगाती है. उसक बदन कांप रहा था. चुत में सँकुचन होना सुरु हो चुका था.

"मम्मी हाय अब मत रोको.......मेरा बस निकलने ही वाला है.....प्लीस........मम्मी...." राहुल अपने टट्टों में वीर्य उबलता हुआ महसूस कर रहा था.

"बस एक सेकंड बेटा.......में भी छूटने वाली हु......हये मेरा दिल कर रहा था........" सलोनी झटके से राहुल का लंड अपनी चुत से निकल देती है और फिर तेज़ी से राहुल की जांघो पर मुंह घुमा कर बैठ जाती है. इस बार फरक मात्र इत्तना था के उसका मुंह राहुल के पांव की और था जबके राहुल के सामने अपनी मम्मी की गांड उसके भरे सुडौल गोल मटोल कुल्हे थे. सलोनी बिना एक भी पल गंवाये लंड को पकड़ उस पर अपनी चुत टिकाती है और धम्म से लौडा वापस उसकी चुत में समां जाता है.

"हयै....मुझे बास इस तेरह चुदना था........पगले ...........हये मेरा बहुत दिल कर रहा था. सलोनी अपने हाथों से राहुल की टाँगे पकड़ झुक जाती है और दनादन अपनी चुत को लौडे पर ठोकने लगती है.

"ईश्......आह्.........हाए.........." सलोनी बुरी तेरह सिसक रही थी. इस पोजीशन में लौडा सीधा उसकी चुत के डेन को रगड़ रहा था. उसका बदन बुरी तेरह कम्प रहा था. चुत लौडे को कभी कस्स रही थी कभी ढीला छोड़ देती थी.

"हेयी बेटा....बस अब में करीब ही हुण........आंह्...मेरे लालल... .....मेर....बच्चे.........आह्ह्ह्हह्हह्ह्...." 

"मेरा भी मम्मी........हाय मेरा भी......" राहुल तड़पता हुआ बोल उठता है. सलोनी के झुक कर उसके लौडे पर उछलने के कारन वो उसकी गांड के छेद को बिलकुल साफ़ साफ़ देख सकता था. राहुल अपना अँगूठा
अपनी मम्मी की गांड के छेद पर दबाता है और ज़ोर लगाकर उसे उसकी गांड में पेल देता है. सलोनी बेटे की इस हरकत से एकदम सिखर पर पहुँच जाती है. 

"हहहयये........उफ...आबबब मेरी गांड पर............आआह्ह्ह्हह........आँख रख ली तूने............" सलोनी अखिरी झट्कोण का मज़ा लेती केहती है.

"हाये मम्मी..........में नहीं बल्कि तेरी गांड तरस रही है मेरे लौडे के लिये............बोल कब्ब मरवायेगी अपनी गंड...........मम्मी.......कब्ब मेरा लंड अपनी गांड में लेगि" राहुल अपना अँगूठा गांड में आगे पीछे करता केहता है. गांड का छेद ईतना तंग था के अँगूठा बहुत मुश्किल से अंदर बाहर हो रहा था. राहुल इस बात का ख्याल आते ही बहुत खुश हो जाता है के इतनी टाइट गांड में लंड पेल्ने का कितना मज़ा आएग.

"मार लेना..........मेरे लाल.......मार...........अपनी मम्मी की गांड भी मार लेना...........हये तुझे अपनी गांड नहीं दूंगी तोह किसे दूंगी...........आआअह्हह्ह्.....लेकिन ........लेकिन.......ऊफफ्फ्फफ्फ्फ्.....अभी मेरी चुत में अपना लौडा पेल......हय में बास छूटने वाली हुण........." सलोनी की बात सुन राहुल ख़ुशी से झूम उठता है. वो तुरंत सलोनी की कमर पकडता है. इस बार वो निचे से अपनी कमर नहीं उछलता बस वो सलोनी की कमर को पकड़ उसे पूरे ज़ोर से अपने लौडे पर मारने लगता है
"येह ले......यह ले.......ल......ले मम्मी........चुड़ मेरे लौडे स......." 
"आजह.......हाए........हायी......ठायी....ऊऊह्ह्हह्ह्...... म......................सभाश.......सबाश्.......पेल द....उयउछ...पेल......पेल.......पेल....... आईए.............ही भगवान.........आह्...." सलोनी राहुल के लौडे पर झड़ना सुरु कर देती है. वो राहुल की टांगो को कस्स कर दबोच लेती है. राहुल अपनी मम्मी की चुत से अपने लौडे के साथ ढेर सारा रस निकालता भी देख रहा था. चुत से लौडा और रस्स का बहकर आने का दृश्य इतणा उत्तेजक था के राहुल से भी रहा नहीं जाता और उसका लौडा भी पिचकारियां मारनी सुरु कर देता है. राहुल अब भी सलोनी की चुत में दनदन लौडा पेले जा रहा था. उसकी चुत से वो उसके रस्स के साथ अपनी मलाई भी निकलती देख सकता था.

"वोच्.....हये मेरी चुत........मेरी चुत...........ही भगवान........मेरे बेटे ने मेरी चुत फाड् दि...........हये मेरी चुत.........हये मार चुत........उउउफफ्फ्फ्फफ्......" सलोनी अब भी चीखती चिल्लाती झड रही थी. उसका दाना रगडता राहुल का मोटा लौडा उसे जन्नत की सैर करवा रहा था. वो अपनी सुध बुध खो बैठि थी.
मम्मी......." राहुल के टट्टे खाली हो चुके थे. वो संत पढता जा रहा था.

"मेरे बेटे......मेरे बच्चे......मेरे लाललललल............." सलोनी सिसकती राहुल की टांगो पर ढेर हो चुकी थी. कुछ लम्हो बाद राहुल अपनी मम्मी की कमर पकड़ उसे वापस पीछे को खींचता है. सलोनी भी थोड़ी हिम्मत करती है. वो उठती हुयी पीछे को अपने बेटे के बदन पर पीठ के बल लेत जाती है और फिर धीरे से लुढक कर उसकी बगल में हो जाती है. राहुल अपनी मम्मी की तरफ हल्का सा घूम कर उसे अपने बदन से थोड़ा कस्स लेता है. सलोनी बेटे के सीने पर अपनी बाँह लपेट अपना सर उसके कंधे पर रख देती है
 
जहान उस कमरे में कुछ लम्हे पहले सिसकियां, आहो कराहों की चीखो पुकार मची हुयी थी वहीँ अब बिलकुल शान्ति थी. दोनों माँ बेटा कुछ पलों बाद गहरी नींद के आग़ोश में समां चुके थे.
राहुल की जब्ब नींद टूटी तोह सुबह हो चुकी थी. कमरे में खिड़की से हलकी हलकी रौशनी अंदर आ रही थी. सूर्य अभी नहीं चढा था. राहुल कुछ समय यूँ ही ऑंखे बंद किये सुबह की ताज़ग़ी को महसूस करता है, उसे अपने दाहिने बाजु के साथ कंधे को कोमल स्पर्श महसूस हो रहा था, वो धीरे से करवट लेता है और कोहनी के बल उचक कर अपनी मम्मी को देखता है.
सलोनी अभी भी नींद में थी. उसका चेहरा एकदम शांत था. उसकी सांस नियन्त्रित और बहुत धीमि थी. उसकी सांस के साथ साथ उसका सिना धीरे धीरे उठ रहा था, निचे गिर रहा था. राहुल उसके सीने को यूँ चादर के ऊपर से भली भाँति ऊपर निचे होते देख सकता था. भले ही सलोनी ने चादर ओढ़ रखी थी मगर अंदर वो पुरी तरह से नंगी थी. उसके मोठे मुम्मो ने चादर को ऊँचा उठाया हुआ था.
राहुल धीरे से सलोनी के चेहरे पर बिखरे बालों को हटा देता है. सलोनी धीरे से नींद में कुनमुनाती है और फिर से शांत हो जाती है. राहुल मुसकरा उठता है. नींद की ख़ुमारी में दुनिया से बेख़बर सलोनी का चेहरा कितना भव्य दिख रहा था. बिना किसी मेकअप के वो कितनी हसीं दीखती थी. उसके चेहरे के सौंदर्य में ऐसा आकर्षण था जो राहुल को बेबस कर देता था. जैसे लोहा चुम्बक के आकर्षण में बढ़ा उसकी और खींचता चला जाता है वैसे ही राहुल अपनी मम्मी के आकर्षण में बढ़ा दिन दुनिया सभी भूल जाता था. वो उसके होंठो को गौर से देखता है. 

राहुल धीरे से सलोनी का माथा चूम लेता है. राहुल चेहरा उठकर देखता है, सलोनी की निद्रा में कोई बाधा नहीं पढ़ी थी, उसके होंठ धीरे से बहुत ही कोमलता से उसकी आँखों को चूम लेते है. फिर वो अपने लरजते होंठ आँखों के बिच उसकी नाक पर रखता है और उसे जगह जगह चूमता निचे की और आता है. वो नाक की नोंक पर खास करके जहान उसने बालि पहनी हुयी थी वहां बार बार चूमता है. फिर वो अपना चेहरा उठा कर देखता है.


सलोनी की सांस अनियंत्रित थी. वो नाक सिकोडने लगी थी. उसके होंठ थोड़े खुल गए थे. वो जाग रही थी. राहुल का ध्यान अपनी मम्मी के उन रसीले गुलाबी होंठो पर जाता है तोह वो अपना चेहरा निचे करके उसके खुले होंठो को चूम लेता है. सलोनी अपनी ऑंखे खोल देती है. राहुल उसकी आँखों में देखता उसके होंठो को चूमता रहता है. सलोनी कुछ देर यूँ ही नींद टूटने की वजह से चुपचाप अपने बेटे को देखति पढ़ी रहती है. राहुल सलोनी के होंठो को अपने होंठो में भर कर चूम चुस रहा था, उन्हें अपने होंठो में दबा रहा था मगर प्यार से, कोमलता से. सलोनी उसकी गर्दन में बाहें डाल उसकी पीठ पर हाथ बांद लेती है.
"उऊउउउउउम्मम्मम्म..........कया है........सोने दो न बेटा..........मुझे अभी और सोना है.........." सलोनी राहुल के होंठ हटाते ही उससे धीरे से कहती है.
" तोह सो जायो न मुम्मी........में तुम्हे कोण सा रोक रहा हुण..........." राहुल फिर से सलोनी के नाज़ुक होंठो को अपने होंठो में भर लेता है जो अब उसके मुख रस्स से भीगे हुए थे. अब सलोनी भी धीरे धीरे से बेटे के होंठो को चूम रही थी.
"तुम्हारा दिल अभी तक्क भरा नही. कल शाम से आधी रात तक्क मुझे पकडे रखा. पूरा बदन दुःख रहा है मेरा.........." सलोनी इस बार राहुल के होंठ हटाते ही उससे शिकायत करती है. रात की जबरदस्त मेहनत के बाद उसके अंग अंग में मीठे दर्द की लहरें उठ रही थी. 
"मेरा दिल इस जनम में तोह नहीं भरने वाला.........वाईसे भी जिसकी मम्मी आप जैसी सुन्दर हो उसका दिल कभी नहीं भर सकता..........." राहुल सलोनी के होंठो पर बार बार चुम्बन अंकित करते हुए बोलता है.
"सच में अपनी मीठी मीठी बातों से तू किसी भी लड़की को पटा सकता है........" सलोनी मुस्कराती है. राहुल उसकी नाक से अपनी नाक रगड रहा था. 
"मुझे जो लड़की पटनी थी उसे मैंने पटा लिया है.........और अब हर रोज़ हम दोनों मस्ती करते हैं........." राहुल हँसता है.
"धतत्त........में कोई लड़की थोड़े ही हु........." सलोनी नखरीले अंदाज़ में बोलती है.
"उम्म्म्म्म मगर कोई लड़की तुम्हारे आगे नहीं ठहर सकती..........तुम तोह परी हो.......बल्कि मेरे लिए तो परियों से भी बढ़कर हो.........." 
"बस कर........बस कर...........उउउउफ्फ्फ्फफ्फ्फ्फफ्.........ओ तारीफ उतनी किया करो जितनी हज़्म हो जाए..........." सलोनी हंस रही थी.
राहुल उठ कर बैठ जाता है और फिर सलोनी ने जो चादर ओढ़ी हुयी थी, उसका सिरा पकड़ लेता है और उसे निचे खिसकने लगता है. चादर धीरे धीरे सलोनी के सीने पर दोनों पहाडों की चोटियों पर चढ़ने लगती है. चादर का सिरा जैसे जैसे ऊपर उठ रहा था उसके निचे छिपा बेशकीमती खज़ाना सामने आता जा रहा था. चादर का सिरा आखिरकार मुम्मो के मोठे निप्पलो
मैं फ़ांस गया. राहुल ने चादर वहीँ छोड़ि और दोनों हाथों से निप्पलों के ऊपर से चादर को पकड़ा. 
"उम्म्म्मममं............" सलोनी राहुल की चूमा चाटि से अकड चुके अपने निप्पलों पर उसका स्पर्श पाते ही आह भर उठती है. राहुल चादर हटा कर सलोनी की जांघो से निचे तक्क कर देता है. सलोनी की चुट के होंठो पर, उसकी जांघो पर, चुत के उपरी बालों पर राहुल के प्यार के निशान थे, जिन पर वीर्य सुखा हुआ था. राहुल अपनी मम्मी की मुलायम जांघो पर हाथ फेरता धीरे से उसकी चुत के ऊपर रख देता है. वो बड़े ही प्यार से कोमलता से चुत को सहलाता है.
"म्मम्माह्ह्हम्मम्मम्मम्म......................." सलोनी फिर से आह भरती है. उसकी चुत गिली होने लगी थी, निप्पल अकड चुके थे बदन में उत्तेजना और मादकता छाती जा रही थी. राहुल का हाथ कुछ देर चुत को सेहलाने के बाद ऊपर की और बढ़ता है. वो अपनी ऊँगली से सलोनी की गहरी मगर छोटी सी नाभि को कुछ देर कुरेदते है और फिर वो अपना हाथ ऊपर उसके मुम्मो पर ले जाता है.
सलोनी के नरम, मुलायम मुम्मो का स्पर्श पाते ही राहुल का आकड़ा हुआ लंड ज़ोरों से झटके खाने लगता है. 
"उऊउउउनंनंग्गघहहहहः.............आआह्ह्ह्हह" सलोनी अपने निप्पलों पर राहुल के हाथ का स्पर्श पाते ही कसमसा उठती है. सुबह की ठंडक और राहुल का कोमल स्पर्श पाकर उसके निप्पल और भी अकड गए थे. उसके पूरे बदन में सनसनाहट भरती जा रही थी. राहुल थोड़ा सा आगे को झुकता है और सलोनी के निप्पलों को अपने होंठो में भर लेता है. 
"ऊऊह्ह्ह्हह्ह्..........बेटा........." सलोनी अपने निप्पल पर राहुल की खुर्दरी जीव्हा की रगड़ पाते ही हौले से सिसक पड़ती है. 
सलोनी के निप्पल काफी लम्बे और मोठे थे, जिस कारन उन्हें अपने होंठो में भरकर चुसना बहुत आसान था. राहुल बड़े ही प्यार से अपनी मम्मी के निप्पलों को चूसता है और उतने ही प्यार से उसका हाथ दूसरे मुम्मे को सहलाता है. राहुल की जीव्हा की रगड़ पाकर सलोनी की चुत और भी तेज़ी से पाणी बहाने लगती है. राहुल कोमलता से सलोनी का मुम्मा चुसता रहता है, कभी उसकी जीव्हा तोह कभी उसके दांत निप्पल के साथ खेलत रेह्ते है. कभी कभी वो जितना हो सकता था, सलोनी के मुम्मे को मुंह में भर कर चूसता और कभी कभी सिर्फ अपनी जीव्हा से पूरे मुम्मे को चाटने लगता. सलोनी उसकी हर हरकत पर धीरे धीरे सिसक रही थी. वो पूरी तरह उत्तेजित थी. उसकी जंघा पर ठोकर मार रहा राहुल का कठोर लंड उसे बता रहा था के वो भी कितना उत्तेजित है. मगर राहुल को कोई जल्दबाज़ी नहीं थी. वो बड़े ही आराम आराम से अपनी माँ के मुम्मो को बदल बदल कर चुस्ता, चुमता, चाटता उन्हें प्यार कर रहा था. सलोनी उसके बालों में उँगलियाँ फेरती सुबह की ताज़ग़ी में बेटे के प्यार में डुब रही थी.

आखिरकार कोई आधे घंटे बाद जाकर राहुल ने सलोनी के मुम्मे से अपना मुंह हटाया. वो उठकर अपनी मम्मी की टैंगो के बिच चला गया. सलोनी ने खुद अपनी टांगे चौड़ी करदि. राहुल ने अपना बुरी तेरह आकड़ा हुआ लंड अपनी मम्मी की गिली चुत पर लगाता है और उसके ऊपर लेट जाता है. वो सलोनी के होंठो को अपने होंठो में भर लेता है और उन्हें चूसता हुए अपनी कमर को आगे को धकेलता है. सलोनी की गिली चुत से लंड फ़िसल जाता है. सलोनी बेटे के मुंह में अपनी जीव्हा धकेल कर उसके चुम्बन का जवाब देती है और साथ ही अपना हाथ निचे लेजाकर राहुल का लंड पकड़ कर निशाने पर रखती है. राहुल के होंठो को अपने होंठो में भर वो उसे अपनी आँखों से इशारा करती है. राहुल फिर से अपनी कमर आगे को धकेलता है. लंड का सुपडा चुत को फ़ैलाने लगता है. सलोनी उसे मज़बूती से थामे रखती है और फिसलने नहीं देती. सुपडा चुत के अंदर दाखिल हो जाता है.
 
ूउम्मम्मःहःहः......." सलोनी सिसकती राहुल के होंठ को काट देती है. वो अपना हाथ लंड से हटाकर दोनों हाथों को राहुल के कुल्हों पर रखकर उन्हें दबाती है. राहुल इशारा समज कर अपना लंड चुत में उतारने लगता है. भीगी चुत में लंड आसानी से समाता जा रहा था. एकबार लंड पूरा चुत में घुस जाता है तोह सलोनी राहुल के कुल्हों से हाथ हटा उसके कन्धो को थाम लेती है. 
"उउउउउउउउग्ग्ग्हःहःहः...,.................." राहुल धीरे धीरे कमर हिलानी शुरू करता है और सलोनी राहुल के होंठो को चुस्ने लगती है.

राहुल बड़े ही प्यार से अपनी मम्मी को चोद रहा था. आज उसे कोई जल्दबाजी नहीं थी. सलोनी को भी एक अलग ही तरह का आनंद प्रपात हो रहा था. उसकी गिली चुत को जड तक्क रगडता उसके बेटे का लंड उसकी चुत में ऐसी ही सनसनी पैदा कर रहा था के उसके पूरे जिसम में सनसनाहट की लहरें फ़ैलती जाती थी.

इस बार जब राहुल और सलोनी के होंठ अलग होते हैं तोह वो अपना चेहरा ऊपर उठकर उसकी आँखों में देखता है. सलोनी भी उसकी आँखों में देखति है. राहुल अपना लंड सुपाडे तक निकाल कर आराम से अंदर डालने लगता है. बेटे का लंड जब्ब माँ की मख़मली चुत को रगडता उसके गर्भाशय से टकराता है तोह माँ ऑंखे बंद कर सीत्कार भर उठती है. सलोनी ऑंखे खोलती है तोह राहुल फिर से लंड पूरा बाहर निकाल वापस उसी धीमि रफ़्तार से चुत में पेल देता है.
सलोनी के होंठो से एक धीमि मगर बहुत ही मादक सी सिसकि फूट पड़ती है. उसकी ऑंखे फिर से बंद हो जाती है. राहुल अपनी मम्मी की आँखों में देखता इसी तरह उसे धीरे धीरे चोदता है. अपनी मम्मी को यूँ चोदना और फिर उसके चेहरे पर यूँ कामूकता और मादकता देखना, चुदाई से मिलने वाले आनंद से उसके होंठो से विस्फारित होती उसकी मीठी सिस्कियों को सुनना, सब मिल कर राहुल के आनंद को दूगना चोगुना कर रहे थे. खुद सलोनी बेटे के लंड से चुत मरवाती उसे अपने चेहरे को यूँ घुरते देख कुछ रोमाँच सा महसूस कर रही थी.

"उऊं......ऎसे क्या देख रहा है?..........." सलोनी बेटे के कंधे पर दबाव देकर उसके चेहरे को अपने चेहरे पर झुका लेती है. अब दोनों माँ बेटे के होंठ लगभग एक दूसरे के होठोसे छू रहे थे.

"कुछ नही.......बस यूँ ही.........ऊयंम्ममम.......यून करते हुए आपको देखने में बहुत मज़ा आता है मम्मी.........." राहुल अपने लंड को लगातार चुत में पेले जा रहा था.

"हुम................बड़े अलग शोक हैं तेरे........." सलोनी अपनी टांगे बेटे की पीठ पर लपेट अपने पांव उसकी गांड के ऊपर बांध लेती है.

"उह.....कया करू मुम्मी.........तुम हो ही ऐसी..........तुम्हरी कैसे भी लूँ मगर हर बार पहले से भी ज्यादा मज़ा आता है..................." राहुल मुस्कराता हुआ अपनी मम्मी के होंठ चूम लेता है.

"मगर आज बहुत...........ओह..........आज बहुत धीरे धीरे ले रहा है............... अपनी मम्मी को चोद रहा है या प्यार कर रहा है........हुँठ्हः..." सलोनी चुंबन का जवाब देती है.

"प्यार तोह में हमेशा करता हुन मम्मी............. चाहे आपकी कैसे भी लू.........मगर आज नजाने क्यों दिल कर रहा था के ऐसे ही धीरे धीरे आपकी लेता रहुं.............घंटो ऐसे ही धीरे धीरे आपके अंदर अपना डालता रहुं...........बस आज मन कुछ नया करने को कर रहा था.............." राहुल सलोनी के होंठो पर लगातार चुम्बन अंकित करता उसे चोदे जा रहा था.


"यह तोह आज साहब का मूड कुछ नया करने का है...............उम..........मेरे पास एक आईडिया है.......आह्ह्ह्हह......हम दोनों का दिल भी बहाल जायेगा..............और मज़ा भी बहुत आएगा......." सलोनी सिस्कियों के बिच चुदवाते हुए कहती है.


"केसा आईडिया मुम्मी............." राहुल एकदम धक्के रोककर कोतुहल से पूछता है.

"उम्........बताती हुं.......मगर तू रुक क्यों गया..........हाईए अपना लौडा पेलना जरी रख........." सलोनी चुदाई रुक जाने पर तूरुंत राहुल को बोल उठती है. उसे इतना मीठा सा मज़ा आ रहा था के चुदाई रुकना उसे बिलकुल भी अच्चा नहीं लगा.

"अब बतायो भी मुम्मी........." राहुल व्यग्रता से पूछता है

"देख तोह मज़े लेने के नए आईडिया को सुन्ने के लिए किस तरह तड़प रहा है ........... बताती हुन .........बताती हुण............में सोच रही थी तुम इतने दिनों से घर पर हो..........ना ही बाहर गए हो........ना ही अपने दोस्तों से मिले हो............तो मैंने सोचा क्यों न उन्हें यहाँ बुला लूँ........" सलोनी मुस्कराती है.

"किस लिए?????..........कीस लिए???........राहुल चुदाई रोककर एकदम गम्भीर स्वर में अपनी मम्मी से पूछता है. राहुल की चुदाई रोक देणे और यकायक इतने गम्भीर हो जाने से सलोनी के होंठो की मुस्कराहट गहरी हो जाती है.

"उम्..........में सोच रही थी अगर तुम्हारे दोस्त आ आयेंगे तोह हम दोनों का मन बहाल जाएगा........घर के माहोल में नयापन सा आ जाएगा............तुम भी उनके साथ मस्ती करके अपना दिल खुश कर लेना.......में भी तुम्हारे दोस्तों के साथ थोड़ी बहुत मस्ती करके अपना मन बहला लूँगी ...............थोडा टेस्ट बदल जाएगा........" सलोनी बहुत ही शरारती और रहसयमयी ढंग से मुस्करा रही थी.

"कैसी......केसी मस्ती........" राहुल के सीने में उसका दिल ज़ोरों से धड़क रहा था, साथ ही साथ उसे अपने दिल में एक चीज की लहर सी दौडती महसूस हो रही थी. उसका का दिल जैसे जल रहा था. 

"मस्ती कैसी?........जैसी हम दोनों करते है.........तुमहारे दोस्त भी खुश हो जाएंगे..........." सलोनी राहुल को आँख मरती है.

राहुल एक पल के लिए अपनी मम्मी को देखता है जैसे उसे उसकी बात समज ही न आई हो. फिर वो तुरुंत ज़ोर से झटका मारकर सलोनी के ऊपर से उतर जाता है. वो इतने बल से सलोनी के ऊपर से हटा था के सलोनी की टांगो और उसकी बाँहों के जोड़ एक ही झटके से खुल गए थे

राहुल बेड से निचे उतर अपनी मम्मी की और देख रहा था. उसके चेहरे पर घोर अविश्वास के भाव थे. उसे जैसे यकीन नहीं हो रहा था. फिर यकायक उसके चेहरे के भाव बदल जाते है, उसका चेहरा ग़ुस्से से लाल हो जाता है लेकिन फिर अचानक से उसका चेहरा पीला पढ़ जाता है. उसके होंठ कांप रहे थे. उसके चेहरे पर तीव्र असहनीय पीड़ा के ऐसे भाव थे जैसे कोई उसका दिल अपनी मुट्ठि में भरकर निचोड़ रहा था. सलोनी को अपनी ग़लती का एहसास हो चुका था.

"बेटा......में मज़ाक़ कर रही थी..........में सच में मज़ाक़ कर रही थी......." सलोनी बेड पर उठकर बेटे की और बढ़ती है. 

मगर राहुल ने जैसे उसकी बात सुनि ही नहीं थी. उसके गाल आंसूयों से भीगने लगे थे. जैसे ही सलोनी ने बेड से उतरना चाहा, वो तेज़ी से पलटा और कमरे से बाहर निकल गया. अपने पीछे उसने भड़क से दरवाजा बंद कर दिया. 

सलोनी झटके से बेड से निचे उतरती है. बेटे की ऐसी प्रतिकीया की उसने सपने में भी उम्मीद नहीं की थी. 

"राहुल सुनो......सूनो बेटा......रुको में सच कहती हुन में मज़ाक़ कर रही थी......." सलोनी नंगी ही बेटे के पीछे भागती है.
 
सलोनी जब कमरे से बाहर निकल राहुल की तरफ भागती है तोह वो सीढ़ियों के उपरी हिस्से तक्क पहुँच चुका था. राहुल -राहुल पुकारती सलोनी अभी सीढियाँ चढ़ रही थी के राहुल के कमरे का दरवाजा भड़क की ज़ोरदार आवाज़ के साथ बंद हो जाता है. सलोनी हाँफती हुयी राहुल के दरवाजे को खोलने की कोशिश करती है मगर वो अंदर से बंद था. वो दरवाजा खटखटती है.

"राहुल.......राहुल....... बेटा........दरवाजा खोलो.........में मजाक कर रही थी........." सलोनी राहुल को समझाने की कोशिश करती है. मगर राहुल दरवाजा नहीं खोलता.

"आप जायिये यहाँसे .....मुझे आपसे कोई बात नहीं करनी है........" राहुल का तीखा कठोर स्वर सुनायी पढता है. 

"बेटा सुनो........अखिर तुम्हे यकीन क्यों नहीं होता........मैने कल सब्जी मंडी में भी तुम्हे बताया था न के आज तक मैंने तुम्हारे पापा के सिवा किसी के साथ सम्बन्ध नहीं बनाया........सिर्फ एक तुम हो........में तोह तुम्हे छेड रही थी बेटा........में मजाक कर रही थी............." सलोनी नंगी बेटे के दरवाजे के बाहर खड़ी उसे बार बार पुकार रही थी, समझा रही थी मगर राहुल कोई बात सुनने के लिए तैयार नहीं था.

"बेटा दरवाजा खोलो.........खोलों भी........देखो मैं तुमसे बार बार कह रही हुण........तुम मेरा यकीन क्यों नहीं करते.........प्लीज् दरवाजा खोलों बेटा........" मगर दरवाजा नहीं खुलता. सलोनी इतने समय से खड़ी खड़ी थक्क चुकी थी. वो नंगी ही ठन्डे फर्श पर बैठ जाती है.

अंदर राहुल अपने हातों में सर दबाये रो रहा था. उसकी आँखों से आंसू बह रहे थे. उसकी माँ को कोई और छुये वो यह विचार भी बर्दाशत नहीं कर सकता था. वो तो कभी अपने घर पर अपने दोस्तों तक को नहीं लाता था क्योंके वो उसकी माँ को गंदि, घिनोनी नज़र से देखते थे. और वो कैसे बर्दाशत करता उसके दोस्त उसकी माँ के नंगे बदन को छूएँ, उसकी माँ के पवित्र देह से खिलवाड करे. नहीं वो यह कभी बर्दाश्त नहीं कर सकता था.

"बेटा दरवाजा खोलो.........देखो में तुम्हे कब से कह रही हु......मैने मज़ाक़ किया था........तुम क्यों बात को इतना बढा रहे हो...........में कोई बाज़ारू रंडी हु...........जो हर किसी के सामने........." सलोनी थोड़ा सा भावुक होते कहती है. मगर दरवाजा नहीं खुलता.

"प्लीज् बेटा...मान जाओ......क्यों इतना सता रहे हो.......मा हु तुम्हारी............मा को इस तरह कोई दुःख देता है क्या...........प्लीज् दरवाजा खोल दो बेटा......." मगर दरवाजा नहीं खुलता.

"बेटा अगर तुम्हे लगता है के मैंने ग़लती की है तोह मुझे जो चाहे सजा दे दो........मगर दरवाजा खोल दो......दरवाजा खोल दो बेटा......प्लीज् बेटा......प्लीस....." सलोनी रुआँसे स्वर में बोली. राहुल अपना चेहरा उठकर दरवाजे की और देखता है. वो अपनी मम्मी को यूँ मिन्नतें करते देख बहुत दुखी था. वो तोह कभी सपने में भी उसे दुखी नहीं देख सकता था मगर उसकी मम्मी ने जो कहा था वो उसके लिए असहनीय था. राहुल की आत्मा तड़प उठि थी. लेकिन वो इस तरह अपनी माँ को रोते बिलखते भी दरवाजे के बाहर नहीं सुन सकता था. 

"आप जायिये यहाँसे .........मुझे कुछ समय के लिए अकेला छोड़ दीजिये" राहुल आखिरकार अपनी माँ को जवाब देता है. सलोनी कुछ पल चुप रहती है. फिर उसे लगता है के यही ठीक रहेगा के उसे कुछ समय के लिए अकेला छोड़ दिया जाये तब तक उसका गुस्सा कुछ शांत हो जायेगा बाकि वो खुद संभाल लेगी.

"ठीक है बेटा.......में जा रही हु........में तुम्हारे लिए नाश्ता बनाकर लाती हु.........." सलोनी दरवाजे से हट जाती है.

"मुझे आपका नाश्ता वाश्ता नहीं चाहिए......आप मेरे दोस्तों को जाकर नाश्ता खिलाइये जिनके साथ आपने मस्ती करनी है, अपना मन बहलाना है" 
राहुल के लफ़ज़ जहर बुझे तीर की तरह सलोनी के दिल में चुभ जाते है. वो कुछ कहने के लिए अपना मुंह खोलती है मगर फिर कुछ सोचकर न बोलने का फैसला करती है. उसका बेटा अभी बहुत ग़ुस्से में था, उसे उस समय कुछ कहना आग में घी ड़ालने के बराबर था सही एहि था के उसे कुछ समय के लिए अकेला छोड़ दिया जाये. सलोनी ठण्डी आह भरती निचे की और जाने लगती है.
 
सलोनी निचे जाकर अपने कपडे पहनती है और फिर बैडरूम की हालत सुधारती है. पूरा बैडरूम उनकी काम क्रीड़ा की सुगंध में डुबा हुआ था. वो बेड की चादर बदलती है और कमरे की खिड़कियाँ खोल देती है. एक पल के लिए उसे यकीन नहीं होता के वो अभी चंद मिनट पहले उस बेड पर अपने बेटे से चुद रही थी, पिछली आधी रात तक जिस तरह उसके बेटे ने उसे चोदा था उसके बाद वो उसकी बात पे ऐसे गुस्सा करेगा उसने सपने में भी नहीं सोचा था. वो बेड की चादर और कुछ कपडे वाशिंग मशीन में धुलने के लिए डाल देती है और फिर घर की थोड़ी बहुत सफाई करने लगी है. अखिरकार वो फ्री होकर बाथरूम जाती है और ब्रश करके हाथ मुंह धोती है और फिर किचन का रुख करती है.

सलोनी राहुल के लिए स्पेशल आलू के परांठे बनाती है जो उसका सबसे फेवरेट नाश्ता था. पराठे और फिर एक फ्लास्क में चाय डालकर वो ऊपर लेकर जाती है. राहुल का दरवाजा अभी भी बंद था. दो घंटे गुज़र चुके थे

राहुल अपनी मम्मी के जाने के काफी समय बाद तक रोता रहा. मगर अंत-तहा उसके आंसू सुख गये. उसके दिल का उबाल निकल गया. अखिरकार फर्श पर बैठे बैठे वो इतना थक गया की उसे उठना पड़ा. उसके पूरे जिस्म पर रात की जबरदस्त चुदाई के सबूत थे, उसके और उसकी मम्मी के कामरस के सबूत. और फिर सुबह की चुदाई और फिर उसके बाद इतना रोने से उसका पूरा हुलिया बिगड़ा हुआ था. वो उठकर बाथरूम में जाता है और नहाने लगता है. नहा धोकर वो कपडे पहनता है और अपने बेड पर लेट जाता है. अब वो दुःखी नहीं था मगर अभी भी उसके दिल में अपनी मम्मी के लिए जबरदस्त गुस्सा था. वो आखिर ऐसी बात सोच भी कैसे सकती है. वो यह स्वीकार नहीं कर पा रहा था की सलोनी ने उसके साथ मज़ाक़ किया था.


राहुल टीवी लगाता है मगर फिर बंद कर देता है. वो उठ कर कमरे में टहलने लगता है. उसका दिल किसी काम में नहीं लग रहा था. असल में उसे बेहद्द तेज़ भूख लगी थी. रात की जबरदस्त चुदाई और फिर सुबह के किस्से के बाद उसका नाश्ता वैसे ही बहुत लेट हो चुका था मगर अब उसकी माँ को गए भी तो कितना समय हो चुका था. वो कह कर गयी थी की वो उसके लिए नाश्ता बनाकर ला रही है फिर अभी तक आई क्यों नही, यह सोचकर राहुल को हैरानी हो रही थी. उसका दिल किसी अनहोनी के लिए भी धड़क रहा था. आज उसने अपनी मम्मी के साथ बहुत बुरा बर्ताव किया था. वो कैसे बार बार उसकी मिन्नतें कर रही थी. मालूम नहीं उसकी कैसी हालत होगी. राहुल को सलोनी की चिंता भी हो रही थी और उसका दिल कह रहा है की वो जाकर एक बार उसे देख कर आये मगर वो खुद को अपनी मम्मी के सामने कमज़ोर भी साबित नहीं करना चाहता था. लेकिन वो कर क्या रही थी, नाश्ता बनाने में कोई दो घंटे थोड़े न लगते है. राहुल की चिंता बढ़ती जा रही थी, ऊपर से उसे भूख सता रही थी. बैचैनी से वो कमरे में इधर से उधर चक्कर काट रहा था और फैसला करने की कोशिश कर रहा था की उसे निचे जाना चाहिए या नहि. कहीं न कहीं उसका गर्व उसे निचे जाने से रोक रहा था मगर अपनी मम्मी की चिंता भी उसके मन को अशांत किये हुए थी.


तभी उसे सीढ़ियों पर कदमो की आहट सुनायी देती है. उसके दिल में सुकून की लहर दौड जाती है. वो दरवाजा खोलकर देखना चाहता था मगर किसी तरह वो खुद पर काबू रखता है.

"राहुल......बेटा...." आखिरकार राहुल के कानो में उसकी मम्मी की आवाज़ गूँजती है और वो चैन की लम्बी सांस लेता है. सलोनी की आवाज़ से मालूम चल रहा था के वो एकदम ठीक थी.

"बेटा में तुम्हारे लिए नाश्ता लायी हुं......यहां बाहर रखा है.........मुझे मालूम है तुम मुझसे बहुत नराज़ हो........अगर तुम मुझसे बात नहीं करना चाहते तो ठीक है में निचे जा रही हु मगर प्लीज खाना खा लो........." सलोनी इतना बोलकर खाने की थाली और चाय की फ्लास्क डोर के सामने मगर उससे काफी दूर रख देती है. फिर वो जानबूझकर अपनी सैंडल्स की ऐड़ियों से ऊँची आवाज करती निचे जाने लगती है. सिढ़ियों के निचे पहुंचकर वो अपनी सैंडल्स उतरती है और वापस ऊपर जाती है. वो पंजो के बल हलके हलके पैर रखती बिना कोई आवाज़ किये गेस्ट बैडरूम में जाती है और धीरे से दरवाजा खोल कर अंदर घुस जाती है. अपने पीछे वो दरवाजा बंद नहीं करती बल्कि उसमे हल्का सा ग्याप रखती है. मगर उस ग्याप से वो राहुल के कमरे के सामने फर्श पर रखी थाली देख सकती थी.
 
सलोनी सांस रोके खड़ी रहती है. कोई पांच मिनट के बाद राहुल का दरवाजा खुलने की हलकी सी आवाज़ आती है. राहुल ने बहुत धीरे से दतवाजा खोला था के कोई आवाज़ न हो मगर सलोनी की सभी इन्द्रियां उस समय राहुल के कमरे में होने वाली किसी भी हलचल पर केन्द्रीत थी. राहुल कमरे से बाहर निकालकर इधर उधर ऐसे देखता है जैसे कोई चोर चोरी करने के वक़त देखता है. सलोनी के होंठो पर मुस्कान फैल जाती है. वो राहत की सांस लेती है. राहुल पक्का करने के बाद के कोई उसे देख नहीं रहा, खाने की थाली और फ्लास्क उठता है और कमरे में घुश कर दरवाज बंद कर लेता है. सलोनी लगभग हँसति हुयी निचे जाती है. वो कमरे में जाकर लेट जाती है. वो बहुत थकान महसुस कर रही थी, सुबह से इतना काम करना पड़ा था और ऊपर से राहुल के साथ झगडा. वो एक आधा घंटा सोना चाहती थी.


राहुल खाने का सामान बेड पर रखता है. थाली से आ रही आलू के पराठे की तेज़ गंध ने उसकी भूख को कई गुणा बढा दिया था. मगर थाली में एक फोल्ड किया हुआ पेपर भी था जिसके ऊपर कुछ लिखा हुआ था. राहुल पेपर उठा कर पढता है.

"मैं गयारह बजे तुम्हारे रूम की सफायी करने आउंगी. दरवाजा खुला रखना. अगर तुम नहीं चाहते तो में तुमसे बात नहीं करुँगी" राहुल पेपर वापस थाली में रखकर नाश्ते में जुट जाता है. शायद उसकी भूख इतनी तेज़ थी या फिर सलोनी के हाथ का कमाल था, पराठा इतना टेस्टी था के उसका मन खुश हो जाता है. चाय की चुस्कियाँ लेता वो अब अपनी मम्मी के लिखे खत के बारे में सोचता है. वो कमरे की सफायी करने आ रही थी लेकिन वो दरवाजा नहीं खोलेगा. उसे सजा मिलनि चाहिए थी ताके वो कभी दोबारा ऐसी बात न कह सके. राहुल जिसका मन अभी कुछ समय पहले किसी काम में नहीं लग रहा था, नाश्ते के बाद उसके मूड में जबरदस्त बदलाव आ गया था वो अपनी बुक्स उठाकर पढ़ने लगता है. 

सलोनी की जब आँख खुलती है तोह क्लॉक पर गयारह बजने में अभी दस् मिनट बाकि थे. वो उठकर हाथ मुंह धोती है. अब वो कुछ फ्रेश महसूस कर रही थी. वो ऊपर राहुल के कमरे की और जाती है. उसके होंठो पर मुस्कराहट थी, उसे पक्का यकीन था. उधऱ राहुल घडी पर बार बार समय देख रहा था. एक तरफ वो अपनी मम्मी से मिलना नहीं चाहता था और दूसरी तरफ उसे बेसब्री से गयारह बजने का इंतज़ार था. मगर समय जैसे उसके लिए रुका हुआ था, घडी की सुईआं जैसे जाम हो गयी थी. जब गयारह वजने में पन्द्रह मिनट रह गए तो अपने निस्चय के खिलाफ वो खुद उठता है और अपने कमरे का लॉक खोल देता है. वो वापस कुरसी पर बैठकर पढ़ने की कोशिश करने लगता है. मगर उसका धयान पढ़ाई में बिलकुल नहीं था. वो अपने कान लागए ध्यान से सीढ़ियों से आने वाली किसी आहट का इंतजार कर रहा था. गयारह बज चुके थे मगर सलोनी कमरे में नहीं आई. राहुल बेचैनी से पहलू बदल रहा था. उसे लगा सायद वाल क्लॉक सही समय नहीं दिखा रहा था शायद उसकी बैटरी ख़तम हो गयी थी. राहुल उठकर टेबल से अपना फ़ोन उठता है, मगर समय सही था. गयारह बजकर पांच मिनट हो चुके द. राहुल थाली में से पेपर उठकर पढता है के कहीं उसे पढ़ने में तोह भूल नहीं हो गई. मगर पेपर पर गयारह बजे का समय लिखा था.

"वो आ क्यों नहीं रहि" वो बेचैन होकर खुद से दोहराता है. तभी सीढ़ियों पर सैंडल की थक्क थक्क की आवाज़ आती है. राहुल मुस्कराता हुआ भाग कर अपनी कुरसी पर बैठ जाता है और अपना धयान सामने पड़ी बुक में लगा देता है. उसका दिल जोरों से धड़क रहा था.
 
सिडियोसे से आती कदमो की आहट तेज़ और तेज़ होती जाती है. आवाज़ उसके कमरे के बाहर आकर थम जाती है. राहुल अपने धडकते दिल को थाम लेता है. उसकी ऑंखे अपने सामने टेबल पर रखी किताब पर थी मगर उसका पूरा ध्यान दरवाजे की और था. दो पलों के इंतज़ार के बाद बिलकुल धीमे से हंडेल घुमता है और सलोनी कमरे का दरवाजा खोल कर अंदर देखति है. राहुल अपनी आंखों के कोने से अपनी मम्मी को पजामा-शर्ट में दरवाजे की चोकट पर खड़े देखता है. राहुल का दिल और भी ज़ोरों से धड़कने लगता है. सलोनी एक पल के लिए वहीँ खड़ी कमरे का जायजा लेती है. उसका पूरा चेहरा खिला हुआ था, होंठो पर जैसे शरारती सी मुस्कान चिपक कर रह गयी थी. 

राहुल अपनी नोटबुक में कुछ लिखने का नाटक कर रहा था मगर उसके हाथ बुरी तरह से कांप रहे थे. सलोनी उसकी कुरसी के पीछे से चलति बेड के पास जाती है और उसे सँवारने लगती है. उसके बाद वो अटैच्ड बाथरूम में जाकर सफायी करती है. इसके बाद वो फिरसे कमरे में आती है और फर्श पर झाड़ू लगाती है. राहुल का पूरा ध्यान किताब में था मगर कमरे में हल्की सी सरसराहट भी उससे बचकर नहीं जा सकती थी. सलोनी पूरे रूम की सफायी करने के बाद राहुल के टेबल के पास जाकर खड़ी हो गयी. राहुल अपने मुंह पर हाथ रखे अपनी साँसों को कण्ट्रोल करने की पूरी कोशिह कर रहा था. उसे डर था उसकी बेकाबू गहरी साँसों का शोर उसकी एक्ससाइटमेंट का राज़ उसकी सलोनी के सामने न खोल दे. पहले तोह राहुल नहीं हिला मगर जब सलोनी बद्स्तूर वहीँ खड़ी रही तोह उसे उठना ही पडा. वो उठ कर बेड पर बैठ जाता है. सलोनी टेबल और फिर कुरसी साफ़ करती और फिर राहुल की बुक्स और लैपटॉप को वापस व्यबश्थित करके वहां से हट जाती है. राहुल वापस अपनी कुरसी पर बैठ जाता है. सलोनी बाथरूम से राहुल के धोने वाले कपडे लेकर वापस कमरे में आती है और दरवाजे की और बढ़ती है. वो दरवाजा खोलकर चोकट पर घुमकर राहुल को देखति है, वो सर झुकाए बैठा था. सलोनी का ध्यान उसकी कम्कम्पाती हुयी तांग पर जाता है जिसे वो अपने हाथ से दबाकर उसका कम्पन रोकने की कोशिश कर रहा था. सलोनी के होंठो पर मुस्कान आ जाती है और वो धीरे से मुड कर कमरे से बाहर चलि जाती है और अपने पीछे दरवाजा बंद कर देती है. 


राहुल कुछ समय कुरसी पर बैठा रहता है जब तक के सलोनी के कदमो की आहट वापस सीढ़ियों से उतरने के समय तक आती रहती है. वो सर घुमा कर दरवाजे की और देखता है और फिर उठ कर कमरे में घुमने लगता है. वो कब से इंतज़ार कर रहा था के वो आये. और वो आई और आकर चलि गयी? क्या बस एहि करना था उसे? क्या वो बस एहि करने आई थी. सफाई करने के लिए? और उसका क्या? उसके बेटे का क्या? उसे मालूम नहीं के में कब से उसका वेट कर रहा था? अब क्या वो चाहती है के में उससे माफ़ी मांगू? गलती वो करे और माफ़ी में मांगू? राहुल के दिमाग में सवालो की जंग छिड़ी हुयी थी.


आब माँ-बेटे के झगडे में सुलह दोनों पक्ष चाहते थे मगर सुलह के लिए पहल कोई भी नहीं कर रहा था. सलोनी अपनी तरफ से कोई कोशिश नहीं कर रही थी और राहुल चाहते हुए भी करना नहीं चाहता था. उसकी मर्दानगी उसे झुकने से मना कर रही थी लेकिन इस तरह मम्मी से दूर भी नहीं रहा जाता था. वो करे तोह काया करे. 'सारा क़सूर उसकी मम्मी का ही है' राहुल एहि सोच रहा था. 'पहले ग़लती करो बाद में अकड दिखाओ राहुल मन ही मन अपनी मम्मी पर खीज उठा था. 'ठीक है अगर वो नहीं चाहती तोह फिर में भी उससे कोई बात नहीं कुरूँगा. वो खुद मिन्नतें करेगी फिर भी नहि बुलाऊंगा. 

राहुल को गुस्सा आ रहा था. सलोनी को गए अभी मुश्किल से पांच मिनट ही हुए थे मगर उसकी बैचेनी देख कर ऐसा लगता था जैसे उसे अपनी मम्मी से बिछुड़े सालों हो गए हो. एक तरफ वो अपनी मम्मी से गुस्सा था और दूसरी तरफ वो उससे मिलने के लिए तड़फता था. एक तरफ वो उसे उसकी ग़लती की सजा देना चाहता था दूसरी तरफ वो उसके प्यार के लिए उसके साथ के लिए तडफ रहा था.


सलोनी को गए कोई पन्द्रह मिनट बीते होंगे की फिर से सीढियाँ चढ़ने की आहट सुनायी देणे लगी. राहुल का दिल धड़क उठता है. क्या वो फिरसे उसके कमरे में आ रही थी. कदमो की आहट सीढ़ियों से उसके कमरे की तरफ आने लगी. राहुल का पूरा चेहरा खील उठा. वो भाग कर अपनी कुरसी पर बैठ गया और अपने सामने किताब खोल ली. उसके अंदर ख़ुशी की लहर दौड गयी और वो पूरी तरह से भूल गया था की अभी कुछ पल पहले अपनी मम्मी पर किस तरह गुस्सा कर रहा था.सच कहा है किसीने सेक्स में आदमी दिमाग से नही अपने लंड से सोचता है.
 
दरवाजा खुलता है और सलोनी कमरे में दाखिल होती है. राहुल का दिल ज़ोरों से धड़क रहा था की वो अब क्या करने आई होगी. सफाई तोह वो कर चुकी थी. शायद अब वो उसे समझाएगी, उसे मनायेगी लेकिन वो इतनी आसानी से नहीं मानेगा. सलोनी सीधी राहुल के पास जाती है और उसके टेबल पर एक प्लेट में जूस का गिलास रख देती है. राहुल नज़र उठाकर जूस की और देखता है. तभी सलोनी राहुल की और मुड़ती है और उसकी बगल में खड़ी होकर उसका चेहरा अपने हाथों में थाम उसे ऊपर को उठाती है और फिर तेज़ी से अपना चेहरा उसके चेहरे पर झुकाती है. अगले ही पल सलोनी के होंठ राहुल के होंठो से जूड्ड जाते हैं और वो उसके होंठो को अपने होंठो में भरकर चूमने लगती है. राहुल अपना सर हिलाकर चुम्बन तोड़ने की कोशिश करता है मगर सलोनी उसका चेहरा कस्स कर अपने हाथों में पकडे रखती है और उसके होंठ चूमती, चाटती उन्हें चुस्ती है. अखिरकार जब वो अपना चेहरा ऊपर उठाती है तोह राहुल उसकी और ग़ुस्से से देखता है. सलोनी अपने कंधे मासुमियत से झटकती है. राहुल उठकर बेड से वो फोल्ड किया हुआ पेपर उठाता है जो सुबह सलोनी ने उसके खाने की थाली में रखर दिया था और जिस पर लिखा था के अगर राहुल बात नहीं करना चाहता तोह सलोनी उससे बात नहीं करेगी मगर वो खाना जरूर खा ले. राहुल पेपर उठाकर सलोनी का हाथ पकड़ उसपे ज़ोर से पेपर रखता है. सलोनी पेपर को देखति है और सहसा उसके होंठो पर बड़ी ही नट्खट सी मुस्कान फैल जाती है. राहुल उसकी और कोतुहल से देखता है. सलोनी पेपर को पकडती है और उसे राहुल के सामने करती है और फिर उसे खोलती है. 

राहुल ध्यान से देखता है. पेपर के अंदर भी कुछ लिख हुआ था. राहुल पढता है "लेकिन तुमसे बात करने के सिवा सब कुछ करुँगी. तुम्हे चूमुंगी भी, चूसूंगी भी, चाटूँगी भी और अगर मेरा दिल कुछ और करने का होगा तोह वो भी करुँगी. अगर तुमने खाना खा लिया तोह में समझूँगी के तुम्हे मेरी शर्त मंजूर है" 

राहुल ठगा सा अपनी मम्मी को देखता है. सलोनी के चेहरे पर विजेता की मुस्कान थी. उसकी मम्मी उसके साथ इतनी बड़ी चाल करेगी वो सोच भी नहीं सकता था. उसने पेपर के अंदर लिख कर उसे चालाकी से फोल्ड कर दिया था और फिर बाहर लिख दिया था. राहुल के दिमाग में एक बार भी नहीं आया था की फोल्ड के अंदर भी कुछ लिखा हो सकता था. सलोनी मुस्कराती हुयी कमरे से बाहर चलि जाती है. राहुल हालांकि अपनी मम्मी की होशियारी पर स्तब्ध था मगर दिल ही दिल में वो खुश था और फिर उसने उसे चूमा भी तोह था. राहुल अभी भी अपने होंठो पर अपनी मम्मी के मीठे मुखरस को महसूस कर सकता था. 

मुस्कराते हुए राहुल जूस पिने के लिए गिलास उठाता है. तभी वो देखता है के गिलास के निचे एक कागज़ फोल्ड करके रखा हुआ था. राहुल जूस का गिलास रखता है और कागज़ खोलता है. उसपे उसके अंदाज़े अनुसार उसकी मम्मी ने कुछ लिखा हुआ था.

"मैं नहाने जा रही हु. कोई आधे घंटे बाद आउंगी, नारियल का तेल लेकर, तैयार रेहना"
 
राहुल उस कागज़ के टुकड़े पर लिखी उन दो तीन लाइन्स को नजाने कितनी बार पढ़ चुका था. उसका चेहरा खिला हुआ था. वो कुरसी से उठ कर बेड पर लेट जाता है. अभी भी खत को अपने चेहरे के सामने देखता वो मुसकरा रहा था. वो खत को एक तरफ रख देता है और अपनी जीत पर खुश होता है. अखिरकार उसकी मम्मी ने अपनी हार मान ही ली थी. चाहे उसने अभी क़बूल नहीं किया था मगर वो उसके बिना रह नहीं पाई थी. अब वो दोबारा ऎसी बात कहने से पहले सौ बार सोचेगी. राहुल का ध्यान पेण्ट में अभी से झटके मार रहे अपने लंड पर जाता है. वो हंस पढता है और कमर उठकर अपना पायजमा अपनी जांघो तक खिसका देता है. उसका लम्बा मोटा लौडा खुली हवा में आते ही झटके मारने लगता है. पूरी तरह तना हुआ वो उसकी सलोनी की सेवा करने के लिए पूरी तरह तैयार था.


अपने लंड को सहलाते राहुल इंतज़ार करने लगा है. जहन एक तरफ उसे अपनी सलोनी का बड़ी बेसब्री से इंतज़ार था वहीँ दूसरी तरफ उसका दिल भी धड़क रहा था. वो अब अपनी मम्मी से पेश कैसे आएगा? यह सवाल उसे परेशान कर रहा था. उसकी मम्मी ने उसे मनाने कि, उससे बात करने की कोई कोशिश नहीं करी थी. अब यह सब होगा कैसे? अगर राहुल आगे बढ़कर कुछ करेगा तोह मतलब वो अपनी हार मान लेने जैसा होगा के वो अपनी मम्मी के बिना रह नहीं सकता और यह उसकी मर्दानगी को मंजूर नहीं था. मगर अब उसकी मम्मी ने पहले ही कह दिया था के अगर राहुल बात नहीं काना चाहता तो वो उससे बात नहीं करेगी तोह फिर होगा कैसे? कुछ भी हो, वो अपनी हार नहीं मानेगा. पहले मम्मी को उसे मनाना होगा. उससे माफी सलोनीगनी होगी और वादा करना होगा की वो आगे से ऐसी कोई भी बात नहीं करेगि. राहुल ने अपने दिल में फैसला कर लिया.

राहुल के दिल में सलोनी के लिए अब कोई गुस्सा कोई नाराज़गी नहीं थी. मगर वो सुलह के लिए पहला कदम हरगिज़ नहीं उठाना चाहता था. अगर उसकी मम्मी ने उससे बिना माफ़ी मांगे कुछ किया तोह वो उसका साथ हरगिज़ नहीं देगा. हा, हाँ वो उसका साथ हरगिज़ नहीं देगा. राहुल खुद को बार बार कहता है. लेकिन अगर सलोनी के आने पर वो इस तरह अपना लंड आकड़ाये सामने खड़ा होगा तो वो तो एहि सोचेगी ना के में उसके बिना रह नहीं सकता. नाहि, मुझे उसके सामने खुद को इस तरह पेश करना चाहिए के में सेक्स के बिना भी रह सकता हुण. लेकिन इसके लिए जरूरी था की वो अपने लंड को ठण्डा करे. उसका लंड अगर शांत होगा तोह वो अपनी भावनाएं बेहतर ढंग से अपनी सलोनी के सामने रख पायेगा. मगर अब समस्या भी एहि थी जैसे जैसे सलोनी के आने का समय नज़्दीक आता जा रहा था, राहुल का लंड खुद ब खुद और सख्त होता जा रहा था. अब मुश्कल से दस् मिनट बचे थे आधा घंटा पूरा होने में. अब वो क्या करे? राहुल परेशान हो जाता है. 

उसे याद आता है के अगर वो अपना ध्यान इन बातों से हटा ले तो कुछ ही मिन्टो में उसका लंड ठण्डा पड़ जाएगा. राहुल अपना फ़ोन उठाता है और गाने लगाकर ऊँची आवाज़ में म्यूजिक सुनने लगता है. मगर उसका ध्यान हट ही नहीं रहा था. लंड पत्थर क तरह सख्त था. वो खिड़की के पास चला जाता है और खिड़की खोल कर इधर उधर देखते अपना ध्यान अपनी मम्मी से हटाने की कोशिश करता है मगर बेकार. पांच मिनट बाद भी कुछ फरक नहीं पडता. लंड अभी भी लकड़ी की तरह तन कर खड़ा था. वो क्या करे? क्या करे? राहुल दिमाग दौडाता है. अब समय भी मात्र पांच मिनट बचा था. हो सकता था उसकी मम्मी पहले आ जाए. राहुल के दिमाग में कुछ नहीं आ रहा था. वो कूलर से ठन्डे पाणी का गिलास भर कर पिता है. पानी कुछ ज्यादा ही ठण्डा था. अचानक राहुल का चेहरा खील उठता है. ठंडा पानि, हाँ ठन्डे पाणी से बात बन सकती थी, राहुल सोचता है. उसे अच्छी तरह से याद था एक बार ठन्डे पाणी में नहाने के बाद उसका लंड सिकुड कर किस तरह छोटा सा हो गया था.

राहुल पाणी का गिलास भरकर बाथरूम में जाता है और अपना पायजामा उतार कर लंड पर धीरे धीरे पाणी गिराने लगता है. ठन्डे पाणी की आकड़े हुए लंड पर सनसनी कुछ ज्यादा ही थी. पानी का गिलास ख़तम हो जाता है. राहुल ध्यान से देखता है. उसका लंड हल्का सा नरम पड़ गया था. वो भागकर फिरसे एक गिलास भरता है. कूलर में बहुत पानी था. पानी भरकर राहुल वापस लंड पर गिराने लगता है. इस बार गिलास ख़तम होते होते लंड में बदलाव साफ़ नज़र आने लगा था. राहुल एक के बाद एक गिलास पाणी डालता जाता है. पांच गिलास ख़तम होते होते लंड लगभग पूरी तरह सिकुड चुका था. राहुल के होंटो पर मुस्कान आ जाती है. समय लगभग ख़तम हो चुका था और ऊपर से ठन्डे पानी के कारन उसे बहुत तेज़ पेशाब भी आया हुआ था . वो तेज़ी से अपना पायजामा पहनता है और पेशाब करके कमरे में जाता है. एक मिनट बाकी था.
 
राहुल अपने तेज़ी से धड़कते दिल के साथ सलोनी के आने का इंतज़ार करता है. उसे लग रहा था शायद वो अब भी पिछली बार की तरह लेट आएगी. मगर ठीक एक मिनट बाद उसे सीढ़ियों पर आहट सुनाई देती है. सलोनी इस बार ठीक समय पर ऊपर आ रही थी. राहुल के होंठो पर फिरसे मुस्कान आ जाती है मगर अगले ही पल वो खुद को इतनी बेकरारी के लिए कोस्ता है और खुद को याद दिलाता है की उसे सख्ती से पेश आना है जब तक की उसकी मम्मी उससे माफी न मांग ले. कदमो की आहट लगभग उसके दरवाजे तक पहुंच गयी थी. राहुल तेज़ी से पयजामे के ऊपर से अपना लंड टटोल कर देखता है. वो बिलकुल शांत था. राहुल के धडकते दिल को चैन की सांस आती है. वो अपने सामने किताब खोल कर उसे पढ़ने का नाटक करने लगता है.

दरवाजा खुलता है और सलोनी कमरे में दाखिल होती है. तीव्र इच्छा के बाद भी राहुल किसी तरह खुद को दरवाजे की और देखने से रोक लेता है. सलोनी चलति हुयी उसके पास आती है. वो एकदम उसके पास खड़ी थी. राहुल को अचानक एक बहुत ही प्यारी सी खुशबु का एहसास होता है. सलोनी ने कोई बहुत बढ़िया परफ्यूम लगया था. राहुल ने चेहरा झुकाये था और वो आँखों के कोने से देखता है के उसकी मम्मी की जाँघे नंगी थी. सलोनी दो कदम और आगे बढती है और अपने और बेटे के बिच की दूरी ख़तम कर देती है. सलोनी उसका हाथ पकडती है और उसके हाथ में चाय का कप पकडाती है. राहुल चाय पकडता अपनी नज़र इस बार अपनी मम्मी की तरफ उठाता है यह कोशिश करते हुए के उसका चेहरा उसके दिल का हाल न बता दे. सलोनी पर नज़र पढते ही उसके जिस्म में जैसे करंट दौड जाता है. सलोनी ने राहुल की एक शर्ट पहनी थी और उसके निचे उसने एक बहुत शार्ट- शार्ट पहना हुआ था. राहुल की ऑंखे एक पल के लिए उसके बड़े सीने पर जाती है. सलोनी के भारी मम्मो ने टाइट शर्ट को सामने से ऊपर उठा दिया था. कैसे वो उसके ऊपर उभरे थे. पतली सी शर्ट के ऊपर उसके निप्पल इस कदर उभरे हुए थे के देखकर सहज ही अंदाज़ा लगाया जा सकता था के उसने निचे ब्रा नहीं पहनी थी. मगर जिस बात ने राहुल की नस नस को झकझोर दिया था वो था सलोनी का रूप. वो आज ऐसे दमक रही थी के राहुल की ऑंखे चौंधिया गयी थी. उसने बाल जुड़े की शकल में बाँधे हुए थे. उसकी मांग में सिन्दूर भरा हुआ था और माथे पर जहान से सिन्दूर की लकीर सुरु होती थी, ठीक उसके निचे एक लम्बी सी बिंदिया थी. चेहरे पर हल्का सा मेकअप था. उसके रसीले होंठो पर गहरी लाल लिपस्टिक लगी थी. शर्ट की बाहे मूडी हुयी थी और आज उसने दोनों हाथों में चूडियां भी पहनी हुयी थी. नाक की बालि और कांन के झुमके उसके रूप को क़ातिलाना बना रहे थे अगर कोई कसर बाकि थी तोह वो उसकी शर्ट में झाँकते दूधिया मुम्मो के बिच लटकते उसके काले मंगलसूत्र ने पूरी कर दी थी. सलोनी ने कुछ खास ऐसा नहीं पहना था जो बहुत बेशकीमती हो, या फिर बहुत ज्यादा फैशनेबुल हो. वो सीधा सादा भारतीय नारी का रूप था. मगर एहि तोह ख़ासियत थी के सलोनी इतनी रूपवती थी के उसका वो सिंपल लुक जहा एक तरफ देखने में अविश्वनीय तौर पर सुन्दर था वहीँ उसका वो रूप इतना कमनीय था, इतना मादक था के राहुल की साँसे भारी होने लगी.

"क्या बात है आज तोह बहुत पढाई हो रही है, सुबह से लगता है के कुरसी से उठे ही नहीं हो" अचानक सलोनी मुस्कराती बेटे से कह उठती है. झगडे के बाद वो पहली दफ़ा बेटे से बात कर रही थी.

राहुल को अपनी सलोनी के बोल सुनाइ देते हैं तो वो अपनी तन्द्रा से बाहर आता है. वो नजाने कब्ब से अपनी मम्मी को घूरे जा रहा था. राहुल चाय का कप लेकर अपना मुंह घुमा लेता है. शर्म से उसके गाल लाल हो गए थे. एक तरफ वो अपनी मम्मी के हुस्न को दाद दे रहा था और दूसरी तरफ यूँ उसे घूरने के लिए खुद को कोस भी रहा था. वो मुंह दूसरी तरफ घुमाकर चाय पिने लगता है ताकि सलोनी की हृदय भेदी नज़रों से बच सके. सलोनी ने उससे बात करने की शुरुवात की थी और वो चाह रहा था के वो जलद से जलद उससे माफ़ी मांग ले ताकी उसे इस ड्रामे से छुटकारा मिल सके. अपनी मम्मी के ऐसे चमचमते रूप को देखने के बाद खुद को उसे बाँहों में भरने से रोकना बेहद्द मुश्किल था. उसके हाथ उसके होंठ तडफ रहे थे. वो उसके अंग अंग को छुना चाहता था, सहलाना चाहता था, चुमना चाहता था. उसे घंटो प्यार करना चाहता था. बस वो एक बार माफ़ी मांग ले. अगर वो एक बार सिर्फ सॉरी भी बोल देगी तोह राहुल तुरंत झगडे का अंत कर देगा. राहुल बेसब्री से सलोनी के माफ़ी मांगने का इंतज़ार कर रहा था ताकी वो उसे जी भर कर दुलार सके, प्यार कर सके और उसे बता सके के वो उसके बिना कितना तड़फा है.

सलोनी राहुल की कुरसी अपनी तरफ घुमाति है. रोटरिंग चेयर होने के कारन राहुल का रुख टेबल से घूम कर अपनी मम्मी की तरफ हो जाता है. वो उसकी और कडवी नज़र से देखने की कोशिश करता है मगर सलोनी मुस्कराती हुयी उसके घुटनो के पास निचे बैठ जाती है.
 
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