desiaks
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अपडेट 19
ओ अभी भी अपनी नजरे झुकाए हुए बैठि थि, और उसके चेहरे पर एक प्यारी सी स्माइल थी....
ड्रिंक के साथ स्नैक्स खाते हुए वो नोर्मल्ली बातें करने लगते है पर भारती अभी भी चुप थी और कनखियों से सतीश को देख रही थी सतीश की नजरे भी बार बार उसकी तरफ चलि जाती...
सागर उन दोनों की हरकतों को देख रहा था...
सागर अपनी कोल्ड ड्रिंक खत्म.करने के बाद...
सागर उठते हुये- “भाई मुझे जरुरी काम से जाना है तू बैठ मे आधे घंटे मे आता हु”...
सतीश- “मे भी साथ चलता हु”..
सागर- “तू बैठ और बाइक की की मुझे दे”.....
सागर सतीश से बाइक की की लेकर बाहर निकल जाता है, अब घर मे केवल भारती और सतीश ही थे....
पूरे घर मे एकदम सन्नाटा फैल गया था... दोनों ही कुछ बोलना चाह रहे थे पर हिम्मत किसी की नहि हो रही थी....
सतीश हिम्मत करके अपनी जगह से उठता है और भारती के पास जाकर बैठ जाता है...
इससे पहले की सतीश कुछ कहता भारती अपनी जगह से उठ कर आगे बढ़ जाती है, सतीश उठ कर पीछे से उसका हाथ पकड़ लेता है....
सतीश- “जान अभी तक नाराज हो क्या?
भारती पलट कर सतीश की तरफ देखति है....
“चटाकककक..... एक थप्पड़ की गुंज से पूरे कमरे मे फैला सन्नाटा ख़तम होता है....
ये थप्पड़ भारती ने सतीश के बाए गाल पर जड़ा था... थप्पड़ की गुंज ख़तम होते ही कमरे मे एक बार फिर से सन्नाटा हो जाता है...
भारती के चेहरे पर अब काफी गुस्सा था जिसे देखकर सतीश के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है, और वो अपना दाया गाल आगे बड़ा देता है....
“चटाककक... एक बार फिर से थप्पड़ की आवाज से घर गुंज उठता है....
सतीश भारती की और देखता है, उसकी आँखों मे आँसु थे सतीश अपना बाया गाल फिर से आगे कर देता है....
भारती ग़ुस्से से उसके छाती मे एक के बाद एक कई घुसे मारती है, और फिर उसके सीने से लग कर सुबकने लगती है... सतीश भी उसे अपनी बाँहों मे जकड लेता है...
भारती सुबकते हुये- तुम बहुत बुरे हो सतीश, मुझसे मिलने के लिए भी टाइम नहि है तुम्हारे पास... पता है आज पुरे ५ महीने और ११ दिन और ४ घंटे बाद मिले हो... तुम्हे एक पल को भी मेरी याद नहि आई”...
सतीश- ५ महीने ११ दिन ४ घंटे २० मीनट. और ४० सेकंद. एक्साक्ट्ली.... और मेरी लाइफ का एक भी मिनट ऐसा नहि गया जब मैंने तुम्हे याद न किया हो....
भारती सतीश की आँखों मे देखते हुए – “झुठ मत बोलो अगर तुमने मुझे इतना याद किया तो मिलने क्यों नहि आये ???
सतीश- “यही बात अगर मे तुमसे कहु तो.... अगर इतना ही तुम मुझे.मीस कर रही थी मिलने तो,तुम भी आ सकती थी”.....
भारती अभी भी सतीश के सीने से लगी खड़ी थी और भारती की सांसे उसे अपने चेहरे पर महसूश हो रही थि, अगर भारती की जगह कोई और लड़की सतीश के इतने करीब होती तो बेशक उसका लंड खड़ा हो चुका होता पर भारती के इतने करीब होने के बावजूद भी उसमे कोई हलचल नहि थी... और ये सब प्यार के कारन था सतीश के मन मे भारती के लिए कभी भी कोई गलत ख्याल नहि आया.... बिना एक दूसरे को आई लव यु बोले वो एक दूसरे को बेइन्तेहा प्यार करते थे....
दोनो एक दूसरे के आँखों मे खो गए थे....
भारती- “तो ठीक है अब मैं ही तुमसे मिलने आ जाया करुँगी”....
ओर इतना कहकर भारती वापस अपना चेहरा सतीश की छाती मे छुपा लेती है...
सतीश- “एक बात कहु भारती”...
भारती- “ह्म्म्म”
सतीश- “तुमने थप्पड़ बहुत जोर से मारे थे... अभी तक कान झनझना रहे है”....
भारती हस् देती है...
भारती- “देख लो बच्चू अगर तुमने दोबारा ऐसी ग़लती करी न तो तुम्हारा बैंड बजा दूँगी”....
सतीश- “जब मे आया था तो मुझे गेट पर लगा की तुम मुझे देख कर काफी खुश हो और शायद मुझसे नाराज नहि हो”....
भारती- “हमम, खुश तो मे बहुत.थी पर नाराज भी बहुत थी वो तो उस समय सागर भाईया थे वरना उसी समय तेरा मोड़ देती”....
सतीश- “कोई बात नहि उस समय नहि तो अब तो तोड़ ही दिया ना”....
भारती सतीश से अलग होते हुये- “क्या वाक़ई मे बहुत तेजी से पड़ गया हाथ”....
सतीश अपने चेहरे पर मासुमियत लाते हुये- “बहुत तेज”....
भारती उसके करीब आते हुये- “तो क्यों दिलाते हो मुझे इतना गुस्सा पता है ये तेरे गाल पर पड़ा ६० वा थप्पड़ था”...
ओर भारती अपने पंजो पर खड़े होकर सतीश के लेफ्ट गाल पर अपने होंठ रख देती है, और फिर राईट गाल पर भी अपने होंठ रख देती है...
कब वो अपने होंठ सतीश के होंठो के पास लाती है, दोनों एक दूसरे की आँखों मे झाकते है.... और फिर भारती की पलके बंद हो जाती है और वो अपने होंठ सतीश के होंठो की और बड़ा देती है, दोनों के होंठ किसी भी समय एक हो सकते थे.....
पर इससे पहले की भारती अपने होंठो को सतीश के होंठो पर रख देति, सतीश झटके से पीछे हट जाता है... और उसकी इस हरकत से भारती जोकि सतीश के सहारे खड़ी हुई थि, लडखडा जाती है पर इससे पहले की वो गिर जाती सतीश उसे थाम लेता है और भारती अपने चेहरे पर आश्चर्य के भाव लाकर उसकी तरफ देखति है....
ओ अभी भी अपनी नजरे झुकाए हुए बैठि थि, और उसके चेहरे पर एक प्यारी सी स्माइल थी....
ड्रिंक के साथ स्नैक्स खाते हुए वो नोर्मल्ली बातें करने लगते है पर भारती अभी भी चुप थी और कनखियों से सतीश को देख रही थी सतीश की नजरे भी बार बार उसकी तरफ चलि जाती...
सागर उन दोनों की हरकतों को देख रहा था...
सागर अपनी कोल्ड ड्रिंक खत्म.करने के बाद...
सागर उठते हुये- “भाई मुझे जरुरी काम से जाना है तू बैठ मे आधे घंटे मे आता हु”...
सतीश- “मे भी साथ चलता हु”..
सागर- “तू बैठ और बाइक की की मुझे दे”.....
सागर सतीश से बाइक की की लेकर बाहर निकल जाता है, अब घर मे केवल भारती और सतीश ही थे....
पूरे घर मे एकदम सन्नाटा फैल गया था... दोनों ही कुछ बोलना चाह रहे थे पर हिम्मत किसी की नहि हो रही थी....
सतीश हिम्मत करके अपनी जगह से उठता है और भारती के पास जाकर बैठ जाता है...
इससे पहले की सतीश कुछ कहता भारती अपनी जगह से उठ कर आगे बढ़ जाती है, सतीश उठ कर पीछे से उसका हाथ पकड़ लेता है....
सतीश- “जान अभी तक नाराज हो क्या?
भारती पलट कर सतीश की तरफ देखति है....
“चटाकककक..... एक थप्पड़ की गुंज से पूरे कमरे मे फैला सन्नाटा ख़तम होता है....
ये थप्पड़ भारती ने सतीश के बाए गाल पर जड़ा था... थप्पड़ की गुंज ख़तम होते ही कमरे मे एक बार फिर से सन्नाटा हो जाता है...
भारती के चेहरे पर अब काफी गुस्सा था जिसे देखकर सतीश के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है, और वो अपना दाया गाल आगे बड़ा देता है....
“चटाककक... एक बार फिर से थप्पड़ की आवाज से घर गुंज उठता है....
सतीश भारती की और देखता है, उसकी आँखों मे आँसु थे सतीश अपना बाया गाल फिर से आगे कर देता है....
भारती ग़ुस्से से उसके छाती मे एक के बाद एक कई घुसे मारती है, और फिर उसके सीने से लग कर सुबकने लगती है... सतीश भी उसे अपनी बाँहों मे जकड लेता है...
भारती सुबकते हुये- तुम बहुत बुरे हो सतीश, मुझसे मिलने के लिए भी टाइम नहि है तुम्हारे पास... पता है आज पुरे ५ महीने और ११ दिन और ४ घंटे बाद मिले हो... तुम्हे एक पल को भी मेरी याद नहि आई”...
सतीश- ५ महीने ११ दिन ४ घंटे २० मीनट. और ४० सेकंद. एक्साक्ट्ली.... और मेरी लाइफ का एक भी मिनट ऐसा नहि गया जब मैंने तुम्हे याद न किया हो....
भारती सतीश की आँखों मे देखते हुए – “झुठ मत बोलो अगर तुमने मुझे इतना याद किया तो मिलने क्यों नहि आये ???
सतीश- “यही बात अगर मे तुमसे कहु तो.... अगर इतना ही तुम मुझे.मीस कर रही थी मिलने तो,तुम भी आ सकती थी”.....
भारती अभी भी सतीश के सीने से लगी खड़ी थी और भारती की सांसे उसे अपने चेहरे पर महसूश हो रही थि, अगर भारती की जगह कोई और लड़की सतीश के इतने करीब होती तो बेशक उसका लंड खड़ा हो चुका होता पर भारती के इतने करीब होने के बावजूद भी उसमे कोई हलचल नहि थी... और ये सब प्यार के कारन था सतीश के मन मे भारती के लिए कभी भी कोई गलत ख्याल नहि आया.... बिना एक दूसरे को आई लव यु बोले वो एक दूसरे को बेइन्तेहा प्यार करते थे....
दोनो एक दूसरे के आँखों मे खो गए थे....
भारती- “तो ठीक है अब मैं ही तुमसे मिलने आ जाया करुँगी”....
ओर इतना कहकर भारती वापस अपना चेहरा सतीश की छाती मे छुपा लेती है...
सतीश- “एक बात कहु भारती”...
भारती- “ह्म्म्म”
सतीश- “तुमने थप्पड़ बहुत जोर से मारे थे... अभी तक कान झनझना रहे है”....
भारती हस् देती है...
भारती- “देख लो बच्चू अगर तुमने दोबारा ऐसी ग़लती करी न तो तुम्हारा बैंड बजा दूँगी”....
सतीश- “जब मे आया था तो मुझे गेट पर लगा की तुम मुझे देख कर काफी खुश हो और शायद मुझसे नाराज नहि हो”....
भारती- “हमम, खुश तो मे बहुत.थी पर नाराज भी बहुत थी वो तो उस समय सागर भाईया थे वरना उसी समय तेरा मोड़ देती”....
सतीश- “कोई बात नहि उस समय नहि तो अब तो तोड़ ही दिया ना”....
भारती सतीश से अलग होते हुये- “क्या वाक़ई मे बहुत तेजी से पड़ गया हाथ”....
सतीश अपने चेहरे पर मासुमियत लाते हुये- “बहुत तेज”....
भारती उसके करीब आते हुये- “तो क्यों दिलाते हो मुझे इतना गुस्सा पता है ये तेरे गाल पर पड़ा ६० वा थप्पड़ था”...
ओर भारती अपने पंजो पर खड़े होकर सतीश के लेफ्ट गाल पर अपने होंठ रख देती है, और फिर राईट गाल पर भी अपने होंठ रख देती है...
कब वो अपने होंठ सतीश के होंठो के पास लाती है, दोनों एक दूसरे की आँखों मे झाकते है.... और फिर भारती की पलके बंद हो जाती है और वो अपने होंठ सतीश के होंठो की और बड़ा देती है, दोनों के होंठ किसी भी समय एक हो सकते थे.....
पर इससे पहले की भारती अपने होंठो को सतीश के होंठो पर रख देति, सतीश झटके से पीछे हट जाता है... और उसकी इस हरकत से भारती जोकि सतीश के सहारे खड़ी हुई थि, लडखडा जाती है पर इससे पहले की वो गिर जाती सतीश उसे थाम लेता है और भारती अपने चेहरे पर आश्चर्य के भाव लाकर उसकी तरफ देखति है....