desiaks
Administrator
- Joined
- Aug 28, 2015
- Messages
- 24,893
वो फिर से मेरी ब्रा की तरफ बढ़ा तो मैंने कहा- मैंने कहा था ना कि मेरी एक शर्त होगी तो मैं मेरी शर्त कहूँ?
मेरी बात सुन कर कुणाल झुझलाकर बोला- यह शर्तों का वक्त है क्या जानू?
और फिर जब मुझे गुस्सा होते देखा तो बोला- अच्छा बोल ना, क्या शर्त है?
मैंने कहा- मैं चाहती हूँ कि तुम मुझे ऐसे ही बिना मेरे कपड़े उतारे चरमसुख दो!
आपको याद होगा यही चाहत मैंने सतीश के सामने भी रखी थी.
मेरी बात सुन कर कुणाल पूरी तरह से झुंझला गया और बोला- यार, ऐसे कहीं होता है क्या?
मैंने कहा- हाँ होता है, करो!
मेरी बात सुन कर कुणाल ने मुझे बाँहों में भरा और मेरी पैंटी के ऊपर से ही उसके लंड को मेरी चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया, उस वक्त तो ऐसा लग रहा था भाड़ में जाए हर शर्त और बस अभी इसका लंड मैं मेरी चूत में ले लूँ लेकिन मैं देखना चाहती थी कुणाल की नजरों मेँ मेरी चाहत की क्या कीमत है, इसलिए चुदवाने की इच्छा को दबा कर भी मैं अपनी शर्त पर अड़ी रही.
कुणाल थोड़ी देर तक इसी तरह मुझ पर ऊपर चड़ कर मेरी चूत को रगड़ता रहा और फिर बोला- बस यार, अब सहन नहीं होता! प्लीज यार, अंदर डालने दे ना! मैं बाद में तेरी इस शर्त को पूरा कर दूँगा!
और जब तक मैं उसे रोकती, वो मेरी ब्रा उतार चुका था और पैंटी की तरफ हाथ बढ़ा रहा था.
मैंने उससे कहा- अच्छा ठीक है, लेकिन मुझे इसे चूसना है!
और इस बात के लिए कुणाल को ना तो करना ही नहीं था, तो वो तुरंत राजी हो गया.
मेरी बात सुन कर कुणाल बिस्तर पर लेट गया और मैं उसका लंड हाथों में लेकर जोर से हिलाने लगी और जोर जोर से उसके लंड को चूसने लगी, वो भी उसके हाथों से मेरे स्तनों को दबाने की कोशिश कर रहा था और कभी उसके हाथों से मेरे बालों को पकड़ कर सहला रहा था और बीच बीच में मेरा सर जोर से उसके लंड पर दबा भी दे रहा था जिससे उसका लंड मेरे गले तक चला जा रहा था.
मैं भी लंड को अच्छे से चूस रही थी तभी कुणाल ने मेरे सर को जोर से दबाना शुरू कर दिया और वो मचलने भी लगा.
मैं समझ गई थी की कुणाल अब चरम पर पहुँचने की कगार पर है, मैंने मेरे मुँह से उसका लंड निकाला और हाथों से लंड को सहलाते हुए उससे कहा- कुणाल, तुम झड़ने वाले हो तो क्या मैं बाकी हाथ से कर दूँ, मैं मुँह में नहीं लेना चाहती.
कुणाल बोला- प्लीज, मुँह में ही ले ना! मैं बस एक मिनट और लूँगा, नहीं तो मैं अंदर डाल देता हूँ.
और यह कहते ही उसने जबरन लंड मेरे मुँह में डाल दिया और कस कर मेरे मुँह को चोदने लगा और मैं भी उतने ही प्यार से उसे चूसने लगी.
मैंने बस कुछ सेकंड ही उसे चूसा होगा और वो झड़ने लगा और उसने मेरे सर को कस कर पकड़ लिया था और उसके वीर्य की पिचकारी मेरे मुँह के अंदर तक जा रही थी और वो झटके मारता हुआ मेरे मुँह में उसका वीर्य उगलता रहा.
जब वो झटके मार कर शांत हो गया तब उसने मेरे सर को छोड़ा.
उस वक्त बड़ा ही अजीब लग रहा था वो, मुझे उबकाई भी आ रही थी तो जैसे ही कुणाल ने मुझे छोड़ा मैंने वहीं पास में वीर्य उगल दिया और अपने कपड़े उठा कर बाथरूम में चली गई. वहाँ जाकर मैंने अच्छे से कुल्ला किया और मुँह धोया, जींस में से मोबाइल निकाल कर सतीश को एस एम एस किया- मैं नीचे आ रही हूँ, कार के पास आ जा!
मैंने कपड़े पहने और बाथरूम से बाहर निकली तो कुणाल बोला- कहाँ जा रही है, अभी मत जा ना!
मैंने कहा- आज के लिए इतना काफी है शोना, बाकी बाद में!
और जब तक कुणाल कुछ कहता, मैं फ्लैट से बाहर आ चुकी थी.
जब मैं नीचे आई तो सतीश कार में ही था, मैंने कार स्टार्ट की और बिल्डिंग के बाहर निकल गई.
उस दिन और भी कुछ हुआ था जो आपको सतीश ही बताएगा,
मेरी बात सुन कर कुणाल झुझलाकर बोला- यह शर्तों का वक्त है क्या जानू?
और फिर जब मुझे गुस्सा होते देखा तो बोला- अच्छा बोल ना, क्या शर्त है?
मैंने कहा- मैं चाहती हूँ कि तुम मुझे ऐसे ही बिना मेरे कपड़े उतारे चरमसुख दो!
आपको याद होगा यही चाहत मैंने सतीश के सामने भी रखी थी.
मेरी बात सुन कर कुणाल पूरी तरह से झुंझला गया और बोला- यार, ऐसे कहीं होता है क्या?
मैंने कहा- हाँ होता है, करो!
मेरी बात सुन कर कुणाल ने मुझे बाँहों में भरा और मेरी पैंटी के ऊपर से ही उसके लंड को मेरी चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया, उस वक्त तो ऐसा लग रहा था भाड़ में जाए हर शर्त और बस अभी इसका लंड मैं मेरी चूत में ले लूँ लेकिन मैं देखना चाहती थी कुणाल की नजरों मेँ मेरी चाहत की क्या कीमत है, इसलिए चुदवाने की इच्छा को दबा कर भी मैं अपनी शर्त पर अड़ी रही.
कुणाल थोड़ी देर तक इसी तरह मुझ पर ऊपर चड़ कर मेरी चूत को रगड़ता रहा और फिर बोला- बस यार, अब सहन नहीं होता! प्लीज यार, अंदर डालने दे ना! मैं बाद में तेरी इस शर्त को पूरा कर दूँगा!
और जब तक मैं उसे रोकती, वो मेरी ब्रा उतार चुका था और पैंटी की तरफ हाथ बढ़ा रहा था.
मैंने उससे कहा- अच्छा ठीक है, लेकिन मुझे इसे चूसना है!
और इस बात के लिए कुणाल को ना तो करना ही नहीं था, तो वो तुरंत राजी हो गया.
मेरी बात सुन कर कुणाल बिस्तर पर लेट गया और मैं उसका लंड हाथों में लेकर जोर से हिलाने लगी और जोर जोर से उसके लंड को चूसने लगी, वो भी उसके हाथों से मेरे स्तनों को दबाने की कोशिश कर रहा था और कभी उसके हाथों से मेरे बालों को पकड़ कर सहला रहा था और बीच बीच में मेरा सर जोर से उसके लंड पर दबा भी दे रहा था जिससे उसका लंड मेरे गले तक चला जा रहा था.
मैं भी लंड को अच्छे से चूस रही थी तभी कुणाल ने मेरे सर को जोर से दबाना शुरू कर दिया और वो मचलने भी लगा.
मैं समझ गई थी की कुणाल अब चरम पर पहुँचने की कगार पर है, मैंने मेरे मुँह से उसका लंड निकाला और हाथों से लंड को सहलाते हुए उससे कहा- कुणाल, तुम झड़ने वाले हो तो क्या मैं बाकी हाथ से कर दूँ, मैं मुँह में नहीं लेना चाहती.
कुणाल बोला- प्लीज, मुँह में ही ले ना! मैं बस एक मिनट और लूँगा, नहीं तो मैं अंदर डाल देता हूँ.
और यह कहते ही उसने जबरन लंड मेरे मुँह में डाल दिया और कस कर मेरे मुँह को चोदने लगा और मैं भी उतने ही प्यार से उसे चूसने लगी.
मैंने बस कुछ सेकंड ही उसे चूसा होगा और वो झड़ने लगा और उसने मेरे सर को कस कर पकड़ लिया था और उसके वीर्य की पिचकारी मेरे मुँह के अंदर तक जा रही थी और वो झटके मारता हुआ मेरे मुँह में उसका वीर्य उगलता रहा.
जब वो झटके मार कर शांत हो गया तब उसने मेरे सर को छोड़ा.
उस वक्त बड़ा ही अजीब लग रहा था वो, मुझे उबकाई भी आ रही थी तो जैसे ही कुणाल ने मुझे छोड़ा मैंने वहीं पास में वीर्य उगल दिया और अपने कपड़े उठा कर बाथरूम में चली गई. वहाँ जाकर मैंने अच्छे से कुल्ला किया और मुँह धोया, जींस में से मोबाइल निकाल कर सतीश को एस एम एस किया- मैं नीचे आ रही हूँ, कार के पास आ जा!
मैंने कपड़े पहने और बाथरूम से बाहर निकली तो कुणाल बोला- कहाँ जा रही है, अभी मत जा ना!
मैंने कहा- आज के लिए इतना काफी है शोना, बाकी बाद में!
और जब तक कुणाल कुछ कहता, मैं फ्लैट से बाहर आ चुकी थी.
जब मैं नीचे आई तो सतीश कार में ही था, मैंने कार स्टार्ट की और बिल्डिंग के बाहर निकल गई.
उस दिन और भी कुछ हुआ था जो आपको सतीश ही बताएगा,