hotaks444
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“मुझे अपनी जान की कोई परवाह नही...और वैसे भी अगर तुझे कुछ हो जाता तो यह जान रख कर क्या करता मैं...एक तू ही तो है जिसके लिए मैं जी रहा हू...” करण ने प्यार से काजल का माथा चूमते हुए कहा.
अर्जुन यह सब देख रहा था. पहले उसे करण का काजल के प्रति यह प्यार देख कर नफ़रत होती थी पर आज उसे गर्व था कि ना सिर्फ़ काजल को बल्कि उसे भी एक नेक्दिल और प्यारा बड़ा भाई मिला है.
“करण इन जख़्मो से कही रेबीस ना हो जाए....?” अर्जुन ने परेशान हो के कहा. आज उसके स्वर मे अपने भाई के लिए चिंता थी.
“अरे नही भाई उस भेड़िए को रेबीस नही था....रेबीस वाले जानवरो के लक्षण उसके बर्ताव से पहचान मे आज आते है....तुम लोग मेरी फिकर मत करो और जिस काम से यहाँ आए हो वो करो...” करण ने अर्जुन को समझाते हुए कहा.
“पर भाई इन जख़्मो से इन्फेक्षन तो हो ही सकता है...एक काम करो तुम यही से वापस लौट जाओ....हम यहाँ से अकेले ही सफ़र करेंगे...”
“अर्जुन तुझे क्या लगता है अगर मैं वापस जाना भी चाहू तो इस घने जंगल मे रास्ता कैसे ढूंढूंगा....यहाँ पूरा जंगल तो एक जैसा ही लगता है...सिग्नल का पीछा करते हुए तो हम अंदर तो आ गये पर अब बाहर कैसे जाए...”
“पर करण भैया आपके इन जख़्मो का क्या...” काजल बोली.
“अरे हम तीनो मे डॉक्टर मैं हू ना...मुझे पता है कि मैं ठीक हू...खून बहना रुक गया है और अब इन्फेक्षन का ख़तरा पहले से कम है...अगर हो सके तो बस फर्स्ट एड बॉक्स से थोड़ा आंटिसेपटिक या डेटोल दे दो उस से ही काम बन जाएगा....और अब प्लीज़ मेरी बात मानो तो हमें आगे बढ़ते रहना चाहिए...शायद हम वक़्त रहते सलमा तक पहुच जाए तो शायद उसकी मदद कर पाएँगे...”
सबकी आम सहमति से तीनो आगे बढ़ने लगे. एक बार भेड़िए का हमला हो जाने के बाद तीनो बहुत चौकन्ना थे. सिग्नल अभी भी बहुत दूर से आ रहा था. वो तीनो लगातार चलते रहे और रात को कॅंप लगाने के बाद वही सो गये, क्यूकी रात होने पर तो जंगली जनवरो का ख़तरा बढ़ गया था.
सुबह की पहली किरण के साथ ही उन्होने अपना सफ़र फिर से शुरू कर दिया. वो जंगल मे अंदर और अंदर उसकी गहराई मे चलते जा रहे थे. उनको नही पता था वो कहाँ जा रहे है बस इतना पता था कि जहाँ भी जा रहे थे वहाँ से सलमा बहुत नज़दीक होगी.
यह भगवान की कृपा ही थी कि वो तीनो आइफ़ोन के सिग्नल का पीछा करते करते बॅटरी ख़तम होने से पहले पहुच पाए. आइफ़ोन झाड़ी मे एक कोने मे गिरा पड़ा था. पर तब तक काफ़ी शाम हो चुकी थी. लेकिन जब उन्होने फोन को देखा तब उन्हे आस पास सलमा कही दिखाई ना दी.
अर्जुन यह सब देख रहा था. पहले उसे करण का काजल के प्रति यह प्यार देख कर नफ़रत होती थी पर आज उसे गर्व था कि ना सिर्फ़ काजल को बल्कि उसे भी एक नेक्दिल और प्यारा बड़ा भाई मिला है.
“करण इन जख़्मो से कही रेबीस ना हो जाए....?” अर्जुन ने परेशान हो के कहा. आज उसके स्वर मे अपने भाई के लिए चिंता थी.
“अरे नही भाई उस भेड़िए को रेबीस नही था....रेबीस वाले जानवरो के लक्षण उसके बर्ताव से पहचान मे आज आते है....तुम लोग मेरी फिकर मत करो और जिस काम से यहाँ आए हो वो करो...” करण ने अर्जुन को समझाते हुए कहा.
“पर भाई इन जख़्मो से इन्फेक्षन तो हो ही सकता है...एक काम करो तुम यही से वापस लौट जाओ....हम यहाँ से अकेले ही सफ़र करेंगे...”
“अर्जुन तुझे क्या लगता है अगर मैं वापस जाना भी चाहू तो इस घने जंगल मे रास्ता कैसे ढूंढूंगा....यहाँ पूरा जंगल तो एक जैसा ही लगता है...सिग्नल का पीछा करते हुए तो हम अंदर तो आ गये पर अब बाहर कैसे जाए...”
“पर करण भैया आपके इन जख़्मो का क्या...” काजल बोली.
“अरे हम तीनो मे डॉक्टर मैं हू ना...मुझे पता है कि मैं ठीक हू...खून बहना रुक गया है और अब इन्फेक्षन का ख़तरा पहले से कम है...अगर हो सके तो बस फर्स्ट एड बॉक्स से थोड़ा आंटिसेपटिक या डेटोल दे दो उस से ही काम बन जाएगा....और अब प्लीज़ मेरी बात मानो तो हमें आगे बढ़ते रहना चाहिए...शायद हम वक़्त रहते सलमा तक पहुच जाए तो शायद उसकी मदद कर पाएँगे...”
सबकी आम सहमति से तीनो आगे बढ़ने लगे. एक बार भेड़िए का हमला हो जाने के बाद तीनो बहुत चौकन्ना थे. सिग्नल अभी भी बहुत दूर से आ रहा था. वो तीनो लगातार चलते रहे और रात को कॅंप लगाने के बाद वही सो गये, क्यूकी रात होने पर तो जंगली जनवरो का ख़तरा बढ़ गया था.
सुबह की पहली किरण के साथ ही उन्होने अपना सफ़र फिर से शुरू कर दिया. वो जंगल मे अंदर और अंदर उसकी गहराई मे चलते जा रहे थे. उनको नही पता था वो कहाँ जा रहे है बस इतना पता था कि जहाँ भी जा रहे थे वहाँ से सलमा बहुत नज़दीक होगी.
यह भगवान की कृपा ही थी कि वो तीनो आइफ़ोन के सिग्नल का पीछा करते करते बॅटरी ख़तम होने से पहले पहुच पाए. आइफ़ोन झाड़ी मे एक कोने मे गिरा पड़ा था. पर तब तक काफ़ी शाम हो चुकी थी. लेकिन जब उन्होने फोन को देखा तब उन्हे आस पास सलमा कही दिखाई ना दी.