hotaks444
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निशा ने फिर कुछ नही कहा बस अपने आँसू भरी आँखो के साथ चादर ओढ़ कर लेट गयी. वो चादर के अंदर ही रो रही थी. करण अपने आप को कोसते हुए वही बिस्तर पर लेट गया और कल के बारे मे सोचने लगा.
सुबह होते ही करण और अर्जुन आचार्य के आश्रम की ओर निकल पड़े. निशा जब सो के उठी तो उसे करण नज़र नही आया.
“कम से कम एक बार मिल के तो जाते....” निशा की आँखे फिर से डब डबा गयी और वो वही चादर मे छुप्कर रोने लगी.
इधर करण बहुत मायूस लग रहा था. वो ना तो खुल कर अपनी बीवी को कुछ बता पा रहा था और ना ही उसे कुछ छुपा पा रहा था. अर्जुन ने उसे हिम्मत बाँधते हुए कहा, “सब सही हो जाएगा भाई...भगवान के घर देर है...अंधेर नही...”
करण भी सब कुछ भगवान पर छोड़ कर आगे की सोचने लगा. कुछ घंटो के बाद अर्जुन की गाड़ी आचार्य के आश्रम तक पहुच गयी. इस बार करण को आचार्य की शक्तियो पर कोई संदेह नही था. दोनो तेज़ कदमो के साथ आश्रम मे बने हुए आचार्य की कमरे तक पहुचे.
“आओ...आओ...अर्जुन....” आचार्य ने उनका स्वागत करते हुए उनको अंदर बुलाया.
“प्रणाम आचार्य...” बोलते हुए दोनो करण और अर्जुन ने आचार्य के पाओ छु लिए.
“सदा सुखी रहो बेटा.....तुम दोनो को यहाँ दोबारा देख कर खुशी हो रही है....पर काजल बिटिया कही नज़र नही आ रही...???” आचार्य की आँखे काजल को तलाश कर रही थी, पर जब काजल नही दिखाई दी तब वो समझ गये कि ज़रूर कोई अनहोनी हो गयी है..
“आचार्य आपके बताए अनुसार हम ने तांत्रिक त्रिकाल की गुफा खोज निकाली...उस कमीने ने मेरी प्रेमिका का बलात्कार कर के उसकी बलि चढ़ा दी और...और...काजल को भी बंदी बना लिया...” अर्जुन गिड़गिडाता हुआ बोला.
“क्या....???” आचार्य चौंक गये. “यानी अब तक तो त्रिकाल अमर हो चुका होगा क्यूकी उसने आख़िरी बलि चढ़ा दी होगी...”
“नही आचार्य....मेरी प्रेमिका कुवारि नही थी...इसलिए त्रिकाल के शैतान ने उसकी बलि स्वीकार नही की...इसलिए उसने काजल को बंदी बना लिया.....कृपा कर के आचार्य कोई उपाए बताइए नही तो वो राक्षस हमारी बहन को मार डालेगा..” अर्जुन लगभग रोते हुए बोला और आचार्य के पाओ मे गिर गया.
“मूर्ख...मैने तो सिर्फ़ तुम्हे त्रिकाल के बारे मे बताया था....तुम लोग वहाँ गये क्यू...तुम लोगो को अपनी मूर्खता की ही सज़ा मिल रही है....अरे तुम लोगो को क्या लगा कि तुम लोग उसकी काले जादू के सामने टिक पाओगे....मूर्ख हो तुम लोग...मूर्ख..” आचार्य का माथा गुस्से से तम तमा गया.
“हमे माफ़ कर दीजिए आचार्य हम तो वहाँ पर अर्जुन की प्रेमिका को बचाने गये थे....हमे क्या मालूम था कि ऐसा करने से हमारी बहन ही त्रिकाल के चंगुल मे फस जाएगी..” करण भी आचार्य के सामने गिडगिडाया और उनके चरणो मे गिर गया.
“पर तुम लोग वहाँ पहुचे कैसे...” आचार्य ने गुस्सा के कहा.
फिर करण और अर्जुन ने त्रिकाल तक के गुफा का पूरा सफ़र का वर्णन आचार्य के सामने कर दिया.
“इस दुनिया मे अब एक आप ही सबसे बड़े महापुरुष है जो हमारी मदद कर सकते है....कृपया हमारी बहन और माँ को बचा लीजिए...” अर्जुन रोते हुए बोला.
आचार्य वही समाधि पर बैठ गये और ध्यान लगाने लगे. कुछ देर के ध्यान के बाद उन्होने अपनी आँखो को खोला और करण अर्जुन से कहा, “अगर त्रिकाल अमर नही हुआ है तो उसे मारा जा सकता है...”
“वो कैसे गुरुदेव....?” कारण ने पूछा.
“एक रास्ता है पर वो बहुत कठिनाइयों से भरा हुआ है...क्या तुम दोनो मे इतनी हिम्मत है..” आचार्य बोले.
“अपनी माँ और बहन को बचाने के लिए हम हर बाधा को पार करने के लिए तय्यार है...” करण और अर्जुन ने एक साथ बोला.
“तो ठीक है सुनो....यहाँ से दूर राजस्थान मे एक वीरान पुराना शिव जी का मंदिर है...वहाँ के लोगो का मान ना है कि जो शिव जी की मूर्ति का त्रिशूल है वो असली शिव जी के त्रिशूल का एक अंश है जिससे बड़ा से बड़ा शैतान भी मर सकता है...अतीत मे बहुत से लोगो ने उस त्रिशूल की शक्ति को अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करना चाहा पर कोई वहाँ से जिंदा नही लौटा क्यूकी उस शिव जी की मूर्ति की रक्षा करते है ज़हरीले नाग....जो इंसान के मन मे छुपि लालच को पहचान लेते है और उन्हे डॅस लेते है....माना जाता है कि कोई ऐसा आदमी जिसे वास्तव मे बिना लालच के उस त्रिशूल की ज़रूरत हो...सिर्फ़ उसे ही वो नाग नही डन्सते....वहाँ पर एक साधु ने अपना पूरा जीवन उसी मंदिर मे भगवान शिव की आराधना मे गुज़ार दिया....पर कुछ लोगो ने उस त्रिशूल को पाने के लिए वहाँ के सारे नागो को ज़हरीला दूध पिला के मार दिया....तब उन साधु ने मरते हुए यह श्राप दिया कोई भी उस गाँव मे जिंदा नही रहेगा और उनका शरीर कयि सारे नागो मे बदल गया....और उन मरे हुए नागो की जगह ले ली... ” आचार्य एक साँस मे बोलते चले गये.
“तो क्या आप चाहते है कि हम वो त्रिशूल ले आए...” अर्जुन बोला.
“हाँ...क्यूकी सिर्फ़ वो ही एक हथियार है जिसपर त्रिकाल का काला जादू नही चलता....लेकिन वो भी अगली अमावस्या से पहले...नही तो वो तुम्हारी कुवारि बहन की बलि चढ़ा कर हमेशा के लिए अमर हो जाएगा...”
आचार्य की यह बात करण और अर्जुन के दिलो दिमाग़ पर बैठ गयी थी. उन्होने आचार्य से आशीर्वाद लिया और जयपुर के पास रामपुरा नामक गाँव था जहाँ पर उनकी माँ का मायका था वहाँ की ओर रवाना हो गये.
इधर त्रिकाल की गुफा मे काजल के साथ रोज छेड़ छाड़ हो रही थी. त्रिकाल के आदमी दिन भर उसके मोटे मोटे दूध दबाते रहते और वो बेचारी तड़पति रहती. लेकिन इन सब का पूरा ख़याल रखा जाता था कि किसी भी हालत मे काजल का कौमार्य भंग ना हो, इसलिए त्रिकाल के आदमी सिर्फ़ काजल के जिस्म से खेलते थे और उसे अपने बदबूदार लंड चुस्वाते थे.
त्रिकाल हमेशा की तरह काजल की माँ रत्ना से बेरहमी से संभोग करता था. बारह साल हो चुके थे रत्ना को त्रिकाल का भीमकए लंड लेते हुए. उसकी चूत इतनी बुरी तरह फट चुकी थी कि अगर किसी और ने रत्ना के भोस्डे मे लंड डाला भी तो उसे कुछ पता ही नही चलता था.
त्रिकाल अपने कोठरी मे तन्त्र मन्त्र से अपनी काले जादू की ताक़त बढ़ा रहा था. वो समाधि मे लगा हुआ था. तभी उसकी आँखो मे अंगारे उमड़ आए, और वो चिल्लाते हुए दहाडा, “शत्य प्रकाश.......”
सुबह होते ही करण और अर्जुन आचार्य के आश्रम की ओर निकल पड़े. निशा जब सो के उठी तो उसे करण नज़र नही आया.
“कम से कम एक बार मिल के तो जाते....” निशा की आँखे फिर से डब डबा गयी और वो वही चादर मे छुप्कर रोने लगी.
इधर करण बहुत मायूस लग रहा था. वो ना तो खुल कर अपनी बीवी को कुछ बता पा रहा था और ना ही उसे कुछ छुपा पा रहा था. अर्जुन ने उसे हिम्मत बाँधते हुए कहा, “सब सही हो जाएगा भाई...भगवान के घर देर है...अंधेर नही...”
करण भी सब कुछ भगवान पर छोड़ कर आगे की सोचने लगा. कुछ घंटो के बाद अर्जुन की गाड़ी आचार्य के आश्रम तक पहुच गयी. इस बार करण को आचार्य की शक्तियो पर कोई संदेह नही था. दोनो तेज़ कदमो के साथ आश्रम मे बने हुए आचार्य की कमरे तक पहुचे.
“आओ...आओ...अर्जुन....” आचार्य ने उनका स्वागत करते हुए उनको अंदर बुलाया.
“प्रणाम आचार्य...” बोलते हुए दोनो करण और अर्जुन ने आचार्य के पाओ छु लिए.
“सदा सुखी रहो बेटा.....तुम दोनो को यहाँ दोबारा देख कर खुशी हो रही है....पर काजल बिटिया कही नज़र नही आ रही...???” आचार्य की आँखे काजल को तलाश कर रही थी, पर जब काजल नही दिखाई दी तब वो समझ गये कि ज़रूर कोई अनहोनी हो गयी है..
“आचार्य आपके बताए अनुसार हम ने तांत्रिक त्रिकाल की गुफा खोज निकाली...उस कमीने ने मेरी प्रेमिका का बलात्कार कर के उसकी बलि चढ़ा दी और...और...काजल को भी बंदी बना लिया...” अर्जुन गिड़गिडाता हुआ बोला.
“क्या....???” आचार्य चौंक गये. “यानी अब तक तो त्रिकाल अमर हो चुका होगा क्यूकी उसने आख़िरी बलि चढ़ा दी होगी...”
“नही आचार्य....मेरी प्रेमिका कुवारि नही थी...इसलिए त्रिकाल के शैतान ने उसकी बलि स्वीकार नही की...इसलिए उसने काजल को बंदी बना लिया.....कृपा कर के आचार्य कोई उपाए बताइए नही तो वो राक्षस हमारी बहन को मार डालेगा..” अर्जुन लगभग रोते हुए बोला और आचार्य के पाओ मे गिर गया.
“मूर्ख...मैने तो सिर्फ़ तुम्हे त्रिकाल के बारे मे बताया था....तुम लोग वहाँ गये क्यू...तुम लोगो को अपनी मूर्खता की ही सज़ा मिल रही है....अरे तुम लोगो को क्या लगा कि तुम लोग उसकी काले जादू के सामने टिक पाओगे....मूर्ख हो तुम लोग...मूर्ख..” आचार्य का माथा गुस्से से तम तमा गया.
“हमे माफ़ कर दीजिए आचार्य हम तो वहाँ पर अर्जुन की प्रेमिका को बचाने गये थे....हमे क्या मालूम था कि ऐसा करने से हमारी बहन ही त्रिकाल के चंगुल मे फस जाएगी..” करण भी आचार्य के सामने गिडगिडाया और उनके चरणो मे गिर गया.
“पर तुम लोग वहाँ पहुचे कैसे...” आचार्य ने गुस्सा के कहा.
फिर करण और अर्जुन ने त्रिकाल तक के गुफा का पूरा सफ़र का वर्णन आचार्य के सामने कर दिया.
“इस दुनिया मे अब एक आप ही सबसे बड़े महापुरुष है जो हमारी मदद कर सकते है....कृपया हमारी बहन और माँ को बचा लीजिए...” अर्जुन रोते हुए बोला.
आचार्य वही समाधि पर बैठ गये और ध्यान लगाने लगे. कुछ देर के ध्यान के बाद उन्होने अपनी आँखो को खोला और करण अर्जुन से कहा, “अगर त्रिकाल अमर नही हुआ है तो उसे मारा जा सकता है...”
“वो कैसे गुरुदेव....?” कारण ने पूछा.
“एक रास्ता है पर वो बहुत कठिनाइयों से भरा हुआ है...क्या तुम दोनो मे इतनी हिम्मत है..” आचार्य बोले.
“अपनी माँ और बहन को बचाने के लिए हम हर बाधा को पार करने के लिए तय्यार है...” करण और अर्जुन ने एक साथ बोला.
“तो ठीक है सुनो....यहाँ से दूर राजस्थान मे एक वीरान पुराना शिव जी का मंदिर है...वहाँ के लोगो का मान ना है कि जो शिव जी की मूर्ति का त्रिशूल है वो असली शिव जी के त्रिशूल का एक अंश है जिससे बड़ा से बड़ा शैतान भी मर सकता है...अतीत मे बहुत से लोगो ने उस त्रिशूल की शक्ति को अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करना चाहा पर कोई वहाँ से जिंदा नही लौटा क्यूकी उस शिव जी की मूर्ति की रक्षा करते है ज़हरीले नाग....जो इंसान के मन मे छुपि लालच को पहचान लेते है और उन्हे डॅस लेते है....माना जाता है कि कोई ऐसा आदमी जिसे वास्तव मे बिना लालच के उस त्रिशूल की ज़रूरत हो...सिर्फ़ उसे ही वो नाग नही डन्सते....वहाँ पर एक साधु ने अपना पूरा जीवन उसी मंदिर मे भगवान शिव की आराधना मे गुज़ार दिया....पर कुछ लोगो ने उस त्रिशूल को पाने के लिए वहाँ के सारे नागो को ज़हरीला दूध पिला के मार दिया....तब उन साधु ने मरते हुए यह श्राप दिया कोई भी उस गाँव मे जिंदा नही रहेगा और उनका शरीर कयि सारे नागो मे बदल गया....और उन मरे हुए नागो की जगह ले ली... ” आचार्य एक साँस मे बोलते चले गये.
“तो क्या आप चाहते है कि हम वो त्रिशूल ले आए...” अर्जुन बोला.
“हाँ...क्यूकी सिर्फ़ वो ही एक हथियार है जिसपर त्रिकाल का काला जादू नही चलता....लेकिन वो भी अगली अमावस्या से पहले...नही तो वो तुम्हारी कुवारि बहन की बलि चढ़ा कर हमेशा के लिए अमर हो जाएगा...”
आचार्य की यह बात करण और अर्जुन के दिलो दिमाग़ पर बैठ गयी थी. उन्होने आचार्य से आशीर्वाद लिया और जयपुर के पास रामपुरा नामक गाँव था जहाँ पर उनकी माँ का मायका था वहाँ की ओर रवाना हो गये.
इधर त्रिकाल की गुफा मे काजल के साथ रोज छेड़ छाड़ हो रही थी. त्रिकाल के आदमी दिन भर उसके मोटे मोटे दूध दबाते रहते और वो बेचारी तड़पति रहती. लेकिन इन सब का पूरा ख़याल रखा जाता था कि किसी भी हालत मे काजल का कौमार्य भंग ना हो, इसलिए त्रिकाल के आदमी सिर्फ़ काजल के जिस्म से खेलते थे और उसे अपने बदबूदार लंड चुस्वाते थे.
त्रिकाल हमेशा की तरह काजल की माँ रत्ना से बेरहमी से संभोग करता था. बारह साल हो चुके थे रत्ना को त्रिकाल का भीमकए लंड लेते हुए. उसकी चूत इतनी बुरी तरह फट चुकी थी कि अगर किसी और ने रत्ना के भोस्डे मे लंड डाला भी तो उसे कुछ पता ही नही चलता था.
त्रिकाल अपने कोठरी मे तन्त्र मन्त्र से अपनी काले जादू की ताक़त बढ़ा रहा था. वो समाधि मे लगा हुआ था. तभी उसकी आँखो मे अंगारे उमड़ आए, और वो चिल्लाते हुए दहाडा, “शत्य प्रकाश.......”