hotaks444
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मनिका धीरे धीरे अपने कदम बढ़ाये जा रही थी, उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी थी, उसे कुछ समझ नही आ रहा था, अगर वो सचमुच कनिका हुई तो मैं क्या करूंगी, मनिका को कुछ पता नही चल रहा था वो बस आगे बढ़ी जा रही थी, और जल्द ही वो अपने पापा के रूम के दरवाजे के सामने खड़ी थी
उसने हल्के से दरवाज़े को अंदर की तरफ धकेला, और ये देखकर उसके आश्चर्य का कोई ठिकाना ना रहा कि दरवाज़ा खुला हुआ ही है,
दरअसल ये कनिका के शैतानी दिमाग की खुराफात थी, उसने ये पहले ही प्लान कर रखा था, की अगर मनिका जल्दी घर आती है तो वो किसी तरह उसे अपने और जयसिंह की चुदाई का नज़ारा दिखा देगी, और उसकी ये तरकीब अब काम भी आ रही थी
मनिका ने धीरे से दरवाज़े को थोड़ा सा खोला और फिर तो अंदर का नज़ारा देखकर उसके होश ही उड़ गए,
अंदर जयसिंह कनिका को घोड़ी बनाकर पीछे से अपना लंड अपनी बेटी की चुत में पेल रहा था और कनिका भी किसी रंडी की तरह उछल उछल कर उसका साथ दे रही थी, मनिका को तो ऐसा महसूस हो रहा था जैसे उसकी कोई सौतन उसके पति के साथ चुदाई कर रही है,
एक बार तो उसने वहां से हट जाने का सोचा पर ना जाने क्या सोचकर वो वही डटी रही और ये उसकी बड़ी भूल थी, क्योंकि धीरे धीरे ही सही पर अब उसका बदन भी अंदर की चुदाई देखकर गरम होने लगा था, उसकी चुत में चींटिया से रेंगने लगी थी, उसकी हवस अब बढ़ती ही जा रही थी
अंदर के घमासान को देखकर अब उसके हाथ खुद ब खुद अपनी स्कर्ट के अंदर से होते हुए पेंटी के अंदर छुपी उसकी चुत पर चले गए और वो उसे जोर जोर से मसलने लगी, अंदर जयसिंह कनिका की चुत ठोखने में बिजी था, तो इधर मनिका ये सोचकर अपनी चुत मसले जा रही थी कि काश कनिका की जगह वो होती वहां पर
गज़ब का गरम नज़ारा था वो, एक बेटी अंदर अपनी चुत मरा रही थी तो दूजी बाहर खड़ी अपनी चुत मसल रही थी
करीब 20 मिंट ही हुए थे कि दोनों तरफ तूफान से उमड़ पड़ा, जयसिंह भलभलाता हुआ कनिक के साथ ही उसकी चुत में झाड़ गया और बाहर मनिका भी बुरी तरह से झाड़ गयी
थोड़ी देर बाद जब मनिका को होश आया तो उसने अपने रुमाल से अपनी चुत साफ की और नीचे फर्श पर पड़े अपने पानी को भी साफ किया, और भागकर किचन में गयी, वहां से खाने का पैकेट लिया और घर से बाहर आ गयी, 2 से 3 मिंट बाद उसने बेल बजाई
इधर जयसिंह और कनिका ने जब बेल की आवाज़ सुनी तो वो हड़बड़ा गए, कनिक ने अपने कपड़े उठाये और भागकर अपने रूम में आ गयी, जयसिंह ने भी झटपट कपड़े पहने ओर दरवाज़ा खोलने की लिए चल पड़ा
दरवाज़ा खोलते ही सामने मनिका खड़ी थी
" अरे मनिका, तुम इतनी जल्दी कैसे आ गयी, तुम तो 10 बजे आने वाली थी ना" जयसिंह बोला
"वो पापा मैंने काव्य को बोला कि घर पर मोम नही है सो खाना मैं ही ले जाऊंगी बाहर से, उससे 2 -3 दिन बाद मिल लुंगी" मनिका ने कहा
"कोई नही बेटी, आओ अंदर, चलो खाना तो तुम ले ही आयी, मैं कनिक को बुला लेता हूं, हम सभी खाना खा लेते है, और वैसे भी मुझे कल ऑफीस जाना पड़ेगा तो जल्दी सोना है आज" जयसिंह बोला
"ओके पापा" मनिका बोली
थोड़ी देर बाद ही तीनो लोग डाइनिंग टेबल पर बैठे कहना खा रहे थे, कोई कुछ भी नही बोल रहा था, मनिका तो थोड़े गुस्से में थी , वो कनिका से थोड़ा जल भी रही थी, पर ये भी नही समझ पा रही थी कि वो उत्तेजित क्यों हुई"
जल्द ही तीनो ने खाना खत्म किया और अपने अपने रूम में सोने के लिए चले गए, तीनो अलग अलग सपने संजोते हुए गहरी नींद के आगोश में जा चुके थे
सुबह जयसिंह जल्दी उठकर तैयार हुआ और आफिस के लिए निकल गया, दरअसल उसे अगले दिन सिंगापुर जाना था पर उसने ऑर्गनाइजर्स से बात करवाके अपना प्रोग्रम 6 की बजाय 10 को करवा लिया, क्योंकि मधु भी घर पर नही थी
इधर मनिका और कनिका के बीच सुबह से ही अजीब सी खामोशी थी, पर मनिका ने रात में कनिका की छोटी सी गुलाबी चुत भी देखी थी, और वो न चाहते हुए भी उसकी ओर आकर्षित हो रही थी
दोपहर को दोनों बहनें हॉल में बैठी टीवी देख रही थी, टीवी पर टाइटैनिक मूवी आ रही थी, और तभी अचानक मूवी में वो सेक्स सीन आ गया गाड़ी वाला, उस सीन को देखकर मनिका ने चैनल चेंज करने के लिए रिमोट उठाया पर तभी कनिका बोली
"रहने दो ना दीदी, कितना अच्छा सीन है" कनिका बोली
"अच्छा बताऊ तुझे, तू अभी इनके लिए छोटी है" मनिका बोली
"अरे दीदी, आपको क्या पता मैं कितनी बड़ी हो गयी" कनिका मुस्कुरा कर बोली
"हां मुझे सब पता है" मनिका उसकी तरफ देखकर बोली और रिमोट उठाने के लिए हाथ बढ़ाया ही था कि कनिका ने उससे पहले रिमोट उठा लिया और रिमोट लेकर अपने रूम की तरफ भाग गई,मीका भी उसके पीछे दौड़ी, और तभी अचानक कनिका ने आकर उसके उपर छलांग लगा दी..और वो जोरों से डर कर चीख पड़ी..
कनिका उसकी हालत देखकर ज़ोर से हँसने लगी.
और मनिका मुँह बनाती हुई कनिका को मारने दौड़ पड़ी.
और उसे पकड़कर उसने बेड पर पटक दिया..और कनिका के दोनों हाथ सिर से उपर की तरफ रखकर उसे नीचे लिटा कर उसके पेट पर बैठ गयी..
कनिका अभी तक बेतहाशा हँसती जा रही थी...
कनिका को ऐसे हंसते देखकर मनिका भी गुस्सा भूल गयी और वो भी मुस्कुराने लगी..
दोनो बहने मस्ती के मूड में आ चुकी थी,...
मनिका : "अब बोल कनिका की बच्ची ...करेगी मेरे साथ ऐसा मज़ाक....बोल...''
वो झुककर उसके काफ़ी करीब आ चुकी थी...और इसी बीच अपने को छुड़वाने के लिए कनिका ने अपनी गांड वाला हिस्सा हवा में उठा दिया..
मनिका को ऐसा लगा जैसे नीचे से कोई उसकी चूत में लंड डालने की कोशिश कर रहा है...क्योंकि दोनो की चूत इस वक़्त एक दूसरे बिलकुल ऊपर थी .
और अपनी चूत पर वो नमकीन सा दबाव महसूस करते ही उसकी चूत को पसीना आ गया...सेल्फ़ लुब्रीकेशन स्टार्ट हो गया अचानक उसमें से..और उसने भी कनिका की लचीली कमर को पकड़कर अपनी चूत पर रगड़ा और उसे ऊपर से ऐसे धक्के मारने लगी जैसे वो उसकी चुदाई कर रही हो.
कनिका जो अभी तक हंस रही थी, मनिका के ऐसे झटकों को समझकर वो भी हँसना भूल गयी और सीरियस सी होकर उसने अपनी बहन से पूछा : "दी....दीदी ....ये...ये ...क्या कर रहे हो.....ऐसा तो....ऐसा तो लड़का और लड़की करते है...''
पर मनिका ने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया...और अपने हाथ धीरे-2 उसने कनिका की टी शर्ट में डाल दिए और ऊपर की तरफ खिसकाने शुरू कर दिए....
जैसे-2 मनिका की उंगलियाँ सरककर उपर की तरफ आ रही थी...वैसे-2 कनिका के माथे पर पसीना बढ़ने लगा था...वो चाहकर भी उसके हाथों को रोक नहीं रही थी , आज से पहले उसने ऐसा कभी भी महसूस नही किया था...एक अजीब सा सेंसेशन हो रहा था उसे अपनी चूत पर...मनिका की घिसाई से...और अब उसकी उंगलियों की थिरकन से भी उसे गुदगुदी महसूस होने लगी थी..
उसने ब्रा नही पहनी हुई थी...और जल्द ही मनिका की दोनो हथेलियां उसके नन्हे उरोजों से आ टकराई और उसने बड़े ही प्यार से उसके नन्हे चूजों को अपने हाथों में भर लिया..
कनिका की तो आँखे बंद हो गयी उस एहसास से जब मनिका ने होले से अपने हाथ के दबाव से उसकी ब्रेस्ट को दबाया..
''सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स....आआआआहह....दीदी......ये क्या कर रहे ........उम्म्म्ममममममममम....''
वो शिकायत थी या प्रश्न ...ये तो नही पता चल सका...पर कनिका के हाथों ने अगले ही पल उपर की तरफ आते हुए टी शर्ट के उपर से ही मनिका के हाथों को पकड़ लिया..मनिका को लगा की वो हटाने के लिए कह रही है...पर वो धीरे से बुदबुदाई..
''दीदी.....प्लीज़ .......ज़ोर से दबाओ ना......ऐसे....''
और उसने अपने हाथों से मनिका के हाथों को जोर से दबा दिया...और मनिका के हाथों के नीचे उसकी नन्ही गोल गोल टमाटर भी उस दबाव में आकर नीचुड़कर रह गयी.
मनिका तो भभक उठी उसके बाद....उसने कनिका की ब्रेस्ट को इतनी बेदर्दी से दबाना शुरू कर दिया की उसपर लाल निशान बनते चले गये...पर वो रुकी नही..
कनिका के नुकीले निप्पल भी मनिका के जालिम हाथों को रोकने में असमर्थ थे..भले ही वो काँटों की तरह उभरकर ब्रेस्ट की रक्षा कर रहे थे पर ऐसे काँटों से शायद इस वक़्त मनिका को कोई असर ही नही पड़ रहा था...वो तो उन काँटों को भी बीच-2 में ऐसे मसल रही थी जैसे उनमे से दूध निकलने वाला हो..
दूध तो नही निकला..पर उसकी हर उमेठन से कनिका की सिसकारियाँ ज़रूर निकल रही थी.
अब तो साफ़ हो चुका था की आज ये दोनो बहने अपनी सारी सीमाएँ लाँघने की तैयारी कर रही है..
मनिका तो अभी तक जैसे किसी नशे मे ये सब कर रही थी...ऐसा नशा जो उसके शरीर को अपने बस में करने में असमर्थ था...वो ये भी भूल चुकी थी की ये उसकी वही छोटी बहन है जिसने उसके प्यार उसके पापा पर डाका डाला ...कनिका तो अपनी जवानी के उस पड़ाव पर थी जहाँ उसे ऐसी बातों में मज़ा मिलता था जो सैक्स से जुड़ी हो...अपने घर से बाहर निकलकर और जवानी की दहलीज पर कदम रखने के बाद कनिका में काफ़ी खुलापन आ चुका था.
कनिका के अंदर एक अजीब सी चाहत ने जन्म ले लिया था...सेक्स के बारे में वो दूसरों से कुछ ज़्यादा ही सोचने लगी थी..पर अपनी बहन के डर के मारे और शर्म की वजह से वो अपनी भावनाओं को उसके सामने बाहर नही आने देती थी..
पर अब उसे रोकने वाला कोई नही था.
जैसे ही मनिका के हाथों ने उसकी नन्ही ब्रेस्ट को छुआ...वो अपने हाथों के दबाव को उनपर डालकर और ज़ोर से दबाने की गुज़ारिश करने लगी मनिका से..
उसकी ब्रेस्ट ही उसके शरीर का सबसे सेंसेटिव हिस्सा थी..
इसलिए उसपर हाथ लगते ही वो भी अपनी सुधबुध खो बैठी और फिर शुरू हुआ उस छोटे से कमरे में दो बहनो के जिस्म के बीच उत्तेजना और सेक्स का वो सिलसिला जो शायद अब थमने वाला नही था.
कनिका ने एक मादक सी अंगड़ाई लेते हुए अपनी टी शर्ट उतार कर दीवार पर दे मारी..
और उसकी साँवली और नन्ही छातियाँ देखकर मनिका के मुँह में पानी भर आया.
उसके निप्पल गहरे भूरे रंग के थे...और उसके निप्पल के घेरे पर भी महीन से दाने उगे हुए थे..मनिका तो उसके निप्पलों की कारीगरी देखकर अचंभित रह गई...क्योंकि उसके दानों पर भी इतनी महीन कारीगरी नही की थी ऊपर वाले ने...वो बिल्कुल सादे से थे...पर उसकी ब्रेस्ट कनिका के मुक़ाबले काफ़ी बड़ी थी..कनिका की तो अभी -2 आनी शुरू हुई थी..पर एक बार जब ये भर जाएगी तो कयामत ढाएगी ये लड़की..
और ये तभी भरेंगी जब इनके उपर मेहनत की जाएगी...ये सोचते हुए मनिका का सिर उसकी छातियों पर झुकता चला गया..और अपने होंठ,दाँत और जीभ रूपी ओजरों से उसने कनिका के बूब्स पर मेहनत करनी शुरू कर दी..
सबसे पहले अपनी गर्म जीभ से उसने कनिका के निप्पल्स को छुआ....जो कनिका के शरीर पर पहला स्पर्श था किसी लड़की का...ज़्यादातर लड़कियों के शरीर पर पहला स्पर्श किसी लड़के का होता है..पर लड़की के स्पर्श में भी कोई बुराई नही थी इस वक़्त...कनिका ने एक तड़प भरी किलकारी मारते हुए अपनी दीदी के सिर को पकड़कर ज़ोर से दबा लिया अपनी छातियो पर...और चीख पड़ी वो..
''सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.......आआआआआअहह दीदी............. ...उफफफफफफफफफफफफ फफफ्फ़.........क्या फीलिंग है ......माय गॉड ..... आआआआआआआअहह........ज़ोर से सक्क करो ना....दीदी............प्लीईईईईस......काट लो इन्हे......जोरों से...............दांतो से..................आआआआआआहह उूुुुउउफ़फ्फ़ एसस्स ऐसे ही................. उम्म्म्ममममममममममममममममममममम आआआआआआआहह दीदी..........यार .....कहाँ थी आप ......पहले क्यों नही किया ये सब..................उम्म्म्मममममममममममममम.......''
कनिका तो भाव विभोर सी हुई जा रही थी अपने शरीर को मिल रहे इतने उत्तेजक मज़े को महसूस करते हुए...उसे पता तो था की ऐसा ही कुछ होता होगा..पर अभी जो कुछ भी हो रहा था उसके साथ वो उसे शब्दों मे व्यक्त कर ही नही सकती थी...ऐसा मज़ा ...इतना आनद....उत्तेजना का इतना संचार...ऐसी तड़प...उसने आज तक सोचा भी नही था की लड़की के साथ सेक्स के खेल में भी इतना मज़ा आता है.
मनिका के सिर को कभी एक पर तो कभी दूसरी ब्रेस्ट पर वो लट्टू की तरह घुमा रही थी...उसकी लार से उसने अपनी छातियों की पुताई करवा ली...उसके लंबे और नुकीले निप्पल अपने पुर शबाब पर आ चुके थे...
वो बेड पर पड़ी हुई किसी मछली की तरह तड़प रही थी.
उसने अपनी नशीली आँखो से मनिका की तरफ देखा..और फिर अपने हाथ उपर करते हुए उसने मनिका की ब्रैस्ट को पकड़ लिया...
मनिका को तो ऐसा लगा जैसे उसके दिल की धड़कन रुक जाएगी..जब कनिका ने उन्हे टी शर्ट के उपर से ही मसलना शुरू किया..
''उह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उऊहह ...............आआआआआआअहह कनिका..................उम्म्म्ममममममममम...... .एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स......''
और फिर धीरे-2 कनिका ने उसकी टी शर्ट को उपर खिसकाना शुरू कर दिया...और अंत में आते-2 उसे उतार कर अपनी ही टी शर्ट के उपर फेंक दिया..मनिका ने तो ब्रा पहनी हुई थी...जिसे उसने खुद ही अपने हाथ पीछे करते हुए खोल दिया..
और जैसे ही उसके बूब्स कनिका की नज़रों के सामने आए, अपने आप ही उसका मुँह उनकी तरफ खींचता चला गया..और उसने एक जोरदार झटके के साथ उसकी बड़ी सी ब्रेस्ट को अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया..
किसी बच्चे की तरह वो उसके लम्बे निप्पल का दूध पीने लगी..
और अपनी नन्ही बहन को अपनी छाती से चिपका कर मनिका ने एक रस भरी सिसकारी मारकर उसे और अंदर घुसा लिया..
''आआआआआआआआआअहह ओह्ह्ह्ह माय बैबी .................. सकक्क मी......सक्क.....इट ......बैबी.....''
बैबी तो पहले से ही उत्तेजना के शिखर पर थी...अपनी बहन की दर्द भरी पुकार सुनकर वो और ज़ोर से उसके दानों को अपने पैने दांतो से कुतरने लगी...किसी चुहिया की तरह...और हर बार काटने पर मनिका के शरीर से एक अजीब सी तरंग उठ जाती..जिसे कनिका सॉफ महसूस कर पा रही थी..
ये खेल दोनों के लिए नया था...आज से पहले उन्होने किसी लड़की के साथ ऐसा कुछ भी नही किया था...पर सेक्स भी अजीब तरह का खेल है..इसे सीखना नही पड़ता, ये अपने आप आता चला जाता है..
और यही हो रहा था दोनो के साथ...कनिका के साथ तो कुछ ज़्यादा ही...वो छुटकी कुछ ज़्यादा ही उछल रही थी इस खेल में ...
इसलिए जब अच्छी तरह से उसने मनिका की ब्रेस्ट का जूस पी लिया तो वो तुरंत खड़ी हुई और उसने अपनी केप्री भी उतार कर फेंक दी...और अब वो मनिका के सामने बेशर्मों की तरह पूरी तरह से नंगी होकर बैठी थी..
कनिका की देखा देखी मनिका ने भी अपना पायज़ामा उतार दिया...और अब वो दोनो नंगी बैठी थी एक दूसरे के सामने..पर आगे क्या करना है ये किसी को नही मालूम था..क्योंकि किसी लड़की के साथ ये उन दोनों का ही पहला एक्सपीरियंस था
मनिका की नंगी ब्रैस्ट देखने में काफी यम्मी लग रही थी , वो कनिका के मुकाबले काफी बड़ी भी थी,इसलिए मनिका उनको हाथों में लेकर खुद ही दबाने लगी, और अपनी मोटी छातियों में और उभार ले आई
अपने अंतर्मन की आवाज़ सुनकर दोनो ने एक दूसरे की ब्रेस्ट को अच्छी तरह से चूस डाला था..पर अब क्या करे ,शायद यही सोचे जा रही थी वो दोनो...
उत्तेजना के नशे में कनिका को सिर्फ़ वही याद आ रहा था की कैसे वो खुद,जब पापा उसकी चुत चूस रहे थे तो ज़ोर-2 से आहे भरकर मज़े ले रही थी..
बस,कनिका ने भी वही ठान लिया..
उसने धीरे से धक्का देकर मनिका को बेड पर लिटा दिया..
पहले तो अपनी उँगलियों को मनिका की चूत में डालकर कनिका ने अंदर के टेंप्रेचर और चिकनाई का अंदाजा लिया
और फिर धीरे -२ नीचे झुककर वो अपना चेहरा चूत के करीब ले गयी
मनिका का शरीर भी काँप उठा,ये सोचकर की उसके साथ क्या होने वाला है अब...उसके होंठ थरथरा कर रह गये, पर उनमे से ना नही निकल पाया...और उसने अपने आप को अपनी छोटी बहन के सुपुर्द करते हुए अपनी आँखे बंद कर ली.
और फिर कनिका नीचे झुकी और उसने अपने होंठों से उसकी गुलाब जैसी चूत की फेली हुई पंखुड़ियों को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया.
पहला नीवाला मुँह में लेते ही उसका स्वाद पता चल गया कनिका को...जो उसे काफ़ी मजेदार लगा..
और मनिका तो बिफर गयी अपनी चूत की चुसाई से...
''ऊऊऊऊऊऊऊहह कनिका.............मेरी ज़ाआाआन्न................सस्स्स्स्स्स्सस्स..... ये क्या कर दिया............आआआआहह .....बहुत मज़ा आ रहा है ............उम्म्म्ममममममममम..... एसस्स्स्स्सस्स...... अहह.....''
और फिर तो वो बावली कुतिया की तरह उसकी चूत के उपर लगे अखरोट के दाने पर और संतरे की फाँक जैसी चूत को खाने में लग गयी...
अपनी लंबी और गर्म जीभ को उसने अंदर भी धकेला..उसकी मलाई को चाटा ...चूसा...और अंत में पी गयी.
ऐसा स्वाद लगा उसे उसकी चूत का की वो उसे तब तक चूसती रही जब तक मनिका झड़ने के करीब नही पहुँच गयी..
और मनिका को तो अपनी चूत चुस्वाते हुए अपने पापा ही याद आ र्हे थे..और याद आ रहा था उस रात का दृश्य
.और उसी सीन को याद करते हुए मनिका को ऐसा फील हुआ की इस वक़्त कनिका नही बल्कि उसके पापा उसकी चूत को चूस रहे हैं..
और झड़ने के करीब तो वो वैसे ही थी...इसलिए जैसे ही उसकी चूत से ताज़ा नारियल पानी निकल कर कनिका के मुँह में गया...उसने उसके बालों को पकड़ कर अपनी फूली हुई चूत पर घिस डाला और ज़ोर से चिल्लाई....
''आआआआआआअहह.................ओह..... पापा.................... सकककककक मिईीईईईई.......''
भावनाओ में बहकर उसके मुँह से पापा निकल तो गया...पर अगले ही पल वो यथार्थ के धरातल पर आ गयी...और उसने डरते-2 कनिका की तरफ देखा..
पर शायद उसने सुना नही था....क्योंकि वो बड़े ही प्यार से उसकी चूत में से बूँद-2 करके निकल रहा रस अपनी जीभ में समेट कर अंदर लेने में लगी हुई थी..
और जब पूरी तरह से उसकी चूत के रस को उसने पी लिया तो अपना मुँह सॉफ करते हुए वो मुस्कुराती हुई उपर आई...
''अक्चा....तो पापा के उपर नज़र है आपकी....आप तो बड़े चालू निकले दीदी....''
उसकी ये बात सुनकर मनिका का शरीर सुन्न होता चला गया
..
पर कनिका के होंठों पर अलग ही तरह की मुस्कान आ चुकी थी अब.
जिसे देखकर मनिका समझ नही पा रही थी की उसके दिमाग़ में आख़िर चल क्या रहा है..
पर उसके बाद जो हुआ, उसे देखकर तो मनिका के भी होश उड़ गये..उसने तो सोचा भी नही था की इस चुहिया के दिमाग़ में इतना गंद भरा पड़ा है
मनिका से कुछ बोलते नही बन रहा था...रंगे हाथो पकड़ी गयी थी वो .
जिस कनिका को वो अपने प्यारे पापा से दूर करना चाहती थी, उसके सामने ही उसके और पापा के बीच का परदा उठ गया...अब उसे उस हद तक तो नही मालूम था पर जिस अंदाज में वो पकड़ी गयी थी..यानी अपनी चूत को चुसवाते हुए और झड़ते हुए जिस अंदाज में उसने अपने पापा को पुकारा था, उसे देखकर तो कोई बेवकूफ़ भी बता देगा की मनिका के मन में उसके पापा के लिए क्या चल रहा है.
मनिका ने अपना चेहरा नीचे कर लिया.
कनिका : "ओहो दीदी...आप प्लीज़ ऐसे एम्बेरेस मत होवो ...इनफेक्ट मुझे तो इस बात की खुशी है की आप पापा को उस नज़र से देखते हो,जिस नज़र से उन्हे मैं देखकर अपने अरमानो को दबाया करती थी..''
कनिका के मुँह से सीधी बात सुनकर मनिका भी चोंक गयी...पर उसने कुछ ज़्यादा रिएक्ट नही किया..आख़िर कनिका की भी क्या ग़लती है इसमे...एक तो उनके पापा इतने चार्मिंग है,वो खुद उनसे चुदाई करती है , ऐसे में कनिका को किसी भी बात का दोष देना सही नही था.
मनिका ने भी अब कनिका को कल रात के बारे में उसे बता देना उचित समझा, और फिर उसने कहा
मनिका- सुन कनिका, वो मैं तुझे कल रात के बारे में कुछ बताना चाहती हूं
कनिका - यही ना कि कल आपने मुझे और पापा को चुदाई करते देख लिया था
मनिका तो कनिका की बात सुनकर दंग रह गयी, उसे तो अब सूझ ही नही रहा था कि वो क्या बोले
कनिका - दीदी आप शर्माओ मत प्लीज़, दरअसल मैंने और पापा ने तो गांव में उस रात ही पहली चुदाई कर ली थी जब हम साथ सोये थे, और कल रात भी मैने ही जानबूझकर कमरे का दरवाजा खुला रखा था
मनिका के ऊपर तो जैसे एक के बाद एक बम फूट रहे थे, वो पूछना चाहती थी कि ये सब हुआ कैसे पर उसके पूछने से पहले ही कनिका ने उस पर एक और बम फोड़ दिया
कनिका - दीदी वो उस दिन सुबह मैंने आपको भी पापा का लंड चूसते हुए देख लिया था, आपको लग रहा था मैं सो रही थी पर आपकी आवाज सुनकर मैं जग गयी थी और आप दोनों के खेल का आनंद उठा रही थी
मनिका के चेहरे की हवाइयां उड़ चुकी थी, कहाँ तो वो सोच रही थी कि वो ही उन दोनों के बारे में जानती है पर यहां तो ये छुटकी उसकी माँ निकली
कनिका - अच्छा दीदी, प्लीज़ आप मुझसे शर्माओ मत, आपने और मैंने दोनों ने ही पापा के साथ चुदाई कर ली है तो हमे एक दूसरे से कुछ नही छुपाना चाहिए, अच्छा दीदी प्लीज़ बताओ ना आप दोनों के बीच ये सब कैसे शुरू हुआ
मनिका भी अब थोड़ी नार्मल हो चुकी थी, फिर उसने कनिका को अपने और अपने पापा के बीच हुए पूरे वाकये को शुरू से लेकर अंत तक मिर्च मसाला लगाकर सुना दिया, कैसे पहली बार दिल्ली में ये सब शुरू हुआ था, कैसे जयसिंह ने अपनी बेटी को फंसाने के लिए चले चली, कैसे फिर वो उनसे नाराज़ हुई, कैसे धीरे धीरे वो उन्हें चाहने लगी, और कैसे उस बरसात की रात वो सब कुछ हुआ
उसने हल्के से दरवाज़े को अंदर की तरफ धकेला, और ये देखकर उसके आश्चर्य का कोई ठिकाना ना रहा कि दरवाज़ा खुला हुआ ही है,
दरअसल ये कनिका के शैतानी दिमाग की खुराफात थी, उसने ये पहले ही प्लान कर रखा था, की अगर मनिका जल्दी घर आती है तो वो किसी तरह उसे अपने और जयसिंह की चुदाई का नज़ारा दिखा देगी, और उसकी ये तरकीब अब काम भी आ रही थी
मनिका ने धीरे से दरवाज़े को थोड़ा सा खोला और फिर तो अंदर का नज़ारा देखकर उसके होश ही उड़ गए,
अंदर जयसिंह कनिका को घोड़ी बनाकर पीछे से अपना लंड अपनी बेटी की चुत में पेल रहा था और कनिका भी किसी रंडी की तरह उछल उछल कर उसका साथ दे रही थी, मनिका को तो ऐसा महसूस हो रहा था जैसे उसकी कोई सौतन उसके पति के साथ चुदाई कर रही है,
एक बार तो उसने वहां से हट जाने का सोचा पर ना जाने क्या सोचकर वो वही डटी रही और ये उसकी बड़ी भूल थी, क्योंकि धीरे धीरे ही सही पर अब उसका बदन भी अंदर की चुदाई देखकर गरम होने लगा था, उसकी चुत में चींटिया से रेंगने लगी थी, उसकी हवस अब बढ़ती ही जा रही थी
अंदर के घमासान को देखकर अब उसके हाथ खुद ब खुद अपनी स्कर्ट के अंदर से होते हुए पेंटी के अंदर छुपी उसकी चुत पर चले गए और वो उसे जोर जोर से मसलने लगी, अंदर जयसिंह कनिका की चुत ठोखने में बिजी था, तो इधर मनिका ये सोचकर अपनी चुत मसले जा रही थी कि काश कनिका की जगह वो होती वहां पर
गज़ब का गरम नज़ारा था वो, एक बेटी अंदर अपनी चुत मरा रही थी तो दूजी बाहर खड़ी अपनी चुत मसल रही थी
करीब 20 मिंट ही हुए थे कि दोनों तरफ तूफान से उमड़ पड़ा, जयसिंह भलभलाता हुआ कनिक के साथ ही उसकी चुत में झाड़ गया और बाहर मनिका भी बुरी तरह से झाड़ गयी
थोड़ी देर बाद जब मनिका को होश आया तो उसने अपने रुमाल से अपनी चुत साफ की और नीचे फर्श पर पड़े अपने पानी को भी साफ किया, और भागकर किचन में गयी, वहां से खाने का पैकेट लिया और घर से बाहर आ गयी, 2 से 3 मिंट बाद उसने बेल बजाई
इधर जयसिंह और कनिका ने जब बेल की आवाज़ सुनी तो वो हड़बड़ा गए, कनिक ने अपने कपड़े उठाये और भागकर अपने रूम में आ गयी, जयसिंह ने भी झटपट कपड़े पहने ओर दरवाज़ा खोलने की लिए चल पड़ा
दरवाज़ा खोलते ही सामने मनिका खड़ी थी
" अरे मनिका, तुम इतनी जल्दी कैसे आ गयी, तुम तो 10 बजे आने वाली थी ना" जयसिंह बोला
"वो पापा मैंने काव्य को बोला कि घर पर मोम नही है सो खाना मैं ही ले जाऊंगी बाहर से, उससे 2 -3 दिन बाद मिल लुंगी" मनिका ने कहा
"कोई नही बेटी, आओ अंदर, चलो खाना तो तुम ले ही आयी, मैं कनिक को बुला लेता हूं, हम सभी खाना खा लेते है, और वैसे भी मुझे कल ऑफीस जाना पड़ेगा तो जल्दी सोना है आज" जयसिंह बोला
"ओके पापा" मनिका बोली
थोड़ी देर बाद ही तीनो लोग डाइनिंग टेबल पर बैठे कहना खा रहे थे, कोई कुछ भी नही बोल रहा था, मनिका तो थोड़े गुस्से में थी , वो कनिका से थोड़ा जल भी रही थी, पर ये भी नही समझ पा रही थी कि वो उत्तेजित क्यों हुई"
जल्द ही तीनो ने खाना खत्म किया और अपने अपने रूम में सोने के लिए चले गए, तीनो अलग अलग सपने संजोते हुए गहरी नींद के आगोश में जा चुके थे
सुबह जयसिंह जल्दी उठकर तैयार हुआ और आफिस के लिए निकल गया, दरअसल उसे अगले दिन सिंगापुर जाना था पर उसने ऑर्गनाइजर्स से बात करवाके अपना प्रोग्रम 6 की बजाय 10 को करवा लिया, क्योंकि मधु भी घर पर नही थी
इधर मनिका और कनिका के बीच सुबह से ही अजीब सी खामोशी थी, पर मनिका ने रात में कनिका की छोटी सी गुलाबी चुत भी देखी थी, और वो न चाहते हुए भी उसकी ओर आकर्षित हो रही थी
दोपहर को दोनों बहनें हॉल में बैठी टीवी देख रही थी, टीवी पर टाइटैनिक मूवी आ रही थी, और तभी अचानक मूवी में वो सेक्स सीन आ गया गाड़ी वाला, उस सीन को देखकर मनिका ने चैनल चेंज करने के लिए रिमोट उठाया पर तभी कनिका बोली
"रहने दो ना दीदी, कितना अच्छा सीन है" कनिका बोली
"अच्छा बताऊ तुझे, तू अभी इनके लिए छोटी है" मनिका बोली
"अरे दीदी, आपको क्या पता मैं कितनी बड़ी हो गयी" कनिका मुस्कुरा कर बोली
"हां मुझे सब पता है" मनिका उसकी तरफ देखकर बोली और रिमोट उठाने के लिए हाथ बढ़ाया ही था कि कनिका ने उससे पहले रिमोट उठा लिया और रिमोट लेकर अपने रूम की तरफ भाग गई,मीका भी उसके पीछे दौड़ी, और तभी अचानक कनिका ने आकर उसके उपर छलांग लगा दी..और वो जोरों से डर कर चीख पड़ी..
कनिका उसकी हालत देखकर ज़ोर से हँसने लगी.
और मनिका मुँह बनाती हुई कनिका को मारने दौड़ पड़ी.
और उसे पकड़कर उसने बेड पर पटक दिया..और कनिका के दोनों हाथ सिर से उपर की तरफ रखकर उसे नीचे लिटा कर उसके पेट पर बैठ गयी..
कनिका अभी तक बेतहाशा हँसती जा रही थी...
कनिका को ऐसे हंसते देखकर मनिका भी गुस्सा भूल गयी और वो भी मुस्कुराने लगी..
दोनो बहने मस्ती के मूड में आ चुकी थी,...
मनिका : "अब बोल कनिका की बच्ची ...करेगी मेरे साथ ऐसा मज़ाक....बोल...''
वो झुककर उसके काफ़ी करीब आ चुकी थी...और इसी बीच अपने को छुड़वाने के लिए कनिका ने अपनी गांड वाला हिस्सा हवा में उठा दिया..
मनिका को ऐसा लगा जैसे नीचे से कोई उसकी चूत में लंड डालने की कोशिश कर रहा है...क्योंकि दोनो की चूत इस वक़्त एक दूसरे बिलकुल ऊपर थी .
और अपनी चूत पर वो नमकीन सा दबाव महसूस करते ही उसकी चूत को पसीना आ गया...सेल्फ़ लुब्रीकेशन स्टार्ट हो गया अचानक उसमें से..और उसने भी कनिका की लचीली कमर को पकड़कर अपनी चूत पर रगड़ा और उसे ऊपर से ऐसे धक्के मारने लगी जैसे वो उसकी चुदाई कर रही हो.
कनिका जो अभी तक हंस रही थी, मनिका के ऐसे झटकों को समझकर वो भी हँसना भूल गयी और सीरियस सी होकर उसने अपनी बहन से पूछा : "दी....दीदी ....ये...ये ...क्या कर रहे हो.....ऐसा तो....ऐसा तो लड़का और लड़की करते है...''
पर मनिका ने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया...और अपने हाथ धीरे-2 उसने कनिका की टी शर्ट में डाल दिए और ऊपर की तरफ खिसकाने शुरू कर दिए....
जैसे-2 मनिका की उंगलियाँ सरककर उपर की तरफ आ रही थी...वैसे-2 कनिका के माथे पर पसीना बढ़ने लगा था...वो चाहकर भी उसके हाथों को रोक नहीं रही थी , आज से पहले उसने ऐसा कभी भी महसूस नही किया था...एक अजीब सा सेंसेशन हो रहा था उसे अपनी चूत पर...मनिका की घिसाई से...और अब उसकी उंगलियों की थिरकन से भी उसे गुदगुदी महसूस होने लगी थी..
उसने ब्रा नही पहनी हुई थी...और जल्द ही मनिका की दोनो हथेलियां उसके नन्हे उरोजों से आ टकराई और उसने बड़े ही प्यार से उसके नन्हे चूजों को अपने हाथों में भर लिया..
कनिका की तो आँखे बंद हो गयी उस एहसास से जब मनिका ने होले से अपने हाथ के दबाव से उसकी ब्रेस्ट को दबाया..
''सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स....आआआआहह....दीदी......ये क्या कर रहे ........उम्म्म्ममममममममम....''
वो शिकायत थी या प्रश्न ...ये तो नही पता चल सका...पर कनिका के हाथों ने अगले ही पल उपर की तरफ आते हुए टी शर्ट के उपर से ही मनिका के हाथों को पकड़ लिया..मनिका को लगा की वो हटाने के लिए कह रही है...पर वो धीरे से बुदबुदाई..
''दीदी.....प्लीज़ .......ज़ोर से दबाओ ना......ऐसे....''
और उसने अपने हाथों से मनिका के हाथों को जोर से दबा दिया...और मनिका के हाथों के नीचे उसकी नन्ही गोल गोल टमाटर भी उस दबाव में आकर नीचुड़कर रह गयी.
मनिका तो भभक उठी उसके बाद....उसने कनिका की ब्रेस्ट को इतनी बेदर्दी से दबाना शुरू कर दिया की उसपर लाल निशान बनते चले गये...पर वो रुकी नही..
कनिका के नुकीले निप्पल भी मनिका के जालिम हाथों को रोकने में असमर्थ थे..भले ही वो काँटों की तरह उभरकर ब्रेस्ट की रक्षा कर रहे थे पर ऐसे काँटों से शायद इस वक़्त मनिका को कोई असर ही नही पड़ रहा था...वो तो उन काँटों को भी बीच-2 में ऐसे मसल रही थी जैसे उनमे से दूध निकलने वाला हो..
दूध तो नही निकला..पर उसकी हर उमेठन से कनिका की सिसकारियाँ ज़रूर निकल रही थी.
अब तो साफ़ हो चुका था की आज ये दोनो बहने अपनी सारी सीमाएँ लाँघने की तैयारी कर रही है..
मनिका तो अभी तक जैसे किसी नशे मे ये सब कर रही थी...ऐसा नशा जो उसके शरीर को अपने बस में करने में असमर्थ था...वो ये भी भूल चुकी थी की ये उसकी वही छोटी बहन है जिसने उसके प्यार उसके पापा पर डाका डाला ...कनिका तो अपनी जवानी के उस पड़ाव पर थी जहाँ उसे ऐसी बातों में मज़ा मिलता था जो सैक्स से जुड़ी हो...अपने घर से बाहर निकलकर और जवानी की दहलीज पर कदम रखने के बाद कनिका में काफ़ी खुलापन आ चुका था.
कनिका के अंदर एक अजीब सी चाहत ने जन्म ले लिया था...सेक्स के बारे में वो दूसरों से कुछ ज़्यादा ही सोचने लगी थी..पर अपनी बहन के डर के मारे और शर्म की वजह से वो अपनी भावनाओं को उसके सामने बाहर नही आने देती थी..
पर अब उसे रोकने वाला कोई नही था.
जैसे ही मनिका के हाथों ने उसकी नन्ही ब्रेस्ट को छुआ...वो अपने हाथों के दबाव को उनपर डालकर और ज़ोर से दबाने की गुज़ारिश करने लगी मनिका से..
उसकी ब्रेस्ट ही उसके शरीर का सबसे सेंसेटिव हिस्सा थी..
इसलिए उसपर हाथ लगते ही वो भी अपनी सुधबुध खो बैठी और फिर शुरू हुआ उस छोटे से कमरे में दो बहनो के जिस्म के बीच उत्तेजना और सेक्स का वो सिलसिला जो शायद अब थमने वाला नही था.
कनिका ने एक मादक सी अंगड़ाई लेते हुए अपनी टी शर्ट उतार कर दीवार पर दे मारी..
और उसकी साँवली और नन्ही छातियाँ देखकर मनिका के मुँह में पानी भर आया.
उसके निप्पल गहरे भूरे रंग के थे...और उसके निप्पल के घेरे पर भी महीन से दाने उगे हुए थे..मनिका तो उसके निप्पलों की कारीगरी देखकर अचंभित रह गई...क्योंकि उसके दानों पर भी इतनी महीन कारीगरी नही की थी ऊपर वाले ने...वो बिल्कुल सादे से थे...पर उसकी ब्रेस्ट कनिका के मुक़ाबले काफ़ी बड़ी थी..कनिका की तो अभी -2 आनी शुरू हुई थी..पर एक बार जब ये भर जाएगी तो कयामत ढाएगी ये लड़की..
और ये तभी भरेंगी जब इनके उपर मेहनत की जाएगी...ये सोचते हुए मनिका का सिर उसकी छातियों पर झुकता चला गया..और अपने होंठ,दाँत और जीभ रूपी ओजरों से उसने कनिका के बूब्स पर मेहनत करनी शुरू कर दी..
सबसे पहले अपनी गर्म जीभ से उसने कनिका के निप्पल्स को छुआ....जो कनिका के शरीर पर पहला स्पर्श था किसी लड़की का...ज़्यादातर लड़कियों के शरीर पर पहला स्पर्श किसी लड़के का होता है..पर लड़की के स्पर्श में भी कोई बुराई नही थी इस वक़्त...कनिका ने एक तड़प भरी किलकारी मारते हुए अपनी दीदी के सिर को पकड़कर ज़ोर से दबा लिया अपनी छातियो पर...और चीख पड़ी वो..
''सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.......आआआआआअहह दीदी............. ...उफफफफफफफफफफफफ फफफ्फ़.........क्या फीलिंग है ......माय गॉड ..... आआआआआआआअहह........ज़ोर से सक्क करो ना....दीदी............प्लीईईईईस......काट लो इन्हे......जोरों से...............दांतो से..................आआआआआआहह उूुुुउउफ़फ्फ़ एसस्स ऐसे ही................. उम्म्म्ममममममममममममममममममममम आआआआआआआहह दीदी..........यार .....कहाँ थी आप ......पहले क्यों नही किया ये सब..................उम्म्म्मममममममममममममम.......''
कनिका तो भाव विभोर सी हुई जा रही थी अपने शरीर को मिल रहे इतने उत्तेजक मज़े को महसूस करते हुए...उसे पता तो था की ऐसा ही कुछ होता होगा..पर अभी जो कुछ भी हो रहा था उसके साथ वो उसे शब्दों मे व्यक्त कर ही नही सकती थी...ऐसा मज़ा ...इतना आनद....उत्तेजना का इतना संचार...ऐसी तड़प...उसने आज तक सोचा भी नही था की लड़की के साथ सेक्स के खेल में भी इतना मज़ा आता है.
मनिका के सिर को कभी एक पर तो कभी दूसरी ब्रेस्ट पर वो लट्टू की तरह घुमा रही थी...उसकी लार से उसने अपनी छातियों की पुताई करवा ली...उसके लंबे और नुकीले निप्पल अपने पुर शबाब पर आ चुके थे...
वो बेड पर पड़ी हुई किसी मछली की तरह तड़प रही थी.
उसने अपनी नशीली आँखो से मनिका की तरफ देखा..और फिर अपने हाथ उपर करते हुए उसने मनिका की ब्रैस्ट को पकड़ लिया...
मनिका को तो ऐसा लगा जैसे उसके दिल की धड़कन रुक जाएगी..जब कनिका ने उन्हे टी शर्ट के उपर से ही मसलना शुरू किया..
''उह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उऊहह ...............आआआआआआअहह कनिका..................उम्म्म्ममममममममम...... .एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स......''
और फिर धीरे-2 कनिका ने उसकी टी शर्ट को उपर खिसकाना शुरू कर दिया...और अंत में आते-2 उसे उतार कर अपनी ही टी शर्ट के उपर फेंक दिया..मनिका ने तो ब्रा पहनी हुई थी...जिसे उसने खुद ही अपने हाथ पीछे करते हुए खोल दिया..
और जैसे ही उसके बूब्स कनिका की नज़रों के सामने आए, अपने आप ही उसका मुँह उनकी तरफ खींचता चला गया..और उसने एक जोरदार झटके के साथ उसकी बड़ी सी ब्रेस्ट को अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया..
किसी बच्चे की तरह वो उसके लम्बे निप्पल का दूध पीने लगी..
और अपनी नन्ही बहन को अपनी छाती से चिपका कर मनिका ने एक रस भरी सिसकारी मारकर उसे और अंदर घुसा लिया..
''आआआआआआआआआअहह ओह्ह्ह्ह माय बैबी .................. सकक्क मी......सक्क.....इट ......बैबी.....''
बैबी तो पहले से ही उत्तेजना के शिखर पर थी...अपनी बहन की दर्द भरी पुकार सुनकर वो और ज़ोर से उसके दानों को अपने पैने दांतो से कुतरने लगी...किसी चुहिया की तरह...और हर बार काटने पर मनिका के शरीर से एक अजीब सी तरंग उठ जाती..जिसे कनिका सॉफ महसूस कर पा रही थी..
ये खेल दोनों के लिए नया था...आज से पहले उन्होने किसी लड़की के साथ ऐसा कुछ भी नही किया था...पर सेक्स भी अजीब तरह का खेल है..इसे सीखना नही पड़ता, ये अपने आप आता चला जाता है..
और यही हो रहा था दोनो के साथ...कनिका के साथ तो कुछ ज़्यादा ही...वो छुटकी कुछ ज़्यादा ही उछल रही थी इस खेल में ...
इसलिए जब अच्छी तरह से उसने मनिका की ब्रेस्ट का जूस पी लिया तो वो तुरंत खड़ी हुई और उसने अपनी केप्री भी उतार कर फेंक दी...और अब वो मनिका के सामने बेशर्मों की तरह पूरी तरह से नंगी होकर बैठी थी..
कनिका की देखा देखी मनिका ने भी अपना पायज़ामा उतार दिया...और अब वो दोनो नंगी बैठी थी एक दूसरे के सामने..पर आगे क्या करना है ये किसी को नही मालूम था..क्योंकि किसी लड़की के साथ ये उन दोनों का ही पहला एक्सपीरियंस था
मनिका की नंगी ब्रैस्ट देखने में काफी यम्मी लग रही थी , वो कनिका के मुकाबले काफी बड़ी भी थी,इसलिए मनिका उनको हाथों में लेकर खुद ही दबाने लगी, और अपनी मोटी छातियों में और उभार ले आई
अपने अंतर्मन की आवाज़ सुनकर दोनो ने एक दूसरे की ब्रेस्ट को अच्छी तरह से चूस डाला था..पर अब क्या करे ,शायद यही सोचे जा रही थी वो दोनो...
उत्तेजना के नशे में कनिका को सिर्फ़ वही याद आ रहा था की कैसे वो खुद,जब पापा उसकी चुत चूस रहे थे तो ज़ोर-2 से आहे भरकर मज़े ले रही थी..
बस,कनिका ने भी वही ठान लिया..
उसने धीरे से धक्का देकर मनिका को बेड पर लिटा दिया..
पहले तो अपनी उँगलियों को मनिका की चूत में डालकर कनिका ने अंदर के टेंप्रेचर और चिकनाई का अंदाजा लिया
और फिर धीरे -२ नीचे झुककर वो अपना चेहरा चूत के करीब ले गयी
मनिका का शरीर भी काँप उठा,ये सोचकर की उसके साथ क्या होने वाला है अब...उसके होंठ थरथरा कर रह गये, पर उनमे से ना नही निकल पाया...और उसने अपने आप को अपनी छोटी बहन के सुपुर्द करते हुए अपनी आँखे बंद कर ली.
और फिर कनिका नीचे झुकी और उसने अपने होंठों से उसकी गुलाब जैसी चूत की फेली हुई पंखुड़ियों को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया.
पहला नीवाला मुँह में लेते ही उसका स्वाद पता चल गया कनिका को...जो उसे काफ़ी मजेदार लगा..
और मनिका तो बिफर गयी अपनी चूत की चुसाई से...
''ऊऊऊऊऊऊऊहह कनिका.............मेरी ज़ाआाआन्न................सस्स्स्स्स्स्सस्स..... ये क्या कर दिया............आआआआहह .....बहुत मज़ा आ रहा है ............उम्म्म्ममममममममम..... एसस्स्स्स्सस्स...... अहह.....''
और फिर तो वो बावली कुतिया की तरह उसकी चूत के उपर लगे अखरोट के दाने पर और संतरे की फाँक जैसी चूत को खाने में लग गयी...
अपनी लंबी और गर्म जीभ को उसने अंदर भी धकेला..उसकी मलाई को चाटा ...चूसा...और अंत में पी गयी.
ऐसा स्वाद लगा उसे उसकी चूत का की वो उसे तब तक चूसती रही जब तक मनिका झड़ने के करीब नही पहुँच गयी..
और मनिका को तो अपनी चूत चुस्वाते हुए अपने पापा ही याद आ र्हे थे..और याद आ रहा था उस रात का दृश्य
.और उसी सीन को याद करते हुए मनिका को ऐसा फील हुआ की इस वक़्त कनिका नही बल्कि उसके पापा उसकी चूत को चूस रहे हैं..
और झड़ने के करीब तो वो वैसे ही थी...इसलिए जैसे ही उसकी चूत से ताज़ा नारियल पानी निकल कर कनिका के मुँह में गया...उसने उसके बालों को पकड़ कर अपनी फूली हुई चूत पर घिस डाला और ज़ोर से चिल्लाई....
''आआआआआआअहह.................ओह..... पापा.................... सकककककक मिईीईईईई.......''
भावनाओ में बहकर उसके मुँह से पापा निकल तो गया...पर अगले ही पल वो यथार्थ के धरातल पर आ गयी...और उसने डरते-2 कनिका की तरफ देखा..
पर शायद उसने सुना नही था....क्योंकि वो बड़े ही प्यार से उसकी चूत में से बूँद-2 करके निकल रहा रस अपनी जीभ में समेट कर अंदर लेने में लगी हुई थी..
और जब पूरी तरह से उसकी चूत के रस को उसने पी लिया तो अपना मुँह सॉफ करते हुए वो मुस्कुराती हुई उपर आई...
''अक्चा....तो पापा के उपर नज़र है आपकी....आप तो बड़े चालू निकले दीदी....''
उसकी ये बात सुनकर मनिका का शरीर सुन्न होता चला गया
..
पर कनिका के होंठों पर अलग ही तरह की मुस्कान आ चुकी थी अब.
जिसे देखकर मनिका समझ नही पा रही थी की उसके दिमाग़ में आख़िर चल क्या रहा है..
पर उसके बाद जो हुआ, उसे देखकर तो मनिका के भी होश उड़ गये..उसने तो सोचा भी नही था की इस चुहिया के दिमाग़ में इतना गंद भरा पड़ा है
मनिका से कुछ बोलते नही बन रहा था...रंगे हाथो पकड़ी गयी थी वो .
जिस कनिका को वो अपने प्यारे पापा से दूर करना चाहती थी, उसके सामने ही उसके और पापा के बीच का परदा उठ गया...अब उसे उस हद तक तो नही मालूम था पर जिस अंदाज में वो पकड़ी गयी थी..यानी अपनी चूत को चुसवाते हुए और झड़ते हुए जिस अंदाज में उसने अपने पापा को पुकारा था, उसे देखकर तो कोई बेवकूफ़ भी बता देगा की मनिका के मन में उसके पापा के लिए क्या चल रहा है.
मनिका ने अपना चेहरा नीचे कर लिया.
कनिका : "ओहो दीदी...आप प्लीज़ ऐसे एम्बेरेस मत होवो ...इनफेक्ट मुझे तो इस बात की खुशी है की आप पापा को उस नज़र से देखते हो,जिस नज़र से उन्हे मैं देखकर अपने अरमानो को दबाया करती थी..''
कनिका के मुँह से सीधी बात सुनकर मनिका भी चोंक गयी...पर उसने कुछ ज़्यादा रिएक्ट नही किया..आख़िर कनिका की भी क्या ग़लती है इसमे...एक तो उनके पापा इतने चार्मिंग है,वो खुद उनसे चुदाई करती है , ऐसे में कनिका को किसी भी बात का दोष देना सही नही था.
मनिका ने भी अब कनिका को कल रात के बारे में उसे बता देना उचित समझा, और फिर उसने कहा
मनिका- सुन कनिका, वो मैं तुझे कल रात के बारे में कुछ बताना चाहती हूं
कनिका - यही ना कि कल आपने मुझे और पापा को चुदाई करते देख लिया था
मनिका तो कनिका की बात सुनकर दंग रह गयी, उसे तो अब सूझ ही नही रहा था कि वो क्या बोले
कनिका - दीदी आप शर्माओ मत प्लीज़, दरअसल मैंने और पापा ने तो गांव में उस रात ही पहली चुदाई कर ली थी जब हम साथ सोये थे, और कल रात भी मैने ही जानबूझकर कमरे का दरवाजा खुला रखा था
मनिका के ऊपर तो जैसे एक के बाद एक बम फूट रहे थे, वो पूछना चाहती थी कि ये सब हुआ कैसे पर उसके पूछने से पहले ही कनिका ने उस पर एक और बम फोड़ दिया
कनिका - दीदी वो उस दिन सुबह मैंने आपको भी पापा का लंड चूसते हुए देख लिया था, आपको लग रहा था मैं सो रही थी पर आपकी आवाज सुनकर मैं जग गयी थी और आप दोनों के खेल का आनंद उठा रही थी
मनिका के चेहरे की हवाइयां उड़ चुकी थी, कहाँ तो वो सोच रही थी कि वो ही उन दोनों के बारे में जानती है पर यहां तो ये छुटकी उसकी माँ निकली
कनिका - अच्छा दीदी, प्लीज़ आप मुझसे शर्माओ मत, आपने और मैंने दोनों ने ही पापा के साथ चुदाई कर ली है तो हमे एक दूसरे से कुछ नही छुपाना चाहिए, अच्छा दीदी प्लीज़ बताओ ना आप दोनों के बीच ये सब कैसे शुरू हुआ
मनिका भी अब थोड़ी नार्मल हो चुकी थी, फिर उसने कनिका को अपने और अपने पापा के बीच हुए पूरे वाकये को शुरू से लेकर अंत तक मिर्च मसाला लगाकर सुना दिया, कैसे पहली बार दिल्ली में ये सब शुरू हुआ था, कैसे जयसिंह ने अपनी बेटी को फंसाने के लिए चले चली, कैसे फिर वो उनसे नाराज़ हुई, कैसे धीरे धीरे वो उन्हें चाहने लगी, और कैसे उस बरसात की रात वो सब कुछ हुआ