hotaks444
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मेरी बेकाबू जवानी--1
हाई मेरा नाम जया है. मैं सूरत की रहने वाली हू. मेरी सर नेम मे काफ़ी ट्विस्ट है. मेरे पापा हिंदू है और उनका नाम संजय पटेल है. मेरी मा मुस्लिम है और उनका नाम नाज़ गोडिल है. उनकी लव मेरीज हुई है. . बात मेरे सर नेम की तो मेरा सर नेम गोडिल है. मेरा पूरा नाम जया संजय गोडिल है.
अब मैं अपने बारे मे कुछ बताती हू. मेरा बर्तडे है 01/05/83, गुजरात स्टेट का जनम दिवस और मेरी उमर 28 साल की है. मेरा जनम सूरत मे नही . महसाना जिले(डिस्ट्रिक्ट) के एक छोटे से गौव मे हुआ था. मैने 12थ, BBआ, MBआ किया है. मेरी शादी हो चुकी है और मे मेरे पति के साथ सूरत मे रह रही हू और मेरा मयका भी सूरत मे ही है. मेरा रंग गोरा है (मम्मी की तरह). मेरी हाइट 5फ्ट 3इंच है. मेरे बाल . तक लंबे, काले और बहुत ज़्यादा घने है.
अब मे आपको मेरी पिछली ज़िंदगी के बारे मे बताती हू. ये कहानी उस वक़्त की है जब मे 12थ स्ट्ड ख़तम कर के कॉलेज के पहले साल मे पढ़ती थी. हम मेरे नेटिव प्लेस से सूरत रहने आए थे. बजाह थी पापा की जॉब जो कि हज़ीरा मे ट्रान्स्फर हुई थी. हमे हज़ीरा के क्वॉर्टर्स मे रहने को मिला था. लेकिन मेरा कॉलेज जो कि गुजराती कॉलेज था उसकी बजाह से हमे रंदर मे घर किराए पे लेना पड़ा.
मुझे सीधे ही उस घर मे शिफ्ट हो ना था क्यूंकी पापा ने खुद ही वो घर सेलेक्ट कर लिया था. ., 1स्ट जून को हम वाहा शिफ्ट हो गये. वो दो मज़िला घर था, हमे दूसरी मज़िल मे रहना था. उसमे 2 रूम और 1 हॉल कम किचन था. दोनो रूम मास्टर बेडरूम थे. एक मेरे लिए और एक मम्मी-पापा के लिए. मे बहुत खुस थी अपने नये घर मे आके. पापा ने हमे बताया था कि नीचे वाले घर मे एक अंकल रहते है जो इस बंगलो के मालिक है. मेने और मम्मी ने उन्हे अभी तक नही देखा था और उनके बारे मे हमे कोई जानकारी भी नही थी.
डेट 17-जून-2000 हल्की सी बारिस हो रही थी. मेने अपने जिस्म को खुद अच्छी तरह से साफ कर के कॉलेज ड्रेस पहन लिया. हमारी कॉलेज मे ड्रेस पहनना है, उपर एक शर्ट और नीचे एक लहँगा या पयज़ामा. जब मे सुबह कॉलेज जाने के लिए नीचे सीडिया उतर के पहले माले से जा रही थी तभी एक हाथ पीछे से आके मेरी गर्दन पे आया और मुझे उसकी और खीच लिया, और मेरे नाज़ुक होंठो को चूमने लगे. मेरे एक हाथ मे कॉलेज बॅग थी जिसे मेने बहुत ज़ोर से पकड़ा हुआ था और एक हाथ मे छाता था उसे भी मेने ज़ोर से पकड़ लिया क्यूंकी मे काफ़ी डर चुकी थी. मेने अपनी आखे बंद कर रखी थी क्यूंकी मुझे पता नही था वो कौन है इंसान या कोई भूत.वो मेरे होंठो को हल्के से चूस रहे थे, मे कोई विरोध नही कर रही थी, मे डरी हुई थी. वो पहले मेरे उपर के होठ को चूम के उसके रस को चूस रहे थे और उसके साथ लेफ्ट हाथ मेरी गर्देन पे था और राइट हाथ मेरी कमर पे. फिर वो मेरे नीचे के होठ को चूमने लगे और उसका भी रस पी लिया.वो मुझे करीब 10 मिनट तक मेरे दोनो होंठो को बारी बारी चूम ते रहे. इस दोरान मेने अपनी आँखो को थोड़ा सा खोल के देखा, वो एक इंसान का मूह था, मे थोड़ा सा शांत हुई क्यूंकी ये कोई भूत नही है, उनके चेहरे मे एक अजीब सा आकर्षण था, उनके बाल सफेद थे, आँखे बड़ी थी, उनके पूरा चेहरा गोरा था. मेने सोचा ये नीचे वाले अंकल ही होंगे जो इस घर के मालिक है. मुझे बहुत अजीब और अच्छा सा महसूस हो रहा था, क्यूंकी हल्की बारिश से मौसम भी थोड़ा भीना हो गया था और ठंडी हवाए चल रही थी, ये मेरी जिंदगी का पहला अनुभव था जब मेरे होंठो को किसी ने होंठो से चूमा था, उस वक़्त कोई खुले आम कुछ नही करता था इसलिए मुझे सेक्स और लव और किस की कोई पता नही थी (राइट टू इन्फर्मेशन) और हमे मम्मी-पापा भी कुछ बताते नही थे, और मेने कभी मेरे जिस्म के साथ कुछ प्यार भरा अनुभव नही किया था, और मेरे लिए वो चुंबन का पहला शारीरिक(फिज़िकल) अनुभव था.10 मिनट के बाद उन्होने मुझे छोड़ दिया और मे ने कुछ पीछे कदम लेते हुए आँख खोल के देखा. वो एक प्रौढ़ आदमी थे तकरीबन 41 यियर्ज़ की उमर के, वो काफ़ी हत्ते कत्ते लग रहे थे, उन्होने उपर कुछ पहना नही था और इनका सीना काफ़ी चौड़ा था और उनकी छाती पे सफेद बाल भी थे, नीचे एक पेंट था और वो मुझे देख के मुस्करा रहे थे. मे भी मुस्करा कर वाहा से कॉलेज चली गयी.
कॉलेज मे रिसेस के टाइम पे सोच ने लगी अंकल ने मेरे होंठो को जिस तरह चूम लिया था उसे मे याद कर रही थी. मेने जब उनकी तरफ देखा था उस वक़्त उनका थोड़ा सा हस्ता हुआ चेहरा मेरे सामने आ गया, मे उनके लाल होंठो को देख रही थी, वो भी मेरी तरह गोरे ही थे. अंकल के मेरे होंठो को चूम ने से मुझे काफ़ी शरम आ रही थी और मेरे दिल मे कुछ हो रहा था. मेरा दिमाग़ बस उस चुंबन को ही याद कर रहा था और जो मे सोच रही थी कि वो इंसान है या भूत उस पे हंस रही थी. मेरे लिए ज़िंदगी का पहला अनुभव है, अंकल ने मेरे नाज़ुक होंठो बहुत ही प्यार से चूमा था. यही सोचते रिसेस ख़तम हो गयी और जल्दी छुट्टी मिली थी क्यूंकी सुरू के दिनो मे कॉलेज मे ज़्यादा पढ़ाते नही है और मे घर के लिए चल पड़ी.
मेने घर आके देखा कि नीचे का कमरा बंद था. जैसे ही सीडियो से उपर जाने लगी कि मुझे सुबह वाला चुंबन का किस्सा याद आ गया और मे मुस्काराके उपर चली गयी. मे घर जाते मम्मी से ये सब बात करने वाली थी, क्यूंकी मेरे साथ ऐसा पहले कभी नही हुवा था, वैसे तो मेरे मम्मी - पापा मुझे ज़्यादा प्यार नही करते, क्यूंकी लव मॅरेज के बाद वो दोनो काफ़ी लड़ते थे और उनका वक़्त सिर्फ़ उसमे ही निकल जाता था. मे ने घर मे जाके के देखा के मम्मी के रिस्तेदार जो कि सूरत मे रंदर मे रहते है वो उनसे मिलने आए थे और उनकी बजह से सारा घर भरा हुआ था क्यूंकी वो एक दो तो होते नही है एक ही घर मे टोटल 20 लोग होगे और ऐसे दो रिस्तेदार के घर वाले आए थे जो कि 40 लोग थे. उनमे से काफ़ी सारे छोटे बच्चे भी थे. सो मे उसमे से एक बच्चे को नीचे घुमाने ले के गयी क्यूंकी उपर गर्मी की परेसानी से वो रो रहा था. मेने नीचे जाते ही देखा कि अंकल के रूम मे लाइट ऑन थी, मे थोड़ा सा डर गयी कही अंकल मुझे फिरसे ना पकड़ ले. वो बच्चे की रोने की आवाज़ से बाहर आए और उन्होने मुझे देखा कि वो बच्चा मेरे से चुप नही हो रहा था. सो अंकल मेरे आगे आए और बच्चा मेरे पास से ले लिया और अंदर चले गये मे भी उनके पीछे चली गयी. उन्होने बच्चे को फॅन के पास सोफे पे लिटा दिया, और वो बच्चा भी तुरंत फॅन की हवा से सो चुप हो गया और उसे नींद आने लगी.
हाई मेरा नाम जया है. मैं सूरत की रहने वाली हू. मेरी सर नेम मे काफ़ी ट्विस्ट है. मेरे पापा हिंदू है और उनका नाम संजय पटेल है. मेरी मा मुस्लिम है और उनका नाम नाज़ गोडिल है. उनकी लव मेरीज हुई है. . बात मेरे सर नेम की तो मेरा सर नेम गोडिल है. मेरा पूरा नाम जया संजय गोडिल है.
अब मैं अपने बारे मे कुछ बताती हू. मेरा बर्तडे है 01/05/83, गुजरात स्टेट का जनम दिवस और मेरी उमर 28 साल की है. मेरा जनम सूरत मे नही . महसाना जिले(डिस्ट्रिक्ट) के एक छोटे से गौव मे हुआ था. मैने 12थ, BBआ, MBआ किया है. मेरी शादी हो चुकी है और मे मेरे पति के साथ सूरत मे रह रही हू और मेरा मयका भी सूरत मे ही है. मेरा रंग गोरा है (मम्मी की तरह). मेरी हाइट 5फ्ट 3इंच है. मेरे बाल . तक लंबे, काले और बहुत ज़्यादा घने है.
अब मे आपको मेरी पिछली ज़िंदगी के बारे मे बताती हू. ये कहानी उस वक़्त की है जब मे 12थ स्ट्ड ख़तम कर के कॉलेज के पहले साल मे पढ़ती थी. हम मेरे नेटिव प्लेस से सूरत रहने आए थे. बजाह थी पापा की जॉब जो कि हज़ीरा मे ट्रान्स्फर हुई थी. हमे हज़ीरा के क्वॉर्टर्स मे रहने को मिला था. लेकिन मेरा कॉलेज जो कि गुजराती कॉलेज था उसकी बजाह से हमे रंदर मे घर किराए पे लेना पड़ा.
मुझे सीधे ही उस घर मे शिफ्ट हो ना था क्यूंकी पापा ने खुद ही वो घर सेलेक्ट कर लिया था. ., 1स्ट जून को हम वाहा शिफ्ट हो गये. वो दो मज़िला घर था, हमे दूसरी मज़िल मे रहना था. उसमे 2 रूम और 1 हॉल कम किचन था. दोनो रूम मास्टर बेडरूम थे. एक मेरे लिए और एक मम्मी-पापा के लिए. मे बहुत खुस थी अपने नये घर मे आके. पापा ने हमे बताया था कि नीचे वाले घर मे एक अंकल रहते है जो इस बंगलो के मालिक है. मेने और मम्मी ने उन्हे अभी तक नही देखा था और उनके बारे मे हमे कोई जानकारी भी नही थी.
डेट 17-जून-2000 हल्की सी बारिस हो रही थी. मेने अपने जिस्म को खुद अच्छी तरह से साफ कर के कॉलेज ड्रेस पहन लिया. हमारी कॉलेज मे ड्रेस पहनना है, उपर एक शर्ट और नीचे एक लहँगा या पयज़ामा. जब मे सुबह कॉलेज जाने के लिए नीचे सीडिया उतर के पहले माले से जा रही थी तभी एक हाथ पीछे से आके मेरी गर्दन पे आया और मुझे उसकी और खीच लिया, और मेरे नाज़ुक होंठो को चूमने लगे. मेरे एक हाथ मे कॉलेज बॅग थी जिसे मेने बहुत ज़ोर से पकड़ा हुआ था और एक हाथ मे छाता था उसे भी मेने ज़ोर से पकड़ लिया क्यूंकी मे काफ़ी डर चुकी थी. मेने अपनी आखे बंद कर रखी थी क्यूंकी मुझे पता नही था वो कौन है इंसान या कोई भूत.वो मेरे होंठो को हल्के से चूस रहे थे, मे कोई विरोध नही कर रही थी, मे डरी हुई थी. वो पहले मेरे उपर के होठ को चूम के उसके रस को चूस रहे थे और उसके साथ लेफ्ट हाथ मेरी गर्देन पे था और राइट हाथ मेरी कमर पे. फिर वो मेरे नीचे के होठ को चूमने लगे और उसका भी रस पी लिया.वो मुझे करीब 10 मिनट तक मेरे दोनो होंठो को बारी बारी चूम ते रहे. इस दोरान मेने अपनी आँखो को थोड़ा सा खोल के देखा, वो एक इंसान का मूह था, मे थोड़ा सा शांत हुई क्यूंकी ये कोई भूत नही है, उनके चेहरे मे एक अजीब सा आकर्षण था, उनके बाल सफेद थे, आँखे बड़ी थी, उनके पूरा चेहरा गोरा था. मेने सोचा ये नीचे वाले अंकल ही होंगे जो इस घर के मालिक है. मुझे बहुत अजीब और अच्छा सा महसूस हो रहा था, क्यूंकी हल्की बारिश से मौसम भी थोड़ा भीना हो गया था और ठंडी हवाए चल रही थी, ये मेरी जिंदगी का पहला अनुभव था जब मेरे होंठो को किसी ने होंठो से चूमा था, उस वक़्त कोई खुले आम कुछ नही करता था इसलिए मुझे सेक्स और लव और किस की कोई पता नही थी (राइट टू इन्फर्मेशन) और हमे मम्मी-पापा भी कुछ बताते नही थे, और मेने कभी मेरे जिस्म के साथ कुछ प्यार भरा अनुभव नही किया था, और मेरे लिए वो चुंबन का पहला शारीरिक(फिज़िकल) अनुभव था.10 मिनट के बाद उन्होने मुझे छोड़ दिया और मे ने कुछ पीछे कदम लेते हुए आँख खोल के देखा. वो एक प्रौढ़ आदमी थे तकरीबन 41 यियर्ज़ की उमर के, वो काफ़ी हत्ते कत्ते लग रहे थे, उन्होने उपर कुछ पहना नही था और इनका सीना काफ़ी चौड़ा था और उनकी छाती पे सफेद बाल भी थे, नीचे एक पेंट था और वो मुझे देख के मुस्करा रहे थे. मे भी मुस्करा कर वाहा से कॉलेज चली गयी.
कॉलेज मे रिसेस के टाइम पे सोच ने लगी अंकल ने मेरे होंठो को जिस तरह चूम लिया था उसे मे याद कर रही थी. मेने जब उनकी तरफ देखा था उस वक़्त उनका थोड़ा सा हस्ता हुआ चेहरा मेरे सामने आ गया, मे उनके लाल होंठो को देख रही थी, वो भी मेरी तरह गोरे ही थे. अंकल के मेरे होंठो को चूम ने से मुझे काफ़ी शरम आ रही थी और मेरे दिल मे कुछ हो रहा था. मेरा दिमाग़ बस उस चुंबन को ही याद कर रहा था और जो मे सोच रही थी कि वो इंसान है या भूत उस पे हंस रही थी. मेरे लिए ज़िंदगी का पहला अनुभव है, अंकल ने मेरे नाज़ुक होंठो बहुत ही प्यार से चूमा था. यही सोचते रिसेस ख़तम हो गयी और जल्दी छुट्टी मिली थी क्यूंकी सुरू के दिनो मे कॉलेज मे ज़्यादा पढ़ाते नही है और मे घर के लिए चल पड़ी.
मेने घर आके देखा कि नीचे का कमरा बंद था. जैसे ही सीडियो से उपर जाने लगी कि मुझे सुबह वाला चुंबन का किस्सा याद आ गया और मे मुस्काराके उपर चली गयी. मे घर जाते मम्मी से ये सब बात करने वाली थी, क्यूंकी मेरे साथ ऐसा पहले कभी नही हुवा था, वैसे तो मेरे मम्मी - पापा मुझे ज़्यादा प्यार नही करते, क्यूंकी लव मॅरेज के बाद वो दोनो काफ़ी लड़ते थे और उनका वक़्त सिर्फ़ उसमे ही निकल जाता था. मे ने घर मे जाके के देखा के मम्मी के रिस्तेदार जो कि सूरत मे रंदर मे रहते है वो उनसे मिलने आए थे और उनकी बजह से सारा घर भरा हुआ था क्यूंकी वो एक दो तो होते नही है एक ही घर मे टोटल 20 लोग होगे और ऐसे दो रिस्तेदार के घर वाले आए थे जो कि 40 लोग थे. उनमे से काफ़ी सारे छोटे बच्चे भी थे. सो मे उसमे से एक बच्चे को नीचे घुमाने ले के गयी क्यूंकी उपर गर्मी की परेसानी से वो रो रहा था. मेने नीचे जाते ही देखा कि अंकल के रूम मे लाइट ऑन थी, मे थोड़ा सा डर गयी कही अंकल मुझे फिरसे ना पकड़ ले. वो बच्चे की रोने की आवाज़ से बाहर आए और उन्होने मुझे देखा कि वो बच्चा मेरे से चुप नही हो रहा था. सो अंकल मेरे आगे आए और बच्चा मेरे पास से ले लिया और अंदर चले गये मे भी उनके पीछे चली गयी. उन्होने बच्चे को फॅन के पास सोफे पे लिटा दिया, और वो बच्चा भी तुरंत फॅन की हवा से सो चुप हो गया और उसे नींद आने लगी.