Mastram Kahani मेरी बेकाबू जवानी - Page 3 - SexBaba
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Mastram Kahani मेरी बेकाबू जवानी

फिर पति जी ने मेरे हाथो को उनकी छाती के उपर रख दिया और अपने हाथो को मेरी कमर के पास ले गये. कमर को अपने कड़क हाथी से उठा ते हुए उन्होने मुझे थोड़ा पीछे करते हुए उनके खड़े लंड पे बिठा दिया. सुरू मे लंड का आगे का भाग ही चूत मे घुसा, पति जी ने कहा “ जया जैसे तुम कुर्सी पे बैठ ती हो वैसे ही मेरे लंड पे बैठ जाओ और देखो कि वो तुझे कितना सुकून देता है. मेने अपनी कमर के बल ज़ोर लगा के पति जी के लंड को अपनी चूत मे और अंदर तक लेने की कोशिश की, लेकिन लंड बड़ा और मोटा था और मेरी हिम्मत नही हो रही थी इसे और अंदर लेने की. ये देख के पति जी ने मेरी कमर को दोनो हाथो से पकड़ के मुझे अपने लंड से उठा के बेड पे पीठ के बल लिटा दिया और खुद मेरे दोनो पैरो के बिच मे आके मेरी चूत मे लंड डाल ने लगे. लंड को पूरी तरह अंदर डाल ने के बाद पति जी मेरी उपर लेट गये और एक करवट ले कर मुझे आपने जिस्म के उपर ले लिया. 

पति जी ने मुझे फिर से अपने लंड के उपर बैठा दिया. इस बार पति जी के लंड ने मेरी चूत मे बहुत अंदर तक जाने के लिए देर नही की और जो बाकी रहा गया लंड था वो पति जी ने मेरी कमर पे अपने कड़क हाथो से ज़ोर देके अपना पूरा लंड मेरी चूत मे डाल दिया. मैं इस वक़्त मेरी चूत मे डाले हुए लंड को महसूस कर रही थी कि वो कितना अंदर तक गया है और मेरे चेहरे के उपर इस बात की पहचान पति जी को साफ नज़र आ रही थी. इस पर पति जी ने कहा “ जया डरो मत मेरा लंड जितना अंदर तक जाएगा तुम्हारी चूत इतनी ही खुल जाएगी और मेरे लंड को अपनी चूत मे जगह देना सीखो, मैं जब भी लंड चूत मे डालु तुम उसे चूत मे कोई तकलीफ़ ना उस का ख़याल रखो ना. मेने अपनी कमर को थोड़ा आगे पीछे किया और लंड को चूत मे कोई दिक्कत ना हो इस का ख़याल रखा. मेने पति जी से कहा “ पति जी ये मेरे लिए सब नया है, ऐसा मेने कभी भी नही देखा और सुना है, इसलिए मे थोड़ा हिच किचा रही थी. 

फिर पति जी ने अपनी कमर को थोड़ा उपर उठा के नीचे किया, इसके साथ उनका लंड भी मेरी चूत मे और थोड़ा अंदर तक जाने लगा. मैं आँखे बंद करके सोच ने लगी कि जैसे मैं ऊट के उपर बैठी हुई हू और वो वीरान रेगिस्तान मे चल रहा हो. थोड़ी देर के बाद पति जी अपनी स्पीड बढ़ा दी और अपने हाथो से मेरे स्तन पकड़ लिए. करीब आधे घंटे के बाद वो उनका पानी छुट ने वाला था और वो रुक गये. उनके लंड ने चूत मे पानी छोड़ दिया, वो पानी मेरी चूत के दो बार छोड़े हुए पानी के साथ, लंड सीधा चूत मे होने की बजाह से बाहर निकलने लगा , उस पानी ने मेरी और पति जी झांतो को भिगो दिया और हम दोनो थक चुके थे, इसलिए मैं पति जी के उपर ढेर हो गयी और उनके जिस्म के उपर सो गयी. 

ये सब होते 03:00 बज गये थे. मैं ने एक घंटे की नींद के बाद जग गयी. मेने देखा के मैं पति जी के जिस्म के उपर सोई हुई हू, मेने हल्के से पति जी के हाथ को हटाया जोकि मेरे सिर के बालो मे फसा था और अपने हाथो को पति जी की छाती के उपर रख के उनकी जियानगो के उपर बैठ गयी. पति जी का लंड मेरी चूत के पास ही था, वो इस वक़्त थोड़ा नरम था और एक छोटे चूहे की जैसा लग रहा था. मेने छोटे लंड को अपने हाथो मे लिया और देखने लगी. वो लंड एक दम रब्बर के जैसा नरम था और उसके उपर एक चॅम्डी का भाग था, जैसे ही मेने लंड की उपर की चॅम्डी के भाग को थोड़ा दबाते ही लंड की आगे भाग मे से एक सफेद चॅम्डी का भाग निकला. उस सफेद भाग को मैं गौर से देख रही थी, तभी पति जी की नींद टूट गयी और उन्होने मुझे और अपने लंड पे मेरे हाथ को देखा. पति जी ने मुझे मेरे हाथो से पकड़ के मुझे अपनी और खिचते हुए अपनी बाजू मे सुला दिया और खुद मेरी जाँघो के बीच मे आके पाने लंड को मेरी चूत मे डाल दिया. उन्होने मुझे बहुत देर तक चोदा और एक बार फिर मेरी चूत मे अपना पानी निकाल दिया और मेरी उपर गिर पड़े. 

पति जी मेरी उपर सो गये थे और मैं अपने हाथो से उनके सिर के बालो को सहला रही थी. मैं सोच रही थी कैसे मैं एक दिन मे ही इतनी बदल गयी. मेरे मन मे कई सवाल आ रहे थे कि 
कैसे मैं एक अंजान आदमी को अपना पति बना दिया? 
ऐसा क्या है उनमे जो मैं उनकी और हर वक़्त खीची चली आती हू? 
वो क्यू मेरी इतनी खातिरदारी करते है? 
हालाँकि मैं उनकी पत्नी हू फिर भी वो मुझे कुछ काम करने नही देते और हर वक़्त बस उनकी जिस्म की प्यास को बुझाते रहते है, ये आख़िर मे जिस्म की प्यास क्या है????????????? 

इतना सोचते मुझे भी नींद आ गयी. करीब 6 बजे पति जी ने उठाया और मैं उनके आशीर्वाद लेके अपने घर चली गयी. 
मैं जब अपने घर मे गयी तब मेने देखा कि मम्मी किचन मे खाना बना रही थी. मेने अपने रूम मे जाके अपने नोटबुक रख दिए और सीधे मम्मी के पास किचन मे चली गयी. मेने मम्मी से कहा “ मम्मी क्या बना रही हो, मुझे भी सीखना है ताकि मे भी शादी करके अपने पति देव को अपने हाथो से बनाया हुवा खाना खिला सकु, जैसे आज राज सर ने मुझे बताया”. मम्मी ने आश्चर्य से कहा “ अच्छा तो तुम्हे भी खाना बनाना सीखना है ! और राज सर ने क्या बताया?”. मेने कहा “ उन्होने कहा कि जब मेरी शादी हुई थी तो मेरी पत्नी को कुछ बनाना नही आता था और वो ही सारा काम कर लेते थे, इसलिए मेने सोचा मैं भी कुछ सीख जाउ तो दोपहर का खाना बनाने मे उनकी मदद कर सकु”. मम्मी ने कहा “ अरे मेरी लाडो रानी अभी तुम्हारी उमर नही है शादी करने की और रही बात राज जी की तो वो तुम्हे चाहते है और तुम्हारे जाने से उनका अकेलापन भी दूर हो गया इसलिए वो तुम्हारी हर तरह से मदद करते है. अच्छा जाओ और अपना होम वर्क पूरा करो”. फिर मेने खाना खाया और होमवर्क करके सो गयी. 
क्रमशः........ 
 
मेरी बेकाबू जवानी--11 
गतान्क से आगे...... 
डेट: 25-जून-96 ठीक रात के 12 बजे थे, मैं बाथरूम मे जाके फ्रेश होके सीधे अपने पति जी के पास चली गयी. पति जी ने मुझे दरवाजे पे रिसीव किया और सीधा मुझे मास्टर बेडरूम मे ले के गये. मेने बेडरूम मे जाते ही कविता जी से आशीर्वाद लिया और अपने पति जी को हर तरीके से खुस रख ने की प्रार्थना की. पति जी ने मुझे पीछे से पकड़ लिया और मेरे बालो को आगे करके पीठ पे चूमने लगे. उनके हाथ मेरे स्तन पे थे और पति जी उसे बहुत जोरो से दबा रहे थे. मैं गिर ना जाउ इस लिए मेने पति जी के हाथो को पकड़ लिया और उन्हे अपने स्तन पे से दूर करने लगी. तभी पति जी ने एक झटके मे ही मुझे बालो से पकड़ के बेड पे धक्का दे दिया और दौड़ के मेरे उपर लेट के मेरी चूत मे अपना लंड डाल दिया और मुझे आधे घंटे तक चोद ते रहे, मैने ईक बार अपना पानी निकाल दिया था. 

कुछ देर के बाद पति जी ने मुझे बेड से खड़ा किया और गोर से पूरे जिस्म को उपर से नीचे तक देखा. उन्होने कबार्ड मे से मेरे लिए एक लाल रंग का शर्ट और एक सफेद रंग का पयज़ामा निकाला. मेने उसे बिना ब्रा और चड्डी के पहन लिया. पति जी ने अपने हाथो को मेरी कमर पे रखा और एक हल्की सी किस दी और कहा “ जया रानी आज हम अपनी नयी गाड़ी मे घूमने जाएँगे, मैं तुम्हे सर्प्राइज़ देना चाहता था इस लिए तुम से आज पूरे दिन ठीक तरह से पेस नही आया. ये गाड़ी मेने सिर्फ़ तुम्हारे लिए ली है”. मेने बहुत खुस होके पति जी को गले लगा लिया और उनके होंठो को चूम लिया और कहा “ मैं बहुत खुस हू के सच मे मुझे इस दुनिया मे सब से ज़्यादा प्यार करते है, ना जाने मैं किस तरह से आपका सुक्रिया अदा करू”. पति ने कहा “ चलो गाड़ी के पास चलते है”. हम दोनो नीचे पार्किंग मे गाड़ी के पास गये. मेने देखा एक लंबी सी गाड़ी खड़ी है. पति जी ने ड्राइवर के बाजू वाली सीट का दरवाजा खोला और मुझे अंदर बैठ ने का इशारा किया और वो ड्राइवर की सीट पर बैठ गये और गाड़ी चल पड़ी. 

गाड़ी मे हल्का सा इन्स्ट्रुमेंट सॉंग बज रहा था. पति जी गाड़ी चलाते हुए एक हाथ मेरे राइट स्तन पर रख के उसे दबाने लगे और मैं मन ही मन हल्का सा हंस रही थी. एक मोड़ पे पति जी ने गाड़ी को रोक दिया. पति जी ने गाड़ी मे से उतर के मेरी सीट के बाजू वाले दरवाजे को खोल के मुझे बाहर निकाला. मेने चारो तरफ देखा एक ये बड़ा जंगल जैसा लग रहा था. पति जी ने गाड़ी की डिकी मे से एक चदडार निकली और मुझे उसे के उपर लिटा दिया. 

मेरे पैरो के पास आके उन्होने मुझे चूमना सुरू कर दिया और धीरे धीरे करके उपर तक आके मेरे कपड़े निकाल दिए. आज फिर से मेरी ज़िंदगी का ये नया अनुभव था के मैं खुले आसमान और खुली ज़मीन पर नंगी लेटी हू और मेरे सामने मेरे पति जी पूरे नंगे होकर मुझे देख रहे थे. फिर पति जी ने मेरी चूत और उनके लंड का संगम करा दिया और हम दोनो की चुदाई सुरू हो गयी. खुले आसमान मे होने की बजाह से ठंडी हवा चलने से मेरे पूरे जिस्म मे एक ठंडी लहर दौड़ रही थी. मेने आज पहली बार महसूस किया कि ठंडी हवा के कारण मेरे जिस्म के अंदर कुछ होने लगा और मेने पति जी को ज़ोर से पकड़ लिया. इस पर पति जी ने कहा “ जया रानी आज तुम्हे बहुत मज़ा आएगा क्यूंकी आज से तुम्हारे जिस्म की प्यास खुलनी सुरू हो गयी है, मैं कई दिनो से तुम्हे चोद रहा हू लेकिन आज जो तुमने मुझे दिल से पकड़ा इससे साबित होता है कि तुम्हारी जिस्म की प्यास की सुरुआत हो गयी है, इस बात पर मैं आज तुम्हे पूरी रात सोने नही दूँगा और खूब चोदुन्गा”. मेरे उपर लेटे हुए पति जी ने मुझे आधे घंटे तक चोदा. फिर मुझे अपनी उपर बिठा के मेरी कमर को पकड़ के मुझे उपर नीचे कर के मुझे चोद ने लगे. 

थोड़ी देर करने के बाद पति जी ने मुझे कहा “ जया अब तुम खुद ही उपर नीचे होना और मेरे लंड को अपनी चूत मे बाहर ना निकालो इसका ख़याल रखना”. मेने उनकी बात को मानते हुए अपने पैरो के सहारे कमर के उपर के भाग को उपर नीचे करने लगी. मुझे पता नही कैसा नशा सा च्छा रहा था, मेरे बाल मेरे कंधे से होके मेरे स्तन और सिर के आस पास हिल रहे थे. पति जी ने अपने दोनो हाथो से मेरे दोनो स्तन को पकड़ लिया और उन्हे हल्के हल्के से दबाने लगे. कई बार तो उन्होने मेरे स्तानो के निपल को अपने हाथो से मसल दिया, मेरे बदन मे एक झटका सा लगा और मेरी कमर ने एक झटके मे पति जी के लंड को और अंदर कर दिया. ऐसा ही चल रहा था कि पति जी मेरे स्तन को बहुत ज़ोर से दबाने लगे और मैं भी इसे सहन ना करते हुए अपनी कमर को और तेज़ी से उपर नीचे करने लगी. मेरी चूत ने दो पर पानी निकाल दिया था उसकी बजहा से पति जी का लंड भी गीला हो गया और वो अब और अंदर तक जाने लगा. 

मेने अपनी आँखे हल्की सी खुली रखी थी और मैने देखा कि पति जी मुझे बहुत गहराई वाली नज़रो से देख रहे थे, मैं उनसे सीधे आँखे नही मिला पा रही थी. एक घंटे तक कभी पति जी मेरी कमर को पकड़ के उपर नीचे करते तो कभी मैं खुद अपनी कमर को उपर नीचे करती थी. पति जी को ऐसा लग रहा था कि उनका लंड अब पानी छोड़ देगा तो उन्होने मुझे अपने जिस्म से नीचे उतारा और मुझे चदडार पे लिटा दिया. वो मेरे सिर के पास आके बैठ गये ओए और उन्होने मेरे बालो को मेरे सिर के पीछे करते हुए उसे चदडार के उपर फेला दिया और खुद मेरे सिर के पीछे वाले भाग मे जाके बैठ गये. थोड़ी देर के बाद मेरे बालो के उपर एक गरम पानी गिरने का ऐएहसास हुवा. फिर पति जी ने मेरे बालो को एक साथ पकड़ के उस मे चम्पी करने लगे और कहा “ जया आज मेने तुम्हारे बालो मे अपने पानी से चम्पी की है, देखना अब तुम्हारे बाल और लंबे हो जाएँगे”. 

पति जी ने मुझे खड़ा किया और हम दोनो एक दूसरे की बाँहो मे बाँहे डाल के जंगल मे घूमने लगे. चलते चलते पति जी कई बार मेरे स्तनो को दबा देते थे और मैं उनकी कमर मे हाथ डाल के उन्हे ज़ोर से पकड़ लेती थी. थोड़ी देर चलने के बाद मेने एक पेड़ देखा जोकि बहुत बड़ा था, पति जी मुझे उसके नीचे ले गये. पति जी ने मेरे होंठो को चूमना सुरू किया. पहले हल्के से किस करने के बाद उन्होने मेरी कमर मे हाथ डाल के मुझे उनकी ओर खिचा और साथ ही मे मेरे होंठो को भी ज़ोर से चूमने लगे. मेरे एक लेफ्ट पैर को पति जी ने हाथ से अपनी कमर के पीछे ले जाके रख दिया. मेने महसूस किया कि पति जी का लंड सीधा मेरी चूत के पास ही है. 


पति जी ने अपने हाथो से मेरी चूत को खोला और अपना मोटा लंड उसे मे डाल दिया, खड़े खड़े चोदने से लंड भी मेरी चूत मे सीधा ही घुसा और ये पहली बार था जब लंड ने मेरी चूत मे अब तक का अंदर जाने का रेकॉर्ड तोड़ दिया. मैं काफ़ी सह रही थी और पति जी के बालो को नोच रही थी. इस पर पति जी अपने लंड को तेज़ी से अंदर बाहर कर ने लगे. कुछ देर ऐसे ही चलाने के बाद पति जी ने मेरे दूसरे पैर को भी अपनी कमर के पीछे जाके रख दिया. अब मैं पति जी की कमर के सहारे चुद रही थी, हालाँकि मेरी पीठ पेड़ से जुड़ी हुई थी इसलिए पति जी ने मुझे पेड़ के सहारे और तेज़ी से चोदा. मेरे साथ साथ पति जी ने भी पानी छोड़ दिया.
 
कुछ देर एक दूसरे को चूमने के बाद हम वाहा से आगे बढ़े और अपनी गाड़ी मे जाके बैठ गये. पति जी ने गाड़ी को सुरू किया और हम घर की ओर बढ़ ने लगे. गाड़ी मे हम दोनो नंगे ही थे. जैसे ही घर आया पति जी ने गाड़ी को पार्किंग एरिया मे रखा और नंगे ही बाहर निकल के मुझे गाड़ी से नंगा ही निकल ने का इशारा किया. मैं काफ़ी हिच कीचाहट महसूस कर रही थी, लेकिन पति जी ने मेरी एक ना सुनते हुए मेरे बालो मे हाथ डाल के मुझे बाहर खीच लिया. मैं अपने ही घर की पार्किंग मे नंगी घूम रही थी. पति जी ने मुझे गाड़ी के सहारे खड़ा किया और लंड को चूत मे डाल के चोदने लगे. उनका गुस्सा साफ नज़र आ रहा था, क्यूंकी वो मेरे पूरे जिस्म को जहा जगह मिली वाहा से नोच के दबाने लगे. उन्होने मेरे बालो, कमर, गर्दन और होठ का खुमबर बना दिया. आधे घंटे के बाद वो रुक गये और उपर चल ने का इशारा किया. 

काफ़ी देर से चुद ने से मेरे पैरो और चूत मे बहुत दर्द हो रहा था और मैं ठीक से चल नही पा रही थी. ये देख पति जी ने मुझे अपनी गोद मे उठा लिया और उपर जाके बेडरूम मे सुला दिया. सुबह 6 बजे मुझे उठाया और में घर जाके फ्रेश होके कॉलेज जाने के लिए घर से निकल गयी. नीचे अपनी ससुराल मे जाते ही पति जी ने मुझे अपनी गोद मे उठा लिया और किचन मे ले जाके डिननिग टेबल पर बिठा दिया. उन्होने मेरे होंठो को चूमा और फिर मुझे टेबल पे लिटा दिया. मेरी टाँगो को फेलाते हुए और मेरे स्कर्ट के अंदर उन्होने अपना मुँह मेरी जाँघो के पास ले जाके उसे चूमने लगे, मेरी चड्डी को निकाल के फेक दिया और मेरी चूत मे अपनी जीभ घुमाने लगे. मेने तुरंत ही पानी छोड़ दिया और पति जी ने वो सारा पानी पी लिया. फिर मुझे टेबल के उपर बिठा के मुझे कहा “ जया आज से तुम चड्डी मत पहनना, क्यूंकी तुम्हारी चूत को ताजी हवा की ज़रूरत है”. मेने पति जी से नाश्ता लिया और उन्हे एक लंबी सी किस देके कॉलेज के लिए चल गयी. 

मैं कॉलेज मे ठीक तरह से पढ़ नही पाई, क्यूंकी मेरी चूत मे बहुत जलन हो रही थी, इसलिए मेने प्रिन्सिपल से जाके घर जाने की छुट्टी ले ली और तुरंत पति जी के पास चल पड़ी. घर मे जाते ही मेने देखा की पति जी आसन वाले रूम मे है. जैसे ही मे अंदर गयी पति जी ने मुझे अपने सीने से लगा लिया और मेरे होंठो को चूमने ने लगे. पति जी एक हाथ मेरी चूत के पास ले गये और एक उंगली को मेरी चूत मे डाल दिया और उसे अंदर बाहर करने लगे. मैं भी इस वक़्त बहुत जोश मे थी और पति जी ने मुझे अपना लंड मेरे हाथो मे दे दिया और अपने एक हाथ से मेरे हाथ को पकड़ के लंड को आगे पीछे करने लगे. मैं मन ही मन सोच रही थी शायद यही मेरी असली ट्यूशन है पति जी के पास जिस्म की प्यास को बुझाने की. हम दोनो काफ़ी रोमांचित हो चुके थे और खड़े खड़े थक गये थे. 

मुझे अपनी बाँहो मे उठा के पति जी अपने बेडरूम लेके गये और मेने हर रोज की तरह कविता जी से आशीर्वाद ले लिया. पति जी खुद बेड पे लेट गये और मुझे उनके उपर बैठ ने का इशारा किया. मैं पति जी के पेट पे जाके बैठ गयी और झुक के पति जी के होंठो को चूमने लगी. पति जी ने अपने हाथो को मेरे बालो मे डाल के मेरे बालो को चेहरे से हटाया और मेरे गालो को अपने कड़क हाथो से दबा दिया. फिर मुझे कमर मे हाथ डाल के, थोडा सा उठा के उनके लंड के उपर बैठा दिया. मे अपने पैरो को और अपनी कमर को थोड़ा सा आजू बाजू करके पति जी के लंड को अपनी चूत के पास रखा. मेरे अंदर इतनी हिम्मत नही थी कि मैं लंड को खुद अपनी चूत मे डालु. इसलिए पति जी ने मेरी चूत को खोलके अपने लंड के आगे वाले भाग के उपर मेरी चूत को रख दिया. मेने चूत, कमर और पैरो के बल ज़ोर लगा के लंड को मेरी चूत के अंदर जाने के लिए रास्ता बनाने की कोशिश की, मैं इसमे थोड़ा सा कामयाब हुई और मेरे मूह से एक हल्की सी सिसकारी निकल गयी. पति जी ये देख खुश हुए और उन्होने अपने कड़क हाथो को मेरी कमर पे रख के उसे लंड के उपर दबाया और धीरे धीरे मेरी कमर को उपर नीचे करके लंड को मेरी नाज़ुक सी चूत मे पूरा पूरा का डाल दिया. 

लंड को अंदर तक डाल ने से पति जी के मुँह पे एक ख़ुसी सी च्छा गयी. पति जी मुझे बाजुओ से पकड़ के अपने मूह की ओर झुकाते हुए मेरे होंठो चूमने लगे. मेने अपने हाथ पति जी के सिर मे डाल दिए और उनके बालो से खेलने लगी. उधर पति जी की ओर झुकने से पति जी ने लंड चूत से बाहर ना निकल जाए इसलिए अपने पैरो को घुटनो से मोड़ दिया. पति जी के ऐसा करते ही उनकी जंघे मेरी गन्ड पे लगने लगी और लंड ने चूत मे थोड़ा और अंदर तक जगह बना ली. इधर होंठो पे किस चल रही थी और नीचे मेरी चूत मे लंड अंदर बाहर हो रहा था. मुझे बहुत ज़्यादा अच्छा लग रहा था, क्यूंकी मुझे कमर को उपर नीचे नही करना था और मेरे होंठो पे चल रहे पति जी के चुंबन से मुझे प्यास भी कम लग रही थी, क्यूंकी मे पति जी के थूक को पी लेती थी. यही पोने घंटे तक, बीच बीच मे रुक कर पति जी ने मेरा और उनका पानी निकाल दिया. 

फिर करीब 5 बजे हम दोनो नींद से जागे और इस बार मे ही खुद पति जी के उपर चढ़ गयी और लंड को अपनी चूत के मूह के पास ले जाके रख दिया और पति जी ने बिना देरी करते हुए लंड और चूत का संगम कर दिया और हम दोनो ने चुदाई सुरू की. पहले की तरह इस बार भी पति जी ने मुझे किस करने के लिए अपने उपर झुका दिया. एक मोड़ पे पति जी ने लंड को धक्का देना बंद कर दिया और किस को रोक दिया. मैं कुछ समझ नही पाई, इसलिए पति जी ने कहा “ जया अब अपनी गान्ड को आगे पीछे करो और देखो के तुम्हे कितना मज़ा आता है”. मेने वैसे ही किया और मुझे सच मे मज़ा आने लगा. मैं ने रोमांचित होके पति जी के बालो को नोच दिया और उनके होंठो को काट भी दिया और गान्ड को तेज़ी से आगे पीछे करने लगी. हम दोनो ने साथ मे पानी छोड़ दिया. हम एक दूजे के जिस्म को लपेट के सोए हुए थे और पति जी मेरे स्तन पे अपनी छाती का दबाव दे रहे थे और उन्होने मुझसे पूछा “ जया रानी सच बताना मज़ा आ रहा है ना, तुम मेरा ऐसे ही साथ दे ती रहना, कविता के जाने के बाद मेरी ज़िंदगी मे बहुत समय के बाद ख़ुसी आई है, मैं इसे खोना नही चाहता, अगर तुम्हे कोई भी तकलीफ़ हो तो मुझे तुरंत बताना”. मेने पति जी से कहा “ पति जी वैसे तो कोई तकलीफ़ नही है, लेकिन आज भी लंड चूत मे जाता है तो मुझे बहुत दर्द होता है, आपने तो कहा था कि सिर्फ़ एक बार ही दर्द होगा आगे जाके मज़ा ही मज़ा है”. इस पर पति जी ने कहा “ ऐसा है तो हम किसी अच्छे डॉक्टर को दिखाएँगे और तुम चिंता मत करना कि कोई हमे पहचान लेगा, मुझे बहुत सारे डॉक्टर जानते है मैं उनसे इस बारे मे बात करूँगा, ठीक है मेरी गुड़िया रानी”. और एक हल्की सी किस करके हम अलग हुए और मैं अपने घर जाके खाना ख़ाके और होमवर्क करके सो गयी, आज की रात और कलके दिन की नयी सुबह पति जी के साथ गुजारने ने के लिए. 
क्रमशः........ 
 
मेरी बेकाबू जवानी--12


गतान्क से आगे...... 

डेट: 25-जून-96. ठीक रात के 12 बजे मे पति जी के घर के बाहर खड़ी थी और पति जी दरवाजे के पास किसी से फोन पर बात करते सुनाई दिए. मैं उनकी बात सुनने लिए थोड़ी देर वही खड़ी रही. मेने सुना कि वो फोन पर कह रहे थे “ अरे सुनो आज की रात के लिए एक डबल बेड वाला कमरा बुक करना और दो इंसानो के लिए खाने पीने का भी इंतेजाम करना, ठीक है तो हम करीब 1 बजे वाहा पे आ जाएँगे, अच्छा तो मैं फोन रखता हू”. मैं उनकी बाते कान लगा के सुन रही थी और पति जी ने कब दरवाजा खोला और मुझे पीछे से पकड़ लिया और मुझे पता ही नही चला. जब पति जी ने मुझे पीछे से पकड़ लिया तब मैं एक दम से डर गयी और पति जी को ज़ोर से पकड़ लिया. पति जी मुझे बाँहो मे उठाके बेडरूम मे ले गये और मेने कविता जी से आशीर्वाद ले लिया और बेड पे जाके लेट गयी. मेने देखा के पति जी बेडरूम से बाहर चले गये और करीब 5 मिनट के बाद बेडरूम मे आए. वो जब बेडरूम मे आए तो उनके हाथ मे एक जूस का ग्लास था. पति जी बेड पे मेरी बाजू मे आके बैठ के, एक हाथ को मेरी गर्दन मे डाल के मुझे उनके मूह की ओर खीच के मेरे होंठो को चूम लिया और जूस के ग्लास को मेरे होंठो के पास रख के उसे पीने का इशारा किया. मैं सारा जूस पी गयी. 

पति जी ने मुझे बेड पे लिटा दिया और खुद मेरे उपर लेट के मेरे बालो को सहलाते हुए मेरे होंठो को चूमने लगे. मैं मदहोश हो रही थी, मेरे जिस्म के अंदर एक ठंडी हवा की लहर दौड़ रही थी और उसे गरम करने के लिए में पति जी के जिस्म को अपने जिस्म के साथ रगड़ ने लगी और पति जी के होंठो को चूमने लगी. कभी कभी मे पति जी के होंठो को ज़ोर से काट लेती थी, क्यूंकी मुझ से जिस्म की आग ठंडी नही हो रही थी. उस वक़्त पति जी को ऐएहसास हो गया था कि मैं काफ़ी नशे मे हू, इसलिए उन्होने मुझे अपने से दूर किया और खुद बेड के किनारे जाके खड़े हो गये और मैं बेड पे नंगी लेटी रही. वो मुझे वाहा से घूर के देख रहे थे और उनकी आँखो मे एक अजीब सा खिचाव था कि मैं उसे रोक नही पाई और उनके पास जाने के लिए बेड से उतरने लगी. बेड से उतर ने के लिए मेने एक पैर को बाहर किया कि तभी पति जी ने कहा “ जया बेड से उतर के नही बलके अपने घुटनो के बल बेड पे चल के मेरे पास आओ”. मैं उनकी बात का अनादर नही कर सकती थी इसलिए में अपने घुटनो के बल होके धीरे धीरे पति जी के पास जाने लगी. पति जी ने कहा “ जया आज तुम सच मे एक जंगली बिल्ली की तरह लग रही हो, तुम्हारे जिस्म की अंदरकी आग बाहर भी दिख रही है, और तुम्हारी आँखे भी बहुत नासीली और कामुकता से भरी है, लगता है आज तुम को कुछ अलग तरीके का प्यार करना पड़ेगा”. 

मैं धीरे धीरे करके पति जी के पहोच गयी और जाके उनके पेट की नाभि को चूम लिया और धीरे धीरे करके उनकी छाती और गर्दन को चूम के उनके होंठो को चूमने लगी और अपने दोनो हाथो को उनके बालो मे डाल के उन्हे अपनी ओर खीच ने लगी, लेकिन पति जी मुझे अपने से और दूर करते हुए कविता जी के फोटो के पास चले गये. मैं भी उनकी पालतू कुतिया की तरह उनके पीछे पीछे पति जी के पास जाके उन्हे अपने जिस्म से लगा के उनकी छाती मे मूह छुपा के उनके निपल को चूमने लगी. वो दोनो हाथो को मेरे सिर के बालो मे डाल के उसे धीरे धीरे घुमाने लगे . मानो के मैं एक नन्ही बच्ची हू इस तरह वो मुझे प्यार जाता रहे थे. मैने उनके इस प्यार भरे व्याहार को और पाने के लिए और ज़ोर से उनके जिस्म को अपने जिस्म के साथ दबा दिया और मेने उनके निपल को भी काट दिया. 

पति जी ने कविता जी के फोटो की ओर देखते हुए कहा “ देख कविता आज ये नन्ही सी बच्ची ने मेरे पूरे जिस्म को शांत कर दिया और मुझे कोई शिकायत का मौका भी नही देती, वाकई मे तुमने मेरे लिए भगवान से बड़े दिल से प्रार्थना क़ी के मुझे बिल्कुल तुम्हारी जैसी ही पत्नी मिले. हालाँकि मेने तुम्हारे भगवान के पास जाने के बाद बहुत सी लड़कियो से सेक्स किया है, लेकिन वो सब मुझे संतुष्ट करने मे असफल रही थी. आज बरसो बाद तुम्हारे कहने पर भगवान ने मेरी सुन ली और मेरे लिए एक नादान, अल्हड़, कमसिन और जिस्म की प्यास से तरस ती, नन्ही सी जान को मेरी पत्नी के रूप मे मेरे सामने पेश किया. कविता तुम्हे याद होगा कि मेने जब मिस्टर पटेल को ये घर किराए पे देने के लिए तुम्हे पूछा था तो तुमने मुझे एक संकेत दिया था कि जल्द ही मुझे एक नादान, अपने से बडो का आदर करने वाली और शायद मेरी पत्नी बनने वाली लड़की मिलेगी. मेने जब मिस्टर पटेल के घर के लोगो के बारे मे जाना तो मेने सोचा के उनकी फॅमिली मे तो बस जया ही है जो मेरी पत्नी बन सकती थी, क्यूंकी नाज़ तो पहले से ही शादी सुदा थी. तो मेने तुम्हे जया के बारे मे पूछा भी था तो तुमने कहा था कि “ राज अब तुम्हारी ज़िंदगी बदल ने वाली है और जया ही तुम्हारी पत्नी बनेगी और वो ही तुम्हारी ज़िंदगी मे मेरी जगह ले पाएगी”. 

मेरे चेहरे को अपने दोनो हाथो मे लेते हुए पति जी ने कहा “ जया मेने जब तुम्हे देखा था तो मेने कविता को साफ मना कर दिया था मैं इस नन्ही सी जान के साथ जिस्म की प्यास नही बुझा पाउन्गा, लेकिन कविता ने कहा “ राज इस लड़की को मेने ही भेजा है और तुम इसके साथ कुछ भी करो ये तुम्हे कभी भी असंतुष्ट नही करेगी और तुम्हारी जिस्म की प्यास को अपने जीवन का कर्तव्य बना के रखेगी”. इस लिए मेने पहली ही बार मे तुम्हारे नाज़ुक होंठो को चूमा था, क्यूंकी मैं जानता था कि गाव की लड़की को जिस्म की प्यास के बारे मे अधिक जान कारी नही होती है और मैं धीरे धीरे करके तुम्हे अपने और करीब ले आया और आज देखो के तुम मेरे सामने बिल्कुल नंगी खड़ी होके अपने जिस्म की प्यास को बुझाने के लिए मेरे साथ लिपट के खड़ी हो. जया मैं जानता हू के इतनी छोटी उमर मे लंड को चूत मे लेना बहुत कठिन है, कविता भी जब मेरी पत्नी बनी थी वो 18 साल की थी और मेने सुहागरात मे ही उसे एक नादान कली से फूल बना दिया था और वो जब भगवान के पास चली गयी तो मैं बिल्कुल अधूरा रह गया”. इतना कहते ही पति जी की आँखो मे से आँसू भर गये. मेने उनके चेहरे को अपने हाथो मे लेके उनकी आँखो के पास अपने नाज़ुक होंठो को लेके उनके आँसू को पी लिया और पति जी को अपनी छाती मे दोनो स्तन के बिच मे रख के उनके बालो मे हाथो को डाल के ज़ोर से दबा दिया. मेरी आँखो मे भी आँसू आगये थे और मेने हल्के से कहा “ पति जी अब आप कोई चिंता मत करना, मैं आ चुकी हू आपकी ज़िंदगी मे, आपके हर दुख को सुख मे तब्दील कर ने के लिए”. 

मेरे आँसू को पति जी के बालो मे गिरते हुए देख मेने पति जी से कहा “ मैं आपसे एक विनती करती हू के आप कविता जी के फोटो को इस कमरे मे से निकाल के बाहर हॉल मे रख दे, क्यूंकी जब भी आप उनकी तस्वीर को देख ते है तो आप बड़े भावुक हो जाते है और मुझसे ये देखा नही जाता. मे बस यही चाहती हू कि जिस तरह आप मुझे हर वक़्त खुस रख ते है तो आप भी हर वक़्त खुस रहा करे”. इस पर पति जी ने तुरंत ही खड़े होके मुझे देख ने लगे और मैं डर के मारे अपनी नज़र को नीचे झुकाए खड़ी रही. पति जी ने कविता जी के फोटो के पास जाके उसे दीवाल पे से निकाल के अलमारी मे रख दिया. मे बहुत खुस हो गयी और अलमारी के पास ही पति जी को पीछे से पकड़ के उनकी पीठ को चूमने लगी. पति जी ने मुझे पीछे से आगे करते हुए मेरे होंठो को चूमा और अपने दोनो हाथो को मेरे स्तन पे ले जाके उसे के जोश से दबाने लगे. हम दोनो एक दूसरे के जिस्म पे बहुत ही तेज़ी से हाथो को घुमाते हुए होंठो को काट ने और चूमने लगे. 

पति जी ने मुझे कमर से उठा के बेड पे लिटा दिया और मेरी चूत मे अपना लंड डाल के मुझे चोदने लगे. इस बार कुछ समय के बाद मुझे भी मज़ा आने लगा और मेने भी मज़ा लेने के लिए अपने पैरो को पति जी के कमर की उपर ओर पति जी की गन्ड के पास रख दिया. लंड जब भी मेरी चूत के अंदर जाता मैं अपने पैरो को ज़ोर से पति जी की गन्ड के उपर दबा ती थी और लंड के बाहर आते ही मे उन्हे ढीला छोड़ देती थी. मेरे ऐसा करने से पति जी काफ़ी खुस हुए और वो लंड को तेज़ी से अंदर बाहर करने लगे. मेरी चूत ने एक बार पानी छोड़ दिया और उसने पति जी के लंड को भीगा दिया. लंड मेरी चूत के पानी से भीगते ही और अंदर तक जाने लगा और हम दोनो को काफ़ी मज़ा आने लगा और हम दोनो काफ़ी लंबे वक़्त तक एक दूसरे को चोद ते रहे. और हम दोनो एक दूसरे की बाँहो मे नंगे ही सो गये.
 
पति जी ने मुझे सुबह को उठाया और मैं अपने घर चली गयी. में घर जाके फ्रेश होके कॉलेज के लिए निकल पड़ी. जैसे ही मैं पति जी के घर मे घुसने वाली थी के पति जी मुझे पकड़ के चूमने लगे और हम दोनो एक दूसरे को देर तक चूमते रहे. पति जी ने मुझे कहा “ जया आज मैं तुम्हे कॉलेज छोड़ने आउन्गा, तुम्हारी नयी गाड़ी मे”. मेने देखा कि पति जी ने अपने जिस्म के उपर एक कपड़ा भी नही पहना था, तो मेने आश्चर्य से पति जी की ओर देखते हुए पूछा कि “ पति जी आप तो बिल्कुल नंगे है और मुझे कॉलेज छोड़ने आएँगे”. इस पर पति जी ने कहा “ अरे मेरी पगली हम दोनो तो पार्किंग मे से सीधे गाड़ी मे बैठ के कॉलेज के लिए चले जाएँगे तो उसमे कपड़े की क्या ज़रूरत, और तुम्हे पता नही है इस गाड़ी मे अंदर कौन बैठा है वो बाहर से नही दिखता और मुझे थोड़े ही कॉलेज जाना है”. और इतना कहते ही पति जी मेरे हाथ को पकड़ के मुझे पार्किंग मे गाड़ी के पास ले जाके गाड़ी चालू करके कॉलेज के लिए निकल पड़े. मेरे घर से कॉलेज जाने के लिए करीब पैदेल 20 मिनट लगते है, लेकिन मेने देखा कि पति जी ने गाड़ी को किसी और रास्ते से ले लिया, हालाकी मुझे सूरत सिटी के रास्ते के बारे मे ज़्यादा जानकारी नही थी इस लिए मे चुप बैठी रही. 


एक बड़ा सा रोड आया, जिस के उपर कुछ गाडिया ही दौड़ रही थी. पति जी ने गाड़ी को एक छोटे से बगीचे के पास जाके खड़ी कर दिया. उन्होने मुझे पीछे की सीट पे जाने के लिए इशारा किया और खुद भी पीछे की सीट पे आके मेरे बाजू राइट साइड मे बैठ गये. उन्होने अपने लेफ्ट हाथ को मेरी गर्दन मे डाल दिया और मेरे होंठो को चूमने लगे. फिर थोड़ी देर के बाद उन्होने मेरी कॉलेज के ड्रेस के शर्ट के पहले बटन को अपने राइट हाथ से खोला और मेरी गर्दन के पास जाके वाहा से चूमते हुए नीचे जाने लगे. उनके ऐसा करते ही मेने अपने दोनो हाथो से उनके चेहरे को पकड़ के उपर किया और उनसे धीमी आवाज़ मे कहा “ पति जी आप मुझे नंगा मत कीजिए, मुझे कॉलेज के लिए जाना है”. पति जी ने मुझे गुस्से भरी आँखो से देखा, मैं बहुत डर गयी थी. उन्होने मेरा कहना अनसुना किया और जहा रुके थे वही से चूमना सुरू किया. पति जी ने धीरे धीरे मेरे शर्ट के सारे बटन को खोला और हर बटन के खोलने पर उस के नीचे नंगे जिस्म को चूमा. उन्होने मेरे शर्ट को अपने दोनो हाथो से मेरे स्तन के उपर से हटा दिया और मेरे दोनो स्तन को अपने हाथो से दबा दिया, मैने ईक सिसकारी ली और अपने जिस्म को ढीला छोड़ दिया. 

पति जी तो पहले से ही नंगे थे, इसलिए जैसे ही वो मेरे होंठो को चूमने के लिए मेरे उपर झुके, उनका लंड मेरी स्कर्ट के उपर लगने लगा. उनके लंड के उपर थोड़ा सा पानी आ गया था, जिस ने मेरी स्कर्ट को थोड़ा सा गीला कर दिया. मेने ये महसूस करते ही अपने हाथो से स्कर्ट को हटाते हुए लंड को चूत के पास ले जाके रख दिया. मेरे मन मे तो पति जी के द्वारा किया जा रहा प्यार और कॉलेज जाने का डर चल रहा था, इसलिए मैं किसी एक पर ध्यान ना टिका सकी. ये जानते ही पति जी ने मेरे होंठो को चूमना छोड़ दिया और मेरे से अलग हो गये और मुझे उपर से नीचे तक देखने लगे. फिर पति जी ने कहा “ जया अपने कॉलेज ड्रेस को निकाल के बाजू मे रख दो. मेने पति जी की आज्ञा का पालन करते हुए अपने शर्ट और स्कर्ट को अपने जिस्म से निकाल के बाजू मे रख दिया और अब मैं भी पति जी की तरह बिल्कुल नंगी हो के अपनी गाड़ी मे बैठी थी. मेने अपने सिर को नीचे झुकाए पति जी के लंड को देख रही थी, तभी पति जी ने मेरे हाथो को अपने लंड के उपर रख दिया. फिर अपने हाथो से मेरे हाथो के उपर रख के लंड के उपर की चॅम्डी को नीचे से इपर करने लगे और कुछ देर के बाद अपने हाथो को मेरे हाथो के उपर से छोड़ दिया. मेने अपने आप पति जी के लंड के उपर की चॅम्डी को अपने हाथ उपर नीचे करने लगी. 

लंड की उपर चॅम्डी को उपर नीचे करते हुए मेने देखा कि पति जी के लंड को नीचे करते वक़्त पति जी का लंड बिना चॅम्डी का हो जाता था. उनके लंड की चॅम्डी के नीचे का भाग काफ़ी गोरा था और वो कोई चिकन की बोटी जैसा था, मानो के चिकन लॉलीपोप जैसा. मुझे खाने चिकन लॉलीपोप बहुत पसंद था, इसलिए मेने पति जी से कहा “ पति जी आपका लंड तो एक दम चिकन लॉलीपोप के जैसा है” तो उस पर पति जी ने कहा “ हा जया रानी ये तुम्हारे लिए ही बना है. मेने तुम्हारी मम्मी से बात की थी के तुम्हे खाने मे क्या क्या पसंद है तो मुझे पता चला कि तुम्हे चिकन लॉलीपोप बहुत ही पसंद है. इसलिए मेने अपने लंड को कसरत करा के खास तुम्हारे लिए चिकन लॉलीपोप के जैसा बनाया है”. लंड को उपर नीचे करते हुए मेने पति जी से कहा “ आप को दर्द भी हुवा होगा जब आपने अपने लंड को सिर्फ़ मेरे लिए चिकन लॉलीपोप के जैसा बनाया”. पति जी ने कहा “ अरे मेरी जया रानी मेने तुम्हे पहले भी बताया था कि तुम्हारी ख़ुसी के लिए मैं कुछ भी कर सकता हू, ये तो बहुत ही मामूली चीज़ है”. मेरे दिल मे पति जी के लिए बहुत सा लगाव आ गया और मेने सीट पे से उठ के पति जी के पैरो को च्छू लिया. पति जी ने मुझे तुरंत ही मेरे कंधो से पकड़ के मुझे सीट पे लिटा दिया और खुद मेरे उपर लेट गये. पति जी ने मेरे बालो को अपने दोनो हाथो से पकड़ के उपर की ओर खिचा और मेरे होंठो को चूमने लगे. 



मेने पति जी सीट पे से गिर ना जावे इस लिए अपने पैरो को फेलाते हुए पति जी के पैरो के लिए अपने पैरो के बीच मे जगह बना दी. थोड़ी देर तक होंठो को चूमने के बाद पति जी ने मेरे पैरो के बीच मे बैठ के मेरे दोनो पैरो को अपनी छाती के पास ले जाके रख दिया. अपने मोटे से लंड को मेरी चूत मे डाल दिया और मेरी कमर के दोनो बाजू को अपने हाथो से पकड़ के लंड और चूत की चुदाई शुरू कर दी. मेरे दोनो हाथ मेरे जिस्म के उपर थे, मेरे जिस्म मे बहुत सी आग लगी थी और पूरे जिस्म मे आग की लहरे दौड़ रही थी, इसलिए मेने अपने दोनो हाथो को मेरे सिर के पीछे ले जाके सीट के किनारे को पकड़ लिया. इधर मेरे ऐसा करने से ही पति जी लंड को चूत मे तेज़ी से अंदर बाहर करने लगे. मेरे जिस्म मे कुछ अजीब सा हो रहा था, इस वक़्त मे बस पति जी के लंड को मेरी चूत मे अंदर बाहर हो रहा था उसे ही महसूस कर रही थी. मेने हर वक़्त अहसास किया की लंड के अंदर जाते ही मेरी चूत मे हल्का दर्द हो ता है और लंड मेरी चूत की चॅम्डी को और अंदर करता हुवा अपने लिए जगह बना ने लगता था. 

मैं ये सब सोच के पागल हो रही थी और मेरे पूरे जिस्म के उपर इस पागल पन का नासा छा रहा था. पति जी ने ये महसूस करते ही मेरे उपर झुक के मेरे होंठो को चूम के मुझे और पागल बना दिया. मेने तुरंत ही अपने जिस्म को कड़क करके अपनी चूत का पानी छोड़ दिया. पति जी ने मेरी चूत से पानी छूट ते ही लंड को बाहर निकाल दिया. पति जी ने तुरंत ही मेरी चूत के पास अपना मूह ले जाके मेरी चूत मे से निकले पानी को पी लिया और मेने अपने दोनो हाथो से उनके सिर को पकड़ के अपनी चूत मे और अंदर तक धकेल ने लगी. फिर पति जी ने खड़े होके कहा “ जया सुबह सुबह तुम्हारी जैसी कमसिन और नादान लड़की की चूत का पानी पीने का मज़ा ही कुछ अलग है. चलो अब तुम अपना कॉलेज ड्रेस पहेनॉ और हम तुम्हारी कॉलेज चलते है. 

कॉलेज मे जाते ही दरवाजे पे खड़े चोकीदार ने दरवाजा खोला और गाड़ी अंदर जा पोहचि और मेने गाड़ी मे से बाहर निकल के पति जी को बाइ किया और अपने क्लास मे जा के बैठ गयी. रीसेसस होते ही मैं सीधे प्रिन्सिपल के ऑफीस मे जाके उनसे घर जाने की छुट्टी के लिए कहा. हमारे प्रिन्सिपल भी एक 55 साल के बुढ्ढे इंसान ही है. प्रिन्सिपल ने मुझे उपर से नीचे तक देखा और फिर कहा “ आज राज जी आए थे तुम्हे छोड़ने “ तो मेने कहा “ हा, वो हमारे घर के मालिक है, हम उनके घर के उपर के माले पे किराए के घर मे रहते है”. और प्रिन्सिपल ने मुझे घर जाने की इजाज़त दे दी. दोस्तो इस तरह मैं अपने पति के साथ अपनी ससुराल पहुच गई और हमने अपना खेल खेलना शुरू कर दिया जब मैं अठारह साल की हुई तो पति जी और मैने हमारी शादी की बात अपने मा बाप को बता दी पहले तो मम्मी पापा बहुत नाराज़ हुए लेकिन मेरी ज़िद के आगे वो मान गये अब मैं अपने पति राज शर्मा के साथ रहती हूँ और राज जी मेरी रोज चुदाई करते है मैं भी उनसे अपनी चूत गान्ड उछाल उछाल कर मरवाती हूँ 
दोस्तो ये कहानी यही समाप्त होती फिर मिलेंगे एक और नई कहानी के साथ तब तक के लिए विदा आपका दोस्त राज शर्मा
समाप्त................................ 
 
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