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- Dec 5, 2013
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वहाँ के शिव मंदिर में प्रभु शिव संकर की पूजा अर्चा कर वो लड़की वही के एक आश्रम में जा कर थोड़ी देर वहाँ आश्रम की सॉफ सफाई की फिर वहाँ से आ गई.
वहाँ से ऑटो पकड़ कर वो कनखल पहुच गई.
जहा वो दक्षेश्वर मंदिर फिर हरिहर मंदिर में जा कर पूजा की.
कनखल में ही एक होटल में वो लड़की एक कमरा ले कर रह रही थी.
वो लड़की वहाँ से पूजा अर्चना कर अपने होटेल चली गई.
कमरे में आ कर खाना का ऑर्डर कर दिया और वॉशरूम में जा कर फ्रेश होने लगी.
जब तक फ्रेश हो कर आई तब तक खाना भी आ गया.
खाना ले कर वो लड़की रूम बंद कर दी और अपने सारे कपड़े खोल कर नंगी हो गई.
जब शरीर थका हुआ था तब वो चलती फिरती कयामत लग रही थी लेकिन कपड़े उतरने के बाद वो तो स्वर्ग से उतरी अप्सरा लग रही थी जो यहाँ हरिद्वार में ग़लती से आ गई.
सब से आकर्षक उसके पीछे कमर पर वो टॅटू था जो उसके पीछे के उभार से जस्ट ऊपर बना हुआ था.
वो लड़की झट से एक जींस पेंट और टीशर्ट निकाल कर पहन ली. फिर खाना खा कर बेड पर लेट गई.
लल्लू सूर्य उदय तक वही नदी किनारे बैठा नदी के जीवों से बात करता रहा फिर फ्रेश हो कर घर को चल दिया.
दालान पर आ कर हाथ पैर धो कर अंदर आ गया.
दालान पर सब बैठे थे.
लल्लू भी वही बैठ गया.
सुनील- कहाँ से आ रही है सवारी
लल्लू- सुबह सुबह थोड़ा बाहर टहलने गया था.
सब काका लोग भैया की शादी की ही बात कर रहे थे की एक महीने की छुट्टी में आया है तो अच्छा है की शादी कर के ही अब भैया को यहाँ से भेजा जाये.
लल्लू फिर वहाँ से उठ कर आँगन आ गया.
लल्लू- कोई चाय दे दो मुझे भी.
काजल- जा रसोई में जा कर काकी से ले लो.
लल्लू चलता हुआ रसोई में पहुच गया.
वहाँ रागिनी काकी खाना बना रही थी.
लल्लू- काकी चाय दे दो थोड़ी सी.
रागिनी- देती हूँ तू बैठ बाहर.
लल्लू फिर बाहर खटिया पर जाने लगा लेकिन वो अपने कदम ऋतु काकी के कमरे की ओर बढ़ा दिया.
ऋतु कमरे में लेटी हुई थी साथ में वहाँ रोमा भी थी.
लल्लू- रोमा दीदी क्या बात है आप भी यही है.
रोमा- हा भाई. मा को बुखार हो गया है. उसे ही दवाई देने आई थी.
लल्लू ऋतु के माथे को च्छू कर देखा.
सच में बुखार था ऋतु को.
लल्लू को बहुत बुरा लग रहा था.
उसे समझ नही आ रहा था की अभी वो अब क्या करे.
तभी बाहर रागिनी लल्लू को आवाज़ दी तो लल्लू बाहर आ गया.
रागिनी चाय ले कर खड़ी थी.
लल्लू आगे बढ़ कर चाय का कप ले कर खटिया पर बैठ गया और सोचने लगा की क्या करे की ऋतु को कुछ आराम मिले.
अभी गाड़ी ले कर कही जा भी नही सकता था सब को जवाब देना मुश्किल था.
सुनील काका को पता था की में गाड़ी चला लेता हूँ लेकिन बाकी को क्या जबाब देगा.
लल्लू चाय पीता यही सोचता रहा.
फिर उठ कर बाहर आ गया.
दालान पर अभी भी सब बैठे थे.
लल्लू सुनील काका के पास जा कर बैठ गया.
लल्लू- काका थोड़ा बाइक की चाभी दीजिए ना. बहुत ज़रूरी काम है.
लल्लू सुनील के कान में फुसफुसा कर बोला.
सुनील लल्लू को देखता हुआ जेब से चाभी निकाल कर दे दिया
लल्लू वहाँ से उठ कर बुलेट ले कर लुढ़कता हुआ बाहर आया रोड पर फिर वहाँ स्टार्ट कर तेज़ी से शहर की ओर चल दिया.
शहर में एक लेडी डॉक्टर का क्लिनिक ढूँढने लगा.
फिर उसे एक क्लिनिक मिल गया.
लल्लू बुलेट खड़ी कर उस क्लिनिक में घुस गया.
लल्लू- डॉक्टर से मिलना है. (बाहर बैठी एक लड़की से लल्लू बोला)
लड़की- नाम बताओ.
लल्लू- लल्लू.
लड़की- लल्लू को देखती है. उम्र ..
लल्लू- 18
लड़की- 500 रुपीज़ जमा करो.
लल्लू जेब से 500 का नोट निकाल कर दे दिया.
लड़की पर्ची बना कर देती डॉक्टर के कॅबिन में भेज दी.
लल्लू अंदर गया तो एक 30-35 साल की महिला डॉक्टर अपने चेयर पर बैठी थी.
डॉक- आओ यहाँ बैठो. वो महिला डॉक्टर लल्लू को अपने आगे के चेयर पर बैठने को बोली.
लल्लू जा कर वहाँ बैठ गया.
डॉक- बताओ क्या परेशानी है.
लल्लू- जल्दी जल्दी में तो आ गया यहाँ लेकिन अब उसे समझ नही आ रहा था की क्या कहे.
लल्लू को चुप देख कर वो डॉक्टर फिर बोली.
डॉक- बताओ क्या हुआ है तुम्हे.
लल्लू- डॉक्टर दरअसल बात ये है की मुझे कुछ नही हुआ है.
डॉक- तो.. किसे क्या हुआ है. मरीज को लाना था ना. या वो आने के लायक नही है तो क्या हुआ है ये तो बताओ.
लल्लू- वो डॉक्टर. कैसे कहूं .
डॉक- बताओगे नही तो मुझे पता कैसे चलेगा. में इलाज कैसे करूँगी.
लल्लू- डॉक्टर बात ये है की रात एक लड़की के साथ. नही लड़की नही औरत के साथ..वो क्या है...
लल्लू को बड़ा शरम आ रहा था बताने में.
डॉक- देखो तुम बिना झिझक क बताओ क्या बात है. डॉक्टर से कैसा शरम. तुम खुल कर बताओ..
वहाँ से ऑटो पकड़ कर वो कनखल पहुच गई.
जहा वो दक्षेश्वर मंदिर फिर हरिहर मंदिर में जा कर पूजा की.
कनखल में ही एक होटल में वो लड़की एक कमरा ले कर रह रही थी.
वो लड़की वहाँ से पूजा अर्चना कर अपने होटेल चली गई.
कमरे में आ कर खाना का ऑर्डर कर दिया और वॉशरूम में जा कर फ्रेश होने लगी.
जब तक फ्रेश हो कर आई तब तक खाना भी आ गया.
खाना ले कर वो लड़की रूम बंद कर दी और अपने सारे कपड़े खोल कर नंगी हो गई.
जब शरीर थका हुआ था तब वो चलती फिरती कयामत लग रही थी लेकिन कपड़े उतरने के बाद वो तो स्वर्ग से उतरी अप्सरा लग रही थी जो यहाँ हरिद्वार में ग़लती से आ गई.
सब से आकर्षक उसके पीछे कमर पर वो टॅटू था जो उसके पीछे के उभार से जस्ट ऊपर बना हुआ था.
वो लड़की झट से एक जींस पेंट और टीशर्ट निकाल कर पहन ली. फिर खाना खा कर बेड पर लेट गई.
लल्लू सूर्य उदय तक वही नदी किनारे बैठा नदी के जीवों से बात करता रहा फिर फ्रेश हो कर घर को चल दिया.
दालान पर आ कर हाथ पैर धो कर अंदर आ गया.
दालान पर सब बैठे थे.
लल्लू भी वही बैठ गया.
सुनील- कहाँ से आ रही है सवारी
लल्लू- सुबह सुबह थोड़ा बाहर टहलने गया था.
सब काका लोग भैया की शादी की ही बात कर रहे थे की एक महीने की छुट्टी में आया है तो अच्छा है की शादी कर के ही अब भैया को यहाँ से भेजा जाये.
लल्लू फिर वहाँ से उठ कर आँगन आ गया.
लल्लू- कोई चाय दे दो मुझे भी.
काजल- जा रसोई में जा कर काकी से ले लो.
लल्लू चलता हुआ रसोई में पहुच गया.
वहाँ रागिनी काकी खाना बना रही थी.
लल्लू- काकी चाय दे दो थोड़ी सी.
रागिनी- देती हूँ तू बैठ बाहर.
लल्लू फिर बाहर खटिया पर जाने लगा लेकिन वो अपने कदम ऋतु काकी के कमरे की ओर बढ़ा दिया.
ऋतु कमरे में लेटी हुई थी साथ में वहाँ रोमा भी थी.
लल्लू- रोमा दीदी क्या बात है आप भी यही है.
रोमा- हा भाई. मा को बुखार हो गया है. उसे ही दवाई देने आई थी.
लल्लू ऋतु के माथे को च्छू कर देखा.
सच में बुखार था ऋतु को.
लल्लू को बहुत बुरा लग रहा था.
उसे समझ नही आ रहा था की अभी वो अब क्या करे.
तभी बाहर रागिनी लल्लू को आवाज़ दी तो लल्लू बाहर आ गया.
रागिनी चाय ले कर खड़ी थी.
लल्लू आगे बढ़ कर चाय का कप ले कर खटिया पर बैठ गया और सोचने लगा की क्या करे की ऋतु को कुछ आराम मिले.
अभी गाड़ी ले कर कही जा भी नही सकता था सब को जवाब देना मुश्किल था.
सुनील काका को पता था की में गाड़ी चला लेता हूँ लेकिन बाकी को क्या जबाब देगा.
लल्लू चाय पीता यही सोचता रहा.
फिर उठ कर बाहर आ गया.
दालान पर अभी भी सब बैठे थे.
लल्लू सुनील काका के पास जा कर बैठ गया.
लल्लू- काका थोड़ा बाइक की चाभी दीजिए ना. बहुत ज़रूरी काम है.
लल्लू सुनील के कान में फुसफुसा कर बोला.
सुनील लल्लू को देखता हुआ जेब से चाभी निकाल कर दे दिया
लल्लू वहाँ से उठ कर बुलेट ले कर लुढ़कता हुआ बाहर आया रोड पर फिर वहाँ स्टार्ट कर तेज़ी से शहर की ओर चल दिया.
शहर में एक लेडी डॉक्टर का क्लिनिक ढूँढने लगा.
फिर उसे एक क्लिनिक मिल गया.
लल्लू बुलेट खड़ी कर उस क्लिनिक में घुस गया.
लल्लू- डॉक्टर से मिलना है. (बाहर बैठी एक लड़की से लल्लू बोला)
लड़की- नाम बताओ.
लल्लू- लल्लू.
लड़की- लल्लू को देखती है. उम्र ..
लल्लू- 18
लड़की- 500 रुपीज़ जमा करो.
लल्लू जेब से 500 का नोट निकाल कर दे दिया.
लड़की पर्ची बना कर देती डॉक्टर के कॅबिन में भेज दी.
लल्लू अंदर गया तो एक 30-35 साल की महिला डॉक्टर अपने चेयर पर बैठी थी.
डॉक- आओ यहाँ बैठो. वो महिला डॉक्टर लल्लू को अपने आगे के चेयर पर बैठने को बोली.
लल्लू जा कर वहाँ बैठ गया.
डॉक- बताओ क्या परेशानी है.
लल्लू- जल्दी जल्दी में तो आ गया यहाँ लेकिन अब उसे समझ नही आ रहा था की क्या कहे.
लल्लू को चुप देख कर वो डॉक्टर फिर बोली.
डॉक- बताओ क्या हुआ है तुम्हे.
लल्लू- डॉक्टर दरअसल बात ये है की मुझे कुछ नही हुआ है.
डॉक- तो.. किसे क्या हुआ है. मरीज को लाना था ना. या वो आने के लायक नही है तो क्या हुआ है ये तो बताओ.
लल्लू- वो डॉक्टर. कैसे कहूं .
डॉक- बताओगे नही तो मुझे पता कैसे चलेगा. में इलाज कैसे करूँगी.
लल्लू- डॉक्टर बात ये है की रात एक लड़की के साथ. नही लड़की नही औरत के साथ..वो क्या है...
लल्लू को बड़ा शरम आ रहा था बताने में.
डॉक- देखो तुम बिना झिझक क बताओ क्या बात है. डॉक्टर से कैसा शरम. तुम खुल कर बताओ..