Mastram Sex kahani मर्द का बच्चा - Page 7 - SexBaba
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Mastram Sex kahani मर्द का बच्चा

लल्लू काजल के एक चुचे को ब्लाउसके ऊपर से ही मूह में ले कर चूसने लगा.

काजल मदहोश हो कर लल्लू के बालो में उंगली चलाने लगी.

लल्लू समझ गया की मा को भी अच्छा लग रहा है. तो वो दुगुने जोश से काजल की चुचे को चूसने लगा और एक हाथ से उसके एक चुचे को सहलाने लगा.

काजल को अपने नीचे गीला होता महसूस हो रहा था.

लल्लू के चूसने से एक तरफ का पूरा ब्लाउस भींग गया था. जिस से काजल की चुचे का पूरा हिस्सा उस ब्लाउस से चिपक कर नुमाया हो गया था.

जिस में काजल का चूचुक खड़ा हो कर अलग से दिख रहा था.
लल्लू काजल के चूचुक को दाँतों से पकड़ कर हल्के से काट लिया.

काजल सिसकती हुई लल्लू के बालो को नोचती झड़ गई.

काजल का बदन ढीला हो गया.

काजल को लल्लू पर बहुत प्यार आ रहा था.
काजल लल्लू के होंठो पर छोटा सा क़िस्सी दे कर अलग हो गई.

काजल- चल काफ़ी रात हो गया अब सो जा.

लल्लू गहरी साँस लेता सीधा हो कर लेट गया.

काजल लल्लू के बालो को सहलाती उसके चेहरे को देख रही थी.

धीरे धीरे दोनो मीठी नींद में खो गये.
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आधी रात को काजल की नींद खुली.

उठ कर बाथरूम से वापस आई. दरवाजा बंद कर जैसे ही बेड पर आई देखती है की लल्लू का धोती खुल कर बेड पर एक ओर पड़ा हुआ है और लल्लू का लॉडा अपने विकराल रूप मे खड़ा है. एक बार को तो काजल लौड़े को देख कर डर गई.
किसी इंसान का इतना बड़ा भी हथियार होता है क्या.

काजल- बाप रे. ये क्या है. इतना बड़ा भी होता है क्या.

काजल आँखे बड़ी बड़ी किए उसे देखे जा रही थी.

काजल देखते हुए लल्लू के पास बेड पर पहुच गई.
 
काजल देखते हुए लल्लू के पास बेड पर पहुच गई.

ना चाहते हुए भी काजल का मन उसे च्छू कर देखने को करने लगा.

काजल काँपते हाथो से लल्लू के लौड़े को आहिस्ते से छू ली.
काजल एक नज़र लल्लू के चेहरे को देखा.
लल्लू गहरी नींद में सोया हुआ था.

काजल फिर से हाथ बढ़ा कर लोडा के अच्छे से अपने मुट्ठी में ले ली.

काजल- आहा कितना गर्म और सख़्त है बिल्कुल किसी रोड की तरह. हाय्यी क्या एक बार मूह में ले लू.
हाय्यी रामम्म ये में क्या सोच्च रही हूँ.
अगर लल्लू जाग गया तो.

काजल लौड़े को छोड़ कर लेट गई.

काजल का मन अब बार बार उस लौड़े को पकड़ने को उसे मूह में लेने को करने लगा.

काजल मन मार कर लेटी रही.
लेकिन चंचल मन कहा किसी की मानता है. इसे जितना किसी काम को करने से रोको वो इतना ही उसी काम को करने को तैयार रहता है.

अंत में दिल के हाथो मजबूर काजल उठ बैठी.
हाथ बढ़ा कर लल्लू के लौड़े को पकड़ लिया.

काजल- अया कितना गर्मम्म है. ईीीइससस्स उम्म्म.
काजल लौड़े को मुठियाते हुए उस पर झुक गई.

काजल- कितना प्यारा खुसबु आ रहा है इस से.

काजल मुख खोल कर हल्के से जीभ निकाली और लोडा के टोपे को चाट ली.

काजल की प्यास जैसे और भड़क गया.

एक नज़र लल्लू पर डाल डरते हुए मूह खोल कर लल्लू के लौड़े का उपरी हिस्सा, उसके टोपे को अपने होंठ को गोल कर अंदर डाल ली और हौले से टोपे को जीभ से गीला कर चाटने लगी चूसने लगी.

काजल को खुद पता नहीं चला कब वो लौड़े को मुठियाते हुए पूरे मूह में भर कर अंदर बाहर करने लगी.

काजल आइस्क्रीम की तरह कभी लौड़े को ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर तक चाट लेती तो कभी पूरा मूह खोल कर उसे मूह में फाड़ कर चूसने लगती.

तभी काजल को अपने सिर पर दबाओ का अहसास हुआ.

मूह में लॉडा घुसा हुआ था तो वो पलके उठा कर देखी तो लल्लू आँख खोले अपने हाथ से काजल के सर पकड़ कर उसे अपने लौड़े पर नीचे दबा रहा था.

काजल मारे शरम के उसका हाथ और मूह दोनो रुक गया.

लल्लू जब देखा की काजल रुक गई तो वो अपना कमर नीचे से उठा उठा कर काजल का मूह चोदने लगा और ऊपर से अपने हाथ से काजल के सर को दबाए रखा जिस से काजल चाह कर भी अपना सर नही हटा पाई.

लल्लू से ये सब बर्दास्त नही हुआ और वो काजल के मूह में ही खाली हो गया.

लल्लू पानी निकालने के बाद काजल का सर छोड़ दिया.

काजल के मूह से वीर्य निकल कर बेड पर टपकने लगा.

काजल एक नज़र लल्लू को देखी तो लल्लू काजल को ही देख रहा था.
काजल सिर झुका कर मूह में जो लल्लू का पानी था वो पी गई और मुड़ते हुए दूसरी ओर घूम कर लेट गई.

लल्लू का अब नींद खुल गया था.

वो पीछे से काजल को बाहों में भर लिया.

काजल- छोड़ बेशरम. मुझे सोने दे.

लेकिन लल्लू काजल को नही छोड़ा.

लल्लू का एक हाथ ग़लती से काजल के छाती पर चला गया.
काजल लल्लू का हाथ पकड़ कर पेट पर कर दी.

लल्लू अपना एक पैर उठा कर काजल पर रख दिया और चिपक गया काजल से.
लल्लू को अपने हाथ में काजल की मुलायम मखमली पेट का अहसास हो रहा था.
लल्लू का बाबूराव एक बार फिर खड़ा हो रहा था.
लल्लू अपने मा के पेट पर अपना हाथ चलाने लगा.
 
लल्लू अपना एक पैर उठा कर काजल पर रख दिया और चिपक गया काजल से.
लल्लू को अपने हाथ में काजल की मुलायम मखमली पेट का अहसास हो रहा था.
लल्लू का बाबूराव एक बार फिर खड़ा हो रहा था.
लल्लू अपने मा के पेट पर अपना हाथ चलाने लगा.
काजल की साँसे तेज हो गई.

काजल- ना कर बेटा. मुझे सोने दे.

लल्लू- मा अब तो सुबह होने वाली है.

लल्लू हाथ चलाता हुआ कभी पेट तो कभी उस से ऊपर जहा से काजल की मोटी बड़ी बड़ी दूध से भरी टंकी थी वहाँ तक ले जाता फिर नीचे पेट पर ले आता था.

काजल की साँसे तेज चल रही थी.

पीछे अपने गान्ड पर काजल को लल्लू का रोड चुभ रहा था जिस कारण काजल की मुनिया भी इस से मिलन को आँसू बहा रही थी.

लल्लू आहिस्ता से काजल की एक चुचि को पकड़ कर सहला दिया.

काजल हल्की सी सिसक पड़ी.

लल्लू से अब बर्दास्त करना मुश्किल हो गया.

थोड़ा नीचे हो कर तकिया से लल्लू पीछे काजल के खुले पीठ पर अपने जीभ से चाट लिया.
काजल सिहर उठी.
उसका रोया रोया खड़ा हो गया.

काजल से अब बर्दास्त करना मुश्किल हो रहा था.
वो अपना होंठो को दाँतों से काटती रोक रही थी खुद को.

लल्लू काजल की गर्दन पर चूम लिया.

काजल की अब बर्दास्त की हदे पर हो गई वो पलट कर लल्लू के ऊपर आ गई और लल्लू के पूरे चेहरे को चूमने चाटने लगी.

लल्लू के होंठो को अपने मूह में भर कर उसे बेदर्दी से कुचलने लगी.
काजल पर जैसे भूत सवार हो गया.

वो लल्लू के कभी ऊपर के होंठ को अपने दाँतों से पकड़ कर काट लेती तो कभी ज़ोर से चूसने लगती.

काजल काट काट कर लल्लू के होंठो से खून निकाल दी. जिसे बहने भी नही दिया उसे भी चाट कर पी गई.

.काजल फिर लल्लू के गाल को काटने लगी उसकी गर्दन को चाटने लगी.
 
नीचे खिसकती हुई काजल लल्लू के खड़े लंड पर अपना गान्ड रगड़ती लल्लू के छाती को चाटने लगी.

लल्लू के एक चूचुक को अपने चुटकी से पकड़ कर मसल देती.

लल्लू तो भौचक काजल के इस हमले को समझने की कोशिश कर रहा था.
काजल लल्लू के एक चुचक को हाथो से मसलने लगी तो दूसरे को दाँत से काट लेती फिर उसे जीभ फिरा कर सहलाती.

काजल क्या कर रही है उसे खुद नही पता था.

लल्लू हाथ बढ़ा कर उसके एक चुचे को पकड़ना चाहा तो काजल उसके हाथ पर एक छमात लगा कर मना कर दी.

काजल जल्दी से अपना ब्लाउस खोल कर फेक दी फिर हाथ पीछे ले जा कर अपना ब्रा खोल दी. ब्रा खुलते ही काजल की चुचे उच्छल कर आगे आ गये.

काजल अपने दोनो हाथो से चुचे पर ढके कप्स को पकड़ कर अलग कर दी.

लल्लू की आँखो के सामने उसकी मा के दो गोल बड़े बड़े गोरे चुचे नुमाया हो गये जिस पर पिंक कलर का एक एक इंच का चूचुक खड़े थे.

काजल झट से झुक कर लल्लू के नंगे सीना पर अपनी छाती को बेरहमी से रगड़ती एक बार फिर से लल्लू के होंठो को काटने लगी.

लल्लू हाथ बढ़ा कर काजल के पीठ को सहलाने लगा.
काजल एक बार फिर उसके हाथ पर एक चमत मार दी.

फिर लल्लू पर से उठ कर अपने सारी को खोल ली जो पहने हुए थी और उसे ले कर बेड पर आ गई.

बेड पर आ कर काजल लल्लू के एक हाथ को पकड़ कर बॅड के सिरहाने से बाँध दी पीछे कर फिर दूसरे को भी ऐसे ही अपनी सारी से बाँध दी.

लल्लू कोई विरोध नही कर रहा था. काजल जो कर रही थी वो शांत लिपटा करने दे रहा था.

दोनो हाथ बाँध कर काजल उसके पैरो के साथ भी ऐसा ही की.

एक दूसरी सारी ला कर उसके दोनो पैर को दो विपरीत दिशा में कर के बेड से बाँध दी.

लल्लू आश्चर्य से काजल को देखे जा रहा था.
काजल फिर अपना पेंटी भी निकाल कर फेक दी.

अब काजल और लल्लू दोनो जन्मजात नंगे थे.

लल्लू तो अपनी आँख फाडे काजल के कटीप्रदेश को देखे जा रहा था जहा सतपुरा का घना जंगल फैला हुआ था.

लल्लू की नज़र फिसलता हुआ उस से नीचे आया तो दो केले के तने की तरह दो मोटी चिकनी गोरी जाँघ.

ऐसा मनमोहक नज़ारा देख कर लल्लू का बाबूराव ठुमके लगाने लगा.
 
लल्लू खा जाने वाली नज़रो से काजल के जाँघो को देखे जा रहा था.

काजल जा कर एक बार फिर लल्लू के कमर पर बैठ गई और झुक कर लल्लू के ललाट को चूम ली फिर दोनो आँखो को फिर उस से नीचे उसकी नाक को मूह में ले कर हल्के से काट ली.

फिर उसके गाल को पहले मूह में भर कर काट ली फिर उसे जीभ से चाट लेती.

बारी बारी दोनो गाल के साथ ऐसा ही की.
फिर आया लल्लू के होंठो का नंबर.

लल्लू के होंठो को मूह में भर कर चूसने और काटने लगी.

इन सब क्रिया में काजल ने ये ध्यान रखा की उसकी छाती का सिर्फ़ निप्पल बिल्कुल हल्का सा वो भी कभी कभी लल्लू के बदन से टच करे.

काजल लल्लू के होंठो को जी भर चूसने के बाद उसके ठोडी फिर गर्दन को चाट्ती हुई उसके छाती पर आ गई. उसके छाती को चाटने लगी. चाटना हो जाने के बाद उसके निप्पल से खेलने लगी कभी एक को काट लेती और दूसरे को जीभ से टच करती तो कभी दूसरे को काट कर पहले को टच करती.

फिर काजल उसके पेट को चाट्ती हुई उसके कमर और फिर उस से नीचे लल्लू के डंडे पर आ पहुचि.

डंडे को गौर से देखने के बाद काजल उस पर झुक कर हल्के से जीभ निकाल कर चाट ली.
काजल जैसे ही जीभ लगाई वैसे ही लल्लू का डंडा फॅक फॅक कर के चार पाँच बार अपना पानी फेक दिया जो काजल के पूरे मूह और छाती पर फैल गया.

काजल शांत हो कर बैठ गई.

फिर बेड से उतर कर कपड़ा निकाल अपना बदन सॉफ की. और फिर अपना कपड़ा उठा कर पहनने लगी.

सारा कपड़ा पहन कर उसने लल्लू को खोल दिया.

काजल- क्यू बच्चू मज़ा आया.

लल्लू शरमा कर चेहरा झुका लिया.

काजल- फिर से बदमाशी की ना तो बताउन्गी में तुम्हे. वैसे तो ये जब तक तुम्हे याद रहेगा तुम ऐसा करोगे नही. ये मुझे पूरा उम्मीद है.

लल्लू मुस्कुरा कर रह गया.

चल अब कपड़े पहन ले. सब उठ गये है.

लल्लू उठ कर बेड से उतर गया और अपना धोती लपेट लिया.
 
सुबह हो गई थी. घर में सब एक एक कर उठ कर बाहर आ रहे थे.
लल्लू बाहर आ कर नदी किनारे चला गया.

वहाँ बैठ कर नदी के मछली, मेढक और बाकी जीवों से बात करता उसे अपना सारी कहानी बता रहा था. जो कुछ अभी उसके लाइफ में हो रहा था.

जब सूर्या की किर्ने थोड़ी तीखी हुई तो वो उठ कर फ्रेश हुआ और फिर घर को चल दिया.

नलका पर हाथ पैर धोने के बाद दालान पर आया तो दादू स्नान कर पूजा कर रहे थे.
वहाँ से आँगन आ गया. आँगन में सब चाय पी रहे थे तो लल्लू को भी एक कप पकड़ा दिया मा ने.

लल्लू- (चाय पीता हुआ) काका बुलेट चलाना कब सिखाएँगे.

सुनील- जब तुम कहोगे.

लल्लू- फिर आज से चले. अभी कोई काम तो नही आप को.

सुनील- नही उतना ज़रूरी कोई काम नही है.थोड़ी देर में चलते है.

लल्लू घर पर धोती ही पहनता था तो चाय पीने के बाद जा कर पेंट पहन आया फिर सुनील काका के साथ चला गया बुलेट चलाने.

दो घंटा बुलेट ड्राइव की ट्रैनिंग करने के बाद फिर वापस घर आ कर नाश्ता कर लिया.

सोनम- मा कल मेरा फॉर्म फिल अप का आखरी दिन होगा. अभी अभी कॉल आया था मेरे फ्रेंड का. कैसे होगा.

ऋतु- बेटा, पता करते रहना था ना. आने दे सब को खाने पर पूछती हूँ कौन साथ जायगा.

सोनम- मा भाई के साथ आज ही चली जाऊ.

ऋतु- नही आज अब लेट हो गया. अब कल ही जाना. सब तैयार कर के रख ले.

फिर सोनम अपने कमरे में चली गई.

लल्लू नाश्ता करने के बाद उठ कर अपने बहनो के कमरों की ओर चला गया.

दरवाज़ा बंद था. लल्लू जा कर दरवाजा बजाया.
सोनम ने ही दरवाजा खोला.

लल्लू- दीदी क्या कर रहे हो आप लोग.

सोनम- कुछ नही भाई. कल फॉर्म फिल अप का आखरी डेट है. उसी का सोच रही थी.

लल्लू- अरे दीदी अभी फॉर्म फिल ही तो हो रहा है कौन सा एग्ज़ॅम है जो इतना परेशान हो.

सोनम- भाई कल मेरे साथ जायगा कौन. इस लिए परेशान हूँ.

लल्लू- इस में इतना परेशान क्यू हो. कोई ना कोई तो चला ही जायगा.

सोनम- देखते है क्या होता है. ये सब छोड़. ये बता की अपना कमरा देखा क्या.

लल्लू- नही क्या वो सॉफ हो गया.

सोनम- चल देखते है.
 
दोनो वहाँ से निकल कर दूसरा कमरा जो की अभी जिस से निकले है, उसके साथ है जॉइंट. दोनो के बीच एक दरवाजा है. ये दो कमरे लड़कियो का है. उसके बाद वाला कमरा ये भी इन दोनो कमरो के साथ जॉइंट है. ये लल्लू के लिए सॉफ किया जाना था.

दोनो उसके मरे में पहुचे तो वहाँ सभी लड़किया जमा थी और वहाँ सब चीज़ो को व्यवस्थित ढंग से रख रहे थे.

लल्लू- ऊहहूँओ तो मेरी सारी प्यारी बहने यहाँ है.
लल्लू चारो और कमरे को देख रहा था.

कमरे में एक डबल बेड था. एक स्टडी टेबल चेयर, एक दीवार में बड़ा सा आल्मिरा.

बेड के साथ एक बड़ा सा खिड़की जिस से घर के पीछे का बगीचा दिख रहा था. जिस में कई तरह के फूल खिले हुए थे वहाँ कुछ आम अमरूद के बड़े पेर भी थे.

पूरा कमरा उजाले से भरा हुआ था.
उसके कमरे में तीन दरवाजे था.
एक लड़कियो के रूम से जॉइंट. दूसरा सामने से किसी को आँगन से आने के लिए. जिस से सोनम और लल्लू दोनो आए थे और एक तीसरा कमरा था जिस से पीछे बगीचे में जाया जा सकता है.

लल्लू- फॅब्युलस.

सोनम- ऊओहूँ, तो भाई को ये कमरा लगता है बहुत पसंद आया.

लल्लू- हा दीदी, ये कमरा बहुत बढ़िया है. मुझे सच में बहुत अच्छा लगा.

रानी- पता है भाई. पहले ये कमरा हम लोग बोले थे की हमें दे दो तो पापा मना कर दिए. बोले ये मेरा कमरा है. लेकिन तुम्हारे एक बार बोलते ही ये कमरा दे दिए.

लल्लू- दीदी अगर ये कमरा आप सब को पसंद है तो आप सब ये ले लो. में तो कही भी रह लूँगा. एक एक दिन सभी काकी के पास एक दिन मा के पास तो मेरा चार दिन तो ऐसे ही पास हो जायगा. बाकी के तीन दिन में से दो दिन आप लोगो के पास और बचा एक दिन वो दालान पर. बस हो गया मेरा पूरा वीक पास.
दूसरा वीक फिर शुरू से.
 
सोनम- नही नही. हमें नही चाहिए ये कमरा. वैसे भी तुम यहाँ आ जाओगे तो हम ये अंदर वाला दरवाजा खोल देंगे फिर ये तीनो कमरा एक ही तो हो जायगा. फिर जिस को जहा मन करेगा वो वहाँ रह सकता है.

सभी बहनो ने इस बात को ही माना.

गौरी- भाई तो आप आज से यहाँ रहेंगे ना.

लल्लू- नही दीदी में कुछ दिन बाद से यहाँ रहूँगा. अभी मा मुझे यहाँ नही सोने देगी.

रोमा- कोई बात नही भाई. हम सब ने इस कमरे को पूरा तैयार कर दिया है. आप का जब से दिल करे आ जाना.

लल्लू- यहाँ से बगीचा कितना प्यारा दिखता है. दीदी बगीचा चले क्या.

कोमल- हा भाई चलो वहाँ अमरूद भी होंगे.

फिर सभी बहन लल्लू का हाथ पकड़ बगीचे में आ गये अमरूद एक पेड़ केपास .

मीनू- भाई काफ़ी सारे अमरूद है तोड़ कर दो ना.

लल्लू पेड़ पर चढ़ कर काफ़ी सारे अमरूद तोड़ कर बहनो को पकड़ा दिया.
सभी खुश हो कर मज़े से खाने लगे.

फिर थोड़ी देर बगीचे में घूम टहल कर ये लोग कुछ अमरूद काकियों के लिए ले कर आँगन आ गये.

गौरी- मा मा हम ने आज काफ़ी सारे अमरूद खाए.
(गौरी दौड़ कर शालिनी के पास आ कर उसे बाहों में पकड़ कर बोली.)

शालिनी- कहाँ से खाए. किस ने दिया.

गौरी- खुश होते हुए, भाई ने पीछे बगीचे से तोड़ कर दिया.

शालिनी- ऊहहो तो ये बात है. इसी लिए इतना खुश है.

लल्लू सारे अमरूद ले कर रागिनी के पास आ कर रख दिया.
रागिनी किचन में खाना बना रही थी. अभी वो वहाँ अकेले ही थी.

लल्लू- काकी क्या बात है. मुझ से कोई ग़लती हो गई है क्या. में देख रहा हूँ आप मुझ से बात नही कर रही है.

रागिनी रोती हुई लल्लू को और पीठ कर ली.

लल्लू- काकी अगर मुझ से कोई ग़लती हो गया है तो मुझे मार लो लेकिन इस तरह तो मत रूठो मुझ से.

रागिनी पलट कर लल्लू को बाहों में भर कर रोने लगी.

रागिनी- बेटा उस दिन मेरे वजह से तुम्हारी तबीयत खराब हो गया. में बिना सोचे समझे तुम्हे थप्पड़ मार बैठी और.

लल्लू- (रागिनी का मूह बंद करते हुए) पहले आप रोना बंद कीजिए. और आप किस दिन की बात कर रहे है मुझे तो कुछ याद ही नही आ रहा.

रागिनी- बेटा तू बहुत महान है. बहुत प्यारा बेटा है तू. में तेरे जैसे प्यारे बेटे को मार बैठी. मुझे माफ़.

लल्लू- बीच में ही बोलते हुए. ऊहहो काकी में कहा ना की मुझे कुछ याद नही आप कब की बात कर रही है. आप इतना क्यू रोए जा रही है. अगर आप और रोई तो में आप को गुदगुदी लगा दूँगा.

लेकिन रागिनी को सच में बहुत दुख हुआ था तो उसका रोना रुक ही नही रहा था.

लल्लू अंत में रागिनी को पकड़ कर उसे गुदगुदी लगाने लगा.
रागिनी पहले तो रोती ही रही फिर थोड़ा थोड़ा रोने पर कंट्रोल की लेकिन पूरा नही.

लल्लू रागिनी के कभी पेट पर तो कभी बगल में गुदगुदी कर रहा था. और रागिनी इस से लल्लू की बाहों में रोटी सिसीक्टी मचल रही थी. इसी चक्कर में एक बार लल्लू के हाथ में रागिनी की मीडियम साइज़ का एक चुचि आ गया और लल्लू गुदगुदी लगते लगते उसे ग़लती से दबा दिया जिस का लल्लू को पता भी नही चला.

रागिनी अचानक हुए इस हरकत से हड़बड़ा गई और वो शांत खड़ी हो गई.

लल्लू को लगा की काकी फिर रोने लगी तो लल्लू फिर रागिनी को गुदगुदी करने लगा. रागिनी फिर से हँसते हुए लल्लू को भी गुदगुदी करने लगी.

लल्लू को भी अब इस खेल में मज़ा आने लगा था तो वो फिर से ऐसे ही कर रहा था. जिस कारण दोनो का शरीर एक दूसरे से कभी कभी रगड़ जाते तो दोनो को एक रोमांच का अहसास होता.

ऋतु- तो दोनो की सुलह हो गई.( ऋतु रसोई में आती बोली.)

लल्लू- झगड़ा कब हुआ था और आप क्या मान रही हो की हमारा झगड़ा हो.

ऋतु- आआयईी मारूँगी अगर मेरा टाँग खिचने की कोशिश की तो.
 
रागिनी- हा दीदी. मेरे प्यारे बेटे ने मुझे माफ़ कर दिया है.
रागिनी लल्लू को अपने बाहों में भर कर उसके गाल को चूम कर बोली.

ऋतु- चलो अच्छी बात है.

लल्लू फिर वहाँ से आ कर मा के कमरे में चला गया.
कमरे में मा बैठी कुछ सोच रही थी.
लल्लू- क्या बात है मा. आप क्या सोच रही हो.

काजल- कहा था तू.

लल्लू- में तो बगीचे में दीदी लोगो के साथ था.

काजल- तुम बुलेट सीखने गये थे.

लल्लू- हा मा बड़ा मज़ा आया. पता है आते वक्त में ही चला कर लाया था बुलेट को. काका तो पीछे बैठे हुए थे.

मा- देख बेटा. तू बुलेट चलाना मत सिख. कही कोई चोट लग गई तो.

लल्लू- मा.. नही लगेगी चोट. मुझे अच्छा लगता है.

मा- तेरे पापा को पता चला तो वो फिर नाराज़ हो जाएँगे.

लल्लू- नही होंगे. जब में आ रहा था बुलेट चलता हुआ तो पापा भी थे दालान पर. वो कुछ नही बोले.

मा बेड से उतार कर लल्लू को बाहों में भर कर सिर पर हाथ फेरती बाहर चली गई.

लल्लू बेड पर जा कर लेट गया.
लेटे लेटे उसे कब आँख लग गई पता ही नही चला.
 
नाश्ता लेट किया था तो दोपहर में खाना नही खाया में सोता ही रहा. क्योंकि रात भी ठीक से नही सोया था और उस से पिछले रात तो तबीयत ही खराब हो गई थी.

इस लिए मा ने भी सोया हुआ छोड़ दिया.

शाम में सो कर उठा तो सर भारी सा लग रहा था.
उठ कर बाहर आँगन में आ गया.
सब आँगन में ही बैठे थे.

लल्लू- मा, मुझे क्यू सोने दिया दिन में. अब मेरा सर भारी सा हो गया है.

सोनम- भाई मेरे साथ आ में सर में तेल डाल करलिश कर देता हूँ.
सोनम दीदी मेरा हाथ पकड़ कर अपने कमरे की और ले जाती बोली.

में दीदी के साथ उसके कमरे में चला गया.

सोनम- भाई यहाँ बैठ.

दीदी मुझे एक सोफा पर बैठा कर खुद रॅक से तेल की बोत्टल लेने चली गई.

बोतल ला कर वो मेरे आगे खड़ी हो गई और मेरे सर में तेल डाल कर मेरे सर की मालिश करने लगी.

में आँख मुंडे मालिश का आनंद ले रहा था.

तभी मैने अपनी आँख खोली तो देखा की दीदी मालिश करते हुए अपने हाथ चला रही थी मेरे सर में तो उसी हिसाब से दीदी के गोल ठोस उभार भी वैसे ही हिल रहा था.

दीदी ने इस समय एक टी शर्ट पहना हुआ था जिस के नीचे उन्होने ब्रा नही पहना था जिस कारण मुझे मेरे आँखो के बिल्कुल नज़दीक दीदी का वो हिलता हुआ उभार और उस में से निकला चूचुक.

उउफफफ्फ़ मेरे बदन में एक लहर दौड़ गई.

पता नही मुझे क्या होने लगा.

में वो देख कर बिल्कुल बेचैन हो गया.
जल्दी से आँखे बंद कर में गहरी गहरी साँस लेने लगा.

सोनम- क्या हुआ भाई. ज़्यादा सर दर्द करने लगा.
तुम यहाँ बेड पर लेट जाओ.

दीदी मेरा हाथ पकड़ मुझे बेड पर ले आई और अपने गोद में सर रखने को कहने लगी.

सोनम- आ बही यहाँ सर रख कर लेट. अभी दर्द ठीक हो जायगा.

लल्लू- मुझे तो अब सर का दर्द ठीक हो गया लेकिन कही और दर्द करने लगा. दीदी को क्या कहता. वो बहुत ज़्यादा ज़ोर देने लगी तो में दीदी की गोद में सर रख कर लेट गया.

अब दीदी आराम आराम से मेरा सर सहलाती और दबाती जा रही थी.
में ऐसे लेटा था की मेरा मूह दीदी के पेट में टच हो रहा था.

दीदी का उभार मेरे गाल पर कभी कभी टच होता जब वो मेरा सर दबाते वक्त थोड़ी झुकती थी.

मुझे दीदी के बदन की खुसबु मदहोश करने लगी और में बिल्कुल शांत हो कर सो गया उस खुसबु को सूँघता हुआ.
पता नही क्या नशा था दीदी के बदन के खुसबु में.

जब आँख खुली तो सर दर्द नही था लेकिन रात हो गई थी.
चारो और अंधेरा फैल गया था.

में कमरे से निकल कर दूसरे कमरे में गया तो सब बहने वहाँ पढ़ रही थी.

सोनम- क्या हुआ भाई. कैसा है अब सर दर्द.

लल्लू- दीदी आप का हाथ दो मुझे. क्या जादू है आप के हाथो में. ( में दीदी का हाथ पकड़ कर उसे चूमते हुए कहा.)

सोनम दीदी शरमा कर नज़रे झुका ली.

रोमा- क्या हुआ भाई.

लल्लू- दीदी ऐसे मेरा सर दबाई की सर दर्द तो भाग ही गया साथ ही में भी सो गया जब की में पूरे दिन सो कर उठा था.

सब बहने मेरी बात सुन कर हँसने लगी.

मीनू- ऊहहो तो इसका मतलब है की दीदी के हाथ में सच में जादू है. भाई तुम ने अभी अपने होंठो से छुआ है दीदी के हाथ को देखना कही मूह ना बंद हो जाये तुम्हारा.

सोनम दीदी शरमाती हुई मीनू दीदी को मारने लगी.

सोनम- अच्छा भाई. क्या कल तुम मेरे साथ कॉलेज चलोगे.
लल्लू- हा क्यू नही दीदी. लेकिन आप कॉलेज क्यू जाना चाहते हो.

सोनम- भाई कल फॉर्म भरने का लास्ट डेट है इस लिए जाना है.

लल्लू- अच्छा. में भूल गया था. ठीक है चलेंगे कल.

फिर लल्लू वहाँ से बाहर आँगन में आ गया.

मा- फिर सो गया था. अब रात में क्या करेगा.

लल्लू- जो कल किया था.(सिर खुजाता हुआ)

काजल शरमा कर वहाँ से भाग जाती है.

रात खाना खाने के बाद लल्लू कमरे में जा कर लेट गया.
नींद तो आ नही रहा था तो लेटा लेटा ऐसे ही करवट बदल रहा था.

थोड़ी देर में काजल घर का काम निपटा कर सोने आ गयी.
 
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