hotaks444
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राकेश और रूपेश दोनों ड्रिंक बना लाये और मिसेज़ अग्रवाल के लिये कोक। मिसेज़ अग्रवाल बड़ी बेतकल्लुफी से उनके सामने लवो सीट पर बैठ गईं। दोनों टांगें चौड़ाई हुई थीं। अगर साड़ी से न ढकी होती तो सामने चूत का पूरा मुँह खुला दिखता। उन दोनों को नमकीन देने को ठीक उनके मुँह के सामने इस तरह झुकती थी कि उनकी छातियां चूचुक तक दिखाई देती थीं।
रूपेश से न रहा गया तो उनको पकड़ा तो उसके ऊपर इस तरह गिरीं कि हाथ उसके लण्ड पर रख दिया फिर उठती हुई बोलीं- “तसल्ली रखो लाला जी…”
अबकी बार सामने और बेतकल्लुफी से बैठीं। टांगें चौड़ाये दोनों पैर सोफे पर रख लिये। टांगों के ऊपर की साड़ी ऊपर हो गई की नीचे की नीचे गिर गई थी। सामने चूत को केवल सिलिकन अंडरवेर ढके हुये थी जिसके ऊपर एक धब्बा उभर आया था। दो एकदम फक्क गोरी सुडौल रानें उनके बीच फँसी हुई पतली खाली पट्टी… वह दोनों उत्तेजित होने लगे थे। लण्ड उठने लगे थे जिनको वह बड़े ध्यान से देख रही थीं।
राकेश कहने लगा- “भाभी, तुम गजब हो, ऐसी चीज़ को अग्रवाल कैसे छोड़कर चले जाते हैं?”
मिसेज़ अग्रवाल- “जाने के पहले अपनी पूरी कसर निकाल लेते हैं, बाकी आने पर पूरी कर लेते हैं। हाथ लगाने से दुख रही है। पहले से तुम लोगों से वायदा न किया होता तो आज मैं आराम कर रही होती…”
रूपेश ने कहा- “भाभी ऐसा भी क्या तड़पाना? ना ही छुपाते हो ना ही मुँह दिखाते हो…”
मिसेज़ अग्रवाल ने आँख नचाई- “मुँह दिखाई की रश्म होती है…”
राकेश उठते हुये- “लो मैं रश्म पूरी किये देता हूँ…”
.
*****To Be contd... ... ....
रूपेश से न रहा गया तो उनको पकड़ा तो उसके ऊपर इस तरह गिरीं कि हाथ उसके लण्ड पर रख दिया फिर उठती हुई बोलीं- “तसल्ली रखो लाला जी…”
अबकी बार सामने और बेतकल्लुफी से बैठीं। टांगें चौड़ाये दोनों पैर सोफे पर रख लिये। टांगों के ऊपर की साड़ी ऊपर हो गई की नीचे की नीचे गिर गई थी। सामने चूत को केवल सिलिकन अंडरवेर ढके हुये थी जिसके ऊपर एक धब्बा उभर आया था। दो एकदम फक्क गोरी सुडौल रानें उनके बीच फँसी हुई पतली खाली पट्टी… वह दोनों उत्तेजित होने लगे थे। लण्ड उठने लगे थे जिनको वह बड़े ध्यान से देख रही थीं।
राकेश कहने लगा- “भाभी, तुम गजब हो, ऐसी चीज़ को अग्रवाल कैसे छोड़कर चले जाते हैं?”
मिसेज़ अग्रवाल- “जाने के पहले अपनी पूरी कसर निकाल लेते हैं, बाकी आने पर पूरी कर लेते हैं। हाथ लगाने से दुख रही है। पहले से तुम लोगों से वायदा न किया होता तो आज मैं आराम कर रही होती…”
रूपेश ने कहा- “भाभी ऐसा भी क्या तड़पाना? ना ही छुपाते हो ना ही मुँह दिखाते हो…”
मिसेज़ अग्रवाल ने आँख नचाई- “मुँह दिखाई की रश्म होती है…”
राकेश उठते हुये- “लो मैं रश्म पूरी किये देता हूँ…”
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