Muslim Sex Kahani खाला जमीला - Page 2 - SexBaba
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Muslim Sex Kahani खाला जमीला

औंटी ने कहा- "मेरे साथ-साथ रहना..."

मैंने हाँ में सिर हिला दिया। मैं आँटी के साथ-साथ चल रहा था और आँटी को साइड से पकड़ा हवा था। थोड़ा आगे गये तो बाजार टांग था तो दो रेहड़ी वालों में सामान लादा हवा था और रास्ता बंद हो गया था। इतने में देखा देखी काफी भीड़ हो गई वहां। गर्मी भी लगाने लगी। भीड़ में धक्कम-पेल से मैं औंटी के पीछे हो गया। एक हाथ से आँटी को साइड से पकड़ा हवा था उनकी कमीज से। मैं पीछे से आँटी से जकड़ चुका था। जिस वजह से मेरा लण्ड खड़ा होने लगा, जो सीधा आँटी परवीन के चूतर के नीचे लगाने लगा।

आँटी को जब महसूस हवा तो खाला ने पीछे मुड़कर देखा। मैं अपना ध्यान सीधा रखा हवा था। आँटी को भी पता था भीड़ बहुत है, मैंने जानबूझ के नहीं किया ऐसा। आँटी फिर सीधी हो गई। मुझे मजा आने लगा औंटी के नरम और भारी गाण्ड में लण्ड रगड़ने का। बार-बार हिलना पड़ रहा था। पीछे से धक्के लग रहे थे जिससे लण्ड गगड़ रहा था। जो हाथ मेरा आँटी को साइड से पकड़ा हवा था उससे मैंने आँटी की पसलियों के पास से जिम में हाथ दबाकर आँटी को पकड़ लिया।

मैंने कहा- "औंटी और कितने देर है, बहुत गर्मी लग रही है..'

आँटी ने कहा- "वो जगह बना रहे हैं गुजरने की, बस 5 मिनट और रुकना पड़ेगा.."

में अपना हाथ आँटी के पेट में ले गया चादर के नीचे से और वहां अपना हाथ दबाने लगा। आँटी ने अपना एक हाथ मेरे हाथ पे रखा और वही रोक लिया, लेकिन पीछे नहीं किया मेरा हाथ। मैं अपने पंजों पे खड़ा हवा और लण्ड को पीछे किया, और अब थोड़ा ऊपर हो गया था। अब मेरा लण्ड आँटी की गाण्ड के बीच में आ रहा था। मैंने आराम से आँटी की कमीज पीछे से साइड में की और लण्ड को आगे कर दिया, जो सीधा आँटी के चूतर के बीच में घुस गया।

आँटी का जब मेरा लण्ड वहां महसूम हुवा ता आँटी एकाएक हिली, पाछे देखा, एक नजर मारी और आराम से अपनी टांग थोड़ा खोल दी, और मेरे लण्ड को दबा लिया। मुझसे अब पंजों पे खड़ा नहीं हुवा जा रहा था थक गया था मैं। लेकिन जो मजा मिल रहा था उसके में खड़ा रह रहा था पंजा पें। आगे से आँटी में मेरा हाथ छोड़ दिया, जो मैं धीरे से उनके पेट पर घुमाने लगा। नीचे से लण्ड पे औंटी के गरम चूतर मुझे महसूस हो रहे थे। मैं लड़खड़ा गया और थोड़ा पीछे हो गया। मेरे पंजे दुख रहे थे। इतने में रास्ता खुल गया हम आगे बढ़ गये।

औंटी नार्मल थी कुछ भी शो नहीं किया उन्होंने। शापिंग करके हम बाजार में निकाल आए। शाम हो गई थी। घर दर था। आँटी ने रिक्शा कर लिया। मैं औटी के साथ जाकर बैठ गया। मैं सोने की आक्टिंग करते औंटी के साथ अपना सिर लगा दिया, और हाथ उनके मम्मों के थोड़ा नीचे रख दिया।

औंटी ने कहा- "नींद आ रही है?"

मैंने कहा- "ही आँटी जी.."

औंटी ने मुझे अपने बाज के घेरे में लिया और मुझं दबा लिया अपने साधा रिक्शा में अधेरा था। औंटी ने मेरा हाथ अपने हाथ में लिया जो उनके मम्मों के पास था, और हाथ को थोड़ा ऊपर करके अपने मम्मों पे रख दिया। लेकिन अपना हाथ पीछे नहीं किया। मेरे हाथ को मसल रही थी। फिर अपना हाथ पीछे कर लिया। मैंने हाथ वहीं रखे रखा। मेरा लण्ड पूरा तन के खड़ा हो गया था। अपने हाथ को धीरे-धीरे औटी के बाहरी मम्मों पे फेरने लगा। ऊपर से आँटी के थोड़े से मम्मे नंगे थे। मेरी उंगली जब वहां टच हुई तो आँटी एक बार हिली। मैं वहां हाथ को दबा दिया। मुझे बहुत मजा आ रहा था। इतने में मेरा एरिया शुरू हो गया।

औंटी ने कहा- "उठो घर आ गया है...'

मैं सीधा हो गया, और घर पहुँचने तक नार्मल हो गया। रिक्शा से उतर के आँटी ने मुझे प्यार दिया और अपने घर चली गई, और मैं अपने घर।
***** *****
 
कड़ी_06

मैं घर गया तो अम्मी लोग खाना खा रहे थे। मैं भी पास में बैठ गया एक चारपाई पै और खाने लगा। खाना खाकर फारिग हये।

अम्मी ने कहा "चलो आओं तुम्हारी खाला के घर चलते हैं.."

मैं खुशी-खुशी तैयार हो गया। घर से निकले और खाला के घर पहुँच गये। खाला ने मुझे गले लगाया और प्यार दिया। फिर अम्मी और खाला सहन में बैठकर बातें करने लगी। खालू अंदर रूम में टीवी देख रहे थे। खाला से लुबना का पूछा तो उन्होंने कहा वो छत पें गई है। मैं छत पे गया तो देखा लुबना दीवार के पास खड़ी साथ वाले घर की लड़की, जो उसकी दोस्त थी उससे बातें कर रही थी।

खटका हवा तो लुबना मुझे देखा और अपनी तरफ बुला लिया। मैं लुबना के पास चला गया और उसकी दोस्त से सलाम लिया और लुबना से भी। छत में पूरा अंधेरा था। में लुबना के दायें साइड पे खड़ा था। लुबना का एक हाथ ऊपर दीवार पे टिकाया हुवा था, एक नीचे था। मैंने उसको पकड़ लिया और दबाने लगा, साथ-साथ उनकी बातें भी सुन रहा था। मुझे लुबना के हाथों का स्पर्श बहुत मजा दे रहा था।

लण्ड में अकड़ाव आता जा रहा था। मैं लुबना के साथ जाकर खड़ा हो गया। गर्मियों के दिन थे, लुबना बारीक कमीज पहनी हुई थी। मैंने उसका हाथ अपने दायें हाथ में ले लिया और बाया हाथ खुला छोड़ दिया। मैंने अपना हाथ अपने आगे से गुजार कर लुबना का हाथ पकड़ा हुवा था, जो मेरे लण्ड के पास ही था। लुबना भी उससे बातें करते हुये सरसरी तौर पे जवाब दे रही थी। ऐसे करते एक बार हाथ ज्यादा हिल गया और लुबना का हाथ मेरे टाइट लण्ड से टकरा गया।

जैसे ही ऐसा हुवा लुबना ने अपना हाथ पीछे कर लिया। लेकिन मेरा हाथ अभी भी नहीं छोड़ा। मुझे बहुत मजा आया जब लुबना का नरम हाथ लण्ड पे लगा। मैंने अपना बायां बाजू अब लुबना के साइड पे दबा दिया और धीरे-धीरे उसको रगड़ने लगा। मेरा बाजू उसकी कमर को साइड से और जांघों की साइड पे रगड़ हो रहा था। मैं अंदर से पूरा गरम हो गया था, लण्ड झटके मार रहा था। मेरा दिल कर रहा था लुबना मेरे लण्ड को पकड़ लें और उसको दबाए।

मुझसे रहा नहीं गया। मैं उसका हाथ अपने लण्ड पे रख दिया, जो पहले से मेरे हाथ में था उसका हाथ। लुबना ने पीछे करना चाहा, लेकिन मैंने दबाकर रखा। मैं मोके का फायदा उठा रहा था, क्योंकी पास में सहेली खड़ी थी तो लुबना कुछ कह नहीं सकती थी। थोड़ी देर उसका हाथ वहीं रहा, लेकिन उसने मेरा लण्ड नहीं पकड़ा।

थोड़ी देर बाद उसकी सहेली चली गई, और लुबना ने अपना हाथ छुड़ा लिया और कहा- "ये क्या बदतमीजी है?"

मैं एक बार घबरा तो गया लेकिन जब देखा की लुबना अपनी स्माइल को दबा रही हैं तो इतने से ही मैं शेर हो गया। मैंने कहा- "सारी मुझसे कंट्रोल नहीं हवा। तुम्हारा हाथ ही बहुत नरम है। दिल ही नहीं करता इसको छोड़ने का..."

लुबना बोली- "तुमको बड़ा शौक है मेरा हाथ पकड़ने का?"

मैंने कहा- "अब आदत हो गई हैं क्या करंग.." और मैंने फिर से लुबना का हाथ पकड़ लिया।

अब लुबना मेरी तरफ हो गई हई थी। हम बिल्कुल पास खड़े थे। पूरा अंधेरा और दो जवान लड़का लड़की है तो शैतान आ ही जाता है। मेरा लण्ड अभी भी खड़ा था। मैं थोड़ा और करीब हो गया लुबना के। उसका हाथ मैंने अपने दोनों हाथों में लिया हुवा था।

हम दोनों स्कूल की बातें कर रहे थे। कितना काम मिला छुट्टयों का? साथ-साथ मैंने करवाई जारी रखी। थोड़ा और करीब हवा तो मेरे लण्ड की टोपी लुबना की जांघ पे लगी हल्की सी। मेरे अंदर करंट दौड़ गया क्योंकी पहली बार में लुबना के इतने करीब गया था। मैंने अपने लण्ड का दबाओं बढ़ाया तो मेरा लण्ड उसकी नरम जांघों में धंस गया। लुबना की जांघ रई के जैसे नरम थी, और इस बात गरम भी थी।

लुबना बात करते हुये एक बार रुकी भी। क्योंकी उसको भी पता चल गया था मेरा लण्ड कहां लग रहा था, लेकिन उसने कुछ कहा नहीं। मेरा मजे से बुरा हाल हो रहा था। मैं लुबना को खींचकर और करीब कर लिया। अब हमारी साँसें आपस में टकरा रही थी। मैंने मोका गनीमत जाना और थोड़ा पीछे होकर लुबना की जांघों के बीच का अंदाजा लगाया जहां उसकी फुदी थी, और लण्ड को आगे कर दिया। लण्ड उसकी कमीज समेत उसकी जांघों में घुस गया और लण्ड झटके खाने लगा।

लुबना भी अब चुप हो गई थी और मजे ले रही थी। मैं अब लण्ड को खुलकर आगे-पीछे कर रहा था। मैंने धीरे से अपनी लमीज साइड पे की और लण्ड दुबारा लुबना की जांघों में घुसाया, जहां मुझे और ज्यादा गर्मी महसूस हुई। मैंने लुबना का हाथ छोड़ा और उसकी जांघों को पकड़ा और टीला करने लगा। लुबना समझ गई उसने अपनी टांगें थोड़ी खोली और लण्ड सीधा फुद्दी से जा टकराया। उसने टांगें बंद कर ली।

मैंने झप्पी डाल दी और लण्ड अंदर-बाहर करने लगा। शर्म की वजह से हम दोनों में से कोई भी बात नहीं कर रहा था। मैं उसको गाल पे किस करने लगा, कभी गर्दन में करता। होंठों पे कर नहीं रहा था झिझक हो रही श्री दूसरा मुझे करनी नहीं आती थी।

लुबना आहे बढ़ने लगी- “आहह.. उहह... ओहह... आह.. ओफफ्फ..."
 
मैं बहुत एंजाय कर रहा था। लुबना का नरम गरम जिश्म मुझे पूरा मजा दे रहा था। इतने में अचानक नीचे से अम्मी ने मुझे आवाज लगाई तो हम सड़बड़ा गये, और जल्दी से सीधे हो गये। हम दोनों शर्म के मारे एक दूसरे को देख भी नहीं रहे थे।

मैंने आवाज लगाई- "आ रहा है..." फिर हम नीचे आ गयें। जहां अम्मी तैयार थी घर जाने के लियें।

अम्मी के साथ मैं घर आ गया। घर आए तो अम्मी ने कहा- "तुम्हारी खाला और लुबना में जाना है तुम्हारी नानी के घर। तुम उनके साथ चले जाना..."

मैं ये सुनकर बहुत खुश हुवा। मैंने पूछा- “कच जाना है?"

अम्मी ने कहा "परसों जाना तुम लोगों ने। परसों रात को निकलना है..."

जानी का घर मुल्तान में था। सिटी से 10-12 किलोमीटर दूर एक गाँव में। रात को निकलतं तो सुबह 7-8 बजे वहां पहुँचते हम।
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फिर मैं अपने रूम में जाकर लेट गया, और सोचने लगा- "गाँव जाकर कैसे एंजाय करना है?" और यही सोचते सोचते मैं सो गया।

सुबह लेट उठा। क्योंकी स्कूल से इटियां थी। फ्रेश हवा फिर नाश्ता किया, और घर से बाहर निकाल आया। दोस्त क्रिकेट खेलने जा रहे थे, मैं भी उनके साथ चला गया। वहां दो घंटे खेलता रहा। फिर घर की तरफ आ रहा था तो देखा खाला सामान उठाए घर जा रही थी। मैं जल्दी से आगे हवा और खाला में सलाम किया और सामान पकड़कर उनके साथ चलने लगा।

घर जाकर सामान किचन में रखा। लुबना का पूछा तो वो अपना काम लिख रही थी ऊपर छत पे बैठकर। खाला किचेन की सेल्फ के नीचे से सामान निकालकर ऊपर रख रही थी शेल्फ पो मैं क्या देखता है की जब खाला झुकती थी तो खाला के भारी चूतर पीछे को निकल आते थे। जब उठती ता कमीज उनके चूतरों की गहरी दरार में घुसी होती। में मंजर देखकर मेरा लण्ड खड़ा होने लगा।

मुझे इर्द-गिर्द का होश नहीं रहा और नजर खाला के चूतरों पे टिक गई। फिर खाला ने जब सामान निकाल लिया तो खाला बर्तन धोने लगी। मैं आगे बढ़ा और पीछे से खाला को झप्पी लगाया और खाला से कहा- "आपने आज मुझे गले नहीं लगाया और अब मुझे खुद आपको झप्पी डालनी पड़ी है.."

खाला मुश्कुरा दी और कहा- "तुमको इतनी फिकर होती है मेरी झप्पी लगाने की.."

मैंने कहा- "जी खाला मुझे बहुत मजा आता है आपको झप्पी लगाकर."

खाला ने कहा "चला आइन्दा लगा लिया करूंगी... और अब जब तक बर्तन नहीं धुलतं तुम मुझे झप्पी लगाकर रखो.."

मैं बहुत खुश हवा ये सुनकर। मैंने अपने हाथ खाला के गले में डाल दिए और उनका जोर से झप्पी लगा ली,
और आगे बढ़कर खाला के गाल पे किस कर दी। लगातार 3-4 किस की। फिर मैंने अपना चेहरा खाला के कंधे पे रख दिया। जहां से मेरी नजर सीधी खाला के मम्मों पे पड़ रही थी। खाला के आधे मम्मे तो कमीज के बाहर थे। मुझे खाला की ब्लैक ब्रा भी नजर आ रही थी। खाला ने ब्लेक कमीज और सफेद सलवार पहनी हुई थी। मेरे दोनों हाथ खाला के मम्मों के ऊपरी भाग से छू रहे थे। मैं वहां हाथ फेरने लगा।

खाला को गुदगुदी हुई तो कहा- "ना करो बेटा गुदगुदी होती है..... मैं हँस दिया और ज्यादा दबाओं डाल दिया वहां और हाथ को फेरने लगा। नीचे से लण्ड पूरा अकड़ा हवा था। मैं थोड़ा आगे हवा और लण्ड खाला के मोटे चूतरों पे लगा। खाला के चूतर बाहर का निकले हुये थे। बर्तन धोते हुये खाला हिल रही थी। नीचे मेरा लण्ड उनसे रगड़ खा रहा था, जो मुझे बहुत मजा दे रहा था। मैं मजे से पागल हो रहा था। खाला ने कुछ नहीं कहा वो लगी रही अपने काम में।
 
खाला को गुदगुदी हुई तो कहा- "ना करो बेटा गुदगुदी होती है..... मैं हँस दिया और ज्यादा दबाओं डाल दिया वहां और हाथ को फेरने लगा। नीचे से लण्ड पूरा अकड़ा हवा था। मैं थोड़ा आगे हवा और लण्ड खाला के मोटे चूतरों पे लगा। खाला के चूतर बाहर का निकले हुये थे। बर्तन धोते हुये खाला हिल रही थी। नीचे मेरा लण्ड उनसे रगड़ खा रहा था, जो मुझे बहुत मजा दे रहा था। मैं मजे से पागल हो रहा था। खाला ने कुछ नहीं कहा वो लगी रही अपने काम में।

खाला में बर्तन धो लिए थे। अब सुखा कर के टोकरी में रख रही थी। मैं अपने बाजू खाला के बगलों के नीचे से गुजारकर खाला के कंधे पकड़ लिए और उनको गर्दन में किस कर दी। मैं पूरा चिपक गया था खाला से। मेरे बाजू खाला के मम्मों की साइड से दब गये थे। मुझे उनके नरम मम्में अच्छी तरह महसूस हो रहे थे। मैं मजे से पागल हो रहा था और बहुत गरम हो गया था। मैंने नीचे से लण्ड को जोर से खाला के चूतरों में दबाया तो खाला बेचैन हो गई।

खाला ने कहा "चलो शाबाश... अब मुझे छोड़ो, मैं सफाई कर लं रूम की..."

मैंने ना चाहतं हमें भी खाला को छोड़ दिया, और ऊपर लुबना के पास चला गया। देखा तो लुबना काम लिख रही थी। मैं पास जाकर बैठ गया और उससे हा हेलो की। मैंने इर्द-गिर्द देखा तो कोई भी नहीं था। मैंने एक हाथ लुबना के बायें मम्मे पें रख दिया, जो मुश्किल से मेरे हाथ में आ रहा था।

लुबना एकदम चौकी और उसने मेरा हाथ झटक दिया और कहा- "ना करा कोई देख लेगा.."

मैंने कहा- "नहीं देखता, मेरी नजर है इर्द-गिर्द..

लेकिन उसने मुझे हाथ नहीं लगा दिया। मैंने फिर हाथ उसकी जांच पे रख दिया और दबाने लगा। उसने मना नहीं किया। छत पे खाला लोगों में छोटा सा रूम बनाया हुवा था। जिसमें पुराना सामान पड़ा हुवा था।

मजे लुबना को कहा- "चलो स्टोर राम में चलते हैं.."

लुबना ने कहा- "अम्मी आ जायेंगी...

मैंने कहा- "खाला नीचं काम कर रही हैं मैं देख कर आया है."

बार-बार कहने पे लुबना मानी और हम उठकर स्टोर रूम में चले गये। वहां खड़ा ही हवा जा सकता था लेटने की जगह नहीं थी। वहां जाते ही मैंने लुबना को गले लगा लिया। लण्ड तो पहले से ही अकड़ा हुवा था। मैंने एक हाथ लुबना का अपने लण्ड पे रखा और उसको कहा- "मसलो..." और मैं उसको किस करने लगा उसके नरम गाल पे। मैं पूरा चेहरा पे उसको किस कर रहा था।

नीचे लुबना मेरा लण्ड दबा रही थी। अब लुबना की सिसकियां भी निकाल रह थी। लुबना मुझे रोकी और करा "हाथ बाहर निकाला." लेकिन मैंने नहीं निकलें बार-बार कहने से वो चुप हो गई। मैं मजे से उसके चूतरों को दबाने लगा और चूतरों की लकीर में उंगली ऊपर से नीचे कर रहा था।

लुबना में अब मुझको जोर से अपने साथ लगा लिया था। मैंने अपना एक हाथ आगे से सलवार में डाल दिया, जो सीधा लुबना की गरम चूत से जा टकराया, जो इस वक़्त गीली हुई पड़ी थी। मैं उसकी फोड़ी पे हाथ फेरने लगा। मुझं हैरत का झटका लगा जब लुबना ने मेरी सलवार में हाथ डालकर मेरा लण्ड पकड़ लिया।

मैं मजे से हवाओं में उड़ने लगा। मेरा जिम मजे से झटके खाने लगा। मैंने अपनी सलवार घुटनों तक नीचे कर दी, और लुबना की भी। फिर मैंने अपने लण्ड में थूक लगाया और लुबना की जांघों में डाल दिया जो सीधा उसकी फुद्दी से रगड़ खा रहा था। लुबना ने मुझे अपनी तरफ खींचा। मैं लण्ड को अंदर-बाहर करने लगा। मेरा दिल कर रहा था लुबना की फुद्दी देख, लेकिन स्टारर म में अंधेरा था।

मैंने लुबना की कमीज ऊपर कर दी बजियर समेत। मैंने उसके मम्मे पकड़ लिये और दबाने लगा। लबना की और जोर से सिसकियां निकल रही थी। मैंने बायें मम्मे का निपल मुह में ले लिया और चूसने लगा। अब लण्ड अंदर-बाहर करने की स्पीड कम हो गई थी। क्योंकी मैं अब थकावट महसूस कर रहा था। ऐसी हालत में खड़े होकर लुबना के निपल अकड़े हये थे और मटर के दानें जितना उसका जिपल था। मैं जोर-जोर से उसके मम्में दबा रहा था।

अचानक लुबना ने मुझे जोर से पकड़ लिया और सारा वजन मुझपर डाल दिया। उसका जिश्म कांप रहा था। लण्ड पे मुझे गरम पानी गिरता हुवा महसूस हुवा। मैं अब रुक गया था क्योंकी लुबना में अपनी टाँगें दीली की हुई थी। फिर वो सीधी हुई और कहा- "अब चलते हैं काफी देर हो गई है." इस दौरान उसने सलवार भी ऊपर कर ली और कमीज भी ठीक कर ली।

मैंने ना चाहतं हमें भी अपनी सलवार ठीक की। फिर हमने एक जोर की झप्पी लगाई। लुबना में होंठों में एक हल्की किस की और हम बाहर आ गये।

मैं नीचे चला गया और वो अपना काम लिखने बैठ गई दुबारा। नीचे आकर मैंने खाला से इजाजत ली और घर आ गया। मैंने भी बैग उठाया और पढ़ने लगा, काम लिखा। जब में फारिग हवा तब शाम 4:00 बजे का टाइम था। अम्मी किचेन में थी। मैं बाहर गली में निकल आया तो एक दोस्त खड़ा था, उससे गपशप करने लगा। थोड़ी देर बाद दोस्त चला गया। मैं भी घर आ गया। ऐसे ही टाइम गुजरता गया। रात 8:00 बजे का टाइम हवा तो आँटी परवीन आ गईं।

 
इस वक्त हम छत पे बैठे हुये थे। आँटी मेंरी चारपाई पे आकर बैठ गई। मैं लेटा हुवा था। ठंडी हवा चल रही थी। अब्बू अभी तक नहीं आए थे। आँटी अम्मी से बातें करने लगी। मैंने करवट ली और थोड़ा नीचे हो गया। जिससे ये हवा की मेरा लण्ड औटी के चूतर के बराबर आ गया। बैठने से आँटी के चूतर भी फैल गये थे। मैं थोड़ा आगे हवा, तो मुझे अपनी टांग में आँटी का चूतर लगने लगा।

मैं थोड़ा अडजस्ट हवा और लण्ड को आँटी के चूतर के साथ लगा दिया, और शा ऐसे किया जैसे मैं सो गया हैं। आँटी के चूतर की गमी और नर्मी की वजह से मेरे लण्ड में जान आने लग गई। जो एक मिनट बाद पूरा खड़ा हो गया और लण्ड की नोक आँटी की माटी गाण्ड पे च बने लगी। इतना होने के बावजूद आँटी नार्मल अंदाज में माँ से बातें किए जा रही थी, जैसे कुछ हवा ना हो।

मेरी हिम्मत बढ़ने लगी। मैं लण्ड को और दबाओं दिया, तो उनकी गाण्ड के एक भा में धंस गया था। मैं अब बिल्कुल बगैर हिले लेटा हुवा था और लण्ड झटके मार रहा था। मैं मजे से पागल हो रहा था। जब कुछ देर में नहीं हिला तो आँटी थोड़ा सा हिली और मेरे लण्ड पे दबाओ बढ़ा दिया। मेरा दिल मुह में आ गया जब आँटी में ऐसा किया। मेरा दिल पूरा रफ़्तार से धड़कनें लगा। मैरा जिश्म एक बार कांपा।

आँटी ने कहा- "बेटा चादर ले लो, ऊपर ठंडी हवा चल रही है आपका ठंड ना लग जायेगी... ऐसा औंटी ने मुझे हिलाकर कहा क्योंकी में साता शो किया हवा था।

में उठा और पैरों में पड़ी चादर अपने ऊपर ले ली सीने तक और दुबारा करवट ले ली आँटी की तरफ। मैंने क्या किया की चादर के अंदर से आराम से अपनी सलवार थोड़ी नीचे की और लण्ड बाहर निकाल लिया, जो इस वक़्त अपने पूरा यौवन पें था। मैंने आँटी की कमीज का पल्ल उठाया और लण्ड उनकी गाण्ड पै दबा दिया।

औंटी में एकदम मेरी तरफ देखा। उनको शायद पता चल गया था की मैंने क्या किया है। लेकिन आँटी परवीन खामोश रहीं। मैं ऐसे हीथोड़ी देर मजे लेता रहा। फिर अब्बू आ गये तो अम्मी उठकर नीचे चली गई और आँटी भी उठकर अपनी छत की तरफ चली गई। उठतं हमें आँटी ने एक बार जोर से मेरे लण्ड पे अपनी गाण्ड दबाई थी। मैं बहुत खुश हवा और मजा भी आया।

फिर थोड़ी देर तक अम्मी अब्बू से बातें हुई गाँव जाने की, और मैं बातें करता सो गया मुझं, पता भी ना चला।

मैं सुबह उठा तो नाश्ता करके मैं अपनी पैकिंग करने लगा। कुछ अम्मी ने कर दी। मैं नजदीक मार्केट में गया। एक-दो जरूरी चीजें लेनी थी वो ली। बस ऐसे ही दिन गुजर गया। रात को में 11:00 बजे घर से निकाला। अब्बू भी साथ थे। अम्मी ने मुझे वहां आराम से रहने की ताकीद की थी। मैं छुट्टियों का काम भी साथ में ले लिया, जो वहां जाकर भी करना था क्योंकी वहां हमलोगो का 15-20 दिन रहने का प्रोग्राम था।

मैंने नई कमीज सलवार डाली हुई थी। हम खाला के घर पहुँचे तो वो भी सहन में खड़े थे तैयार।
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कड़ी 08

अब्बू ने रिक्शा करवाया हवा था लारी अइडे के लिये। हम रिक्शा में बैठे, जो बाहर आ गया हुवा था। अब्बू साथ जा रहे थे लारी अड्डे पे बिठाने। लारी अइडे पहुँचे तो बस तैयार थी। अब्बू ने हमको क्स में बिठाया और क्लीनर को खयाल रखने की ताकीद की और वापस चले गये।

बस में सबसे आखिर में थी हमारी सीटें। हम तीनों वहां जाकर बैठ गये। एक सीट खाली थी वहां अभी कोई नहीं बैठा था। मैं बीच में बैठा था जानबूझ कर। बायें साइड खिड़की के साथ लुबना बैठ गई साथ में फिर खाला बैठ गई।

थोड़ी देर बाद बस चल पड़ी। ड्राइवर ने अंदर की लिइटें बंद कर दी। मैं लुबना की तरफ चेहरा किया और उससे गाँव की बातें करने लगा, और अपने बायें हाथ से उसका हाथ पकड़ लिया। हम दोनों खिड़की से बाहर ही देख रहें थे जी.टी. रोड की लाइटें साइनबोर्ड बगेरा। मैं उसके साथ जाकर बैठा हवा था। थोड़ी देर बाद लुबना ऊँघने लगी और आखीरकार, वो सीट से टेक लगाकर सो गई थी।

हम शहर से बाहर आ गये थे और बस तेजी से जा रही थी अपनी मंजिल की तरफ। बस में तकरबन सभी लोग
सो रहे थे या ऊँघ रहे थे। लेकिन मुझे नींद नहीं थी आ रही थी। मैं खाला की तरफ देखा तो खाला जाग रही थी। मैं खाला की तरफ खिसका और उनसे सटकर बैठ गया और अपना सिर उनके कंधे पे रख दिया।

खाला ने मुझे अपने बाजुओं के अंदर में ले लिया और सिर में किस की मुझे और कहा- "सो जाओ बेटा अभी.."

मैंने अपना दायां बाजू खाला के पीछे से घुमाकर और अपना बाया बाजू खाला के दुपट्टे के नीचे से गुजाकर उनके भारी मम्मों के नीचे पेट पे रख दिया। पीछे से जो बाज डाला था वो मैने खाला के दायें कंधे पे रख दिया

था। मेरा मुँह खाला के बायें मम्मे और कंधे पे था। पोजीशन की आप लोगों को समझ तो आ गई होगी।

मैने खाला के कंधे और मम्मों के बीच में दुपट्टे के ऊपर से ही किस की और खाला को कहा- "मुझं ऐसे ही सुला दें..."

खाला मुश्कुरा दी और कहा- "ऐसे ही क्यों सोना है? आराम से टेक लगाकर सो जाओ..."

मैंने कहा- "नहीं खाला, मुझे ऐसे ही अच्छे से नींद आयेगी आपके साथ लगकर..."

खाला ने कहा "मैं इतनी अच्छी लगती हूँ तुमका?"

मैंने कहा- "हाँ खाला, आप मुझे सबसे ज्यादा अच्छी लगती हो। आप तो मेरी प्यारी खाला हो." और चेहरा ऊपर करके खाला के गाल में किस कर दी।

खाला थोड़ा शर्मा गई और कहा- "देख तो लिया करो हम कहां बैठे हैं, बस शुरू हो जातें हो तुम... और मुश्कुरा भी रही थी खाला बात करने के साथ मैं भी मुश्कुरा दिया। मुझे शरारत सूझी। मैंने फिर से खाला को गाल पे किस कर दी। खाला ने मेरी तरफ देखा। हम दोनों एक दूसरे को देखते हुये मुश्कुरा दिए।

खाला ने मुझे अपने बाजू से दबाया और कहा- "बहुत शरारती हो गये हो तुम.."

मेरा जो हाथ खाला के दुपट्टे के नीचे उनके पेट पर मम्मों के नीचे था, मैं अब हाथ को उनके पेट पर घुमा रहा था। मुझे बहुत मजा आ रहा था। मैं पूरा खाला के साथ चिपका हुवा था। मुझे खाला का नरम गरम जिश्म अच्छी तरह महसूस हो रहा था। मैं बहुत मज़े से खाला से लिपटा हुवा था।

मैंने खाला को कहा- "खाला एक बात कहैं..."

खाला ने कहा "हाँ बोला.."

मैंने कहा- "आप बहुत मुलायम मुलायम सी हैं। दिल करता है आपसे लिपटा ही रहूँ.."

खाला बोली- "ओह्ह... मेरे बेटे को इतनी अच्छी लगती ह मैं उम्म्म्म... आहह.. और खाला में थोड़ा झुक के मेरे गाल में किस कर दिया।

मैंनें कहा- "मुझे बहुत मजा आता है जब आपके पेट में हाथ फेरता है."
 
हम खाला भांजा फुसफुसाहट में बात कर रहे थे ताकी काई दूसरा सुने नहीं। लुबना गहरी नींद सो रही थी। मैं खाला के कहा के पास मुँह करके बात कर रहा था और खाला जब जवाब देती थी तो उनको श्रीड़ा झुकना पड़ता था। जिससे उनके मम्मे मुझे अपने हाथ और बाजू में महसूस होते थे। ऐसी हालत में बैठे हमें मेरा लण्ड इस बत पूरा अकड़ा हवा था और झटके पे झटके मार रहा था।

मैं अब बात करते हुये जानबूझ के खाला के कान को अपने होंठों से चू रहा था ताकी खाला भी गरम हो जायें और मुझे रोके नहीं। खाला भी अपने एक हाथ में मुझे थपक रही थी। गाड़ी में सब मो गये थे। सिर्फ बस के एंजिन की गो-गों की आवाज आ रही थी। जी.टी. रोड से भी इस बढ़त कोई-कोई गाड़ी गुजर रही थी। हमको एक घंटा हो गया था च ले हुये।

मैंने खाला से कहा- "खाला मुझे आपके पेट में हाथ रखना है."

खाला में कहा "नहीं बेटा, कोई देख लेगा घर जाकर लगा लेना."

मैंने थोड़ा डरकर ये बात कही थी। लेकिन खाला शायद मुझे बच्चा समझ के सीरियस नहीं ली बात को। जब मैंने देखा खाला ने गुस्सा नहीं किया तो मुझे होसला मिला और में बार-बार कहता रहा तो खाला मान गई।

खाला ने इधर-उधर देखा और मुझसे कहा- "चलो रख लो.."

मैने खाला की बगल से हाथ अंदर डाला और अपना हाथ उनके नंगे पेंट पे रख दिया। खाला का पेंट गरम था और नरम भी बहुत था। जरा सी उंगली दबाओ तो घुस जाती थी।

खाला ने मेरा हाथ पकड़ लिया और कहा- "घुमाओं नहीं, मुझं गुदगुदी होती है..."

लेकिन मैं हाथ छुड़ाकर हाथ घुमा रहा था। मैं हाथ घुमाता नीचे आया तो मेरी उंगली खाला की नाभि में गई। तो खाला में अपना पेंट पीछे को खींचा और फुसफुसाई- "नहीं करो, वरना मैंने हाथ निकाल देना है..."

मैंने हाथ निकाल लिया।

खाला ने कहा "चलो अब सो जाओं, बहुत टाइम हो गया है। मैं भी सोने लगी हूँ.." कहकर खाला में दुपट्टा पकड़ा और मेरे सिर के ऊपर डाल दिया और कहा- "सो जाओं बेटा अभी..."

मेरा हाथ अभी भी खाला के पेंट पे था। जब दुपट्टा मेरे ऊपर दिया तो मेरा चेहरा खाला के बायें भारी मम्म के ऊपर आ गया। मैंने वहां अपना चेहरा दबा दिया। खाला मुझे थपक रही थी। मैंने अपनी बापी टांग उठाई और खाला की मोटी जांघ पे रख दी, तो मेरा लण्ड बगल से उनकी जांघ को छू गया। खाला थोड़ी हिली लेकिन चुप रही। मेरा घुटना खाला की नरम जांघ के ऊपर था। मैं इस वक़्त पूरा सेक्सी मूड में था, दिमाग बेखौफ हो रहा था। मैंने हाथ ऊपर किया तो खाला की ब्रा को छू गया। मैंने वहां उंगली घुमाई और बा के बीच में आया, जहां थोड़ा सा सुराख था। मैंने वहां उंगली घुसाई तो उंगली ऊपर चली गई, और उंगली में मुझे खाला के मम्मे महसूस हुये।

खाला ने मेरा हाथ पकड़ा और बाहर निकाल दिया, और फुसफुसाकर कहा- "ना करी बेटा। मुझे नींद आ रही है, मैंने सोना भी है.."

थाड़ी देर बाद मेरी भी आँख लग गई। क्याकी खाला मुझे थपक रही थी। फिर आँख तब खुला जब बस ने एक जगह स्टाप किया रोड किनारे एक होटल पे ताकी लोग फ्रेश हो जाए।

मुझे खाला ने मुझे उठाया और कहा- "नीचे उत्तरों फ्रेश हो जाओ...

लुबना पहले की जागी हुई थी। मुझे देखकर स्माइल की उसनें। इस वक्त 4:00 बजे का टाइम हो गया था। हम सब नीचे उतरे वाशरूम से फारिग हुये तो खाला ने हमको चिप्स और जूस लेकर दिया। 15-20 मिनट बाद दुबारा हम बस में बैठ गये थे।

लुबना और मैं बस में बैठकर कांप रहे थे और बातें भी कर रहे थे। बस फिर चल पड़ी थी। लुबना में मुझे आँख मारी सबसे नजर बचक्कर। मैं समझ गया ये मस्ती के मूड में है। मैंने अपना हाथ इसकी जांघ में रख दिया

और मसलने लगा। बस में अधेरा था। लुबना में मेरा हाथ पकड़ा और अपनी सलवार में डाल दिया। मैं तो चकित हो गया और चोर नजर से खाला की तरफ देखा की कहीं वो देख ना रही हों।

लेकिन खाला आँखें बंद किए टेक लगाकर बैठी हुई थी।

मेरा जब हाथ सलवार के अंदर गया तो मैंने लुबना की फुद्दी पे रख दिया और वहां उंगली घुमाने लगा। फुद्दी पे हल्के-हल्के बाल थे। अब लुबना की फुद्दी गीली हो रही थी, जिसको मेरा हाथ महसूस कर रहा था। मैं अपनी बीच वाली उंगली उसकी फुद्दी की लकीर में ऊपर नीचे कर रहा था और फुद्दी के छेद में दबाओ भी डाल रहा था। लुबना मजे से आँखें बंद किए अपने होंठों को काट रही थी। मैं इधर-उधर नजर भी रख रहा था, स्पेशली खाला पे नजर थी मेरी।

कुछ देर बाद मैंने उंगली को फुद्दी के छेद में डाला तो दर्द की वजह से लुबना ने आँखें खोली और मेरा हाथ पकड़ लिया और जा में इशारा किया। मेरा अभी उंगली का तिहाई हिस्सा हो गया था अंदर। लेकिन मैंने उंगली दबाये, रखी बाहर नहीं निकली। लुबना सीट पे लेटने के अंदाज में बैठी हुई थी, जिस वजह से उसकी फुद्दी उठी हुई थी और मुझे उंगली करने में आसानी हो रही थी। लुबना जब रिलैक्स हुई तो मैं इतनी उंगली को ही आगे पीछे करने लगा। लुबना में मेरा बाजू पकड़ लिया लेकिन रोका नहीं, शायद उसका भी मजा आने लगा था।

मैं धीरे-धीरे दबाओ डाल रहा था। अब मेरी आधी उंगली उसकी फुद्दी में जा चुकी थी। लुबना ने अपना दायां हाथ आगे किया और मेरी सलवार में हाथ दे दिया और मेरा खड़ा लण्ड अपनी मुट्ठी में ले लिया, और धीमी रफ्तार में मसलने लगी। मेरा मजे से बुरा हाल हो गया था। डर भी लग रहा था, क्योंकी खाला साथ बैठी हुई थी। लेकिन इस डर पे सेक्स का मजा हावी था। मैंने धीरे-धीरे आधी से ज्यादा उंगली उसकी फुदी में डाल दी।

लुबना में अचानक हाथ बाहर निकाला और उसने अपने हाथ पे थूक डाला। मूठी बंद करके हाथ सलवार में दुबारा डाला और लण्ड पे थूक मल दिया और लण्ड को मसलने लगी। इस वक़्त लुबना के थूक में चिकनाहट आ गई थी। आप लोगों में अक्सर नोट किया होगा सेक्स के दौरान भूक कभी-कभी बहुत चिकना हो जाता है। इसीलिए लुबना का हाथ लण्ड पे फिसल रहा था। मैंने अब स्पीड तेज कर दी थी, लुबना की फुददी में उंगली अंदर-बाहर करने की।

कुछ देर बाद लुबना में अपनी टांगें बंद कर ली। मेरी उंगली दब गई लेकिन जैसे तैसे में उगली अंदर-बाहर करता रहा। लुबना की फुद्दी पानी से भरी हुई थी। लुबना खलास हो रही थी। उसने मेरे लण्ड को जार से दबाया हुवा था। मेरी तो जान ही निकल गई क्योंकी इस वक़्त लुबना का नरम हाथ ऐसे ही गरम था जैसे फुद्दी। मुझे ऐसे लगा कि मेरा लण्ड फुद्दी में जकड़ा हवा है। मैं भी मजे की इंतहा पे था।

मैने अपने चूतड़ उठाए और लुबना के हाथ में दबे लण्ड को ऊपर नीचे करने लगा। 4.5 झटके ही लगाये होंगे की मुझे अपनी टौंगों से जान निकलती महसूस हुई। ऐसा लगा की सब कुछ लण्ड के रास्ते निकल रहा है। ये सिर्फ एहसास था लेकिन लण्ड से कुछ निकला नहीं। मैं निटाल होकर पड़ा रहा सीट पें। लुबना ने मेरा हाथ कब निकाला अपनी सलवार से मुझे नहीं पता चला। कुछ देर बाद मुझे होश आया तो लुबना मुझे ही देख रही थी।

लुभबा ने इशारे से पूछा- "क्या हुवा?" और साथ मुश्कुरा रही थी।

मैं भी हल्का सा मुश्कुराया। फिर मैंने खाला को हिलाया तो वो जाग गई उनसे पानी की बोतल माँगी, पानी पिया
और रिलेक्स हवा।
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****

 
सुमन किचेंज में पहुँचकर नाश्ता लगाती है। सब मिलकर नाश्ता करते हुए बातें करते हैं। यूँ ही बातें करते हुए रात के 9:00 बज चुके थे।

राजेश- अरें सुमन, आज खाना नहीं खिलाओगी क्या?

सुमन- खाना एकदम तैयार है, चलो सब टेबल पर।

और फिर सब मिलकर खाना खाते हैं। रात के 11:00 बज चुके थे। राजेश और सुमन अपने रूम में जाकर लेंट जाते हैं। राहुल और विशाल टीवी देख रहे थे।

आरोही- विशाल मैया मैं और प्रिया ऊपर वाले गम में सो जाते हैं। आप दोनों नीचे ही सो जाना।

विशाल- ठीक है।

आरोही और प्रिया ऊपर रूम में चली जाती है।

प्रिया- आरोही मुझे कपड़े बदलने हैं, कोई नाइट शूट है तेरे पास?

आरोही प्रिया को एक लोवर और टीशर्ट देती है। निया आरोही के सामने ही कपड़े बदलने लगती है।

आरोही- तुझे जरा भी शर्म नहीं आती? अंदर बाथरूम में जाकर भी बदल सकती है।

प्रिया खिलखिलाकर हँसतं हए आरोही के सामने अपने सारे कपड़े उतार देती है, और कहती हैं- "अब तेरे सामनें क्या शर्माना? राहल ने तो मुझे कपड़े पहनने ही नहीं दिए थे." और प्रिया लोबर टीशर्ट पहनकर आरोही के बराबर में आकर लेट जाती है।

प्रिया- "आरोही, मेरी सुहागत की बातें सुनेंगी?"

आराही चुप हो जाती है जैसे कह रही हो- "हाँ सुनूँगी.."

प्रिया भी मुश्कुराते हुए बोलना शुरू करती हैं- "राहुल मुझे शिमला के एक होटल में लेकर पहुँचता है। पहले हमने खाना खाया फिर राहुल ने होटल में रूम बुक किया और हम जैसे ही रूम में पहचते हैं। गहल एकदम से सामान का बैग नीचे रखकर मुझे बाँहों में भर लेता है। मैं राहुल को रोकती रह गईं। मगर राहुल से सबा करना मुश्किल था, और मुझे अपनी गोद में उठाकर बेड की तरफ ले जाने लगा..."

आरोही बड़े गौर से प्रिया की बातें सुन रही थी।

प्रिया- "राहुल बड़े ही रामाटक मूड में मेरी तारीफ करना लगा..."

राहल- "प्रिया तुम बहुत खूबसूरत हो। तुम्हारे होंठ एकदम किसी गुलाब की कली जैसे लग रहे हैं। ऐसा जी कर रहा है की इनका सारा रस पी जाऊँ..."
 
मैंने कहा- "हाँ, पानी पीने आया है. फिर में पानी पिया फ़िज़ से और नजर मामी की तरफ की। मामी इस वक़्त बगैर दुपट्टे के वहां खड़ी थी, बालों का जड़ा बनाया हवा था, तो उनकी गर्दन नंगी नजर आ रही थी। कमीज भी पतली सी पहनी हुई थी यौन कलर की। पीछे से उनके ब्रा की पट्टी नजर आ रही थी और बड़े-बड़े चूतर थिरक रहे थे।

मैं वहां से निकला और बाहर आ गया। 3:00 बजे का टाइम था। सब अपने रूम में चले गये थे लेटने। में वयोंकी सा लिया था, जिस वजह से मुझे नींद नहीं आ रही थी। लुबना बाजी अमीना के गम में उनके साथ लेटी हई थी। दोनों मामी अपने रूम में। खाला नानी के रूम में चारपाई पे लेटी हुई थी। मैं खाला के पास गया तो देखा की खाला भी सो रही थी और नानी भी। रूम में बिल्कुल अंधेरा था।

मैने खाला को हिलाया और कहा- "मुझे भी लेटना है, बाहर कोई भी नहीं है सब अपने रूम में हैं.."

खाला करवट लेकर लेटी हुई थी। वो थोड़ा खिसकी और जगह दी ता में भी सीधा लेट गया। मुझे खाला का नीचे वाला चूतर अपनी जांघ पे महसूस हो रहा था। मैंने करवट ली और खाला के ऊपर टांग रखी और बाजू खाला की गर्दन में डाल दिया।

खाला ने मेरा हाथ पकड़ा, उसको चूमा और कहा- "सो जाओ.'

मैंने कहा- "मैं तो सो लिया। अब मुझे नींद नहीं आ रही.."

खाला ने कहा "अच्छा चला वैसे ही लेटे रहो आराम करो.." और खाला चुप हो गई।

रूम में इस वक़्त बस फैन चलने की आवाज आ रही थी। खाला की कमीज हवा की वजह से उनके चूतरों से हट गई हुई थी, लेकिन उन्होंने ठीक नहीं थी की हुई थी। मेरा दीला लण्ड उनके चूतरों पे दबा हुवा था। लण्ड खाला के चूतरों की गर्मी को पकड़ने लगा, जिससे लण्ड फूलने लगा। इस दौरान मैंने अपनी कमीज भी बगल में कर ली और सलवार समेत खाला के चतरों पे लण्ड दबा दिया, और अपने हाथ को खाला की गर्दन पे फेरने लगा।
 
रूम में इस वक़्त बस फैन चलने की आवाज आ रही थी। खाला की कमीज हवा की वजह से उनके चूतरों से हट गई हुई थी, लेकिन उन्होंने ठीक नहीं थी की हुई थी। मेरा दीला लण्ड उनके चूतरों पे दबा हुवा था। लण्ड खाला के चूतरों की गर्मी को पकड़ने लगा, जिससे लण्ड फूलने लगा। इस दौरान मैंने अपनी कमीज भी बगल में कर ली और सलवार समेत खाला के चतरों पे लण्ड दबा दिया, और अपने हाथ को खाला की गर्दन पे फेरने लगा।
मैंने लण्ड को अडजस्ट किया और उनके चूतरों की लाइन पर दबा दिया। खाला ने मेरा हाथ पकड़ा उसका दबाया लेकिन बोली कुछ नहीं। मैं खाला के कान में बोला- "खाला क्या हवा?"

खाला बोली- "बेटा आराम से लेटो ना क्या परेशान कर रहे हो?"

मैंने कहा- "खाला आप मुझसे लिपट जाओ ना... मेरा दिल कर रहा है.."

खाला ने करवट ली और मेरी तरफ मुँह कर लिया और झप्पी डालकर कहा- "अब खुश?"

मैंने हाँ में सिर हिलाया। खाला में मेरी नाक पकड़कर हिलाई और मुश्कुरा दी। मेरा लण्ड खड़ा था जो अब खाला की जांघों में दबा हवा था। खाला ने मुझे किस की और अपने साथ लिपटा लिया। मेरा मुँह उनके मम्मों पे टिक गया। मैंने अपना हाथ खाला की कमीज में डाला और उनकी कमर पे हाथ फेरने लगा। नानी इस वक़्त गहरी नींद सो रही थी।

खाला ने कहा, "बड़े तेज हो. फिर हाथ डाल दिया मेरी कमीज में।

मैं बस मुश्करा दिया। मेरा हाथ उनकी बा को छू रहा था। मैंने कहा- "खाला ये क्या है?"
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खाला ने कहा "ये बजियान है जो औरतें नीचे पहनती हैं, जैसे मर्द पहनते हैं नीचे..."

मैंने कहा- "उनकी तो और तरह की होती है आपकी और है...

खाला ने कहा "औरतें यही पहनती हैं। जब बड़े होगें खुद पता चल जायेगा तुमको बेटा..."

मैं चुप हो गया लेकिन हाथ मेरा वहीं था। खाला की पीठ बहुत मुलायम थी, हाथ जैसे फिसल रहा था। उधर लण्ड जांघों पे झटके खा रहा था, जो खाला को भी साफ महसूस हो रहा था। लेकिन खाला में कुछ कहा नहीं। खाला ने अब आँखें बंद कर ली हुई थी।

मैंने हाथ नीचे किया और खाला के एक चूतर पे रखा और अपनी तरफ खींचा और कहा "खाला मेरी तरफ और हो जाएं ना..."

खाला थोड़ा और आगे हुई। इस हिला-धुली में लण्ड खाला की जांघों के बीच में आ गया था। और लण्ड में दबाओ डाला हवा था, लेकिन खाला की जांघे मिले हुई थी, जिस वजह से जांघों में लण्ड नहीं जा रहा था। मैंने अपने हाथ को उनके चूतर पे ही रहने दिया। ये पहली बार था जब मैंने खाला के चूतरों पे हाथ लगाया हुवा था। खाला के चूतर बहुत नरम थे। खाला ने वहां से मेरा हाथ उठाया और ऊपर कर दिया।
 
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