desiaks
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औंटी ने कहा- "मेरे साथ-साथ रहना..."
मैंने हाँ में सिर हिला दिया। मैं आँटी के साथ-साथ चल रहा था और आँटी को साइड से पकड़ा हवा था। थोड़ा आगे गये तो बाजार टांग था तो दो रेहड़ी वालों में सामान लादा हवा था और रास्ता बंद हो गया था। इतने में देखा देखी काफी भीड़ हो गई वहां। गर्मी भी लगाने लगी। भीड़ में धक्कम-पेल से मैं औंटी के पीछे हो गया। एक हाथ से आँटी को साइड से पकड़ा हवा था उनकी कमीज से। मैं पीछे से आँटी से जकड़ चुका था। जिस वजह से मेरा लण्ड खड़ा होने लगा, जो सीधा आँटी परवीन के चूतर के नीचे लगाने लगा।
आँटी को जब महसूस हवा तो खाला ने पीछे मुड़कर देखा। मैं अपना ध्यान सीधा रखा हवा था। आँटी को भी पता था भीड़ बहुत है, मैंने जानबूझ के नहीं किया ऐसा। आँटी फिर सीधी हो गई। मुझे मजा आने लगा औंटी के नरम और भारी गाण्ड में लण्ड रगड़ने का। बार-बार हिलना पड़ रहा था। पीछे से धक्के लग रहे थे जिससे लण्ड गगड़ रहा था। जो हाथ मेरा आँटी को साइड से पकड़ा हवा था उससे मैंने आँटी की पसलियों के पास से जिम में हाथ दबाकर आँटी को पकड़ लिया।
मैंने कहा- "औंटी और कितने देर है, बहुत गर्मी लग रही है..'
आँटी ने कहा- "वो जगह बना रहे हैं गुजरने की, बस 5 मिनट और रुकना पड़ेगा.."
में अपना हाथ आँटी के पेट में ले गया चादर के नीचे से और वहां अपना हाथ दबाने लगा। आँटी ने अपना एक हाथ मेरे हाथ पे रखा और वही रोक लिया, लेकिन पीछे नहीं किया मेरा हाथ। मैं अपने पंजों पे खड़ा हवा और लण्ड को पीछे किया, और अब थोड़ा ऊपर हो गया था। अब मेरा लण्ड आँटी की गाण्ड के बीच में आ रहा था। मैंने आराम से आँटी की कमीज पीछे से साइड में की और लण्ड को आगे कर दिया, जो सीधा आँटी के चूतर के बीच में घुस गया।
आँटी का जब मेरा लण्ड वहां महसूम हुवा ता आँटी एकाएक हिली, पाछे देखा, एक नजर मारी और आराम से अपनी टांग थोड़ा खोल दी, और मेरे लण्ड को दबा लिया। मुझसे अब पंजों पे खड़ा नहीं हुवा जा रहा था थक गया था मैं। लेकिन जो मजा मिल रहा था उसके में खड़ा रह रहा था पंजा पें। आगे से आँटी में मेरा हाथ छोड़ दिया, जो मैं धीरे से उनके पेट पर घुमाने लगा। नीचे से लण्ड पे औंटी के गरम चूतर मुझे महसूस हो रहे थे। मैं लड़खड़ा गया और थोड़ा पीछे हो गया। मेरे पंजे दुख रहे थे। इतने में रास्ता खुल गया हम आगे बढ़ गये।
औंटी नार्मल थी कुछ भी शो नहीं किया उन्होंने। शापिंग करके हम बाजार में निकाल आए। शाम हो गई थी। घर दर था। आँटी ने रिक्शा कर लिया। मैं औटी के साथ जाकर बैठ गया। मैं सोने की आक्टिंग करते औंटी के साथ अपना सिर लगा दिया, और हाथ उनके मम्मों के थोड़ा नीचे रख दिया।
औंटी ने कहा- "नींद आ रही है?"
मैंने कहा- "ही आँटी जी.."
औंटी ने मुझे अपने बाज के घेरे में लिया और मुझं दबा लिया अपने साधा रिक्शा में अधेरा था। औंटी ने मेरा हाथ अपने हाथ में लिया जो उनके मम्मों के पास था, और हाथ को थोड़ा ऊपर करके अपने मम्मों पे रख दिया। लेकिन अपना हाथ पीछे नहीं किया। मेरे हाथ को मसल रही थी। फिर अपना हाथ पीछे कर लिया। मैंने हाथ वहीं रखे रखा। मेरा लण्ड पूरा तन के खड़ा हो गया था। अपने हाथ को धीरे-धीरे औटी के बाहरी मम्मों पे फेरने लगा। ऊपर से आँटी के थोड़े से मम्मे नंगे थे। मेरी उंगली जब वहां टच हुई तो आँटी एक बार हिली। मैं वहां हाथ को दबा दिया। मुझे बहुत मजा आ रहा था। इतने में मेरा एरिया शुरू हो गया।
औंटी ने कहा- "उठो घर आ गया है...'
मैं सीधा हो गया, और घर पहुँचने तक नार्मल हो गया। रिक्शा से उतर के आँटी ने मुझे प्यार दिया और अपने घर चली गई, और मैं अपने घर।
***** *****
मैंने हाँ में सिर हिला दिया। मैं आँटी के साथ-साथ चल रहा था और आँटी को साइड से पकड़ा हवा था। थोड़ा आगे गये तो बाजार टांग था तो दो रेहड़ी वालों में सामान लादा हवा था और रास्ता बंद हो गया था। इतने में देखा देखी काफी भीड़ हो गई वहां। गर्मी भी लगाने लगी। भीड़ में धक्कम-पेल से मैं औंटी के पीछे हो गया। एक हाथ से आँटी को साइड से पकड़ा हवा था उनकी कमीज से। मैं पीछे से आँटी से जकड़ चुका था। जिस वजह से मेरा लण्ड खड़ा होने लगा, जो सीधा आँटी परवीन के चूतर के नीचे लगाने लगा।
आँटी को जब महसूस हवा तो खाला ने पीछे मुड़कर देखा। मैं अपना ध्यान सीधा रखा हवा था। आँटी को भी पता था भीड़ बहुत है, मैंने जानबूझ के नहीं किया ऐसा। आँटी फिर सीधी हो गई। मुझे मजा आने लगा औंटी के नरम और भारी गाण्ड में लण्ड रगड़ने का। बार-बार हिलना पड़ रहा था। पीछे से धक्के लग रहे थे जिससे लण्ड गगड़ रहा था। जो हाथ मेरा आँटी को साइड से पकड़ा हवा था उससे मैंने आँटी की पसलियों के पास से जिम में हाथ दबाकर आँटी को पकड़ लिया।
मैंने कहा- "औंटी और कितने देर है, बहुत गर्मी लग रही है..'
आँटी ने कहा- "वो जगह बना रहे हैं गुजरने की, बस 5 मिनट और रुकना पड़ेगा.."
में अपना हाथ आँटी के पेट में ले गया चादर के नीचे से और वहां अपना हाथ दबाने लगा। आँटी ने अपना एक हाथ मेरे हाथ पे रखा और वही रोक लिया, लेकिन पीछे नहीं किया मेरा हाथ। मैं अपने पंजों पे खड़ा हवा और लण्ड को पीछे किया, और अब थोड़ा ऊपर हो गया था। अब मेरा लण्ड आँटी की गाण्ड के बीच में आ रहा था। मैंने आराम से आँटी की कमीज पीछे से साइड में की और लण्ड को आगे कर दिया, जो सीधा आँटी के चूतर के बीच में घुस गया।
आँटी का जब मेरा लण्ड वहां महसूम हुवा ता आँटी एकाएक हिली, पाछे देखा, एक नजर मारी और आराम से अपनी टांग थोड़ा खोल दी, और मेरे लण्ड को दबा लिया। मुझसे अब पंजों पे खड़ा नहीं हुवा जा रहा था थक गया था मैं। लेकिन जो मजा मिल रहा था उसके में खड़ा रह रहा था पंजा पें। आगे से आँटी में मेरा हाथ छोड़ दिया, जो मैं धीरे से उनके पेट पर घुमाने लगा। नीचे से लण्ड पे औंटी के गरम चूतर मुझे महसूस हो रहे थे। मैं लड़खड़ा गया और थोड़ा पीछे हो गया। मेरे पंजे दुख रहे थे। इतने में रास्ता खुल गया हम आगे बढ़ गये।
औंटी नार्मल थी कुछ भी शो नहीं किया उन्होंने। शापिंग करके हम बाजार में निकाल आए। शाम हो गई थी। घर दर था। आँटी ने रिक्शा कर लिया। मैं औटी के साथ जाकर बैठ गया। मैं सोने की आक्टिंग करते औंटी के साथ अपना सिर लगा दिया, और हाथ उनके मम्मों के थोड़ा नीचे रख दिया।
औंटी ने कहा- "नींद आ रही है?"
मैंने कहा- "ही आँटी जी.."
औंटी ने मुझे अपने बाज के घेरे में लिया और मुझं दबा लिया अपने साधा रिक्शा में अधेरा था। औंटी ने मेरा हाथ अपने हाथ में लिया जो उनके मम्मों के पास था, और हाथ को थोड़ा ऊपर करके अपने मम्मों पे रख दिया। लेकिन अपना हाथ पीछे नहीं किया। मेरे हाथ को मसल रही थी। फिर अपना हाथ पीछे कर लिया। मैंने हाथ वहीं रखे रखा। मेरा लण्ड पूरा तन के खड़ा हो गया था। अपने हाथ को धीरे-धीरे औटी के बाहरी मम्मों पे फेरने लगा। ऊपर से आँटी के थोड़े से मम्मे नंगे थे। मेरी उंगली जब वहां टच हुई तो आँटी एक बार हिली। मैं वहां हाथ को दबा दिया। मुझे बहुत मजा आ रहा था। इतने में मेरा एरिया शुरू हो गया।
औंटी ने कहा- "उठो घर आ गया है...'
मैं सीधा हो गया, और घर पहुँचने तक नार्मल हो गया। रिक्शा से उतर के आँटी ने मुझे प्यार दिया और अपने घर चली गई, और मैं अपने घर।
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