Muslim Sex Kahani खाला जमीला - Page 3 - SexBaba
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Muslim Sex Kahani खाला जमीला

मैं मुँह सीधा किया और खाला के गाल पे किस करने लगा। 3-4 किस की और होंटों भी किस की मैंने जैसे गाल पे कर रहा था। मैंने खाला को कहा- "खाला आपके होंठ बहुत नरम हैं मैं और किस कर लूं यहां?"

खाला ने हाँ में सिर हिलाया। मैं होठों को और चूमने लगा और अपने होंठों रगड़ भी रहा था उनके होंठों पे। मैंने अपनी जीभ को खाला के होंटों में घुमाया और खाला से कहा- "आप करो ना ऐसे मुझे.

खाला ने भी फिर मुझे ऐसे ही किया। मुझे शरारत सूझी मैंने काट लिया उनकी जीभ पे। खाला और मैं हँस दिए। इस दौरान मैं अपना हाथ उनके नंगे पेंट में फरजें लगा। मैं मजे से पागल हो रहा था। मैं अब हिल रहा था और लण्ड जांघों पे रगड़ रहा था।

नीचे मैं अपना हाथ खाला की ब्रा पे लगाया और खाला को कहा- "ये है आपकी बनियान?"

खाला ने कहा "हाँ, यही है बेटा.."

मैंने कहा- "मुझे देखनी है खाला की ये बनियान कैसी होती है?"

खाला ने कहा "नहीं बेटा, अभी आप छोटे हो। अच्छे बच्चे नहीं देखतो"

में जिद करने लगा।

खाला ने कहा, "देखो बेटा ऐसे जिद ना करो। किसी को पता चला तो क्या सोचेगा वो?"

मैंने कहा- "खाला मैं नहीं बताऊँगा किसी को, ना आप बताना किसी को."

खाला थोड़ी ऊपर हुई और कमीज ऊपर कर ली। अंधेरे में भी काफी हद तक नजर आ रहा था। खाला ने जैसे ही कमीज ऊफा की तो मुझे ब्लैक बा नजर आई और आधे मम्मे भी नजर आ रहे थे। खाला के भारी मम्मे इस वक़्त ब्रा में कैद मेरे सामने थे।

खाला ने कहा "देख लिया अभी?"

मैंने बात का जवाब नहीं दिया। अपना हाथ आगे किया और बायें मम्मे पे हाथ लगाया।

खला ने कहा "ना करी बेटा..."

मैंने कहा- "खाला में देख रहा है कैसी है ये बनियान?" मैंने 3-4 बार हाथ फेरा उनके मम्मे पे। फिर खाला ने कमीज नीचे कर ली। अचानक आवाज हुई तो खाला सीधी हो गई। मैं उठा और बाहर आ गया।

जब बाहर आया तो देखा मामी जूबिया श्री। वा सोकर उठकर बाहर आई थी। मुझे देखा और स्माइल की। मामी के मम्मे इस वक्त तने हमें थे और कंधे पर उनकी ब्रा की पट्टी नजर आ रही थी। मम्मों की लकीर भी दिख रही थी। बा की वजह से मम्मे आपस में मिले हुये थे। बहुत सेक्सी नजारा था ये। मामी फिर टायलेट चली गई।

मैं सहन में बैठ गया एक चारपाई पे।

थोड़ी देर बाद सब लोग उठ गये। माम भी आ गये थे खेतों से। वो बड़ी गरमजोशी से मिले। सभी लोग सहन में खुले आसमान के नीचे बैठे हुये थे। गप्प लगा रहे थे। बाजी अमीना मेरे साथ बैठी हुई थी। अचानक बाजी में मेरे जांघ पे चुटकी काट दी, तो मेरी चीख निकलते-निकलते रह गई, क्योंकी अचानक हुवा था ऐसा। मैं हैरान सा होकर बाजी को देखा, तो बाजी शरारती मुश्कान लिए मुझे देख रही थी। मैंने उनका हाथ पकड़ लिया।
 
हम दोनों पीछे बैठे थे। हमारे आगे माम और खाला बैठे हुये थे, जिस वजह से हम पे किसी की नजर नहीं पड़ती जब तक कोई गौर से ना देखता। मैंने भी अपना हाथ उनकी नरम जांघ में रखा और कहा- "काटू मैं?" मुझे उनकी जांघ का गरम स्पर्श अपने हाथ पै महसूस हो रहा था।

उन्होंने इशारे से कहा- "ना काट नहीं.."

मैंने उनकी जांघ का गोस्त पकड़ा और कहा- "काटने लागा है में..."

उन्होंने फिर कहा- "ना काट नहीं.."

मैंने कहा- "दुबारा मुझे कटोगी?"

बाजी ने इशारे से कहा- “नहीं काटूंगी..."

मैं फिर हाथ नार्मल अंदाज में कर लिया, लेकिन हाथ उनकी मोटी जांघ में ही रहने दिया। बाजी का एक हाथ अभी भी मेरे हाथ में था। मैं बाजी का हाथ दबाने लगा। बाजी ने मेरी तरफ देखा लेकिन बोली कुछ नहीं। थोड़ी देर ऐसा ही चलता रहा। फिर बाजी को मामी जोबिया ने आवाज लगाई तो बाजी उठकर चली गई। किचेन का काम था उनको।

मैं आगे जाकर बैठ गया मामू के पास। माम मुझसे बातें करने लग गये। मामी जोबिया और बाजी किचेन में थी। मामी रूबी चारपाई पे बैठी सब्जी काट रही थी। बातों में टाइम का पता ही नहीं चला और शाम का टाइम हो गया, हल्का-हल्का अंधेरा छाने लगा। मैं उठा और छत पे चला गया। बाँड्री वाल के साथ खड़ा बाहर का नजारा कर रहा था, दूर दूर तक खेत नजर आ रहे थे।

थोड़ी देर बाद मुझे आहट सुनाई दी सीदियों की तरफ से। जब देखा तो मामी जूबिया ऊपर आ रही थी। सीदियों के साथ दीवार बनी हुई थी, जिसमें सुराख थे जिनसे मुझे नजर आई। बायें तरफ सीटियां थी। सीढ़ियां चढ़कर दागी और से छत शुरू होती थी। पीछे दो रूम थे और आगे काफी खाली जगह थी, और बाँड्री वाल के आखीर पे बाथरूम बना हुवा था। छत की दीवारें इतनी ऊँची थी की मेरे सीने तक आ रही थी।

मामी ऊपर आई और पहले रूम में चली गई। मामी को देखकर मेरा दिल उथल-पुथल होने लगा। सुबह जबसे मैं आया था और जब भी मामी को अपने सामने देखता तो दिल तेजी से धड़कता था। ऐसे लगता था जैसे अभी मामी की फुद्दी मिल जायेगी मुझे। इस वक़्त भी यही हवा जब मामी ऊपर आई। जब रूम खुला तो देखा वहां दो पेंटियां और दो संदक पड़े हैं।

मामी ने मुझे आवाज लगाई और कहा- "इधर आओ बेटा, पेटी से बिस्तर निकाले..."

मैं अंदर गया। बल्ब रोशन था।

मामी ने कहा- "पेटी का ढक्कन पकड़कर रखना मैं बिस्तर निकालती है.."

मामी अच्छी खासी सेहतमंद थी। कद सामान्य था। मामी जूबिया पेंटी में झुक के बिस्तर निकाल रही थी। जब झुकती तो उनकी गाण्ड का नजारा बहुत अच्छा लगता मुझे। मेरा मुह मामी की गाण्ड की तरफ था। मामी थोड़ा पीछे हई बिस्तर निकालने के लिये तो उनके भारी चूतर मुझसे टकराए। लेकिन मेरा लण्ड सोया हवा था। मामी को कोई फर्क नहीं पड़ा। 5-7 सेकेंड तक उनके चूतड़ मुझसे लगे रहे। जब लण्ड सिर उठाने लगा तो वो आगे हो गई हई थी। बिस्तर निकालकर हम रूम से बाहर निकल आए।

मामी नीचे जाने लगी तो मैंने उनको आवाज दी और कहा- "मामी मेरे पास थोड़ी देर खड़े हो जाओ, मैं बोर हो रहा हूँ...
 
मामी मुश्कुराई और मेरे पास चली आई। बगल से हग करके मुझे चूमा और कहा- "ला बेटा मैं आ गई..."

छत पे अब अंधेरा काफी हो गया था। कोई दूसरा हमको सरसरी नजर से नहीं देख सकता था। मुझे मामी का बाया मम्मा अपने बाजू पं महसूस हो रहा था। मैंने कहा- "मामी आप बहुत अच्छी लगती हो मुझे..."

मामी ने कहा- "अहह.... मक्खन लगा रहे हो मुझे..."

मैंने कहा- "नहीं मामी, आप वाकई बहुत अच्छी हैं और प्यारी भी..')

मामी मुश्कुराई और मुझे जोर में अपने साथ लगाया- "ओहह... मेरा बच्चा मुझे इतना पसन्द करता है."

मैंने ही में सिर हिलाया और मामी की तरफ मुड़ गया। अब हम आमने सामने थे। मैं आगे बढ़ा और मामी के चिकने गाल में किस कर दी और मामी की गर्दन में बाजू डाल लिए। इतने करीब होने से मुझं मामी के जिश्म की महक महसूस हो रही थी, जो सीधा मेरे लण्ड पे असर कर रही थी जो अब धीरे-धीरे सिर उठा रहा था।

मैंने पूछा- "मामी क्या पकाया है?"

मामी ने कहा- "बिरयानी बनाई है."

मैंने कहा- "मामी सुबह आलू वाले पराठे पकाना, मुझे बहुत पसन्द हैं.."

मामी ने कहा- "ठीक है बेटा। पका दूंगी अपने सोने से पुत्तर के लिये.."

में मामी के और करीब हो गया और उनको झप्पी डाल ली। मेरे हाथ अब उनकी कमर पे थे। मैंने कहा- "मामी आप माटी हो गई हो पहले से."

मामी बोली- "हाँ पत्तर, उमर के साथ-साथ अब यही होगा.."

मैंने कहा- "मामी आप तो अब भी जवान लगती हो। मुझे तो लड़कियों से ज्यादा आप खूबसूरत लग रही हो.."

मामी मुश्कुराई और कहा- "तुमको तो अच्छी लगेगी ही। आखीरकार तुम्हारी प्यारी सी मामी हूँ..'

हम दोनों हस दिए।

मामी ने कहा- "पुत्तर अब चलते हैं, काफी टाइम हो गया है."

मैंने कहा- "मामी जाते हैं बस 5 मिनट और..

मामी ने कहा- "5 मिनट से क्या हो जायेगा?"

में आगे हवा और उनका किस की और कहा- "ये होगा.."

कहकर मैंने 3-4 और किस कर दी उनको। नीचे से लण्ड को आगे किया जो सीधा उनकी फुद्दी के ऊपर लगा। मामी की टाँग खुली हुई थी। मैंने थोड़ा अडजस्ट करके लण्ड को उनकी जांघों में डाला तो मामी एक बार हिल गई। लेकिन मुझे कुछ कहा नहीं, और मुझे अजीब नजरों से देखने लगी। मैं अंदर से घबरा भी रहा था। इसी घबराहट में मैंने लण्ड को पीछे कर लिया।
 
मैंने थोड़ा अडजस्ट करके लण्ड को उनकी जांघों में डाला तो मामी एक बार हिल गई। लेकिन मुझे कुछ कहा नहीं, और मुझे अजीब नजरों से देखने लगी। मैं अंदर से घबरा भी रहा था। इसी घबराहट में मैंने लण्ड को पीछे कर लिया।

मामी ने कहा- "चला बेटा नीचे चलते हैं. और साथ ही बाहर दरवाजे पे दस्तक हुई।

हम नीचे चले गये तो देखा छोटे माम् आ गये थे अपनी दुकान से। मैं उनमें मिला और टायलेंट चला गया। पेशाब कर के बाहर निकाला तो अंदर से खाला और लुबना निकाल रहे थे, साथ में नानी भी थी। सबने सहन में बैठकर खाना खाया। खाने से फारिग हुये।

बाजी अमीना ने कहा- "चलो बाहर एक चक्कर लगाकर आते हैं खाना हाजाम हो जायेगा..."

फिर मैं, खाला, लुबना और बाजी अमीना बाहर निकल आए। खाला और बाजी अमीना हमसे दो कदम आगे थी। पीछे में और लुबना थे। मैंने लुबना का हाथ पकड़ लिया और लण्ड पे रख दिया। लेकिन लुबना हाथ खींच लिया। मैंने दुबारा जोर लगाया लेकिन वो हाथ पीछे खींच रही थी।

मुझे एक रकीब सूझी। मैंने उसका हाथ छोड़कर अपने हाथ को चलते हमें ही उसकी फुद्दी पे रख दिया। दो सेकंड बाद ही लुबना में मेरा हाथ खींच लिया, और मुश्कुराती हुई आगे चली गई खाला के पास। फिर मैं भी आगे हो गया और खाला के साथ-साथ चलने लगा।

इस वक़्त आसमान सितारों से भरा हवा था। कभी-कभी कुत्तों के भौंकने की आवाज आ रही थी दूर से। आस-पास कीड़े मकोड़ों के चिंगारने की आवाजें आ रही थी। हमने दो-तीन गलियों का चक्कर लगाया और 15-20 मिनट बाद घर आ गयें। मौसम खुशगवार हो गया था। मुझे प्यास लग रही थी तो मैं सीधा किचेन में चला गया, जहां मामी जबिया बर्तन धो रही थी। मैं आगे बढ़कर ग्लास उठाया। इस दौरान में पीछे से मामी के साथ लग गया।

मामी ने पीछे मुड़कर देखा और मुश्करा दी, फिर कहा- "मुझे कहतें, मैं अपने बेटे को पानी पिला देती..."

मैंने कहा- "मामी आपको क्यों कहता? बल्की आप मुझे कहाँ कोई काम, तो में कर देता हैं आपकी हेल्प। आप बहुत काम करती हो का या थकती नहीं आप? सुबह से आप लगी हुई हो.."

मामी बोली- "पुत्तर ये तो घर के काम हैं जो करने ही होते हैं। नहीं करंगे तो खाली रहकर और मोटी हो जाऊँगी..." कहकर मामी हँसी। क्योंकी मामी छत वाली बात को लेकर हँसी थी, तो मैं भी हँस दिया।

मैंने कहा- "मामी आप मोटी भी हो गई तो भी प्यारी लगोगी...'

में किचेन से बाहर आया तो खाला ने कहा- "कहां सोना है, ऊपर या नीचे?"

मेने कहा- "खाला जहां अपने सोना है वहीं में सोऊंगा."

खाला ने कहा "चलो ठीक है..."

फैसला ये हवा की बरामदे में जानी के साथ खाला और में लेट जायेंगे। छत में लुबना बाजी अमीना और बड़ी मामी और माम्। छोटे मामू और मामी अपने रूम में सोते थे।

थोड़ी देर बाद बिस्तर लगे। मामी लोग ऊपर चले गये, और हम बरामद में लेट गये। 3 चारपाई बिछी हुई थी। नानी पहले ही सो गई थी। लाइट बंद कर दी हई थी सारी। मैंने अपनी चारपाई खाला की चारपाई के करीब कर ली। फिर लेट गया मैं। फन चल रहा था। 11:00 बजे का टाइम था लेकिन नींद मुझे नहीं आ रही थी। खाला भी आ गई थोड़ी देर बाद, और लेट गई मेरी तरफ चेहरा करके। हम बातें करने लगे।

खाला ने कहा "मुबह खेतों में जायेंगे तैयार रहना.."

मैंने हाँ में सिर हिला दिया। मैंने कहा- "खाला कितने दिन रहेंगे हम यहा?"

खाला बोली- दो हफ्ते तो रहेंगे। आगे रहना है तो देखेंगे अगर दिल लगा यहां तो..."
 
मैंने इस दौरान अपना हाथ आगे किया और खाला के गाल पे रख दिया और गाल पे हाथ फेरने लगा।

खाला में मेरे हाथ पे एक चपत लगाई और कहा- "बड़े तेज हो... अब भी तुम्हारा दिल नहीं भरा.."

मैंने कहा- "खाला आपसे मेरा दिल कभी नहीं भरता। आपकी चारपाई पे आ जाऊँ? इधर अकेले मुझसे नहीं लेटा जा रहा..."

खाला बोली- नहीं लेटे रो वहीं। अच्छा नहीं लगता। तुम्हारी मामी बगेरा ने देखा तो वो क्या कहेंगी?"

मैंने कहा- "खाला कुछ नहीं कहेंगी। मैं आपका भांजा ही तो है..."

खाला ने कहा, "अभी रुक जा, थोड़ी देर बाद आ जाना..."

अभी हम बातें कर रहे थे तो मामी अपने रूम से निकली और टायलेट में चली गई। थोड़ी देर बाद वो दुबारा रूम में चली गई। इस बक्त रात का एक बज रहा था। खाला सीधी लेटी हुई थी।

मैंने खाला को हिलाया और कहा- "खाला आपके पास आ जाऊँ? मुझे नींद नहीं आ रही.."

खाला ने कहा, "आ जाओ.."

में उठा खाला, बगल में हुई, और में उनकी चारपाई पे चला गया। मैं खाला की तरफ मुह किया और टांग उनके बाज उनके पेंट के ऊपर रख दी। खाला का एक बाजू मेरे सिर के नीचे था, और मेरे मुँह से खाला का भारी मम्मा लग रहा था। मैंने अपना चेहरा उनके नरम मम्मे पे दबा दिया और पेट पे हाथ फेरने लगा। नीचे मेरा लण्ड भी अकड़ रहा था, जो सीधा खाला की जांघ में घुस रहा था। जैसे-जैसे लण्ड में जान पड़ रही थी मेरा दिल तेज धड़कता जा रहा था।

खाला में कहा "तुमको गमी नहीं लगती लिपटें रहने से?"

मैंने कहा- "नहीं खाला, मुझे तो अच्छा लगता है। आपको लगती है तो बता दो। मैं अलग हो जाता हैं.."

खाला बोली- "नहीं मेरी जान, मुझे क्यों में लगेगा? अपने बेटे को तो मैं सारी रात भी लिपटाए रख सकती हैं..."

और इसके साथ ही खाला ने मेरी तरफ करवट ले लो।

अब मेरा लण्ड सीधा उनकी फुदद्दी के पास छू रहा था। मैंने खाला को कहा- "खाला मुझे अब दिखाए ना अपनी बनियान। अब तो सब सो चुके हैं। दोपहर को देखी नहीं गई अच्छी तरह आपकी बनियान..."

खाला ने इधर-उधर देखकर कमीज ऊपर कर दी अपनी गर्दन तक। मैं अंधेरे में आँखें फाड़े खाला के मोटे मम्में देख रहा था, जो मेरी नजरों के सामने थे। लण्ड झटके खा रहा था जो खाला को भी महसूस हो रहा था, क्योंकी खाला अपनी टाँग हिला रही थी। मैंने अपना एक हाथ आगे किया और उनके मम्मे के ऊपर रख दिया। मम्मे बा में कैद थे।

मैंने खाला से धीरे आवाज में पूछा- "खाला ये क्यों पहनते हैं?"

खाला ने कहा "बेटा पहनने से ये कंट्रोल में रहते हैं.." खाला ने मम्मों का नाम नहीं लिया।

मैं समझ गया वो नाम लेना नहीं चाहती मेरे सामने। मैंने उनका मम्मा दबा दिया।

खाला की आवाज आई- "ना करा बेटा, ऐसे नहीं करते अच्छे बच्चे."

मैं चुप रहा। लेकिन हाथ को अब नंगे पेट पै ले आया था। थोड़ी देर वहाँ हाथ रखा। मैं खाला को सीधा किया
और उनके ऊपर लेट गया। लण्ड सीधा फुद्दी के निशाने पे था।
 
मैं चुप रहा। लेकिन हाथ को अब नंगे पेट पै ले आया था। थोड़ी देर वहाँ हाथ रखा। मैं खाला को सीधा किया
और उनके ऊपर लेट गया। लण्ड सीधा फुद्दी के निशाने पे था।

खाला ने कहा "क्या हुवा बेटा, ऐसे क्यों लेटे हो?"

मजे कहा- "खाला इस तरह आपसे अच्छी तरह चिपक जाऊँगा.."

खाला मुश्कुरा दी। मैंने खाला को गाल पे किस की और उनके होंठ पे भी अपने होंठ रगड़े। फिर अपने दोनों हाथ खाला के मम्मों पा रख दिये लेकिन दबाए नहीं। मुझे अचानक जोश आया। पता नहीं कैसे खुद-ब-खुद मेरा निचला हिस्सा हिला और लण्ड खाला की जांघों को चीरता डूबा घुस गया।

खाला ने मुझे वहीं रोक दिया और हिलने नहीं दिया। मुझे लण्ड पे खाला की फुद्दी की गर्मी महसूस हो रही थी, क्योंकी उनकी फुद्दी पे बारीक कपड़े की सलवार ही थी। मेरा दिल कर रहा था लण्ड अंदर-बाहर करू, लेकिन खाला में ऊपर हाथ रखा हवा था। मेरा लण्ड फटा जा रहा था। कुछ देर बाद खाला ने मुझे नीचे होने को कहा, तो मेरा मुँह बन गया और नीचे उतर के अपनी चार पाई में आ गया। लेकिन खाला ने मुझे गोका नहीं। खाला में करवट ली, दूसरी तरफ मुँह कर लिया। मुझसे कोई बात नहीं की। मेरा मूड सख्त आफ हो गया था। लेकिन मेरा लण्ड अभी भी खड़ा था वो बैंठने का नाम नहीं था ले रहा था।

खाला सो गई थी अब, क्योंकी उनकी सांसों से पता चल रहा था मुझे। लेकिन लण्ड में मुझे परेशान किया हवा था। मैंने फिर एक फैसला किया और चार पाई से आराम से उठा ताकी चारपाई के चिखने की आवाज ना निकले। मैं छत पे चला गया। मुझं लुबना की तलाश थी, वही इस वक़्त मेरे लण्ड को सुकून दे सकती थी।

ऊपर सब सो रहे थे। सीदियों के साथ है लुबना की चारपाई थी। जहां लुबना सोई नजर आईं। मैं आगे बढ़ा और लुबना को हिलाया तो वो उठ गई। मैंने होंठ में उंगली रखकर उसको चुप रहने का इशारा किया। और इशारे से उसको उठने का कहा की रूम में आओ मेरे साथ। लेकिन वो मान नहीं हो रही थी। मैं आगे बढ़ा और उसकी चारपाई में बैठ गया। मुझे बिल्कुल डर नहीं लग रहा था क्योंकी इस वक़्त दिमाग पे लण्ड ही सवार था।

थोड़ी देर बाद लुबना उठ गई और उसके साथ में पेटियों वाले रकम में चला गया, क्योंकी वहीं मेरा देखा भाला था। रूम में जाकर दरवाजा बंद कर दिया अब खिड़की से बस चाँद की रोशनी आ रही थी। जिस वजह से मुझे लुबना धुंधली सी नजर आ रही थी। मैं आगे बढ़ा और लुबना को गले लगा लिया। उसके 32" इंच के मम्मे मेरी छाती में दब गये। ला उसको किस करने लगा गालों पे, गर्दन पे और हाथों से उसके चूतड़ मसलने लगा, जो बहुत नरम थे।

कुछ देर बाद लुबना भी जवाब देने लगी। उसने मेरे होठ को अपने होंठा में लिया और चूसने लगी। चूसना उसका भी बस नार्मल ही आता था, लेकिन मुझसे बहरहाल अच्छा चूस रही थी। मुझे भी अंदाजा हो गया की वो कैसे चूस रही है। मैं भी अब उसको वही जवाब देने लगा। इस वक़्त हमारे जिश्म भट्टी बने हुये थे। मैंने सलवार में हाथ डाले और उसके नंगी चूतड़ों को मसलने लगा और चूतड़ों की लकीर में गहराई तक उंगली फेरने लगा। मेरी उंगली को लुबना की गाण्ड का सुराख महसूस हो रहा था।

लुबना की अब सिसकियां निकालने लगी थी, मुझे उसने जोर से पकड़ा हवा था। फिर उसने अपना मुँह हटाया और मेरी सलवार घुटनों तक नीचे कर दी। कमीज में पहले ही नीचे उतार कर आया था। मेरा लण्ड झटके से बाहर हवा में लहराया, जिसको लुबना ने अपनी मुट्ठी में दबा लिया और उसको मसलने लगी।
 
मैंजे लुबना को फुसफुसाया- "तुम अपनी सलवार उत्तारो, मैं भी उतारता है."

लुबना नहीं मानी की कोई आ गया तो घर बाहर हो जायेगी।

मैंने उसकी गीली फुद्दी में उंगली फेरी और थोड़ी सी फुद्दी में डाली, और उसको दुबारा कहा- "प्लीज जानू उतारो ना सलवार..."

लुबना अब पूरा गरम हो गई थी उसने अपनी सलवार उतारी। मैंने भी अपनी सलवार उतार ली।

नीचे से अब हम दोनों नंगे हो गये थे। लुबना की कमीज पकड़कर ऊपर गले तक कर दी और वहीं गले में फैंमा दी। मैं आगे हवा और लण्ड को उसकी जांघों में घुसाया, जहां लुबना की गरम और गीली फुद्दी मेरे लण्ड को लगी। फिर दोनों हाथों से उसकी बा हटाकर उसके मम्मे पकड़ लिए। जो इस बात मेरे हाथों में आ रहे थे। जिपल टाइट थे जो इस वक़्त मेरी हथेली में चुभ रहे थे। मैंने अपना चेहरा नीचे किया और बायें मम्मे का निपल मुँह में ले लिया और चूसने लगा।

लुबना ने जीचे अपनी टांग बंद की, और हिलने लगी। जिससे मेरा लण्ड अंदर-बाहर हो रहा था। इस बात मेरा लण्ड भी उसके चिकनें पानी की वजह से गीला हो गया था और आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था। मैं मजे से पागल हो रहा था और मेरी टांगें कांप रही थी। एक तो सेक्स का नशा और ऊपर से पकड़े जाने का भी डर था। क्योंकी माम मामी के सिर में ही तो हम मक्स कर रहे थे। लुबना के नरम मम्मे पकड़कर बहुत मजा आ रहा था। मैं साथ-साथ उनको दबा भी रहा था। अब में भी लण्ड को अंदर-बाहर कर रहा था। फिर थोड़ी देर बाद मैंने लुबना को गम में रखे एक लकड़ी के टेबल पे लेटने को कहा जो आम टेबलों से ऊँचा था।

लबजा को उसके ऊपर लिटाया। उसकी गाण्ड को टेबल के किनारे तक रखा और उसकी टांगें उठा ली। मैं आगे हुवा और लण्ड में थूक लगाया और लुबना की चिकनी फुद्दी के ऊपर फेरने लगा।

लुबना के कहा- "अंदर नहीं करना अली प्लीज... बहुत दर्द होगा और माम मामी भी बाहर हैं.."

मेरा लण्ड भी चुकी थोड़ा बड़ा था इस उम्र के लड़कों से। लेकिन मेरा दिल कर रहा था अब लण्ड अंदर डाल दूं। मैंने बहुत कोशिश की लुबना मान जाए, लेकिन वो डर रही थी। मैं भी फिर खामोश हवा और अपनी उंगली उसकी फुद्दी में डाल दी, जो धीरे-धीरे सारी अंदर कर दी और उंगली को हिला लगा। लुबना में भी हाथ बढ़ाकर मेरा लण्ड पकड़ लिया और उसकी मूठ लगाने लगी। टेबल पे मेरा हाथ एक कपड़े से टकराया तो देखा वो चादर थी। मैंने लुबना को छोड़ा और चादर नीचे बिछा दी। फिर लुबना को उस पे लेटने को कहा। जब वो लेट गई तो में भी उसके ऊपर लेट गया। लेकिन इससे पहले मैं टेर सारा थूक लण्ड में लगाना नहीं भुला।

मैंनें लण्ड को लुबना के जांघों में अडजस्ट किया और उसकी टाँगें बंद कर दी बगल से दबाकर। फिर लुबना और मैं पूरा लेट गये। मैं अब लण्ड को ऊपर नीचे कर रहा था। लुबना ने मेरा चहरा पकड़ा और किस करने लगी। लुबना भी अब चरम पे थी। मेरा हाल भी कुछ ऐसा ही था।

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अचानक लुबना के जिश्म ने झटका खाया और मुझे लण्ड में गरम-गरम कतरे गिरते हुये महसूस हुमें। इसके साथ ही मेरे जिश्म को भी झटके लगे, तो उसकी जांघों में मेरा लण्ड झटके खाने लगा। मुझे अपनी जान निकलती हई महसूस हो रही थी लण्ड के रास्ते। कुछ सेकंड बाद लुबना ने मुझे हटाया। मैं उठा और सलवार पहन ली। लुब्बना भी उठी और सलवार पहनकर बाहर चली गईं, और मुझे ताकीद करके गई 5 मिनट बाद आना तुम।

लुबना बाहर जाकर अपनी चारपाई पे लेट गईं। मैंने जाली वाली खिड़की से बाहर देखा और सब कुछ ठीक था। मैंने चादर उठाई और तह करकं वहीं टेबल पे रख दी, और बाहर निकल आया। दरवाजा बंद किया और वे आवाज चलता सीढ़ियां उत्तर गया और नीचे आकर लेट गया। फिर बहुत गहरी नींद आई मुझको, और सुबह 8:00 बजे खाला में उठाया की नाश्ता कर लो।

मैं चूंकी खाला से नाराज था। इसलिए उनको देखे बगैर उठा, वाशरूम गया, नहाकर फ्रेश हवा, नाश्ता किया। तब तक 10:00 बजने वाले थे।

बाजी अमीना मेरे पास आई और कहा- "किताबें ले आओ, अपना काम कर लो। बच्चे आने वाले हैं। तुम भी साथ ही लिख लेना अपना काम। लुबना भी कर लेगी अपना काम।

मैंने हाँ में सिर हिलाया। मैं उठा अंदर से अपनी किताबें ले आया, और जहां बाजी चयर रखकर बैठी थी, वहीं पास बैठ गया। जमीन पे दरी बिछाई हई थी। मैंने किताबें निकली और काम लिखने लगा। थोड़ी देर बाद सारे बच्चे जमा हो गये और बाजी भी चंपर पे बैठ गई। बाजी के पैर मुझसे एक फूट की दूरी पे थे। बहुत साफ सुथरे पैर थे उनके। नाटूनों पे में पोलिश लगाई हई थी उन्होंने।
 
बाजी ने कहा- "रात को ऊपर नया करने आए थे?"

ये बात बाजी ने हल्की आवाज में कही थी, जो मुझ तक ही पहुँच रही थी। मेरे तोते उड़ गये ये सुनकर। मैंने चेहरा ऊपर उठाया तो देखा बाजी मुश्कुरा रही थी। मेरा रंग उड़ गया था। मैंने हकलाते हुये कहा- "मैं तो रात को नीचे सोया था, ऊपर मैंने क्या करने आना था?"

बाजी ने कहा- "जो करने आना था, वो मैंने खिड़की से देख लिया था..."

मैं अब चुप हो गया। क्योंकी कुछ रहा ही नहीं था अब कहने को। मुझे तो मेरे लण्ड ने मरवा दिया आज। मैंने बाजी को कहा- "प्लीज... किसी को बताना नहीं। मैं आइन्दा ऐसा नहीं करूंगा प्लीज... बस एक चान्स दे दो..."

बाजी ने मुझसे कहा- "काई बात नहीं अली, इस उमर में ऐसा हो जाता है। फिकर नहीं करो मैं नहीं बताती। लेकिन तुम देख-भालकर ये काम किया करो। ऐसे काई और भी देख सकता है?"

मैं सिर हिलाया और दोबारा काम करने लगा। लेकिन दिल में एक डर बैठ चुका था कही, बाजी में बता ना दें किसी को? 12:00 बजे तक में काम लिखता रहा। फिर मैंने किताबें समेटी और उठ गया।

मामी जूबिया ने मुझे आवाज लगाई- "बेटा चलो चलें खेतों पे। तुम्हारे माम् का खाना भी लेकर जाना है हम भी वहीं खाएंगे। अपना भी साथ ले जाते हैं."

फिर मैं, मामी जूबिया और गबी खाला और लुबना जाने को तैयार हो गई। हम घर से पैदल ही निकले। गौंव से बाहर निकली और खेतों में बनी पगडंडियों में चलते हमें खेतों पे पहुँच गये। रास्ते में सिर्फ हरे खेत थे। 15-20 मिनट लगे हमको पहुँचने में। वहां पहुँचे तो खाला और लुबना वही दरी पे बैठ गई माम् के पास।

मैं और दोनों मामी घूमने निकाल गयें। मामी मुझे फसलें दिखा रही थी जामुन और अमरुद के दरख्त भी लगे हुये थे, जहां से तोड़कर हमने खाए। हम घूमते हुये एक जगह पहुँचे तो देखा वहां पे बड़ा पंप चल रहा था, जहां से खेतों को पानी दिया जा रहा था।

मैंने कहा- "चलो नहाते हैं यहां.." क्योंकी एक छोटी सी हौदी बनी हुई थी वहां।

मामी राबी भवे कहा- "ना भाई, मुझे तो नहीं नहाना। आप ही नहाओ.."

मामी जूबिया ने कहा- "चलो मैं नहाती हूँ अपने बेटे के साथ..." और मुश्कुरा दी मुझे देखकर।

फिर मामी राबी ने कहा- "मैं चलती हैं, तुम लोग आ जाना नहाकर..."

मामी जूबिया ने दुपट्टा उतारा और बगल में रख दिया। मामी ने यौन कलर का सूट पहना हवा था, जो काफी पतला था। मैंने कमीज उतारी और सलवार समेत पानी वाली हौंदी में उतर गया, जहां पंप का पानी गिर रहा था। पानी मेरे पेट तक आ रहा था। मामी भी पानी में आ गई। मामी को इतना पास देखकर और अकेला महसूस कर के मेरे जिस्म में सनसानी दौड़ रही थी।
 
मामी ने डुबकी लगाई। पानी से जब बाहर निकली तो मामी की कमीज जिएम के साथ चिपक गई थी। मामी के भारी मम्मै शेप में नजर आ रहे थे ब्रा के साथ। ऊपर से आधे मम्मे नंगे थे मामी के। मेरा लण्ड खड़ा होने लगा। मामी मुझसे दो फीट ही तो दूर खड़ी थी। मैंने डुबकी लगाई और मामी की जांघों को पकड़ लिया। मामी को लगा डर की वजह से मैंने उनको पकड़ा है। मामी की चूतड़ बहुत ज्यादा भारी हैं, उस हिसाब से उनकी जांघे भी बहुत मोटी-माटी थी। बेहद सेक्सी लगते हैं उन पे लगा।

मैंने पानी से सिर बाहर निकाला और सांस लेने लगा। मामी मुझे देखकर मुश्कुराई। मैंने कहा- "मामी बहुत प्रेशर है पानी का इसलिए आपको पकड़ लिया था..."

मामी बोली- "काई बात नहीं बेटा.."

मैं मामी के करीब हवा और उनको कहा- "मामी इकठे डुबकी लगाते हैं..."

मामी ने कहा- "ठीक है.."

मैंने लंबी सांस खींची और पानी में डुबकी लगा दी। मामी ने भी लगा दी। मैंने मामी का बाजू पकड़ लिया था मम्मे के पास से। दूसरे हाथ को मैंने उनके मम्मे पे रख दिया। मामी ने मुझे अपनी तरफ खींचा और में उनके साथ लग गया। मुझे बहुत मजा आया। मेरा खड़ा लण्ड उनकी जांघ से टकराया। हम फिर ऊपर उठे। सांस लिया और एक मिनट बाद फिर पानी पे इबकी लगाई। इस बार मैंने पोजीशन चेंज कर ली थी।

मैंने मामी की टॉग खोली और उनकी टाँगों में आ गया। आगे बढ़ा और कंधे को पकड़ लिया और नीचे में अपना जिश्म उनको लगा दिया। मेरा लण्ड सीधा उनकी फुद्दी के बराबर में एक बगल पे लगा। मैंने दो-तीन घस्में मारे और ऊपर आ गया। मुझे बहुत मजा आया ऐसा करके।

मामी भी जब पानी से बाहर आई तो मुझे अजीब नजरों से देखा, और मुश्कुराते हाँ कहा- "बड़े तेज हो तुम अली मुझे नीचे पानी में धक्के मार के गिरा रहे थे। अब देखना ऐसा किया ता में भी तुमको पकड़ लूंगी.."

मैं हँस दिया और कहा- "देखते हैं आप पकड़ लेती हो कि नहीं?"

कुछ देर बाद सांस लेकर दुबारा हमने पानी में डुबकी मारी। मैंने फिर वैसा किया। लेकिन कुछ ऐसा हवा की में मजे की इंतहा को पहुँच गया। मामी ने मुझे झप्पी वाले अंदाज में पकड़ा और अपनी खींचा। मामी ने अपनी टांगें खोली हुई थी। मेरा अकड़ा हवा लण्ड सीधा उनकी फुददी पे जा टकराया। मुझे एक्दम लण्ड में गरम सा और नरम सा एहसास हवा।

मैंने बे-इख्तियार वहां लण्ड को झटका दिया, जिससे मंरा चुभ सा गया मामी की फुद्दी पे। ऊपा में हाथ मामी के मम्मों के ऊपर आ गये, क्योंकी बचने के लिये मैंने हाथ आगे किए जो सीधा मम्मों से टकराए मैंने उनको भी पकड़कर मसल दिया। ये सारा दृश्य 30-40 सेकेंड में हुवा। क्योंकी इतनी देर ही सांस रोका जाता था मुझसे। मैं पानी से बाहर आया और जोर-जोर से सांस लेने लगा, क्योंकी जो कुछ नीचे हवा था वो मेरे लिये हैरत था। दिल तेज-तेज धड़क रहा था।

मामी भी ऊपर आई और हँसते हसे कहा- "अब बताओ आया मजा?"

में भी हँस दिया। क्योंकी मुझे अब इस खेल में मजा आने लगा था। मेरा मूड और ज्यादा मुझे ऐसा करने को कर रहा था। इस बार मुझे शरारत सूझी। मैंने सलवार घुटनों तक पानी के अंदर ही उतार ली, जिसका मामी को पता नहीं चला, और नीचे पानी में जाते हुये मैंने मामी की कमीज का पल्लू आगे से पकड़ लिया। जैसे है वो नीचे हुई कमीज ऊपर हो गई उनकी जांघों से।

मामी ने मुझे दुबारा वैसे ही पकड़ लिया और मेरा नंगा लण्ड सीधा उनकी पतली सलवार के ऊपर से फुद्दी में लगा मैंने वहां 3-4 घस्से मारे और पानी के अंदर ही मामी के गाल में किस किया। जैसे मैं मामी से चिपका हवा था मुझे ऐसे चिपकना बहुत मजा दे रहा था। पानी के अंदर ही मुझं मामी की सिसकी सुनाई दी।

मैं ऊपर हवा। मामी बाद में ऊपर हई और अपना एक हाथ मेरे नंगे लण्ड पे रखा और दबा दिया। ये एक सेकंड के लिये था, लेकिन में उछल ही तो पड़ा। उधर मामी भी हैरान थी जब ऊपर आई, क्योंकी उनको मेरा लण्ड बड़ा लगा था। उनकी सोच से ज्यादा बड़ा।

मैने मामी को कहा- "मामी बहुत मजा आ रहा है। जब आप पकड़ती हो तो और ज्यादा मजा आता है। आपके जिश्म के साथ लगना मुझे बहुत अच्छा लग रहा है."
 
मामी मुश्कुराई और कहा- "लो बेटा, तुम चिपक जाया करो मुझसे फिच । क्या हुवा बेशक झप्पी लगा लिया करो बेटा। मैं तुम्हारी मामी हैं कोई गैर थोड़ी हूँ। तुम तो मेरे प्यारे से भान्जे हो.." कहकर मामी ने मुझे गले लगाया और सिर पे किस की।

मामी ने कहा- "चलो अब चलते हैं। काफी टाइम हो गया है। वहां सब इंतजार कर रहे होंगे.."

हम दोनों पानी से बाहर आ गये और थोड़ी देर धूप में खड़े हो गये ताकी पानी निचुड़ जाए। मेरा लण्ड अभी भी पूरा होशियार खड़ा था, जो गीली सलवार में साफ नजर आ रहा था। मामी की नजर मेरे लण्ड पे पड़ी और गौर में मेरे लण्ड को देखने लगी। मैं शर्मा गया और लण्ड को टांगों में फंसा लिया। ऐसा करतं मामी ने देखा तो जोर-जोर से हँसने लगी। मेरी झिझक भी कम हो गई और मैं भी जवाब में हँस दिया।

मैंने कमीज पहनी और मामी में दुपट्टा लिया और डेरे में आ गये, जहां वो लोग खाना खा रहे थे। हम भी बैठ गये और खाना खाया। फिर मामी और खाला ने बर्तन समटे और घर की तरफ चल दिए। घर पहुँचकर सब लेट गर्य, क्योंकी थके हुसे थे और खाना खाया था तो सुस्ती चढ़ रही थी। मैं नानी के रूम में जाकर चारपाई पे लेट गया। जानी सो रही थी। मुझे कब नींद आई पता नहीं चला।

मेरी आँख तब खुली, जब मुझे अपनी चारपाई में दूसरा बंदा महसूस हवा, जो मेरे साथ लेटा हवा था। मैं पूरी तरह जब जागा तो देखा वो खाला थी। आज सुबह से मैंने खाला से कोई बात नहीं की थी। हालांकी खाला ने एक-दो बार मुझे बुलाया था, लेकिन मैंने हूँ हाँ में जवाब देकर बातें खतम कर दी थी। खाला को पता चल गया था की मैं रात के वाकिये से नाराज हूँ।

खाला ने मुझे अपने साथ भींच लिया और कहा- "मेरा प्यारा बेटा मुझसे नाराज है?"

मैंने कहा- "हौं नाराज हैं। आपने मेरे साथ अच्छा नहीं किया.."

खाला ने मुझे चूमा और अपने मम्मों में मेरा मुँह दबाया और थपका मुझे। एक टांग खाला ने मेरे ऊपर रखी हुई थी। मैंने करवट ली और खाला की तरफ हवा, खाला की टांग अब भी मेरे ऊपर थी। मुझे खाला की आगोश की गर्मी पिघला रही थी और मेरा गुस्सा खतम हो रहा था।

खाला ने कहा "बेटा मुझे नींद आ रही थी। तुमको पता ता है इतना सफर करके आए थे इसलिये ऐसा हवा..."

मैंने कहा- "खाला आप मुझे वैसे ही कह देती तो में चला जाता। आपकी वजह से मेरा मूड गत से खराब था।

खाला ने कहा, "मैं अपने पाले बेटे का मूड ठीक कर देती है." खाला लाड़ से मुझसे बात कर रही थी इसलिए प्यारे को पाले बोलकर बात कर रही थी।

नीचे से मेरा लण्ड सिर उठा रहा था और लण्ड के निशाने पै ठीक खाला की फुद्दी थी। खाला मुझसे पूरा चिपकी हुई थी। मैंने खाला के मम्मों में किस की और कहा "आइन्दा आपने ऐसा नहीं करना, वरना मैंने आपसे नाराज हो जाना पक्का पक्का।

खाला ने कहा "नहीं बेटा मैं अब नाराज होने ही नहीं दूंगी अपने सोने बेटे को...' और खाला मुझे चूमने लगी।

मैंने चेहरा ऊपर किया तो खाला के होंठ मेरे होंठों से लग गये। खाना में वहां भी मुझे चमा जैसे गाल पे चूमते हैं। मैंने खाला के होठों पे किस की और खाला का निचला होंठ अपने होंठों में दबाया और चूसने लगा। क्योंकी गत को मुझे पता चल चुका था कैसे चूसते हैं।

खाला ने अपना होंठ खींचा और कहा- "बेटा से नहीं करते, बस ऊपर में किस करते हैं.."
 
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