Muslim Sex Kahani खाला जमीला - SexBaba
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Muslim Sex Kahani खाला जमीला

desiaks

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Aug 28, 2015
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खाला जमीला

पात्र (किरदार) परिचय

01. अब्बू अली के अब्ब, होलसेल की दुकान,

02. अम्मी अली की अम्मी, उम 38 साल,

03. अली- उम्र 27 साल, कहानी का नायक (होरा)

04.शेराज- अली के अंकल, उम 60 साल,

05. जमीला- अली की खाला, उम 55 साल, मम्मे 36 इंच, खूबसूरत,

06. लुबना- जमीला की बेटी, अली की कजन बहन, उम 29 साल, शादीशुदा, मम्मे 32 इंच,

07. उमर जमीला का बेटा, अली का कजन भाई, उम 34 साल,

08. भाभी अली की भाभी, उम 32 साल,

09. सुमेरा. उम 23 साल, अली की इंग्लिश टीचर, मम्मे और चतर बड़े-बड़े, गाण्ड बहुत हिलती थी,

10. परवीन- उम 50 साल, अली की पड़ोसी, दबंग, लंबी, रंग दूधिया गोरा, मम्मे 42" इंच, बड़ी गाण्ड,

11. इकरा. उम 27 साल, परवीन की बड़ी बहु,

12. आयशा- उम्र 22 साल, परवीन की छोटी बह,

13. नरेन- उम्र 24 साल, परवीन की बड़ी बेटी,

14. सकीना- उम्र 18 साल, परवीन की मझली बेटी,

15. आयशा- उम्र 09 साल, परवीन की छोटी बेटी,

16. राबिया- ज़ारा की मम्मी, उम 40 साल, दिलकश, स्मार्ट, जिम लचकदार,

17. ज़ारा- अमीना बाजी की दोस्त, राबिया की बेटी,

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कडी 01
ये कहानी अपनी खाला के साथ सेक्स की है। मुख्य पात्र (किरदार) रही हैं। बाकी और भी बहुत से किरदार आएंगे। मेरा नाम अली है, और गुजरांवाला में रहता है। इस बात मेरी उम्र 27 साल है। जबकी ये कहानी में तब से शुरू करूंगा जब मेरी उम्र 13 साल थी।

बात तब की है जब मैं 13 साल का था और 7वीं क्लास में पढ़ता था। तब खाला 41 साल की थी। मेरा बचपन से ही अपनी खाला के घर आना जाना बहुत ज्यादा था। क्योंकी हमारे घर एक ही मुहल्ले में हैं। खाला बहुत खूबसूरत खातून हैं। जिश्म थोड़ा हेल्दी है लेकिन खास जगह से। खाला के मम्मे 38" इंच के गोल-गोल हैं, निपल बाउन हैं। बायं मम्मे में एक तिल का निशान भी है। छाती नामल है और चूतड़ भारी हैं चलते वक्त बहुत हिलते हैं। खाला सामान्य रूप से चलती भी बहुत तेज है, जिस वजह से उनके चूतर बहुत हिलते हैं। खाला घर में बहुत खुली रहती हैं. दुपट्टा नहीं लेती हैं।

लुबना, कजन बहन 15 साल की हैं, और 9वीं क्लास में पढ़ती हैं हम एक ही स्कूल में पढ़ते हैं। लुबना के मम्मे 32" इंच के थे। अपनी माँ की तरह हेल्दी है, लेकिन प्यारी दिखती हैं लुबना। चूतर अभी नार्मल हैं लुबना के।

उमर, कजन बदर फैक्टरी में काम करता है। इसलिये खाला के घर के छोटे मोटे काम भी मुझे करने पड़ते हैं।

मेरे घर में अम्मी, उम्र 38 साल। एक छोटा भाई जो काफी छोटा है। अब्बू की होलसेल की दुकान है।

मुझे बचपन से ही औरतों से चिपकने का शौक था, एक अजीब सा मजा आता था। इसीलिये मैं अपनी खाला में अक्सर चिपका रहता था। खाला बुरा भी नहीं मानती थी। बल्की मुझे खुद पकड़कर गले लगा लेती थी।
 
एक दिन में सुबह उनके घर गया स्कूल बैग लिये, क्योंकी लुबना को साथ लेकर जाना था तो देखा की खाला बैठकर रोटियां पका रही थी, और खाला के मोटे-मोटे मम्मे हिल रहे थे लाल कमीज में। खाला ने सफेद सलवार और लाल कमीज पहनी हुई थी और पीढ़े में बैठकर रोटियां पका रही थी।

यं दृश्य देखकर मेरे अंदर हवस जाग गई और अपनी नजरें खाला के मम्मों पे रख ली। मम्मों की बीच वाली लकीर भी पूरी तरह नजर आ रही थी। खाला ने जब मुझे देखा तो मैंने अपनी नजर साइड पे कर ली जहां लुबना बैठी खाना खा रही थी।

खाला ने मुझे भी कहा खा लो लेकिन मैंने मना कर दिया। लुबना को कहा जल्दी तैयार हो जाओं लेट हो रहे हैं। फिर लुबना उठकर चली गई स्कूल बैग लेनें। फिर मैंने देखा की खाला के चूतर पीटी पर भी पूरे नहीं आ रहे हैं, बाहर का निकले थे। ये सब देखकर मेरा 5" इंच का लण्ड खड़ा हो गया था पैट में।

फिर लुबना आ गई और हम स्कूल की तरफ निकल पड़े।
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कड़ी_02
मैं लुबना हाथ पकड़कर चल रहा था। बातों के साथ-साथ मैं उसके हाथ का भी मसल रहा था। लेकिन लुबना मुझे कुछ नहीं कह रही थी। फिर हम स्कूल पहुंच गये और क्लासेज लेने लगे।

मुझे स्कूल में एक टीचर बहुत पसन्द श्री। इंग्लिश की टीचर श्री, नाम उसका सुमेरा था, उम्र 22-23 साल की होगी। मम्मे और चूतर उसके बड़े-बड़े थे, जिनका मैं क्लास में बैठकर घूरता रहता था। टीचर जब ब्लैकबोर्ड में कुछ लिखती थी तो पीछे से उनकी गाण्ड बहुत हिलती थी। ये सब कुछ देखकर मेरा लण्ड खड़ा हो रहा था पैंट में। लेकिन लण्ड को मैंने पैंट में दबाया हवा था। छुट्टी के टाइम मैं लुबना का हाथ पकड़कर घर की तरफ चल पड़ा।

जब घर पहुंचा तो खाला ने मुझे गले लगाया और प्यार किया। मैं जानबूझ कर ज्यादा चिपक गया खाला के साथ। मेरा चेहरा खाला के कंधे तक जा रहा था। चेहरा थोड़ा नीचे करके मैंने खाला के मम्मों के ऊपर रख दिया और खाला को अपने साथ दबा लिया।

खाला ने कहा "अब छोड़ भी दे..."

लेकिन मैंने पकड़े रखा खाला को। नीचे से मेरा लण्ड खाला की टांगा पें लग रहा था। फिर में खाला से अलग हवा और अपने घर की तरफ चला गया। घर जाकर खाना खाया और लेट गया।

चार बजे उठकर मैं खाला के घर चला गया। खाला सब्जी काट रही थी और लुबना पट रही थी। मैं खाला के पास बैठ गया। एक हाथ पीछे को कर लिया जिस में मैंने अपना वजन डाला हुवा था, और वो हाथ खाला की जांघों को छू रहा था खाला की जांधे बहुत नरम और गरम लग रही थी मुझे। मैं सामान्य अंदाज में हाथ को हिला रहा था, जो खाला की जांघों के साथ रगड़ खा रहा था जिससे मुझे मजा आ रहा था।

खाला को पता भी था की मेरा हाथ उनको लग रहा है, लेकिन वो कुछ कह नहीं रही थी। इस वक़्त खाला दुपट्टे के बगैर बैठी हुई थी। टाइट कमीज में खाना के मम्मे उभर के सामने आ रहे थे और एक तरफ से मुझे ब्रा की ब्लैक पट्टी भी नजर आ रही थी। ये सारी करवाई मैं चोर नजरों से कर रहा था।

लुबना सामने टेबल कुमी में बैठी पट रही थी और नोटबुक पे झुक के कुछ लिख रही थी। जिस वजह से लुबना का ऊपरी सीना मुझे थोड़ा-थोड़ा नजर आ रहा था।

मैंने खाला का कहा- "आज क्या बना रही हो?"

खाला ने कहा "बेटा, आलू गोभी पकनी है आज। तुम्हारे खालू को बहुत पसन्द है.."

मैंने कहा- "खाला जान मेरी पसन्द की भी कभी मुझं बनाकर खिलाओं ना?"

खाला ने कहा, "क्यों नहीं पुत्तर जरन खिलाऊँगी। सनडे का आना फिर तुम्हारी पसन्द की चीज बनाऊँगी.."

में बात करते-करते खाला ने मुझे अपने साथ लगा लिया और मैं थोड़ा लेटने जैसी पोजीशन में खाला के साथ लग गया। मैंने करवट ले ली, जिससे मेरा लण्ड खाला की जांघों को छुने लगा और चेहरा खाला के कंधे पें आ गया। मैंने खाला की गर्दन में दोनों बाजू डाल लिए। बायें बाजू की कोहनी खाला के दायें मम्मे में लग रही थी। मैं वहां दबाओ डाल रहा था और खाला के मम्मे महसूस कर रहा था। मैंने खाला के गाल पे किस कर दी।

खाला भी मुझे देखकर मुश्कुराने लगी और मेरे माथे में किस कर दी।

लुबना हमको देखकर कहने लगी. "अम्मी आप तो मुझे ऐसे प्यार नहीं करती.."

खाला बोली- "अली तो मेरी जान है, इसे में सबसे ज्यादा प्यार करती हैं.."

इन बातों के दौरान मेरा लण्ड खड़ा हो रहा था, और खाला की जांघों को लग रहा था। एक बार खाला ने मेरी तरफ देखा भी और नजरों से। लेकिन मैंने अपने आपको नार्मल ही रखा। मैं धीरे-धीरे अपना लण्ड खाला की जांघ पे रगड़ने लगा, जिससे मुझे बहुत मजा आ रहा था। मेरे अंदर सेक्स पूरी तरह जाग गया था।

जब खाला को लगा कुछ ज्यादा हो रहा है तो खाला ने कहा- "चलो बेटा, अब तुम भी पढ़ाई कर लो काफी टाइम हो गया है...

फिर मैं ना चाहते हमें भी वहां से उठा और अपने घर की तरफ चल दिया।
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खाला के घर से बैर निकाला और अपने घर की तरफ चल दिया। रास्ते में परवीन आँटी मिल गई जो अपने दरवाजे पे खड़ी थी। उसने मुझे आवाज लगाई और अपनी तरफ बुलाया। जब मैं उसके पास गया तो उसने मुझे कुछ पैसे दिए और बशीर की दुकान पर भेज दिया सामान लेने के लिये।

परवीन औटी मुहल्ले में बड़ी दबंग औरत मशहर थी, 50 के लगभग उसकी उम थी। हाइट थोड़ी लंबी और भरा हुवा जिश्म था, उसका मिल्की कलर था परवीन औटी का क्योंकी वो जाति की "बट" हैं। मम्म 42" इंच के तो जरूर होंगे। इतना बड़ा साइज होने के बावजूद उसके मम्मे तने रहते थे। गाण्ड भी काफी भारी थी उनके जिम के हिसाब से। सारा मुहल्ला उनसे बातें करते घबराता था। लेकिन मुझे पता नहीं क्यों उनसे इर नहीं लगता था। उनका घर भी हमारे घर के साथ है ही बिल्कुल। अब जरा इनके घर का तरफ करवा दूं।

परवीन आँटी के 4 बेटे हैं और 3 बेटियां हैं। परवीन ऑटी के पति की गारमेंट की दुकान है। दो बेटे शादीशुदा हैं। बड़ा बेटा अब उसका नाम तो नहीं पाद मुझे, लेकिन उसको सब चौद चौद कहते थे, उम्र 27 साल और इसकी बीवी का नाम इकरा है उसकी उम भी 27 साल है। दूसरा बेटा जिसका नाम गागा है वो 25 साल का था, उसकी बीवी का नाम आयशा है उम्र 22 साल है।

बाकी दो बेटे कुँवारं हैं उनका जिकार नहीं होगा इस कहानी में, ना ही बड़े बेटो का। बटियों भाभियों और परवीन आँटी का जिकर होगा। 3 बौटयां हैं परवीन आँटी की। नन 24 साल, सकीना 18 साल, आयशा 9 साल।

मैंने सामान लिया और परवीन औंटी के घर चला गया। आँटी सामने बैठी हुई थी सहन में। इनका सहन मेनगेट के सामने था, बायें साइड पे किचेन था, साथ में एक रूम और दूसरा रुम सहन के पीछे था। मेनगेट के साथ बैठक थी जिसका दरवाजा बाहर भी था गली में।

खैर, जब मैं आँटी के पास गया तो उसने कहा- "किचन में पकड़ा आओं, वहां नरेन होगी.."

मैं जब किचन में गया तो नरेन बाजी पशी से सराबोर थी क्योंकी एप्रिल का महीना जा रहा था। नरेन ने बारीक लान का सूट पहना हुवा था, दुपट्टा नहीं था लिया हुवा था। टाइट कमीज़ में नरेन बाजी के 34" इंच के मम्मे नजर आ रहे थे। नरेन ने मुझसे बैग लिया और साइड में शेल्फ में रख दिया। मुझसे हालचाल पूछा। इस दौरान उसने मझे शरबत का उलास बनाकर दिया जो मैं गटागट पी गया।
 
मैं जब किचन में गया तो नरेन बाजी पशी से सराबोर थी क्योंकी एप्रिल का महीना जा रहा था। नरेन ने बारीक लान का सूट पहना हुवा था, दुपट्टा नहीं था लिया हुवा था। टाइट कमीज़ में नरेन बाजी के 34" इंच के मम्मे नजर आ रहे थे। नरेन ने मुझसे बैग लिया और साइड में शेल्फ में रख दिया। मुझसे हालचाल पूछा। इस दौरान उसने मझे शरबत का उलास बनाकर दिया जो मैं गटागट पी गया।

बाजी नरेन मुझसे मजाक बहुत करती थी। मुझे गुदगुदी बहुत करती थी। आज भी ऐसा ही हुवा लेकिन साथ ही कुछ नया भी हुवा। जब वो मुझे गुदगुदी करने झुकी तो गला खुला होने की वजह से मुझे उसके मम्मे नजर आ गये। बाजी मुझे गुदगुदी करने लगी, मैं उनको पीछे धक्केलने लगा, उनको कमर से पकड़कर। लेकिन फिर परवीन ने मुझे अपने साथ चिपटा लिया और मेरी कमर पे गुदगुदी करने लगी। मेरे हाथ झूल रहे थे जो बाजी नरेन की गाण्ड के साइड से छूने लगा, और आगे मेरा लण्ड उसकी जांघों पे लग रहा था, जो अभी सोया हुवा था। लेकिन जो कुछ हो रहा था उससे मेरे लण्ड में जान पड़ती जा रही थी।

मैं बाजी के चूतरों के साइड से ही पकड़कर उनका पीछे करने लगा। लेकिन जोर से नहीं बस आराम से। क्योंकी मुझे अब मजा आने लगा था। मैं गुदगुदी बर्दाश्त कर रहा था। इधर मेरा लण्ड खड़ा होकर बाजी नरेन की जांघों पें दबने लगा था। जब बाजी को मेरा लण्ड महसूस हुवा तो उन्होंने किसी तरह अडजस्ट करके मंरा लण्ड अपनी चिकनी जांघों में अडजस्ट कर लिया।

जब मेरा लण्ड को ज्यादा गर्मी मिली तो एक बार में कांप हो गया। लेकिन बाजी मुझे ऐसे हिला रही थी जिससे मेरा लण्ड उनकी जांघों में आगे-पीछे हाने लगा, और मेरे हाथों का दबाओ बाजी की नरम गाण्ड में पड़ गया जो बगल को ज्यादा निकली हुई थी। इस दौरान अचानक बाजी का पैर मेरे पैर में आया और मेरी चीख निकाल गई।

बाहर से आँटी की आवाज आई- "क्या हुवा?"

इतना सुनना था की बाजी ने मुझे अलग किया और फटाफट अपने आपको सेट किया और आवाज लगाई- "कुछ नहीं अम्मी... अली इर गया था लाल बैग को देखकर..." फिर मेरी तरफ मुश्करा के देखने लगी।

मैं भी आगे से हँसने लगा। फिर मैं वहां से निकाल आया। आँटी परवीन ने मुझे प्यार दिया और स्माइल दी मुद्दों और सीधा घर जाने की ताकीद की।

अपने घर पहुँचा तो शाम हो चुकी थी।

अम्मी ने पूछा- "इतनी देर कहाँ लगा दी?"

मैंने बताया- "परवीन आँटी ने एक काम के लिये भेजा था..."

अम्मी चुप हो गई क्योंकी आँटी की अम्मी के साथ बहुत अच्छी बनती थी। करना झिड़कियां जरूर पड़ती अम्मी में लेट घर आने पें। फिर खाना खाकर मैं पढ़ने लगा। पढ़ते-पढ़ते 10:00 बज गये। मैं उठा और सोने के लिये लेंट गया।

हमारे घर में दो कमरे, खुला सहन, बैंठक और दो वाशरूम थे। एक बैठक के साथ था जो बैठक के अंदर से भी खुलता था और बाहर से मेनगेट के पास से भी दरवाजा था। एक वाशरूम किचेन के साथ बना हबा था। हमारी छत के साथ परवीन आँटी की छत मिलती थी। गर्मियों में हमलोग जब ऊपर सोते थे तो परवीन आँटी लोग भी ऊपर सोती थी तो अम्मी वहां उनसे गपशप कर लेती थी।

सुबह उठा, अम्मी ने नाश्ता करवाया। पूनिफार्म पहना और खाला के घर पहुँच गया। वहां पहुंचा तो लुबना नजर नहीं आई। खाला में पूर्ण जो उस वक़्त किचेन में बर्तन धो रही थी।

खाला ने कहा "वो कपड़े बदल रही है रूम में..."

खालू अभी सो रहे थे। मैं आगे बढ़ा और खाला को पीछे से झप्पी डाल ली और बाजू उनके पेट पे रख दिया।
 
सुबह उठा, अम्मी ने नाश्ता करवाया। पूनिफार्म पहना और खाला के घर पहुँच गया। वहां पहुंचा तो लुबना नजर नहीं आई। खाला में पूर्ण जो उस वक़्त किचेन में बर्तन धो रही थी।

खाला ने कहा "वो कपड़े बदल रही है रूम में..."

खालू अभी सो रहे थे। मैं आगे बढ़ा और खाला को पीछे से झप्पी डाल ली और बाजू उनके पेट पे रख दिया।

खाला ने अपना चेहरा पीछे करके मुझे गाल पे किस की और कहा- "मुबह-सुबह अपनी खाला पे प्यार आने लगा मेरे बेटे को...

मैं सिर्फ आगे से मुश्करा दिया, और ज्यादा जोर से खाला को दबा लिया अपने साथ। मेरे हाथ खाला के नरम पेट में फंस गये थे, और मेरा लण्ड खाला के चूतर के नीचे से छूने लगा। जिससे मुझे मजा आने लगा। मैं ऐसे ही दो-तीन मिनट पकड़े खड़ा रहा खाला को बातें करते हो।

फिर लुबना आ गई उसने कहा- "चलो भी आज क्या यही टाइम गुजर देना है?"

खाला ने कहा "चलो जाओ अपने स्कूल। शाबाश.."

मैं और लुबना घर से निकाल आएर मैंने लुबना का हाथ पकड़ लिया और लुबना को कहा- "आज तो तुम बड़ी प्यारी लग रही हो, क्या लगाया है चेहरे पे?"

लुबना शर्मा गई और कहा- "लो... मैंने क्या लगाना है? कुछ भी तो नहीं लगाया। मैं तो पहले भी प्यारी थी.."
और हँसने लगी।

में भी मुश्कुरा दिया। आज वाकई लुबना निखरी-निखरी लग रही थी मुझे। फिर हम स्कूल पहुँच गये। रूटीन के मुताबिक सब कुछ हुवा। छुट्टी हुई तो हम बाहर निकाल आए।

जब हम खाला के घर पहुँचें, तो खाला नहाकर बाहर निकली थी, और खाला ने पिंक लान का सूट पहना हवा था। जिसमें खाला बहत सेक्सी लग रही थी, जिसमें खाला का जिशम पूरा नजर आ रहा था। खाला मिरर के सामने अपने बाल सेट कर रही थी।

लुबना ने कहा- "अम्मी में सोने लगी हैं, मुझे भूख नहीं है। स्कूल से खाकर आई हैं."

मैंने बैग उतार के सहन में पड़ी एक टेबल पे रखा और चारपाई पे बैठ गया। सहन की एक साइड पे ही खाला मिरर के आगे खड़ी अपने बाल बना रही थी। पीछे से खाला को देखा तो उनकी बा की पट्टी नजर आ रही थी, कमीज थोड़ी गोली भी थी ऊपर से।

खाला के जिश्म की शेप नुमाया हो रही थी। पतली कमर पे भारी गाण्ड जो इस बढ़त लहरा रही थी। क्योंकी खाला बाल जो संट कर रही थी। मैं चारपाई में उठा और खाला के पास जाकर खड़ा हो गया उनकी दायं साइड में जाने से मुझे खाला के तने हुये 38" इंच के भारी मम्मे नजर आ रहे थे। इस वक्त खाला ने गुलाबी रंग की बा भी पहना हवा था जिसमें से आधे मम्में नजर आ रहे थे, कमीज का गला गहरी होने की वजह से। मेरा बड़ा दिल कर रहा था खाला को झप्पी लगाने का।

मैंने खाला को कहा- "खाला मुझे आपको हग करना है..."

खाला में हँस के कहा "क्यों करना है मेरे बेटे को हग?"
 
मैंने कहा- "खाला मेरा दिल कर रहा है की मैं आपको हग करं। मुझे सकून मिलता है आपको हग करके।

खाला ने कहा "चलो कर लो हग..."

मैं आगे बढ़ा और खाला को पीछे से झप्पी डाल ली और खाला की कमर में हाथ डाल लिए और खाला को किस कर दी कान के ऊपर।

खाला ने चेहरा हिलाया और कहा- "ना करो गुदगुदी होती है यहां..."

नीचे से लण्ड अभी मैंने फास पे रखा था खाला से। मैं फिर खाला को टांग करने के लिये कान में किस की। खाला फिर हिली जिसमें से हवा की मेरा अकड़ा हुवा लण्ड खाला की गाण्ड में दब गया, जिसको खाला ने भी महसूस कर लिया था क्योंकी खाला एकदम रुक गई थी।

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update 05

जैसे ही खाला को मेरा हाई लण्ड अपने चूतरों पे महसूस हवा, खाला हिल के रह गई। मैं भी डर गया और थोड़ा पीछे हो गया।

खाला ने कहा "चला बेटा अब लगा ली ना झप्पी... अब मुझे छोड़ दो मैंने काम करने हैं."

इतने में मैं रिलैक्स हो गया। जब देखा खाला का मूड नार्मल है, तो मैं फिर आगे बढ़ा और खाला के गाल पे किस की और लण्ड को भी खाला के भारी चूतरों पर हल्का सा रगड़ दिया।

खाला हँस दी और कहा- "बाज नहीं आते तुम फिर भी..."

में भी मुश्कुरा दिया और खाला को छोड़ दिया। फिर मैंने अपना बैग उठाया और खाला को सलाम करके घर चला गया।

घर गया तो देखा बाजी नरेन और आँटी परवीन अम्मी के पास बैठी बातें कर रही हैं। बाजी नरेन ने मुझे देखा
और स्माइल की। मैं आगे बढ़ा और आँटी से सलाम किया और बाजी से भी।

अम्मी में कहा "जाओं किचन में पराठा बनाया है मैंने तुम्हारा वो खा लो निकालकर ...

बाजी न ज ने कहा- "चलो मैं तुमको खाना निकाल देती हैं... और बाजी किचेन में चली गईं।

मैंने बाजी को कहा- "में कपड़े चेंज कर आऊँ.." फिर मैं अंदर गया और जल्दी से सलवार कमीज पहनकर किचन में चला गया। वहां बाजी अंडा फ़ाई कर रही थी मेरे लिये। फिर मैं खाना खाने लगा। बाजी बाहर चली गई। थोड़ी देर बाद बाजी अंदर आई तब तक मैं खाना खा चुका था।

बाजी ने कहा- "मेरे साथ आओ, हमारे घर थोड़ा काम है.."

जब हम उनके घर पहुँचे तो देखा घर पर कोई नहीं था। मैंने बाजी से पूछा- "और सब कहां हैं?"

बाजी ने बताया- "आयशा सकीना नानी के घर हुई हैं..."

बाजी मुझे स्टोर में ले गई। वहां से एक छोटा टेबल और तख्त निकलना था। लेकिन ऊपर सामान पड़ा हवा था। बाजी ने अपना दुपट्टा उतार दिया था। अब बाजी के भारी मम्मे अच्छे से नजर आ रहे थे, और गाण्ड बगल को निकली हुई थी। बाजी की जांघों में गोस्त बहुत चढ़ा हुवा था, चलते हुये थिरकती हैं।

हम दोनों मिलकर सामान उठाने लगे। बाजी का जिश्म बार-बार मुझसे छरहा था। बाजी की जर म जांघ मुझे अपनी मोताई माथ गरम-गरम महसूस हो रही थी। फिर एक चीज उठाने लगे तो वो भारी थी। बाजी मेरे पीछे आई और हम दोनों उठाने लगे। क्योंकी बाजी की हाइट मुझसे थोड़ी सी लंबी थी। सामान उठाते हुये बाजी के मम्मे पूरा दब गये मेरी पीठ पे। ये पहली बार था जब बाजी इतना नजदीक आई मेरे। सामान उठाते हमें मेरे तो रोंगटे खड़े हो गये क्योंकी जिश्म हिल रहा था तो बाजी के मम्मे भी खूब रगड़ रहे थे मुझे मेरी पीठ पें। इससे मेरा लण्ड परा टाइट हो गया और मेरी सलवार में तंब सा बन गया था।

फिर हमने सामान हटा लिया और तख्त उठाकर बाहर निकल आए। इतने में बाजी मेरे तंबू पर नजर पड़ गई और बाजी मुश्कुराने लगी। मैं भी शर्मिंदा सा मुश्कुरा दिया।

बाजी ने कहा- "इधर क्या हुवा?" और खिलखिला के हँस पड़ी।

मैंने भी जब देखा की बाजी बुरा नहीं मान रही, तो में रिलैक्स हो गया और कहा- "बाजी में जाग गया है। अच्छा भला सा रहा था आपने जगह दिया इसको..."

बाजी ने कहा- "चला फिर में सुला भी देती हैं."

मैंने कहा- "नहीं नहीं, आप रहने दो। अब ये खुद सो जायेगा...
" ऐसी बातें करके लण्ड और हाई हो रहा था।

तख्त सहन में रख दिया और बाजी ने मेरे करीब से गुजरते हो मेरे लण्ड को एक बार पकड़कर दबा दिया। ये दृश्य एक सेकेंड से काम वक्त में हो गया। मैं तो हिल ही गया अंदर से। बाजी में भी शो नहीं किया और नार्मल हो रही। मैं फिर टायलेट गया और वहां से नार्मल होकर बाहर आया तो अपने घर की तरफ चल पड़ा।
 
ऐसे ही दिन गुजरते रहे। खाला से मस्ती और बाजी नरेंन में मस्ती चलती रही। फिर हमको गर्मियों की छुटियां हो गई 3 महीना की। मैं बहुत खुश था क्योंकी हम रिश्तेदारों के घर जाते थे मिलने और मैं वहीं रहता था।

जिस दिन छुटियां हुई, तो मैं घर आया और बैंग रखा। अम्मी से पूछा- "कब जायेंगे हम नानी के घर?"

अम्मी ने कहा "एक-दो दिन रुको फिर बताती हैं। तुम्हारे अब्बू में पोछती हैं..."

मैं खाना खाकर बढ़कर दरवाजे में खड़ा था और इधर-उधर नजर मार रहा था।

आँटी परवीन अपने घर से निकली और मेरे पास आई और कहा- "तुमने मेरे साथ बाजार तक जाना है में तुम्हारी अम्मी से पूछ आऊँ..” कहकर आँटी अंदर चली गई और थोड़ी देर बाद बाहर आ गई और कहा- "चलो चलते हैं..." 4:00 बज गये थे बाजार पहुँचते आधा घंटा लगा। बाजार में भीड़ काफी थी।

औंटी ने कहा- "मेरे साथ-साथ रहना..."

मैंने हाँ में सिर हिला दिया। मैं आँटी के साथ-साथ चल रहा था और आँटी को साइड से पकड़ा हवा था। थोड़ा आगे गये तो बाजार टांग था तो दो रेहड़ी वालों में सामान लादा हवा था और रास्ता बंद हो गया था। इतने में देखा देखी काफी भीड़ हो गई वहां। गर्मी भी लगाने लगी। भीड़ में धक्कम-पेल से मैं औंटी के पीछे हो गया। एक हाथ से आँटी को साइड से पकड़ा हवा था उनकी कमीज से। मैं पीछे से आँटी से जकड़ चुका था। जिस वजह से मेरा लण्ड खड़ा होने लगा, जो सीधा आँटी परवीन के चूतर के नीचे लगाने लगा।
 
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