hotaks444
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अय्याशी का अंजाम
दोस्तो ये कहानी कॉपी पेस्ट है पर आपको पसंद आएगी
काली अंधेरी रात में बारिश जोरों से हो रही थी और एक कार स्पीड से सड़क पर दौड़ रही थी, यह करीब रात के 10 बजे की बात होगी।
जय- अरे यार धीरे चला.. मरवाएगा क्या.. देख सड़क पर पानी ही पानी फैला है.. कोई सामने आ गया तो ब्रेक भी नहीं लगेगा।
दोस्तो, यह है जय खन्ना.. उम्र 20 साल रंग गोरा.. कद 5’9″.. स्लिम बॉडी और बेहद अमीर रणविजय खन्ना जो दिल्ली के बड़े प्रॉपर्टी डीलर हैं.. उनका बेटा है। पैसों के बल पर इसमें थोड़ा बिगाड़ आ गया है.. या देसी भाषा में कहो.. तो पक्का चोदू हो गया है ये.. बस लड़की देखी नहीं कि नियत खराब..
विजय- अबे डर गया तू.. साले फट्टू.. कुछ नहीं होगा.. गाड़ी मैं चला रहा हूँ.. विजय दि रॉकस्टार.. तू बस देख..
यह है विजय खन्ना.. कहने को तो यह जय का चचेरा भाई है.. मगर दोनों रहते एकदम दोस्त की तरह हैं। वैसे तो विजय ठीक है.. मगर जय ने इसको भी अपने रंग में ढाल लिया है। कभी-कभी ये भी जय के साथ रंगरेलियाँ मना लेता है। वैसे विजय के पापा के देहांत के बाद रणविजय खन्ना ने ही इसको संभाला है। अब ये दोनों साथ ही रहते हैं। बाकी के बारे में बाद में बता दूँगी। इसकी भी उम्र लगभग 20 साल की ही है और बाकी सब भी जय जैसा ही है।
चलिए आगे चलते हैं..
जय- अरे मेरे भाई.. डर मरने का नहीं लग रहा.. अगर एक्सीडेंट के बाद हम बच भी गए.. तो लूले लंगड़े हो जाएँगे.. अभी तो हमने ठीक से अय्याशी भी नहीं की है..
विजय- अबे कुछ नहीं होगा.. हमारे पास इतने पैसे हैं कि लूले हो भी गए तो भी अय्याशी में फ़र्क नहीं आने वाला।
जय- अरे रुक-रुक.. वो देख.. उधर क्या तमाशा हो रहा है?
सड़क से कुछ दूर बिजली की गड़गड़ाहट के साथ जय को कुछ अजीब सा दिखा तो उसने विजय को रुकने को कहा।
विजय ने गाड़ी को धीरे किया और रोका.. तब तक वो कुछ आगे निकल आए थे।
जय के कहने पर विजय ने गाड़ी वापस पीछे ली।
जय- बस बस.. यहीं रोक यार.. वहाँ कुछ लोग जमा हैं और शायद कोई लड़की भी है.. मुझे हल्का सा कुछ दिखा है।
विजय- भाई.. तू पक्का लड़कीबाज है.. अंधेरे में भी लड़की ताड़ ली.. चल देखते हैं क्या मामला है।
दोनों ने रेन कोट पहने हुए थे.. तो आराम से गाड़ी से बाहर निकल गए और उन लोगों के पास पहुँच गए।
जब वो पास को गए.. तो वहाँ कुछ आदमी और एक लड़की खड़ी थी और पास में एक औरत नीचे लेती हुई कराह रही थी.. जिसके सर से खून निकल रहा था।
जय- अरे क्या हुआ भाई.. ऐसी तूफानी रात में यहाँ क्यों खड़े हो? और इस औरत को क्या हुआ है?
गाँव वाला- बाबूजी ये बेचारी जा रही थी.. कि पेड़ की डाल टूट कर इसके सर पर गिर गई.. ज़ख्मी हो गई है बेचारी.. इसको अस्पताल तक पहुँचा दो.. बड़ी मेहरबानी होगी आपकी..
विजय- अरे ये तो बहुत ज़ख्मी है.. तो अब तक तुम क्या कर रहे हो.. इसको लेकर क्यों नहीं गए और इतनी रात को यहाँ खड़े-खड़े क्या कर रहे हो?
गाँव वाला- अरे बाबूजी अभी-अभी ही तो ये सब हुआ है.. हम सब पास के गाँव से आ रहे थे.. तो देखते ही देखते बस ये सब हो गया।
जय- पैदल ही आ रहे थे क्या.. और तुम्हारा गाँव कहाँ है?
रानी- बाबूजी.. बस 2 कोस पर ही हमारा गाँव है.. ले चलो ना.. आपका बड़ा अहसान होगा.. ये मेरी माई है.. भगवान आपका भला करेगा..
इतनी देर से वो लड़की पेड़ की आड़ में खड़ी थी.. तो दोनों का ध्यान उस पर नहीं गया था.. मगर जब वो सामने आई.. तो जय तो बस उसको देखता ही रह गया।
वो करीब 18 साल की एक बड़ी ही खूबसूरत सी लड़की थी.. बड़ी-बड़ी सी कजरारी आँखें और लंबे बाल.. बारिश में भीगे हुए उसके कुर्ते से उसके 30″ के मम्मे साफ-साफ झलक रहे थे। अन्दर शायद उसने काली ब्रा पहनी हुई थी जिसकी पट्टी साफ़ नज़र आ रही थी।
पतली सी कमर के साथ 30″ की मादक और उठी हुई गाण्ड.. जो भीगने के कारण और भी ज़्यादा मस्त लग रही थी।
जय- ओह.. चलो देर क्यों करते हो.. इसको गाड़ी तक ले आओ..
जय और विजय की नजरें आपस में मिलीं और एक इशारे में दोनों ने बात की।
उस औरत को पीछे की सीट पर लेटा दिया.. उसी के साथ में रानी भी बैठ गई।
विजय- देखो भाइयो.. यहाँ बस और किसी के बैठने की जगह नहीं है.. तुम सब पैदल ही आ जाओ.. हम इसको लेकर जाते हैं.. ठीक है ना..
सबने ‘हाँ’ कह दी तो विजय ने गाड़ी आगे बढ़ा दी।
विजय- तेरा नाम क्या है?
रानी- मेरा नाम रानी है बाबूजी..
जय- अरे वाह.. तेरा नाम तो बड़ा प्यारा है.. रानी.. वैसे कितनी साल की हो गई हो? स्कूल वगैरह जाती है या नहीं?
रानी- जी.. मैं 18 साल की हो गई हूँ स्कूल कहाँ जाऊँगी बाबूजी.. बस पहले पहल दो जमात तक गई.. उसके बाद बापू चल बसे.. तो माई अकेली रह गई। अब घर में खाने के लिए मुझे भी माई के साथ काम पर जाना पड़ा।
विजय- अरे.. अरे.. सुनकर बड़ा दुःख हुआ वैसे तू काम क्या करती है?
रानी- जी बाबूजी.. घर का सारा काम जानती हूँ.. खाना बनाना झाड़ू-फटका.. सफाई.. सब कुछ..
जय- अच्छा कितने पैसे कमा लेती है दिन भर में?
रानी- दिन के कहाँ बाबूजी.. किसी घर से 400 तो किसी से 500 महीने के मिल जाते हैं।
विजय- इतना काम.. अरे साले छोड़ हैं सब.. इससे अच्छा तो शहर में मिलता है.. महीने के 3000 तक मिल जाते हैं रहना-खाना.. कपड़े.. वो सब अलग से..
रानी- सच्ची में इतना मिलता है? हमें भी कहीं लगवा दो ना बाबूजी..
विजय- भाई अभी ये 18 की है.. अब आप ही संभालो.. आपकी तो निकल पड़ी..
विजय ने ये बात धीरे से अंग्रेजी में कही थी।
जय- अरे लगवा तो दूँ.. मगर शहर में एक ही घर में काम करना होगा.. वहीं रहना होगा.. हाँ.. महीने के महीने पगार घर भेज देना और दूसरी बात सेठ लोगों के हाथ पाँव भी रात को दबाने होंगे.. तू ये सब कर लेगी?
रानी- अरे बाबूजी.. मैं शहर में रह लूँगी.. और हाथ-पाँव तो क्या.. मैं पूरे बदन की ऐसी मालिश करना जानती हूँ कि सेठ खुश हो जाएगा.. बस आपकी बड़ी दया होगी.. मुझे काम पर लगवा ही दो..
विजय- ले भाई जय.. इसको तो मालिश भी आती है.. अब तो इसको ‘काम’ पर लगाना ही पड़ेगा..
दोस्तो, ये बस बातें करते रहे और गाड़ी चलती रही.. थोड़ी दूर जाने के बाद सड़क से दाहिनी तरफ़ रानी ने बताया कि वो सामने उसका गाँव है।
तो बस विजय ने गाड़ी उसी तरफ़ बढ़ा दी और वहाँ जाकर गाँव के अस्पताल में उसकी माँ को ले गए.. जहाँ डॉक्टर ने अपना काम शुरू कर दिया और रानी इन दोनों के साथ बाहर बैठी रही..
यहाँ बल्ब की रोशनी में रानी के जिस्म की चमक दुगुनी हो गई थी.. जिसे देख कर जय का लंड पैन्ट में अकड़ने लगा था।
क्यों दोस्तों क्या हुआ.. शुरूआत में ही मज़ा लेना चाहते हो क्या.. अरे यह पिंकी सेन की कहानी है.. इतनी आसानी से कुछ नहीं होगा.. और दूसरी बात.. मेरी कहानी में बस यही 3 किरदार.. नहीं.. नहीं.. अभी तो शुरूआत है.. बहुत सारे किरदार आएँगे और जाएँगे.. अबकी बार आपको चक्कर ना आ जाए तो कहना..
दोस्तो, यहाँ के सीन को अभी रोकती हूँ और दूसरे सीन की शुरूआत करती हूँ.. ताकि और भी किरदार आपके सामने आ जाएं.. तो चलिए आज ही की रात इसी वक़्त पर सीधे आपको दिल्ली ले चलती हूँ।
कमरे में दो लड़कियाँ बैठी हुई आपस में बात कर रही थीं और दरवाजे के बाहर के होल पर कोई नजरें गड़ाए उनको देख रहा था।
चलो अब ‘ये लड़कियाँ कौन हैं…’ पहले इनके बारे में जान लेते हैं।
इसमें से एक का नाम है काजल और दूसरी का रश्मि.. अब इनकी आगे की जानकारी भी ले लीजिए..
काजल इसकी उम्र है 21 साल.. रंग गेहुँआ.. कद ठीक-ठाक.. चूचे 34″ के एकदम उठे हुए.. बलखाती कमर 30″ की और एकदम गोल गाण्ड.. बाहर को निकली हुई थी 34″ की..
यह कौन है.. किसकी बेटी है.. यह बाद में बता दूँगी। अभी बस इतना काफ़ी है।
और दूसरी रश्मि की उम्र है 18 साल.. रंग दूध जैसा सफेद.. बला की खूबसूरत.. इसको देख कर कई लड़कों की पैन्ट में तंबू बन जाता है क्योंकि इसका फिगर ही ऐसा है 32″ के नुकीले मम्मों को देखें जरा.. ऐसे नोकदार.. जिसे देसी भाषा में खड़ी चूची भी कहते हैं। एकदम हिरनी जैसी पतली कमर और एटम बम्ब जैसी 32″ की मुलायम मतवाली गाण्ड.. जब यह चलती है.. तो रास्ते में लोग बस यही कहते हैं हाय.. कभी ये पलड़ा ऊपर.. तो कभी वो पलड़ा ऊपर.. आप मेरे कहने का मतलब समझ गए ना.. चलो अब आगे तमाशा देखते हैं।
काजल- अरे यार.. तू भी क्या नखरे कर रही है.. चल आजा आज तुझे भी मज़ा देती हूँ।
रश्मि- नहीं यार काजल.. मुझे ये सब अच्छा नहीं लगता..
काजल- अरे क्या यार.. तू कब तक अपनी जवानी का बोझ लिए घूमेगी.. कितनी खूबसूरत है तू.. तेरे पर लड़के मरते हैं किसी को तो अपनी जवानी का मज़ा दे..
रश्मि- नहीं काजल.. तुम ही करो ये सब.. मुझे ऐसे ही रहने दो..
काजल और रानी साथ एक कमरे में रहती हैं और रोज ‘लेस्बीयन’ करती हैं।
उधर रश्मि अपनी फ्रेण्ड टीना के साथ दूसरे कमरे में रहती थी.. मगर अब कॉलेज की छुट्टियाँ चालू हो गई हैं। रानी और टीना किसी के यहाँ चले गए हैं.. तो काजल और रश्मि को एक ही कमरे में शिफ्ट होना पड़ा.. जैसे-जैसे लड़कियों के घर वाले उनको लेकर जाते रहेंगे.. यहाँ ऐसे ही सबको कमरे बदलना पड़ेगा।
आज काजल के मन में है कि वो रश्मि के साथ मज़ा करे- तू ऐसे नहीं मानेगी.. चल तुझे कुछ दिखाती हूँ.. शायद तेरा मन कुछ करने को करे..
काजल ने अपनी नाईटी निकाल दी और अन्दर उसने कुछ नहीं पहना था।
रश्मि- छी: काजल.. तुमको ज़रा भी शर्म नहीं आ रही.. ऐसे नंगी हो गई हो..
काजल- अरे बस कर यार.. तू जानती है हम दोनों लड़की हैं अब तेरे पास ऐसा क्या खास है.. जो मेरे पास नहीं है..
रश्मि- अच्छा मेरी माँ.. ग़लती हो गई.. हो जा नंगी.. पर अब बस मुझे कुछ भी मत कहना।
काजल- मेरी जान.. तू नंगी हो या ना हो मगर मुझे शांत तो कर दे प्लीज़..
रश्मि- वो कैसे करूँ.. मुझे कुछ भी नहीं आता..
काजल- अरे यार तू तो जानती है.. राजेश यहाँ होता तो कब की उसके पास जाकर अपनी प्यास बुझा लेती.. अब वो यहाँ है नहीं.. और रानी भी चली गई.. प्लीज़ थोड़ी देर मेरे साथ मस्ती कर ना यार प्लीज़..
दोस्तो, काजल एक बिगड़ी हुई लड़की है.. जो चुदाई के खेल में पक्की खिलाड़ी है, वो अपने प्रेमी राजेश से कई बार चुद चुकी थी.. मगर रश्मि बेचारी इन सबसे दूर रहती है।
काजल ने उसको बहुत मनाया.. मगर वो नहीं मानी..
काजल- तू किसी काम की नहीं है.. अब मुझे ही कुछ करना होगा।
काजल थोड़ी गुस्सा हो गई थी और उसने नाईटी पहनी और दरवाजे की तरफ़ जाने लगी।
रश्मि- अरे सॉरी यार.. मुझे ये सब पसन्द नहीं है.. पर तुम कहाँ जा रही हो?
काजल- अरे इस हॉस्टल में 600 लड़कियाँ हैं कोई तो होगी जो मेरे जैसी होगी.. तू बस आराम से सो जा.. मैं तो अपनी चूत की आग मिटा कर ही आऊँगी।
काजल को दरवाजे की ओर आता देख कर वो शख्स जो कब से सब देख रहा था.. वो जल्दी से पीछे को हट गया और कॉरीडोर में दाहिनी तरफ को भाग गया।
काजल कमरे से बाहर निकली और थोड़ा सोच कर वो भी दाहिनी तरफ चलने लगी। तभी कॉरीडोर की लाइट चली गई और वहाँ एकदम अंधेरा हो गया।
काजल- ओह.. शिट.. ये लाइट को भी अभी जाना था..
वो अंधेरे में धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी.. उसको कुछ दिखाई नहीं दे रहा था।
कुछ देर बाद किसी ने काजल के मुँह पर हाथ रख दिया और उसकी कमर को मजबूती से पकड़ लिया, इस अचानक हुए हमले से काजल की तो जान ही निकल गई।
साया- मुझे पता है.. तुम्हें क्या चाहिए.. और मैं वो तुम्हें दे सकता हूँ.. अगर चिल्लाओ नहीं.. तो मैं मुँह से हाथ हटा देता हूँ.. पर अगर चिल्लाईं तो ठीक नहीं होगा।
काजल ने ‘हाँ’ में सर हिलाया तो उस साये ने अपना हाथ हटाया।
काजल- कौन हो तुम और यहाँ क्या कर रहे हो?
साया- मैं कौन हूँ.. यह जानना जरूरी नहीं.. मेरे पास वो आइटम है.. जिसकी आपको बहुत जरूरत है।
काजल- क्या आइटम है.. मैं कुछ समझी नहीं.. मुझे किस चीज की जरूरत है?
उस साये ने पैन्ट की ज़िप खोली.. उसका लौड़ा तना हुआ था.. जो झट से बाहर आ गया, उसने काजल का हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया।
काजल ने जब लौड़े को पकड़ा.. तो उसके जिस्म में करंट सा दौड़ गया.. उसने जल्दी से हाथ हटा लिया- यह क्या बदतमीज़ी है.. कौन हो तुम?
साया- मिस काजल.. आपको अभी इसी की जरूरत है.. अब ये नाटक बन्द करो और हाँ कह दो..
काजल- मुझे कुछ नहीं चाहिए.. जाओ यहाँ से.. नहीं तो मैं शोर मचा दूँगी।
साया- ओके ओके.. जाता हूँ.. मगर दोबारा सोच लो.. ऐसा तगड़ा लौड़ा दोबारा नहीं मिलेगा.. तुम्हारी तड़प को मैं ही मिटा सकता हूँ.. अगर नहीं लेना है.. तो मैं जाता हूँ.. बाय.. जान.. तुम अकेली घूमो.. कोई नहीं मिलेगी तुम्हें.. सब सो गई हैं हा हा हा हा।
काजल समझ गई कि ये जरूर यहाँ का चौकीदार प्रमोद होगा.. क्योंकि वही इस समय यहाँ घूमता रहता है।
काजल- प्रमोद, मुझे पता है.. यह तुम ही हो.. बोलो.. नहीं तो मैं सुबह मैडम को बता दूँगी..
साया- हा हा हा.. अरे जान क्यों उस गरीब को मरवा रही हो.. मैं कोई प्रमोद नहीं हूँ.. तुमको अगर चुदना है.. तो हाँ बोलो.. नहीं तो मैं कहीं और जाता हूँ।
दोस्तो ये कहानी कॉपी पेस्ट है पर आपको पसंद आएगी
काली अंधेरी रात में बारिश जोरों से हो रही थी और एक कार स्पीड से सड़क पर दौड़ रही थी, यह करीब रात के 10 बजे की बात होगी।
जय- अरे यार धीरे चला.. मरवाएगा क्या.. देख सड़क पर पानी ही पानी फैला है.. कोई सामने आ गया तो ब्रेक भी नहीं लगेगा।
दोस्तो, यह है जय खन्ना.. उम्र 20 साल रंग गोरा.. कद 5’9″.. स्लिम बॉडी और बेहद अमीर रणविजय खन्ना जो दिल्ली के बड़े प्रॉपर्टी डीलर हैं.. उनका बेटा है। पैसों के बल पर इसमें थोड़ा बिगाड़ आ गया है.. या देसी भाषा में कहो.. तो पक्का चोदू हो गया है ये.. बस लड़की देखी नहीं कि नियत खराब..
विजय- अबे डर गया तू.. साले फट्टू.. कुछ नहीं होगा.. गाड़ी मैं चला रहा हूँ.. विजय दि रॉकस्टार.. तू बस देख..
यह है विजय खन्ना.. कहने को तो यह जय का चचेरा भाई है.. मगर दोनों रहते एकदम दोस्त की तरह हैं। वैसे तो विजय ठीक है.. मगर जय ने इसको भी अपने रंग में ढाल लिया है। कभी-कभी ये भी जय के साथ रंगरेलियाँ मना लेता है। वैसे विजय के पापा के देहांत के बाद रणविजय खन्ना ने ही इसको संभाला है। अब ये दोनों साथ ही रहते हैं। बाकी के बारे में बाद में बता दूँगी। इसकी भी उम्र लगभग 20 साल की ही है और बाकी सब भी जय जैसा ही है।
चलिए आगे चलते हैं..
जय- अरे मेरे भाई.. डर मरने का नहीं लग रहा.. अगर एक्सीडेंट के बाद हम बच भी गए.. तो लूले लंगड़े हो जाएँगे.. अभी तो हमने ठीक से अय्याशी भी नहीं की है..
विजय- अबे कुछ नहीं होगा.. हमारे पास इतने पैसे हैं कि लूले हो भी गए तो भी अय्याशी में फ़र्क नहीं आने वाला।
जय- अरे रुक-रुक.. वो देख.. उधर क्या तमाशा हो रहा है?
सड़क से कुछ दूर बिजली की गड़गड़ाहट के साथ जय को कुछ अजीब सा दिखा तो उसने विजय को रुकने को कहा।
विजय ने गाड़ी को धीरे किया और रोका.. तब तक वो कुछ आगे निकल आए थे।
जय के कहने पर विजय ने गाड़ी वापस पीछे ली।
जय- बस बस.. यहीं रोक यार.. वहाँ कुछ लोग जमा हैं और शायद कोई लड़की भी है.. मुझे हल्का सा कुछ दिखा है।
विजय- भाई.. तू पक्का लड़कीबाज है.. अंधेरे में भी लड़की ताड़ ली.. चल देखते हैं क्या मामला है।
दोनों ने रेन कोट पहने हुए थे.. तो आराम से गाड़ी से बाहर निकल गए और उन लोगों के पास पहुँच गए।
जब वो पास को गए.. तो वहाँ कुछ आदमी और एक लड़की खड़ी थी और पास में एक औरत नीचे लेती हुई कराह रही थी.. जिसके सर से खून निकल रहा था।
जय- अरे क्या हुआ भाई.. ऐसी तूफानी रात में यहाँ क्यों खड़े हो? और इस औरत को क्या हुआ है?
गाँव वाला- बाबूजी ये बेचारी जा रही थी.. कि पेड़ की डाल टूट कर इसके सर पर गिर गई.. ज़ख्मी हो गई है बेचारी.. इसको अस्पताल तक पहुँचा दो.. बड़ी मेहरबानी होगी आपकी..
विजय- अरे ये तो बहुत ज़ख्मी है.. तो अब तक तुम क्या कर रहे हो.. इसको लेकर क्यों नहीं गए और इतनी रात को यहाँ खड़े-खड़े क्या कर रहे हो?
गाँव वाला- अरे बाबूजी अभी-अभी ही तो ये सब हुआ है.. हम सब पास के गाँव से आ रहे थे.. तो देखते ही देखते बस ये सब हो गया।
जय- पैदल ही आ रहे थे क्या.. और तुम्हारा गाँव कहाँ है?
रानी- बाबूजी.. बस 2 कोस पर ही हमारा गाँव है.. ले चलो ना.. आपका बड़ा अहसान होगा.. ये मेरी माई है.. भगवान आपका भला करेगा..
इतनी देर से वो लड़की पेड़ की आड़ में खड़ी थी.. तो दोनों का ध्यान उस पर नहीं गया था.. मगर जब वो सामने आई.. तो जय तो बस उसको देखता ही रह गया।
वो करीब 18 साल की एक बड़ी ही खूबसूरत सी लड़की थी.. बड़ी-बड़ी सी कजरारी आँखें और लंबे बाल.. बारिश में भीगे हुए उसके कुर्ते से उसके 30″ के मम्मे साफ-साफ झलक रहे थे। अन्दर शायद उसने काली ब्रा पहनी हुई थी जिसकी पट्टी साफ़ नज़र आ रही थी।
पतली सी कमर के साथ 30″ की मादक और उठी हुई गाण्ड.. जो भीगने के कारण और भी ज़्यादा मस्त लग रही थी।
जय- ओह.. चलो देर क्यों करते हो.. इसको गाड़ी तक ले आओ..
जय और विजय की नजरें आपस में मिलीं और एक इशारे में दोनों ने बात की।
उस औरत को पीछे की सीट पर लेटा दिया.. उसी के साथ में रानी भी बैठ गई।
विजय- देखो भाइयो.. यहाँ बस और किसी के बैठने की जगह नहीं है.. तुम सब पैदल ही आ जाओ.. हम इसको लेकर जाते हैं.. ठीक है ना..
सबने ‘हाँ’ कह दी तो विजय ने गाड़ी आगे बढ़ा दी।
विजय- तेरा नाम क्या है?
रानी- मेरा नाम रानी है बाबूजी..
जय- अरे वाह.. तेरा नाम तो बड़ा प्यारा है.. रानी.. वैसे कितनी साल की हो गई हो? स्कूल वगैरह जाती है या नहीं?
रानी- जी.. मैं 18 साल की हो गई हूँ स्कूल कहाँ जाऊँगी बाबूजी.. बस पहले पहल दो जमात तक गई.. उसके बाद बापू चल बसे.. तो माई अकेली रह गई। अब घर में खाने के लिए मुझे भी माई के साथ काम पर जाना पड़ा।
विजय- अरे.. अरे.. सुनकर बड़ा दुःख हुआ वैसे तू काम क्या करती है?
रानी- जी बाबूजी.. घर का सारा काम जानती हूँ.. खाना बनाना झाड़ू-फटका.. सफाई.. सब कुछ..
जय- अच्छा कितने पैसे कमा लेती है दिन भर में?
रानी- दिन के कहाँ बाबूजी.. किसी घर से 400 तो किसी से 500 महीने के मिल जाते हैं।
विजय- इतना काम.. अरे साले छोड़ हैं सब.. इससे अच्छा तो शहर में मिलता है.. महीने के 3000 तक मिल जाते हैं रहना-खाना.. कपड़े.. वो सब अलग से..
रानी- सच्ची में इतना मिलता है? हमें भी कहीं लगवा दो ना बाबूजी..
विजय- भाई अभी ये 18 की है.. अब आप ही संभालो.. आपकी तो निकल पड़ी..
विजय ने ये बात धीरे से अंग्रेजी में कही थी।
जय- अरे लगवा तो दूँ.. मगर शहर में एक ही घर में काम करना होगा.. वहीं रहना होगा.. हाँ.. महीने के महीने पगार घर भेज देना और दूसरी बात सेठ लोगों के हाथ पाँव भी रात को दबाने होंगे.. तू ये सब कर लेगी?
रानी- अरे बाबूजी.. मैं शहर में रह लूँगी.. और हाथ-पाँव तो क्या.. मैं पूरे बदन की ऐसी मालिश करना जानती हूँ कि सेठ खुश हो जाएगा.. बस आपकी बड़ी दया होगी.. मुझे काम पर लगवा ही दो..
विजय- ले भाई जय.. इसको तो मालिश भी आती है.. अब तो इसको ‘काम’ पर लगाना ही पड़ेगा..
दोस्तो, ये बस बातें करते रहे और गाड़ी चलती रही.. थोड़ी दूर जाने के बाद सड़क से दाहिनी तरफ़ रानी ने बताया कि वो सामने उसका गाँव है।
तो बस विजय ने गाड़ी उसी तरफ़ बढ़ा दी और वहाँ जाकर गाँव के अस्पताल में उसकी माँ को ले गए.. जहाँ डॉक्टर ने अपना काम शुरू कर दिया और रानी इन दोनों के साथ बाहर बैठी रही..
यहाँ बल्ब की रोशनी में रानी के जिस्म की चमक दुगुनी हो गई थी.. जिसे देख कर जय का लंड पैन्ट में अकड़ने लगा था।
क्यों दोस्तों क्या हुआ.. शुरूआत में ही मज़ा लेना चाहते हो क्या.. अरे यह पिंकी सेन की कहानी है.. इतनी आसानी से कुछ नहीं होगा.. और दूसरी बात.. मेरी कहानी में बस यही 3 किरदार.. नहीं.. नहीं.. अभी तो शुरूआत है.. बहुत सारे किरदार आएँगे और जाएँगे.. अबकी बार आपको चक्कर ना आ जाए तो कहना..
दोस्तो, यहाँ के सीन को अभी रोकती हूँ और दूसरे सीन की शुरूआत करती हूँ.. ताकि और भी किरदार आपके सामने आ जाएं.. तो चलिए आज ही की रात इसी वक़्त पर सीधे आपको दिल्ली ले चलती हूँ।
कमरे में दो लड़कियाँ बैठी हुई आपस में बात कर रही थीं और दरवाजे के बाहर के होल पर कोई नजरें गड़ाए उनको देख रहा था।
चलो अब ‘ये लड़कियाँ कौन हैं…’ पहले इनके बारे में जान लेते हैं।
इसमें से एक का नाम है काजल और दूसरी का रश्मि.. अब इनकी आगे की जानकारी भी ले लीजिए..
काजल इसकी उम्र है 21 साल.. रंग गेहुँआ.. कद ठीक-ठाक.. चूचे 34″ के एकदम उठे हुए.. बलखाती कमर 30″ की और एकदम गोल गाण्ड.. बाहर को निकली हुई थी 34″ की..
यह कौन है.. किसकी बेटी है.. यह बाद में बता दूँगी। अभी बस इतना काफ़ी है।
और दूसरी रश्मि की उम्र है 18 साल.. रंग दूध जैसा सफेद.. बला की खूबसूरत.. इसको देख कर कई लड़कों की पैन्ट में तंबू बन जाता है क्योंकि इसका फिगर ही ऐसा है 32″ के नुकीले मम्मों को देखें जरा.. ऐसे नोकदार.. जिसे देसी भाषा में खड़ी चूची भी कहते हैं। एकदम हिरनी जैसी पतली कमर और एटम बम्ब जैसी 32″ की मुलायम मतवाली गाण्ड.. जब यह चलती है.. तो रास्ते में लोग बस यही कहते हैं हाय.. कभी ये पलड़ा ऊपर.. तो कभी वो पलड़ा ऊपर.. आप मेरे कहने का मतलब समझ गए ना.. चलो अब आगे तमाशा देखते हैं।
काजल- अरे यार.. तू भी क्या नखरे कर रही है.. चल आजा आज तुझे भी मज़ा देती हूँ।
रश्मि- नहीं यार काजल.. मुझे ये सब अच्छा नहीं लगता..
काजल- अरे क्या यार.. तू कब तक अपनी जवानी का बोझ लिए घूमेगी.. कितनी खूबसूरत है तू.. तेरे पर लड़के मरते हैं किसी को तो अपनी जवानी का मज़ा दे..
रश्मि- नहीं काजल.. तुम ही करो ये सब.. मुझे ऐसे ही रहने दो..
काजल और रानी साथ एक कमरे में रहती हैं और रोज ‘लेस्बीयन’ करती हैं।
उधर रश्मि अपनी फ्रेण्ड टीना के साथ दूसरे कमरे में रहती थी.. मगर अब कॉलेज की छुट्टियाँ चालू हो गई हैं। रानी और टीना किसी के यहाँ चले गए हैं.. तो काजल और रश्मि को एक ही कमरे में शिफ्ट होना पड़ा.. जैसे-जैसे लड़कियों के घर वाले उनको लेकर जाते रहेंगे.. यहाँ ऐसे ही सबको कमरे बदलना पड़ेगा।
आज काजल के मन में है कि वो रश्मि के साथ मज़ा करे- तू ऐसे नहीं मानेगी.. चल तुझे कुछ दिखाती हूँ.. शायद तेरा मन कुछ करने को करे..
काजल ने अपनी नाईटी निकाल दी और अन्दर उसने कुछ नहीं पहना था।
रश्मि- छी: काजल.. तुमको ज़रा भी शर्म नहीं आ रही.. ऐसे नंगी हो गई हो..
काजल- अरे बस कर यार.. तू जानती है हम दोनों लड़की हैं अब तेरे पास ऐसा क्या खास है.. जो मेरे पास नहीं है..
रश्मि- अच्छा मेरी माँ.. ग़लती हो गई.. हो जा नंगी.. पर अब बस मुझे कुछ भी मत कहना।
काजल- मेरी जान.. तू नंगी हो या ना हो मगर मुझे शांत तो कर दे प्लीज़..
रश्मि- वो कैसे करूँ.. मुझे कुछ भी नहीं आता..
काजल- अरे यार तू तो जानती है.. राजेश यहाँ होता तो कब की उसके पास जाकर अपनी प्यास बुझा लेती.. अब वो यहाँ है नहीं.. और रानी भी चली गई.. प्लीज़ थोड़ी देर मेरे साथ मस्ती कर ना यार प्लीज़..
दोस्तो, काजल एक बिगड़ी हुई लड़की है.. जो चुदाई के खेल में पक्की खिलाड़ी है, वो अपने प्रेमी राजेश से कई बार चुद चुकी थी.. मगर रश्मि बेचारी इन सबसे दूर रहती है।
काजल ने उसको बहुत मनाया.. मगर वो नहीं मानी..
काजल- तू किसी काम की नहीं है.. अब मुझे ही कुछ करना होगा।
काजल थोड़ी गुस्सा हो गई थी और उसने नाईटी पहनी और दरवाजे की तरफ़ जाने लगी।
रश्मि- अरे सॉरी यार.. मुझे ये सब पसन्द नहीं है.. पर तुम कहाँ जा रही हो?
काजल- अरे इस हॉस्टल में 600 लड़कियाँ हैं कोई तो होगी जो मेरे जैसी होगी.. तू बस आराम से सो जा.. मैं तो अपनी चूत की आग मिटा कर ही आऊँगी।
काजल को दरवाजे की ओर आता देख कर वो शख्स जो कब से सब देख रहा था.. वो जल्दी से पीछे को हट गया और कॉरीडोर में दाहिनी तरफ को भाग गया।
काजल कमरे से बाहर निकली और थोड़ा सोच कर वो भी दाहिनी तरफ चलने लगी। तभी कॉरीडोर की लाइट चली गई और वहाँ एकदम अंधेरा हो गया।
काजल- ओह.. शिट.. ये लाइट को भी अभी जाना था..
वो अंधेरे में धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी.. उसको कुछ दिखाई नहीं दे रहा था।
कुछ देर बाद किसी ने काजल के मुँह पर हाथ रख दिया और उसकी कमर को मजबूती से पकड़ लिया, इस अचानक हुए हमले से काजल की तो जान ही निकल गई।
साया- मुझे पता है.. तुम्हें क्या चाहिए.. और मैं वो तुम्हें दे सकता हूँ.. अगर चिल्लाओ नहीं.. तो मैं मुँह से हाथ हटा देता हूँ.. पर अगर चिल्लाईं तो ठीक नहीं होगा।
काजल ने ‘हाँ’ में सर हिलाया तो उस साये ने अपना हाथ हटाया।
काजल- कौन हो तुम और यहाँ क्या कर रहे हो?
साया- मैं कौन हूँ.. यह जानना जरूरी नहीं.. मेरे पास वो आइटम है.. जिसकी आपको बहुत जरूरत है।
काजल- क्या आइटम है.. मैं कुछ समझी नहीं.. मुझे किस चीज की जरूरत है?
उस साये ने पैन्ट की ज़िप खोली.. उसका लौड़ा तना हुआ था.. जो झट से बाहर आ गया, उसने काजल का हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया।
काजल ने जब लौड़े को पकड़ा.. तो उसके जिस्म में करंट सा दौड़ गया.. उसने जल्दी से हाथ हटा लिया- यह क्या बदतमीज़ी है.. कौन हो तुम?
साया- मिस काजल.. आपको अभी इसी की जरूरत है.. अब ये नाटक बन्द करो और हाँ कह दो..
काजल- मुझे कुछ नहीं चाहिए.. जाओ यहाँ से.. नहीं तो मैं शोर मचा दूँगी।
साया- ओके ओके.. जाता हूँ.. मगर दोबारा सोच लो.. ऐसा तगड़ा लौड़ा दोबारा नहीं मिलेगा.. तुम्हारी तड़प को मैं ही मिटा सकता हूँ.. अगर नहीं लेना है.. तो मैं जाता हूँ.. बाय.. जान.. तुम अकेली घूमो.. कोई नहीं मिलेगी तुम्हें.. सब सो गई हैं हा हा हा हा।
काजल समझ गई कि ये जरूर यहाँ का चौकीदार प्रमोद होगा.. क्योंकि वही इस समय यहाँ घूमता रहता है।
काजल- प्रमोद, मुझे पता है.. यह तुम ही हो.. बोलो.. नहीं तो मैं सुबह मैडम को बता दूँगी..
साया- हा हा हा.. अरे जान क्यों उस गरीब को मरवा रही हो.. मैं कोई प्रमोद नहीं हूँ.. तुमको अगर चुदना है.. तो हाँ बोलो.. नहीं तो मैं कहीं और जाता हूँ।