hotaks444
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जय की बात सुनकर रानी का डर थोड़ा कम होता है.. वहीं विजय उसके चूचुकों को बड़े आराम से चूस रहा था.. तो रानी को मज़ा आ रहा था।
रानी- आह्ह.. हाँ बाबूजी.. आह्ह.. मज़ा तो बहुत आ रहा है.. लेकिन अन्दर मत डालना.. नहीं तो मैं मर जाऊँगी..
जय- अरे डर मत.. कुछ नहीं होगा.. बस ऊपर से मज़ा दूँगा.. थोड़ा अन्दर टच करूँगा.. तू डर मत.. हाँ बस आँख बन्द करके मज़ा लेती रह.. समझी..
जय ने लौड़े को रानी की चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया.. जिससे उसकी चूत की आग और भड़क गई।
रानी- कककक.. आह.. बाबूजी.. आह्ह.. आप जैसा कर रहे हो.. उससे आह्ह.. बहुत अच्छा लग रहा है.. आह्ह.. थोड़ा जल्दी इससस्स.. आह्ह.. जल्दी करो ना..
विजय रानी के निप्पल को चुटकी में दबाता हुआ कहता हैं भाई लोहा गर्म है.. मार दो हथौड़ा..
इतना सुनकर जय की आँखों में वासना दिखने लगती है.. वो लौड़े को चूत पर सैट करता है.. और हाथ से दबाव बनाता है.. मगर रानी की चूत बहुत टाइट थी.. लौड़ा आगे जाने का नाम ही नहीं ले रहा था.. तो जय ने ढेर सारा थूक लौड़े पर लगाया।
रानी की चूत तो पानी-पानी हो ही रही थी.. उसको गीला करने की जरूरत नहीं थी.. बस इस बार जय ने रानी की चूत को एक हाथ से फैलाया और सुपारे को उसमे फँसा दिया।
रानी- इससस्स.. आह.. बाबूजी उफ़फ्फ़ मेरी फुद्दी में कुछ हो रहा है.. आह्ह.. ज़ोर से रगड़ो ना.. आह्ह..
ये पहली बार था कि रानी ने ‘नीचे’ की जगह ‘फुद्दी’ कहा था.. अब वो गरम हो कर चरम पर आ गई थी.. किसी भी पल उसका बाँध टूट सकता था और जय को इसी मौके की तलाश थी।
जय ने थोड़ा दबाव बढ़ाया तो लौड़ा फिसल कर ऊपर को निकल गया।
रानी कमर को झटके देने लगी.. उसकी चूत से पानी बहने लगा.. वो मदहोशी में झड़ रही थी.. बस तभी जय ने चूत को सहलाया.. सुपारा वैसे ही सैट किया और अबकी बार हाथ हटाए बिना ज़ोर से धक्का मारा..
रानी अभी झड़ कर पूरी भी नहीं हुई थी कि ये काण्ड हो गया.. वो बेचारी तो जन्नत में घूम रही थी.. अचानक दहकता हुआ अंगार के समान जय का लौड़ा चूत को फैलाता हुआ 3″ अन्दर घुस गया और खून की एक लकीर लौड़े से चिपक कर होते हुए चूत से बाहर आने लगी।
रानी को एक ही पल में जन्नत से दोजख की याद आ गई.. वो इतने ज़ोर से चीखी कि पूरे फार्म पर उसकी ये चीख सुनाई दी होगी।
रानी- आआअ… आआआअ… बा..बू..जी.. आहह्हह्ह… मैं मर गई रे.. अहह.. मम्मी रे..
जय- अरे क्या सुन रहा है.. साली ने कान के पर्दे हिला दिए.. बन्द कर मुँह..
विजय रानी के सर के पास उकड़ू बैठा और अपना लौड़ा उसके मुँह में घुसा दिया।
अब उसकी चीखें तो बन्द हो गई थीं.. मगर उसकी आँखों से आँसुओं का सैलाब उमड़ पड़ा।
जय- आह.. उहह.. क्या गर्म चूत है रे.. रानी तेरी.. आह.. लौड़ा जलने लगा है उफ़फ्फ़…
विजय- चूस ना साली.. क्या कर रही है.. उफ्फ.. दाँत मत लगा रे आह्ह..
जय लौड़े को चूत में बहुत कसा हुआ महसूस कर रहा था.. वो धीरे-धीरे लौड़े को आगे पीछे कर रहा था और रानी बस रोए जा रही थी, उसकी आँखें एकदम लाल हो गई थीं.. विजय का लौड़ा मुँह में होने के कारण उसको सांस लेने में दिक्कत हो रही थी।
तभी जय ने एक जोरदार धक्का मारा और पूरा लौड़ा चूत को फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया।
इस ख़तरनाक प्रहार को रानी सह नहीं पाई और अपना होश खो दिया.. जिसे देख कर विजय घबरा गया और जल्दी से मुँह से लौड़ा बाहर निकाल लिया।
विजय- भाई ये मर गई क्या.. कुछ बोल नहीं रही.. देख इसकी आँखें कैसे फटी हुई हैं..
जय- अरे कुछ नहीं हुआ इसे.. पूरा लौड़ा अन्दर गया तो ये ऐसी हो गई.. थोड़ा हिला इसको.. आह्ह.. मज़ा आ गया क्या टाइट चूत है।
विजय ने रानी के चेहरे को थोड़ा हिलाया तो वो होश में आई और रोने लगी कि उसको बहुत दर्द हो रहा है।
जय- अरे रानी.. बस थोड़ी देर दर्द होगा.. उसके बाद तुझे मज़ा आएगा.. आह्ह.. बस थोड़ा सहन कर ले आह्ह.. उहह..
जय चूत में झटके देने लगा और रानी हर धक्के के साथ ‘आह’ भरती।
करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद रानी का दर्द कुछ कम हुआ।
विजय उसके पास बैठा हुआ.. उसके गालों को सहला रहा था.. उसे तसल्ली दे रहा था।
रानी- आह्ह.. ईसस्स.. आह.. बाबूजी ये आपने क्या कर दिया.. उउउहह.. मुझे कहीं का नहीं छोड़ा.. ओह्ह..
जय- अरे पगली रोती क्यों है.. तुझे रानी बना कर रखूँगा.. आह्ह.. ले.. अब आह्ह.. चुदाई का मज़ा ले आह्ह.. उहह..
जय की ठुकाई से अब रानी की चूत में दर्द के साथ एक मीठा अहसास भी होने लगा था.. उसकी कामवासना फिर से जाग उठी थी।
रानी- आह उईई.. बाबूजी उफ़फ्फ़ आह.. मर गई.. आह्ह.. ज़ोर से करो आह.. उईई…
अब जय स्पीड से लौड़े को अन्दर-बाहर करने लग गया और कुछ ही देर में उसके लौड़े ने वीर्य की धार रानी की चूत में मारी.. जिससे चूत पानी-पानी हो गई और धारा से धारा मिल गई यानि रानी भी झड़ गई।
जय ने जब चूत से लौड़ा बाहर निकाला तो सफेद और लाल रंग का मिला-जुला पानी लौड़े के साथ बाहर आया।
जय- आह रानी.. तेरी चूत तो आग की भट्टी थी रे.. साला लौड़ा देख कैसे लाल हो गया है।
रानी कुछ ना बोली और बस उसी हालत में पड़ी रही।
विजय- यार तेरा तो हो गया.. मेरा लौड़ा वैसे का वैसा तना खड़ा है।
जय- तुझे किसने रोका है.. कर दे इसका मुहूरत तू भी..
विजय- मुहूरत तो आपने कर दिया.. अब मैं क्या खाक करूँ.. और चूत का हाल तो देखो.. कैसे पानी और खून से भरी पड़ी है.. इसमें कौन लौड़ा पेलेगा..
रानी- आह्ह.. आह्ह.. बाबूजी.. मुझ पर रहम करो.. आह्ह.. मेरी फुद्दी में बहुत दर्द है.. मैं अब सह नहीं पाऊँगी.. आह्ह.. मर जाऊँगी..
विजय- अरे साली.. कुछ नहीं होगा तुझे.. अभी तो सील टूट गई.. अब क्या होने वाला है तुझे..
जय- तुझे करना है तो कर.. मैं तो चला कमरे में.. पूरा गंदा हो गया हूँ.. जाकर नहाऊँगा..
जय वहाँ से चला गया.. तो विजय ने चादर से रानी की चूत को अच्छे से साफ किया। वो कराह रही थी मगर विजय पर तो चुदास सवार थी.. उसने रानी के पैरों को मोड़ा और लौड़े को चूत पर टिका कर ज़ोर का धक्का मार दिया.. बस आधा लौड़ा घुसते ही रानी के चीखें फिर से कमरे में गूँजने लगीं और विजय के तगड़े लौड़े ने रानी का हाल से बेहाल कर दिया।
विजय- उफ्फ.. भाई सही कह रहा था.. तेरी चूत तो बड़ी क़यामत है रे साली..
रानी- आह उहह.. नहीं बाबूजी.. आह्ह.. मेरी जान निकल रही है.. आह नहीं.. करो..
विजय दे दनादन लौड़ा पेले जा रहा था और रानी चीखे जा रही थी।
कुछ देर बार रानी की चूत में दर्द कम हुआ और चूत की चिकनाहट के कारण लौड़ा आसानी से अन्दर-बाहर होने लगा।
रानी- आह.. ईससस्स.. नहीं उईईइ.. आह.. मर गई ओह.. बाबूजी आह्ह.. आराम से उफ्फ.. आह्ह.. नहीं ओह.. उउउहह आह ससस्स..
विजय का लौड़ा पहले ही बहुत गर्म था अब रानी की सीत्कारों से उसकी वासना और बढ़ गई। वो तेज़ी से धक्के देने लगा और कुछ ही देर में उसका ज्वालामुखी चूत नाम की गुफा में फट गया और वो निढाल सा होकर रानी के पास में लेट गया।
रानी- आह्ह.. हाँ बाबूजी.. आह्ह.. मज़ा तो बहुत आ रहा है.. लेकिन अन्दर मत डालना.. नहीं तो मैं मर जाऊँगी..
जय- अरे डर मत.. कुछ नहीं होगा.. बस ऊपर से मज़ा दूँगा.. थोड़ा अन्दर टच करूँगा.. तू डर मत.. हाँ बस आँख बन्द करके मज़ा लेती रह.. समझी..
जय ने लौड़े को रानी की चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया.. जिससे उसकी चूत की आग और भड़क गई।
रानी- कककक.. आह.. बाबूजी.. आह्ह.. आप जैसा कर रहे हो.. उससे आह्ह.. बहुत अच्छा लग रहा है.. आह्ह.. थोड़ा जल्दी इससस्स.. आह्ह.. जल्दी करो ना..
विजय रानी के निप्पल को चुटकी में दबाता हुआ कहता हैं भाई लोहा गर्म है.. मार दो हथौड़ा..
इतना सुनकर जय की आँखों में वासना दिखने लगती है.. वो लौड़े को चूत पर सैट करता है.. और हाथ से दबाव बनाता है.. मगर रानी की चूत बहुत टाइट थी.. लौड़ा आगे जाने का नाम ही नहीं ले रहा था.. तो जय ने ढेर सारा थूक लौड़े पर लगाया।
रानी की चूत तो पानी-पानी हो ही रही थी.. उसको गीला करने की जरूरत नहीं थी.. बस इस बार जय ने रानी की चूत को एक हाथ से फैलाया और सुपारे को उसमे फँसा दिया।
रानी- इससस्स.. आह.. बाबूजी उफ़फ्फ़ मेरी फुद्दी में कुछ हो रहा है.. आह्ह.. ज़ोर से रगड़ो ना.. आह्ह..
ये पहली बार था कि रानी ने ‘नीचे’ की जगह ‘फुद्दी’ कहा था.. अब वो गरम हो कर चरम पर आ गई थी.. किसी भी पल उसका बाँध टूट सकता था और जय को इसी मौके की तलाश थी।
जय ने थोड़ा दबाव बढ़ाया तो लौड़ा फिसल कर ऊपर को निकल गया।
रानी कमर को झटके देने लगी.. उसकी चूत से पानी बहने लगा.. वो मदहोशी में झड़ रही थी.. बस तभी जय ने चूत को सहलाया.. सुपारा वैसे ही सैट किया और अबकी बार हाथ हटाए बिना ज़ोर से धक्का मारा..
रानी अभी झड़ कर पूरी भी नहीं हुई थी कि ये काण्ड हो गया.. वो बेचारी तो जन्नत में घूम रही थी.. अचानक दहकता हुआ अंगार के समान जय का लौड़ा चूत को फैलाता हुआ 3″ अन्दर घुस गया और खून की एक लकीर लौड़े से चिपक कर होते हुए चूत से बाहर आने लगी।
रानी को एक ही पल में जन्नत से दोजख की याद आ गई.. वो इतने ज़ोर से चीखी कि पूरे फार्म पर उसकी ये चीख सुनाई दी होगी।
रानी- आआअ… आआआअ… बा..बू..जी.. आहह्हह्ह… मैं मर गई रे.. अहह.. मम्मी रे..
जय- अरे क्या सुन रहा है.. साली ने कान के पर्दे हिला दिए.. बन्द कर मुँह..
विजय रानी के सर के पास उकड़ू बैठा और अपना लौड़ा उसके मुँह में घुसा दिया।
अब उसकी चीखें तो बन्द हो गई थीं.. मगर उसकी आँखों से आँसुओं का सैलाब उमड़ पड़ा।
जय- आह.. उहह.. क्या गर्म चूत है रे.. रानी तेरी.. आह.. लौड़ा जलने लगा है उफ़फ्फ़…
विजय- चूस ना साली.. क्या कर रही है.. उफ्फ.. दाँत मत लगा रे आह्ह..
जय लौड़े को चूत में बहुत कसा हुआ महसूस कर रहा था.. वो धीरे-धीरे लौड़े को आगे पीछे कर रहा था और रानी बस रोए जा रही थी, उसकी आँखें एकदम लाल हो गई थीं.. विजय का लौड़ा मुँह में होने के कारण उसको सांस लेने में दिक्कत हो रही थी।
तभी जय ने एक जोरदार धक्का मारा और पूरा लौड़ा चूत को फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया।
इस ख़तरनाक प्रहार को रानी सह नहीं पाई और अपना होश खो दिया.. जिसे देख कर विजय घबरा गया और जल्दी से मुँह से लौड़ा बाहर निकाल लिया।
विजय- भाई ये मर गई क्या.. कुछ बोल नहीं रही.. देख इसकी आँखें कैसे फटी हुई हैं..
जय- अरे कुछ नहीं हुआ इसे.. पूरा लौड़ा अन्दर गया तो ये ऐसी हो गई.. थोड़ा हिला इसको.. आह्ह.. मज़ा आ गया क्या टाइट चूत है।
विजय ने रानी के चेहरे को थोड़ा हिलाया तो वो होश में आई और रोने लगी कि उसको बहुत दर्द हो रहा है।
जय- अरे रानी.. बस थोड़ी देर दर्द होगा.. उसके बाद तुझे मज़ा आएगा.. आह्ह.. बस थोड़ा सहन कर ले आह्ह.. उहह..
जय चूत में झटके देने लगा और रानी हर धक्के के साथ ‘आह’ भरती।
करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद रानी का दर्द कुछ कम हुआ।
विजय उसके पास बैठा हुआ.. उसके गालों को सहला रहा था.. उसे तसल्ली दे रहा था।
रानी- आह्ह.. ईसस्स.. आह.. बाबूजी ये आपने क्या कर दिया.. उउउहह.. मुझे कहीं का नहीं छोड़ा.. ओह्ह..
जय- अरे पगली रोती क्यों है.. तुझे रानी बना कर रखूँगा.. आह्ह.. ले.. अब आह्ह.. चुदाई का मज़ा ले आह्ह.. उहह..
जय की ठुकाई से अब रानी की चूत में दर्द के साथ एक मीठा अहसास भी होने लगा था.. उसकी कामवासना फिर से जाग उठी थी।
रानी- आह उईई.. बाबूजी उफ़फ्फ़ आह.. मर गई.. आह्ह.. ज़ोर से करो आह.. उईई…
अब जय स्पीड से लौड़े को अन्दर-बाहर करने लग गया और कुछ ही देर में उसके लौड़े ने वीर्य की धार रानी की चूत में मारी.. जिससे चूत पानी-पानी हो गई और धारा से धारा मिल गई यानि रानी भी झड़ गई।
जय ने जब चूत से लौड़ा बाहर निकाला तो सफेद और लाल रंग का मिला-जुला पानी लौड़े के साथ बाहर आया।
जय- आह रानी.. तेरी चूत तो आग की भट्टी थी रे.. साला लौड़ा देख कैसे लाल हो गया है।
रानी कुछ ना बोली और बस उसी हालत में पड़ी रही।
विजय- यार तेरा तो हो गया.. मेरा लौड़ा वैसे का वैसा तना खड़ा है।
जय- तुझे किसने रोका है.. कर दे इसका मुहूरत तू भी..
विजय- मुहूरत तो आपने कर दिया.. अब मैं क्या खाक करूँ.. और चूत का हाल तो देखो.. कैसे पानी और खून से भरी पड़ी है.. इसमें कौन लौड़ा पेलेगा..
रानी- आह्ह.. आह्ह.. बाबूजी.. मुझ पर रहम करो.. आह्ह.. मेरी फुद्दी में बहुत दर्द है.. मैं अब सह नहीं पाऊँगी.. आह्ह.. मर जाऊँगी..
विजय- अरे साली.. कुछ नहीं होगा तुझे.. अभी तो सील टूट गई.. अब क्या होने वाला है तुझे..
जय- तुझे करना है तो कर.. मैं तो चला कमरे में.. पूरा गंदा हो गया हूँ.. जाकर नहाऊँगा..
जय वहाँ से चला गया.. तो विजय ने चादर से रानी की चूत को अच्छे से साफ किया। वो कराह रही थी मगर विजय पर तो चुदास सवार थी.. उसने रानी के पैरों को मोड़ा और लौड़े को चूत पर टिका कर ज़ोर का धक्का मार दिया.. बस आधा लौड़ा घुसते ही रानी के चीखें फिर से कमरे में गूँजने लगीं और विजय के तगड़े लौड़े ने रानी का हाल से बेहाल कर दिया।
विजय- उफ्फ.. भाई सही कह रहा था.. तेरी चूत तो बड़ी क़यामत है रे साली..
रानी- आह उहह.. नहीं बाबूजी.. आह्ह.. मेरी जान निकल रही है.. आह नहीं.. करो..
विजय दे दनादन लौड़ा पेले जा रहा था और रानी चीखे जा रही थी।
कुछ देर बार रानी की चूत में दर्द कम हुआ और चूत की चिकनाहट के कारण लौड़ा आसानी से अन्दर-बाहर होने लगा।
रानी- आह.. ईससस्स.. नहीं उईईइ.. आह.. मर गई ओह.. बाबूजी आह्ह.. आराम से उफ्फ.. आह्ह.. नहीं ओह.. उउउहह आह ससस्स..
विजय का लौड़ा पहले ही बहुत गर्म था अब रानी की सीत्कारों से उसकी वासना और बढ़ गई। वो तेज़ी से धक्के देने लगा और कुछ ही देर में उसका ज्वालामुखी चूत नाम की गुफा में फट गया और वो निढाल सा होकर रानी के पास में लेट गया।