Nangi Sex Kahani ए दिले नादान - Page 2 - SexBaba
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Nangi Sex Kahani ए दिले नादान

ताई- अब क्या करे 
मैं – पता नहीं 
वो- क्या मतलब 
मैं- अब तो यही इंतज़ार करना होगा जब तक की कोई दूसरा साधन न आये या सुबह नहीं हो जाये 
ताई- सुबह तक इंतजार कर लुंगी क्या पता इसके जैसा ही कोई आ निकला तो 
मैं – बात तो सही है पर यहाँ रोड पर भी तो खड़े नहीं रह सकते उपर से तुम इतनी खूबसूरत हो की देख कर किसी का भी ईमान हिल जाये, एक काम करते है इधर उधर कोई जगह देखते है किसी तरह से रात तो काटनी ही होगी 
ताई- हम्म 
हमने कुछ दूर घुमा तो रोड से थोड़ी दूर एक कच्ची सी झोपडी दिख गयी कभी रहता होगा कोई पर अब तो बस खस्ता ही थी छत भी आधी टूटी थी पर सुबह होने में ज्यादा समय नहीं था तो तब तक टाइमपास करना ही था 
मैं- ताई अपन दोनों अकेले है 
वो- हां 
मैं- तो क्यों ना कर ले 
वो- ऐसे खुल्ले में 
मैं – अपने सिवा कौन है यहाँ इसी बहाने से टाइम कट जायेगा 
वो- पर कपडे नहीं उतरूंगी 
मैं- हाँ बस कच्छी उतार लो 
ताई ने अपनी कच्छी उतारी तो मैंने उसे अपनी जेब में रख लिया और ताई की साडी को कमर तक ऊपर कर दिया ताई का ठोस निचला हिस्सा मेर्री नजरो के सामने था मैं ताई के चूतडो पर हाथ फेरने लगा उफ्फ्फ कितने मस्त चुतड थे ताई के 
एक बार फिर हमारे होंठ एक दुसरे से चिपके हुए थे जिस्मो से जिस्म जो रगड़ खाने लगा तो थोड़ी गर्मी मिलने लगी कुछ देर की चूमा चाटी के बाद मैंने ताई को अपने घुटनों पर झुका दिया थोडा सा थूक उसकी चूत पर लगाया और अपने लंड को तैयार कर दिया 
एक बार जो चूत में लंड गया तो मजा ही मजा मेरे हर धक्के पर उसके चुतड हिलने लगे ताई मस्ताने लगी ताई की चूडियो की आवाज हवा में घुलने लगी वो थोडा सा और निचे को झुक गयी ताकि मैं रगड़ के उसको चोद सकू अब इतनी जगह भी तो नहीं थी की मनमर्जी कर सके तो खड़े खड़े ही चुदाई करते रहे 
फिर मैंने ताई को ऊपर किया और आमने सामने होकर चुदाई करने लगे मैंने उसके ब्लाउज को खोल दिया और ब्रा को ऊपर करके चूची पर मुह लगा दिया ताई भी अपनी कमर को आगे पीछे करके मजा ले रही थी जब हमे कई देर हो गयी तो ताई बोली- अन्दर मत गिराना 
पर मेरा ध्यान धक्के मारने पर था तो करीब बीस पच्चीस मिनट तक हम दोनों चुदाई करते रहे फिर हम अलग हुए चुदते ही ताई मूतने लगी पास में , मैं एक बड़ा पत्थर ले आया और हम उस पर बैठ गए मैंने घडी में टाइम देखा ढाई हो रहे थे अभी थोडा और टाइम था दिन निकलने में 
ताई- घर पर चिंता हो रही होगी 
मैं- वो तो है पर अब क्या किया जाये 
कुछ देर हमने बाते की फिर से हमारा मूड बन ने लगा तो एक बार और लिपट लिए हल्का हलका उजाला होने लगा था तो करीब 5 बजे हम लोग वापिस सड़क पर आ गए और इंतज़ार करने लगे साढ़े 5 बजे एक दूध की वैन आई तो मैंने हाथ दिया और उसको बताया 
तो पता चला की हम करीब २० किलोमीटर दूर है उसने हमे बिठाया और शहर तक छोड़ा फिर हमने ऑटो किया और घर आये नाना बहुत परेशां था हमने सारी बात उसको बताई पहले तो उसने भी थोडा गुस्सा किया की ऐसा नहीं करना चाहिए था पर चलो अंत भला तो सब भला 

रात की नींद थी तो मैं तो सो गया फिर सीधा रात को ही उठा और टीवी देख के टाइम पास किया अगले दिन हम नानी के साथ बाज़ार गए और काफी शौपिंग की नानी ने हमको कपडे और दूसरा सामान दिलवाया पूरी दोपहर हम बाज़ार में ही घूमते रहे 
मैंने देखा की नानी थोड़ी भावुक सी हो रही थी पर क्या करे जाना तो था ही ट्रेन की टिकट बुक थी और वैसे भी ये दिन कैसे गुजर गए थे पता ही नहीं चला था वो रात बस बातो बातो में ही गुजरी अगले दिन दोपहर को हमने ट्रेन ली नाना-नानी दोनों स्टेशन तक छोड़ने आये थे 
ताई के साथ जो घटना हुई थी उस से मैं खुद को उसके बहुत करीब महसूस कर रहा था ताई ने जब कहा था की वो भी पहले से ही मुझसे चुदना चाहती थी तो मैंने सोचा की मैं ही चुतिया हु जो कभी इस बात को पहले नहीं समझ पाया 
पर जो होता है सही टाइम पर ही होता है तो रेल में भी ताई को पेला मैंने और उसके जिस्म का भरपूर मजा लेते हुए हम अपने घर आ गए ताई का सामान उसके घर पटका और फिर मैं अपने घर आया सबसे दुआ सलाम हुई दो दिन के सफ़र से मैं थका हुआ था कुछ सफ़र कुछ ताई ने तोड़ दिया था तो मैंने सोना ही उचित समझा 
अगले दिन सुबह सुबह ही रोहित आ गया और पूछने लगा तो मैंने जूठा सच्चा बताया उसको और पीछा छुड़ाया फिर मैंने अपनी साइकिल ली और तन्न तन्न घंटी बजाते हुए चल दिया खेत की और तो वहा जाकर देखा की पिताजी पहले से मोजूद थे 
खेतो पर एक साइड में काफी झाड झंखाड़ हुआ था तो उसको साफ़ किया एक साइड में हमने ज्वार बोई हुई थी उसको देख रहा था पानी छोड़ा हुआ था चरी में की एक औरत और उसकी बेटी खेत में आई पिताजी से कुछ बात की और फिर मेरी तरफ आने लगी 
पर वो औरत ने उस लड़की को चलने को कहा और वो वापिस पिताजी की तरफ मुड गयी वो लड़की मेरे पास आई और बोली- चरी का खुद्द लेना है 
मैं- ले ले किसने रोका है 
वो- सबसे अच्छा कौन सा है 
मैं- सारी फसल एक सी है जो दिल करे वो ले ले 
उसने इधर उधर देखा और बोली- ये वाला ठीक है 
मैं- हम्म्म्म 
मैंने उस लड़की की तरफ देखा मेरी ही उम्र की होगी पर गोरी बहुत थी सूट फिटिंग का पहना हुआ था तो और मस्त लग रही थी माथे पे पसीना बह रहा था तो खूबसूरती और थोड़ी बढ़ गयी थी
उसने अपना दुपट्टा कमर पर खोसा और लगी काटने चरी मैं उसे देखने लगा 
वो- इतना भी घुर के ना देख कभी छोरी ना देखि 
मैं- मैं कहा तुझे देख रहा मैं तो फसल देख रहा 
वो- फसल में के सोना चांदी जड़े हुए है 
मैं- ना वो तो ना है 
वो- तो फिर अपना काम करो मुझे अपना करने दो 
मैं वहा से हट गया और पिताजी के पास गया तो वो बोले- इन्होने 6 खुद्दे चरी के लिए है कल से ये शाम को ले जाया करेंगी तो तू थोडा देख लिए एक दो और लोग भी आयेंगे 
मैं- जी 
तभी रोहित भी आ गया और हम दोनों थोड़ी दूर जाके खेत की मेध पर बैठ गए 
मैं- ओये, ये छोरी कौन है नजर ना पड़ी कभी 
वो- भाई ये रो राशन डिपो वाला सादिक है ना उसकी छोरी है अपना उनके मोहल्ले में क्या काम तो इसलिए नजर न पड़ी 
मैं- दिखे तो गजब है यार 
वो- हां, पर हाथ ना आणि 
मै- तू तो बस उल्टा सोच ले अपने को क्या करना अब सुन्दर है तो तारीफ तो होगी ही 
वो- वो तो है भाई पर मैं ये कहने आया था की मम्मी बुला रही थी तुझे 
मैं- क्यों 
वो- मेरे को नहीं पता पर मैंने बता दिया 
मैं- ठीक है और बता 
वो- और कुछ ना रात को खेत में सोऊंगा आज लाइट का नम्बर है तो पूरी रात पानी दूंगा बल्कि मैं तो बोलता हु की दोनों भाई साथ ही रुकते है खेत में 
मैं- ना भाई तू ही रह जब मैं पानी दे रहा था तू आया था के 
वो- भाई तू नाराज बहुत होता है चल मैं चलता हु 
मैं – कहा जा रहा है 
वो- एक दोस्त से मिलने जाना है तो साइकिल लेने आया था 
मैं- ले जा 
पिताजी भी चले गए थे मैं वही रुका रहा तो वो औरत मेरे पास आई और बोली- बेटे मैं चरी लेके जा रही हु मुस्कान यही है तो थोडा ध्यान रखना 
मैं- काकी दो चक्कर लगाओगे मुस्कान के सर पे भी लाद दो 
वो- लायी तो इसी वास्ते थी पर वो मना कर रही है तो मुझे ही मेहनत करनी होगी 
मैं- कोई बात न आप आराम इ आओ मैं तो शमा तक यही रहूँगा 
तो मुस्कान नाम था छोरी का , जैसे ही उसकी माँ खेत की हद से बाहर हुई मैं पंहुचा उसके पास वो बैठी थी वही पर 
मैं- मुस्कान यहाँ क्यों बैठी है उधर बैठ जा 
वो- ना ठीक हु पर तुझे मेरा नाम कैसे पता लगा 
मैं- ढूंढने वाले तो चाँद का पता पूछ लेते नाम क्या चीज़ है 
वो- हां, मेरी माँ ने बताया होगा 
मैं- हां 
वो- मैंने देखा एक दो बार तुझे हमारी दुकान में तेल लेने आता है ना 
मैं- पर हमने तो ना देखा तुझे 
वो- तो मैं क्या करू 
मैं- कह तो ऐसे रही है जैसे की सारा दिन मेरा ही कहना मानती है नाम मुस्कान है पर बाते कटीली करती है 
वो- अच्छी ना लग रही तो बैठ जा परे 
मैं- चल जाने दे और बता पढाई लिखाई कैसी चल रही है 
वो- ठीक है अबकी बार साइंस है तो दिक्कत है 
मैं- हा वो तो है वैसे कहा पढ़े है तू 
वो- तू के वकील है जो सवाल पे सवाल करता जा रहा है 
मैं- तू तो बुरा मान गयी मैं तो ऐसे ही पूछ रहा था 
वो- मैं क्यों बुरा मानूंगी , मैं राठ इंटरनेशनल में 
मैं- सच में 


वो- ना झूटी हु मैं तो 
मैं- वो तो बहुत बड़ा है 
वो- फीस भी तगड़ी है वैसे तू कहा पढता है 
मैं- सरकारी में 
वो- तभी 
मैं- तभी के 
वो- कुछ ना बातो में ना लगा और काम करने के माँ आती होगी नहीं तो फिर मेरा सर खाएगी 
मैं- एक बात बोलू बुरा ना माने तो 
वो- बोल 
मैं- बहुत खूबसूरत है तू 
वो- जानती हु सब ऐसा ही बोलते है 
मैंने दूर से उसकी माँ को आते देखा तो मैं वापिस कुवे पर आ गया जो भी बचा काम था निपटाया बीच बीच में मैंने मुस्कान को भी देखा पर वो अपने काम में मस्त थी मैंने उसकी माँ को बता दिया की मैं चार बजे आता हु खेत पर पर उसकी मर्ज़ी है वो कभी भी आये जाये 
उसके बाद मैं घर गया नहाया और फिर रोहित के घर पहुच गया ताई मुझे देखते ही खुश हो गयी मैंने किवाड़ बंद किया और ताई को बाहों में भर लिया दो चार बार चूमा उसको और बोला- रोहित कह रहा था बुलाया था 
वो- हाँ, तेरे बिना दिल नहीं लग रहा था 
मैं- दिल तो मेरा भी नहीं लग रहा 
वो-आज रात अकेली हु रोहित खेत में होगा तो आजा 
मैं- जुगाड़ करता हु कुछ अभी कर लो एक बार 
वो- ना अभी ना, रोहित आने वाला है तो ठीक नहीं होगा रात को पूरी ऐश करवाउंगी त्तेरी 
मैं- ठीक है पर बुलाया क्यों था 
वो- तेरे कपडे मेरे बेग में रह गए थे ले जा 
उसके बाद मैंने ताई को थोडा और गर्म किया और अपने घर आ गया और सोचने लगा की कैसे रात को जाऊ घर से बाहर बापू को पता चला तो गांड तोड़ेगा बहुत पर चूत का चस्का भी गजब है इन्सान इसके लिए बड़ा रिस्क भी उठा लेता है तो हम बापू की मार ना खा सकते क्या वैसे भी हम तो छत पर सोते है क्या पता चले किसी को 
कपडे मैले पड़े थे धो डाले उनको उसके बाद मैं पिताजी के पास गया 
मैं- वो मैं कह रहा था की इस खटारा स्कूटर को बेच के मोटर साइकिल ले ले तो ठीक रहे 
वो- मेरा काम स्कूटर से हो जाता है 
मैं- पर मुझे भी तो चाहिए 
वो- साइकिल है तो तेरे पास 
मैं- पर मैं सोच रहा था की 
वो- ज्यादा मत सोचा कर तू वैसे तेरी मम्मी कह रही थी की वो तुजे डेक लेना है 
मैं- जी
वो- क्या करेगा फिर सारा दिन तेज आवाज में बजाएगा पड़ोसियों तक को परेशां करेगा 
मैं- जी, वो सबके पास है सब बजाते है तो मुझे भी इच्छा है 
वो- कितने का आएगा 
मैं- १०००-११०० तक का 
वो- हम्म चल ठीक है कल तेरी मम्मी से पैसे ले लियो और सुन पढाई पे भी ध्यान देना कही फिर उसके चक्कर में ही लगा रहे 
मैं- जी 
उसके बाद कुछ और गुफ्तुगू हुई पर मेरा पूरा ध्यान था तो कैसे रात को ताई के घर जाया जाए
 
रात के ग्यारह बजे मैंने एक बार चेक किया सब लोग सो रहे थे गली में सन्नाटा छाया हुआ था मैं सावधानी से छत से उतरा और दबे पाँव ताई के घर की तरफ बढ़ निकला अब दिक्कत ये थी की रात को कुछ लोग घर के बाहर भी सोते थे तो कोई देख ना ले
ऊपर स इस तरह का काम कभी किया नहीं था पर चूत का नशा जो चढ़ा था छुपते छुपाते मैं ताई के घर पहुच गया और दरवाजे को हल्का सा धक्का दिया वो बिना आवाज के खुल गया और मैं घुस गया अंदर सांकल लगाई और बढ़ा ताई के कमरे में 
ताई जाग ही रही थी मुझे देख कर खुश हो गयी और मैंने भी उसको भर लिया अपनी बाहों में 
ताई- आ गया मैं सोची नहीं आएगा 
मैं- तू बुलाये और मैं ना आऊ ऐसा हो सकता है क्या मेरी जान , बस अब कोई बात नहीं अब तो काम होगा पहले पता है कितना तड़प रहा हु मैं 
ताई- और मेरा कुछ नहीं 
मैं- तो फिर देर किस बात की 
मैंने ताई के घाघरे का नाडा खीच दिया औ ताई निचे से पूरी नंगी हो गयी अन्दर कच्छी तो पहनी ही नहीं थी उसने पूरी तयारी करके बैठी थी , मैंने फटाफट अपने कपड़ो को भी आजाद किया और ताई को पीछे से पकड़ के उसकी चूची चोली के ऊपर से ही दबाने लगा 
मैं- आज समझा की चोली के पीछे क्या है 
वो- क्या है 
मैं- बोबे है तेरे वो उस गाने में नहीं बोलती की चोली के पीछे क्या है अब जाके समझा हु मतलब उस बात का 
ताई- उतार दे चोली को 
और बस एक मिनट बाद हम दोनों नंगे चिपके हुए थे एक दुसरे से ताई ने अपना हाथ पीछे किया और मेरे लंड को पकड़ लिया उसकी नरम उंगलियों ने जैसे मुझे पागल ही कर दिया था उसके नाख़ून मेरे सुपाडे को खरोंच रहे तो मेरे हाथ भी उसके चुच्को को मसल रहे थे 
मैं ताई के कान को अपने दांतों से काटने लगा तो ताई की पलके भारी होने लगी वो अपनी गांड को मेरे अगले हिस्से से रगड़ने लगी 
“मुझे तो तूने पागल ही कर दिया है छोरे ” बोली ताई 
मैं- तू भी कम नहीं है , कितना रस टपकता है तेरे हुस्न से तू ऐसा प्याला है नशे का की जितना पियो उतना कम जी करता है की तेरे इस रस को बस चखता ही जाऊ 
ताई- तेरे लिए समंदर खोल दिया है आ डूब जा मुज में 
मैंने अपने लंड पर थूक लगाया और ताई की एक टांग को थोडा सा ऊपर किया मेरे लंड ने जैसे ही महसूस किया ताई की चूत को तो वो मचल गया और जैसे ही मैंने उसे आगे को धकेला वो ताई की चूत में घुसने लगा और जल्दी ही गहराइयों में जाकर गुम हो गया 
मैंने धीमे से ताई के कान को काटा 
“उम्म्म्म ”
मैंने लंड को आगे पीछे करना शुरू किया और साथ ही उसकी चूची मसलने लगा तो ताई ने अपनी आहो से सुलगा ही दिया कमरे को मैं सोचने लगा की कितनी चुदासी औरत है ये और ताऊ तो साल में दो तीन बार ही आता है तो क्या इसके मेरे आलावा और किसी से भी सम्बन्ध होंगे 
क्योंकि उसमे इतनी आग भरी थी की हर कोई उसमे झुलस जाए ताई की रस छोडती चूत को फैलाते हुए मेरा लंड ताई को अपने चरम की और धकेल रहा था ताई की चूत बहुत टाइट हो रही थी और उसके मुलायम चुतड जो धीरे धीरे रगड़ खा कर मुझे पागल कर रहे थे 
पर अभी थोडा और जलना बाकी था, मैंने ताई की चूत से लंड बाहर खीचा और ताई को बिस्तर पर ले आया मैं लेट गया और ताई मेरे ऊपर आ गयी कुछ देर वो अपनी चूत के दाने पर मेरे सुपाडे को रगड़ती रही ताई का चेहरा उत्तेजना से एक दम लाल हुआ पड़ा था 
और धीरे धीरे मेरे लंड पर बैठने लगी, बड़े प्यार से वो अपने चूतडो को मटकाते हुए मेरे लंड को ले रही थी अन्दर और फिर उसक चुतड मेरे अन्डकोशो से टकराए मैंने अपने दोनों हाथो में उसके बड़े बड़े नितम्बो को थाम लिया और ताई ने अपनी गांड को पटकना चालू किया 
उसकी चुचिया मेरे मुह पर लटक रही थी तो मैंने उसको अपने मुह में भर लिया और चूसने लगा तो ताई और जोश में आकर चुदाई करने लगी इन बीते कुछ दिनों में हम दोनों एक दुसरे के कितने करीब अ गए थे ऐसा मैंने कभी सोचा नहीं था 
पर चलो जो है वो ठीक है अपने को तो चूत से मतलब था और वो अपने को मिल रही थी ठप्प ठप्प उसकी गांड मेरे लंड पर पड़ रही थी और जब वो बार बार अपनी चूत को कस लेती तो कसम से मजा ही आ जाता ऐसे ही कई देर तक वो करती रही 
उसके बाद मैं उसके ऊपर आ गया उसने अपनी टांगो को ऊपर उठा लिया और बस आँखे बंद करके मेरे धक्को का मजा लेने लगी एक बार फिर से हम दोनों के होंठ आपस में जुड़ चुके थे और किस करते हुए हम दोनों झड़ने की तरफ बढ़ रहे थे 
दिल में अरमान मचल रहे थे और जज्बात तो शोलो में बदल कर भड़के हुए थे और फिर मैंने अपनी रफ़्तार को एक पल के लिए रोका और ताई की चूत में अपना वीर्य गिराने लगा ताई ने मुझे जकड़ लिया अपनी बाहों में और झड़ने लगी कुछ देर तक हम दोनों एक दुसरे को महसूस करते रहे झाड़ते हुए 
मैं ताई की बगल में लेट गया वो भी मुझ से चिपक गयी कुछ देर हम लेटे रहे पर रात भी अपनी ही थी और ताई भी अपनी ही तो एक बार और चुदाई की हमने उसके बाद करीब तीन बजे मैं उसके घर से निकला और अपने घर पंहुचा सब लोग सोये पड़े थे तो मैंने भी छत पर अपना बिस्तर पकड़ लिया
 
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