hotaks444
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नौकरी हो तो ऐसी--8
गतान्क से आगे......
जब मैं उस बगल के कमरे मे पहुचा तो दंग रह गया, लगभग सत्तर अस्सी लोग पूजा के लिए खड़े हुए थे, अब पूजा शुरू हो रही थी, मैं सारे लोगो के पीछे जाके खड़ा हो गया, और आरती शुरू हो गयी, अब गाव से और दस बारह लोग आ गये, और मेरे पीछे खड़े हो गये.
इस सब हड़बड़ाहट मे मैं कब महिलाओ की साइड के पीछे आ गया मुझे पता ही नही चला. मैं अब बहुत सारी औरतो के पीछे खड़ा था, और कितना भी टालू, उनसे स्पर्स तो हो ही रहा था, मेरे सामने एक लाल रंग की सारी मे एक महिला खड़ी थी. एकदम स्लिम थी, परंतु जैसे के मैं पीछेसे देख पा रहा था, उसके चुचिया एकदम भरी हुई थी, और लटक रही थी, अब और ज़्यादा लोग आ गये और इस वजह से हम लोग एक दूसरे के और नज़दीक आ गये, जैसे ही मेरा स्पर्श होने लगा उसकी सासे तेज़ होने लगती थी, वो लाल कॉलर की सारी मे और ब्लाउस मे एकदम उत्तेजक दिख रही थी, उसके गांद के घेराव सारी के बीच पूरे छिपे हुए थे.
थोड़ी ही देर मे हमारे रामजी लाल सारी वाली महिला के पिछवाड़े से टकराने लगे और हमारी जान निकलने लगी, सोच रहे थे कि कही कोई देख लेगा तो जिंदगी की पूरी वाट लगा देगा, पर वासना तो दोनोकी जागृत हो चुकी थी, मैं थोड़ा पीछे हो गया, परंतु अब उसकी बारी थी वो महिला भी पीछे हो गयी और मेरे लंड महाराज फिरसे उनके गंद के घेराव से चिपक गये.
अब मुझसे थोड़े ही रहा जाने वाला था, मैं अब आगे हो गया और उस महिला के पूरी गांद से चिपक गया और लंड को उसके पिछवाड़े पे घिसने लगा, वाह क्या महॉल था, और हम लोग क्या कर रहे थे, मैं पीछेसे उसकी गांद को घिसते हुए उसकी चुचिया देख रहा था, उसने अपनी सारी चुचियो से थोड़ी बाजू कर दी, सो मैं देख सकु, अब मुझे उसकी आधी नग्न चुचिया दिखाने लगी, वाह क्या नज़ारा था. बहुत ही गोरी गोरी थी उसकी चुचिया
अब पिछवाड़े पे लंड घिसते घिसते मेरा लंड इतना तन गया कि, कोई बाजू वाला देखता तो तुरंत पकड़ लेता कि ये क्या कर रहा है! मैने उसकी सारी के बीच बनी पहाड़ो की दरार मे अपना लंड घुसा दिया, और संभोग की कल्पना करते हुए आगे पीछे हिलने लगा, वो महिला अब काफी गरम हो गयी थी, और एक हाथ को पीछे निकाल के मेरी पॅंट के अंदर हाथ डालने की कोशिश किए जा रही थी, परंतु इतने सारे लोगो के बीच वो बात मुमकिन नही हो पा रही थी.
मेरे मंन मे उस महिला के साथ संभोग करने की इच्छा ने अब बहुत उछाल ले लिया था, और मुझे सिर्फ़ उस महिला के साथ कर रहे संभोग का चित्र नज़र आ रहा था, उसकी गरम गरम और नर्मा नरम चुचिया मुझे चूसने के लिए निमंत्रण दे रही थी.
अभी पूजा लगभग ख़तम होने को थी, और लोग बाहर जाने की हड़बड़ाहट मे दिख रहे थे, बहुने दुरसे मुझे देखा और मुझे देखकर आँख मारी, मैं असल मे क्या कर रहा था उसे क्या पता होगा भला? मेरी अंडरवेर अंदर वीर्य से पहले निकलनेवाले पानी से लंड से चिपकेने लगी थी, और मुझे कैसे भी करके अभी किसी को चोदना था.
गतान्क से आगे......
जब मैं उस बगल के कमरे मे पहुचा तो दंग रह गया, लगभग सत्तर अस्सी लोग पूजा के लिए खड़े हुए थे, अब पूजा शुरू हो रही थी, मैं सारे लोगो के पीछे जाके खड़ा हो गया, और आरती शुरू हो गयी, अब गाव से और दस बारह लोग आ गये, और मेरे पीछे खड़े हो गये.
इस सब हड़बड़ाहट मे मैं कब महिलाओ की साइड के पीछे आ गया मुझे पता ही नही चला. मैं अब बहुत सारी औरतो के पीछे खड़ा था, और कितना भी टालू, उनसे स्पर्स तो हो ही रहा था, मेरे सामने एक लाल रंग की सारी मे एक महिला खड़ी थी. एकदम स्लिम थी, परंतु जैसे के मैं पीछेसे देख पा रहा था, उसके चुचिया एकदम भरी हुई थी, और लटक रही थी, अब और ज़्यादा लोग आ गये और इस वजह से हम लोग एक दूसरे के और नज़दीक आ गये, जैसे ही मेरा स्पर्श होने लगा उसकी सासे तेज़ होने लगती थी, वो लाल कॉलर की सारी मे और ब्लाउस मे एकदम उत्तेजक दिख रही थी, उसके गांद के घेराव सारी के बीच पूरे छिपे हुए थे.
थोड़ी ही देर मे हमारे रामजी लाल सारी वाली महिला के पिछवाड़े से टकराने लगे और हमारी जान निकलने लगी, सोच रहे थे कि कही कोई देख लेगा तो जिंदगी की पूरी वाट लगा देगा, पर वासना तो दोनोकी जागृत हो चुकी थी, मैं थोड़ा पीछे हो गया, परंतु अब उसकी बारी थी वो महिला भी पीछे हो गयी और मेरे लंड महाराज फिरसे उनके गंद के घेराव से चिपक गये.
अब मुझसे थोड़े ही रहा जाने वाला था, मैं अब आगे हो गया और उस महिला के पूरी गांद से चिपक गया और लंड को उसके पिछवाड़े पे घिसने लगा, वाह क्या महॉल था, और हम लोग क्या कर रहे थे, मैं पीछेसे उसकी गांद को घिसते हुए उसकी चुचिया देख रहा था, उसने अपनी सारी चुचियो से थोड़ी बाजू कर दी, सो मैं देख सकु, अब मुझे उसकी आधी नग्न चुचिया दिखाने लगी, वाह क्या नज़ारा था. बहुत ही गोरी गोरी थी उसकी चुचिया
अब पिछवाड़े पे लंड घिसते घिसते मेरा लंड इतना तन गया कि, कोई बाजू वाला देखता तो तुरंत पकड़ लेता कि ये क्या कर रहा है! मैने उसकी सारी के बीच बनी पहाड़ो की दरार मे अपना लंड घुसा दिया, और संभोग की कल्पना करते हुए आगे पीछे हिलने लगा, वो महिला अब काफी गरम हो गयी थी, और एक हाथ को पीछे निकाल के मेरी पॅंट के अंदर हाथ डालने की कोशिश किए जा रही थी, परंतु इतने सारे लोगो के बीच वो बात मुमकिन नही हो पा रही थी.
मेरे मंन मे उस महिला के साथ संभोग करने की इच्छा ने अब बहुत उछाल ले लिया था, और मुझे सिर्फ़ उस महिला के साथ कर रहे संभोग का चित्र नज़र आ रहा था, उसकी गरम गरम और नर्मा नरम चुचिया मुझे चूसने के लिए निमंत्रण दे रही थी.
अभी पूजा लगभग ख़तम होने को थी, और लोग बाहर जाने की हड़बड़ाहट मे दिख रहे थे, बहुने दुरसे मुझे देखा और मुझे देखकर आँख मारी, मैं असल मे क्या कर रहा था उसे क्या पता होगा भला? मेरी अंडरवेर अंदर वीर्य से पहले निकलनेवाले पानी से लंड से चिपकेने लगी थी, और मुझे कैसे भी करके अभी किसी को चोदना था.