Nangi Sex Kahani नौकरी हो तो ऐसी - Page 3 - SexBaba
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Nangi Sex Kahani नौकरी हो तो ऐसी

नौकरी हो तो ऐसी--8

गतान्क से आगे...... 
जब मैं उस बगल के कमरे मे पहुचा तो दंग रह गया, लगभग सत्तर अस्सी लोग पूजा के लिए खड़े हुए थे, अब पूजा शुरू हो रही थी, मैं सारे लोगो के पीछे जाके खड़ा हो गया, और आरती शुरू हो गयी, अब गाव से और दस बारह लोग आ गये, और मेरे पीछे खड़े हो गये. 

इस सब हड़बड़ाहट मे मैं कब महिलाओ की साइड के पीछे आ गया मुझे पता ही नही चला. मैं अब बहुत सारी औरतो के पीछे खड़ा था, और कितना भी टालू, उनसे स्पर्स तो हो ही रहा था, मेरे सामने एक लाल रंग की सारी मे एक महिला खड़ी थी. एकदम स्लिम थी, परंतु जैसे के मैं पीछेसे देख पा रहा था, उसके चुचिया एकदम भरी हुई थी, और लटक रही थी, अब और ज़्यादा लोग आ गये और इस वजह से हम लोग एक दूसरे के और नज़दीक आ गये, जैसे ही मेरा स्पर्श होने लगा उसकी सासे तेज़ होने लगती थी, वो लाल कॉलर की सारी मे और ब्लाउस मे एकदम उत्तेजक दिख रही थी, उसके गांद के घेराव सारी के बीच पूरे छिपे हुए थे. 

थोड़ी ही देर मे हमारे रामजी लाल सारी वाली महिला के पिछवाड़े से टकराने लगे और हमारी जान निकलने लगी, सोच रहे थे कि कही कोई देख लेगा तो जिंदगी की पूरी वाट लगा देगा, पर वासना तो दोनोकी जागृत हो चुकी थी, मैं थोड़ा पीछे हो गया, परंतु अब उसकी बारी थी वो महिला भी पीछे हो गयी और मेरे लंड महाराज फिरसे उनके गंद के घेराव से चिपक गये. 

अब मुझसे थोड़े ही रहा जाने वाला था, मैं अब आगे हो गया और उस महिला के पूरी गांद से चिपक गया और लंड को उसके पिछवाड़े पे घिसने लगा, वाह क्या महॉल था, और हम लोग क्या कर रहे थे, मैं पीछेसे उसकी गांद को घिसते हुए उसकी चुचिया देख रहा था, उसने अपनी सारी चुचियो से थोड़ी बाजू कर दी, सो मैं देख सकु, अब मुझे उसकी आधी नग्न चुचिया दिखाने लगी, वाह क्या नज़ारा था. बहुत ही गोरी गोरी थी उसकी चुचिया 

अब पिछवाड़े पे लंड घिसते घिसते मेरा लंड इतना तन गया कि, कोई बाजू वाला देखता तो तुरंत पकड़ लेता कि ये क्या कर रहा है! मैने उसकी सारी के बीच बनी पहाड़ो की दरार मे अपना लंड घुसा दिया, और संभोग की कल्पना करते हुए आगे पीछे हिलने लगा, वो महिला अब काफी गरम हो गयी थी, और एक हाथ को पीछे निकाल के मेरी पॅंट के अंदर हाथ डालने की कोशिश किए जा रही थी, परंतु इतने सारे लोगो के बीच वो बात मुमकिन नही हो पा रही थी. 

मेरे मंन मे उस महिला के साथ संभोग करने की इच्छा ने अब बहुत उछाल ले लिया था, और मुझे सिर्फ़ उस महिला के साथ कर रहे संभोग का चित्र नज़र आ रहा था, उसकी गरम गरम और नर्मा नरम चुचिया मुझे चूसने के लिए निमंत्रण दे रही थी. 

अभी पूजा लगभग ख़तम होने को थी, और लोग बाहर जाने की हड़बड़ाहट मे दिख रहे थे, बहुने दुरसे मुझे देखा और मुझे देखकर आँख मारी, मैं असल मे क्या कर रहा था उसे क्या पता होगा भला? मेरी अंडरवेर अंदर वीर्य से पहले निकलनेवाले पानी से लंड से चिपकेने लगी थी, और मुझे कैसे भी करके अभी किसी को चोदना था. 
 
थोड़ी ही देर मे पूजा ख़तम हुई और सब लोग बाहर निकलने लगे मैं भी बाहर आके खड़ा हो गया, मैं जिस महिला से चिपक रहा था और जिस से संभोग करने की इच्छा कर रहा था वो मेरे सामने से गुजर रही थी, वो अपने पति के साथ आई थी, उसने अपने पति से कुछ कहा और उसका पति बाहर जाके खड़ा हो गया, अभी लगभग सभी लोग चले गये थे, बरामदे मे बस 3-4 पुरुष और 5-6 महिलाए खड़ी थी, जो कि निकलने की तैय्यारि मे थी, रात के लगभग 8 बज रहे थे. 

मैं एक पलंग पे जाके बैठ गया, और वो महिला दरवाजे पे खड़ी थी, थोड़ी देर बाद मुझे वो कुछ तो इशारा देने लगी, परंतु मेरे कुछ समझ मे नही आ रहा था, लंबे समय के इशारो के बाद मुझे पता चला कि ये मुझे अपने पीछे आने के लिए कह रही है, मैं तुरंत खड़ा हुवा और सबकी नज़रे चुराते हुए बंगले पीछे आके उसके पीछे चलने लगा, सेठ जी के बंगले के पीछे बहुत बड़ा बगीचा है. यह मैने सबेरे सुना था, अभी अपनी आँखोसे देख रहा था, चारो और अंधेरा ही अंधेरा था, बड़े बड़े वृक्ष थे, फुलो की महेक हवा को सुगंधित कर रही थी, परंतु बंगले मे की गयी थोड़ी बहुत रोशनाई के कारण मैं उस लाल सारी वाली महिला को देख पा रहा था. 

मैं उसके पीछे 3-4 मिनट तक चला और फिर वो रुक गयी, और एक छोटिसी दीवार के पीछे चली गयी, मैं भी उसके पीछे गया, जैसे ही मैं उस दीवार के पीछे पहुचा उसने मुझे हाथ देते हुए अपनी ओर खिचा, और हसणे लग गयी, और मुझसे चिपक गयी, 3-4 मिनट. चलने के कारण उसकी सासे थोड़ी तेज़ चल रही थी. उस दीवार के सामने एक छोटा सा रास्ता था, जिससे हम आए थे, दीवार के पीछे थोड़ा सा उजाला नज़र आ रहा था, क्यू कि उसके बगल मे ही एक बिजली का खंबा था और उसपे एक मिन्मिनि सी लाइट जल रही थी, नीचे हरी घास पाँव को छू जा रही थी, बहुत ही सुहाना मौसम था, अंग- अंग मे रोमांच उठ रहा था, हरी घास पे पड़ी पानी की छोटी छोटी निर्मल बूंदे पाव को छूकर गुदगुदी कर रही थी, आकाश मे चाँद नज़र आ रहा था, जैसे वो हमारी प्रणयक्रीड़ा देखने आया हो. 

सामने लाल सारी वाली महिला जिसके बारे मे सोच सोच के मैं रोमांचित हो गया था, खड़ी थी, मेरी बाहो मे आने के लिए तरस रही थी. उसने मेरी पॅंट का ज़िप खोलते हुए मेरे लंड को बाहर निकाला, और क्षण की भी देरी ना करते हुए उसे मूह मे लेके चूसने लगी, और उसपे अपनी थूक जड़ने लगी, ठंडी हवाए शरीर को छू जा रही थी, अंग पे रोमांच उठ रहा था, अब इस मदमस्त हसीना के कारण शरीर तप्त और गर्म होने लगा था, मेरा हथौड़ा फिरसे अपने पूर्व स्वरूप मे आ गया था और उस महिला के मूह मे डुबकिया लगते हुए रस्क्रीड़ा का आनंद ले रहा था. 

मैं बहुत ही गरम हो गया था अब मुझे सिर्फ़ उसकी चूत दिखाई दे रही थी, मैने उसे खड़ा किया और दूसरे हाथ से उसकी सारी खिचनी शुरू की वो बोली "सारी मत निकालो, कोई आएगा तो हम क्या बताएँगे जी " मैं बोला "यहा कोई नही आनेवाला …" और उसके ब्लाउस के बटन खोल दिए, अब उसकी वो सुंदर, मदमस्त और गोल गोल चुचिया मेरे सामने थी जिन्हे देखने के लिए मैं पागल हुआ जा रहा था, मैने उसके दाए निपल को मूह मे लिया और उसपे थोडा ठूकते हुए चूसने लगा उसके मूह से आहह आआआआआहह की आवाज़े निकालने लगी, जल्द ही मैने उसकी पॅंटी खोल दी, और उसकी मदमस्त चिड़िया मेरे सामने आ गयी. 

मैने उसकी सीता का दर्शन लिया और अपनी उंगली उसमे घुसा दी, उंगली पल भर मे ही बहुत गीली हो गयी, मैने उंगली निकाल के फिरसे उसके मूह मे डाल दी, क्या अजीब और अविस्मरणीय नज़ारा था, मैने दो तीन उंगलिया उसकी चूत मे डाल दी और उंगलिया निकाल के उसके मूह मे डालने लगा, उसकी चूत की महेक से वातावरण मोहित हो गया था, और मुझे उसे चोदने की बहुत ही तीव्र इच्छा हो रही थी. 
मैने उसे घोड़ी की तरह खड़ा किया, और निशाना लगाते हुए अपना लंड उसकी चूत के होल पे रखा, ज़्यादा प्रकाश ना होने के कारण कुछ ठीक से दिखाई नही दे रहा था, मैने लंड पे थोड़ी थूक डाल दी, और लंड को चूत के होल से आगे बढ़ा दिया, और ज़ोर का झटका देते हुए चूत के अंदर प्रवेश करवा दिया, आग जैसे मानो शरीर पे गिरती हो, और कोई चिल्लाता है उस तरह वो महिला मेरा लंड अंदर जाते ही चिल्लाई, मैने उसे अपने पुश्ता बाहो मे अच्छे से जाकड़ रखा था इसलिए वो हिल नही पायी, परंतु उसके मूह से निकली आवाज़ से मैं डर सा गया था.
 
मैने उसकी नीचे गिरी हुई पॅंटी को उठाया और उसके मूह मे घुसेड दिया, और अपने लंड को फिरसे निशाने पे लगाते हुए, ज़ोर्से झटके मारना शुरू किया शुरुआत के 5 मिनट मे ही वो महिला 2 बार झाड़ चुकी थी. 

मैं अब नीचे बैठ गया, और उसे मेरे तरफ मूह करते हुए अपने लंड के उपर बैठने की आग्या दी, वो लंड के उपर जैसे ही बैठने लगी, लंड अंदर अंदर जाने लगा, वैसे ही वो चिल्लाने लगी, मैने उसके हाथ पकड़ लिए और उसे पूरी तरह अपने लंड पे बिठा दिया, पूरा 10 इंच का लंड अंदर जाने की बजह से उसके पेट अक्स रहा था जो कि मैं देख पा रहा था और उसे सहना उस महिला के लिए बहुत कठिन हो रहा था, अभी मैं नीचेसे जोर्के धक्के देना शुरू हो गया, और उसे पूरी तरह घायल कर दिया, वो फिरसे झड़ी, मैने उसे तुरंत नीचे घास पे गिराया और उसपे सवार होते हुए कुछ ऐसे ज़ोर्से धक्के मारने लगा कि उसको नानी याद आ गयी, अब मुझसे रहा नही गया, और तेज़ धक्को के बजह से उसके अंदर मेरा वीर्यपात हो गया, मैं उसके शरीर से पूरी तरह चिपक गया, अभी मेरा लंड उसके चूत मे फुव्वारे मारे ही जा रहा था, थोड़ी देर मे वो थोड़ा शांत हो गया, मैने उसे बाहर ना निकलते हुए उस महिला की चूत के अंदर रखते हुए, उसे पूरी तरह अपने बाहो मे जाकड़ के उससे चिपक गया, वो भी मेरे सर के चुम्मे लेने लगी. 

दरवाजे पे कोई ठोक रहा था "बाबूजी …..अरे वो बाबूजी नींद से जागीए नीचे सेठ जी आपको बुला रहे है" ये शब्द कान पे पड़ते ही मैं जाग उठा और मुझे याद आया, वो नाश्ता, वो आरती,पूजा, वो लाल सारी वाली महिला…..ओह भगवान तो यह सब महेज एक सपना था. दोस्तो गाँव मे आकर मैने क्या क्या गुल खिलाए ये सारी बाते बताउन्गा दोस्तो कैसी लगी ये कहानी ज़रूर बताना
 
नौकरी हो तो ऐसी--9

गतान्क से आगे...... 

मैं अपने कमरे से उठा, बाथरूम मे जाके फ्रेश हो गया और नीचे सेठ जी से मिलने के लिए चला गया, मुझे देख के सेठ जी ने नाश्ता लाने को बोला और 
मुझे पूछा “हो गयी नींद..”
मैने हां कहा और उनके साथ बैठ गया.
उधर से चाय नाश्ता लेके आ गयी, लग ही नही रहा थी कि वो इस घर की नौकरानी है, उसकी चाल वो मदमस्त साड़ी मे लपेटा हुआ उसका बदन..बहू के बदन को टक्कर दे रहा था… उसकी माँग के सिंदूर का रंग देख के प्रतीत हो रहा था कि इसकी चूत का रंग भी ऐसे ही होगा, मेरे दिल मे बस अभी छाया का बदन बस गया था…

मैने नाश्ता किया और सेठ जी बोले कि आओ मैं तुम्हे अपने बेटो से मिलावाता हू फिर सेठ जी उधर से उठ कर चलाने लगे मैने भी उनके साथ चलने लगा… मैं एक बड़े से कमरे मे आ गया उनके साथ साथ उधर 4 लोग बैठे थे …. सबकी उम्र करीब 35 से 45 तक लग रही थी. 

फिर सेठ जी मेरा परिचय कराते हुए बोले कि ये मेरे साथ शहर से आया है अपने दीवान जी की जगह जो कि अब नही रहे उनकी जगह ये आज से काम करेगा, सबने मुँह हिलाते हुए हाँ भर दी. फिर सेठ जी ने मुझे सब बेटो का परिचय देते हुए बोला ये मेरा बड़ा बेटा(राव साब), ये उससे छोटा(वकील बाबू), वो तीसरा ये(कॉंट्रॅक्टर बाबू) और वो जो कौने मे बैठा है वो सबसे छोटा(मास्टर जी)… हमारे साथ जो बहूरानी आई थी ट्रेन मे वो मेरे छोटे बेटे की की बीवी है.

मैने सबको नमस्कार किया और सेठ जी के सबसे बड़े बेटे ने जिसे सब लोग राव साब कहते थे, मुझे अपने पास आके बैठने को बोला
और पूछा “कहाँ तक पढ़ाई की है तुमने ”
मैने कहा “ग्रॅजुयेट हूँ”
राव साब बोले “अरे वाह अच्छी बात है नही तो हमारे दीवान जी ये सब नयी पद्धति का अकाउंट समझ नही पाते थे..अच्छा है अच्छा है”

फिर हम लोगो ने उधर ही बैठ के थोड़ी देर बातें की.. अब 8 बज चुके थे. बाहर अंधेरा हो चुका था. तभी सेठ जी ने बोला की हमे आरती के लिए गाव के बाहर लगभग 2 घंटे का सफ़र करके मंदिर जाना है जहाँ आज बहू आने की खुशी मे माताजी की पूजा रखी है.

मैने पूछा “सेठ जी अभी तो 8 बज चुके है और 2 घंटे का सफ़र मतलब 10 बज जाएँगे ”
तो सेठ जी बोले “हाँ पर पूजा का शुभ मुहूरत रात 11 बजे का है जो साल मे दो ही बार आता है तो हमे जाना ही पड़ेगा ”

हम लोग फिर सब उस बड़े कमरे से बाहर आ गये और खाना खाने के बाद सब लोग जैसे कि मुझे पता था सब लोग पूजा के लिए निकलने वाले थे
 
ठीक से लाइट नही होने के कारण किसी के चेहरे अच्छे से नही दिख रहे थे. फिर सब लोग 3 गाडियो मे बैठ गये. लग भग 8.30 बज चुके थे. मेरी गाड़ी मे ड्राइवर जो आगे बैठा जिसके साथ सेठ जी बैठे थे. मैं बीच मे राव साब, वकील बाबू और कॉंट्रॅक्टर बाबू के साथ बैठ गया और पीछे 2 बहू जिनको मैं देख नही पा रहा था और समझ नही पा रहा था कि कौन किसकी बीवी है वो और 2 नौकरानी के साथ बैठ गयी. आज चौथी गाड़ी मे खराबी होने के कारण 1 कार और 2 बड़ी गाडिया ही निकाली थी और सब लोग दबकर बैठे थे 


सब गाड़िया निकल पड़ी और कच्चे रास्ते से पक्के रास्ते पे लग गयी…
गाड़ी की लाइट खराब होने के कारण किसिको कुछ नही दिख रहा था, कभी कभी 5 मिनट बाद कोई गाड़ी सामने से जाती तो थोड़ी लाइट आ जाती.. लगभग 15 मिनट के बाद हम ने देखा कि हमारे साथ जो कार थी वो रास्ते मे एक बाजू खड़ी है और देखा कि उसमे बैठे सब लोग बाहर खड़े हैं …हम उतर गये और देखा तो गाड़ी का टाइयर पंक्चर हो गया था 

सेठ जी आगे जाके बोले “साले तुम लोग कभी नही सुधरोगे मैं 10-15 दिन शहर क्या चला गया तुम लोगो ने गाडियो की देख भाल करनी छोड़ दी”

इतना कह के सेठ जी ने बोला कि सब लोग बाकी बची 2 गाडियो मे अड्जस्ट हो जाओ फिर सेठानी सेठ जी की बगल मे हमारी गाड़ी मे बैठ गयी… और उनके साथ वाली बहुए दूसरी गाड़ी मे बैठ गयी अभी सिर्फ़ वकील बाबू की लड़की बची थी, 

तभी कॉंट्रॅक्टर बाबू बोले “तुम हमारी गाड़ी मे आ जाओ”

और उसे हमारी गाड़ी मे ले लिए पीछे भी जगह नही थी और आगे पूजा का बहुत सारा समान था , सेठ जी सेठानी के बैठने के कारण उधर भी पॅक हो गया था.

फिर वकील बाबू बोले “आओ बेटी मेरे उपर बैठ जाओ”

वकील बाबू की लड़की उनकी गोद पे बैठ गयी. जो मेरे से दो सीट दूर बैठे थे. फिर गाड़ी चालू हुई और आगे का सफ़र कटने लगा

मुझे नींद नही आ रही थी लेकिन मैने आखे बंद कर ली और सोने की कोशिश करने लगा, थोड़ी देर होते ही मुझे थोड़ी हलचल सी लगने लगी, मैं क्या हो रहा है ये देखने की कोशिश करने लगा लेकिन जैसे कि पूरा अंधेरा था क्या हो रहा है समझ नही आ रहा था…मैने सोने का नाटक चालू ही रखा था तभी सामने से एक गाड़ी गयी और गाड़ी के अंदर थोड़ी सी रोशनी हुई तो मैने देखा कि, वकील बाबू की लड़की की पॅंटी नीचे सर्की हुई है और उसकी चुचिया पे राव साब के हाथ है, इधर कॉंट्रॅक्टर बाबू का तंबू बना दिख रहा था और हलचल अभी ज़रा ज़्यादा तेज़ होते हुए दिखने लगी… मुझे अभी अंधेरे मे भी थोड़ा थोड़ा दिखने लगा था …राव साब के हाथ वकील बाबू की लड़की को दबा रहे थे और वकील बाबू नीचे से अपने लंड को कुछ कशमकश के साथ अड्जस्ट कर रहे थे जो कि हो नही रहा था ऐसे उनके चहरे से भाव दिख रहे थे, मैने गाड़ी के काँच पर अपना सर टिका दिया, थोड़ा सा आगे सरक गया और अपना सर आगे से नीचे करके ..और चुपके से एक आँख खोल के तिरछी नज़र से देखने लगा…..
 
वकील बाबू की लड़की की पॅंटी नीचे तक सरक गयी थी, और कॉंट्रॅक्टर बाबू अपने हाथ से अपने तंबू को रगड़ रहे थे. अचानक से आआआआआआअह……. की आवाज़ आई किसी ने ध्यान नही दिया, सबको लगा गाड़ी ने धक्का खा लिया इसलिए किसी के मुँह से निकली होगी परंतु वो आवाज़ वकील बाबू का लंड अपनी बेटी की चूत के अंदर जाने के वजह से निकली थी… मुझे अभी थोड़ी थोड़ी बारीकी से आह… आह… की आवाज़ सुनाई देने लगी …. उधर रावसाब भी अपने तंबू को हिला रहे थे और वकील बाबू की बेटी की चुचियो को चुपके से सहला रहे थे.

तभी मैने देखा वकील बाबू ने ज़रा ज़ोर से धक्के मारना शुरू किया और अपनी बेटी को ज़ोर से उपर नीचे करने लगे. गाड़ी चले जा रही थी और वो अपनी बेटी को चोदे जा रहा था. ये देख के मैं बस पागल हो रहा था. मैने अपना एक हाथ आगे निकाल के सेठानी की चुचि को पकड़ लिया और मसलने लगा इससे सेठानी दंग रह गयी पर उसने मेरा हाथ हटाया नही बल्कि थोड़ा सा काँच की तरफ झुक के तिरछा हो गयी 

इधर वकिलबाबू अपने धक्को मे बहुत ज़्यादा गति ला चुके थे जिसके कारण लड़की की बारीक आवाज़ आह …आह…. से उहह… उहह…मे बदल गयी वो बुरी तरह से दबी हुई थी और वकील बाबू फुल स्पीड मे अपना हथोडा उपर नीचे करके उसे नीचे की तरफ ज़ोर से दबा रहे थे. लड़की उपर उठने की कोशिश करती पर वकील बाबू उसे नीचे दबा देते. मुझे लग रहा था कि वकील बाबू का लंड उसके लिए ज़रा जायदा ही बड़ा था क्यू कि जैसे ही वो नीचे जाती वो उपर उठने की कोशिश करती, वकील बाबू फॅट से उसे नीचे दबा देते और उसके मुँह से उहह.. की आवाज़ निकल जाती … थोड़ी देर बाद उसने उठने की कोशिश की और इस बार रावसाब ने उसे नीचे दबा दिया, वो बरदाश्त करने की हालत मे नही थी …. और वकिलबाबू ने अपनी गति और ज़्यादा करदी और लड़की के मुँह से अभी उम्म्मह…. उंह की आवाज़े ज़्यादा ही निकलने लगी. इतने मे वकील बाबू शांत हो गये… लगता है उनकी शांति का कारण अपनी बेटी के चूत के अंदर अपन रस छोड़ना था… गाड़ी मे थोडिसी शांति होते दिखाई दी… तभी मैने देखा कि कॉंट्रॅक्टर बाबू ने वकील बाबू के बेटी की चूत के छेद के अंदर उंगली डाल दी और अंदर तक घुसा दी और अपने मुँह से चाटने लागे. लड़की शांत हो गयी थी उसकी चूत से पानी टपक रहा था जो कि वकील बाबू का ही वीर्य था.

तभी मैने देखा तो दंग रह गया 

रावसाब वकील बाबू की तरफ देखते हुए बोले “अरे तुम इस खिड़की पास आ जाओ ये काँच ठीक से लगने के कारण मुझे जोरोसे हवा लग रही है”

और फिर वकील बाबू काँच की तरफ सरक गये और रावसाब बीच मे, जैसे ही वकील बाबू की लड़की, वकील बाबू के साथ काँच की तरफ सरकने लगी, रावसाब ने उसकी कमर को पकड़ के अपनी गोद मे खीच लिया और बोले “अरे बेटी बैठो इधर मेरे गोद मे ही.. काँच के पास बहुत हवा आ रही है..” 

वकील बाबू की लड़की ना चाहते हुए भी रावसाब की गोद मे बैठ गयी. वो बैठी ही थी कि मुझे पॅंट की चैन खोलने की हल्की सी आवाज़ आई. मैने थोड़ा मुँह नीचे करके देखा तो रावसाब अपना तगड़ा घोड़ा निकाल रखे थे और आक्रमण की तय्यारी मे थे, जब से मैने इन चारो भाइयो को देखा था तबसे मेरे दिमाग़ मे एक ही बात चल रही थी ये तीनो जो मेरे साथ बैठे वो काले और इतने तगड़े क्यू है और जो चार नंबर के है मास्टर जी वो गोरे और पतले क्यू है, ये बात मेरे समझ से इस वक़्त बाहर थी…
क्रमशः………………………………
 
नौकरी हो तो ऐसी--10

गतान्क से आगे...... 

मैने देखा तो रावसाब ने वकील बाबू की लड़की को उपर उठाया और उसकी चढ्ढि बाहर निकाल के पॅंटी भी निकाल दी… कांट्रेक्टर बाबू ने चुपके से पॅंटी अपनी पॉकेट मे रख दी, और रावसाब ने फिरसे उसको चढ्ढि पहेना दी. अभी उनका लंड अंदर जानेके लिए कोई प्राब्लम नही थी क्यूकी अभी पॅंटी की मुसीबत बीच मे नही थी. 


फिर उन्होने वकील बाबू के बेटी के चुचिया ज़ोर्से दबाई और उसे थोड़ा उपर उठा दिया, जैसे ही उन्होने उसे उपर उठा दिया मुझे पता चल गया कि अभी तो वकील बाबू की बेटी की लगने वाली है क्यू कि रावसाब वकील बाबू से दो गुना तगड़े थे और मजबूत भी…. इसीलिए वकील बाबू की बेटी उनकी गोद मे बैठने से भाग रही होगी क्यू कि उसे पता होगा कि इधर वो अगर फस गयी तो फिर उसे कोई बचा नही सकता रावसाब से…

रावसाब ने उसे उपर उठाया और निशाना लगाके उसे नीचे दबाने लगे पर वो नीचे आने के लिए ज़्यादा ही विरोध करने लगी, तभी कॉंट्रॅक्टर बाबू ने उसकी कमर पकड़ कर नीचे दबोच दिया वैसे ही उसके मुँह से “उईईईईईईईईईईईईईईईईईईई माआआआ….” “उहह…….ईईईईई…….उूुुुउउ….ईईईईई…”
“उूुुुुुउउ….आअहह…..उहह….”
की आवाज़ बड़ी ही बारीक चीख खुद पे नियत्रन करते हुए निकली
मैं समझ गया था कि उसके लिए रावसाब का लंड सहन से बाहर था, तब भी वो ज़्यादा कुछ आवाज़ किया बिना खुद पे काबू पाने की कोशिश कर रही थी.

अभी फिरसे रावसाब ने बड़ी हिम्मत करके उसे उपर उठाया और ज़ोर्से दबा के अपने लंड पे बिठा दिया, फिरसे थोड़ी आवाज़ आई ….अभी राव साब ने थोड़ा नीचे दबाना शुरू किया…. मैं ठीक से देख नही पा रहा था लेकिन ऐसे लग रहा था कि उसके पैर नियंत्रण से बाहर हिल रहे है. वो सिकुड रही थी…

अभी धक्को की गति बढ़ने के कारण वो और सिकुड़ने लगी …और रावसाब उसे उपर नीचे करने लगे…. उन्होने उसकी कमर अपने हाथ मे पकड़ के ज़ोर्से उसे उपर नीचे करने लागे और एक दम से “आहह….” की आवाज़ निकली और फिर गाड़ी मे शांति हो गयी…. वकील बाबू की बेटी की हालत काफ़ी पतली हो चुकी थी वो ठीक से हिल भी न्ही पा रही थी ….उसकी चूत से वीर्य की धारा गाड़ी की सीट पे गिर रही थी…उसमे कॉंट्रॅक्टर बाबू हाथ लगाके उस वीर्य के हाथ वकील बाबू की लड़की के मुँह मे डाल रहे थे…. वो इच्छा नही होते हुए भी अपना मुँह खोल के उनकी उंगलिया चूस रही थी…. मुझे तो लग रहा था कि ये गाड़ी से उतरने के बाद चल भी नही पाएगी......

मेरे एक हाथ मे सेठानी की चुचि थी…जो मैं ये दृश्य देख के ज़ोर ज़ोर से दबा रहा था …एक दृश्य के बीच मे मैने दो बार शेतानी के निपल्स नाख़ून से दबा दिए जिसके कारण शेतानी हॅकीबॅक्की रह गयी परंतु गाड़ी मे होने के कारण वो कुछ नही कर पाई….

अभी 30 मिनट का रास्ता बाकी था……
 
अब कॉंट्रॅक्टर बाबू जो कद मे वकील बाबू से दुगने थे और रावसाब के बराबर दिखते थे, वो बहुत ही ज़्यादा गरम हो गये थे, उन्होने वकील बाबू की बेटी की चूत मे उंगली डाल दी. चुदाई की वजह से उसकी चूत बहुत आकर्षक और गुलाबी हो गयी थी. कॉंट्रॅक्टर बाबू वकील बाबू की बेटी की चूत की फाके खीच रहे थे फिर उंगलिया अंदर डाल रहे थे, वकील बाबू की बेटी मुँह उपर नीचे कर रही थी पर इससे ज़्यादा, उससे हो नही पा रहा था… उसका विरोध एक चीटी के बराबर का लग रहा था. उधर कॉंट्रॅक्टर बाबू ने वकील बाबू की बेटी के चूत के बाल, जो मुलायम और छोटे छोटे थे, चूत से उंगली निकाल के, खिचने शुरू कर दिए ….. उन्हे इससे बहुत ही मज़ा आ रहा था…

इधर रावसाब ने वकील बाबू के बेटी के भरे फूले आम जिनके उपर, लाल –लाल और छोटे निपल्स थे, उन निपल्स को ज़ोर्से निचोड़ा, तो वैसेही वो कराह उठी, रावसाब इस खेल के बहुत पुराने खिलाड़ी मालूम हो रहे थे, मैं अपना मुँह नीचे करके बैठा था लगभग 1.30 घंटे से, मेरे मन मे दर्द होने लगा था, उसी समय रावसाब ने वकील बाबू की बेटी की कामीज़ से हाथ निकाल के कमीज़ नीचे से नाभि तक उपर उठाई और नाभि मे अपनी एक बड़ी मज़ली उंगली डाल दी और उस बड़ी उंगली को ज़ोर्से घुमाने लगे, वैसे ही वो और ज़ोर्से कराह उठी…. 

खिड़की मे बैठे वकील बाबू अभी अपनी बेटी की चुदाई देख के खुश लग रहे थे, क्यूँ कि उनका काला घोड़ा फिरसे खड़ा हो गया था ...उनका काला घोड़ा जिसपे अभी भी बाजू बाजू मे गाढ़ा चिपचिपा वीर्य और बेटी के कमनीय चूत का मादक रस लगा था.... वकील बाबू ने अपनी बेटी का कोमल हाथ पकड़ा और चुपके से अपने काले घोड़े के सूपदे पे रख दिया और अपने हाथ से उसके हाथ को जो काले गहरे रंग के सूपदे पर था, उसे उपर नीचे करने लागे, वकील बाबू की बेटी अपने बाप के लंड की काली चमड़ी खुद अपने हाथोसे उपर नीचे कर रही थी….

अब वकील बाबू ने बेटी की चूत पर हाथ रखना चाहा वैसे ही उन्हे उस जगह पे कंटॅकटर बाबू का हाथ महसूस हुआ, उन्होने उसका हाथ और उंगलिया झटके से निकाल दी, और अपने बेटी की चिकनी गीली चट के अंदर जो गधे जैसे लंड की चुदाई से फूली हुई थी उसमे डाल दी और अंदर बाहर करने लागे, इससे वकील बाबू के बेटी का हाल बहुत बुरा होने लगा और उसकी चूत जो अब तक 4-5 बार पानी छोड़ चुकी थी, फिरसे पानी छोड़ने लगी….

इधर मेरे बाजू मे बैठे कॉंट्रॅक्टर का गहरा काले-लाल रंग के सुपादे के छेद से हल्का हल्का वीर्य के पहले का पानी छोड़ रहा था….. उनके सूपदे का आकर लगभग गधे के सूपदे से ज़रूर मिलता होगा…मैने जिंदगी मे पहली बार इतना बड़ा सूपड़ा देखा… मैं सोच मे पड़ गया… इनका सूपड़ा ही इतना बड़ा है तो पूरा लंड कितना बड़ा होगा और अगर ये लंड इस बेचारी की चूत मे अगर गया तो वो तो ज़रूर बेहोश हो जाएगी.. 


मैने कब्से सेठानी का निपल अपने एक हाथ मे दबोच रखा था, और अपने नखुनो से उसे तडपा रहा था, सेठानी की साँसे इस वजह से काफ़ी तेज़ चल रही थी.. पर वो अपने पे काबू पाने की पूरी कोशिश कर रही थी … क्यू कि उसे पता था ये बात अगर सेठ जी को पता चल गयी तो उसकी और मेरी खैर नही…. मैने अपना हाथ सेठानी के पीठ के उपर्से से निकाल के पीठ मे डाल दिया… वैसे ही मुझे सेठानी के घने बालो ने इशारा किया मैने 10-15 बॉल हाथ मे पकड़े और उन्हे सहलाने लगा और बीच मे ही ज़ोर्से खिचने लगा इससे सेठानी की और पतली होने लगी वो चरम सीमा के द्वार पे पहुच रही थी.
 
अब इधर फिरसे रावसाब रंग मे आ गये और उन्होने वकील बाबू की बेटी के बाल ज़रा एक साथ समेटे और एक हाथ मे पकड़ लिए, उसकी चूत मे जो वकील बाबू का हाथ था उसे निकाल दिया, और अपनी एक बड़ी उंगली उसकी चूत की फांको के बीच मे से चूत मे डाल दी और ज़ोर्से अंदर बाहर करने लागे उनकी गति बहुत ज़्यादा थी उस वजह से वकिलबाबू की बेटी ज़्यादा ही हिलने लगी, फिर रावसाब ने अपनी दूसरी उंगली और फिर मैं तो देखते ही रह गया, तीसरी उंगली भी उस फूली चूत मे डाल दी उस वजह से वकील बाबू की लड़की छटपटाने लगी, वैसेही रावसाब ने अपनी तीनो उंगलिया ज़ोर्से अंदर बाहर- अंदर बाहर करना शुरू कर दिया…लड़की की साँसे बहुत ही तेज़ चलने लगी, वो अपने चरमा सीमा पर बहुत ही जल्दी पहुचने वाली थी, रावसाब ने और गति बढ़ाई और उंगलियो को अंदर तक डालने लगे…. वैसे ही मैने देखा लड़की सिकुड़ने लगी और उसकी चूत से पानी के 2-3 फवारे उड़े…फिर रावसाब थोड़े शांत हुए…. लड़की कुछ समझने की हालत से बाहर जा चुकी थी… उसकी हालत एक बकरी के जैसे हो गयी थी जो जंगल के शिकारी कुत्तो के जाल मे बुरी तरह फसि थी….


ये नज़ारा देख के कॉंट्रॅक्टर बाबू की आँखे और ज़्यादा चमकने लगी, उन्होने वकील बाबू की लड़की को अपने तगड़े और काले हाथो से रावसाब की गोद से आराम से और चुपके से उठाया और अपनी गोद मे ले लिया, जैसे के वो मेरे बाजू मे ही बैठे थे.. जैसे ही उन्होने वकील बाबू के लड़की को हाथो मे उठा कर अपनी गोद मे रखा तो, उसकी कोमल गांद का स्पर्श मेरी पीठ को हुआ और मेरे अंग अंग मे एक लहर दौड़ गयी….. मेरी हालत तो भीगी बिल्ली जैसी थी… मैं इधर कुछ भी नही कर सकता था…. अभी कॉंट्रॅक्टर बाबू पूरी तैय्यारि के साथ वकील बाबू की बेटी की गीली मुलायम चूत चोदने के लिए तैय्यार होने लगे, और ये सोच सोच के पागल हुए जा रहे थे, उन्होने अपने लंड की चमड़ी सूपदे से पीछे की…. और वो अब निशाना साधने के लिए तैय्यार थे..



तभी मैने देखा बाहर कुछ ज़्यादा ही प्रकाश दिखने लगा, मैने थोड़ा खिड़की से बाहर झाँक के देखा तो मैने देखा कि वो प्रकाश कही और से नही बल्कि जिस मदिर मे जा रहे थे वहाँ से आ रहा था इसका मतलब मंदिर आ गया था… कॉंट्रॅक्टर बाबू ने जब ये समझा तो उनका तो केएलपीडी(खड़े लंड पे डंडा) हो गया… दोस्तो कहानी अभी जारी है 
क्रमशः………………………………
 
नौकरी हो तो ऐसी--11

गतान्क से आगे...... 
जब हम लोग उतरे तो मैने देखा, मंदिर बहुत ही भव्य दिव्य और पुराना
मालूम हो रहा था, जिसे देख के सच मे पूजा के अंतर्भाव आ रहे
थे, लगभग 2 एकर के क्षेत्र मे मंदिर फैला था बाजू मे बाथरूम और कई सारी व्यवस्थाए थी,
जैसे ही हम सब उतरे तो चार पाँच लोग भागते चले आए, इससे पताचल
रहा था कि सेठ जी कोई हल्के ज़मींदार नही बल्कि बहुत बड़े ज़मींदार है.
सब लोग और जिनमे 4-5 घर की लड़किया, 4 बहुए,
सेठानी और 2 नौकरानी थी, गांद मटकाते हुए मंदिर की तरफ जाने लगी
इन सब को देख के मुझे स्वर्ग मे आने के
भाव मंन मे आ रहे थे, ऐसा लग रहा था कि अभी पूरी जिंदगी ना मुझे
पाने की ज़रूरत है और नही कुछ करनेकी, सभी महिलाए मंदिर
मे घुस गयी, उनके पीछे सेठ जी भी मंदिर मे चले गये
मैं थोडा पीछे था, तब मैने देखा कि रावसाब, वकील बाबू और
कॉंट्रॅक्टर बाबू बाथरूम की तरफ जा रहे थे, क्यू नही जाएँगे हालत तो उनकी बहुत पतली थी,
कॉंट्रॅक्टर बाबू के चेहरे से लग रहा था कि बहुत ही लाल हो चुके थे
आख़िर केएलपीडी हो गया तो कौन नही भड़केग़ा 
थोड़ी देर इधर उधर का अंदाज़ा लेते हुए मैं भी मंदिर मे आ गया,
देखा तो उधर बड़ी सी हवनबेदी बनी हुई थी जिसपे
शुभ हवन श्रिशुक्त हवन, शुभ हवन पुरुष शुक्ता हवन, शुभहवन रुद्रा शुक्ता हवन ऐसे शब्द लिखे
हुए थे, हवन बेदी के बाजू मे 4 बड़े पेट वाले जो बहुत ही उच्च शिक्षित दिख रहे थे वो
बैठे हुए थे और पूजा शुरू करने की तैय्यारि कर रहे थे,
तभी मेरे आँखो के सामने कुछ चमका, अगले पल मैने देखा पूजारी के
शिष्य शिष्या पूजा के लिए मदिर मे चले आ रहे थे
पुरुष शिष्य गन पूजारियो के आजूबाजू बैठ गये जो हम सब के सामने
बैठे थे, एक बाजू मे सभी महिलाए बैठ गयी और एक बाजू मे पुरुषो के लिए जगह रखी थी
पुरुष तो ज़्यादा कोई थे नही इसलिए सेठ जी ने जो 4-5 महिला शिष्या बची थी उनको पुरुषो 
के साइड वाली जगह मे बैठने को बोला चित्र कुछ इस प्रकार था.... 

पुरुष शिष्य
चार पूजारी
[हवन1] [हवन2] [हवन3] [हवन4]
घर की महिला | घर के पुरुष
घर की महिला | महिला शिष्या
घर की महिला | घर के पुरुष
|
अभी सेठ जी और 3 नौकर और 2-3 तीन जने
पहचान वाले लोग तीसरे और चौथे हवन के सामने बैठे थे, महिला शिष्य को जगह ना
होने के कारण सेठ जी ने उन्हे पुरुषो के साइड मे अपने पीछे बिठा दिया,
और वो भी पीछे आके बैठ गया, मैं पीछे खड़े ये सब देख रहा था, मेरा हाल
गाड़ी मे देखी चुदाई को देख के बहुत ही बुरा हो गया था अभी मुझे तो
कुछ गरम करनेवाली चीज़ मेरे आजूबाजू चाहिए थी. तो मैं उन 4-5 महिला
शिष्य के पीछे आके बैठ गया, उन्होने भगवे रंग की साडी पहेनी हुई थी, पर इन साड़ी मे कुछ
बात थी, बहुत ही पतली मालूम हो रही थी ये सब साडी, सभी की सभी
महिला शिष्य एक दम गोरी और घरेलू लग रही थी, लग रहा था कि इन पूजारियो ने चुन
चुन के माल लिया है...
उनकी साडी की पीठ कुछ ज़्यादा ही खुली थी, उन्होने गजरे लगाए थे,
उसकी वजह से उनके शरीर से एक मादक महेक निकल रही थी
ऐसे लग रहा था कि कोई सुंदर गुलाबों के उपवन मे टहल रहे हो, उनके
बाल भी बहुत ही सुंदर और अति लंबे थे जो उनकी गांद के नीचे तक लटक रहे थे....
तभी मैने देखा तो रावसाब, वकील बाबू और
कॉंट्रॅक्टर बाबू मंदिर मे आ गये और मेरे बाजू मे आके बैठ गये और आगे बैठी
महिला शिष्या को देख के दंग रह गये, उन सबकी आँखे फिरसे चमकने
लगी. मैने कॉंट्रॅक्टर बाबू को कहते हुए सुना "क्या माल है यार...ये मिल
जाए चोदने को मज़ा आ जाए..." इस पर रावसाब और वकील बाबू ज़ोर्से हस
पड़े और एक दूसरे को आँख मार के इशारा करने लगे तभी एक पुरुष शिष्य मेरे बाजू मे आके
बैठ गया. मैने उसे पूछा कि ये पूजा कब तक चलेगी तो उसने बोला कि ये पूजा नये बालक
के जनम की है और उसे अगले जीवन मे कोई बाधा ना आए इसलिए इसमे
बहुत सारे देवताओ की शांति करनी पड़ती है और ये पूजा लगभग
1.30 घंटे तक चलेगी... उसी वक़्त एक और
शिष्य नवजात बालक को कपड़े मे लेके आया और उसे हवन से थोड़ी दूर बनी
एक बड़ी उची जगह पे रख दिया...फिर एक पूजारी ने ज़ोर से ज़ोर्से मन्त्र
पढ़ना शुरू कर दिए, सब लोग हाथ जोड़कर बैठ गये.... फिर दूसरे पंडित ने भी मन्त्र बोलना शुरू कर
दिए...ऐसे करते करते पूजा शुरू हो गयी परंतु रावसाब, वकील बाबू और कॉंट्रॅक्टर बाबू
का मंन पूजा मे था ही नही उनका मंन तो सामने बैठी अपनी भारी और
गोरी पीठ दिखाती महिला शिष्याओ पे था..... और सच बोलू मेरा भी .........

पूजरी ने मन्त्र शुरू किए, और पूजा शुरू हो गयी… एक एक करके देवताओ की पूजा और शांति हो रही थी… सब लोग बड़े शांत चित्त से हवन की तरफ देख रहे थे…. बड़ी उँची जगह पे रखा बच्चा उसके छोटे पालने मे से इधर उधर देख रहा था…. रात बहुत हो चुकी थी और कुछ लोग तो आधी नींद मे लग रहे थे. घर की महिलाए और सेठ जी और सामने बैठे कुछ नौकर दुलकिया मारते हुए दिख रहे थे…
 
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