hotaks444
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सिफली अमल ( काला जादू )
ये कहानी पूरी तरीके से काल्पनिक है इस कहानी का किसी के साथ कोई संबंध नही इस कहानी को रियल समझने की भूल ना करे..ये सिर्फ़ एंजाय्मेंट के लिए लिखी गयी है बस एंजाय करे इन्सेस्ट हेटर्स प्ल्स इफ़ यू हेट इन्सेस्ट प्ल्स डॉन'ट विज़िट आप अपना कीमती वक़्त बर्बाद करेंगे ये कहानी किसी घटना का दावा नही करती इस कहानी के कुछ एलिमेंट्स बहुत शॉकिंग है बट हॉरर इंट्रेस्टेड रीडर्स दिल को मज़बूत कर लेना
कहानी में लिखा हर पात्र सिर्फ़ मनोरंजन के लिए लिखा है इसका कोई असल ज़िंदगी से मतलब नही...इस कहानी में लिखे कुछ चीज़ें रीडर्स को शॉक भी कर सकते है इसलिए बड़े अहेतियात और सावधानी से पढ़ें और ये ना सोचे कि ये सब रियल है....सिफली अमल सिर्फ़ गुनाह का काम है ऐज अ राइटर आइ आम टेल्लिंग माइ ऑल रीडर्स जस्ट एंजाय दिस स्टोरी डॉन'ट बिलीव ऑन इट
दुनिया में अगर मैं किसी को सच्चे दिल से किसी को चाहता था तो वो थी मेरी इकलौती बाजी शीबा...हम दोनो के बीच बचपन से ही भाई बेहन से ज़्यादा घनिष्ट प्यार था...और यही वजह थी कि हम दोनो एक दूसरे से एक सेकेंड के लिए भी अलग नही हो पाते....बचपन में ही साथ साथ खेले और साथ बड़े हुए जबकि मेरी बाजी की उमर मुझसे करीबन २ साल बड़ी थी....बाजी मेरा हमेशा ख्याल रखती मम्मी और पापा जब नही होते तब वही मुझे संभालती खाना देती....हमारे इस प्यार की चर्चा पापा और मम्मी भी करते थे लेकिन उन्हें नही पता कि हम दोनो के बीच एक रिश्ता और जल्द ही कायम होने वाला है
धीरे धीरे बाजी तकरीबन २३ साल की हो चुकी थी जबकि मैं अपने 21 के बीच में ही था...हम लोग मम्मी पापा की आब्सेंट में ही घर में बनी बुखारी की छत के नीचे कच्ची ईंट वाली बाथरूम में एक साथ नहा लेते थे मेरी बाजी की चूत पर काफ़ी घने बाल उगे हुए थे जबकि मेरे लंड पर भी जंगल उगा हुआ था....मेरा लंड उस वक़्त खड़ा हो जाता था और बाजी की गान्ड को देख कर हिलोरे मारने लग जाता...बाजी ने कहा कि ये सब नॉर्मल है क्यूंकी वो जानती थी कि ना उनमें शरम और हया का कोई परदा था और ना ही मेरे अंदर....धीरे धीरे गाँव में रह कर हम अपने घर को अच्छा संभाल लेते थे पापा भी पूरी मेहनत करते और शहर में ही कमाने को चले जाते वहाँ उनको अच्छा ख़ासा वेतन मिलता था
इधर हम और मम्मी भी ख़ुदग़र्ज़ थी हम पर ज़्यादा ध्यान नही देती थी...हम कब घर से निकलते है कहाँ जाते है? इस्पे भी सवाल नही करती थी..और यही वजह थी कि ये आज़ादी हमारे रिलेशन्षिप को बहुत आगे बढ़ाने वाली थी और जल्द ही हम दोनो के बीच वो हुआ जो शायद लोगो की नज़रों में एक गुनाह हो पर हम दोनो के लिए एक दूसरे की ज़रूरत जिस्मानी तालुक़ात..ना बाजी अपनी चूत की गर्मी को शांत कर पाती और ना मैं अपने लंड की हवस को काबू कर पाता....हम दोनो एक दूसरे को किस करते चूत पे लंड रगड़ते और उनकी गान्ड के छेद पे लंड मलके थोड़ा सा घुसा देना यही सब हमारे अकेले पन का खेल बन गया था....और धीरे धीरे ये खेल चुदाई में तब्दील हो गया बाजी की सहेलिया गाओं की अक्सर गंदी गंदी चीज़ों और लौन्डो की ही बात करती थी..और इधर मेरा कोई दोस्त नही था काम के बाद सीधे स्कूल और वहाँ भी पढ़ाई में ही मन लगता था फिर बाकी टाइम या तो साइबर केफे जो था छोटा सा वहाँ जाके ब्लू फिल्म देखना और तरह तरह की अप्सराओं के नाम की मूठ मारना यही आदत थी और बाद में तो बाजी हवस पूरी कर ही देती थी...ब्लू फिल्म और सेक्स रिलेटेड चीज़ों को जानते जानते मैं पूरा पका आम बन गया था गाँव से सटे टाउन से जाके सस्ते में कॉंडम मिल जाता था केमिस्ट से लेके....और फिर बाजी को चुपके चुपके जंगल या फिर खेत मे ले जाके चोद देता
बहुत मज़ा आता था...और शायद आज भी वही मज़ा मिलने वाला था.... पढ़के घर लौटा ही था...कि मम्मी ने आवाज़ दी
मम्मी : अर्रे बेटा शीबा अकेले खेत पर चली गयी सब्ज़िया तोड़ कर लाने तू भी जाके मदद कर दे
मैं : ठीक है मम्मी (मैने कपड़ों को बदला और पाजामा और शर्ट में ही खेतों की तरफ रवाना हो गया पापा उस वक़्त शहर में थे)
जल्द ही कच्चे रास्ते से बस्ती से निकलते हुए खेतों मे पहुचा....तो शीबा बाजी अपने मुँह पे वॉटर पंप से पानी मार रही है....मैं उसके करीब गया और ठीक उसके पीछे खड़ा होके अपना लंड उसकी गान्ड के बीच फसि सलवार के भीतर लगाया और झुक कर उसकी चुचियों को दबाने लगा..."उफ़फ्फ़ हाीइ म्म्ममममम तू नहिी सुधरेगा"......मेरी बाजी अपनी फीके चेहरे से मेरी ओर देखा और हँसने लगी हम दोनो भाई बेहन खेत में पॅकडम पकडायि खेलने लगे फिर मैने बाजी को अपनी गिरफ़्त में खींच लिया और उनके होंठो से होंठ लगा के पागलों की तरह चूसने लगा...बाजी भी अपनी गीली ज़ुबान मेरे मुँह में डाल के चलाने लगी हम दोनो एक दूसरे को पागलो की तरह किस करते रहे.."उम्म आहह सस्स चल उस साइड अभी इतनी कड़क धूप में कोई आएगा नही"........बाजी ने कान में फुसफुसाया
ये कहानी पूरी तरीके से काल्पनिक है इस कहानी का किसी के साथ कोई संबंध नही इस कहानी को रियल समझने की भूल ना करे..ये सिर्फ़ एंजाय्मेंट के लिए लिखी गयी है बस एंजाय करे इन्सेस्ट हेटर्स प्ल्स इफ़ यू हेट इन्सेस्ट प्ल्स डॉन'ट विज़िट आप अपना कीमती वक़्त बर्बाद करेंगे ये कहानी किसी घटना का दावा नही करती इस कहानी के कुछ एलिमेंट्स बहुत शॉकिंग है बट हॉरर इंट्रेस्टेड रीडर्स दिल को मज़बूत कर लेना
कहानी में लिखा हर पात्र सिर्फ़ मनोरंजन के लिए लिखा है इसका कोई असल ज़िंदगी से मतलब नही...इस कहानी में लिखे कुछ चीज़ें रीडर्स को शॉक भी कर सकते है इसलिए बड़े अहेतियात और सावधानी से पढ़ें और ये ना सोचे कि ये सब रियल है....सिफली अमल सिर्फ़ गुनाह का काम है ऐज अ राइटर आइ आम टेल्लिंग माइ ऑल रीडर्स जस्ट एंजाय दिस स्टोरी डॉन'ट बिलीव ऑन इट
दुनिया में अगर मैं किसी को सच्चे दिल से किसी को चाहता था तो वो थी मेरी इकलौती बाजी शीबा...हम दोनो के बीच बचपन से ही भाई बेहन से ज़्यादा घनिष्ट प्यार था...और यही वजह थी कि हम दोनो एक दूसरे से एक सेकेंड के लिए भी अलग नही हो पाते....बचपन में ही साथ साथ खेले और साथ बड़े हुए जबकि मेरी बाजी की उमर मुझसे करीबन २ साल बड़ी थी....बाजी मेरा हमेशा ख्याल रखती मम्मी और पापा जब नही होते तब वही मुझे संभालती खाना देती....हमारे इस प्यार की चर्चा पापा और मम्मी भी करते थे लेकिन उन्हें नही पता कि हम दोनो के बीच एक रिश्ता और जल्द ही कायम होने वाला है
धीरे धीरे बाजी तकरीबन २३ साल की हो चुकी थी जबकि मैं अपने 21 के बीच में ही था...हम लोग मम्मी पापा की आब्सेंट में ही घर में बनी बुखारी की छत के नीचे कच्ची ईंट वाली बाथरूम में एक साथ नहा लेते थे मेरी बाजी की चूत पर काफ़ी घने बाल उगे हुए थे जबकि मेरे लंड पर भी जंगल उगा हुआ था....मेरा लंड उस वक़्त खड़ा हो जाता था और बाजी की गान्ड को देख कर हिलोरे मारने लग जाता...बाजी ने कहा कि ये सब नॉर्मल है क्यूंकी वो जानती थी कि ना उनमें शरम और हया का कोई परदा था और ना ही मेरे अंदर....धीरे धीरे गाँव में रह कर हम अपने घर को अच्छा संभाल लेते थे पापा भी पूरी मेहनत करते और शहर में ही कमाने को चले जाते वहाँ उनको अच्छा ख़ासा वेतन मिलता था
इधर हम और मम्मी भी ख़ुदग़र्ज़ थी हम पर ज़्यादा ध्यान नही देती थी...हम कब घर से निकलते है कहाँ जाते है? इस्पे भी सवाल नही करती थी..और यही वजह थी कि ये आज़ादी हमारे रिलेशन्षिप को बहुत आगे बढ़ाने वाली थी और जल्द ही हम दोनो के बीच वो हुआ जो शायद लोगो की नज़रों में एक गुनाह हो पर हम दोनो के लिए एक दूसरे की ज़रूरत जिस्मानी तालुक़ात..ना बाजी अपनी चूत की गर्मी को शांत कर पाती और ना मैं अपने लंड की हवस को काबू कर पाता....हम दोनो एक दूसरे को किस करते चूत पे लंड रगड़ते और उनकी गान्ड के छेद पे लंड मलके थोड़ा सा घुसा देना यही सब हमारे अकेले पन का खेल बन गया था....और धीरे धीरे ये खेल चुदाई में तब्दील हो गया बाजी की सहेलिया गाओं की अक्सर गंदी गंदी चीज़ों और लौन्डो की ही बात करती थी..और इधर मेरा कोई दोस्त नही था काम के बाद सीधे स्कूल और वहाँ भी पढ़ाई में ही मन लगता था फिर बाकी टाइम या तो साइबर केफे जो था छोटा सा वहाँ जाके ब्लू फिल्म देखना और तरह तरह की अप्सराओं के नाम की मूठ मारना यही आदत थी और बाद में तो बाजी हवस पूरी कर ही देती थी...ब्लू फिल्म और सेक्स रिलेटेड चीज़ों को जानते जानते मैं पूरा पका आम बन गया था गाँव से सटे टाउन से जाके सस्ते में कॉंडम मिल जाता था केमिस्ट से लेके....और फिर बाजी को चुपके चुपके जंगल या फिर खेत मे ले जाके चोद देता
बहुत मज़ा आता था...और शायद आज भी वही मज़ा मिलने वाला था.... पढ़के घर लौटा ही था...कि मम्मी ने आवाज़ दी
मम्मी : अर्रे बेटा शीबा अकेले खेत पर चली गयी सब्ज़िया तोड़ कर लाने तू भी जाके मदद कर दे
मैं : ठीक है मम्मी (मैने कपड़ों को बदला और पाजामा और शर्ट में ही खेतों की तरफ रवाना हो गया पापा उस वक़्त शहर में थे)
जल्द ही कच्चे रास्ते से बस्ती से निकलते हुए खेतों मे पहुचा....तो शीबा बाजी अपने मुँह पे वॉटर पंप से पानी मार रही है....मैं उसके करीब गया और ठीक उसके पीछे खड़ा होके अपना लंड उसकी गान्ड के बीच फसि सलवार के भीतर लगाया और झुक कर उसकी चुचियों को दबाने लगा..."उफ़फ्फ़ हाीइ म्म्ममममम तू नहिी सुधरेगा"......मेरी बाजी अपनी फीके चेहरे से मेरी ओर देखा और हँसने लगी हम दोनो भाई बेहन खेत में पॅकडम पकडायि खेलने लगे फिर मैने बाजी को अपनी गिरफ़्त में खींच लिया और उनके होंठो से होंठ लगा के पागलों की तरह चूसने लगा...बाजी भी अपनी गीली ज़ुबान मेरे मुँह में डाल के चलाने लगी हम दोनो एक दूसरे को पागलो की तरह किस करते रहे.."उम्म आहह सस्स चल उस साइड अभी इतनी कड़क धूप में कोई आएगा नही"........बाजी ने कान में फुसफुसाया