hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
नैन.... अमोल 5-5 करोड़ मेरे सारे टीम मेट को और 10 करोड़ मुझे .. मंजूर है तो बोलो वरना हम इनकाउंटर की प्रकीरया शुरू करे....
इनकाउंटर का नाम सुनते ही सब ने अपनी गन अमोल पर तान दिया.... अमोल हाथ उपर करता .... "ठीक है ठीक है... लेकिन पहले मुझे यहाँ से निकालो"
नैन.... सारे ऑफीसर साइड हो जाओ.... कल ऑफीस मे हिसाब करेंगे.... चलें अमोल सर ...
सारे ऑफीसर वहाँ से इंदु को लेकर वापस पोलीस स्टेशन आ गये..... एक पोलीस जीप मे किशोर, नैन और अमोल बैठा.... अमोल को वहाँ से एरपोर्ट लाया गया... अमोल एरपोर्ट पहुँचते ही नैन के कहे अनुसार उसके एक बेनामी अकाउन्ट मे सारा पैसा ट्रान्स्फर कर दिया और मुस्कुराता हुआ अपना प्लेन पकड़ने चला गया.....
नैन एरपोर्ट से बाहर निकलते कहने लगा..... "भगवान उसकी आत्मा को शांति दे... किशोर आक्षन टाइम."..
किशोर ने एरपोर्ट पर तैनात एक ऑफीसर को फोन किया और अंदर एक फाइरिंग की आवाज़ आई ... नैन और किशोर बड़े आराम से दोबारा एरपोर्ट पहुँचे और उसकी लाश को वॅन मे डलवाकर प्रेस को जबाव देने लगे... "मशहूर ड्रग डीलर और सिंडिकेट का सरगना अबोध पूरी भागते हुए इनकाउंटर मे मारा गया"
पोलीस की सफलता पर उसे सब बधाई देने लगे.... इधर पोलीस ने पैसा भी अंदर कर लिया और जान भी बाहर निकाल दी. जो जिसकी मंज़िल थी सब अपनी जगह पर पहुँच ही गये.... अब बस सैली, रीति और वासू को इंदु से एक आखरी बार मिलना था....
नैन ने रिमॅंड रूम मे सबको बुलाया... वहाँ इंदु कुर्सी पर बैठी रो रही थी, और अपनी ग़लतियों को कोस रही थी....
रीति..... इंदु तुम ने अपने चाहत के चलते कयि ज़िंदगियाँ बिगाड़ दी, अब उसके परिणाम पर रो रही हो.. तुम्हारे साथ तो यही होना था....
वासू..... खुद तो अंजान राहों मे अपने सपने ले कर गयी ही और साथ मे हमे भी वहाँ घसीटा... तुम तो यहीं नर्क देखोगी इंदु ... यहीं पर...
सैली..... "इंदु थॅंक्स आ लॉट, तुम ने मेरी आँखे खोल दी. आज मेरे पास मेरे सारे दोस्त हैं, पर तुम्हारी सज़ा यही है कि तुम जिंदगी भर अकेली रहोगी.... तुम्हारी कहानी मैं सब को बताउन्गी, ताकि जब भी लोग तुम्हे देखे तो तुम्हारे खूबसूरत से चेहरे मे दगाबाज़ी का निशान नज़र आए"....
"थॅंक्स आ लॉट इंदु.... तुम तो चाहतों मे इतना गिर गयी कि तुम्हे ज़रा भी अपना, अपने परिवार का और अपने दोस्तों का ख्याल ना रहा.... नेनू.. इसे सज़ा इतना कम दिलवाना ताकि ये जल्द से जल्द बाहर आ जाए. और जब सड़क पर चलते हुए लोग इसे धूतकारेंगे तब जा कर मेरे दिल को सुकून मिलेगा.... दोस्त बनकर धोका दिया इसने"....
सब अपनी भादास निकाल कर पहुँचे नैन के फ्लॅट. फ्लॅट मे सब सुकून से अपने देल्ही आने से सफ़र को लेकर इंदु के किए कारनामे को कोस रहे थे... आज सबको अपनी राहों से पहचान हो गयी थी ... और पिच्छली हुई ग़लतियों से सीखते हुए .... अपनी किसी भी राह पर दोस्तों के प्यार और भरोसे के साथ चलने का तय किया.
एक फॅष्षन डेज़ाइनिंग का ही तो सपना था... सब अपने घर से दूर इस अंजान सहर मे एक अंजानी राह पर अपने सपने ले कर आए थे... पर किसी की ग़लत चाहतों ने सबको अपनी पहली चाहत से भटका दिया....
जिसने जैसा किया उसको वैसा परिणाम मिला... ग़लतियाँ दोस्तों के बीच माफ़ हो जाती है... दिल सच्चे हो तो दोस्तों के बीच सारे गिले शिकवे दूर हो जाते हैं.... लेकिन बुरे अरमान और गंदी नियत से की गयी दोस्ती हमेशा लोगों को रूलाती है... अंत मे अंजाम अकेलेपन का भुगतना पड़ता है... जहाँ रीति और वासू ने आपस मे सच्ची दोस्ती निभाई, वहीं नादान सैली की ग़लतियों को भी माफ़ कर दिया...
सैली को भी उसके किए की सज़ा मिली ज़रूर थी, पर कभी भी उसके दिल मे किसी को धोखा देने का ख़याल नही आया... शायद इसलिए उसके अकेलेपन मे उसके दोस्त उसके साथ रहे... इंदु जैसी सोच रखने वालों का अक्सर यही अंजाम होता है... हम सोचते हैं हम ने बखूबी किसी का ईस्तमाल कर लिया पर ये भूल जाते हैं कि हर किसी को साथ और विश्वास की ज़रूरत होती है... अपने अकेलेपन मे कुछ लोग चाहिए होते हैं... जो धोखे से नही बल्कि रिश्ते बनाने से मिलते हैं.....
सबकी एक अंजान राह होती है... मुश्किलें हर राह मे मिलती है... इरादा बस सही होना चाहिए सही मंज़िल मिल ही जाती है....
इसी के साथ ... अंजान राहें का सफ़र यही समाप्त हुआ .... आप सब के प्यार और विसावस का तहे दिल से शुक्रिया
समाप्त
इनकाउंटर का नाम सुनते ही सब ने अपनी गन अमोल पर तान दिया.... अमोल हाथ उपर करता .... "ठीक है ठीक है... लेकिन पहले मुझे यहाँ से निकालो"
नैन.... सारे ऑफीसर साइड हो जाओ.... कल ऑफीस मे हिसाब करेंगे.... चलें अमोल सर ...
सारे ऑफीसर वहाँ से इंदु को लेकर वापस पोलीस स्टेशन आ गये..... एक पोलीस जीप मे किशोर, नैन और अमोल बैठा.... अमोल को वहाँ से एरपोर्ट लाया गया... अमोल एरपोर्ट पहुँचते ही नैन के कहे अनुसार उसके एक बेनामी अकाउन्ट मे सारा पैसा ट्रान्स्फर कर दिया और मुस्कुराता हुआ अपना प्लेन पकड़ने चला गया.....
नैन एरपोर्ट से बाहर निकलते कहने लगा..... "भगवान उसकी आत्मा को शांति दे... किशोर आक्षन टाइम."..
किशोर ने एरपोर्ट पर तैनात एक ऑफीसर को फोन किया और अंदर एक फाइरिंग की आवाज़ आई ... नैन और किशोर बड़े आराम से दोबारा एरपोर्ट पहुँचे और उसकी लाश को वॅन मे डलवाकर प्रेस को जबाव देने लगे... "मशहूर ड्रग डीलर और सिंडिकेट का सरगना अबोध पूरी भागते हुए इनकाउंटर मे मारा गया"
पोलीस की सफलता पर उसे सब बधाई देने लगे.... इधर पोलीस ने पैसा भी अंदर कर लिया और जान भी बाहर निकाल दी. जो जिसकी मंज़िल थी सब अपनी जगह पर पहुँच ही गये.... अब बस सैली, रीति और वासू को इंदु से एक आखरी बार मिलना था....
नैन ने रिमॅंड रूम मे सबको बुलाया... वहाँ इंदु कुर्सी पर बैठी रो रही थी, और अपनी ग़लतियों को कोस रही थी....
रीति..... इंदु तुम ने अपने चाहत के चलते कयि ज़िंदगियाँ बिगाड़ दी, अब उसके परिणाम पर रो रही हो.. तुम्हारे साथ तो यही होना था....
वासू..... खुद तो अंजान राहों मे अपने सपने ले कर गयी ही और साथ मे हमे भी वहाँ घसीटा... तुम तो यहीं नर्क देखोगी इंदु ... यहीं पर...
सैली..... "इंदु थॅंक्स आ लॉट, तुम ने मेरी आँखे खोल दी. आज मेरे पास मेरे सारे दोस्त हैं, पर तुम्हारी सज़ा यही है कि तुम जिंदगी भर अकेली रहोगी.... तुम्हारी कहानी मैं सब को बताउन्गी, ताकि जब भी लोग तुम्हे देखे तो तुम्हारे खूबसूरत से चेहरे मे दगाबाज़ी का निशान नज़र आए"....
"थॅंक्स आ लॉट इंदु.... तुम तो चाहतों मे इतना गिर गयी कि तुम्हे ज़रा भी अपना, अपने परिवार का और अपने दोस्तों का ख्याल ना रहा.... नेनू.. इसे सज़ा इतना कम दिलवाना ताकि ये जल्द से जल्द बाहर आ जाए. और जब सड़क पर चलते हुए लोग इसे धूतकारेंगे तब जा कर मेरे दिल को सुकून मिलेगा.... दोस्त बनकर धोका दिया इसने"....
सब अपनी भादास निकाल कर पहुँचे नैन के फ्लॅट. फ्लॅट मे सब सुकून से अपने देल्ही आने से सफ़र को लेकर इंदु के किए कारनामे को कोस रहे थे... आज सबको अपनी राहों से पहचान हो गयी थी ... और पिच्छली हुई ग़लतियों से सीखते हुए .... अपनी किसी भी राह पर दोस्तों के प्यार और भरोसे के साथ चलने का तय किया.
एक फॅष्षन डेज़ाइनिंग का ही तो सपना था... सब अपने घर से दूर इस अंजान सहर मे एक अंजानी राह पर अपने सपने ले कर आए थे... पर किसी की ग़लत चाहतों ने सबको अपनी पहली चाहत से भटका दिया....
जिसने जैसा किया उसको वैसा परिणाम मिला... ग़लतियाँ दोस्तों के बीच माफ़ हो जाती है... दिल सच्चे हो तो दोस्तों के बीच सारे गिले शिकवे दूर हो जाते हैं.... लेकिन बुरे अरमान और गंदी नियत से की गयी दोस्ती हमेशा लोगों को रूलाती है... अंत मे अंजाम अकेलेपन का भुगतना पड़ता है... जहाँ रीति और वासू ने आपस मे सच्ची दोस्ती निभाई, वहीं नादान सैली की ग़लतियों को भी माफ़ कर दिया...
सैली को भी उसके किए की सज़ा मिली ज़रूर थी, पर कभी भी उसके दिल मे किसी को धोखा देने का ख़याल नही आया... शायद इसलिए उसके अकेलेपन मे उसके दोस्त उसके साथ रहे... इंदु जैसी सोच रखने वालों का अक्सर यही अंजाम होता है... हम सोचते हैं हम ने बखूबी किसी का ईस्तमाल कर लिया पर ये भूल जाते हैं कि हर किसी को साथ और विश्वास की ज़रूरत होती है... अपने अकेलेपन मे कुछ लोग चाहिए होते हैं... जो धोखे से नही बल्कि रिश्ते बनाने से मिलते हैं.....
सबकी एक अंजान राह होती है... मुश्किलें हर राह मे मिलती है... इरादा बस सही होना चाहिए सही मंज़िल मिल ही जाती है....
इसी के साथ ... अंजान राहें का सफ़र यही समाप्त हुआ .... आप सब के प्यार और विसावस का तहे दिल से शुक्रिया
समाप्त