hotaks444
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[size=large]उस रात भी मैंने बिस्तर में घुसते ही ट्राउजर उतार दिया। अभी जेहन सेक्स की तरफ घूम ही रहा था कि घर में कुछ आहटें महसूस हुईं और फिर कुछ लम्हों में बाजी रूम में दाखिल हो गईं। मैं उनसे बात के लिये उठने का सोच ही रही थी कि वो लाइट ओन के बगैर रूम के पिछले दरवाजे की तरफ बढ़ीं, जहाँ अली भाई उनका इंतजार कर रहे थे।
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मैं दीवार की तरफ चेहरा करके सोती बन गई। अली भाई खामोशी से रूम में घुस गये। उन दोनों ने सरगोशी में कोई बात की और फिर बाजी नाइट ड्रेस पहनकर मेरे बिस्तर में घुस गईं। मैं ऐसा कुछ एक्सपेक्ट नहीं कर रही थी। लिहाफ़ में घुसते ही बाजी को फौरन अंदाज़ा हो गया कि मैं नंगी लेटी हुई हूँ। बाजी ने मेरे चूतड़ पर हाथ फेरकर चेक किया कि मैंने पैंटी भी पहन रखी है या नहीं? वो कुछ सेकेंड लेटी रहीं और मुझे सोता समझकर सर पे किस किया और बिस्तर से निकल गईं।
लिहाफ़ के अंदर मुझे इस हालत में महसूस करके बाजी के लिये ये अंदाज़ा लगाना यकीनन मुश्किल नहीं होगा कि मेरे दिल-ओ-दिमाग में उन दिनों क्या चल रहा था? बाजी के जाने के बाद मैंने बहुत गैर महसूस तरीके से लिहाफ़ के अंदर ही हाथ पैर घुमाकर अपना ट्राउजर तलाश करने की कोशिश की, लेकिन नहीं जानती थी कि वो बेड से नीचे गिर चुका है।
बाजी को यकीन था के मैं सो चुकी हूँ और अब मेरा जागना मुश्किल है। रूम में कुछ फुसफुसाहटों के बाद आवाज़ का वाल्यूम जब बढ़ने लगा तो अली भाई रूम का बैक दरवाजा खोलकर बाहर निकल गये और बाजी भी फौरन उनके पीछे बाहर चली गईं। यकीनन उनके बीच किसी बात को लेकर बहस चल रही थी। मैंने चाहा कि फौरन उठकर अपना ट्राउजर तलाश करके पहन लूँ लेकिन ऐसा रिस्क नहीं लेना चाहती थी क्योंकी बाजी किसी भी वक़्त दोबारा रूम में घुस सकती थीं।
मेरी आँखें अंधेरे के साथ अभ्यस्त हो गई थीं और अब लाइट आफ होने के बावजूद मुझे रूम में सब साफ-साफ दिख रहा था। कुछ देर बाद बाजी रूम में वापिस आईं और अली भाई भी उनके साथ आ गये। मेरा जेहन ये कह रहा था कि शायद बाजी जो चाहती थीं अली भाई रूम में मेरी मौजूदगी की वजह से उसपर राज़ी नहीं हो रहे थे। बाजी ने डबल हीटर ओन कर दिया जिसकी वजह से कमरा गरमी से तप रहा था और लिहाफ़ में मेरा जिश्म पशीने में शराबोर होने जा रहा था।
मैं बेड पर अपनी साइड चेंज कर चुकी थी, अब मेरा चेहरा बाजी के बेड की तरफ था लेकिन मैंने अपना मुँह लिहाफ़ में इस तरीके से ढक रखा था कि लिहाफ़ का साया मेरे चेहरे पर होने की वजह से किसी को अंदाज़ा नहीं हो पा रहा था कि मेरी आँखें खुली हैं या बन्द। अली भाई जिस अंदाज से बाजी के बेड के कोने पर खामोशी से सर झुकाए बैठे थे, उससे ये अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं था कि वो उस वक़्त रूम में मेरी मौजूदगी की वजह से कसमकश में थे, बाजी का जो करने को मूड था वो उससे उन्हें रोकना भी चाहते नहीं थे और रोक पा भी नहीं रहे थे।
कुछ देर बाद बाजी की अलमारी खुलने और बन्द होने की आवाज़ आई और अगले ही लम्हे वो बिल्कुल नंगी मेरी नज़र के परदे में दाखिल हुईं। वो सीधा अपने बेड पे चढ़ गईं और अली भाई को कंधे से पकड़कर बेड पे खींचने की कोशिश की। अली भाई अपने मोजे उतार ही रहे थे कि बाजी बेड से उतर आईं, उन्होंने मोजे उतरने के बाद उनकी पैंट की जिप खोलना शुरू कर दी और झट से पैंट उतारकर सोफा पर फेंक दी। अंडरवेर अभी नहीं उतारा था लेकिन मुझे बाजी का चेहरा अली भाई के लंड पर झुका हुआ नज़र आया। वो यकीनन लंड चूसकर उसे खड़ा करना चाह रही होंगी ताकी उनका ध्यान रूम में मेरी मौजूदगी के एहसास से हटे।
मैं खामोशी से बेगैरतों की तरह ढीठ बनकर ये सब देखती रही। लंड चूसते-चूसते ही बाजी ने अली भाई का अंडरवेर उतार दिया और वो भी फौरन शर्ट उतारकर लिहाफ़ में घुस गये। वो इतने शर्मीले तो हरगिज़ नहीं होंगे, लेकिन शायद उनके जेहन के किसी कोने में ये बात थी कि कहीं निदा ये सब देख ना ले। मैं घुन्नी बनी आँखें फाड़-फाड़कर उस मंज़र से लुत्फ ले रही थी।
बॉडी शो से बचने के लिये उन्होंने बाजी को लिहाफ़ के अंदर खींच लिया और बाजी भी घुसते ही फौरन अली भाई के ऊपर चढ़ गईं। दोनों लिहाफ़ के अंदर थे और मैं सिर्फ़ लिहाफ़ का हिलना ही देख पा रही थी। उनके चेहरे तब नज़र आए जब लिहाफ़ थोड़ा नीचे हुआ। मैंने देखा कि बाजी के होंठ अली भाई के मुँह में थे। मैं अंदाज़ा नहीं लगा पा रही थी कि उस वक़्त अली भाई का लंड बाजी की चूत में था या नहीं? किसिंग का नशा पूरा करने के बाद बाजी सवारी करने की पोज़ीशन में जब अली भाई की टांगें पर बैठीं तब उनके जिश्म को मिलने वाले हल्के से झटके से मुझे अंदाज़ा हुआ कि लंड उनकी चूत में जा चुका है।
बाजी ने अली भाई के सीने पर हाथ टिकाकर जैसे ही लंड के ऊपर मूव करना शुरू किया, अली भाई ने कुछ सोचकर फौरन उन्हें अपने साथ लिटाकर फिर से लिहाफ़ के अंदर कर दिया। वो दोनों चुदाई भी कर रहे थे लेकिन उनके बीच एक खामोश कसमकश भी चल रही थी जिसे मैं एंजाय किये बगैर रह नहीं सकती थी। बाजी की बेचैनी देखकर मुझे एहसास हो रहा था कि एक मर्तवा अगर लंड का मज़ा पड़ जाये तो फिर वो जान नहीं छोड़ता। मैं ख़ुदा का शुकर अदा कर रही थी कि मुझे अभी तक ऐसा चस्का नहीं पड़ा, क्योंकी मेरे पास तो बाजी जैसे मौके भी नहीं थे।
[size=large]बाजी जो चाहे कर सकती हैं घर के अंदर भी और शायद बाहर भी। सेक्स करते वक़्त खुद जिस्मों में अच्छी खासी गर्मी भर जाती है। फिर पता नहीं बाजी को क्या सूझी थी कि उन्होंने डबल हीटर ओन कर दिए थे। एक तो मेरा जिश्म पशीने में शराबोर था और दूसरा मैं सेक्स के एहसास के बावजूद मूव नहीं कर पा रही थी क्योंकी इधर मैंने ज़रा सी भी जुम्बिश की तो दूसरी तरफ फौरन बाजी के बेड पर संकट खड़ा हो जायेगा और मैं बाजी के मूड को खराब नहीं करना चाहती थी। [/size]
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मैं दीवार की तरफ चेहरा करके सोती बन गई। अली भाई खामोशी से रूम में घुस गये। उन दोनों ने सरगोशी में कोई बात की और फिर बाजी नाइट ड्रेस पहनकर मेरे बिस्तर में घुस गईं। मैं ऐसा कुछ एक्सपेक्ट नहीं कर रही थी। लिहाफ़ में घुसते ही बाजी को फौरन अंदाज़ा हो गया कि मैं नंगी लेटी हुई हूँ। बाजी ने मेरे चूतड़ पर हाथ फेरकर चेक किया कि मैंने पैंटी भी पहन रखी है या नहीं? वो कुछ सेकेंड लेटी रहीं और मुझे सोता समझकर सर पे किस किया और बिस्तर से निकल गईं।
लिहाफ़ के अंदर मुझे इस हालत में महसूस करके बाजी के लिये ये अंदाज़ा लगाना यकीनन मुश्किल नहीं होगा कि मेरे दिल-ओ-दिमाग में उन दिनों क्या चल रहा था? बाजी के जाने के बाद मैंने बहुत गैर महसूस तरीके से लिहाफ़ के अंदर ही हाथ पैर घुमाकर अपना ट्राउजर तलाश करने की कोशिश की, लेकिन नहीं जानती थी कि वो बेड से नीचे गिर चुका है।
बाजी को यकीन था के मैं सो चुकी हूँ और अब मेरा जागना मुश्किल है। रूम में कुछ फुसफुसाहटों के बाद आवाज़ का वाल्यूम जब बढ़ने लगा तो अली भाई रूम का बैक दरवाजा खोलकर बाहर निकल गये और बाजी भी फौरन उनके पीछे बाहर चली गईं। यकीनन उनके बीच किसी बात को लेकर बहस चल रही थी। मैंने चाहा कि फौरन उठकर अपना ट्राउजर तलाश करके पहन लूँ लेकिन ऐसा रिस्क नहीं लेना चाहती थी क्योंकी बाजी किसी भी वक़्त दोबारा रूम में घुस सकती थीं।
मेरी आँखें अंधेरे के साथ अभ्यस्त हो गई थीं और अब लाइट आफ होने के बावजूद मुझे रूम में सब साफ-साफ दिख रहा था। कुछ देर बाद बाजी रूम में वापिस आईं और अली भाई भी उनके साथ आ गये। मेरा जेहन ये कह रहा था कि शायद बाजी जो चाहती थीं अली भाई रूम में मेरी मौजूदगी की वजह से उसपर राज़ी नहीं हो रहे थे। बाजी ने डबल हीटर ओन कर दिया जिसकी वजह से कमरा गरमी से तप रहा था और लिहाफ़ में मेरा जिश्म पशीने में शराबोर होने जा रहा था।
मैं बेड पर अपनी साइड चेंज कर चुकी थी, अब मेरा चेहरा बाजी के बेड की तरफ था लेकिन मैंने अपना मुँह लिहाफ़ में इस तरीके से ढक रखा था कि लिहाफ़ का साया मेरे चेहरे पर होने की वजह से किसी को अंदाज़ा नहीं हो पा रहा था कि मेरी आँखें खुली हैं या बन्द। अली भाई जिस अंदाज से बाजी के बेड के कोने पर खामोशी से सर झुकाए बैठे थे, उससे ये अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं था कि वो उस वक़्त रूम में मेरी मौजूदगी की वजह से कसमकश में थे, बाजी का जो करने को मूड था वो उससे उन्हें रोकना भी चाहते नहीं थे और रोक पा भी नहीं रहे थे।
कुछ देर बाद बाजी की अलमारी खुलने और बन्द होने की आवाज़ आई और अगले ही लम्हे वो बिल्कुल नंगी मेरी नज़र के परदे में दाखिल हुईं। वो सीधा अपने बेड पे चढ़ गईं और अली भाई को कंधे से पकड़कर बेड पे खींचने की कोशिश की। अली भाई अपने मोजे उतार ही रहे थे कि बाजी बेड से उतर आईं, उन्होंने मोजे उतरने के बाद उनकी पैंट की जिप खोलना शुरू कर दी और झट से पैंट उतारकर सोफा पर फेंक दी। अंडरवेर अभी नहीं उतारा था लेकिन मुझे बाजी का चेहरा अली भाई के लंड पर झुका हुआ नज़र आया। वो यकीनन लंड चूसकर उसे खड़ा करना चाह रही होंगी ताकी उनका ध्यान रूम में मेरी मौजूदगी के एहसास से हटे।
मैं खामोशी से बेगैरतों की तरह ढीठ बनकर ये सब देखती रही। लंड चूसते-चूसते ही बाजी ने अली भाई का अंडरवेर उतार दिया और वो भी फौरन शर्ट उतारकर लिहाफ़ में घुस गये। वो इतने शर्मीले तो हरगिज़ नहीं होंगे, लेकिन शायद उनके जेहन के किसी कोने में ये बात थी कि कहीं निदा ये सब देख ना ले। मैं घुन्नी बनी आँखें फाड़-फाड़कर उस मंज़र से लुत्फ ले रही थी।
बॉडी शो से बचने के लिये उन्होंने बाजी को लिहाफ़ के अंदर खींच लिया और बाजी भी घुसते ही फौरन अली भाई के ऊपर चढ़ गईं। दोनों लिहाफ़ के अंदर थे और मैं सिर्फ़ लिहाफ़ का हिलना ही देख पा रही थी। उनके चेहरे तब नज़र आए जब लिहाफ़ थोड़ा नीचे हुआ। मैंने देखा कि बाजी के होंठ अली भाई के मुँह में थे। मैं अंदाज़ा नहीं लगा पा रही थी कि उस वक़्त अली भाई का लंड बाजी की चूत में था या नहीं? किसिंग का नशा पूरा करने के बाद बाजी सवारी करने की पोज़ीशन में जब अली भाई की टांगें पर बैठीं तब उनके जिश्म को मिलने वाले हल्के से झटके से मुझे अंदाज़ा हुआ कि लंड उनकी चूत में जा चुका है।
बाजी ने अली भाई के सीने पर हाथ टिकाकर जैसे ही लंड के ऊपर मूव करना शुरू किया, अली भाई ने कुछ सोचकर फौरन उन्हें अपने साथ लिटाकर फिर से लिहाफ़ के अंदर कर दिया। वो दोनों चुदाई भी कर रहे थे लेकिन उनके बीच एक खामोश कसमकश भी चल रही थी जिसे मैं एंजाय किये बगैर रह नहीं सकती थी। बाजी की बेचैनी देखकर मुझे एहसास हो रहा था कि एक मर्तवा अगर लंड का मज़ा पड़ जाये तो फिर वो जान नहीं छोड़ता। मैं ख़ुदा का शुकर अदा कर रही थी कि मुझे अभी तक ऐसा चस्का नहीं पड़ा, क्योंकी मेरे पास तो बाजी जैसे मौके भी नहीं थे।
[size=large]बाजी जो चाहे कर सकती हैं घर के अंदर भी और शायद बाहर भी। सेक्स करते वक़्त खुद जिस्मों में अच्छी खासी गर्मी भर जाती है। फिर पता नहीं बाजी को क्या सूझी थी कि उन्होंने डबल हीटर ओन कर दिए थे। एक तो मेरा जिश्म पशीने में शराबोर था और दूसरा मैं सेक्स के एहसास के बावजूद मूव नहीं कर पा रही थी क्योंकी इधर मैंने ज़रा सी भी जुम्बिश की तो दूसरी तरफ फौरन बाजी के बेड पर संकट खड़ा हो जायेगा और मैं बाजी के मूड को खराब नहीं करना चाहती थी। [/size]